राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MP) धीरज प्रसाद साहू (Dhiraj Prasad Sahu) के ठिकानों पर छापेमारी के बाद लगभग 350 करोड़ रुपए के कैश और अन्य बेहिसाब संपत्तियां बरामद हुईं. घर से नोटों से भरे 19 बैग मिले. इस रकम को गिनने के लिए मंगाई गईं 3 दरजन से अधिक मशीनें नोट गिनते गिनते खराब भी हो गई थीं. इसी खराबी के कारण नकद रकम गिनने में काफी अतिरिक्त समय भी लगा था.

आयकर विभाग (Income Tax) के अधिकारियों ने छापेमारी (Raid) के दौरान जब कंपनी के आसपास निरीक्षण किया तो पाया कि 500-500 के नोट फाड़ कर भी फेंके हुए थे. आयकर विभाग ने फटे हुए सभी नोटों को जब्त कर लिया.

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राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार 23 नवंबर, 1955 को रांची में जन्मे धीरज प्रसाद साहू के पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू और मां का नाम सुशीला देवी है. धीरज साहू 3 बार राज्यसभा सांसद रहे हैं. पहली बार वर्ष 2009 में राज्यसमा सांसद बने थे. जुलाई 2010 में वह एक बार फिर झारखंड से राज्यसभा के लिए चुने गए और तीसरी बार वह मई 2018 में राज्यसभा के दिए मनोनीत हुए थे.

धीरज प्रसाद साहू ने झारखंड की चतरा लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, 2 बार उन्होंने चुनाव लड़ा परंतु दोनों बार ही इन्हें हार का सामना करना पड़ा. इन के परिवार में 5 भाई और थे, जिन में से 4 राजनीति में आ गए. धीरज साहू के भाइयों में शिव प्रसाद साहू, नंदलाल प्रसाद साहू, उदय प्रसाद साहू, किशोर प्रसाद साहू और गोपाल प्रसाद साहू शामिल हैं.

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शिव प्रसाद साहू लोकसभा सांसद थे और उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 2 बार (सन 1980 और 1984) लोकसभा सदस्य बने थे.

जनवरी 2001 में 67 वर्ष की आयु में शिव प्रसाद साहू का निधन हो गया था. धीरज साहू के एक अन्य भाई नंद प्रसाद साहू का भी निधन हो चुका है.

इन के तीसरे भाई गोपाल प्रसाद साहू ने वर्ष 2019 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे. धीरज प्रसाद साहू के चौथे भाई उदय प्रसाद साहू भी कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं. धीरज प्रसाद साहू का संगठन से जुड़ाव 1977 में ही हो गया था. 64 वर्षीय धीरज प्रसाद साहू कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई में सब से पहले जुड़ गए थे.

कैसे बढ़ा देशी शराब का कारोबार

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के रिश्तेदारों ने ओडिशा में शराब का एक बहुत बड़ा बिजनैस चला रखा है. वैसे बलदेव साहू और ग्रुप औफ कंपनी मूलरूप से झारखंड के लोहरदगा जिले की है. 40 साल पहले कंपनी के द्वारा ओडिशा में देसी शराब बनाने की शुरुआत कर दी गई थी और कंपनी ने इन 40 वर्षों में कुबेर का खजाना जमा कर लिया था.

इस कंपनी की कुछ अन्य ब्रांच कंपनियां भी हैं, जिन के नाम बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, क्वालिटी बौटलर्स प्राइवेट लिमिटेड और किशोर प्रसाद विजय प्रसाद बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड है. आयकर विभाग ने इन सभी कंपनियों में छापेमारी की थी.

बलदेव साहू संस ऐंड ग्रुप की ओडिशा में 250 से अधिक शराब की दुकानें हैं. आयकर विभाग के छापे में सभी कर्मचारी भाग गए थे. उन्हें पूछताछ और अपनी गिरफ्तारी का डर था. वहीं आयकर विभाग की छापेमारी देखते हुए ओडिशा बौध जिला स्थित बौद्ध डिस्टिलरी लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों ने 500-500 के नोटों को फाड़ कर फेंकना शुरू कर दिया था.

