Apradh ki Kahani : दीदार सिंह के छोटे से परिवार में पत्नी मंजीत कौर के अलावा 2 बेटे थे. घर में किसी भी चीज की कमी नहीं थी, इस के बावजूद मंजीत कौर ने पति के मौसेरे भाई बलजीत सिंह से अवैध संबंध बना लिए. इसी दौरान मंजीत कौर ने अपने दोनों बेटों की हत्या करा दी. आखिर ऐसी क्या वजह रही कि मंजीत कौर माता से कुमाता बन गई?

पंजाब के पटियाला जिले की घनौर तहसील के राजपुरा रोड पर बसे गांव खेड़ी गंडियां में रहने वाले दीदार सिंह के लिए 22 जुलाई, 2019 की शाम जीवन में अंधकार बन कर आई थी. उन के दोनों बेटे 10 साल का जश्नदीप सिंह और 6 साल का हरनदीप सिंह शाम करीब साढे़ 8 बजे घर के पास ही कोल्डड्रिंक लेने के लिए गए थे. लेकिन जब वे आधा घंटे तक लौट कर घर नहीं आए तो उन की मां मंजीत कौर को चिंता होने लगी. थोड़ी देर बाद करीब 9 बजे मंजीत कौर के पति दीदार सिंह भी अपनी भांजी को गांव के बाहर बसअड्डे छोड़ कर घर लौटे तो उन्हें दोनों बच्चे घर में दिखाई नहीं दिए.

‘‘मंजीते… ओ मंजीते, जश्न… त हरन किधर हैं? भई दिखाई नहीं दे रहे.’’ दीदार सिंह ने बीवी मंजीत कौर से बच्चों के बारे में पूछा.

‘‘बच्चे तो एक घंटा पहले पास की दुकान से कोल्डड्रिंक खरीदने गए थे. बहुत देर से ठंडा पीने की जिद कर रहे थे, इसलिए मैं ने पैसे दे कर लाने के लिए भेज दिया था.’’ मंजीत कौर ने बताया. मंजीत कौर को भी चिंता हुई. क्योंकि बच्चों को गए तो बहुत देर हो गई थी अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था. वह पति से बोली, ‘‘सुनो जी, मुझे भी अब चिंता हो रही है. पता नहीं बच्चे कहीं खेलने के लिए इधरउधर न निकल जाएं, इसलिए आप बाहर जा कर देख आओ. तब तक मैं किचन का काम निबटा लेती हूं. बच्चे आते ही खाना मांगेंगे.’’

दीदार सिंह को बच्चों के प्रति बीवी की लापरवाही पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन मन मसोस कर बड़बड़़ाता हुआ घर के बाहर निकल गया. दीदार सिंह ने आसपास के सभी लोगों से पूछा, लेकिन कोई भी हरन व जश्न के बारे में ऐसी जानकारी नहीं दे सका, जिस से उन का कुछ पता चलता. जब घर आ कर दीदार सिंह ने बताया कि हरन व जश्न गांव में कहीं नहीं मिले तो मंजीत कौर के पांव तले की जमीन खिसक गई. आखिर एक मां के एक नहीं 2-2 बेटे एक साथ रात के ऐसे वक्त लापता हो जाए तो उस का कलेजा तो फटना ही था. घर में रोनापीटना शुरू हो गया. रोनापीटना शुरू हुआ तो आसपड़ोस के लोग जमा हो गए. गांवदेहात में अगर किसी के घर परेशानी हो तो पूरा गांव उस परेशानी को दूर करने में जुट जाता है.

लिहाजा आधी रात होतेहोते पूरे गांव में हरन व जश्न के लापता होने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई. गांव के नौजवान और दीदार सिंह के परिवार के लोग टौर्च और मोबाइल की फ्लैश लाइट जला कर गांव के ऐसे हिस्सों में टोली बना कर ढूंढने के लिए निकल पडे़. कुछ लोग करीब 2 किलोमीटर दूर भाखड़ा नहर की तरफ भी बच्चों की तलाश करने चले गए, जहां  आमतौर पर गांव के बच्चे शाम को घूमने टहलने चले जाया करते थे. सुबह होते ही परिवार के लोग और गांव वाले खेड़ी गंडियां थाने पहुंच गए. उन्होंने थाने में दोनों बच्चों के लापता होने की सूचना दे कर पुलिस से बच्चों की तलाश करने का अनुरोध किया. पुलिस ने उसी दिन गुमशुदगी दर्ज कर ली.

