Maharashtra Crime News : 26 वर्षीय गौरी अनिल सांब्रेकर और 36 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर राकेश खेडेकर रिश्ते में ममेरेफुफेरे भाईबहन थे, लेकिन साथसाथ स्टडी करने के दौरान उन में प्यार हो गया. प्यार भी ऐसा कि दोनों ने अपने पेरेंट्स की मरजी के खिलाफ लव मैरिज कर ली. दोनों बेहद खुश थे. फिर एक दिन राकेश ने पत्नी गौरी को चाकू से गंभीर रूप से घायल कर जिंदा ही सूटकेस में पैक कर दिया. आखिर राकेश ने ऐसा क्यों किया?

राकेश खेडेकर अपनी पत्नी गौरी अनिल सांब्रेकर से परेशान आ गया था. वह उस के मम्मीपापा का बहुत अपमान करती थी. इतना ही नहीं, वह अपनी ननद को भी बहुत परेशान किया करती थी. आए दिन घर में झगड़ा रहता था. जिंदगी एक तरह से नरक बन कर रह गई थी. राकेश के मम्मीपापा के लिए तो गौरी गले की ऐसी हड्डी बन गई थी, जिसे न वह उगलने के थे और न ही निगलने के. राकेश उन का इकलौता बेटा था. उस के मम्मीपापा और बहन उसे बहुत प्यार करते थे. फेमिली के लोगों में बहुत सामंजस्य था. गौरी से शादी के बाद जीवन में रोज किचकिच होने लगी.

आपसी झगड़े में एक दिन गौरी ने राकेश की मम्मी यानी अपनी सास पर हाथ उठा दिया. इस से राकेश को इतना गहरा आघात लगा कि उस ने अपनी पत्नी गौरी को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली. गौरी एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करती थी. राकेश भी नौकरीपेशा था. दोनों के सामने कोई आर्थिक संकट भी नहीं था. फरवरी, 2025 में राकेश ने अपनी पत्नी को बताया कि उसे बेंगलुरु से एक औफर मिला है. बेंगलुरु में उसे अच्छे पैकेज पर भेजा जा रहा है, इसलिए अब महाराष्ट्र छोड़ कर बेंगलुरु जाना पड़ेगा.

गौरी को राकेश की नीयत पर शक नहीं हुआ. घर के झगड़े से गौरी भी परेशान थी. वह भी चाहती थी कि वह राकेश के साथ अलग मकान में रह कर जवानी के बचे लम्हों का भरपूर आनंद उठाए. गौरी ने भी उसे कह दिया, ”चलो, मैं यह नौकरी छोड़ कर आप के साथ बेंगलुरु चलने को तैयार हूं, लेकिन आप वादा करो कि मुझे वहां कोई न कोई नौकरी तलाश कर के देंगे.’’

गौरी के पिता

”यह कौन सी बड़ी बात है.’’ राकेश ने कहा, ”बेंगलुरु बहुत बड़ा शहर है. व्यावसायिक केंद्र है. यहां नौकरियों की कोई कमी नहीं है. आप ने मास मीडिया और कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रखी है, हो सकता है कोई पत्रकारिता क्षेत्र में भी अच्छी जौब मिल जाए.’’

”चलो, देखते हैं.’’ दोनों हंसीखुशी के साथ महाराष्ट्र से बेंगलुरु पहुंच गए. यहां पर हुलीमाबु थाना क्षेत्र के डोडा कम्मनहल्ली में स्थित एक कालोनी में फ्लैट किराए पर ले कर रहने लगे. 36 वर्षीय राकेश दिन भर घर पर ही रह कर कंपनी का काम किया करता था. वह अपनी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर प्रमोट हो कर गया था.

पत्नी को मारने के लिए ले गया बेंगलुरु

26 वर्षीय गौरी घर पर रह कर बोर होती रहती थी, लेकिन उस ने राकेश से कभी कोई शिकायत नहीं की. उस ने अपना बायोडाटा कई जगह नौकरी के लिए भेजा, लेकिन कोई सफलता हासिल नहीं हुई. राकेश बहुत परेशान था. गौरी उस से अब कोई झगड़ा नहीं कर रही थी. राकेश को फ्लैट से बाहर निकलने का मौका मिलता नहीं था. किचन में जाने का यहां उस का कोई काम भी नहीं था. किचन पूरी तरह से गौरी संभाल रही थी. राकेश के मन में यह बात बैठ चुकी थी कि किसी तरह गौरी को खत्म करना ही है. वह उसे ठिकाने लगाने के नएनए तरीके खोजता.

