शुरू के दिनों में Youtuber Abdulla Pathan लंबाई बढ़ाने के तरीके, शोल्डर की एक्साइज, बौडी बिल्डर कैसे बनें जैसे विषयों पर वीडियो बना बना कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करता था. देसी दवाओं के इलाज के बैनर पोस्ट करने पर यूनानी यानी देसी दवाओं का इलाज कराने मरीज उत्तर प्रदेश से ही नहीं, दूसरे सूबों से भी आने लगे.

कुछ ऐसे मरीज भी आए, जो विदेश में रह रहे थे. इन में जो रोगी इलाज से एक महीने में ही सही हो गए, उन का इंटरव्यू अब्दुल्ला पठान ने फेसबुक पर डालने शुरू कर दिए. जिस से इस की शोहरत दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ गई.

एक नीम हकीम का इतना बड़ा जलवा देख लोग आश्चर्यचकित रह गए. दवाखाने के बाहर मेला सा लगने लगा. कई तरह के फ्रूट, जूस, मूंगफली, पकौड़ी समोसे आदि सामान बेचने के ठेले लग गए और उन का भी रोजगार चलने लगा. इसी दौरान कुछ शिक्षित लोग इस का दवाखाना बंद करने के लिए अधिकारियों से शिकायत करने लगे.

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उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद की तहसील बिलारी के टाउन कुंदरकी में एक नीम हकीम अब्दुल्ला पठान के दवाने पर 16 अक्तूबर, 2023 को जिले में पहली बार स्वास्थ्य विभाग, आयुर्वेद विभाग, होम्योपैथी विभाग व ड्रग्स विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने मिल कर छापेमारी की. बड़ी संख्या में वहां पर आयुर्वेद दवाएं बिना पैकिंग के पाई गईं, जिन में 36 दवाओं को सील कर के उन के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए.

पूरे जनपद में यह मामला चर्चा में रहा. तमाम तरह की अफवाहें भी उड़ीं. इस नीम हकीम की दुकान सील कर दी गई. यह बात तो ठीक है कि छापेमारी के दौरान अब्दुल्ला पठान अपनी दुकान पर नहीं मिला था.

ब्लौककुंदरकी के गांव ढकिया (जुम्मा)  निवासी अब्दुल वहीद के 6 बेटे और एक बेटी सहित भरापूरा परिवार है. अब्दुल्ला पठान सहित 4 भाई लंबेचौड़े पहलवान जैसी बौडी के हैं. 2 भाइयों की कदकाठी साधारण है. अब्दुल्ला पठान का एक भाई अब्दुल मलिक इस समय ढकिया जुम्मा का प्रधान है. एक भाई अब्दुल खालिद संविदा पर ब्लौक में जूनियर इंजीनियर है.

एक भाई अब्दुल हफीज का मर्डर लगभग 15 साल पहले हो गया था. उस समय इन का एक चचेरा भाई भी साथ था. दोनों कुंदरकी कस्बे के पास में ही खेत पर काम कर रहे थे. तभी बदमाशों ने दोनों को गोलियों से भून दिया. दरअसल, ये सभी भाई काफी दबंग और हेकड़ प्रवृत्ति के रहे हैं.

जाति से पठान होने के कारण भी ये लोग अपना रुतबा कायम रखना चाहते थे. बताते हैं कि किसी ने उन की ट्रौली चुरा ली थी. चोरी के आरोप में इन्होंने गांव के चौकीदार के भाई को बुरी तरह पीटा था और थाने ले गए थे.

यह मामला तो जैसेतैसे निपट गया था, लेकिन डबल मर्डर केस में इन्होंने अन्य 4 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अब्दुल्ला पठान का एक भाई सीआरपीएफ में है और एक पुलिस में है. बहन की शादी हो चुकी है. गांव में रंजिश के चलते ये लोग कस्बा कुंदरकी में लाइनपार मोहल्ले में बस गए थे. गांव में इन की खेतीबाड़ी है.