पुलिस ने बच्चों के फोटो ले कर आसपास के इलाकों में उन के पोस्टर चिपकवा दिए. गुमशुदगी के मामलों में पुलिस आमतौर पर इस से ज्यादा कोई काररवाई करती भी नहीं है. इसी तरह 3 दिन बीत गए, लेकिन बच्चों का कहीं पता नहीं चला. अब दीदार सिंह व गांव वालों का धीरज जवाब देने लगा था. लिहाजा पहले तो पीडि़त परिवार और सभी गांव वालों ने मिल कर खेड़ी गंडियां के बाहर राजपुरा रोड पर प्रदर्शन कर जाम कर दिया. धरनाप्रदर्शन शुरू होते ही जिले के आला अधिकारियों के कान खड़े हो गए. इलाके की सांसद परनीत कौर व कांग्रेस के विधायकों ने एसएसपी के ऊपर इस मामले का जल्द  खुलासा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था.

अधिकारियों के निर्देश पर जश्न व हरन की गुमशुदगी के मामले को गलत नीयत से हुए अपहरण की धारा में दर्ज कर लिया गया. मामले का खुलासा करने के लिए थाना खेड़ी गंडियां इंचार्ज कुलविंदर सिंह के नेतृत्व में थाने के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की टीम गठित कर दी गई. जिस के बाद पुलिस ने दीदार सिंह के आसपड़ोस के दुकानदारों से पूछताछ तेज कर दी. पड़ोसियों से भी पूछताछ कर ली गई. लेकिन किसी ने भी इस बात की तस्दीक नहीं की कि दोनों बच्चे उन के यहां कोल्डड्रिंक लेने आए थे. पुलिस ने दीदार सिंह के परिवार की कुंडली भी खंगालनी शुरू कर दी. दीदार सिंह के पिता दर्शन सिंह के 3 बच्चे हैं. सब से बड़ी बेटी है गुरमेज कौर जिस की शादी हो चुकी है.

छोटा भाई जसंवत सिंह भी शादीशुदा है. जिस घर में दीदार अपनी पत्नी मंजीत कौर व दोनों बेटों हरन व जश्न के साथ रहता है वह उस का पैतृक मकान है. दोनों बेटों की शादी के बाद दर्शन सिंह ने मकान 2 हिस्सों में बांट दिया. दोनों भाई अपने परिवारों के साथ अपनेअपने हिस्सों में रहने लगे. दीदार सिंह और जसवंत सिंह दोनों ही पेशे से ड्राइवर थे. दीदार पटियाला की एक बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनी में ड्राइवर था और ज्यादा समय घर के बाहर ही रहता था. वैसे दोनों भाइयों और उन के परिवार अलग जरूर रहते थे, लेकिन उन के बीच भाईचारे और प्यार की कोई कमी नहीं थी.

पुलिस को दुश्मनी के बिंदु पर जांच करने के बाद कोई सुराग नहीं मिला. जांच चल ही रही थी कि 27 जुलाई, 2019 को भाखड़ा नहर नरवाना ब्रांच में करीब 6-7 साल के एक बच्चे का शव सड़ीगली अवस्था में तैरते हुए पुलिस ने बरामद किया. पुलिस ने जब आसपास के इलाकों में इस उम्र के लापता बच्चों के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि दीदार सिंह के छोटा बेटा हरनदीप सिंह भी इसी उम्र का था. थानाप्रभारी कुलविंदर सिंह ने परिवार वालों को बुलवा कर जब शव की शिनाख्त का प्रयास किया तो उन्होंने शव को पहचानने से ही इनकार कर दिया. दरअसल शव इतनी बुरी तरह सड़गल गया था कि उस में पहचान करने के लिए कोई चिह्न ही नहीं बचा था.

