UP News : पात्र जुड़ते रहे, कहानी बनती गई. बिना किसी मिर्चमसाले के इतनी रोचक कि आदमी सोचने को मजबूर हो जाए कि यह हकीकत है या कल्पना. वाकई न तो शिखा जैसी मां ढूंढे मिलेगी, जिस ने प्रेमी के भविष्य के लिए मासूम बेटे का अपहरण करा दिया और न ऐसा प्रेमी जो प्रेमिका शिखा के इशारे पर अपराध का भागीदार बनने तेलंगाना से मुरादाबाद चला आया. मजेदार बात यह कि कहानी पति गौरव ने शुरू कराई और समाप्त भी उसी पर हुई.
5 वर्षीय धु्रव बहुत शरारती था, शरारती के साथ जिद्दी भी. वजह यह कि घर में एकलौता बेटा था, सभी का दुलारा, घर के लोग उस की शरारतों को नजरअंदाज कर देते थे. धु्रव मुरादाबाद शहर के लाइनपार क्षेत्र में रहने वाले गौरव कुमार का बेटा था. उस के अलावा गौरव की 8 वर्ष की एक बेटी थी सादगी. 7 अगस्त, 2020 की बात है. ध्रुव अपनी पसंद के बिस्कुट खाने की जिद कर रहा था. उस की मां शिखा ने उसे पैसे देते हुए घर के पास की दुकान से बिस्कुट लेने भेज दिया. उस वक्त दोपहर का डेढ़ बजने को था. बिस्कुट ला कर खाने के कुछ देर बाद ध्रुव घर से बाहर खेलने चला गया.
धु्रव को घर से निकले काफी देर हो गई, लेकिन वह घर नहीं लौटा. मां शिखा को चिंता हुई तो वह उसे ढूंढने निकल पड़ी. शिखा ने धु्रव को इधरउधर ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं दिखा तो शिखा परेशान हो कर घर लौट आई. उस ने यह बात अपनी सास सुधा को बताई. पोते के न मिलने से सुधा चिंतित हुई. फिर सासबहू दोनों धु्रव को ढूंढने निकल गईं.
दोनों कुछ दूर स्थित रामलीला मैदान में भी गईं. वहां मोहल्ले के बच्चे खेल रहे थे. उन्होंने बच्चों से धु्रव के बारे में पूछा, लेकिन कोई भी उस के बारे में नहीं बता पाया. इधरउधर तलाशने के बाद भी जब उन का लाडला नहीं मिला तो दोनों उदास मन से घर लौट आईं. कुछ देर पहले धु्रव खेलने गया था, ऐसे कहां गायब हो गया, यही सोचसोच कर सास बहू परेशान हो रही थीं. सुधा का पति गौरव एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. उस समय वह अपनी ड्यूटी पर था. शिखा ने बेटे के गायब होने की सूचना गौरव को दी तो वह कुछ ही देर में घर पहुंच गया. शिखा ने पति को बेटे के गायब होने की बात विस्तार से बताई.
हालांकि गौरव की पत्नी और मां धु्रव को पहले ही सब जगह ढूंढ चुकी थीं, इस के बावजूद गौरव का मन नहीं माना. वह बाइक ले कर बेटे को ढूंढने के लिए निकल गया. उस ने सभी संभावित जगहों पर बेटे को ढूंढा, लेकिन कुछ पता नहीं लगा. गौरव के दोस्तों ने भी धु्रव को लाइन पार के नाले के किनारे जा कर देखा कि कहीं खेलतेखेलते नाले में न गिर गया हो, पर वहां भी कुछ दिखाई नहीं दिया . धु्रव के गायब होने की खबर मिलने पर मोहल्ले वाले गौरव के घर पर एकत्र होने लगे. सभी आश्चर्य में थे कि आखिर 5 साल का बच्चा कहां चला गया. लोग तरहतरह के कयास लगा रहे थे. बेटे की चिंता में शिखा की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. गौरव की समझ में भी नहीं आ रहा था कि वह बेटे को अब कहां तलाश करे.
शाम के 4 बजे थे. गौरव अपने घर वालों के साथ घर में बैठा हुआ था. तभी उस के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से काल आई. गौरव ने जैसे ही काल रिसीव की, तभी दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘तुम्हारा बेटा धु्रव अब हमारे कब्जे में है. अगर उसे जिंदा चाहते हो तो 30 लाख रुपए का इंतजाम कर लो वरना उस की लाश भी नहीं मिल पाएगी.’’
‘‘नहीं, आप मेरे बेटे को कुछ नहीं करना, जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगा.’’ गौरव गिड़गिड़ाते हुए बोला.