एक दिन राकेश के दिमाग में आया कि कोई जहरीला पदार्थ ला कर गौरी को चाय में मिला कर पिला दिया जाए, जिस से उस की जिंदगी तमाम हो जाए. लेकिन ऐसा कोई मौका यहां उस के हाथ नहीं लग रहा था. शहर में जानपहचान के अभाव में कहीं से जहरीला पदार्थ ले कर आ नहीं सकता था. यदि किसी तरह ले भी आता तो गौरी को उस के किचन में जाने से ही शक हो जाता. गौरी से राकेश चिड़चिड़ा कर भी बातें करता था. गौरी उस के गुस्से को नौर्मल कर के अपनी बाहों में ले लेती. यहां किसी का कोई आनाजाना भी नहीं था. मस्ती में दिन कट रहे थे.

राकेश संबंधों में थोड़ी सी खटास पैदा होने की प्रतीक्षा कर रहा था. तभी अचानक गौरी ने एक दिन आरोप लगाया कि तुम मेरी नौकरी लगवाने के लिए जरूरी कोशिश नहीं कर रहे हो. इस तरह उसे तकरार करने का बहाना मिल गया. वह घर से 700 किलोमीटर दूर सिर्फ पत्नी गौरी को ठिकाने लगाने के इरादे से आया था, वरना अपने बूढ़े मम्मीपापा को इस हालत में अकेला छोड़ कर इतनी दूर नौकरी करने क्यों आता. यहां आने के लिए कंपनी को रिक्वेस्ट राकेश ने ही की थी. 26 मार्च, 2025 को दोनों ने दिनभर मस्ती से गुजारा. शाम को शहर में टहलने चले गए. घर लौटते समय उन्होंने शराब और नाश्ते का सामान खरीदा. रात साढ़े 7 बजे के आसपास वे घर पहुंचे. रात को गौरी ने खाना बनाया.

राइस और एक सब्जी बनाई. राइस उस ने कुकर में बनाए थे. डाइनिंग टेबल पर रात को दोनों बैठे. राकेश ने पैग बनाए. दोनों ने कांच के गिलासों को टकरा कर शराब पीने की शुरुआत करने की परंपरा पूरी की. घूंटघूंट कर के दोनों मस्ती में पीते रहे. डाइनिंग टेबल पर बैठे गौरी और राकेश को हलकाहलका सुरूर आने लगा. राकेश के दिल में जो कुछ चल रहा था, वह उसे अंजाम तक पहुंचाने के बारे में सोचने लगा. इसी बीच गौरी से उस की नौकरी न लगवाए जाने की बात को ले कर तकरार शुरू हो गई. गौरी ने अचानक उठ कर राकेश के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया. राकेश जैसे ही उठने को हुआ, गौरी किचन में चली गई.

राकेश को अपनी तरफ आता देख गौरी ने सब्जी काटने वाला चाकू राकेश को मारने की नीयत से फेंका. चाकू राकेश की कलाई से टकरा कर जमीन पर गिर गया. कलाई में खरोंच से हलकी चोट भी आ गई. राकेश ने चाकू उठाया और अपनी योजना को अंजाम देते हुए गौरी के पेट में घुसेड़ दिया, जिस से वह गंभीर रूप से घायल हो गई. दरअसल, गौरी राकेश की फुफेरी बहन थी. दोनों परिवारों में मधुर संबंध थे. गौरी के पेरेंट्स ने पढ़ाई करने के लिए उसे उस के मामा के घर भेज दिया. उन दिनों राकेश भी पढ़ाई कर रहा था. दोनों एक ही कमरे में बैठ कर स्टडी करते थे.

दोनों में भाईबहन जैसा अटूट रिश्ता था. वह हर रक्षाबंधन पर भाइयों की तरह राकेश की कलाई पर राखी बांधा करती थी. राकेश भी अपनी बहन गौरी का हर तरह से खयाल रखता. रक्षाबंधन के वचन को भी निभाता. दोनों का भाईबहन का प्रेम और पढ़ाई सब कुछ सही तरह से चल रहा था. गौरी अनिल सांब्रेकर महाराष्ट्र की मिट्टी से जुड़ी एक ऐसी शख्सियत थी, जिस में सादगी और आकर्षण का अनूठा संगम था. उस की शारीरिक बनावट मध्यम कदकाठी की थी, जो भारतीय महिलाओं की पारंपरिक सुंदरता को दर्शाती थी. उन का रंग गोरा गुलाबी मिश्रित था, जो सूरज की किरणों में और भी निखर उठता था. गौरी की बड़ीबड़ी आंखें उन की आत्मा का आईना थीं, जिन में कभी हंसी की चमक तो कभी विचारों की गहराई झलकती थी.