बहरहाल पुलिस ने शव को बिना पहचान के ही डीएनए टेस्ट के लिए उस का सैंपल ले कर मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया. दरअसल, दीदार सिंह को यकीन ही नहीं था कि उस के बच्चे की कोई हत्या भी कर सकता है. इसीलिए उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि भाखड़ा नहर के नरवाना इलाके में जो शव बरामद हुआ है वह उन के बेटे का हो सकता है. इधर खेड़ी प्रभारी कुलविंदर सिंह को लगने लगा कि अगर नहर से एक बच्चे का शव बरामद हो गया है तो निश्चित ही दूसरा शव भी नहर में ही मिलेगा. लिहाजा उन्होंने उच्चाधिकारियों से अनुमति ले कर तैराक व गोताखोरों को बुला कर भाखड़ा नहर के खेड़ी गंडिया से लगे 5 किलोमीटर इलाके में दूसरे शव की तलाश शुरू कर दी.

आखिरकार 4 अगस्त, 2019 को भाखड़ा नहर से करीब 10 साल के एक और बच्चे  का सड़ागला शव बरामद हुआ. उस की उम्र दीदार सिंह के बडे़ बेटे जशनदीप सिंह जितनी थी. लेकिन इस बार बच्चे के हेयरस्टाइल, काला धागा व कपड़ों को देख कर दीदार सिंह के पिता दर्शन सिंह ने उस की पहचान अपने बडे़ पोते जश्न के रूप में कर दी. अब दीदार सिंह की समझ में भी यह बात आ गई थी कि अगर बड़े बेटे का शव नहर में मिला है तो जाहिर है पहले जो शव मिला था वह छोटे बेटे का ही होगा. आखिरकार 5 अगस्त को दीदार सिंह के परिवार ने दोनों बच्चों की लाश पहचानने व उन के शव अपनी सुपुर्दगी में लेने की काररवाई पूरी कर दी. उसी दिन दोनों बच्चों के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

सवाल था कि दीदार के दोनों बच्चों की मौत नहर में डूबने से हुई थी या उन्हें  किसी ने नहर में ले जा कर धकेल दिया था. दीदार का तो कोई ऐसा दुश्मन भी नहीं था जो ऐसा कर सके. आखिर कौन ऐसा शख्स हो सकता है. बच्चों का अंतिम संस्कार होने के बाद पुलिस ने दीदार सिंह से एक बार फिर पूछताछ की और उस से ऐसे लोगों के बारे में जानकारी ली जो उस के बच्चों को अपहरण कर हत्या कर सकते थे. लेकिन दिमाग पर पूरा जोर डालने के बाद भी दीदार सिंह या उन का परिवार किसी ऐसे शख्स के बारे में नहीं बता सका, जिस पर शक किया जा सके. धीरेधीरे वक्त तेजी से गुजरने लगा. 17 अगस्त, 2019 को पटियाला के एसएसपी विक्रमजीत दुग्गल ने हत्या की आशंका को देखते हुए एक स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम गठित कर दी, जिस में डीएसपी (घनौर) जसविंदर सिंह टिवाणा, डीएसपी (हैडक्वार्टर) गुरदेव सिंह धालीवाल तथा थानाप्रभारी कुलविंदर सिंह को शामिल किया गया.

इस बीच अक्टूबर, 2019 को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई, जिस से साफ हो गया कि बच्चों की मौत डूबने से हुई थी. इस मामले में दर्ज अपहरण के केस को दोनों बच्चों के शव मिलने के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया गया था. चूंकि इस मामले में कोई खास जानकारी मिल नहीं रही थी, लिहाजा पुलिस केवल धूल में लट्ठ मारती रही. वक्त तेजी से गुजरता चला गया. पहले दिन बीते, फिर महीने बीतने लगे. दीदार सिंह थाने से ले कर एसआईटी के अफसरों और उच्चाधिकारियों के सामने अपने बच्चों के कातिलों का सुराग जल्द लगाने के लिए धक्के खाता रहा. इधर इलाके के विधायक व सांसद भी पुलिस पर दबाव देते रहे. पुलिस अपने काम में कुछ कदम आगे बढ़ती, इस से पहले ही मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लौकडाउन लग गया.