‘‘ठीक है, तुम पैसों का इंतजाम कर लो. मैं बाद में फोन करूंगा. और हां, एक बात भेजे में डाल लो, पुलिस के पास जाने की कोशिश भी की तो नुकसान तुम्हारा ही होगा.’’ कहने के बाद अपहर्त्ता ने काल डिसकनेक्ट कर दी. 30 लाख रुपए नहीं थे गौरव के पास गौरव समझ चुका था कि उस के बेटे का किसी ने अपहरण कर लिया है और अपहर्त्ता 30 लाख रुपए की फिरौती मांग रहा है. गौरव ने अपहर्त्ता से कह तो दिया था कि वह सब करने को तैयार है लेकिन समस्या यह थी कि 30 लाख रुपए का इंतजाम कहां से करे. धु्रव के अपहरण की बात सुन कर घर के सभी लोगों की चिंताएं बढ़ गई थीं.
चूंकि स्थिति गंभीर थी, इसलिए रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों ने गौरव को सलाह दी कि यह जानकारी पुलिस को देना जरूरी है. वही मदद कर सकती है. गौरव को भी यह सलाह सही लगी और वह पत्नी शिखा और 2-3 लोगों के साथ एसएसपी प्रभाकर चौधरी के निवास पर पहुंच गया. उस ने चौधरी को बेटे के रहस्यमय तरीके से गायब होने और 30 लाख की फिरौती मांगे जाने की बात बता दी. जिस फोन नंबर से गौरव के पास फिरौती की काल आई थी, एसएसपी ने उस के फोन में वह नंबर देखा तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वह नंबर 13 अंकों का था. यानी वह काल किसी सिमकार्ड से नहीं बल्कि इंटरनेट से की गई थी. इस से वह समझ गए कि अपहर्त्ता बेहद शातिर है.
उन्होंने अपहरण के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसी समय एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद को अपने पास बुला कर इस मामले में त्वरित काररवाई करने को कहा. पुलिस कप्तान के निर्देश पर थाना मझोला के थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने अज्ञात के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर लिया. केस को सुलझाने के लिए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद के निर्देशन में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एएसपी कुलदीप सिंह गुलावत, थानाप्रभारी (मझोला) राकेश कुमार सिंह, एसओजी प्रभारी इंसपेक्टर सत्येंद्र सिंह, एसआई राजेंद्र सिंह, पंकज कुमार, मोहित, कांस्टेबल अंकुल, आलोक त्यागी आदि को शामिल किया गया.
पुलिस टीम ने गौरव कुमार और उस के घर वालों से पूछताछ करने के बाद जांच शुरू कर दी. गौरव के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई. एक फुटेज में धु्रव पास ही स्थित दुकान तक जाता दिखा और वहां से बिस्कुट का पैकेट लाते हुए भी दिखाई दिया. इस के बाद जब वह दोबारा खेलने के लिए घर से निकला तो फुटेज में नजर नहीं आया. इस के बाद वह सीसीटीवी कैमरे की जद से बाहर हो गया, जिस से पता नहीं चल पाया कि वह कहां गया. पुलिस ने उस दुकानदार से भी पूछताछ की, इस के अलावा अन्य लोगों से भी धु्रव के बारे में पूछा लेकिन पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिली, जिस के सहारे जांच आगे बढ़ सकती.
एसपी (सिटी) ने ध्रुव के घर वालों से पूछा कि उन की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं है, इस पर शिखा ने कहा, ‘‘सर, वैसे तो हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है, पर हमारा प्रौपर्टी को ले कर विवाद जरूर चल रहा है.’’
‘‘किस से?’’ एसपी (सिटी) ने पूछा. तभी गौरव बोला, ‘‘सर, हमारे मामा सतीश से प्रौपर्टी को ले कर विवाद चल रहा है.’’
इस बारे में एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद ने उस से विस्तार से पूछताछ की तो पता चला कि गौरव जिस मकान में रहता है, वह उस के नाना कुंवर सैन का है. कुंवर सैन रेलवे विभाग में नौकरी करते थे. उन की 3 बेटियां सुधा, रेखा, सरोज के अलावा 2 बेटे सतीश और सुशील थे. वह अपने सभी बच्चों की शादी कर चुके थे. उन के एक बेटे सुशील की मौत हो चुकी थी. जिस का परिवार मेरठ में रहता था, जबकि 2 बेटियां रेखा और सरोज अपने परिवार के साथ सम्राट अशोक नगर में रहती थीं. संदेह था मामला प्रौपर्टी विवाद से न जुड़ा हो कुंवर सैन का मुरादाबाद के लाइनपार क्षेत्र में जो दोमंजिला मकान था, उस की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपए थी. सुधा के बेटे गौरव को कुंवर सैन बहुत प्यार करते थे, इसलिए गौरव अपने बीवीबच्चों और मां सुधा के साथ इसी मकान में रहता था. यहीं पर कुंवर सैन का बेटा सतीश भी अपने परिवार के साथ रह रहा था.