हलफनामे में कम क्यों दिखाई संपत्ति

आयकर विभाग के महानिदेशक संजय बहादुर नोटों की जब्ती और गिनती सहित पूरे अभियान पर नजर रखे हुए थे. वहीं शराब का कारोबार करने वाली कंपनी की ओर से भी छापेमारी को ले कर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू ने वर्ष 2018 में राज्यसभा के लिए चुने जाने से पहले दाखिल चुनावी हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 34.83 करोड़ रुपए घोषित की थी. इस के साथ ही कांग्रेसी नेता ने बताया था कि वित्त वर्ष 2016-2017 में उन की कुल कमाई 1.0047 करोड़ रुपए थी.

धीरज साहू के ठिकानों से 500 करोड़ रुपए तक बरामदगी का है अनुमान

उस वक्त शपथ पत्र में इन्होंने अपने पास कुल 27 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी घोषित की थी. धीरज साहू के ठिकानों से कथा संकलन तक 355 करोड़ से भी अधिक कैश की बरामदगी हो चुकी थी. इस के 500 करोड़ रुपए तक जाने का अनुमान है.

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इस बीच कांग्रेस ने उन से एकदम से किनारा ही कर लिया है. धीरज प्रसाद साहू के पिता बलदेव साहू पुराने कांग्रेसी, स्वतंत्रता सेनानी और तत्कालीन बिहार के प्रमुख व्यवसायियों में एक रहे थे. उन्हें अंगरेजी हुकूमत से राय साहब की उपाधि मिली थी.

साहू परिवार झारखंड के लोहरदगा का रहने वाला है. इस परिवार ने बेशक सब से ज्यादा कमाई शराब के कारोबार से की, लेकिन आज इन का दखल रियल एस्टेट, होटल, हौस्पिटल, स्कूल, ट्रैवल से ले कर कई तरह के व्यवसायों में है. झारखंड के अलावा ओडिशा, बंगाल और कई अन्य राज्यों में भी इन का कारोबार फैला हुआ है. परिवार के पास अब 80 से अधिक माइक्रो डिस्टिलरीज हैं.

इस के अलावा इन के पास ओडिशा और झारखंड मैं आईएमएफएल के लिए बौटलिंग प्लांट भी है. साहू परिवार की बौद्ध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड नाम से जिस इंडस्ट्रियल इकाई के ठिकाने से सब से ज्यादा कैश बरामद हुआ था, की वेबसाइट में बताया गया है कि परिवार 125 साल से भी ज्यादा समय से शराब के कारोबार में है और इस ने सफलता की नई कहानियां गढ़ी हैं.

दूसरे सेक्टरों में भी है बिजनैस

रांची में धीरज साहू के भाईभतीजे और परिवार के लोग आर्या होटल, सफायर इंटरनैशनल स्कूल, सेंटेविटा हौस्पिटल जैसे कई संस्थान संचालित कर रहे हैं. धीरज साहू के पिता बलदेव साहू के नाम पर लोहरदगा में बी.एस. साहू डिग्री कालेज भी है. हालांकि, ये अब सरकारी तौर पर संचालित किया जा रहा है.

आयकर विभाग की छापेमारी के बाद धीरज साहू की अनेक तसवीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिन में कांग्रेसी सांसद कहीं राइफल के साथ दिख रहे हैं तो वहां पर चीते और बाघ के साथ तसवीरें खिंचाते नजर आ रहे हैं. उन की अपनी एक वेबसाइट है, जिस में बताया गया है कि वह वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और बोटिंग के बेहद शौकीन हैं.

