Hindi Suspense Stories : छत्रसाल स्टेडियम से अपने कुश्ती के करियर की शुरुआत करने वाले सुशील पहलवान ने अपनी मेहनत के बूते विश्व भर में अपनी पहचान बनाई. देश ने भी उन्हें अपार मानसम्मान दिया. लेकिन जिस स्टेडियम ने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचाया, उसी स्टेडियम में सुशील पहलवान ने अपनी ताकत और गुरूर का ऐसा नंगा नाच किया कि…

कहते हैं कि शोहरत ऐसा नशा है जो सिर चढ़ कर बोलता है. क्योंकि शोहरत से ताकत और पैसा दोनों मिलता है. जिस इंसान के पास पैसा और ताकत दोनों हों तो स्वाभाविक है कि ताकत का नशा उस के सिर चढ़ कर बोलने लगता है. आमतौर पर कुश्ती लड़ने वाले ऐसे पहलवान जो शोहरत की बुलंदियों को छू लेते हैं, उन के सिर पर ताकत का ऐसा ही नशा सवार हो जाता है. सुशील पहलवान ऐसा नाम है, जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. दुनिया का यह नामचीन पहलवान भी ताकत के इसी नशे का शिकार हो गया. वैसे तो पूरी दुनिया सुशील पहलवान के बारे में जानती है लेकिन कहानी शुरू करने से पहले थोड़ा सुशील पहलवान के बारे में जान लेना जरूरी है.

दिल्ली के नजफगढ़ इलाके के बपरोला गांव में 26 मई, 1983 को दीवान सिंह और कमला देवी के सब से बड़े बेटे के रूप में सुशील कुमार का जन्म हुआ. साधारण परिवार में जन्मे सुशील 3 भाइयों के परिवार में सब से बड़े हैं. सुशील के पिता दिल्ली परिवहन निगम में एक बस ड्राइवर के रूप में कार्यरत थे और अपने विभाग में कुश्ती खेलते थे. इसीलिए बचपन से सुशील को भी कुश्ती के खेल का शौक ऐसा लगा कि किशोर उम्र तक आतेआते न सिर्फ कुश्ती लड़ने लगे, बल्कि ओलंपिक में पदक जीतना जिंदगी का लक्ष्य बन गया. सुशील जब 14 साल के थे तो उत्तर पश्चिम दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में स्थित ‘अखाड़ा’ या कुश्ती अकादमी में एक पहलवान के रूप में उन्होंने दाखिला ले लिया.

जहां प्रसिद्ध पहलवान महाबली सतपाल उन के प्रशिक्षक थे. सुशील ने बपरोला के स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद जब दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन ले कर स्नातक की पढ़ाई शुरू की तो वे पूरी तरह दिल्ली के हो कर रह गए. पद्मश्री उपाधि प्राप्त जानेमाने पहलवान महाबली सतपाल की संगत में सुशील को पहलवानी के नए गुर सीखने को मिले और सुशील जल्द ही एक कुशल पहलवान बनने की तरफ तेजी से बढ़ने लगे.  सुशील पहलवानी के क्षेत्र में नाम कमाने के लिए दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रतिदिन सुबह 5 बजे से कुश्ती के दांवपेच सीखते और जम कर पसीना बहाते. कई राजकीय व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी पहलवानी का लोहा मनवाने के बाद सुशील कुमार ने जूनियर स्तर में प्रतिस्पर्धा शुरू की और सन 1998 में उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट जीता जब वे विश्व कैडेट खेलों में स्वर्ण पदक विजेता के रूप में उभरे.

पहली बार सन 2006 में दोहा एशियाई खेलों में सिलवर पदक जीता तो सब ने उन की प्रतिभा को लोहा मानना शुरू कर दिया. इस के बाद सुशील की सफलता की कहानी शुरू हुई तो उन्होंने देश का नाम कई बार रोशन किया. कनाडा में आयोजित राष्ट्रमंडल कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया तो उन की शोहरत का डंका बजने लगा. सन 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीता. सन 2010 में मास्को में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में सुशील कुमार ने इतिहास रचा, जब वे कुश्ती में विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने. उसी वर्ष उन्होंने दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में 66 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता.