सतीश झगड़ालू किस्म का था, वह पिता के साथ मारपिटाई करता रहता था, इसलिए कुंवर सैन ने उसे अपनी प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया था. लेकिन वह जबरदस्ती वहां रह रहा था. गौरव और सतीश का उसी प्रौपर्टी को ले कर विवाद चल रहा था. विवाद की वजह पता लग जाने के बाद एसपी (सिटी) को भी सतीश पर ही शक हुआ, इसलिए उन्होंने सतीश, उस की पत्नी और बेटे को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. पुलिस टीम ने उन तीनों से ध्रुव के बारे में कई तरह से पूछताछ की. लेकिन वे तीनों खुद को बेकुसूर बताते रहे. उधर पुलिस ने गौरव से कह दिया था कि जब भी अपहर्त्ताओं का फोन आए तो वह उन से प्यार से बात करें. इस के बाद गौरव रात में भी अपहर्त्ताओं के फोन काल का इंतजार करता रहा.
रात डेढ़ बजे अपहर्त्ता ने गौरव के फोन पर काल कर के पूछा कि पैसों का इंतजाम हुआ या नहीं. गौरव ने कह दिया कि वह इंतजाम कर रहा है. इस के बाद फोन कट गया. गौरव ने यह जानकारी पुलिस को दे दी. शिखा बारबार इस बात पर ही जोर देती रही कि उस के बेटे के अपहरण के पीछे सतीश मामा का हाथ है. पुलिस रात भर सतीश व उस के बेटे से पूछताछ करती रही, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. पुलिस ने गौरव और उस की पत्नी शिखा के फोन को सर्विलांस पर लगा रखा था. एसएसपी सारी जानकारी से आईजी रमित शर्मा को बराबर अवगत करा रहे थे. 8 अगस्त को सुबह गौरव के मोबाइल पर अपहर्त्ता ने फोन कर के कहा, ‘‘कल पैसों का इंतजाम कर लो. जैसे ही पैसे मिलेंगे, धु्रव को बस में बिठा कर भेज देंगे.’’
इस बार भी काल इंटरनेट से की गई थी. जिस ऐप से काल की गई थी, वह एक चीनी ऐप था. इस संबंध में प्रदेश स्तर के पुलिस अधिकारी ने चीनी कंपनी से उस ईमेल आईडी की जानकारी मांगी जो उस ऐप को इंस्टाल करते समय उपभोक्ता को देनी होती है. यह जानकारी मिलने पर पुलिस अपहर्त्ता तक पहुंचने का रास्ता तैयार कर सकती थी. अपहर्त्ताओं तक पहुंचने के अलावा पुलिस की प्राथमिता धु्रव को सकुशल बरामद करने की भी थी. इस काम में 300 पुलिसकर्मी अलगअलग तरीके से जांच कार्य में जुटे थे. 8 अगस्त को ही सुबह करीब 9 बजे गौरव के मोबाइल पर ऐसी काल आई, जिस ने गौरव की हताशा में आशा का दीप जला दिया.
फोन करने वाले ने कहा, ‘‘भाई, मैं बस का कंडक्टर दीपक सिंह बोल रहा हूं. बस चलने वाली है और आप का बेटा धु्रव बस में बैठा रो रहा है. आप जल्दी आ जाइए.’’
यह सुन कर गौरव चौंकते हुए बोला, ‘‘भाईसाहब, मैं तो मुरादाबाद में हूं. आप मेरे बेटे से वीडियो काल कराइए.’’
ड्राइवर कंडक्टर की समझदारी कंडक्टर ने गौरव को वीडियो काल कर के बस की सीट पर बैठे धु्रव को दिखाया. धु्रव ने गौरव को बताया कि एक अंकल उसे बस में बिठा कर कहीं चले गए. धु्रव को सकुशल देख कर गौरव की आंखों में आंसू छलक आए. गौरव ने कंडक्टर को बताया कि 7 अगस्त को धु्रव का किसी ने अपहरण कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी. जानकारी मिलने के बाद कंडक्टर ने धु्रव को अपनी सुरक्षा में ले लिया. वह बस गाजियाबाद के कौशांबी से मुरादाबाद जाने वाली थी. बस में उस समय 18 सवारियां बैठी थीं. मामला बहुत ही संवेदनशील था, इसलिए कंडक्टर दीपक सिंह और ड्राइवर विकल भाटी बस को करीब 100 मीटर दूर महाराजपुर पुलिस चौकी ले गए.
