Film News : सुशांत राजपूत उस फिल्मी दुनिया का हिस्सा थे, जहां सपने बेचे भी जाते हैं और खरीदे भी जाते हैं. लेकिन सुशांत को न तो खरीदना आता था न बेचना. उन्हें तो केवल अभिनय आता था जिस के सहारे वह शिखर तक पहुंचे. इतनी ऊंचाई पर जा कर आखिर…
खुली आंखों से सपने देखना, उन्हें आंखों में पालना जितना आसान है, उन में हकीकत के रंग भरना उतना ही मुश्किल है. खासकर मुंबई जैसी मायानगरी में, जहां सपनों का कारोबार होता है. इस माया नगरी में सपने बेचे जाते हैं, खरीदे जाते हैं और कुचले भी जाते हैं. सपने ही नहीं, सपने देखने वाले भी. सुशांत सिंह राजपूत के साथ भी संभवत: यही हुआ है. पटना से दिल्ली और दिल्ली से मुंबई की दौड़ लगाना फिर अपने संघर्ष और मेहनत से स्वप्ननगरी के धरातल पर अपने हिस्से की जमीन तलाशना और अपने पैरों पर खड़े हो जाना आसान बात नहीं थी लेकिन सुशांत ने ऐसा किया. वह ऐसे कतई नहीं थे कि उन की सफलता से किसी को जलन हो.
बाहर से आए प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ ऐसा होता भी नहीं है, क्योंकि उन्हें प्लेटफौर्म देने वालों को लगता है कि कालांतर में वे उन के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो सकते हैं. लेकिन पैर जमाने के बाद उन कलाकारों के तेवर तीखे हो जाते हैं, होने भी चाहिए. लेकिन सुशांत के साथ ऐसा कुछ नहीं था. सुंदर, स्मार्ट, ऊर्जा से भरपूर और होंठों पर भावभीनी मुसकराहट समेटे रहने वाले सुशांत को 2009 में पहला ब्रेक एकता कपूर ने दिया था ‘पवित्र रिश्ता’ में. यह सीरियल जी टीवी पर जून 2009 से शुरू हो कर अक्तूबर, 2014 तक चला. इस सीरियल के चलते सुशांत की नजदीकियां अपनी को स्टार अंकिता लोखंडे से बढ़ गई थीं.
दोनों ने 6 साल तक एकदूसरे को डेट किया, फिर कुछ मतभेदों की वजह से दोनों का ब्रेकअप हो गया. ‘पवित्र रिश्ता’ तमिल में बने सीरियल ‘तिरुपति सेलवम’ का रीमेक था. एकता कपूर ने जब सुशांत का औडीशन लिया तो उन की मुसकराहट को देख एकता को लगा कि ‘पवित्र रिश्ता’ के करेक्टर मानव के लिए इस से अच्छा कोई और कलाकार नहीं हो सकता. ऐसा ही हुआ भी, साथ ही इस सीरियल से सुशांत को स्टारडम भी मिल गया. इसी बीच सुशांत को स्टारप्लस का एक और सीरियल मिल गया था ‘किस देश में है मेरा दिल’. इस में सुशांत ने मार्च 2008 से फरवरी 2010 तक काम किया. इसी दौरान सुशांत ने रियल्टी शो ‘जरा नच के दिखा’ में भी पार्टिसिपेट किया.
इस के लिए उन्होंने श्यामक डावर के इंस्टीट्यूट में डांस सीखा था. यहां तक आतेआते आर्थिक रूप से सुशांत की स्थिति मजबूत हो गई थी. वह लोगों का पसंदीदा चेहरा तो बन ही गए थे. अगर किसी खूबसूरत पेंटिंग के रंग निकाल दिए जाएं तो पीछे बचेगा बदरंग, धब्बेदार कैनवास. कुछ ऐसी ही हालत है सपनों की नगरी मुंबई की. जो बाहर से देखने में बेहद आकर्षक, गुलजार और स्वप्नमयी नजर आती है, लेकिन इस के पीछे छिपी बदसूरती तब अचानक उजागर होती है, जब किसी के सपनों, अरमानों और प्रतिभा के रंग खुरचखुरच कर मटियामेट कर दिए जाते हैं. सुशांत के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.