सभी रिश्तेदार और खानदान के लोग अभी गांव में रहते हैं. गांव में इन का आनाजाना लगा रहता है. इन के पिता अब्दुल वाहिद भी बढ़िया पर्सनालिटी के पहलवान थे. आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. अब्दुल्ला पठान की ननिहाल कुंदरकी की है. अब्दुल्ला पठान और अन्य भाई अपनी नानी के घर रह कर पढ़ाई करते थे. अब्दुल्ला पठान को शारीरिक ताकत दिखाने का शौक लग गया.

करतब देख लोग हो जाते हैरान

पहलवानी और वर्जिश तो वह खूब करता ही था. उस ने तरह तरह के वजन उठाने का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. अपने एक हाथ से एक आदमी और दूसरे हाथ से दूसरे आदमी को एक साथ उठाए जाने का प्रदर्शन करना काफी चर्चित रहा. उस ने लोगों को ट्रौली खींच कर दिखाई. ट्रक खींच के दिखाया. हाथ से नारियल फोड़ा और भी तरहतरह के प्रदर्शन अपनी शारीरिक ताकत के दिखाता रहा.

इस की इन कलाओं की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं. तब उस ने सोचा कि क्यों न यूट्यूब आदि सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट बना लिया जाए. तब उस ने अपनी ताकत के प्रदर्शन की वीडियो और फोटो यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया पर डालनी शुरू कर दीं.

इस से इस की शोहरत बढ़ती चली गई. प्रदेश ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों में भी इस की ताकत के प्रदर्शन होने लगे. चैनल पर तरहतरह के लोग सवाल करने लगे. किसी ने पूछा कि आप क्या क्या खाते हो. तब उस ने दिल्ली खारी बावली बाजार में जा कर अपनी वीडियो बनाई, जहां तरहतरह के मेवे, बादाम, काजू, पिस्ता आदि बिकते हैं.

लोगों को दिखाया कि वह यहां से खरीद कर मेवे खाता है. इसी दौरान उसे दिल्ली की आयुर्वेद और यूनानी दवाओं की दुकानों का थोक बाजार दिखाई दिया, जहां से बड़ी संख्या में हकीम और वैद्य दवा खरीद कर ले जाते हैं. उधर यह सोशल मीडिया पर भी हकीमों के और वैद्यों की रील और वीडियो देखता रहता था, जो तरहतरह की बीमारियों के इलाज की दवाएं बताते थे और स्वयं तैयार की गई दवाओं को बेचने का प्रचार भी करते थे.

शोहरत बढ़ जाने से सोशल मीडिया से आमदनी भी होने लगी. तभी इस ने हिकमत की लाइन में अपना भविष्य तलाशना शुरू किया. इस ने अपनी दुकान कुंदरकी के मोहल्ला मेन बाजार में खोली, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

फिर एक पैट्रोल पंप के निकट अपना यूनानी दवाओं का क्लीनिक स्थापित किया. अब्दुल्ला पठान की हिकमत यहां भी नहीं चली. तब उस ने कुंदरकी में ही स्थित जेएलएम इंटर कालेज के पास मेन हाईवे पर अपनी दुकान खोली और सोशल मीडिया पर बड़ी से बड़ी बीमारियों का देसी दवाओं से इलाज करने का प्रचार शुरू किया.

अब्दुल्ला आम इंसान से कैसे बना खास

अब्दुल्ला पठान जानता था कि देसी दवाओं की तरफ देशवासियों का रुझान बढ़ रहा है और इस लाइन में खूब दौलत कमाई जा सकती है. इस ने किसी हकीम के पास, किसी वैद्य के पास पुड़िया बांधने, इलाज करने या उपचार करने का काम कभी नहीं सीखा. सरकारी संस्थान या प्राइवेट संस्थान में आयुर्वेदिक या यूनानी दवा की कोई पढ़ाई भी नहीं की.

इस की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट पास बताई गई है. इंजीनियङ्क्षरग लाइन में जाना चाहता था, लेकिन उस में सफलता नहीं मिली. मर्दाना ताकत, धात, नाइटफाल, टाइम बढ़ाना, लिकोरिया, वजन बढ़ाना, बालों का झड़ना, पेट का इलाज, पथरी का इलाज, चेहरे पर पिंपल आदि बीमारियों का इलाज देसी जड़ीबूटियों द्वारा करने का यह प्रचार करने लगा. स्त्री एवं पुरुषों के गुप्त रोगों के इलाज का सोशल मीडिया पर बैनर जारी कर दिया.