इस के अलावा धीरज प्रसाद साहू शूटिंग में भी अपने हाथ आजमाते रहे हैं. धीरज साहू लोहरदगा में धार्मिक प्रवचन का कार्यक्रम भी अकसर आयोजित करवाते रहे हैं. साहू परिवार का रांची स्थित आवास सुशीला निकेतन रेडियम रोड में स्थित है, जो इस शहर का सब से भव्य बंगला माना जाता है.

एक शराब व्यापारी से इतनी बड़ी रकम बरामद होने की खबर ने जहां एक तरफ ओडिशा और देश के लोगों को अचंभे में डाल दिया है, लेकिन राज्य के देशी शराब के व्यापार और धीरज प्रसाद साहू के परिवार के बीच में बहुत ही पुराना रिश्ता रहा है.

जानकारी के अनुसार यह अटूट रिश्ता आजादी से पहले आज के तकरीबन 90 साल पहले शुरू हुआ था, जब लोहरदगा के व्यापारी राय साहब बलदेव साहू की मित्रता बलांगीर रियासत के तत्कालीन राजा के साथ हुई थी. राजा ने उन्हें अपनी रियासत में देशी शराब का हट्टी (दुकान) खोलने की अनुमति दी थी. राज परिवार की शह पा कर साहू परिवार एक के बाद एक शराब की दुकानें खोलता चला गया और अपना कारोबार दिनप्रतिदिन बढ़ाता गया.

आज की वर्तमान स्थिति यह है कि जिले के कुल 62 हट्टियों में से 46 इसी परिवार के पास हैं. आजादी के बाद भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. साहू परिवार का शराब का विशाल साम्राज्य बलांगीर से निकल कर पश्चिमी ओडिशा के अन्य इलाकों में भी तेजी से फैलने लगा.

कालाहांडी, नुआपड़ा, संबलपुर, सुंदरगढ़ जैसे अन्य जिलों में भी देशी दारू के इस कारोबार का हिस्सा धीरेधीरे साहू परिवार के नियंत्रण में आता चला गया. देशी दारू में मजबूत पकड़ बना लेने के बाद बलदेव साहू ऐंड संस ने विदेशी शराब के कारोबार में भी अपना सिक्का जमाना शुरू कर दिया था.

इस के लिए साहू परिवार ने अपनी एक सहयोगी कंपनी बौद्ध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड (बीडीपीएल) की स्थापना कर दी थी. राज्य के अंगरेजी शराब कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार राज्य के 18 इंडियन मेड फारेन लिक्वर (आईएमएफएल) बौटलिंग प्लांटों को शराब बनाने के लिए जरूरी स्पिरिट की 80 प्रतिशत सप्लाई यही कंपनी करती है.

केवल ओडिशा राज्य ही नहीं, बल्कि झारखंड और पश्चिमी बंगाल सहित सभी पूर्वी भारत के अधिकांश बौटलिंग प्लांट भी जरूरी स्पिरिट के लिए बीडीपीएल पर ही निर्भर रहते हैं. स्पिरिट की आपूर्ति के अलावा बीडीपीएल ‘एक्स्ट्रा न्यूटल अलकोहल’ यानी कि ईएनए भी बनाती है जो व्हिस्की, वोदका और जिन जैसी विदेशी शराब के साथसाथ पेंट, स्याही और अन्य सामग्री बनाने में भी काम में आती हैं.

साहू परिवार के सदस्यों द्वारा चलाई जा रही इस के अतिरिक्त 2 कंपनियां और भी हैं. इन में से एक है ‘किशोर प्रसाद विजय प्रसाद बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड’ जो देश और राज्य में कई ब्रांड के आईएमएफएल की बिक्री और वितरण करती है और दूसरी कंपनी है ‘क्वालिटी बौटलर्स प्राइवेट लिमिटेड’ जो अंगरेजी शराब की बौटलिंग करती है.