सुशांत की प्रतिभा और पर्सनैलिटी की वजह से उन्हें यशराज फिल्म्स की ओर से फिल्म ‘औरंगजेब’ के लिए औफर मिला था. सुशांत उस समय सीरियल में काम कर रहे थे, उन्होंने ‘औरंगजेब’ का औफर इसलिए ठुकराया क्योंकि उन्हें छोटे भाई का रोल मिल रहा था. अर्जुन कपूर, स्वरा भास्कर, ऋषि कपूर, जैकी श्रौफ, दीप्ति नवल और अनुपम कपूर अभिनीत यह फिल्म 17 मई, 2013 को रिलीज हुई. 22 करोड़ में बनी इस फिल्म का बौक्स औफिस कलेक्शन 35 करोड़ रहा. मिल गईं सफलता की सीढि़यां फिल्मों में सुशांत को पहला ब्रेक दिया था अभिषेक कपूर ने. फिल्म थी ‘काई पोचे’, जो चेतन भगत के उपन्यास थ्री मिस्टेक्स औफ माइ लाइफ पर बनी थी. 25 करोड़ रुपए के बजट में बनी इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 92 करोड़ रुपए कमाए. इस फिल्म के लिए सुशांत को स्क्रीन अवार्ड शो में बेस्ट डेब्यू का अवार्ड मिला था.
इस के बाद सुशांत ने यशराज बैनर की फिल्म की ‘शुद्ध देसी रोमांस’, जिस के निर्देशक थे मनीष शर्मा. इस रोमांटिक कौमेडी फिल्म में यशराज फिल्म्स ने नई हीरोइन वाणी कपूर को लौंच किया था. साथ में परिणीति चोपड़ा और ऋषि कपूर भी थे. सितंबर, 2013 में सिल्वर स्क्रीन पर उतरी 22 करोड़ के बजट वाली इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 76 करोड़ रुपए की कमाई की, जो सुशांत जैसे नए एक्टर के लिए काफी थी. यहीं से सुशांत को मायानगरी में अपने हिस्से की जमीन मिलनी शुरू हो गई. सपने भी सच होते दिखे. सुशांत सिंह की अगली उड़ान इस से भी ऊंची थी. नीरज पांडे क्रिकेट स्टार महेंद्र सिंह धोनी के जीवन और संघर्ष पर बायोपिक बनाना चाहते थे.
उन्होंने धोनी के किरदार के लिए सुशांत को चुना. फिल्म का हिस्सा बनने के लिए सुशांत ने अपने किरदार को बखूबी निभाने के लिए डेढ़ साल तक नेट प्रैक्टिस की ताकि परदे पर वह धोनी जैसे लग सकें. एक सच्चे कलाकार के लिए यह जरूरी था. फिल्म ‘एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ का बजट 104 करोड़ रुपए था. बौक्स औफिस पर इस बायोपिक ने 216 करोड़ रुपए की कमाई की. इन सफलताओं से सुशांत खुश तो थे ही, फिल्ममेकर भी खुश थे. इन सफलताओं ने सुशांत की मार्केट बना दी थी. दूसरे फिल्म स्टारों की तरह सुशांत के पास भी सुखसुविधा के सारे साधन आ गए थे. उन की अच्छीभली फैन फालोइंग बन गई थी. मित्रों का दायरा बढ़ गया था.