5 महीने तक लौकडाउन लगा रहा, जिस कारण पुलिस की जांच जहां की तहां फाइलों में कैद हो कर रह गई. इस दौरान एक साल का वक्त गुजर चुका था. उस के बाद जब लौकडाउन खुला और पुलिस व प्रशासन के साथ लोगों की जिंदगी पटरी पर लौटनी शुरू हुई तो दिसंबर 2020 में एसएसपी दुग्गल ने हरन व जश्न की जांच के मामले में गठित हुई एसआईटी के इंचार्ज डीएसपी घनौर जसविंदर सिंह टिवाणा को बुला कर जांच को तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला किया. एसआईटी ने अपना काम शुरू कर दिया. इस बार जब दोबारा जांच शुरू हुई तो एसआईटी को हरन व जश्न के अपहरण व हत्याकांड की जांच में एक के बाद एक कई ऐसे क्लू मिलने शुरू हो गए,

जिस से इस बहुचर्चित केस की कडि़यां एक साथ जुड़ती चली गईं और 4 मार्च, 2021 को पुलिस ने जांच का पटाक्षेप करते हुए दीदार सिंह की पत्नी व हरन व जश्न की मां मंजीत कौर तथा दीदार सिंह के मौसेरे भाई बलजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया.  दोनों से पूछताछ के बाद 2 मासूम बच्चों के बहुचर्चित व सनसनीखेज हत्याकांड की ऐसी हैरतअंगेज कहानी सामने आई, जिसे सुन कर हर किसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली और लोग कहने को मजबूर हो गए कि भगवान ऐसी मां किसी को न दे. दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान लौकडाउन लगने के बाद जब पुलिस की जांचपड़ताल और गतिविधियां धीमी पड़ गईं तो दीदार सिंह की पत्नी मंजीत कौर अचानक अपने पति का घर छोड़ कर शहर में अपनी बहन के पास रहने के लिए पटियाला चली गई थी.

इस के बाद एक के बाद एक ऐसे घटनाक्रम हुए, जिस ने दोनों बच्चों के अपहरण व हत्याकांड की थ्यौरी ही पलट दी. हुआ यूं कि कई महीने गुजर जाने के बाद भी जब पुलिस और परिवार वालों को दोनों बच्चों के कातिल का कोई सुराग नहीं मिला तो दीदार सिंह ने गंभीरता से सोचना शुरू किया कि ऐसा कौन शख्स हो सकता है जो बिना किसी लाभ के दोनों बच्चों को अगवा कर के उन की हत्या कर सकता है. इन्हीं सब बातों को सोचतेसोचते अचानक दीदार सिंह को अपने मौसेरे भाई बलजीत का खयाल आया. क्योंकि जब से उस के दोनों बेटे लापता हुए और बाद में उन की लाशें मिली थीं, तब से दोस्तों और रिश्तेदारों में एक ही इंसान था, जो न तो उस के पास हमदर्दी के दो बोल बोलने के लिए आया और न ही उस ने फोन कर के इस दुख में अपना शोक व्यक्त किया था.

इस के बाद नंवबर 2020 में वह हरन व जश्न की हत्या का राज खोलने के लिए बनी एसआईटी के हैड डीएसपी जसविंदर सिंह टिवाणा के पास पहुंचा और बोला, ‘‘सर अभी तक मुझे किसी पर शक नहीं था, लेकिन अब मैं दावा करता हूं कि अगर आप बलजीत को बुला कर सख्ती से पूछताछ करेंगे तो मेरे बच्चों की मौत का राज पता चल जाएगा.’’

‘‘इस की कोई खास वजह?’’ डीएसपी जसविंदर सिंह ने दीदार सिंह को हैरतभरी नजरों से देखते हुए पूछा.

इस के बाद दीदार ने एक के बाद एक वह सारा घटनाक्रम बयान कर दिया, जिस के चलते उसे बलजीत सिंह पर शक हुआ था. सारी बात सुनने के बाद डीएसपी टिवाणा ने कहा, ‘‘दीदार सिंह, तुम ने देर से ही सही मगर बड़े काम की जानकारी हमें दी है. अगर पहले ये सब बातें बताई होतीं तो शायद अब तक हम तुम्हारे बच्चों  के कातिल तक पहुंच चुके होते.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘लेकिन तुम्हारी बात सुन कर मुझे लगता है कि हो न हो अगर बलजीत का इस मामले में हाथ है तो तुम्हारी बीवी मंजीत कौर का भी इस में जरूर हाथ रहा होगा.’’

‘‘नहीं साहब नहीं.. रब न करे आप की बात में सच्चाई हो… क्योंकि कोई मां अपने बच्चों का कत्ल करा सकती है, ये बात मेरे गले से नहीं उतर रही.’’ दीदार सिंह ने हैरत से खुले अपने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा.

‘‘रब न करे ऐसा हो, लेकिन दीदार तुम ने जो हालात बयान किए हैं, उस में ऐसा संभव हो सकता है.’’ डीएसपी बोले.