2012 में उन्होंने एक बार फिर इतिहास रचा, जब उन्होंने लंदन ओलंपिक में 66 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में रजत पदक जीता और व्यक्तिगत ओलंपिक पदक वापस जीतने वाले पहले भारतीय बने. 2014 में सुशील कुमार ने स्कौटलैंड के ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. सुशील कुमार को सरकार ने रेलवे में खेल कोटे से नौकरी दी, जहां वे इन दिनों कार्यरत भी हैं. 2015 में उन्होंने टीवी शो एमटीवी रोडीज में सह जज के रूप में भी काम किया. सरकार ने भी किया सम्मानित सुशील के गले में बढ़ती चांदी, कांस्य और सोने के मैडलों की संख्या के साथ हरियाणा व दिल्ली सरकार के साथ केंद्र सरकार की तरफ से उन के ऊपर लाखोंकरोड़ों रुपए के पुरस्कारों की बरसात भी होने लगी.

सरकार ने देश का नाम रोशन करने के लिए सुशील कुमार को सन 2005 में अर्जुन पुरस्कार से, सन 2008 में भारत में सर्वोच्च खेल सम्मान, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया और सन 2011 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. 18 फरवरी, 2011 को जानेमाने पहलवान गुरु सतपाल की बेटी सावी सोलंकी से सुशील ने शादी की थी, जिन से साल 2014 में इस दंपति को जुड़वा बेटे पैदा हुए. ये थी सुशील पहलवान के शोहरत की कहानी जिस के कारण उन पर करोड़ों रुपए की बरसात हुई और उन्होंने लाखोंकरोड़ों की संपत्ति अर्जित की तथा देश और दुनिया के नामचीन लोगों से उन के संबध बने.

लेकिन 4 मई, 2021 की आधी रात को सुबह दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में जो कुछ हुआ, उस ने एक क्षण में शोहरत की बुलंदियां छूने वाले पहलवान सुशील कुमार के नाम को अर्श से फर्श पर ला दिया. दरअसल, पुलिस को 4 मई, 2021 को आधी रात करीब डेढ़ बजे छत्रसाल स्टेडियम में गोलियां चलने की सूचना मिली. पुलिस कंट्रोल रूम से मिली इस सूचना पर उत्तर पश्चिम जिले के इस स्टेडियम के अधीन पड़ने वाले मौडल टाउन थाने में रात की ड्यूटी पर तैनात इमरजेंसी अफसर एएसआई जितेंद्र सिंह अपने साथ पुलिस स्टाफ ले कर छत्रसाल स्टेडियम पहुंचे तो वहां पार्किंग में मारुति अल्टो, स्कौर्पियो, होंडा सिटी, फौरच्युचनर तथा ब्रेजा कारें तो खड़ी मिलीं, लेकिन ऐसा कोई आदमी नहीं मिला, जो घटना के चश्मदीद के तौर पर जानकारी दे पाता.

लेकिन इतना जरूर पता चला कि उन के आने से पहले पीसीआर की गाड़ी 3 ऐसे जख्मी व खून से लथपथ लोगों, जिन्हें शायद बुरी तरह पीटा गया था, को लेकर बाबू जगजीवनराम अस्पताल गई है. सुशील पहलवान का नाम आया सामने हालात जानने के बाद एएसआई जितेंद्र सिंह ने कुछ स्टाफ को सुरक्षा और निगरानी के लिए वहीं छोड़ा और खुद बाकी स्टाफ के साथ बाबू जगजीवन राम अस्पताल पहुंच गए. वहां पहुंचने पर पता चला कि जिन 3 लोगों को घायलावस्था में वहां लाया गया था, उन को इलाज के लिए निजी अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया गया है क्योंकि उन्हें गंभीर चोटें थीं.