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इस से मरीज आने शुरू हो गए. पिछले 2 सालों से यह हालत हो गई कि 3 से 4 सौ मरीज तक प्रतिदिन दवाई लेने इस के पास आते देखे गए. जबकि औनलाइन दवाई मंगाने वालों की भी लंबी सूची प्रतिदिन रहती थी. इस तरह देखते ही देखते अब्दुल्ला पठान करोड़पति हो गया और इस के रसूख बड़ेबड़े लोगों से होने लगे. पुलिस विभाग के अधिकारी हों या स्वास्थ्य विभाग के, सभी से अब्दुल्ला पठान के मधुर संबंध रहते. बड़ीबड़ी पार्टियों और कार्यक्रमों में अब्दुल्ला पठान को बुलाया जाने लगा.

एक केंद्रीय मंत्री के साथ भी इस की मौजूदगी सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में देखी गई. और भी वीडियो और फोटो अब्दुल्ला पठान अपने सोशल मीडिया पर जारी करता रहा.

गौशाला के दान ने कैसे किया परेशान

अब्दुल्ला पठान औफिशल नाम के यूट्यूब चैनल पर लगभग 10 लाख 27 हजार सब्सक्राइबर बताए गए हैं. यह चैनल 13 सितंबर, 2017 को रजिस्टर किया गया. इस ने 6 फरवरी, 2018 को पहला वीडियो अपने चैनल पर जारी किया था.

वर्तमान जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह, जिन्होंने कुछ ही महीने पहले मुरादाबाद के जिलाधिकारी का कार्यभार संभाला था. उन्होंने जनपद में गौशालाओं के निर्माण के लिए जनता से सहयोग राशि देने का आह्वान किया था. इस में सहयोग के लिए अब्दुल्ला पठान ने एक लाख रुपए का चैक दिया.

अब्दुल्ला पठान का गौशाला के लिए यह सहयोग समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में खूब हाईलाइट हुआ. क्योंकि अब तक यह एक सेलिब्रिटी बन चुका था.

बताते हैं कि जिलाधिकारी ने जांच करवाई कि एक लाख रुपए भेंट करने वाला व्यक्ति क्या करता है? तब पता चला कि यह यूट्यूबर  होने के साथसाथ देसी दवाओं से इलाज करने का धंधा करता है. यानी एक नीम हकीम खतरे जान भी है.

जिलाधिकारी के आदेश पर अब्दुल्ला पठान के क्लीनिक पर छापा मारने की तैयारी की गई और कई विभागों के अधिकारियों की भारीभरकम टीम अब्दुल्ला पठान के शफाखाने पर जांच करने पहुंच गई. काफी संख्या में उस वक्त मरीज भी मौजूद थे.

भारी पुलिस बल और अधिकारियों की टीम देख कर शफाखाने पर अफरातफरी मच गई. लोग दवा ले कर भागते नजर आए. भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे अधिकारियों ने क्लीनिक पर कब्जा कर के बड़ी तादाद में रखी देसी जड़ीबूटियों की जांच शुरू कर दी. यह बात 16 अक्तूबर, 2023 की है.

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26 अक्तूबर को यूट्यूब पर अब्दुल्ला पठान ने फिर एक वीडियो जारी कर कहा कि उस का अस्पताल सील नहीं हुआ है. यह अफवाह उड़ाई गई है. किसी तरह की कोई बंदिश नहीं है. स्वास्थ्य विभाग का काम है. वह जांच करते रहते हैं. सैंपल लेते रहते हैं, लेकिन क्लीनिक पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

उस ने अपने रोगियों से अपील करते हुए कहा कि सभी मरीज आएं, यहां से दवाई लेने में कोई परेशानी उन्हें नहीं होगी. दूसरे ही दिन यानी 27 अक्तूबर, 2023 को अब्दुल्ला पठान का फेसबुक की रील पर पुलिस की वरदी में एक वीडियो वायरल हुआ. यह बात पुलिस के संज्ञान में पहुंची. तब उस के खिलाफ थाना कुंदरकी में रिपोर्ट दर्ज की गई.