उस के लंबे, घने और काले बाल उस की कमर तक लहराते थे, जो उस की सादगी में एक शाही अंदाज शामिल था. गौरी जब अपने बालों को खुला छोड़ती थी तो हवा में लहराते उस के बाल किसी चित्रकार को चित्र बनाने का एक नया आइडिया प्रदान करते. उस की मुसकान में एक अनकहा जादू था, जो सामने वाले को सहज ही आकर्षित कर लेता था. गौरी के होंठ पतले और नाजुक थे, जिन पर हलकी गुलाबी लिपस्टिक उस की सुंदरता को और उभार देती थी. गौरी जब चलती थी तो शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दे रही हो. उस की चाल में आत्मविश्वास झलकता था, जो उस की मजबूत और स्वतंत्र सोच को दर्शाता था. गौरी की हंसी और बातचीत का अंदाज बेहद जीवंत था.

उस के चाहने वालों की भी कोई कमी नहीं थी. जिधर से भी वह गुजरती, युवाओं की आंखें उस का दूर तक पीछा करतीं. लेकिन वह किसी युवक को भी पास फटकने भी नहीं देती. उस की कामुक जवानी ऐसे ही व्यतीत हो रही थी. पढ़ाई पूरी हो चुकी थी और उसे जौब भी मिल गई थी. राकेश खेडकर का व्यक्तित्त्व बाहरी रूप से शांत और सधा हुआ लगता था. राकेश की कदकाठी औसत से थोड़ी ऊंची लगभग 5 फीट 10 इंच थी. उस का शरीर न तो बहुत भारी था और न ही बहुत पतला, उस की आंखें गहरी भूरी थीं, जिन में हमेशा एक सोचती हुई झलक दिखाई देती थी. बाल करीने से कटे हुए और भौहें घनी और थोड़ी उलझी हुई थीं, जो उन के चिंतनशील स्वभाव को दर्शाती थीं.

उस के चेहरे पर एक ऐसा भाव रहता था, जिसे देख कर कोई भी सोचता कि यह युवक काफी पढ़ालिखा, शांत और संवेदनशील होगा. लड़कियों के लिए वह आकर्षण का केंद्र हुआ करता था, लेकिन किसी लड़की से उस की करीबी दोस्ती नहीं हुई. यह कहिए कि पढ़ाई की धुन में वह प्यारव्यार के चक्कर से दूर ही रहना चाहता था. कोई लड़की करीब आना भी चाहती थी तो वह उसे बहुत नौर्मल तरीके से टाल दिया करता था और उस से किनारा कर लेता था. भरपूर जवानी चेहरे से झलकती थी. फिल्मी हीरो के स्टाइल में रहा करता था. पढ़ाई पूरी करने के बाद राकेश की भी नौकरी लग चुकी थी. दोनों ही अब जवानी के उफान पर थे.

एक दिन अचानक भाईबहन के रिश्ते का भरम खत्म हो गया. बात करीब 6 साल पहले की है. कहते हैं कि मानव जीवन की 2 आवश्यकताएं होती हैं. पहली पेट पूजा और दूसरी सैक्स. यह दोनों भाईबहन एकदूसरे को सैक्स की आवश्यकता की नजर से देखने लगे थे. यह अहसास दोनों को ही था. दोनों के अंदर प्यार का अंकुर फूट चुका था. अंदर ही अंदर ज्वालामुखी की तरह प्यार का शोला दोनों के दिलों में धधक रहा था. पहल कौन करे, दोनों ही इस कशमकश में दिन बिता रहे थे. एक दिन गौरी राकेश के पास आ कर लेट गई. राकेश गहरी नींद में सो रहा था. गौरी की आंखों से नींद कोसों दूर थी. उस दिन वह प्यार का इजहार करने का इरादा कर चुकी थी.