घायलों के परिजन भी मौके पर आ चुके थे लिहाजा वे उन्हें दूसरे अस्पताल ले गए. घायल तो नहीं मिले अलबत्ता उन की पहचान सोनू (37) पुत्र सतवीर निवासी एमसीडी कालोनी दिल्ली, सागर (23) पुत्र अशोक निवासी एम 2 /1 मौडल टाउन (तृतीय), दिल्ली  और अमित कुमार (27) पुत्र महेंद्र निवासी अदरेती चावला, रोहतक (हरियाणा) के रूप में हुई. पुलिस ने तीनों घायलों के परिजनों के फोन नंबर व दस्तावेज हासिल कर लिए और आगे की काररवाई के लिए एएसआई जितेंद्र फिर से छत्रसाल स्टेडियम पहुंच गए. उन्होंने क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को मौके पर बुलवा लिया ताकि घटनास्थलल पर हुए झगड़े और मारपीट के साक्ष्य एकत्र किए जा सकें. एएसआई जितेंद्र सिंह ने पार्किंग में खड़ी पांचों गाडि़यों की एकएक कर तलाशी लेने का काम शुरू कर दिया.

जिस के बाद स्कौर्पियो कार की पिछली सीट पर एक दोनाली बंदूक व 3 जिंदा कारतूस मिले, जिन्हें पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. इस के अलावा पुलिस को लकड़ी के कुछ डंडे भी मिले, जिन पर खून के धब्बे लगे थे. तब तक पुलिस को कुछ लोगों से पूछताछ के बाद इस बात की भनक लग चुकी थी कि सोनू, सागर व अमित नाम के जिन युवकों को चोट लगने के कारण अस्पताल पहुंचाया गया था, उन की छत्रसाल स्टेडियम के ओएसडी (खेल) और जानेमाने पहलवान सुशील कुमार ने अपने साथियों के साथ मिल कर पिटाई की थी. चूंकि यह वारदात दिल्ली में चल रहे लौकडाउन के दौरान उस का उल्लंघन कर के हुई थी, इसलिए सूचना मिलते ही मौडल टाउन थाने के थानाप्रभारी दिनेश कुमार इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) प्रभांशु कुमार, इंसपेक्टर (एटीओ ) अमित कुमार तथा एसीपी (मौडल टाउन) विपुल बिहारी महिपाल भी घटनास्थल पर आ चुके थे.

घायल सागर पहलवान ने तोड़ा दम घटनास्थल पर जांच और लोगों से पूछताछ करने की औपचारिकता में भोर का उजाला हो चला था, जिस के बाद पुलिस ने पीसीआर को मिली काल व घटनास्थल पर की गई जांच के आधार पर मौडल टाउन थाने में भादंसं की धारा 308 (गैरइरादतन हत्या का प्रयास), 365 (अपहरण), 323 (मारपीट), 325 (गंभीर चोट पहुंचाना), 341 (रास्ता रोकना), 506 (जान से मारने की धमकी देना),188 (सरकारी आदेश का उल्लंघन), 269 (महामारी में जीवन को संकट में डालना), 120बी (आपराधिक साजिश), 34 (समान आशय) और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 /54 /59 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया, जिस की जांच का जिम्मा इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) प्रभांशु कुमार के सुपुर्द कर दिया गया.

अभी तक पुलिस की समझ में पूरा मामला आया भी नहीं था और जांच ठीक से शुरू भी नहीं हुई थी और यह भी पता नहीं चला था कि इस मामले में विवाद क्या था और असली गुनहगार कौन थे. तब तक पुलिस को सूचना मिली कि इस मामले में घायल एक युवक सागर धनखड़ (23) ने अस्पताल में दम तोड़ दिया है. मारपीट का यह मामला अचानक हत्या के मामले में तब्दील होते ही दिल्ली पुलिस के अधिकारी सक्रिय हो गए. मुकदमे में हत्या की धारा 302 भी जोड़ दी गई. उभरता हुआ पहलवान था सागर चूंकि सुशील कुमार देश के नामी पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता होने के साथ पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित हैं.

