Rajasthan Crime News :  कभीकभी औरतें मौजमजे के चक्कर में अपनी गृहस्थी खुद ही उजाड़ लेती हैं. 4 बच्चों की मां किरण की घरगृहस्थी अच्छीखासी चल रही थी, लेकिन उस ने 18 वर्षीय भांजे शंभूदास को अपने प्रेमजाल में फांस लिया. इस का जो नतीजा निकला वह…

मंगलवार, 5 जनवरी 2021 का सूरज उदय ही हुआ था कि मूंडवा थाने में फोन द्वारा सूचना मिली के मूंडवा गांव के सरोवर के पास मंदिर से सटे घर में चारपाई पर सुरेश की लाश पड़ी है. सुरेश की रात में अज्ञात हत्यारों ने सोते समय धारदार हथियार से हत्या कर दी है. सूचना मिलते ही मूंडवा थानाप्रभारी बलदेवराम पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. घटनास्थल पास में ही था, इसलिए वह वहां 10 मिनट में ही पहुंच गए. वहां आसपास के लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. उन्हें हटा कर पुलिस मकान के अंदर पहुंची, जहां चारपाई पर मृतक सुरेश साद (35 वर्ष) की खून से लथपथ लाश पड़ी थी. मृतक पुजारी परिवार से था.

खून के छींटे फर्श और दीवारों पर भी लगे थे. थानाप्रभारी बलदेवराम ने जांचपड़ताल और मौकामुआयना किया. घर की दीवारें काफी ऊंची थीं, इस कारण प्रथमदृष्टया ऐसा लग रहा था कि जिस ने भी हत्या की थी, वह दीवार फांद कर घर में नहीं आया था. तो क्या हत्या में घर के किसी सदस्य का हाथ है? अगर हाथ है तो वह कौन है और उस ने हत्या क्यों की? ये तमाम सवाल थानाप्रभारी के जेहन में आजा रहे थे. थानाप्रभारी बलदेवराम ने सुरेश साद हत्याकांड की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी. मामला मंदिर के पुजारी से जुड़ा था. ऐसे मामले में राजनीति बहुत जल्द शुरू हो जाती है.

इस कारण घटना की खबर मिलते ही एएसपी राजेश मीणा, सीओ विजय कुमार सांखला और एसपी (नागौर) श्वेता धनखड़ घटनास्थल पर आ पहुंचे. घटनास्थल पर पुलिस अधिकारियों ने मौकामुआयना किया और नागौर से एफएसएल की टीम और एमओबी टीम को मौके पर बुला कर साक्ष्य इकट्ठा किए. पुलिस टीम ने मृतक के घर वालों से पूछताछ की. पूछताछ में घर वालों ने बताया कि सुरेश रात में पशुओं को चारा खिलाने गया था. रात में वह चारा खिलाने के बाद बरामदे में चारपाई पर आ कर सो गया. अगली सुबह 5 जनवरी को जब मृतक सुरेश की पत्नी किरण ने आ कर पति को आवाज दी तो कोई जवाब नहीं मिला.

फिर वह किरण बरामदे में आई और जैसे ही चारपाई पर खून से लथपथ पति की लाश देखी तो वह रोनेचिल्लाने लगी. तब घर के अन्य सदस्य दौड़ कर आए. उन्होंने देखा कि सुरेश की खून से लथपथ लाश बिस्तर पर पड़ी थी. तब उन्होंने थाना मूंडवा में फोन कर खबर दी. इस के बाद मूंडवा थाना पुलिस घटनास्थल पर आई और जांच शुरू की. मृतक मंदिर में बने घर में रहता था. सुरेश के परिवार में उस की पत्नी किरण (30 साल) के अलावा 4 बच्चे थे. घटना वाली रात किरण कमरे में बच्चों के साथ सो रही थी जबकि सुरेश बाहर बरामदे में ही सोता था. एसपी श्वेता धनखड़ ने मृतक की पत्नी किरण से पूछा, ‘‘आप ने रात में क्या कोई चीख सुनी थी?’’

‘‘नहीं, मैं ने कुछ भी नहीं सुना.’’ किरण बोली.

मृतक के अन्य परिजनों से भी पूछताछ की गई. मगर सभी ने यही कहा कि उन्होंने कोई आवाज या खटका वगैरह नहीं सुना था. तब एसपी श्वेता धनखड़ ने पूछा, ‘‘किसी से कोई दुश्मनी थी क्या सुरेश की? किसी से कोई लड़ाईझगड़ा हुआ हो या किसी पर शक हो तो बताएं.’’