जून, 2017 में रिलीज हुई सुशांत की एक्शन रोमांस वाली फिल्म ‘राब्ता’. इस फिल्म में सुशांत के साथ राजकुमार राव, कृति सेनन और वरुण शर्मा थे. निर्देशक थे दिनेश वीजन. टी सीरीज के सर्वेसर्वा भूषण कुमार के बैनर पर बनी फिल्म ‘राब्ता’ 45 करोड़ के बजट में बनी थी, जबकि बौक्स औफिस पर यह 39 करोड़ की ही कमाई कर सकी. जब किसी एक्टर की फिल्म फ्लौप होती है तो झटका लगता है. सुशांत को भी लगा क्योंकि इस से साख खराब होती है. सुशांत सिंह की फिल्म ‘केदारनाथ’ से सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान को लौंच किया जाना था. अभिषेक कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘केदारनाथ’ में नीतीश भारद्वाज, अरुण बाली और पूजा गौर वगैरह कलाकार थे.
68 करोड़ के बजट वाली प्रोड्यूसर रोनी स्क्रूवाला की इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 96.6 करोड़ की कमाई की. अच्छी कहानी और अच्छा सब्जेक्ट न होने के बावजूद ‘केदारनाथ’ लोगों को पसंद आई तो सुशांत राजपूत और नई हीरोइन सारा अली खान के अभिनय की वजह से. 2019 में सुशांत सिंह की 2 फिल्में आईं ‘छिछोरे’ और ‘सोनचिरैया’. उन की एक सुपर फ्लौप फिल्म ‘ड्राइव’ भी थी. जो 28 जून, 2019 को ओ टी टी पर रिलीज हुई. इस फिल्म मैं जैकलीन फर्नांडीज, पंकज त्रिपाठी, बोमन ईरानी जैसे दिग्गज कलाकारों के होते हुए कोई थिएटर इस फिल्म को चलाने के लिए तैयार नहीं था. एक्शन कौमेडी ड्रामा वाली यह फिल्म करन जौहर के बैनर धर्मा प्रोडक्शन पर बनी थी.
तरुण मनसुखानी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘ड्राइव’ का बजट था 30 करोड़ और यह हौलीवुड की फिल्म ‘ड्राइव’ का रीमेक थी. सुशांत सिंह इस फिल्म के बारे में बात तक करना पसंद नहीं करते थे. वैसे इस फिल्म से सुशांत के कैरियर पर कोई असर नहीं पड़ा. 2019 में 1 मार्च को रिलीज हुई सुशांत और भूमि पेडनेकर अभिनीत फिल्म ‘सोनचिरैया’ चंबल के डाकुओं पर आधारित थी, इस फिल्म में मनोज वाजपेयी, आशुतोष राणा और रणवीर शौरी जैसे दिग्गज कलाकार थे. लेकिन अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनी यह फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई, जिस के चलते 28 करोड़ में बनी फिल्म अपनी लागत भी नहीं निकाल सकी. इस के निर्माता रोनी स्क्रूवाला को इस फिल्म से बड़ा घाटा उठाना पड़ा.
मेहनत और ईमानदारी का फल इस के बाद 28 जून, 2019 को रिलीज हुई सुशांत की फिल्म ‘छिछोरे’ सुपरहिट रही. साजिद नाडियाडवाला, धर्मा प्रोडक्शन और फौक्स स्टूडियो द्वारा 50 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म में सुशांत राजपूत, श्रद्धा कपूर के अलावा वरुण शर्मा और प्रतीक बब्बर वगैरह कलाकार थे. इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 215 करोड़ की कमाई की. ‘छिछोरे’ का सब्जेक्ट भी अच्छा था और कहानी भी, इसलिए यह गंभीर कौमेडी दर्शकों को पसंद आई. सुशांत की आखिरी फिल्म है ‘दिल बेचारा’ जो उन की मृत्यु के बाद रिलीज होगी. इस फिल्म के सिलवर स्क्रीन पर आने की तारीख 8 मई, 2020 थी, जो लौकडाउन के चलते निकल गई. अब यह कब रिलीज होगी, कहा नहीं जा सकता.
