Haryana Crime News : हरियाणा के व्यवसाई राममेहर जागलान की कार रात में सुनसान सड़क पर जलती मिली. सूचना पा कर जब पुलिस पहुंची तब भी कार जल रही थी और उस में एक शव भी था. बाद में वहां पहुंचे राममेहर के बेटे आशीष ने बताया कि पापा ने उसे फोन कर के लुटेरों के बारे में बताया था. उन के फोन के बाद…

आशीष की सूचना पर पुलिस रात के सन्नाटे में तलाश करते हुए जब भाटलामहजद रोड पर पहुंची, तो दूर से ही कुछ जलता हुआ नजर आया. पास जा कर देखा, सड़क किनारे खड़ी एक इंडिगो कार जल रही थी. कार से हल्की लपटें अभी भी उठ रही थीं. सड़क पर घुप अंधेरा था. कोई वाहन आजा नहीं रहा था. वैसे भी इस रोड पर रात के समय इक्कादुक्का वाहन ही गुजरते हैं. पुलिस वालों ने मोबाइल की टार्च जला कर देखा. कार में आगे ड्राइवर के पास वाली सीट पर एक आदमी बैठा था. वह भी जल चुका था. लपटें उठने के कारण कार का गेट नहीं खुल रहा था.

कार के आसपास कोई नहीं था. पुलिस वालों ने आवाज लगाई, कोई है? लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. आवाज रात के सन्नाटे में गुम हो गई. मौके के हालात से लग रहा था कि कार में कोई आदमी जिंदा जल गया है. अनुमान लगाया गया कि कार में करीब एक घंटा पहले आग लगी होगी, क्योंकि जब पुलिस पहुंची, तब तक लपटें कम हो गई थीं लेकिन पूरी तरह बुझी नहीं थी. यह बात 6 अक्टूबर की रात करीब सवा 12 बजे की है. हरियाणा के हिसार जिले में एक शहर है हांसी. कार हांसी से करीब 17 किलोमीटर दूर भाटलामजहद रोड पर जलती हुई मिली थी. पुलिस यह समझने की कोशिश कर रही थी कि कार में कौन है और उस के साथ क्या हादसा हुआ है? तभी एक गाड़ी से कुछ लोग वहां आए.

उन्होंने गाड़ी से उतर कर कार को देखा. कार में एक आदमी को जिंदा जला हुआ देख वे लोग रोने लगे. रोतेसुबकते हुए एक युवक ने पुलिस को बताया कि उस का नाम आशीष है. उस ने ही पुलिस को फोन किया था. आशीष ने आगे बताया कि वह पास के ही डाटा गांव का रहने वाला है. उस के पिता राममेहर जागलान की बरवाला रोड बाइपास पर डिस्पोजल आइटम्स के कच्चे माल की फैक्ट्री है. पापा सुबह घर से कारोबार के सिलसिले में गए थे. उन के पास करीब 11 लाख रुपए थे. पैसे उन्होंने दिन में बैंक से निकलवाए थे. रात करीब सवा 11 बजे उन का फोन आया. फोन पर घबराई हुई आवाज में उन्होंने कहा कि महजदभाटला के बीच में कुछ गुंडों ने उन्हें घेर लिया है. ये लोग मुझ से पैसे छीन रहे हैं. जल्दी आ जाओ. ये मुझे मार डालेंगे.

आशीष ने बताया कि पापा ने मुझे फोन करने के बाद गगनखेड़ी के रहने वाले मेरी बुआ के लड़के विकास को भी काल कर यही बात कही थी. इस पर हम घर वालों के साथ गाड़ी से पापा को तलाश करने गांव से चल दिए थे. रास्ते में हम ने पुलिस को सूचना दी. राममेहर के भांजे विकास ने पुलिस को बताया कि मामा ने रात को मोबाइल पर काल कर कहा था कि बदमाश 2 मोटर साइकिल और एक गाड़ी में हैं. लुटेरों का काम था?  आशीष व उस के घरवालों की बातों और मौके के हालात से मोटे तौर पर यह माना गया कि रात के समय राममेहर को कार में अकेले जाते देख कर बदमाशों ने लूटने की कोशिश की होगी. राममेहर ने लुटेरों का विरोध किया होगा. इसलिए उन्होंने राममेहर को कार में ही जिंदा जला दिया.