यह पुलिस चौकी गाजियाबाद के लिंक थाना के अंतर्गत आती है. उन्होंने धु्रव को पुलिस को सौंपते हुए उस के अपहरण होने की जानकारी दे दी. अपहर्त्ता धु्रव की जेब में एक परची रख गए थे, जिस पर धु्रव लिखा था. साथ ही 2 फोन नंबर भी लिखे थे. उन में से पहले फोन नंबर पर बस कंडक्टर ने बात की तो वह धु्रव के पिता गौरव का निकला. एसएसपी प्रभाकर चौधरी को अपहृत धु्रव के सकुशल बरामद होने की जानकारी मिल गई थी. उन्होंने बच्चे को लाने के लिए एक पुलिस टीम गाजियाबाद रवाना कर दी. इस के अलावा कौशांबी डिपो की जिस बस संख्या यूपी78 एफएन4762 को चालक विकल भाटी और परिचालक दीपक सिंह मुरादाबाद ला रहे थे, वह बस उन्होंने मुरादाबाद के थाना पाकबड़ा के बाहर ही रुकवा ली.
एनएच-24 पर स्थित थाना पाकबड़ा में बस के कंडक्टर और ड्राइवर से विस्तार से पूछताछ की गई. दोनों कर्मचारियों ने पुलिस को सारी बात बता दी. बस में बैठी सवारियों ने पुलिस को बताया कि मास्क बांधे एक युवक बच्चे को बस में बिठा कर गया था. उधर मुरादाबाद से गाजियाबाद गई पुलिस टीम धु्रव को सकुशल वहां से ले आई. अपने लाडले को देख कर शिखा खुशी से उछल पड़ी. एसएसपी ने 8 अगस्त को ही एक प्रैस कौन्फ्रैंस कर बताया कि उन्होंने बच्चे की बरामदगी के लिए चारों तरफ पुलिसकर्मी तैनात कर दिए थे. पुलिस का बढ़ता दबाव देख कर अपहर्त्ता धु्रव को बस में बिठा कर फरार हो गए. यह पुलिस की बड़ी उपलब्धि थी.
धु्रव उस समय सहमा हुआ था. जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि एक लंबे से अंकल मुझे मोटरसाइकिल पर बिठा कर ले गए थे. इस के बाद वह एक कार से एक होटल में ले गए. वहां उन्होंने खाना खिलाया फिर कार से बहुत दूर ले गए. अपहर्त्ता की पहचान के लिए मुरादाबाद पुलिस ने कौशांबी बस डिपो में लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सारी औपचारिकताएं पूरी कर के पुलिस ने धु्रव को उस के मांबाप के हवाले कर दिया. बेटे के सहीसलामत मिलने पर गौरव के घर में त्यौहार जैसा माहौल था. गौरव और शिखा ने इस खुशी में मोहल्ले में हलवापूरी बंटवाई.
बच्चे के बरामद होने के बाद पुलिस का अगला मकसद अपहर्त्ताओं तक पहुंचना था. इस के लिए एक ही जरिया था, इंटरनेट काल का 13 अंकों का वह नंबर, जिस से फिरौती की काल की गई थी. आईजी रमित शर्मा ने इस बारे में डीजीपी हितेश अवस्थी से बात की. डीजीपी ने संबंधित कंपनियों से इस संबंध में संपर्क किया. इधर सर्विलांस टीम अपने काम में जुटी हुई थी. टीम ऐसे फोन नंबरों की जांच में जुट गई जो 7 अगस्त को मुरादाबाद के लाइन पार क्षेत्र में स्थित मोबाइल टावर के संपर्क में आए थे. ये नंबर हजारों की संख्या में थे. इसे डंप डाटा कहा जाता है. पुलिस ने इस डंप डाटा की जांच की. कई दिनों की जांच के बाद कई फोन नंबर पुलिस टीम की रडार पर चढ़ गए.
उन फोन नंबरों को सर्विलांस टीम ने फिल्टर किया तो एक फोन नंबर 9100263333 शक के दायरे में आ गया. जांच में पता चला कि यह फोन नंबर मोहम्मद अशफाक पुत्र मोहम्मद उस्मान, गांव जलालपुर, थाना वर्नी, जिला निजामाबाद, तेलंगाना के नाम पर लिया गया था. एसएसपी ने एक पुलिस टीम तेलंगाना रवाना कर दी. टीम ने थाना वर्नी पुलिस के सहयोग से मोहम्मद अशफाक के घर दबिश दी तो अशफाक घर पर ही मिल गया. थाना वर्नी में पुलिस ने अशफाक से सख्ती के साथ पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही धु्रव का अपहरण किया था. लेकिन उस ने यह काम अपनी प्रेमिका और धु्रव की मम्मी शिखा के कहने पर किया था.