इस वारदात में उन का नाम सामने आते ही यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई कि छत्रसाल स्टेडियम में कुछ पहलवानों के बीच गैंगवार हुआ है. उत्तर पश्चिम जिला पुलिस की डीसीपी उषा रंगनानी व अतिरिक्त उपायुक्तडा. गुर इकबाल सिंह सिद्धू भी जयपुर गोल्डन अस्पताल पहुंचे, जहां सागर भरती था. हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला सागर धनखड़ देश का एक उभरता हुआ कुश्ती खिलाडी था. कुश्ती के गुर सीखने के लिए उस ने 14 साल की उम्र में ही दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास करना शुरू कर दिया था. 23 साल का सागर जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत चुका था. अस्पताल में मौजूद सागर के चाचा नरेंद्र ने बताया कि 5 बार ताइवान, चीन थाईलैंड जैसे देशों में जा कर सागर ने पदक भी जीते हैं.

उस का सपना ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतने का था. 4 दिन पहले ही वह घर से लौट कर आया था. लेकिन उस ने ऐसी कोई बात नहीं की थी, जिस से पता चल पता चले कि कोई झगड़ा है. परिवार वालों को उस ने बताया था कि वह कुछ दोस्तों के साथ मौडल टाउन (तृतीय) में किराए के फ्लैट में रह रहा था. सागर के पिता दिल्ली पुलिस में ही हैडकांस्टेबल के तौर पर काम कर रहे हैं. जबकि भाई पिछले 3 साल से आस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहा है. इस हादसे में घायल दूसरे पहलवान सोनू ने सुबह सागर के पिता को फोन कर वारदात की जानकारी दी थी. सागर के परिवार वालों के बयान लेने और उस का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने के बाद पुलिस ने प्राइवेट अस्पताल में दाखिल सोनू व अमित के भी बयान लिए.

दोनों ने इस वारदात के लिए पहलवान सुशील को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने पुलिस को वह वजह भी बता दी जिस कारण सुशील व उस के साथी पहलवानों ने उन्हें मारापीटा और सागर की इस हमले में जान चल गई. पुलिस की दरजनों पुलिस टीमें जुटीं इस वारदात में ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार के शामिल होने के कारण मामला काफी हाईप्रोफाइल हो गया था. इसलिए डीसीपी उषा रंगनानी को विशेष टीमें गठित कर आरोपियों की धरपकड़ करने के निर्देश दे कर पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने क्राइम ब्रांच की टीमों को सुशील की गिरफ्तारी का जिम्मा सौंप दिया.

पूरे घटनाक्रम की कडि़यां जोड़ कर पुलिस ने वारदात में शामिल आरोपी पहलवानों और बदमाशों की सूची बनानी शुरू कर दी और सभी के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स खंगाली जाने लगी तो पता कि दोपहर तक सुशील दिल्ली में ही मौजूद था. लेकिन दोपहर बाद उस के मोबाइल की लोकेशन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रही थी. लोकेशन के आधार पर स्पैशल सेल व क्राइम ब्रांच की टीमें मेरठ, मुजफ्फरनगर व हरिद्वार में छापेमारी करने के लिए भेज दी गईं. वारदात में शामिल ज्यादातर पहलवानों के मोबाइल फोन पुलिस को स्विच्ड औफ मिल रहे थे. उत्तर पश्चिम जिले के स्पैशल स्टाफ के साथ मौडल टाउन थाने की पुलिस ने सुशील के आवास पर छापा मारा और उस की पत्नी के अलावा ससुर सतपाल पहलवान तथा साले लव सहरावत समेत 20 से अधिक लोगों से पूछताछ की, लेकिन सुशील का कहीं पता नहीं चला.