मृतक के परिजनों ने कहा कि मृतक शांत स्वभाव का था. उस की किसी से दुश्मनी नहीं थी. न ही किसी से उस का लड़ाईझगड़ा हुआ था. मृतक के परिजनों का कहना था कि उन्हें किसी पर शक नहीं है. कोई घर में आ कर सोते व्यक्ति को धारदार हथियार से मार कर चला गया और मृतक के बीवीबच्चे और भाई तथा अन्य सदस्यों को भनक तक नहीं लगी. घर की दीवार इतनी ऊंची थी कि उस पर चढ़ कर अंदर आना संभव नहीं था. न ही घर के चारों ओर की दीवारों के पास किसी के पैरों के निशान थे. अगर कोई दीवार पर चढ़ता तो उस के पदचिह्न जरूर होते. मगर पैरों के निशान नहीं थे. ऐसे में पुलिस अधिकारियों को मृतक के परिवार के लोगों पर शक हुआ कि हो न हो इस हत्याकांड में परिवार का कोई व्यक्ति शामिल है.

पुलिस टीम ने शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. एफएसएल टीम ने साक्ष्य एकत्र किए. शव पर धारदार हथियार के 3-4 गहरे जख्म थे. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक का इंतजार करना था. पुलिस टीम ने मृतक के परिजनों सहित ग्रामीणों से भी पूछताछ की. हालांकि उस समय तक इस मामले में कोई सुराग हाथ नहीं लगा था. फिर भी पुलिस अधिकारी हत्याकांड के परदाफाश के लिए जीजान से जुटे थे. एसपी श्वेता धनखड़ ने एएसपी राजेश मीणा, डिप्टी विजय कुमार सांखला और मूंडवा थानाप्रभारी बलदेवराम को दिशानिर्देश दे कर कहा कि जल्द से जल्द हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए.

एसपी श्वेता धनखड़ दिशानिर्देश दे कर नागौर लौट गईं. पुलिस अधिकारियों का शक मृतक की पत्नी किरण पर था. इस का कारण था कि बरामदे के पास के कमरे में वह अपने चारों बच्चों के साथ सोई थी. सुरेश का मकान सुनसान इलाके में था, जहां शोरशराबा नहीं था. ऐसे में कोई आ कर हत्या कर दे और बरामदे से सटे कमरे में पता नहीं चले, यह असंभव था. इस कारण एकबार किरण पुलिस की निगाहों में आई तो उस की कुंडली खंगाली जाने लगी. सुरेश का शव पोस्टमार्टम के बाद उस के परिजनों को सौंप दिया गया. परिजनों ने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. एसपी के निर्देश पर सुरेश साद हत्याकांड का परदाफाश करने के लिए एएसपी राजेश मीणा, सीओ विजय कुमार सांखला के नेतृत्व में थानाप्रभारी बलदेवराम सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने जांच शुरू की.

मृतक की पत्नी किरण साद के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई गई. साथ ही पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. काल डिटेल्स से पता चला कि जोधपुर जिले के बनाड़ थाने के गांव दईकड़ा निवासी शंभूदास साद से किरण की दिन में कईकई बार घंटों तक बातें होती थीं. शंभूदास मृतक का भांजा था. पुलिस अधिकारियों को मुखबिर से भी सूचना मिल चुकी थी कि शंभूदास और किरण के अवैध संबंध हैं. बस फिर क्या था, पुलिस ने मृतक सुरेश के 21 साल के भांजे शंभूदास को पूछताछ के लिए दबोच लिया. पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पहले तो वह टालमटोल करता रहा मगर पुलिस ने सख्ती की तो वह टूट गया और अपना जुर्म कबूल कर लिया कि मामी किरण से उस के अवैध संबंध हैं.