पुलिस ने आशीष से बदमाशों के बारे में पूछा, लेकिन कुछ पता होता तो वह बताता. पुलिस ने उस से राममेहर की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा, लेकिन आशीष को इस के बारे में भी कुछ पता नहीं था. बहरहाल, पुलिस को बदमाशों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका. हैरत की बात यह थी कि भाटलामहजद रोड पर पहले कभी इस तरह की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई थी. आमतौर पर लूटपाट करने वाले मारपीट या हथियार से हमला कर जान लेते हैं, लेकिन जिंदा जलाने की घटना बिलकुल अनोखी थी. फिर भी पुलिस ने राममेहर के बेटे आशीष और दूसरे लोगों से फौरी तौर पर पूछताछ की, लेकिन पुलिस को ऐसी कोई बात पता नहीं चली, जिस से बदमाशों का सुराग मिल पाता.

आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था. रात के अंधेरे में उस समय ज्यादा कुछ हो भी नहीं सकता था. इसलिए पुलिस ने एक कांस्टेबल को मौके पर छोड़ दिया और राममेहर के घर वालों को सांत्वना दे कर घर भेज दिया. अगले दिन 7 अक्तूबर की सुबह पुलिस मौके पर पहुंच कर इस मामले की जांचपड़ताल में जुट गई. राममेहर के घर वाले भी वहां आ गए. कार की आग पूरी तरह बुझ चुकी थी. कार में आगे की सीट पर अधजले इंसान का कंकाल पड़ा था. कंकाल के पास ही हनुमान जी का एक लौकेट मिला. लौकेट देख कर आशीष और दूसरे लोगों ने कहा कि यह राममेहर का है. इस से माना गया कि कार में जिंदा जलाया गया इंसान राममेहर था.

व्यापक छानबीन वारदात खौफनाक थी, इसलिए एसपी लोकेंद्र सिंह सहित हिसार पुलिस के दूसरे अफसरों ने भी मौकामुआयना किया. सदर थाना पुलिस, एफएसएल, सीआईए, सायबर सेल और भाटला चौकी पुलिस ने अलगअलग एंगलों से जांच शुरू की. प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अग्रोहा के मेडिकल कालेज भेज दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव राममेहर के घरवालों को सौंप दिया गया. उन्होंने उसी दिन गांव में शव की अंत्येष्टि कर दी. जली हुई कार में पुलिस को राममेहर का मोबाइल नहीं मिला. यह भी पता नहीं चला कि मोबाइल जल गया या बदमाश ले गए. दूसरी भी ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से बदमाशों का पता चलता.

घर वालों से पूछताछ के आधार पर पुलिस को पता चला कि राममेहर ने 6 अक्तूबर को हांसी के एक्सिस बैंक से 10 लाख 90 हजार रुपए निकलवाए थे. उस दिन वह शाम करीब 5 बजे फैक्ट्री से व्यापार के सिलसिले में हिसार जाने के लिए निकले थे. उन्होंने शाम को घर फोन कर कहा था कि रात को देर से घर आएंगे. रात को वह हिसार से अपने गांव डाटा लौट रहे थे, तभी रास्ते में 2 बाइक और एक कार में सवार बदमाशों ने उन्हें घेर लिया और रकम लूटने के बाद उन्हें कार में जिंदा जला दिया. हांसी पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूटपाट और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

सवाल मुंह बाए खड़े थे पुलिस ने जांच शुरू की तो कई तरह के अनसुलझे सवाल सामने आए. पहला तो यही कि लुटेरों को राममेहर के पास मोटी रकम होने की सूचना कैसे मिली? दूसरे हिसार में वह किनकिन लोगों से मिले थे? क्या उन से पैसों का लेनदेन भी किया था? एक महत्त्वपूर्ण सवाल यह भी था कि कार किस ज्वलनशील पदार्थ से जलाई गई थी? राममेहर का शव ड्राइवर के पास वाली सीट पर मिला था, एक सवाल यह भी था कि कार में क्या कोई दूसरा व्यक्ति भी था? और यह भी कि वह हिसार से अपने गांव डाटा सीधे रास्ते से जाने के बजाय लिंक रोड से क्यों जा रहे थे?

हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस ने राममेहर के मोबाइल की कालडिटेल्स निकलवाई. वारदात स्थल के आसपास 6 अक्तूबर की रात उस इलाके में एक्टिव रहे मोबाइल नंबरों का पता लगाया गया. मौकाएवारदात का सीन भी रिक्रिएट किया गया. कार में मिला शव राममेहर का ही है, इस की पुष्टि के लिए डीएनए जांच कराने का फैसला किया गया. राममेहर ने हांसी में बैंक से जब रकम निकलवाई थी, तब उन के साथ और आसपास कौन लोग थे, इस का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई. बैंक से राममेहर के खाते की डिटेल्स भी निकलवाई गई.