यह सुन कर पुलिस चौंकी. यह सवाल छोटा नहीं था कि क्या एक मां खुद अपने एकलौते बेटे का अपहरण करा सकती है. अशफाक ने यह भी बताया कि बच्चे का अपहरण करने के लिए वह निजामाबाद से ही टाटा टिगोर गाड़ी नंबर एमएच26बीसी 4145 किराए पर ले कर मुरादाबाद गया था. गाड़ी को यहीं का ड्राइवर इमरान खान चला कर ले गया था. पुलिस टीम ने अशफाक की निशानदेही पर ड्राइवर इमरान खान को भी हिरासत में ले लिया और टाटा टिगोर गाड़ी भी बरामद कर ली. अब केस पूरी तरह खुल चुका था. चूंकि इस मामले में अपहृत हुए बच्चे की मां शिखा के भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी थी, इसलिए तेलंगाना में मौजूद मुरादाबाद पुलिस ने यह बात मुरादाबाद के कप्तान प्रभाकर चौधरी को बता दी.
उन्होंने एसपी (सिटी) को शिखा को हिरासत में लेने के निर्देश दिए ताकि वह फरार न हो सके. आरोपी अशफाक और इमरान को निजामाबाद की कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड पर ले कर पुलिस टीम तेलंगाना से मुरादाबाद के लिए रवाना हो गई. 18 अगस्त को दोनों आरोपियों को स्थानीय कोर्ट में पेश करने के बाद एसएसपी के पास ले जाया गया. वहां शिखा पहले से मौजूद थी. मोहम्मद अशफाक को अपने सामने देख कर वह सकपका गई. तीनों आरोपी एकदूसरे के सामने थे, इसलिए अब झूठ बोलने का तो सवाल ही नहीं था. कोई सोच भी नहीं सकता था पुलिस टीम ने उन से पूछताछ की तो एक ऐसी मां की प्रेमकहानी और साजिश सामने आई, जिस ने अपने प्यार और पैसे की खातिर खुद प्रेमी के हाथों अपने एकलौते बेटे का अपहरण कराया.
इतना ही नहीं, उस मां ने प्रेमी के साथ मिल कर इस से आगे की कहानी का जो तानाबाना बुना था, वह ऐसा था कि पुलिस भी गच्चा खा जाए. गौरव और शिखा की शादी 2011 में हुई थी. गौरव एक फाइनैंस कंपनी में कलेक्शन एजेंट था. वहां से उसे जो वेतन मिलता था, उस से उस की घरगृहस्थी ठीकठाक चल रही थी. समय अपनी गति से गुजरता रहा और शिखा 2 बच्चों की मां बन गई. उस की बेटी 8 साल की है और बेटा धु्रव 5 साल का. गौरव सोशल साइट्स पर भी सक्रिय रहता था. कई साल पहले फेसबुक पर उस की दोस्ती निशा परवीन से हुई थी. उस से वह खूब चैटिंग करता था. दोनों की यह दोस्ती इतनी बढ़ी कि जब तक दोनों चैटिंग नहीं कर लेते थे, उन्हें चैन नहीं मिलता था.
पति के अकसर फोन पर व्यस्त रहने के बारे में एक दिन शिखा ने पूछा तो गौरव ने उसे सब कुछ बता दिया कि वह तेलंगाना की रहने वाली निशा परवीन नाम की दोस्त से फेसबुक पर चैटिंग करता है. पति की इस साफगोई से शिखा प्रभावित हुई. गौरव ने निशा परवीन को भी अपनी बीवी के बारे में सब कुछ बता दिया. तब शिखा ने भी निशा से चैटिंग शुरू कर की. शिखा को निशा परवीन की बातें और विचार अच्छे लगे. लिहाजा गौरव के ड्यूटी पर चले जाने के बाद शिखा अपने फोन द्वारा निशा परवीन से चैटिंग करती थी. शिखा ने अपनी फेसबुक आईडी रानी के नाम से बनाई थी. इस तरह शिखा और निशा भी गहरी दोस्त बन गईं.