इस के बाद डीएसपी टिवाणा ने एसएसपी विक्रमजीत दुग्गल को दीदार सिंह के बच्चों के केस में आए इस नए इस खुलासे से अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि जो भी संदिग्ध लगे, उस से पूछताछ करो. लेकिन अब मुझे इस केस का जल्द से जल्द खुलासा चाहिए. इस के बाद डीएसपी टिवाणा ने एसआईटी की मीटिंग बुलाई और बलजीत को बुला कर पूछताछ करने की रणनीति तय की. बलजीत को बुलाया गया. सवालों की एक लंबी फेहरिस्त पुलिस के पास थी, जिन का बलजीत ने बेखौफ हो कर जवाब दिया. चूंकि पुलिस के पास न तो बलजीत के खिलाफ ठोस सबूत था और न ही कोई गवाह, लिहाजा जब उसे छुड़ाने के लिए कुछ लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू किया तो बलजीत को मजबूरन छोड़ना पड़ा.

बलजीत के बाद पुलिस ने दीदार सिंह की पत्नी मंजीत कौर को भी पूछताछ के लिए बुलाया. मंजीत कौर ने शक जताया कि उस के पति का घर से बाहर किसी औरत से संबध है, वह चाहता है कि बच्चों को खत्म करने के बाद मुझ से छुटकारा मिल जाए और वह दूसरी शादी कर ले. मंजीत कौर से पूछताछ के बाद तो थ्योरी ही बदल गई. पुलिस ने अगले एक महीने में 2-3 बार बलजीत और मंजीत कौर को पूछताछ के लिए बुलाया. पूछताछ में पुलिस को हत्यारों का सुराग तो नहीं मिला, लेकिन उन्होंने हर बार दीदार सिंह पर उलटे ऐसेऐसे इलजाम लगाए कि इस से दोनों बच्चोें की हत्या की गुत्थी और ज्यादा उलझ गई.

एसएसपी के निर्देश पर डीएसपी टिवाणा ने दिसंबर 2020 में पटियाला की जिला अदालत में दीदार सिंह, मंजीत कौर तथा बलजीत कौर के लाई डिटेक्टर टेस्ट के लिए अरजी लगा दी. मार्च के पहले हफ्ते में सब से पहले पुलिस ने दीदार सिंह का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया, उस के बाद एकएक कर के बलजीत सिंह और मंजीत कौर के लाई डिटेक्टर टेस्ट कराए गए. पुलिस के पास इन से पूछने के लिए सवालों की एक लंबी फेहरिस्त पहले से तैयार थी. इस टेस्ट का परिणाम सामने आया तो पता चला कि दीदार सिंह ने सभी सवालों के जवाब एकदम सही दिए थे. जबकि मंजीत कौर तथा बलजीत ने ज्यादातर सवालों के जवाब में झूठ बोला था.

टेस्ट के बाद यह साफ हो गया कि हरनजीत सिंह व जश्नजीत सिंह के अपहरण व हत्याकांड को उन दोनों ने ही अंजाम दिया था. लेकिन इस वारदात को क्यों और कैसे अंजाम दिया गया, इस का खुलासा होना बाकी था. लाई डिटेक्टर का परिणाम आने के बाद डीएसपी टिवाणा ने एसएसपी दुग्गल व एसआईटी के सभी अधिकारियों के समक्ष जब मंजीत कौर व बलजीत सिंह से पूछताछ की तो उन के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं था. दोनों ने अपनेअपने गुनाह की कहानी कबूल कर ली. दीदार सिंह पटियाला में जिस ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करता था, वह ज्यादातर वहीं रहता था. महीने में 3-4 बार वह परिवार से मिलने आता था.

पति से रहने वाली यही दूरी मंजीत के लिए गैरमर्द के करीब जाने का सबब बन गई. दीदार सिंह की मौसी का लड़का बलजीत अकसर ही दीदार सिंह के घर आताजाता था. लेकिन करीब 3 साल पहले जब बलजीत दीदार की पत्नी मंजीत कौर की तरफ आकर्षित हुआ तो उस का घर में आनाजाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया. दोनों के बीच पैदा हुआ आकर्षण जल्द ही नाजायज रिश्तों में बदल गया. दीदार सिंह ने अपनी पत्नी मंजीत कौर को गांव में ही मनियारी की दुकान (सौंदर्य प्रसाधनों और कौस्मेटिक के सामान) खुलवा रखी थी. मंजीत पढ़ीलिखी और तेजतर्रार महिला थी. मनियारी की दुकान के कारण उस का समय भी व्यतीत हो जाता था और इस से होने वाली आमदनी में दीदार सिंह का हाथ भी बंटा देती थी.