राममेहर के परिवार के बारे में पुलिस को पता चला कि वह 7 बहनों के इकलौते भाई और सब से छोटे थे. उन की मां की एक साल पहले मृत्यु हो गई थी. परिवार में उस के पिता टेकचंद, पत्नी संतोष, 2 बेटियां और एक बेटा आशीष था. दसवीं तक पढ़े राममेहर के पास करीब 15 एकड़ जमीन थी. वह खेतीबाड़ी के साथ व्यापार भी करते थे. पहले उन की डिस्पोजल की फैक्ट्री हांसी में बरवाला बाइपास पर थी. करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने वह फैक्ट्री बंद कर दी और बरवाला रोड पर ही डिस्पोजल आइटम्स के कच्चे माल की फैक्ट्री शुरू की. उन का माल हरियाणा के अलावा राजस्थान और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी जाता था.

राममेहर की मौत से डाटा और उस के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग हैरान थे. हैरानी इस बात की थी कि उस इलाके में पहले कभी ऐसी वारदात न तो सुनी गई थी और न ही देखी गई थी. राममेहर की किसी से रंजिश या दुश्मनी होने की बात भी सामने नहीं आई. राममेहर की मौत से उन के घर ही नहीं पूरे गांव में मातम छा गया था. सहारे की लाठी टूटने से बूढ़े पिता टेकचंद की आंखें पथरा गई थीं. पत्नी संतोष बेहोश और बेटियां बेसुध हो गई थीं. इस जघन्य वारदात से हिसार और हांसी के व्यापारियों में भी आक्रोश था. अपराधियों तक पहुंचने के लिए पुलिस को अपनी जांच का दायरा बढ़ाना पड़ा. तकनीकी और वैज्ञानिक तरीकों से विभिन्न सवालों के जवाब खोजने के लिए पुलिस अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश में जुट गई.

सीन औफ क्राइम यूनिट के विशेषज्ञों ने सवाल उठाए कि शव राममेहर का है या नहीं, इस का पता डीएनए जांच से ही चलेगा. उन्हें जिंदा जलाया या मार कर, यह हिस्टोपैथोलाजी जांच से साफ हो सकता था. जिस ज्वलनशील पदार्थ से कार को जलाया गया, वह पेट्रोलडीजल या कोई कैमिकल था?  राममेहर का शव जिस सीट पर मिला था, वह पीछे की तरफ झुकी हुई थी. इस से इस बात की संभावना थी कि उन्हें कार से बाहर खींचने का प्रयास किया गया होगा, वह बाहर नहीं निकले तो उन्हें मारपीट कर मार डाला गया या अधमरा कर छोड़ दिया और फिर ज्वलनशील पदार्थ डाल कर जला दिया गया.

एक सवाल यह भी उठा कि बदमाश अगर चलती कार को रोकने की कोशिश करते तो दुर्घटना होती, लेकिन मौके पर इस के सबूत नहीं मिले. इस से अंदेशा हुआ कि किसी परिचित ने कार को रुकवा कर वारदात को अंजाम दिया होगा. आखिर सामने आ ही गई सच्चाई जांचपड़ताल में कुछ ऐसे सबूत सामने आए कि पुलिस अफसर भी चौंक गए. करीब 11 लाख रुपए लूट कर राममेहर को कार में जिंदा जलाने की सचाई का पुलिस ने वारदात के करीब 65 घंटे बाद ही पता लगा लिया. राममेहर घटनास्थल से 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से जीवित मिल गया. हिसार पुलिस उसे बिलासपुर से गिरफ्तार कर हांसी ले आई.

राममेहर से की गई पूछताछ और सबूतों के आधार पर उस की साजिश से परदा उठ गया. राममेहर ने ऐसी खौफनाक साजिश क्यों रची, यह कहानी बताने से पहले यह जानना जरूरी है कि पुलिस उस तक पहुंची कैसे? जांचपड़ताल में पुलिस को कार पर कोई खरोंच तक नहीं मिली थी. कार सड़क किनारे खड़ी थी, हैंड ब्रेक लगे थे. इस से साफ हो गया कि कार को इत्मीनान से रोका गया था. सड़क पर कार दौड़ाने का कोई सबूत नहीं मिला. कार सड़क के बीच नहीं साइड में खड़ी थी. आसपास दूसरी कार और बाइक के टायरों के निशान नहीं मिले थे. अगर किसी को अनहोनी का खतरा हो तो वह गाड़ी को सड़क किनारे खड़ा नहीं करेगा और हैंडब्रेक तो बिल्कुल नहीं लगाएगा. कार को अंदर व बाहर एकसाथ कैमिकल डाल कर जलाया गया था ना कि कार में आग फैली थी.