एक दिन निशा परवीन ने शिखा को अपने बारे में जो कुछ बताया, उसे सुन कर शिखा हैरान रह गई. उस ने बताया कि वह कोई लड़की नहीं बल्कि लड़का है और उस का असली नाम मोहम्मद अशफाक है. उस ने केवल लड़की के नाम से फेसबुक आईडी बनाई है. यह सुन कर शिखा और ज्यादा खुश हुई क्योंकि वह एक युवक था. विपरीत लिंगी के साथ वैसे भी आकर्षण बढ़ जाता है. इस के बाद उन दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. शिखा ने मोहम्मद अशफाक का नंबर मौसी के नाम से अपने फोन में सेव कर लिया था. अशफाक बहुत बातूनी था, शिखा को उस की बातें बहुत अच्छी लगती थीं. धीरेधीरे उन की बातों का दायरा बढ़ता गया और वे एकदूसरे को चाहने लगे. फोन पर उन्होंने अपनी चाहत का इजहार भी कर दिया था.
दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटा और धीरेधीरे बड़ा होने लगा. शादीशुदा और 2 बच्चों की मां शिखा को 11 सौ किलोमीटर दूर तेलंगाना में बैठा अशफाक अपने पति से ज्यादा प्यारा लगने लगा था. दूर बैठे बातें करने के बजाए उस का मन करता कि या तो वह उस के पास पहुंच जाए या फिर उस का प्रेमी उड़ कर उस के पास आ जाए, जिस से वह उस से रूबरू हो सके. दूर बैठे दोनों प्रेमी तड़प रहे थे. ऐसी तड़प में प्यार और ज्यादा मजबूत होता है. यही हाल शिखा और अशफाक का था. शिखा अपने प्रेमी से मिलने के उपाय खोजने लगी. करीब एक साल पहले शिखा ने इस की तरकीब खोज निकाली. उस ने अशफाक को फोन कर के मेरठ आने को कहा और वहां होटल में मिलना तय कर लिया.
फिर एक दिन शिखा मौसी के घर जाने के बहाने मेरठ चली गई. योजना के अनुसार, अशफाक तेलंगाना से मेरठ पहुंच गया. वहीं पर दोनों एक होटल में ठहरे. पहली मुलाकात में वे एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए. करीब एक साल से उन के दिलों में प्यार की जो अग्नि भभक रही थी, दोनों ने उसे शांत किया. शिखा को अशफाक पहली मुलाकात में ही इतना भा गया था कि उस के लिए पति तक को छोड़ने को तैयार हो गई. अशफाक ने उसे अपने बारे में बताया कि वह अविवाहित है और आईटीआई करने के बाद एक इलैक्ट्रौनिक्स कंपनी में बतौर मोटर वाइंडर काम करता है. इस काम को छोड़ कर वह अपना एक जिम खोलेगा. शिखा ने भी कह दिया कि वह उस के लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तैयार है.
बातोंबातों में हो गई प्रेमी की एक रात होटल में बिताने के बाद अशफाक अपने घर लौट गया और शिखा मौसी के यहां चली गई. 2-4 दिन बाद शिखा मौसी के घर से मुरादाबाद लौट आई. घर लौटने के बाद उस के जेहन में प्रेमी का प्यार छाया रहा. वह अपनी घरगृहस्थी में लगी जरूर रही लेकिन उस का मन प्रेमी के पास ही रहता था. गौरव को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उस की ब्याहता तन और मन से अब किसी और की हो चुकी है. उस ने अशफाक का फोन नंबर मौसी के नाम से सेव कर रखा था, इसलिए वह गौरव के सामने भी उस से बात करती रहती थी. कुछ महीनों बाद शिखा की बेताबी बढ़ने लगी तो उस ने अशफाक को तेलंगाना से मुरादाबाद बुला लिया. उस ने शिखा के घर के नजदीक ही किराए पर एक कमरा ले लिया. कमरा लेते वक्त उस ने अपना नाम मयंक बताया था. प्रेमी के नजदीक रहने पर शिखा को बड़ी खुशी हुई.
पति के ड्यूटी पर चले जाने के बाद वह फोन कर के प्रेमी को अपने घर बुला लेती फिर दोनों हसरतें पूरी करते. बाद में अशफाक गौरव के सामने भी उस के घर आने लगा. शिखा ने उस का परिचय अपने मौसेरे भाई मयंक के रूप में कराया था. अशफाक उर्फ मयंक एक तरह से शिखा के घर का सदस्य बन गया. वह उस के बच्चों को स्कूल भी छोड़ कर आता और छुट्टी होने पर लाता भी. एक बार शिखा की सास सुधा की तबीयत खराब हो गई. उस समय गौरव अपनी ड्यूटी पर था तो अशफाक ही सुधा को अस्पताल ले गया था. एक बार शिखा रिश्तेदार के यहां जाने के बहाने घर से निकली और प्रेमी के साथ रामनगर घूमने चली गई. वहां एक रात वे
होटल में ठहरे. वहां से दोनों एक दिन बाद वापस लौटे. अशफाक को मुरादाबाद में रहते हुए करीब 15 दिन बीत गए थे. हालांकि उस का खर्चा शिखा ही उठा रही थी लेकिन अशफाक को अपनी नौकरी भी करनी थी, इसलिए वह तेलंगाना लौट गया. प्रेमी के चले जाने के बाद शिखा फिर से बेचैन रहने लगी. गौरव जिस मकान में रहता था, वह उस के नाना कुंवर सैन का था. इसी मकान में ऊपर की मंजिल पर गौरव के मामा सतीश अपने परिवार के साथ रहते थे. सतीश की गलत हरकतों की वजह से कुंवर सैन ने अपने बेटे सतीश को अपनी प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया था. कुंवर सैन अपने नाती गौरव को बहुत चाहते थे. इसलिए गौरव और शिखा को उम्मीद थी कि वह मरने से पहले उन्हें कुछ न कुछ प्रौपर्टी जरूर दे कर जाएंगे.
लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लगे लौकडाउन के समय कुंवर सैन का निधन हो गया. इस के बाद जब वसीयत सामने आई तो पता चला कि कुंवर सैन ने गौरव और उस के बच्चों के नाम कोई प्रौपर्टी नहीं छोड़ी. सारी प्रौपर्टी उन्होंने अपनी बेटी रेखा के नाम कर दी थी. यह पता चलते ही शिखा के होश उड़ गए. शिखा की मौसेरी सास रेखा पहले से ही संपन्न थी. वह शिखा के बेटे धु्रव को बहुत चाहती थीं. रेखा ने पिछले दिनों 18 लाख रुपए की एक प्रौपर्टी बेची थी. बन गई एक घिनौनी योजना शिखा अब अपने स्वार्थ का जाल बुनने में जुट गई कि किस तरह उस के मंसूबे पूरे हों. यह सारी बातें उस ने अपने प्रेमी अशफाक से भी साझा कीं. फिर शिखा ने अपने ही बेटे धु्रव के अपहरण का प्लान बनाया.
इस काम के लिए उस ने प्रेमी अशफाक को भी राजी कर लिया. शिखा का मानना था कि अगर धु्रव का अपहरण हो जाएगा तो गौरव की मां और मौसी फिरौती की रकम दे देंगी. फिरौती के जो 30-35 लाख रुपए मिलेंगे, उस से प्रेमी को वह अच्छा बिजनैस शुरू करा देगी. फिर पति को छोड़ कर वह उस के साथ रहने के लिए तेलंगाना चली जाएगी. पूरी योजना बनाने के बाद अशफाक ने निजामाबाद से 2 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर टाटा टिगोर कार ली. तय हुआ कि गाड़ी में तेल अशफाक को डलवाना होगा. अशफाक ड्राइवर इमरान खान के साथ 5 अगस्त को कार ले कर मुरादाबाद के लिए चल दिया. 7 अगस्त को तड़के 3 बजे वह मुरादाबाद के लाइनपार स्थित रामलीला मैदान पहुंच गया.
उसी समय उस ने औनलाइन मुरादाबाद के होटल मिलन में एक कमरा बुक करा दिया. मुरादाबाद पहुंचने की जानकारी उस ने शिखा को दे दी थी. सुबह 4 बजे मौर्निंग वाक के बहाने शिखा अपने प्रेमी से मिलने के लिए निकली. उस के लिए वह चाय और नाश्ते का सामान भी ले आई थी. जब वह अशफाक के पास पहुंची तो उस ने कार के ड्राइवर इमरान को वहां से जाने का इशारा किया. इमरान रामलीला मैदान की सीढि़यों पर जा कर सो गया. शिखा प्रेमी के साथ कार में बैठ गई. चायनाश्ता लेने के बाद अशफाक ने कार में ही उस के साथ हसरतें पूरी कीं. चलते समय शिखा ने उसे 18 हजार रुपए भी दिए. प्रेमिका से मिलने के बाद अशफाक ड्राइवर को ले कर होटल मिलन चला गया. वहां दोपहर तक दोनों ने आराम किया. इस बीच उस की शिखा से बातचीत होती रही.
फिर योजना के अनुसार, दोपहर करीब एक बजे अशफाक कार ले कर रामलीला मैदान के पास पहुंच गया. योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए शिखा बेचैन थी. रोजाना की तरह गौरव उस दिन भी अपनी ड्यूटी पर जा चुका था. दोपहर डेढ़ बजे के करीब जब धु्रव दुकान से बिस्कुट ले कर लौटा तो शिखा उसे खुद ले कर अशफाक की कार के पास गई. वह उन रास्तों से गई, जहां सीसीटीवी नहीं लगे थे. शिखा ने बेटे से कह दिया कि अंकल के साथ घूमने चले जाना, यह तुम्हें बहुत सारी चीजें दिलाएंगे. वैसे धु्रव अशफाक को पहले से जानता था, लेकिन उस ने उस समय मास्क लगा रखा था, इसलिए पहचान नहीं पाया. अपने जिगर के टुकड़े को प्रेमी के हवाले करने के बाद शिखा उन्हीं रास्तों से घर लौट आई, जहां सीसीटीवी नहीं लगे थे.
