Delhi News : 22 वर्षीय कोमल और 26 वर्षीय मोहम्मद आसिफ की पिछले 4 सालों से गहरी दोस्ती थी. कैब ड्राइवर आसिफ उसे जीजान से चाहता था, इसलिए वह उसे इधरउधर घुमाता और शौपिंग कराता था. फिर एक दिन आसिफ ने कार में ही कोमल की न सिर्फ हत्या कर दी, बल्कि उस की लाश को गहरे नाले में ठिकाने लगा दिया. आखिर बौयफ्रेंड क्यों बना कातिल?
उत्तरपूर्वी दिल्ली के सुंदरनगरी के रहने वाले 26 वर्षीय मोहम्मद आसिफ का चेहरा उदास था. वह बहुत परेशान नजर आ रहा था. उस का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. वह कैब ड्राइवर था. उस की कैब बुक करने के लिए सुबह से कितने ही फोन आ चुके थे, लेकिन वह किसी की बुकिंग स्वीकार नहीं कर रहा था. उस दिन वह सुबह उठ कर वह नहाया भी नहीं था, बस बिस्तर में पड़ा हुआ कुछ सोच रहा था. उस के विचारों में कौन है, यह केवल वही जानता था, लेकिन उसी के खयालों में वह खोया हुआ था और परेशान हुए जा रहा था. उस का मोबाइल उस के पास ही पड़ा हुआ था. जिस पर उस वक्त किसी का मैसेज फ्लैश हो रहा था.
एकाएक आसिफ का ध्यान मोबाइल पर चला गया. उस ने मोबाइल उठा कर मैसेज पढ़ा, ‘यार, तुम्हें कितनी बार फोन किया है, तुम फोन ही नहीं उठा रहे हो. खैरियत तो है? हार कर मैसेज करना पड़ा है. फोन कर के बताओ, क्या बात है? —मोहम्मद जुबैर उर्फ जावेद.’
आसिफ ने काल डिटेल्स में देखा, जुबैर की 4 मिस्ड काल थीं. आसिफ को हैरानी हुई, वह इतना परेशान था कि किसी की काल आने का भी पता नहीं चला.
कुछ सोच कर आसिफ ने जुबैर को फोन लगाया. जुबैर को जैसे यकीन था कि आसिफ फोन जरूर करेगा. उस ने तुरंत आसिफ की काल अटेंड कर ली, ”हां आसिफ, कहां बिजी हो तुम, मेरा फोन भी नहीं उठा रहे हो?’’
”बस, ऐसे ही यार…’’ आसिफ धीरे से बोला.
”चलो, हम कनाट प्लेस चलते हैं, मुझे पालिका बाजार से 2 जींस खरीदनी हैं.’’
”तुम जाओ जुबैर, मेरी कहीं आने जाने की इच्छा नहीं है.’’
”क्यों? घर में पड़ेपड़े क्या मुरगी के अंडे निकाल रहे हो.’’ जुबैर झल्ला कर बोला, ”तुम्हारे कहने पर तो मैं जहन्नुम तक चलने को तैयार हो जाता हूं.’’
”कहा न जुबैर, मेरा मूड नहीं है. आज तुम अकेले चले जाओ.’’ आसिफ ने कह कर फोन काट दिया.
उस ने फोन को टेबल पर रख दिया और एक गहरी सांस लेने के बाद वह फिर खयालों में डूब गया.
कुछ ही देर हुई थी कि बाहर के दरवाजे पर आहट हुई. आसिफ दरवाजा धकेल कर अंदर आ रहा था.
”क्या हुआ है तुझे? आज तूने मुझे पहली बार कहीं चलने से इंकार किया है.’’ जुबैर अंदर आ कर कुरसी पर बैठते हुए बोला, ”तेरी तबियत तो ठीक है न?’’
”तबियत ठीक है.’’ आसिफ मरी सी आवाज में बोला.
”तो तेरा चेहरा क्यों मुरझाया हुआ है?’’
”ऐसे ही.’’
”ऐसे तो नहीं है आसिफ, कुछ बात जरूर है जो तू मुझ से छिपा रहा है.’’
”कोई बात नहीं है जुबैर, मैं ठीक हूं.’’