पुलिस को मौके पर कार से राममेहर का मोबाइल नहीं मिला था, जबकि उस की अंतिम लोकेशन उसी जगह की थी. कंकाल बन चुका शव कार के ड्राइवर के पास वाली सीट पर था. बेटे और भांजे के पास राममेहर का फोन रात सवा 11 बजे आया था, लेकिन उन्होंने पुलिस को सूचना रात 12 बज कर 5 मिनट पर दी गई थी. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कोई भी नहीं मिला, बाद में घरवाले जब मौके पर पहुंचे, तो कहा कि वे रास्ता भटक गए थे. आमतौर पर ऐसे मामलों में अवैध संबंध, बीमा क्लेम या अन्य किसी निजी स्वार्थ के लिए षडयंत्र रच कर खुद की मौत साबित करने की कोशिश की जाती है. इन्हीं सब बातों से शक उभरा, तो पुलिस ने गहराई से छानबीन की.

पता चला कि राममेहर ने कुछ समय पहले ही एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराई थीं. उन बीमा पौलिसियों में उस ने पत्नी संतोष को नौमिनी बनाया था. यह बात भी सामने आई कि लौकडाउन में उस की फैक्ट्री का कामकाज ठप हो गया था. फिर उस ने इतनी बड़ी रकम की पौलिसियां क्यों कराई? इस के अलावा उस के मोबाइल की काल डिटेल्स में उस की एक महिला मित्र का पता चला. उस महिला मित्र से पूछताछ के बाद राममेहर के जीवित होने और उस की साजिश का पता चला गया. राममेहर ने बीमा पौलिसियों का पैसा हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए अपनी मौत का ड्रामा रचा था.

राममेहर जीवित मिल गया और उस के नाटक से भी परदा उठ गया, लेकिन एक सवाल यह रह गया कि कार में जो शव मिला था, वह किस का था? हिसार के एसपी लोकेंद्र सिंह के अनुसार शव डाटा गांव के ही राममेहर उर्फ रमलू का था. पुलिस के अनुसार, पूछताछ के बाद राममेहर की साजिश की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—

राममेहर को व्यापार में घाटा हो रहा था. लौकडाउन में व्यापार बिलकुल ही ठप हो गया था. उस पर एकडेढ़ करोड़ रुपए का कर्ज भी था. उस ने पीएनबी और एचडीएफसी बैंक से पर्सनल लोन भी लिया था. वह शराब पीता था और उस की कई महिलाओं से दोस्ती भी थी. इन महिला मित्रों पर भी वह काफी पैसा खर्च करता था. पैसे के लिए परेशान था खर्चों के हिसाब से आमदनी नहीं होने से वह परेशान रहने लगा था. उस ने एकदो बार आत्महत्या करने की भी सोची. बाद में उस ने बीमा क्लेम हड़पने और कर्जदारों से छुटकारा पाने के लिए खुद को मृत घोषित करने की साजिश रची. इस साजिश के तहत उस ने इसी साल जुलाई में एक करोड़ 41 लाख रुपए की 4 बीमा पौलिसियां कराईं.

साजिश के तहत मारने के लिए उस ने अपने ही गांव के राममेहर उर्फ रमलू को चुना. गरीब रमलू डफली बजागा कर परिवार की गुजरबसर करता था. रमलू के परिवार में उस की बीवी और बूढ़ी मां के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां थीं. रमलू में शराब पीने की बुरी लत थी. वह गाबजा कर आसपास के गांवों में अनाज मांगने के लिए निकल जाता, तो कभी एकदो दिन बाद और कभी तीनचार दिन बाद घर लौटता था. इसलिए परिवार वाले उस की ज्यादा चिंता नहीं करते थे. राममेहर ने 6 अक्टूबर को बैंक से 10 लाख 90 हजार रुपए निकलवाए. इस में से उस ने साढ़े 4 लाख रुपए एक महिला मित्र सुनीता को नकद दिए. कुछ रकम उस ने दूसरी महिला मित्र के बैंक खाते में जमा करा दी.