मामा सुरेश को उन के संबंधों पर शक हो गया था. इस कारण वह मामीभांजे के संबंधों के बीच रोड़ा बनने लगा था. इस कारण उन दोनों ने योजनानुसार उस की हत्या कर दी. जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने किरण को भी हिरासत में ले लिया और पूछताछ की. किरण पहले तो मना करती रही मगर जब उसे बताया गया कि शंभूदास ने सब कुछ बता दिया है तो वह टूट गई और उस ने भी अपना जुर्म कबूल लिया कि नाणदे (भांजे) के साथ उस के अवैध संबंध थे. तब पुलिस ने मृतक सुरेश साद के भाई की रिपोर्ट पर सुरेश की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और हत्यारोपी शंभूदास और किरण को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस टीम ने शंभूदास और किरण को 8 जनवरी, 2020 को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया और कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई वह इस प्रकार से है—

राजस्थान के नागौर जिले के अंतर्गत एक कस्बा मूंडवा आता है. मूंडवा के छोर पर तालाब है, जहां मंदिर बना है. इस मंदिर के पुजारी साद परिवार के लोग हैं. इस साद परिवार में सुरेश साद थे. सुरेश साद की शादी करीब 12 साल पहले किरण से हुई थी. सुरेश मंदिर में पुजारी का काम करने के अलावा पशुधन भी रखता था. पशुधन के अलावा वह गांव में यजमानों के घर से अनाज व आटा भी लाता था. इस से उस के परिवार की गुजरबसर आराम से होती थी. सुरेश साद सीधासादा व सरल स्वभाव का व्यक्ति था. वह अपनी पूजापाठ व गृहस्थी में मस्त था. समय के साथ सुरेश की पत्नी किरण 4 बच्चों की मां बन गई थी. 4 बच्चे पैदा करने के बाद भी 30 साल की किरण की आकांक्षाएं अब भी जवान थीं.

सुरेश की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह दिन भर पूजापाठ के अलावा पशुओं में खटता था और थकामांदा रात को आ कर बिस्तर पर सो जाता और खर्राटे भरने लगता. जबकि किरण शारीरिक सुख के लिए तड़प कर रह जाती थी. ऐसे में करीब ढाईतीन साल पहले जब शंभूदास अपनी ननिहाल मूंडवा आया तो वह मामी किरण की आंखों को भा गया. शंभूदास भी 18 साल का था. वह इंटरनेट पर अश्लील फिल्में देख कर औरत का सामीप्य पाने को आतुर था. ऐसे में जब उस की निगाह सांवलीसलोनी मामी किरण पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. वह मामी पर लार टपकाने लगा.

मामी भी कोई नादान नहीं थी कि नाणदा (भांजे) के व्यवहार को न समझती. शंभूदास मामी के शरीर को छूने की कोशिश करता. सुरेश एक रोज बाहर गया था. उस रोज रात में एक ही कमरे में सो रहे शंभूदास और किरण मामी के बीच शारीरिक संबंधों की नींव पड़ गई. उस रात शंभूदास और किरण ने जी भर कर हसरतें पूरी कीं. किरण को कई साल बाद उस रात शारीरिक सुख की तृप्ति मिली थी. वह शंभूदास के पौरुष की कायल हो गई. वे दोनों अपना मामीभांजे का पवित्र रिश्ता शर्मसार कर बैठे थे. एक बार वासना के गर्त में डूबे तो उस में वक्त के साथ डूबते ही चले गए. शंभूदास अकसर ननिहाल के चक्कर काटने लगा. ननिहाल आने का मकसद सिर्फ मामी किरण थी. दोनों मौका मिलते ही हसरतें पूरी कर लेते.

शंभूदास का ननिहाल था. मगर जब वह महीने में 3-4 बार आने लगा तो सुरेश को थोड़ा अजीब लगा. एक दिन उस ने कहा, ‘‘शंभू, कुछ कामधंधा करो. अब तुम बच्चे नहीं हो, जो गाहेबगाहे यहां चले आते हो. बहन और बहनोई सा को कुछ कमा कर दो. वे कितने दिन तक तुम सब का पेट भरेंगे.’’ मामा सुरेश की बात शंभू को कांटे की तरह चुभ गई. मगर वह कुछ बोला नहीं. इस के बाद शंभूदास महीने में एक बार आने लगा. किरण उसे फोन कर के कहती कि मामा की बात का बुरा नहीं मानो, वह ऐसे ही हैं. तुम्हारे बगैर मैं जल बिन मछली की तरह तड़पती हूं. आ कर मेरी तड़प शांत तो किया करो. यह तनमन सब तुम्हारा है. ऐसे में शंभूदास को आना ही पड़ता था. उस का मन तो मामी को छोड़ने का होता ही नहीं था. मगर बिछुड़ने की मजबूरी थी.