इस बारे में एसपी (देहात) संदीप कुमार ने बताया कि पुलिस की वरदी में वायरल होना संज्ञान में आया है. रिपोर्ट दर्ज हो गई है. जांच कर पुलिस उस के खिलाफ कानूनी काररवाई करेगी. उधर अब्दुल्ला पठान का कहना है कि सोशल मीडिया की रील में वह एक रोल मात्र जैसी है, इस का तात्पर्य पुलिस बन कर किसी को ठगना नहीं है. यह तो वैसा ही है जैसे फिल्मों में पुलिस की वरदी में सीन होते हैं.

बहरहाल, नीम हकीम अब्दुल्ला पठान के खिलाफ इस तरह की काररवाई होने से उस का धंधा लगभग चौपट सा हो गया है. एक चौथाई मरीज भी उस के पास आते नहीं देखे जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम क्या काररवाई करती है, यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा.

उधर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ऐसे झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ काररवाई होती है, जो बिना किसी डिग्री या डिप्लोमा के एलोपैथी दवाओं से इलाज करते पाए जाते हैं. उन के क्लीनिक सील होते हैं.

लेकिन ऐसा कोई झोलाछाप डाक्टर नहीं है, जिस ने अपना धंधा बंद कर के कोई दूसरा कारोबार शुरू किया हो. देसी दवाओं से इलाज करने वाले नीम हकीम डाक्टर चाहे वह यूनानी हो या आयुर्वेदिक उन के खिलाफ इस तरह की छापेमारी जनपद में होती पहली बार देखी है.

फरजी डाक्टरों और नीम हकीमों से बचें

डा. मोहम्मद शायगान, एमबीबीएस, एमडी

डा. मोहम्मद शायगान एमबीबीएस, एमडी जनपद मुरादाबाद के कस्बा बिलारी के निवासी हैं. 2 साल तक दिल्ली के एम्स में काम कर चुके हैं और बिलारी में इन का अपना क्लीनिक है. जिला मुख्यालय पर भी प्रैक्टिस करते हैं. इन्होंने सोशल मीडिया पर खुद को हकीम और वैद्य बता कर दवाइयां बनाने वालों, इलाज करने वालों और औनलाइन दवाइयां बेचने वालों पर अपनी बेबाक टिप्पणी की और कहा कि बिना डिग्री डिप्लोमा के क्लीनिक चलाने वालों पर काररवाई अवश्य होनी चाहिए.

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उन्होंने बताया कि हमारी दुनिया में कोई भी कार्य करने के लिए उस के मानक एवं गुणवत्ता निर्धारित किए जाते हैं. कार्य योग्यता अनुसार किए जाते हैं. योग्यता, पढ़ाई और प्रशिक्षण से आती है. अब इसी तथ्य को हम डाक्टरी पेशे में रख कर देख सकते हैं.

समस्त संसार एवं भारतवर्ष में मानव जीवन कल्याण के लिए हमारे पूर्वजों ने कठिन परिश्रम एवं विद्या के अनुसरण से इंसान की विभिन्न बीमारियां ज्ञात कीं और उन के उपचार के लिए अलगअलग औषधियों का गहन अध्ययन किया. उस समय वे लोग वैद्य या हकीम कहलाए.

आज के समय में यह उपाधि प्राप्त करने के लिए पूरी एक नियमित पढ़ाई करनी होती है. इस परिश्रम को सफल करने के बाद ही कोई वैध/हकीम या डाक्टर कहलाता है.

अब कोई व्यक्ति बिना डिग्री या परिश्रम के कोई काम करेगा और वह भी इस प्रकार का, जो सीधे मानव स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित करे तो यह बहुत ही चिंता का विषय है. अब चाहे वह आयुर्वेद हो या एलोपैथ, बिना डिग्री के कार्य करना ऐसा है जैसे बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाना. दोनों ही परिस्थितियों में जान का खतरा है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त काररवाई होनी चाहिए. क्योंकि हम किसी के जीवन को भी अज्ञानता के कारण खतरे में नहीं डाल सकते.

मो. आसिफ कमल ‘एडवोकेट’

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