गरीब रमलू बना निशाना राममेहर को उस दिन शाम को रमलू गांव के बाहर शराब पीते हुए मिल गया. उसे देख कर राममेहर की आंखें चमक गईं. उस ने घर पर फोन कर कहा कि वह हिसार जा रहा है. घर फोन करने के बाद राममेहर ने रमलू को अपनी कार में बैठा लिया. फिर उस ने शराब खरीदी. कार को भाटलामहजद की सुनसान सड़क पर खड़ी कर दोनों शराब पीते रहे. कार की ड्राइविंग सीट पर राममेहर बैठा था, उस के पास वाली सीट पर रमलू. राममेहर ने खुद कम शराब पी. रमलू को वह रात तक शराब पिलाता रहा. रमलू जब शराब के नशे में पूरी तरह बेसुध हो गया, तो उस ने उसे गला दबा कर मार डाला. फिर उस ने अपनी कार के फ्यूल टैंक से डीजल निकाला. डीजल निकालने के लिए उस ने पहले से ही कार में पतली पाइप रखी हुई थी. रमलू और कार पर डीजल छिड़क कर उस ने आग लगा दी.

उस ने जलती हुई कार को एकदो मिनट तक देखा. इस के बाद पैदल ही ढाणी कुतुबपुर के लिए चल दिया. रास्ते में उस ने अपने बेटे और भांजे को घबराई हुई आवाज में फोन पर झूठी सूचना दे कर कहा कि उसे कुछ बदमाशों ने घेर लिया है. ढाणी कुतुबपुर में पहले से ही उस की एक महिला मित्र की कार तैयार खड़ी थी. वह उस कार से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के लिए रवाना हो गया. 7 अक्टूबर की रात में वह बिलासपुर पहुंच गया. वहां वह अपने एक परिचित के पास रुका. परिचित से उस ने कहा कि वह बिलासपुर में जमीन खरीदना चाहता है, इसलिए आया है. इस बीच, उस ने अपने नए मोबाइल नंबरों से अपनी महिला मित्रों से संपर्क बनाए रखा.

पुलिस ने इस मामले में 12 अक्टूबर को राममेहर की महिला मित्र सुनीता को गिरफ्तार कर लिया. हांसी की जगदीश कालोनी की रहने वाली सुनीता 4 साल पहले तक राममेहर की फैक्ट्री में काम करती थी. इसी दौरान वह राममेहर के संपर्क में आई थी. रमलू को जला कर मारने का पता चलने पर पुलिस ने इस मामले में एससीएसटी एक्ट की धाराएं भी जोड़ दीं. बाद में पुलिस ने राममेहर की दूसरी महिला मित्र रानी को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. वह रानी की कार से ही बिलासपुर गया था. उस ने वारदात वाले दिन रानी के खाते में करीब पांच लाख रुपए जमा कराए थे. रानी के खाते की चैकबुक व एटीएम कार्ड राममेहर के पास थे. उस की योजना थी कि खुद को मृत घोषित करने के बाद जरूरत पड़ने पर वह उस के खाते से पैसे निकाल लेगा.

राममेहर की असलियत उजागर होने के बाद उस की पत्नी संतोष न तो खुद को सुहागन कह पा रही है और न ही विधवा. राममेहर ने अपनी मौत का ड्रामा रच कर संतोष की सुहाग की सारी निशानियां मिटा दीं. उस के बेटेबेटियां भी पिता की करतूत से हैरान हैं. 70 साल का बूढ़ा पिता टेकचंद कहता है ‘हमारे ऐसे करम थे जो ऐसा कपूत पैदा हुआ. उस ने तो जिंदगी भर का बट्टा लगा दिया.’ राममेहर के लालच में रमलू बेमौत मारा गया. उस के घर में अब आंसू, लाचारी और बेबसी है. रमलू गाबजा कर परिवार पालता था. अब उस की पत्नी कृष्णा और 6 बच्चों का गुजारा कैसे होगा, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा. कृष्णा पर रमलू के छोटे भाई की स्वर्गवासी पत्नी के 5 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी भी आ गई है.

रमलू इस घटना से 2 दिन पहले गांव से गया था, वह वापस घर नहीं लौटा, तो घर वालों ने ज्यादा चिंता नहीं की, क्योंकि वह पहले भी कई बार 3-4 दिनों में लौटा था. राममेहर से पूछताछ के बाद पुलिस जब रमलू के घर पहुंची, तो सचाई का पता चलने पर उस के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कार में जला शव रमलू का ही था, इस की पुष्टि के लिए पुलिस डीएनए जांच करा रही है.

 

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