बलजीत खेड़ी गंडियां से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित गांव महमा का रहने वाला है. अपने गांव के बाहर ही राजपुरा रोड पर उस ने गाडि़यों की डेंटिंगपेंटिग की वर्कशौप खोल रखी थी. जब तक बलजीत के मंजीत कौर से नाजायज संबध नहीं बने थे, तब तक वह अकसर दीदार सिंह जब भी गांव आता तो उस के साथ शराब पीने की बैठकबाजी होती रहती थी. लेकिन अचानक बलजीत ने दीदार के साथ ऐसी शराब की बैठक करना बंद कर दी. इधर, अब बलजीत अपनी वर्कशौप छोड़ कर रोजाना ही मंजीत की दुकान पर आने लगा और दिन भर वहीं पर पड़ा रहता था. कुछ दिन तो लोगों ने इसे नजरअंदाज किया लेकिन जल्द ही दोनों के संबधों को ले कर गांव में चर्चा फैलने लगी.

दीदार सिंह जब अपने काम से वापस गांव आता तो यह चर्चा उसे भी सुनने का मिलने लगी. शुरुआत में तो दीदार सिंह ने नजरअंदाज कर दिया, क्योेंकि एक तो उसे अपनी पत्नी मंजीत पर पूरा विश्वास था. दूसरे बलजीत उस के लिए सगे भाई से भी ज्यादा भरोसेमंद था. लेकिन जब बारबार ऐसा होने लगा तो दीदार सिंह के मन में भी शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा, जिस के बाद उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी. एक दिन उस ने खुद भी बलजीत को मंजीत की दुकान में उस के साथ संदिग्ध स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल, दोनों दुकान का शटर गिरा कर एकदूसरे के साथ आलिंगनबद्ध थे.

उस दिन दीदार ने बलजीत को जम कर खरीखोटी सुनाई और उस की खूब बेइज्जती की. साथ ही उस ने बलजीत को यह भी हिदायत दी कि आज के बाद वह उस के घर और परिवार के किसी भी सदस्य से मिलने की कोशिश न करे. दीदार ने उस दिन घर आ कर खूब शराब पी और शराब के नशे में मंजीत कौर पर बदचलनी का तोहमत लगा कर मारपीट भी कर दी. दीदार सिंह का मन नहीं भरा तो अगले दिन वह अपनी मौसी के घर भी चला गया और वहां पूरे परिवार को ये बात बता दी कि किस तरह बलजीत ने उस की भोलीभाली पत्नी को अपने जाल में फंसा कर भाई की पीठ में छुरा घोंपा है और रिश्तों को कलंकित किया है.

परिवार के बीच जब ये खुलासा हुआ तो वहां भी बलजीत को परिजनों ने खूब लानतमलामत दी, जिस के बाद बलजीत के मन में दीदार सिंह के लिए नफरत और जहर भर गया. उस ने मन बना लिया कि अपने इस अपमान का बदला वह दीदार सिंह से ले कर रहेगा. दीदार सिंह अब अकसर रोज ही काम से अपने घर लौट आता था. इधर, मंजीत के ऊपर भी वह पूरी निगरानी रखता था. इसलिए मंजीत और बलजीत के मिलनेजुलने में अड़चनें पैदा होने लगीं.  आशिक और माशूक की इस दूरी ने दोनों के दिलों में धीरेधीरे दीदार सिंह के लिए घृणा का भाव पैदा कर दिया. दोनों ही इस बात पर विचार करने लगे कि किस तरह दीदार को सबक सिखाया जाए.