इसीलिए पुलिस ने सुशील के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया, ताकि वह देश छोड़ कर भाग नहीं सके. मौडल टाउन थाना पुलिस ने सुशील समेत उस के खास सहयोगी जिन का नाम इस वारदात में सामने आया था अजय, मोहित, डौली, भूपेंद्र सहित 7 आरोपितों के खिलाफ रोहिणी कोर्ट से गैरजमानती वारंट भी हासिल कर लिए. कई पहलवान हुए गिरफ्तार पुलिस ने इस मामले में सब से पहले हरियाणा के आसोदा गांव निवासी प्रिंस दलाल को गिरफ्तार किया. उस के पास से एक दोनाली बंदूक और कारतूस भी बरामद हुए हैं. वारदात के तीसरे दिन मौडल टाउन थाना पुलिस ने 3 और आरोपित पहलवानों को गिरफ्तार किया.

पकडे़ गए आरोपियों में एक भूरा पहलवान है, उसे सोनीपत से गिरफ्तार किया गया है. पूछताछ में पता चला है कि भूरा पहलवान को मुख्य आरोपित ओलंपियन सुशील पहलवान ने वारदात के बाद फोन कर के बुलाया था और हरिद्वार में बाबा रामदेव के पतंजलि आश्रम तक छोड़ने के लिए उस से कहा था. भूरा सुशील को वहां छोड़ कर वापस हरियाणा चला गया, जहां से पुलिस ने उसे दबोच लिया था. उस के अलावा 2 अन्य आरोपियों भूपेंद्र पहलवान और अजय पहलवान को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अजय के पिता सुरेश बक्करवाला मौडल टाउन इलाके से कांग्रेस के निगम पार्षद हैं. सुरेश पहलवान (बक्करवाला) दिल्ली पुलिस का बरखास्त सिपाही है. सुरेश बक्करवाला को 1993 में 49 लाख रुपए लूटने के मामले में करोलबाग पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

इस मामले में सुरेश के अलावा दिल्ली पुलिस के ही बरखास्त सिपाही जगवीर उर्फ जग्गा को भी गिरफ्तार किया गया था. एक अन्य मामले में सुरेश सजायाफ्ता अपराधी है. सुरेश के पास से 1993 में चोरी का माल बरामद हुआ था. जबकि गिरफ्तार चौथे आरोपी भूपेंद्र के खिलाफ फरीदाबाद के थानों में उगाही और आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हैं. पुलिस ने इस मामले में पहले ही दिन 5 वाहन जब्त कर लिए थे. इस के बाद 4 अन्य वाहन बरामद करने के बाद अब तक 9 वाहन जब्त किए जा चुके हैं. पुलिस ने वारदात के बाद छत्रसाल स्टेडियम व उस के आसपास से सीसीटीवी की फुटेज बरामद की है, जिस में सुशील अपने साथियों के साथ सागर को पीटते नजर आ रहे हैं. उस के 3 साथियों सोनू, भगत सिंह और अमित की भी स्टेडियम की पार्किंग में पिटाई की जा रही थी. इन सभी ने अपने बयानों में पहलवान सुशील कुमार को ही मुख्य आरोपी बताया था.

सुशील आदि के पकड़े जाने के बाद ही  पता चलेगा कि असल में किस बात या मामले को ले कर पहलवानों के बीच यह खूनी गैंगवार हुई. लेकिन अभी तक पीडि़तों के बयान, पकड़े गए आरोपियों के बयान तथा पुलिस की जांच में सामने आया है कि छत्रसाल स्टेडियम में 4 मई की रात को पहलवानों के बीच जो खूनी दंगल हुआ था, उस की जड़ में एक विवादित प्रौपर्टी है, जिस पर कब्जा करने के लिए ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार ने इस खूनी खेल को अंजाम दिया था. हालांकि यह बात तो पूरी तरह तभी साफ हो पाएगी कि इस दंगल के कितने पहलवान और अपराधी शामिल थे, लेकिन यह बात साफ है कि इस वारदात के बाद दिल्ली में अखाड़ों के पहलवानों का पेशेवर अपराधियों के साथ गठजोड़ और पैसा कमाने के लिए अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने का खेल पूरी तरह सामने आ गया है.