इस कारण मन मार कर दोनों को जुदाई सहनी पड़ती थी. सुरेश सीधासादा जरूर था मगर वह नासमझ नहीं था. वह अपने भांजे शंभू के आने पर पत्नी के चेहरे पर खुशी की लकीरें देखता था. शंभू के जाने पर किरण का चेहरा मुरझा जाता था. तब सुरेश को इन के संबंधों पर शक होने लगा. अगली बार जब शंभूदास ननिहाल आया तो सुरेश साद ने वह सब अपनी आंखों से देख लिया जिस का उसे शक था. सुरेश ने किरण और भांजे शंभूदास को रंगरलियां मनाते देख लिया. पत्नी के इस रूप को देख कर सुरेश हतप्रभ रह गया. शंभू के आने पर पत्नी के चेहरे की खुशी का यह राज है, जान कर वह परेशान हो गया. वह करे तो क्या? अगर बात खुली तो जगहंसाई होगी.

सोचविचार कर सुरेश ने किरण से एकांत में कहा, ‘‘अपने जैसा शंभू को भी बना दिया. वह तेरे बेटे जैसा है. उस के साथ रंगरलियां मनाने से पहले तू मर क्यों नहीं गई. अगर आज के बाद तू शंभू से मिली तो मैं तुझे जान से मार दूंगा.’’

सुन कर किरण के पैरों तले से जमीन सरक गई. वह नजरें नीची किए जमीन कुरेदती रही. उस ने पति से अपने किए की माफी मांगी और कहा कि वह अब शंभू से कभी नहीं मिलेगी. उस का यहां आना बंद करा देगी. किरण ने त्रियाचरित्र दिखाया तो भोलाभाला सुरेश समझा कि वह सुधर जाएगी. उस ने बीवी को माफ कर दिया. मगर यह सुरेश की गलतफहमी थी. किरण ने शंभू को बता दिया कि उस के मामा ने उन दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया है. वह सचेत रहे. शंभू और किरण एकदूसरे के सामीप्य को तरस उठे. सुरेश उन्हें राह का कांटा लगा. उसे हटाए बिना वे मिल नहीं सकते थे. ऐसे में दोनों ने योजना बना ली. योजना यह थी कि शंभूदास छिप कर कुल्हाड़ी ले कर किरण के घर आ कर नीचे वाले कमरे में छिप जाएगा.

रात में सुरेश बरामदे में ही सोता था. सुरेश को नींद आने पर किरण खाली गिलास जमीन पर गिराएगी. यह इशारा मिलते ही शंभूदास सो रहे मामा सुरेश साद को कुल्हाड़ी से मार देगा और रात के अंधेरे में वापस चला जाएगा. मामा के रास्ते से हटने के बाद उन दोनों का मिलन रोकने वाला कोई नहीं होगा. साजिश के तहत शंभूदास 4 जनवरी, 2021 को शाम होते ही कुल्हाड़ी ले कर किरण के घर पहुंच गया. किरण ने उसे सारी योजना समझा कर नीचे कमरे में छिपा दिया. उस समय सुरेश पशुओं को चारा डालने गया हुआ था. चारा डाल कर सुरेश घर लौटा और फिर खाना खा कर फिर से पशु देखने गया. उस के बाद आ कर बरामदे में सो गया.

रात के 12 बजे किरण ने खाली गिलास नीचे पटका. शंभूदास के लिए यह एक इशारा था. इशारा मिलते ही सधे कदमों से शंभू कमरे से निकला और बरामदे में आ गया. उस समय सुरेश गहरी नींद में था. पलक झपकने की देर में शंभूदास ने कुल्हाड़ी का वार सो रहे मामा सुरेश पर किया. उस ने एक के बाद एक 4 वार सुरेश पर किए. खून का फव्वारा फूट पड़ा. वह मौत की नींद सो गया. शंभूदास अपना काम कर के चला गया. सुबह होने पर किरण ने योजना के अनुसार उठ कर बरामदे में जा कर रोनाधोना शुरू किया. तब घर के अन्य लोग वहां आए. फिर मूंडवा थाने में सूचना दी गई. पुलिस घटनास्थल पर पहुंची व मौका मुआयना किया.

रिमांड अवधि के दौरान शंभूदास से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी, खून सने कपड़े और मोबाइल भी बरामद कर लिया गया. एसपी श्वेता धनखड़ ने सुरेश साद हत्याकांड का खुलासा करते हुए प्रैसवार्ता की. रिमांड अवधि पूरी होने पर शंभूदास व किरण को पुलिस ने कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

 

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