पहले भी छापेमारी में बरामद हुआ है खजाना

पीयूष जैन (कानपुर): कानपुर के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के यहां 40 घंटों तक चली दिसंबर 2021 की एक छापेमारी में 196 करोड़ रुपए नकद और 23 किलोग्राम सोने की बरामदगी हुई थी. इस अकूत धनराशि को गिनने के लिए 19 मशीनें लगानी पड़ी थीं. पीयूष जैन के ठिकानों से 250 किलोग्राम चांदी और यहां तक कि चंदन के तेल के ड्रम तक यहां से बरामद हुए थे. पीयूष जैन के कन्नौज स्थित घर पर भी इस दौरान छापेमारी हुई थी.

आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल (झारखंड): झारखंड की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के यहां वर्ष 2022 छापा पड़ा था. पूजा सिंघल के घर से ईडी को लगभग 20 करोड़ रुपए बरामद हुए थे. उन के घर से 150 करोड़ की संपत्ति के कागज भी बरामद हुए थे. ईडी ने उन की 82 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी. पूजा सिंघल झारखंड सरकार में वरिष्ठ अधिकारी थीं और मनरेगा घोटाले में आरोपित थी. उन के ऊपर अब भी जांच चल रही है.

अर्पिता मुखर्जी और पार्थो चैटर्जी (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल के शिक्षक भरती घोटाले की जांच कर रही ईडी ने ममता सरकार में मंत्री पार्थो चटर्जी और उन की प्रेमिका अर्पिता मुखर्जी के अलगअलग ठिकानों से 50 करोड़ रुपए की बरामदगी की थी. यहां पर 6 किलोग्राम सोना और कई महंगी गाडिय़ां भी बरामद की गई थीं. उन के 4 फ्लैट भी सीज किए गए थे.

रियल स्टेट डेवलपर (महाराष्ट्र): अगस्त 2022 में महाराष्ट्र के जालना में हुई छापेमारी में 58 करोड़ रुपए की बरामदगी आयकर विभाग के अधिकारियों को हुई थी. इस के अलावा 32 किलोग्राम सोना और साथ ही तमाम बेनामी संपत्ति का पता भी आयकर अधिकारियों को चला था. यहां पर जब्त की गई कुल संपत्ति की वैल्यू 390 करोड़ की बताई गई थी. यहां पर छापा मारने वाले आयकर अधिकारी बारात की गाडिय़ों में पहुंचे थे, ताकि किसी को उन पर शक न हो सके.

हेट्रो फार्मा (हैदराबाद): अक्तूबर 2021 में हैदराबाद की हेट्रो फार्मा पर हुई छापेमारी में आयकर विभाग ने 142 करोड़ नकद बरामद किए थे. यह कंपनी भारत से ले कर दुबई, यूरोप और अफ्रीका तक में दवा का एक्सपोर्ट करती थी. यहां पर आयकर विभाग को 550 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति का ब्यौरा मिला था. यह सारी धनराशि और दस्तावेज लौकर्स में भर कर रखी हुई थी.

दुरई मुरुगन (कोयंबटूर): अप्रैल 2019 में डीएमके नेता और पार्टी के कोषाध्यक्ष से जुड़े ठिकानों पर आम चुनावों के दौरान आयकर विभाग का छापा पड़ा था. इस में छापा मारने वाले अधिकारियों को 21 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई थी. यह सारा पैसा बोरों में भर कर रखा गया था. 2019 आम चुनावों के दौरान हुई इस बड़ी छापेमारी के कारण यहां पर मतदान को रद्द करना पड़ा था.

एसपीके ऐंड कंपनी (तमिलनाडु): तमिलनाडु में जुलाई 2018 में पूरे राज्य में हुई छापेमारी में रोड बनाने वाली इस कंपनी के ठिकानों से 160 करोड़ रुपए से अधिक की बरामदगी हुई थी. इस के अलावा 100 किलोग्राम सोना भी इस कंपनी के ठिकानों से जब्त किया गया था. इसे तब देश की सब से बड़ी छापेमारी कहा गया था

आयकर विभाग के जब्त पैसों और प्रौपर्टी का क्या होता है?