करोड़ों की संपत्ति बनी विवाद की जड़ जांच में पता चला कि मौडल टाउन थर्ड में (एम 2/1) नंबर पर करोड़ों रुपए की एक संपत्ति है. इस संपत्ति का मालिक कौन है, यह तो पुलिस को भी अभी तक नहीं पता. लेकिन बताते हैं कि सुशील ने हरियाणा के कुख्यात बदमाश काला जठेड़ी की मदद से इस फ्लैट में रहने वाले लोगों को भगा कर इस पर कब्जा कर लिया था. इस के बाद इस फ्लैट के कागज तैयार कर के महंगे दामों पर बेचने तक काला जठेड़ी के एक साथी पहलवान सोनू महाल और पहलवान सागर आदि को उन के 1-2 साथियों के साथ वहां रहने के लिए छोड़ दिया.

बताते हैं कि सुशील ने अब इस मकान के लिए खरीदार तैयार कर लिए थे और वह सोनू तथा सागर से इस संपत्ति को खाली कराना चाहता था. लेकिन सोनू महाल ने काला जठेड़ी के इशारे पर संपत्ति खाली करने से इंकार कर दिया. इस बात को ले कर सुशील का उन से कुछ दिन पहले भी झगड़ा हुआ था. काला जठेड़ी ने उस समय समझौता करा दिया और सुशील से कह दिया कि संपत्ति बेच कर हिस्सा आपस में बांट लेंगे. इस फ्लैट में आने से पहले सागर धनखड़ स्टेडियम में ही रहता था. इधर सोनू महाल के साथ रहने के कारण सागर धनखड़ भी सुशील के कहने से बाहर हो गया था और सोनू की भाषा बोलता था. सुशील ने जब सोनू व सागर से फ्लैट खाली करने को कहा तो सागर ने सुशील से कह दिया कि फ्लैट कौन सा तुम्हारा खरीदा हुआ है.

जैसे तुम ने कब्जा किया वैसे ही अब हम ने कर लिया. और सागर व सोनू ने फ्लैट खाली करने से इंकार कर दिया. इस बात को जब काफी वक्त गुजर गया और समझाने पर भी सागर ने फ्लैट खाली नहीं किया तो सुशील ने 4 मई, 2021 की रात को अपने गुट के साथी पहलवानों व साथियों के साथ उस फ्लैट पर धावा बोल दिया, जहां सागर ने कब्जा कर रखा था. 4 मई की रात को सुशील अपने चेले पहलवानों और गुंडों के साथ उस संपत्ति पर गया. वहां से सोनू, सागर और अमित आदि को हथियार के बल पर उठा कर गाडि़यों में डाल कर स्टेडियम में ले गए. वहां पर इन सब को फावड़े के हत्थे से पीटा गया. इस दौरान गोलियां भी चलाई गईं.

बदमाश स्टेडियम में लेते थे शरण बताया जाता है कि काला जठेड़ी का काफी समय से स्टेडियम में आनाजाना रहता था. जांच में पता चला कि सुशील के साथ हरियाणा के कुख्यात काला जठेड़ी गिरोह के कई बदमाशों का उठनाबैठना था. स्टेडियम से जुड़े सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि फरारी के दौरान पुलिस से बचने के लिए ये बदमाश स्टेडियम में शरण लेते रहते हैं. बदले में पहलवान उन्हें रंगदारी, टेंडर और जमीन जायदाद के कब्जों को छुड़ाने के लिए इस्तेमाल करता था. दिलचस्प बात यह थी कि जिस रात ये वारदात हुई, दिल्ली में लौकडाउन लगा हुआ था. उस के बावजूद 5 गाडि़यों में सवार हथियारबंद पहलवान पहले मौडल टाउन गए, वहां से अपने शिकार को हथियारों की नोंक पर गाडि़यों में बैठाया और फिर छत्रसाल स्टेडियम पहुंच गए.