”तुझे मेरी कसम है, बता क्या बात है?’’ जुबैर इस बार आसिफ के हाथ को पकड़ कर जिद्ïदी स्वर में बोला.
आसिफ ने गहरी सांस ली और बोला, ”मैं कोमल को ले कर परेशान हूं जुबैर.’’
”कोमल! उसे क्या हुआ है. वह तो तेरी चाहत है, उस पर तू जान छिड़कता है यार.’’
”वह कई दिनों से मुझ से बात नहीं कर रही है जुबैर.’’
”कमाल है.’’ जुबैर मुसकराया, ”वह किसी घरेलू टेंशन से परेशान होगी, इसलिए बात नहीं कर रही है. यह कोई टेंशन का इशू नहीं है आसिफ.’’
”टेंशन का ही विषय है. कोमल मुझ से नहीं किसी दूसरे लड़के से बातें करने लगी है. मैं ने उसे ऐसा करते हुए 2-3 बार देखा है.’’
”तू कोमल से पूछ लेता कि वह दूसरे लड़के में दिलचस्पी क्यों ले रही है?’’
”पूछा है यार.’’ आसिफ धीरे से बोला, ”कोमल कहती है, मैं किसी से बात करती हूं तो तुम्हें जलन क्यों हो रही है. मैं तुम्हारी दासी नहीं हूं, जो तुम्हारे कहने पर चलूं. अब बता, मैं क्या करूं?’’
”तू एक बार कोमल से मिल कर उसे समझा दे, उस पर पहला हक तेरा है. तेरी उस से मोहब्बत 4 साल पुरानी है, वह तुझे धोखा नहीं दे सकती.’’ जुबैर ने समझाया.
”वह फिर वैसा ही जवाब देगी.’’ आसिफ ने निराशा भरे स्वर में कहा.
”देख आसिफ, हमारी डिक्शनरी में लिखा होता है जिसे चाहो, उस को अपना बनाओ. वह सिर्फ अपनी होनी चाहिए. यदि वह ऐसा नहीं करती जो उस के पर कतर दो.’’
”तू कहना क्या चाहता है.’’ आसिफ ने चौंक कर जुबैर की तरफ देखा.
”देख, तू आज कोमल से मिल कर साफसाफ पूछ ले कि उस के मन में क्या है. वह तुझे चाहती है या किसी और को. यदि वह किसी और को चाहती है तो उस का टेंटुआ दबा कर किस्सा खत्म कर दो. बेकार की टेंशन मत पालो.’’
आसिफ ने सिर झटका, ”तू कहता है तो मैं ऐसा ही करूंगा. चल, अब तू कहां चलना चाहता है.’’
”हम कनाट प्लेस जा रहे हैं.’’ जुबैर उठते हुए बोला, ”तू फटाफट तैयार हो जा, मैं बाहर खड़ा हूं.’’
आसिफ ने जल्दीजल्दी फ्रैश हो कर कपड़े चेंज किए और बाहर आ गया. कुछ देर में ही दरवाजे को ताला लगा कर वह जुबैर के साथ कनाट प्लेस जाने के लिए निकल पड़ा था.
आसिफ ने क्यों की गर्लफ्रेंड की हत्या
12 मार्च, 2025 बुधवार का दिन था. आसिफ शाम को 5 बजे ही अपनी कैब ले कर निर्माण विहार पहुंच गया था. उस ने कैब को एक तरफ पार्क कर लिया और मोबाइल निकाल कर कोमल का नंबर मिलाया. दूसरी ओर घंटी बजी. पहली बार में उस की काल अटेंड नहीं की गई तो उस ने फिर ट्राई किया. दूसरी बार में उस का फोन उठा लिया गया.
कोमल का झुंझलाया हुआ स्वर उभरा, ”क्या बात है, मुझे बारबार फोन क्यों मिला रहे हो?’’
”कोमल, आज मेरा मूड बहुत अच्छा है. मैं तुम्हें आइसक्रीम खिलाना चाहता हूं.’’
”मेरे को आइसक्रीम नहीं खानी है आसिफ.’’
”क्यों? तुम्हें तो मैंगो फ्लेवर वाली आइसक्रीम बहुत पसंद है.’’