नोटों के भारीभारी बंडल देख कर आम इंसान के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर इतने पैसों का अब आगे क्या किया जाएगा? ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग को मनी लांड्रिंग, इनकम टैक्स फ्राड या अन्य आपराधिक गतिविधियों में जांच, पूछताछ, छापेमारी करने और चलअचल संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार प्राप्त होता है.

ये एजेंसियां जब्त पैसे को अपनी कस्टडी में लेती हैं और फिर अदालत के आदेश से या तो उस पैसे को आरोपी को वापस कर दिया जाता है या फिर वह पैसा सरकार की संपत्ति बन जाता है.

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के अनुसार जब आयकर विभाग या दूसरी अन्य एजेंसियां जांच के लिए छापेमारी करती हैं तो उस के 2 हिस्से होते हैं. पहला गिरफ्तारी और पूछताछ और दूसरा सबूत इकट्ठा करना.

सभी जांच एजेंसियों को पैसा और सामान जब्त करने के कानूनी अधिकार प्राप्त हैं. यदि आयकर विभाग को छापेमारी के दौरान पैसा या अन्य दूसरा सामान मिलता है तो उसे इनकम टैक्स एक्ट के तहत जब्त किया जा सकता है.

इसी तरह ईडी और दूसरी एजेंसियां भी प्रिवेंशन औफ मनी लांड्रिंग एक्ट, 2002 और कस्टम एक्ट के तहत पैसे और सामान को जब्त कर सकती हैं. जांच एजेंसियों को जब्त सामान को मालखाने अथवा भंडारघर में जमा करने का अधिकार होता है.

छापेमारी में जब्त की गई सभी चीजों का पंचनामा बनाया जाता है. पंचनामा जांच एजेंसी का जांच अधिकारी बनाता है. पंचनामे में 2 स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर भी होते हैं. साथ ही जिस व्यक्ति का सामान जब्त होता है, इस पर उस के भी हस्ताक्षर कराए जाते हैं. पंचनामा बनाने के बाद जब्ती का पूरा सामान केस प्रौपर्टी बन जाता है.

पंचनामे में इस बात का जिक्र होता है कि कुल कितनी रकम बरामद हुई, कितनी नोटों की गड्ïिडयां हैं, कितने 50, 100, 200 और 500 के अन्य नोट हैं. जब्त किए गए कैश में अगर नोट पर किसी तरह के निशान हों या उन में कुछ लिखा हो या लिफाफे में हो तो उसे जांच एजेंसियां अपने पास जमा कर लेती हैं, जिस से इसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके.

बाकी पैसों को बैंक में जमा कर दिया जाता है. जांच एजेंसियां जब्त किए गए पैसों को रिजर्व बैंक औफ इंडिया या स्टेट बैंक औफ इंडिया में केंद्र सरकार के खाते में जमा करा देती हैं. कई बार कुछ पैसों को रखने की जरूरत होती है तो उसे जांच एजेंसी इंटरनल और्डर से केस की सुनवाई पूरी होने तक अपने पास जमा रखती है.

इसी तरह आयकर विभाग के कानून के तहत किसी प्रौपर्टी को अधिकतम 60 दिन यानी कि 2 महीने के लिए अटैच किया जा सकता है. अगर तब तक आयकर विभाग अटैच करने को अदालत मै वैध नहीं ठहरा पाती है तो वह संपत्ति खुद ही रिलीज हो जाएगी.

ईडी के मामले में यह समय अवधि 180 दिनों की होती है. अगर ईडी 180 दिनों के अंदर प्रौपर्टी अटैच करने को अदालत में सही साबित कर देती है तो उस सारी संपत्ति पर सरकार का कब्जा हो जाता है. इस के बाद आरोपी को ईडी की इस काररवाई के खिलाफ ऊपर की अदालतों में अपील करने के लिए 45 दिन का समय मिलता है.

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