पुलिस ने स्टेडियम के अंदर और बाहर की सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो उसे पूरी घटना का पता चला और यह भी साफ हो गया कि सुशील कुमार घटनास्थल पर ही मौजूद था और खुद पीडि़तों की पिटाई कर रहा था. सुशील पहलवान के मोबाइल फोन के रिकौर्ड से यह भी पता चला है कि उस के किसकिस बदमाश या संदिग्ध लोगों से संबंध हैं और वारदात वाली रात उस के साथ कौनकौन लोग थे. वैसे इस स्टेडियम से बदमाशों का पुराना नाता है. 2 दशक पहले की बात है कि एक बार ढिचाऊं गांव के कुख्यात बदमाश कृष्ण पहलवान को जबरन वसूली के मामले में पुलिस तलाश कर रही थी. उस दौरान कृष्ण स्टेडियम में आयोजित समारोह में सतपाल पहलवान के साथ पुरस्कार बांट रहा था. यह किस्सा मीडिया की सुर्खी बना था.

दरअसल सतपाल पहलवान उन दिनों दिल्ली सरकार में खेल निदेशक के पद पर तैनात थे. लेकिन नामी पहलवान होने के कारण उन के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई. उन्हीं सतपाल पहलवान का दामाद सुशील पहलवान हालांकि मूलरूप से रेलवे का अधिकारी है, लेकिन रेलवे से पहले वह उत्तरी दिल्ली नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर गया और उस के बाद वह दिल्ली सरकार में प्रतिनियक्ति पर चला गया और 5 साल पहले छत्रसाल स्टेडियम के ओएसडी (खेल) पद पर विराजमान हो गया. यानी प्रतिनियुक्ति से प्रतिनियुक्ति पर जाना साबित करता है कि सुशील कुमार का रसूख कितना बड़ा था. तभी से वह छत्रसाल स्टेडियम में ओएसडी के पद पर है. इस से यह भी साबित होती है कि रसूखदार पहलवानों के सामने कानून कितना बौना हो जाता है.

प्रतिनियुक्ति पर तैनाती 3 साल से अधिक नहीं की जा सकती, लेकिन इस मामले में इस नियम को भी नजरअंदाज कर दिया गया. दिल्ली पुलिस को अपने मुखबिर तंत्र से अकसर ऐसी सूचना मिलती रही कि छत्रसाल स्टेडियम अपराधियों की शरणगाह बना हुआ है. यूपी पुलिस ने तो कुछ समय पहले नोएडा के बदमाश सुंदर भाटी के छत्रसाल स्टेडियम में आनेजाने और सुशील पहलवान से उस के संबंधों की पड़ताल भी की थी. इस स्टेडियम में अपराधियों का कितना हस्तक्षेप है, इस बात का पता इस से चलता है कि एक बार स्टेडियम की महिला डिप्टी डायरेक्टर के बारे में इस स्टेडियम में उन के औफिस की दीवार पर अश्लील टिप्पणी लिखी गई थी, लेकिन शिकायत के बावजूद पुलिस किसी दोषी को नहीं पकड़ सकी.

बताते हैं कि स्टेडियम में चलने वाली गैरकानूनी गतिविधियां और अपराधियों की आवाजाही किसी की नजर में न आए, इसलिए स्टेडियम के अंदर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगवाए गए हैं. अगर स्टेडियम में सभी जगह कैमरे लगे होते तो इस से पहले होने वाली कई वारदातों का भी खुलासा हो जाता. कई नामी पहलवानों ने छोड़ दिया था स्टेडियम पुलिस को अब यह भी पता चल रहा है कि सुशील पहलवान और उस के चेलों के दुर्व्यवहार और गुंडागर्दी का इतना आतंक छत्रसाल स्टेडियम में था कि अपराधी गुट तथा सीधीसादी जिंदगी बसर करने वाले कोच तथा पहलवान यहां ज्यादा दिन टिक नहीं पाते थे.