”हां, लेकिन आज मेरी तबियत खराब है, मैं आइसक्रीम नहीं खाऊंगी.’’ कोमल का स्वर कुछ नरम हो गया.
”चलो, कुछ और खा लेना. मैं तुम्हें शौपिंग भी करवाना चाहता हूं.’’
”अरे! कहीं गड़ा खजाना हाथ लग गया है क्या?’’ कोमल ने उपहास भरे स्वर में कहा, ”तुम्हारी जेब में मैं ने इकट्ठे 5 सौ रुपए भी कभी नहीं देखे.’’
”हर समय एक जैसा नहीं रहता कोमल. आज मेरी जब में 5 हजार रुपए हैं, तुम बढिय़ा सा सूट खरीद लेना.’’
”हूं.’’ कोमल ने स्वीकार करते हुए कहा, ”कहां पर हो तुम?’’
”मैं यहीं दिल्ली के निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के सामने खड़ा हूं.’’ आसिफ ने अपनी लोकेशन समझा दी. फिर पूछा, ”कितनी देर में आ रही हो कोमल?’’
”आधाएक घंटा लग सकता है, इस वक्त प्रीत विहार में थोड़ा जाम लगा होता है, फिर भी मैं पहुंच जाऊंगी.’’
”मैं इंतजार कर रहा हूं.’’ आसिफ ने कहने के बाद फोन काट दिया. वह पुश्त से लग गया और आराम से लेट गया.
करीब 40 मिनट में ही कोमल उस की कैब के पास आटो से आ गई. वह काफी खुश नजर आ रही थी. उसे देख कर आसिफ ने कैब का दरवाजा खोल दिया. कोमल अंदर बैठ गई. आसिफ ने कैब को आगे बढ़ा दिया, वह नई दिल्ली की तरफ कैब ले जा रहा था.
”हम कहां जा रहे हैं?’’
”मैं आज तुम्हें नई मार्केट दिखाऊंगा कोमल. तुम बैठी रहो. हम बस 10-15 मिनट ने वहां पहुंच जाएंगे.’’
आसिफ ने मुसकराते हुए कहा और कैब की स्पीड बढ़ा दी. काफी देर बाद एक सुनसान सड़क का किनारा देख कर आसिफ ने कैब को रोक लिया.
”यह तुम मुझ को कहां ले आए हो आसिफ?’’ कोमल परेशान स्वर में बोली.
”घबराओ मत यार, मैं तुम्हें घर पहुंचा दूंगा. तुम पानी पी लो, गरमी कुछ ज्यादा है.’’ आसिफ ने अपनी पानी की बोतल कोमल को देते हुए कहा.
कोमल ने बोतल ले ली और ढक्कन खोल कर पानी पीने लगी. आसिक उस का चेहरा देखता रहा.
”ऐसे क्यों देख रहे हो?’’ कोमल ने मुसकरा कर पूछा.
”देखने में तुम कितनी भोली और शरीफ लगती हो कोमल.’’
”वो तो मैं हूं ही.’’ कोमल इठला कर बोली.
”हो नहीं, मेरे सामने बन जाती हो.’’ आसिफ गंभीर हो गया, ”तुम्हें मैं 4 साल से प्यार करता हूं, लेकिन अब तुम मुझे कुछ दिनों से भाव नहीं दे रही हो.’’
कोमल ने आसिफ को घूरा, फिर शब्दों को चबाते हुए बोली, ”तुम मुझे यह सब सुनाने के लिए यहां लाए हो क्या?’’
”मुझे आज तुम से फैसला करना है कोमल.’’ आसिफ गंभीर हो गया, ”मुझे बताओ, तुम मुझे प्यार करती हो या नहीं?’’
”मैं इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगी आसिफ, यह मेरे दिल पर निर्भर करता है कि मैं किसी को प्यार करूं या न करूं.’’ कोमल शुष्क स्वर में बोली, ”तुम मुझे कैब से उतार दो, मैं आटो कर के घर चली जाऊंगी.’’
”ऐसे कैसे चली जाओगी, तुम्हें मेरी बात का जवाब देना है पहले. मुझे बताओ, आज तुम्हारे को महसूस हो रहा है कि दिल जिसे चाहेगा, उसी से करोगी. अगर ऐसा है तो मुझ से 4 साल से क्या प्यार करने का नाटक कर रही थी? क्या तुम्हें मैं बेवकूफ नजर आता था?’’