सुशांत राजपूत और संजना सांघी अभिनीत इस फिल्म में सैफ अली खान, जावेद जाफरी और मिलिंद गुनाजी जैसे बड़े कलाकार हैं. ‘द फौल्ट इन अवर स्टार्स’ पर आधारित यह फिल्म 2 कैंसर पैशेंट की लवस्टोरी है. इसे प्रोड्यूस किया है फौक्स स्टूडियो ने और इस के निर्देशक हैं मुकेश छाबड़ा. ‘रौकस्टार’ और ‘फुकरे रिटर्न्स’ में छोटेछोटे रोल कर चुकी संजना सांघी की बतौर हीरोइन यह पहली फिल्म है. देखें तो जिंदगी सीधीसरल रेखा की तरह है, लेकिन जीवन रुपी इस सरल रेखा का कोई भरोसा नहीं कब सांप की तरह पलटी मार कर वक्र रेखा में बदल जाए. ऐसी वक्र रेखा जो पलपल रुलाएगी, कांटा बन चुभेगी, जीना मुश्किल कर देगी. यह बात उन पर भी लागू होती है, जो ईश्वर कहें या कुदरत को मानते हैं और उन पर भी जो नहीं मानते.
सचमुच जिंदगी एक रहस्य की तरह है, जिस की गूढ़ता को इंसान पूरा जीवन जी करभी नहीं जानसमझ पाता. जब एकता कपूर का सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ चल रहा था तब और जब सुशांत ‘छिछोरे’ की सफलता का जश्न मना रहे थे, तब क्या कोई सोच सकता था कि रियल लाइफ जैसी एक्टिंग करने वाले सुशांत की जीवन लीला ऐसे खत्म होगी? यह बात तो सुशांत के मन में भी नहीं आई होगी. संभव है 6 महीने पहले जब से वह डिप्रेशन में थे, तब से ऐसी बातें सोचने लगे हों. 5-6 महीने से सुशांत डिप्रेशन में थे, यह बात उस डाक्टर को पता थी जिस से उन का इलाज चल रहा था या फिर इस की जानकारी उन की मित्र रिया चक्रवर्ती को थी, जो सुशांत के रिलेशनशिप में साथ रह रही थी.
उन के कुछ दोस्त यह तो जानते थे कि वह दिमागी रूप से परेशान है, लेकिन वह इतने डिप्रेस हैं कि सुसाइड जैसा कदम उठा लेंगे, कोई सोच भी नहीं सकता था. एक सवाल आम और खास का बौलीवुड से जुड़ा कोई भी काम हो, एक्टिंग, डायरेक्शन, कहानी लेखन, संवाद, गीत, गायन और म्यूजिक सभी में 2 तरह के लोग होते हैं. नंबर एक जिन का संबंध बौलीवुड में काम कर रहे लोगों से हो. ऐसे युवा चूंकि अपनी मां या पिता को बचपन से काम करते देखते आए होते हैं, इसलिए उन्हें इस विधा की अच्छी जानकारी होती है.
दूसरी तरह के युवा वे होते हैं, जो आंखों में सतरंगी सपने समेटे मुंबई आते हैं. ऐसे युवाओं में अगर प्रतिभा होती है तो वे छोटे स्तर से शुरुआत कर के ऊपर तक पहुंच ही जाते हैं, जैसे सुशांत पहुंचे थे. लेकिन ऐसे युवाओं की स्थिति तब विचित्र हो जाती है, जब उन्हें किसी मशहूर और सालों से स्थापित प्रोडक्शन हाउस में काम मिलता है. अपनी मेहनत और संघर्ष से वहां तक पहुंचे युवाओं को लगता है कि वह अपनी प्रतिभा से वहां तक आए हैं, जबकि प्रोडक्शन हाउस को वह आउटसाइडर और नया लगता है. दोनों की अंडरस्टैडिंग बनने में थोड़ा समय लगता है नए कलाकार के नएपन का लाभ उठा कर प्रोडक्शन हाउस उस से 3-4 या 5-6 फिल्में साइन करा लेता है.