दरअसल, मंजीत की घृणा का एक कारण यह भी था कि दीदार सिंह ने उस के मायके में जा कर बलजीत के साथ उस के संबधों की बात बता दी थी और कहा था कि वह केवल अपने दोनों बच्चों के कारण उसे पत्नी के रूप में अपने साथ रख रहा है अन्यथा उसे ऐसी हरकत करने के कारण कभी का छोड़ देता. दीदार अपने दोनों बच्चों को बेहद प्यार करता था. मंजीत और बलजीत ने फैसला किया कि दीदार सिंह को अगर चोट पहुंचानी है तो क्यों न उस के बच्चों को ही खत्म कर दिया जाए. क्योंकि अगर उस के बच्चे खत्म हो जाएंगे तो कुछ दिन बाद मंजीत भी बहाना बना कर अपने मायके चली जाएगी और बाद में बलजीत के साथ रहना शुरू कर देगी.

बस एक बार मंजीत के दिमाग में यह कुविचार आया तो इस के बाद यह और ज्यादा पुख्ता होता चला गया. बलजीत ने दीदार को सबक सिखाने की पूरी योजना बना ली थी. उसी योजना के तहत मंजीत कौर ने अपने प्रेमी बलजीत सिंह के साथ मिल कर 22 जुलाई, 2019 की रात साढ़े 8 बजे इसे अंजाम देने का काम शुरू किया. संयोग से उस शाम दीदार सिंह भी जल्दी घर आ गया था. घर में दीदार की भांजी आई हुई थी, जिसे छोड़ने के लिए वह राजपुरा रोड गया हुआ था. उसी बीच मंजीत ने अपने दोनों बच्चों हरन व जश्न को गुरुद्वारा साहिब से कोल्डड्रिंक लाने को यह कहते हुए भेजा कि आप के चाचा बलजीत सिंह वहां खड़े आप का इंतजार कर रहे हैं. वह आप को कोल्डड्रिंक पिलाएंगे.

बच्चे आमतौर पर खानेपीने की किसी चीज का लालच मिलने पर किसी भी परिचित से मिलने चले ही जाते हैं. दोनों बच्चे जब वहां पहुंचे तो बलजीत सिंह पहले ही वहां खड़ा था. मंजीत से उस की पहले ही फोन पर बातचीत हो चुकी थी. बताई गई जगह पर दोनों बच्चे पहुंचे तो वहां पहले ही बलजीत स्कूटी ले कर खड़ा था. वह अपने गांव के दोस्त से स्कूटी मांग कर लाया था. उस दिन मंजीत ने अपने चेहरे को कपड़े से इस तरह लपेट रखा था कि कोई अनजान व्यक्ति उसे पहचान न सके. वह दोनों बच्चों को एक लंबे रास्ते से गुरुद्वारा साहिब से होते हुए भाखड़ा नहर तक स्कूटी पर बैठा कर ले गया. उस ने बच्चों से कहा था कि वहां उन्हेें कोल्डड्रिंक के साथ एक बहुत अच्छी चीज दिखाएगा.

नहर पर ला कर उस ने दोनों बच्चों को नहर दिखाने के बहाने नहर की पटरी पर खड़ा कर दिया गया और फिर नहर में धकेल दिया. इस के बाद उस ने मंजीत कौर को फोन कर के बच्चों को खत्म करने की बात बता दी, जिस के बाद मंजीत कौर ने बच्चोें के गुम होने का नाटक शुरू कर दिया. बाद में उस ने धीरेधीरे यह अफवाह फैला दी कि उन के बच्चों का किसी ने अपहरण कर लिया है. जांच में पुलिस को पता चला कि बलजीत ने अपने नाम से एक सिम कार्ड खरीद कर मंजीत कौर को दे रखा था, जिस पर बातचीत करते हुए उन्होंने इस पूरी साजिश को अंजाम दिया.

बलजीत सिंह ने पूछताछ में बताया कि वह उसी रात घटना को अंजाम देने के बाद सिम बंद कर दिया गया था. रात करीब 11 बजे बलजीत चोरीछिपे मंजीत के घर के पास आया था और मंजीत से मोबाइल भी ले कर चला गया था. उस ने मोबाइल का सिम निकाल कर उसे तोड़ कर फेंक दिया था. जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने मंजीत व बलजीत को 8 मार्च, 2021 तक पुलिस रिमांड पर ले लिया. पुलिस ने इस दौरान उन के वारदात में शामिल होने के साक्ष्य जुटाए. पुलिस ने उस फोन को भी बरामद कर लिया, जो बलजीत सिंह ने मंजीत कौर को दिया था. इसी फोन पर दोनों के बीच बातचीत होती थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश कर के 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. Apradh ki Kahani

 

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...