”मैं ने ऐसा कभी नहीं सोचा आसिफ, तुम मेरे घर के नजदीक रहते हो, उस नाते मैं तुम से हंसतीबोलती रही हूं.’’
”नहीं, वह पड़ोस में रहने वाला प्यार नहीं था कोमल, तुम मुझे चाहती थी. मेरे एक इशारे पर मेरे साथ शौपिंग करने चल देती थी, मेरे साथ पार्कों में टहलती थी, लेकिन अब तुम्हारी नजरें बदल गई हैं. सिर्फ इसलिए कि अब तुम्हारी जिंदगी में दूसरा युवक आ गया है.’’
कोमल चुप रही.
”मैं ने कई बार तुम्हें किसी युवक से हंसहंस कर बातें करते देखा है, उसी की वजह से तुम ने मुझ से किनारा करना अब शुरू कर दिया है.’’
”यह तुम्हारी सोच है आसिफ, मेरी जिंदगी में कोई और नहीं आया है.’’
”झूठ मत बोलो कोमल, मैं ने तुम्हें अपनी आंखों से एक युवक से कई बार बात करते देखा है. बताओ, वह कौन है और कहां रहता है?’’
”बता दूंगी तो क्या करोगे तुम?’’ कोमल ऐंठ कर बोली.
”मैं उस का खून कर दूंगा, फिर तुम्हारी भी जान ले लूंगा.’’ आसिफ गुस्से से चीख कर बोला, ”बताओ, वह कौन है?’’
”नहीं बताऊंगी.’’ कोमल कंधे झटक कर बोली और उस ने कार का दरवाजा खोलने के लिए हैंडल की तरफ हाथ बढ़ाया.
आसिफ ने उस का हाथ झटक कर एक थप्पड़ कोमल के गाल पर रसीद कर दिया.
”तेरी ये हिम्मत… तू मुझ पर हाथ उठाएगा.’’ कोमल चीखी, ”आज मैं पछता रही हूं तेरे जैसे आदमी को मुंह लगा कर. तू आवारा और बदतमीज है.’’
आसिफ का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. गुस्से में वह अपना होश खो बैठा. उस ने कोमल को बगल की सीट पर गिरा दिया और दोनों हाथों से गला पकड़ कर दबाने लगा. कोमल की सांसें फंसीं तो वह जोरजोर से हाथपांव पटकने लगी. आसिफ अपने हाथों का दबाव बढ़ाता चला गया, वह तब रुका, जब कोमल निर्जीव हो गई. आसिफ के होश लौटे तो वह घबरा गया. कोमल की आंखें गले पर गहरा दबाव पडऩे से बाहर फैल गई थीं.
आसिफ ने जल्दी से मोबाइल निकाल कर जुबैर का नंबर मिलाया. दूसरी तरफ जुबैर ने फोन उठाया तो आसिफ कांपती आवाज में बोला, ”जुबैर, मैं ने कोमल को मार डाला है. उस की लाश कैब में है, अब मै क्या करूं.’’
”तू घबरा मत आसिफ, मुझे बता इस वक्त तू कहां पर है?’’
”यह दिल्ली के द्वारका का इलाका है, तू आ जा दोस्त.’’ कहने के साथ आसिफ ने अपनी कैब की स्थिति समझा दी.
”मैं आ रहा हूं आसिफ. तू कैब में ही रह, दरवाजा तब तक मत खोलना, जब तक मैं तेरे पास न आ आऊं!’’ जुबैर ने आगाह किया और फोन काट दिया.
दोनों दोस्तों ने इत्मीनान से लगाई लाश ठिकाने
आसिफ कोमल की लाश के पास बैठ गया. उस की सांसें भारी होने लगी थीं और दिल बुरी तरह घबरा रहा था. करीब एक घंटे बाद आटो कर के जुबैर आसिफ के पास पहुंच गया. अब तक रात का अंधेरा अच्छी तरह जमीन पर उतर आया था. जुबैर को देख कर आसिफ की घबराहट कम हुई. जुबैर अपने साथ नायलौन की रस्सी लाया था. कैब में घुस कर जुबैर ने कोमल की लाश के हाथपांव नायलौन की रस्सी से बांध दिए. आसिफ चुपचाप खड़ा था.