यह कोई निश्चित नहीं होता कि वे फिल्में कब बनेंगी या बनेंगी ही नहीं. जबकि इन्हीं फिल्म मेकर्स की निगाहें स्टार किड्स पर तभी से जम जाती हैं, जब वे 15-16 साल के होते हैं. उन्हें लौंच भी धूमधड़ाके से किया जाता है. लेकिन इस सब के बावजूद फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिभाशाली आउटसाइडर हीरोहीरोइन की कमी नहीं है. साथ ही ऐसे स्टार किड्स भी कई हैं, जिन्हें पूरी कोशिशों के बाद भी नहीं चलाया जा सका. बहरहाल, सुशांत राजपूत उन आउटसाइडरों में थे, जो अपनी प्रतिभा के बूते पर शिखर तक पहुंचे. सुशांत के पास पैसा भी था और शोहरत भी, वह शान की जिंदगी जी रहे थे.
अगर कुछ लोगों को नजरअंदाज कर के वह आगे बढ़ जाते तो सब ठीक हो जाता. लेकिन जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने वाले सुशांत को भेडि़यों के झुंड में फंसी भेड़ सी जिंदगी जीना कबूल नहीं था. क्या सुशांत बड़े प्रोडक्शन हाउस का शिकार बने 14 जून को जब सुशांत ने आत्महत्या कर ली तो यह बात सामने आई कि ‘छिछोरे’ जैसी सुपरहिट फिल्म देने वाले सुशांत के पास छोटे बजट की केवल एक फिल्म थी ‘दिल बेचारा’. बड़े प्रोडक्शन हाउसों ने उन की साइन की 6 फिल्में न बनाने का फैसला कर लिया था. इतना ही नहीं, इंडस्ट्री के कई दिग्गज अपने स्टाइल में उन का मजाक भी उड़ाते थे.
इसी सब से परेशान हो कर सुशांत डिप्रेस रहने लगे. उन के साथ रिलेशनशिप में रह रही रिया चक्रवर्ती ने उन की परेशानी को देखा, समझा और महसूस किया. रिया ही उन्हें मनोरोग चिकित्सक के पास ले गई. दवाई शुरू हो गई लेकिन दवाई नियमित न लेने से सुशांत की प्रौब्लम बढ़ती गई. लौकडाउन उन की प्रौब्लम पर और भारी पड़ा. सुशांत ने जिंदगी खत्म कर लेने का फैसला शायद एक हफ्ते पहले ही कर लिया था. इसीलिए उन्होंने अपनी मैनेजर दिशा सालियन को उन का हिसाबकिताब दे कर आने से मना कर दिया था. इस के बाद दिशा ने 8 जून की रात अपने 14वीं मंजिल पर स्थित फ्लैट से छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली, क्यों, यह बात पता नहीं चल पाई.
एक दिन पहले ही सुशांत ने अपने 2 नौकरों को बुला कर उन की सैलरी दी और सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘आगे से मैं आप लोगों को सैलरी नहीं दे पाऊंगा, इसलिए…’’
उस वक्त नौकर तक नहीं समझ पाए कि सुशांत का क्या इरादा है. रिलेशनशिप में साथ रह रही रिया को भी सुशांत ने आत्महत्या से 6 दिन पहले वहां से जाने को कह दिया था. रिया को मालूम था कि सुशांत डिप्रेशन में हैं, कई बार गुमसुम हो कर घंटों अकेले बैठे रहते हैं, इसलिए उस ने वहां से चले जाना ही ठीक समझा. बकौल रिया वह और सुशांत दोनों रूमी जाफरी की फिल्म में साथ काम करने वाले थे. नवंबर में दोनों का शादी का भी इरादा था, लेकिन ये सारी कवायद 14 जून को तब खत्म हो गई, जब एक नौकर ने सुशांत को सीलिंग फैन से लटके देखा. नौकर ने ही पुलिस को सूचना दी. इस के बाद सोसायटी के लोग इकट्ठा हो गए. पुलिस भी आ गई. पड़ताल में मौके से सुशांत का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. सुशांत की मौत की सूचना पटना में उन के पिता के.के. सिंह को दे दी गई थी. इस के बाद पूरा मामला पुलिस के हाथों में आ गया.