अशफाक धु्रव को ले कर होटल में पहुंचा. धु्रव न रोए, इस के लिए उस ने उसे चौकलेट व अन्य कई तरह की खाने की चीजें दिला दी थीं. शाम के समय उस ने धु्रव को एक होटल में खाना भी खिलाया. इस बीच मौका मिलने पर उसने धु्रव के पिता गौरव को इंटरनेट से काल कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी. धु्रव के अपहरण की सूचना पर घर के सभी लोग परेशान थे. शिखा को तो पहले से ही सब पता था. परंतु वह दिखावा करने के लिए रो रही थी. मुरादाबाद पुलिस ने सक्रिय हो कर इस मामले में तेजी से काररवाई शुरू कर दी थी. फंस गया अशफाक अशफाक बच्चे को ले कर रात में ही दिल्ली की तरफ निकल गया था. दिल्ली बौर्डर के नजदीक जब वह कौशांबी पहुंचा तो धु्रव रोने लगा.
तब कार रुकवा कर वह धु्रव को कोल्डड्रिंक दिलाने ले गया. इस से कार के ड्राइवर इमरान को शक हो गया कि बच्चे का अपहरण किया जा रहा है, इसलिए कार से उतर कर उस ने कार मालिक को तेलंगाना फोन कर इस बारे में बताया. कार मालिक ने इमरान से कहा कि वह किसी तरह अशफाक को वहीं छोड़ कर अकेला तेलंगाना चला आए. इमरान ने ऐसा ही किया. वह वहां से अकेला ही लौट गया. उसी दौरान अशफाक ने फिर से गौरव को फिरौती की काल की. जब अशफाक काल कर के आया तो उसे वहां पर न तो कार दिखी और न ही ड्राइवर. काफी तलाश करने के बाद जब अशफाक को कार ड्राइवर नहीं मिला तो उस ने इमरान को फोन किया. उस का फोन स्विच्ड औफ मिलने से अशफाक घबरा गया.
यह जानकारी उस ने शिखा को दी तो उस ने कहा कि पुलिस बहुत तेजी से काररवाई कर रही है, इसलिए वह बच्चे को मुरादाबाद आने वाली किसी बस में बिठा दे. उस की जेब में वह नाम व फोन नंबर लिखी परची भी डाल दे ताकि कोई उसे यहां तक पहुंचा सके. अशफाक धु्रव को ले कर कौशांबी बस डिपो पर पहुंचा. वहां ग्रेटर नोएडा डिपो की एक बस नोएडा जाने के लिए तैयार खड़ी थी. उस ने धु्रव को उसी बस में कंडक्टर वाली सीट पर बैठा दिया और उस की जेब में नाम और फोन नंबर लिखी परची डाल दी. जब बस वहां से चलने को तैयार हुई और कंडक्टर दीपक सिंह अपनी सीट पर बैठा तो उस ने सवारियों से उस बच्चे के बारे में पूछा. बच्चा रो रहा था.
कंडक्टर ने उस की जेब की तलाशी ली तो जेब में परची मिली. उस परची पर लिखा फोन नंबर मिलाने पर उस की बात बच्चे के पिता गौरव से हुई. तब कंडक्टर को पता चला कि इस बच्चे का एक दिन पहले अपहरण हुआ था. यह जानकारी मिलने के बाद कंडक्टर दीपक सिंह ने धु्रव को महाराजपुर पुलिस चौकी पहुंचा दिया. उधर अपहृत धु्रव को बस में बैठाने के बाद मोहम्मद अशफाक तेलंगाना लौट गया. उसे विश्वास था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन उस की सोच गलत साबित हुई और वह प्रेमिका के साथ हवालात पहुंच गया. आरोपी अशफाक, शिखा और इमरान खान से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.
गिरफ्तार होने के बाद भी अशफाक का कहना है कि वह शिखा के बिना नहीं रह सकता. जेल से छूटने के बाद वह उस के साथ ही शादी करेगा, वहीं शिखा ने भी कहा कि वह अशफाक के साथ ही तेलंगाना में रहेगी. गौरव ने बताया कि वह अपने बच्चों को शिखा से दूर रख कर उन की अच्छी तरह देखभाल करेगा.
—कथा पुलिस सूत्रों और पीडि़त परविर से की गई बातचीत पर आधारित