”आसिफ, हम इसे आसपास किसी नदीनाले में डाल देते हैं. यह डूब जाए, इस के लिए एक भारी पत्थर लाश के साथ बांधना होगा हमें. तुम कैब चलाते हो, सोचो यहां आसपास कोई नाला है?’’
आसिफ ने दिमाग दौड़ाया और फिर धीमे से बोला, ”नजफगढ़ में एक गहरा नाला है. हम लाश वहां फेंक सकते हैं.’’
”तो कैब चलाओ और सुनसान जगह पहुंच कर नाले के पास कैब को रोक देना.’’
”ठीक है.’’ आसिफ ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. उस ने कैब स्टार्ट कर के आगे बढ़ा दी. नजफगढ़ में नाले के पास पहुंच कर एक सुनसान जगह पर उस ने कैब रोक दी. जुबैर के साथ वह कैब से उतरा. यहां गहरा सन्नाटा था.
जुबैर ने एक भारी पत्थर तलाश किया और कोमल की लाश के साथ बांध दिया. फिर आसिफ को इशारा किया. दोनों ने कोमल की लाश को कैब से निकाल कर नजफगढ़ नाले में डाल दिया.
”अब कोमल की कहानी का लव चैप्टर यहां पर समाप्त हो गया है. कल से नारमल जिंदगी जिओ. रोज की तरह कैब चलाओ, ताकि कोई तुम पर संदेह न करे.’’ जुबैर ने समझाया तो आसिफ ने सिर हिला कर इस बात को स्वीकार करने की स्वीकृति दी. अब यहां रुकना खतरा मोल लेना था. दोनों चुपचाप कैब में बैठ गए. आसिफ अब कैब को सावधानी से नंदनगरी की ओर ले जा रहा था.’’
12 मार्च, 2025 को उधर कोमल की मम्मी विमला देवी की नजरें बारबार घड़ी की तरफ जा रही थीं. रात के 9 बजने को आ गए थे, लेकिन बेटी कोमल अभी तक घर नहीं लौटी थी. और दिन तो वह 7 बजे ही ड्ïयूटी से घर आ जाती थी.
विमला देवी के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरने लगीं. कोमल अंगदनगर में स्थित एक औफिस में नौकरी करती थी. जब घड़ी की सूइयां और आगे बढऩे लगीं तो परेशान हो कर विमला देवी ने अपने बेटे अजय को आवाज लगाई, ”अजय …ओ अजय, यहां आ.’’
अजय बाहर बैठा मोबाइल देख रहा था. वह उठ कर मम्मी के पास आ गया, ”हां मम्मी, क्या कह रही हो?’’
”बेटा, आज कोमल तभी तक घर नहीं आई है, साढ़े 9 बजने को आ गए हैं. तू जरा मालूम तो कर वह कहां रह गई है?’’
”मम्मी, कोमल बच्ची नहीं रह गई है, औफिस से लेट निकली होगी, आ जाएगी.’’ अजय ने कहा.
”तू फोन तो कर ले, कोमल को घर आने में कभी इतनी देर नहीं हुई है. मालूम करने में तेरा क्या जा रहा है.’’ विमला देवी ने अपनी बात पर जोर दिया तो अजय ने मोबाइल निकाल कर कोमल का नंबर मिलाया.
कोमल के फेमिली वाले हुए परेशान
दूसरी ओर से फोन स्विच्ड औफ होने की सूचना मिली. अजय ने 2-3 बार और ट्राई किया. कोमल का फोन स्विच्ड औफ होने की जानकारी बारबार मिलती रही.
अजय के माथे पर बल पड़ गए. वह परेशान हो कर बड़बड़ाया, ‘कोमल कहां रह गई. उस का फोन क्यों स्विच औफ आ रहा है.’
”क्या हुआ बेटा?’’ विमला देवी ने बेटे को परेशान देख कर पूछा.
”मम्मी, कोमल का फोन नहीं लग रहा है.’’ अजय परेशान स्वर में बोला, ”अब समय भी ज्यादा हो गया है, कहां रह गई यह लड़की. और दिन तो समय से घर आ जाती थी.’’
