एसटीएफ ने जब अपनी जांच आगे बढाई तो उन्हें यह जानकारी मिली थी कि बाबा ग्रुप औफ कालेज, मुजफ्फरनगर के मालिक इमरान व इम्लाख हैं. पता चला कि इम्लाख तो कोतवाली मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर भी था. इम्लाख ने अपने भाई इमरान के साथ मुजफ्फरनगर के थाना बरला क्षेत्र में बाबा ग्रुप औफ कालेज के नाम से एक मैडिकल डिग्री कालेज खोल रखा है, जो बी फार्मा, बीए व बीएससी आदि कोर्स संचालित करता है.
जब भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिकारियों से इस फरजीवाड़े के बारे में एसटीएफ के अधिकारियों ने पूछताछ की तो उन्होंने एसटीएफ को कोई सहयोग नहीं किया. इस के बाद भारतीय चिकित्सा परिषद के कुछ अधिकारी गुपचुप तरीके से डाक्टरों के इस फरजीवाड़े में आरोपियों की गुप्त रूप से मदद करने लगे.
20 नवंबर, 2023 का दिन था. उस दिन देहरादून के सीओ अनिल जोशी द्वारा 18 फरजी बीएएमएस डाक्टरों के खिलाफ विवेचना पूरी कर के चार्जशीट अदालत में भेजी गई थी. ये सभी डाक्टर फरजी बीएएमएस डिग्री द्वारा उत्तराखंड के कई स्थानों पर प्रैक्टिस कर रहे थे. स्थानीय प्रशासन, एसटीएफ व पुलिस भी इन फरजी डाक्टरों को बिना ठोस प्रमाण के हाथ डालने से बच रही थी.
लेकिन यह मामला इन तीनों एजेंसियों के संज्ञान में था कि कुछ फरजी बीएएमएस डिग्रीधारक डाक्टर उत्तराखंड के कई स्थानों पर डाक्टरी कर रहे थे. यह मामला सीएमओ देहरादून के संज्ञान में भी था तो वह भी अपने स्तर से इन फरजी डाक्टरों की तलाश में लगे हुए थे.
वर्ष 2023 के जनवरी माह में जब इन फरजी डाक्टरों के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हुई थी तो देहरादून के डीएम व एसएसपी ने इस बाबत एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में इन दोनों अधिकारियों ने फरजी डाक्टरों को चिह्निïत करने तथा उन के खिलाफ सुबूत जुटा कर जेल भेजने के निर्देश आयुष अग्रवाल, एसएसपी (एसटीएफ) को दिए थे.


 
 
 
            



 
                
                
                
                
                
                
                
                
                
               
 
                
                
               