पुरानी कहावत है कि फूस और चिंगारी यदि संपर्क में आ जाए तो आग लगने और भड़कने से कोई नहीं रोक सकता. एक बार रात को गौरी राकेश के बिस्तर पर चली गई और उस के अंगों से छेड़छाड़ करने लगी. राकेश अपना संयम खो बैठा. उस ने करवट बदल कर गौरी को अपनी बाहों में कस लिया और देखते ही देखते भाईबहन का पवित्र रिश्ता तारतार हो गया.

सासससुर की गौरी करने लगी बेइज्जती

कहते हैं कि इश्क और मुश्क को छिपाया नहीं जा सकता. बात राकेश के फेमिली वालों को पता चली और फिर गौरी के पेरेंट्स तक भी पहुंच गई. दोनों ने ही अपनेअपने बच्चों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पर कोई असर नहीं हुआ. इस तरह से दोनों 4 साल तक दोनों रिलेशनशिप में रहते रहे. गौरी ने राकेश पर दबाव बनाया कि वैवाहिक जीवन में हमें शामिल हो जाना चाहिए. राकेश ने अपने पेरेंट्स के सामने गौरी से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन राकेश के पेरेंट्स यह सुन कर आगबबूला हो गए. कहने लगे कि हम समाज को क्या मुंह दिखाएंगे.

दोनों ने अपने लाडले बेटे को बुरी तरह से लताड़ा और शादी करने से साफ इनकार कर दिया. इसी तरह गौरी ने भी अपने पेरेंट्स से राकेश से विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने भी साफ इनकार कर दिया. फेमिली वालों परिवार की रजामंदी के बिना दोनों ने विवाह कर लिया. यह एक प्रेम विवाह था. विवाह के बाद घर में लड़ाईझगड़ा रहने लगा. गौरी के साथ राकेश के पेरेंट्स का बरताव सही नहीं था. गौरी उन्हें एक आंख नहीं भाती थी. इस से गौरी का भी रवैया आक्रामक हो गया. वह भी ईंट का जवाब पत्थर से देने लगी. राकेश को यह बात अच्छी नहीं लगती थी. वह अपने मम्मीपापा और बहन का इतना अपमान सहन नहीं कर सकता था. तब उस ने गौरी की हत्या करने का इरादा बना लिया.

सूटकेस में मिली गौरी की लाश

एक दिन मकान मालिक ने दक्षिणपूर्व पुलिस कंट्रोल रूम को हत्या की जानकारी दी. कंट्रोल रूम से थाना हुलिमाबू को सूचित किया गया. दक्षिणपूर्व बेंगलुरु के हुलिमाबु थाना क्षेत्र का इस इलाके में डोडा कंबन हल्ली एक जगह लगती है, यहीं पर स्थित एक फ्लैट में राकेश और गौरी करीब डेढ़ महीने पहले शिफ्ट हुए थे. इस फ्लैट को पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया. भारी पुलिस बल देख कर आसपास के लोग हैरान हो गए. पुलिस ने मकान मालिक को बुलाया. उस ने पुलिस को बताया कि सूचना मिली है कि इस में रहने वाले किराएदार ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी है. मकान में बाहर से ताला लगा था. उस की चाबी मकान मालिक के पास नहीं थी.

पुलिस ने ताला तुड़वा कर अंदर प्रवेश किया. मकान साफसुथरा नजर आया. घर में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला, जिस से लगे कि यहां कोई हत्या की गई है. पुलिस के साथ आसपास के लोग भी घर में आ गए थे. उन्हें भी बड़ा आश्चर्य हुआ. तभी पुलिस ने बाथरूम का दरवाजा खोला. उस में एक बड़ा सा, नया सा, साफसुथरा सूटकेस रखा हुआ था. पुलिस को यह अंदाजा नहीं था कि इस में लाश हो सकती है. फिर भी पुलिस को शक हुआ कि इतना बड़ा सूटकेस बाथरूम में क्यों रखा है. उस का करीब से मुआयना किया तो उस का हैंडल टूटा हुआ था. पुलिसकर्मियों ने सूटकेस को बाथरूम से बाहर निकाला और खोल कर देखा तो उस में महिला की लाश पैक कर के रखी गई मिली, जिस की उम्र लगभग 32 साल थी.

पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्वी) सारा फातिमा भी मौके पर पहुंचीं और जांच की. उन्होंने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए. पंचनामा भरने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस कमिश्नर (बेंगलुरु) बी. दयानंद भी महिला की निर्मम हत्या से काफी चिंतित थे. वे मामले की पलपल की जानकारी अधिकारियों से प्राप्त करते रहे. फ्लैट के मालिक से मरने वाली युवती की पहचान हो गई. पता चला कि गौरी अनिल सामब्रेकर राकेश की पत्नी है. मूलरूप से महाराष्ट्र के ही रहने वाले थे. दोनों डेढ़ महीने पहले बेंगलुरु में शिफ्ट हुए थे. राकेश यहां एक सौफ्टवेयर कंपनी में काम करता था.

लेकिन फिर सवाल यह था कि आखिर गौरी का कत्ल किस ने किया? उस के पति राकेश ने या फिर किसी और ने? मकान मालिक से पूछने पर पता चला कि उसे घर में गौरी की लाश पड़ी होने की जानकारी खुद उस के पति राकेश ने किसी के जरिए फोन पर दिलवाई थी. बेंगलुरु की पुलिस इस खोज में लगी थी कि हत्या करने वाला व्यक्ति कौन है और कहां का है. पुलिस कंट्रोल रूम में जिस नंबर से फोन आया था, पुलिस उस फोन करने वाले तक पहुंच गई. उस व्यक्ति को जिस ने फोन कर हत्या की सूचना दी थी, उस के पास तक पुलिस पहुंचने में लगी हुई थी. इसी बीच महाराष्ट्र के एक थाने से बेंगलुरु पुलिस को फोन द्वारा सूचना मिली कि बेंगलुरु के हुलिमाबु थानाक्षेत्र में गौरी नाम की युवती का हत्यारा पकड़ लिया गया है. यह बात 27 मार्च, 2025 की है.

यह सूचना मिलते ही बेंगलुरु पुलिस महाराष्ट्र पहुंच गई और उस ने राकेश को अपनी कस्टडी में ले लिया. फिर वह उसे स्थानीय कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर ले कर बेंगलुरु लौट आई. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में सामने आया कि राकेश ने 3 बार चाकू से गौरी पर वार किया, जिस के बाद गौरी का बहुत ज्यादा खून निकल गया और गौरी की तड़पतड़प कर वहीं पर मौत हो गई. हत्या के बाद राकेश ने अच्छी तरह मकान की साफसफाई की. खून के धब्बे साफ कर दिए गए.

फिर गौरी की लाश को ठिकाने लगाने की कोशिश की. गौरी की डैडबौडी को सूटकेस में भी पैक कर दिया, लेकिन मुश्किल यह थी कि राकेश को बेंगलुरु के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. वर्क फ्रौम होम होने की वजह से वह घर से बाहर नहीं जाता था. इसलिए उसे यह आइडिया नहीं आया कि डैडबौडी को कहां ठिकाने लगाया जाए. राकेश को खयाल आया कि किसी न किसी किराए की कार में सूटकेस रख कर घर से निकला जाए और अंधेरे में कहीं सुनसान जगह पर कार रुकवा कर सूटकेस ठिकाने लगा दिया जाए.

आखिर में राकेश ने गौरी की लाश वाले सूटकेस को फ्लैट से बाहर निकालने के लिए सूटकेस का हैंडल पकड़ कर खींचा तो सूटकेस तो नहीं खिंचा, उलटा उस का हैंडल टूट कर हाथ में आ गया. अब तो राकेश के होश उड़ गए. हैंडल टूटते ही वह परेशान हो गया. वह इतना भारी सूटकेस उठा कर नहीं ले जा सकता था और दूसरा सूटकेस इतनी रात में कहीं मिलेगा नहीं. इसलिए वहां से अकेले ही निकल कर भागने में भलाई समझी. फिर वह सूटकेस को बाथरूम में छोड़ कर घर में ताला लगा कर वह बेंगलुरु से बाहर चला गया.

करीब 700 किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद उस को खयाल आया कि गौरी की लाश अगर घर वालों को, परिवार वालों को, पुलिस वालों को या आसपास के लोगों को 7-8 दिन के बाद या 10 दिन के बाद मिलेगी तो लाश पूरी तरह से खराब हो जाएगी. आखिर वो थी तो उस की बीवी ही, इसलिए उस ने परिवार वालों को सूचना दे देना उचित समझा, ताकि वह उस का अंतिम संस्कार कर सकें. वह बेंगलुरु से महाराष्ट्र के सतारा आया. वहां से उस ने अपने मकान मालिक को फोन किया और पत्नी की हत्या की बात कबूल करते हुए इस की जानकारी पुलिस को देने को कहा. इस के बाद राकेश ने अपने पापा को फोन किया और वारदात की पूरी डिटेल बता दी.