”तू जा कर पता लगा, जवान लड़की का इतनी देर तक घर न लौटना, अच्छी बात नहीं है. जमाना खराब है.’’ विमला देवी की आवाज में कंपन था.
”मैं जा कर देखता हूं मम्मी.’’ अजय ने कहा और चप्पलें पहन कर वह घर से बाहर निकल गया.
अजय अपनी बहन कोमल की 2-3 सहेलियों के नाम और घर जानता था. बर्थडे पार्टी या किसी जरूरी काम से कोमल उसे अपने साथ उन सहेलियों के घर ले जा चुकी थी.
अजय ने उन सहेलियों के घर जा कर मालूम किया, लेकिन तीनों के यहां से पता चला कोमल आज उन से न तो मिली है, न उस से फोन पर बात हुई है.
निराश हो कर अजय वहां से निकल कर कोमल के अंगदनगर में स्थित औफिस में गया. वहां ताला लगा हुआ था. अजय को वहां से भी निराश लौटना पड़ा. उस ने हर संभावित स्थान पर कोमल की तलाश की, लेकिन वह उसे नहीं मिली.
अब रात के साढ़े 12 बज गए थे. कोमल की गुमशुदगी दर्ज करवाने का इरादा ले कर अजय उत्तरपूर्वी दिल्ली के नंदनगरी थाने में पहुंच गया.
ड्यूटी अफसर ने उसे ऊपर से नीचे तक देख कर पूछा, ”क्या हुआ है?’’
”सर, मेरी बहन कल सुबह काम पर गई थी, लेकिन वह अभी तक घर नहीं लौटी है. मैं उस की गुमशुदगी लिखवाना चाहता हूं.’’
”देखो, किसी के गुम होने की रिपोर्ट 24 घंटे बाद लिखी जाती है. तुम्हारी बहन पढ़ीलिखी है, अपनी मरजी से कहीं रुक गई होगी. तुम कल तक इंतजार करो, वह घर लौट कर आ जाएगी. नहीं आई तो हम रिपोर्ट लिख लेंगे.’’ ड्यूटी अफसर ने गंभीर स्वर में कहा तो अजय चुपचाप घर लौट आया.
कोमल पूरी रात घर नहीं लौटी. फेमिली वाले पूरी रात सो नहीं पाए. दिन निकलने पर अजय ने फिर बहन की तलाश शुरू की, लेकिन कोमल का कुछ पता नहीं चला.
गहरे नाले में मिली कोमल की लाश
अजय रिश्तेदारों को साथ ले कर फिर नंदनगरी थाने में पहुंच गया. उसे वहां से उत्तरपूर्वी जिले के ही सीमापुरी थाने में जा कर बहन की गुमशुदगी दर्ज कराने की सलाह दी गई. अजय सीमापुरी थाने में पहुंच गया. वहां उस की रिपोर्ट एफआईआर नंबर 126/25 पर लिखी गई. पुलिस ने अजय से कोमल की तसवीर ले कर सभी थानों में फ्लैश कर दी, लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी कोमल का कुछ पता नहीं चल पाया. उधर 17 मार्च, 2025 की सुबह 8 बज कर 40 मिनट पर दिल्ली के द्वारका जिले के थाना छावला में सूचना मिली कि नजफगढ़ नाले (नजदीक बाड़ूसराय गांव) में एक लड़की की लाश पानी पर तैर रही है.
छावला थाने के एसएचओ राजकुमार मिश्रा अपने साथ एसआई दीपक, एएसआई बहादुर, हैडकांस्टेबल भूपेंद्र, महेंद्र, हेतराम और एटीओ सुरेंद्र कुमार को साथ ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे, वहां अच्छीखासी भीड़ जमा हो चुकी थी. नाले के पानी में एक जवान लड़की की फूली हुई लाश तैर रही थी. लड़की के हाथपांव प्लास्टिक की डोरी से बंधे दिख रहे थे. एसएचओ राजकुमार मिश्रा ने एक पुलिसकर्मी को गहरे नाले में उतारा, वह तैरना जानता था. उस ने लाश के पास पहुंच कर उसे किनारे की ओर लाना चाहा तो वह किसी चीज में अटकी हुई मिली.