यह खबर सुन कर फिल्म और टीवी इंडस्ट्री के तमाम लोग एकत्र हो गए. उसी दिन शाम को सुशांत के शव का पोस्टमार्टम हुआ, जिस में पता चला कि सुशांत की मृत्यु दम घुटने से हुई थी यानी उन्होंने आत्महत्या की थी. सुशांत के पिता और परिवार के लोग आ गए थे, जिन्हें सुशांत का शव दे दिया गया. कोरोना के चलते शव को पटना ले जाना संभव नहीं था, इसलिए अगले दिन मुंबई में ही उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया. कारण क्या थे, यह तो सहीसही किसी को पता नहीं चल पाया, लेकिन सुशांत की मौत के बाद ब्लेम गेम जरूर शुरू हो गया. लोग 2 बड़े प्रोडक्शन हाउसों को सुशांत की मौत का जिम्मेदार ठहराने लगे.
आरोप लगा कि इन प्रोडक्शन हाउसों ने सुशांत को बैन कर दिया था, जिस की वजह से वह डिप्रेशन में रहने लगे थे और भविष्य की सोच कर उन्होंने आत्महत्या कर ली. इस बात को ले कर फिल्म इंडस्ट्री के तमाम लोग गुस्से में थे और इंडस्ट्री के कुछ बड़े लोगो ंको सुशांत की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे. बहरहाल, पुलिस ने केस दर्ज कर के जांच शुरू कर दी थी. इस से भी आगे जा कर मुजफ्फरपुर, बिहार के एडवोकेट सुधीर कुमार ओझा ने तो करण जौहर, संजय लीला भंसाली, सलमान खान, एकता कपूर सहित फिल्म जगत के 8 दिग्गजों पर सवाल उठाते हुए मुजफ्फरपुर कोर्ट में भारतीय दंड विधान की धारा 306, 504 और 506 के तहत केस दर्ज करा दिया.
यह अलग बात है कि ऐसे केसों का क्या हश्र होता है. मुंबई की बात करें तो कुछ लोग सुशांत की मौत के लिए कुछ बड़े फिल्म निर्माताओं पर अंगुली उठा रहे थे. यह अलग बात है कि उन के गुस्से का कारण सुशांत की मौत थी या अपना फ्रस्टेशन. बहरहाल, हमेशा खुश रहने और मुसकरा कर बात करने वाले सुशांत अपने पीछे एक अंधेरा, एक सन्नाटा छोड़ कर चले गए. उन्हीं चांदसितारों के पास, जिन्हें वह अपने टेलीस्कोप से निहारा करते थे. सुशांत ऐसे संवेदनशील कलाकार थे, जिन्होंने जिंदगी के कैनवास पर अपने सपनों, अरमानों और उपलब्धियों के खूबसूरत चित्र उकेर कर सब को चमत्कृत कर दिया था. तब कोई नहीं जानता था उन आकर्षक रंगों में छिपा काला रंग अंधेरा बन कर धीरेधीरे उन्हें अपनी बांहों में समेटने की कोशिश में लगा है.
जब वह अंधेरे सायों से घिरे अकेले एकांतवास काट रहे थे, तब उन के प्रिय ‘तारों’ ने भी उन का साथ छोड़ दिया था. उन के साथी थे तो केवल तनहाई, सुकुमार सपनों की टूटीबिखरी किरचें और सुलगता सा अनजाना अनचाहा दर्द. जब सब कुछ बरदाश्त के बाहर हो गया, रोशनी की कोई बारीक सी रेखा भी नहीं बची, तो उन्होंने पूरी जिंदगी अंधेरे के हवाले कर दी, हमेशाहमेशा के लिए.