राकेश ने की आत्महत्या की कोशिश

उस ने अपने पापा से यह भी कह दिया कि वह गौरी के पेरेंट्स को भी यह खबर दे दें. इस के बाद राकेश ने अपने पापा से कहा कि वह सरेंडर करने पुलिस स्टेशन जा रहा है और हो सकता है थाने पहुंचने से पहले वह सुसाइड कर ले. पिता ने उसे ऐसा करने से मना किया, लेकिन राकेश ने फोन काट दिया. उसी दिन महाराष्ट्र के सतारा जिले की पुलिस को सूचना मिली कि शिरवल क्षेत्र में होंडा सिटी कार के अंदर एक व्यक्ति बेहोशी जैसी हालत में है, कार न तो कोई मूवमेंट कर रही है. कार ऐसी जगह पर आ कर खड़ी है, जिस से लोगों को आनेजाने में दिक्कत हो रही है.

तभी स्थानीय शिरवल थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिसकर्मियों ने कार में बैठे हुए व्यक्ति को आवाज लगाई, लेकिन वह सुन नहीं पा रहा था. पुलिस ने किसी तरह दरवाजा खोला तो पता चला कि कोई व्यक्ति ड्राइविंग सीट पर बेहोशी सी हालत में बैठा है, जिस की उम्र लगभग 36 साल के आसपास है. पुलिस उसे तुरंत नजदीकी डीन ससून अस्पताल ले कर पहुंची. वहां उस का इलाज शुरू हुआ. डाक्टरों ने बताया कि इस ने फिनाइल जैसा कोई जहरीला पदार्थ पी लिया है, जिस की वजह से इस की तबीयत बिगड़ रही है.

आखिरकार उसे होश आया तो पता चला कि उस का नाम राकेश खेडेकर है, जो बेंगलुरु में अपनी पत्नी गौरी सांब्रेकर की हत्या कर के आया है. राकेश को पुणे में 27 मार्च, 2025 की शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. वह बारबार अपनी पत्नी के पास जाने की बात कह रहा था. डा. एकनाथ पवार ने राकेश का इलाज किया था. उन के अनुसार वह मानसिक रूप से परेशान होने का नाटक कर रहा था, लेकिन वह बिलकुल ठीक था और सहानुभूति पाने की कोशिश कर रहा था. उधर गौरी की पोस्टमार्टम से पता चला कि चाकू के 2 वार उस की गरदन पर, एक वार पेट में किया गया था. सूटकेस में बलगम की मौजूदगी से पता चला कि गौरी उस समय जीवित थी, जब उसे पैक किया गया. उस की मृत्यु सूटकेस में दम घुटने से हुई.

एक पढ़ालिखा सौफ्टवेयर इंजीनियर अपनी बीवी को मारने, उस का कत्ल करने से देशभर में चर्चा में है. फिर एक पति के हाथों पत्नी की हत्या हो गई. ऐसी खबरें आए दिन अखबारों और सोशल मीडिया पर सुर्खियां बन रही हैं. सब से दुखद बात यह है कि इस तरह की खबरें अब किसी को चौंकाती नहीं हैं. जीवन भर साथ निभाने का वादा करने वाले छोटीछोटी बात पर एकदूसरे की जान ले रहे हैं. सब से खास बात यह है कि लव मैरिज में भी अब यह मामले होने लगे हैं. अरेंज मैरिज को पिछड़ा मौडल मान कर आधुनिक जीवन पद्धति में प्रवेश करने वाले लोग अब चिंतित हैं.

कहीं पत्नी किसी से लव कर के पति की हत्या कर रही है. जबकि इन लव रिलेशन के बाद कई साल तक एकदूसरे को परखने बरतने और प्रैक्टिकल से गुजरने के बाद पति राकेश ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी, समाज के लिए यह विचारणीय प्रश्न है. सौफ्टवेयर इंजीनियर जैसे उच्चशिक्षित व्यक्ति ने इतना जघन्य अपराध किया, पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया. पुलिस ने राकेश खेडकर को जेल भेज दिया है. Maharashtra Crime News

 

 

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