पुलिसकर्मी ने नीचे टटोल कर देखा तो उसे लाश किसी भारी पत्थर से बंधी महसूस हुई. उस ने चाकू मंगवाया और लाश से बंधी डोरी को काट कर पत्थर से अलग कर दिया. फिर वह लाश को बड़े आराम से खींच कर किनारे पर ले आया. लाश को दूसरे पुलिस वालों ने बाहर निकाल कर जमीन पर लिटा दिया. एसएचओ राजकुमार मिश्रा ने लाश की जांच की तो उस जवान युवती की हत्या गला दबा कर की गई प्रतीत हुई. वह हरे रंग की नायलौन रस्सी से बंधी थी और उस की पैंट कमर से नीचे खिसकी हुई थी. युवती के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले.
पानी में डुबोने के लिए उस के हाथपांव और बौडी को रस्सी से बांध कर बड़े पत्थर के साथ पानी में डाला गया था, ताकि वह किसी को ऊपर सतह पर नजर न आए. लाश फूल कर हलकी हुई तो ऊपर सतह पर आ गई. मृतका की उम्र 20-22 साल के आसपास थी. उस की तलाशी में पुलिस को कुछ नहीं मिला तो उन्होंने फोरैंसिक जांच के लिए टीम को बुला लिया. साथ ही डीसीपी अंकित सिंह को भी इस लाश की जानकारी दे दी.
थोड़ी देर में उच्चाधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश का मुआयना कर के वह आवश्यक निर्देश दे कर चले गए. फोरैंसिक टीम आ कर अपने काम में लग गई थी. एसएचओ ने भीड़ को लाश की शिनाख्त करने के लिए कहा, लेकिन भीड़ में से कोई उस लड़की को नहीं पहचानता था. इस से अनुमान लगाया गया कि लाश को कहीं दूसरी जगह से ला कर यहां पर फेंका गया है.
उन्होंने कागजी काररवाई पूरी की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए राव तुलाराम अस्पताल में भिजवा दिया. थाने में लौट कर इस मामले को दर्ज कर लिया गया. युवती की शिनाख्त जरूरी थी. इस के लिए उस के पोस्टर छपवा कर छावला तथा द्वारका क्षेत्र में चिपकाए गए, लेकिन 2 दिन बीत जाने पर भी कोई भी जानकार सामने नहीं आया. पुलिस अपने तरीके से मृतका की पहचान करने की कोशिश कर थी. उन्हें 19 मार्च को मालूम हुआ कि उत्तरपूर्वी दिल्ली के सीमापुरी थाने में एक हफ्ता पहले कोमल नाम की एक युवती के किडनैपिंग का मामला दर्ज किया था. पुलिस ने शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर ले कर फोन मिलाया तो कोमल के भाई अजय को लगा.
घंटी बजने पर अजय ने फोन उठा कर धीमे स्वर में कहा, ”मैं अजय बोल रहा हूं, आप कौन हैं?’’
”मैं छावला थाने से एसआई दीपक बोल रहा हूं. क्या आप की ओर से सीमापुरी थाने में किसी लड़की की किडनैपिंग का मामला दर्ज कराया गया था अजयजी?’’
अजय कुमार खुशी से चहक पड़ा, ”वह मेरी बहन है साहब. कोमल नाम है उस का, क्या वह आप को मिल गई है?’’
”एक लड़की की लाश हमें नजफगढ़ ड्रेन से मिली है, आप आ कर शिनाख्त करें. आप को राव तुलाराम अस्पताल की मोर्चरी में आना है, लाश अभी वहीं है.’’
”मैं 1-2 घंटे में अस्पताल पहुंच रहा हूं साहब.’’ अजय रो देने वाले स्वर में बोला और फिर काल कट होने पर वह अपने रिश्तेदारों के साथ राव तुलाराम अस्पताल के लिए निकल गया.
दोनों आरोपी ऐसे चढ़े पुलिस के हत्थे
डेढ़ घंटे बाद वे लोग राव तुलाराम अस्पताल की मोर्चरी में पहुंच गए. वहां एसआई दीपक कुमार और एटीओ (एडिशनल एसएचओ) सुरेंद्र कुमार मिल गए. उन्होंने उन्हें मोर्चरी में ले जा कर लड़की की लाश दिखाई तो देखते ही कोमल की मम्मी, दादी गश खा कर गिर पड़ीं. अजय फफकफफक कर रोने लगा. रोतेरोते ही बोला, ”यह मेरी बहन कोमल है साहब, इस की यह हालत किस ने की?’’