द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित कोच रामफल और कई पहलवान तो इसी दुर्व्यवहार से तंग आ कर ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त की अकेडमी में चले गए हैं. जबकि एक अन्य कोच वीरेंद्र ने नरेला में अपनी अकेडमी खोल ली. पहलवान बजरंग पूनिया भी इसी कारण छत्रसाल स्टेडियम छोड़ कर योगेश्वर के पास चला गया था. योगेश्वर दत्त ने भी इसी वजह से इस अखाड़े को छोड़ा था. पुलिस की जांच में अब यह भी खुलासा हो रहा है कि स्टेडियम में पहलवानों की संदिग्ध गतिविधियां सालों से जारी रहने के पीछे दिल्ली सरकार के मंत्रियों से ले कर खेल मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत है. पुलिस को सुशील के मोबाइल की काल डिटेल्स मिल चुकी हैं. सूत्रों का कहना है कि सुशील ने वारदात के बाद हरियाणा के बदमाश काला जठेड़ी से भी संपर्क किया. सुशील ने काला से कहा कि उस से गलती हो गई.

वह तो सोनू आदि को इसलिए उठा कर लाया था कि थप्पड़ व चांटे मार कर व  धमका कर उस से संपत्ति खाली करा लेगा. बताया जा रहा है कि इस संपत्ति के कब्जाने में काला जठेड़ी का भी हाथ है. सुशील के कारण अब इस संपत्ति का विवाद सार्वजनिक होने व नुकसान के कारण वह सुशील से काफी नाराज बताया जाता है. इधर पुलिस ने जांच के दौरान सागर की मौत के बाद घायल सोनू व अमित के जो बयान दर्ज किए हैं, उस में उन्होेंने सुशील के खिलाफ बयान दिया है. सोनू काला जठेड़ी का खास साथी है. वह हत्या के कई मामलों में आरोपी रह चुका है. इसी कारण आशंका है कि सुशील पहलवान और काला जठेड़ी के बीच आने वाले दिनों में गैंगवार हो सकती है.

इधर सुशील के खिलाफ काला जठेड़ी के अलावा सुंदर भाटी, नीरज बवानिया समेत अनेक कुख्यात बदमाशों से संबध रखने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. देश के एक नामचीन खिलाड़ी होने के कारण पुलिस हमेशा उस पर हाथ डालने से कतराती रही. लेकिन सुशील पहलवानों तथा अपराधियों के नेटवर्क के साथ मिल कर टोल टैक्स, अवैध कब्जा और विवादित संपत्ति का धंधा चला रहा है, इस का सार्वजनिक खुलासा पहली बार हुआ है. फिलहाल, पुलिस पहलवान सुशील कुमार की गिरफ्तारी के लिए देशव्यापी स्तर पर छापेमारी कर रही है. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का ईनाम रख दिया है और उस के खिलाफ अरेस्ट वारंट भी हासिल कर लिया है.

इस ओलंपिक पदक विजेता पहलवान को एक ही गलत दांव ने चित कर दिया है. उस की गिरफ्तारी के बाद सागर धनखड़ हत्याकांड में कई नए खुलासे होने की संभावना है. बहरहाल, जिस छत्रसाल स्टेडियम के अखाड़े ने सुशील का नाम बुलंदियों पर पहुंचाने में योगदान दिया था, उसी स्टेडियम में घटी घटना ने उसे अर्श से फर्श पर पटक दिया है. पुलिस की कई टीमें सुशील की तलाश के लिए संभावित स्थानों पर दबिशें डालती रहीं. सुशील भी पुलिस से आंखमिचौली खेलता रहा. आखिर दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल ने 23 मई, 2021 की सुबह पहलवान सुशील कुमार को गिरफ्तार कर लिया.

इस के बाद छत्रसाल स्टेडियम के फिजिकल एजुकेशन टीचर अजय कुमार को भी दिल्ली के मुंडका क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. अजय पर 50 हजार का ईनाम था. कथा लिखने तक पुलिस दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रही थी. Hindi Suspense Stories

—कथा मीडिया रिपोर्ट, पीडि़तों के बयान और पुलिस की जांच पर आधारित

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...