”हम जांच कर रहे हैं. जहां लाश मिली है, वहां के सीसीटीवी फुटेज चैक किए जा रहे हैं. आप बताएं, कोई ऐसा व्यक्ति आप की पहचान में है, जो आप की बहन का दुश्मन रहा हो?’’ एसआई दीपक ने पूछा.
”दुश्मन तो नहीं साहब, एक युवक है जो काफी दिनों से मेरी कोमल के पीछे पड़ा है. एक बार मैं ने उसे गुस्से में थप्पड़ भी मार दिया था साहब. वह मेरी बहन का पीछा करता था.’’ अजय ने बताया.
”उस का नाम बताइए,’’ एटीओ सुरेंद्र ने कौतूहल से पूछा.
”उस का नाम मोहम्मद आसिफ है. मेरी गली में ही रहता है और कैब ड्राइवर है.’’
एसआई दीपक ने यह जानकारी थाना छावला में दी तो एसएचओ राजकुमार मिश्रा ने तुरंत अपनी टीम को तैयार किया और एसआई दीपक से मोर्चरी के बाहर अजय को साथ ले कर खड़े मिलने को कहा. एटीओ सुरेंद्र और एसआई दीपक अपने साथ अजय को ले कर मोर्चरी से बाहर आ गए. थोड़ी देर में छावला थाने की पुलिस जीप वहां आ गई. उस में एसएचओ राजकुमार मिश्रा टीम के साथ मौजूद थे. उन तीनों को उन्होंने साथ लिया और उत्तरपूर्वी दिल्ली के सुंदरनगरी के लिए रवाना हो गए. रास्ते से उन्होंने थाना सीमापुरी से एक पुलिस टीम को सुंदरनगरी आने को कह दिया.
करीब एक घंटे बाद छावला थाना के साथ सीमापुरी थाने के पुलिस दल से सुंदर नगरी में अजय द्वारा बताए घर को घेर लिया. वह घर मोहम्मद आसिफ का था. उस समय वह घर में ही था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस का मोबाइल एसएचओ ने अपने कब्जे में ले कर जांच की तो उस की काल डिटेल्स में 12 मार्च, 2025 की शाम 5 से 6 बजे के बीच कोमल से बात करने की डिटेल्स मिल गई. यह आसिफ को शक के दायरे में ले आया. थाने में आसिफ से कड़ी पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह 4 साल से कोमल को प्यार करता था. कोमल भी उसे चाहती थी, लेकिन कुछ दिनों से कोमल किसी और लड़के से बात करने लगी थी. इस से वह कोमल से खफा था.
12 मार्च को उस ने कोमल को दिल्ली के निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन पर बुलाया तो वह आ गई. उसे ले कर वह द्वारका के इलाके में आ गया. उस ने कोमल से उस लड़के से बात करने का कारण पूछा तो वह गुस्से में बोली, ”वह जिसे चाहेगी, उस से बात करेगी.’’
उस ने मुझे बुराभला भी कहा तो मैं ने गुस्से में उस का गला दबा कर मार डाला. फिर अपने दोस्त मोहम्मद जुबैर उर्फ जावेद के साथ मिल कर कोमल के हाथपांव बांध कर एक पत्थर से बांध कर उसे नजफगढ़ के नाले में फेंक दिया. आसिफ ने अपने दोस्त जुबैर का घर दिखा दिया. वह पास में ही स्थित ओ ब्लौक, गली नंबर 2 में रहता था. उस के पिता का नाम मोहम्मद सलीम खान था. जुबैर घर में ही था.
उसे पकड़ कर थाना सीमापुरी लाया गया. उस ने भी अपना गुनाह कुबूल कर लिया. दोनों को दूसरे दिन सक्षम न्यायालय में पेश किया गया तो दोनों को जेल भेज दिया गया. कोमल का शव परिजनों को सौंप दिया गया. कथा लिखने तक पुलिस हत्या से संबंधित पुख्ता सबूत एकत्र करने में लगी थी. Delhi News