True Crime Stories Hindi : अपने साले रामविलास वर्मा की शादी में 25 वर्षीय हरेंद्र वर्मा ने बढ़चढ़ कर भाग लिया था. रिसैप्शन समारोह में भी वह सभी मेहमानों की गर्मजोशी से आवभगत कर रहा था. उसी दौरान किसी का हरेंद्र के मोबाइल पर फोन आया तो वह बात करने के लिए समारोह स्थल से बाहर निकला. कुछ देर बाद गरदन कटी उस की लाश मिली. किस ने और क्यों की हरेंद्र की हत्या? पढ़ें, लव क्राइम की यह दिलचस्प स्टोरी.

अप्रैल 2025 की बात है. 25 वर्षीय हरेंद्र वर्मा अपनी पत्नी को बुलाने के लिए बलरामपुर जिले के जुबरी कलां गांव में स्थित ससुराल आया हुआ था. ग्रामीण क्षेत्र में परंपरा होती है कि पत्नी के मायके में पति को उस से दूर ही सुलाया जाता है. हरेंद्र अपनी ससुराल में दालान में लेटा हुआ था. उसे नींद नहीं आ रही थी. उस के ससुर और सालों की खटिया भी उसी के पास बरामदे में पड़ी थी. वे लोग गहरी नींद में सो रहे थे.

रात के लगभग 12 बजे थे. मेन गेट खुला हुआ था. हरेंद्र वाशरूम जाने के लिए जैसे ही गेट के बाहर निकला, उस ने देखा कि उस की पत्नी उमा देवी एक युवक के साथ घर की ओर आ रही थी. यह देखते ही हरेंद्र चौंक गया और सोचने लगा कि यह युवक कौन है? और इतनी रात में यह इस के साथ कहां से आ रही है? हरेंद्र गेट के पीछे छिप गया. जैसे ही पत्नी गेट के अंदर घुसी तो हरेंद्र ने पत्नी का हाथ पकड़ा और पूछा, ”बताओ, आधी रात को कहां से आ रही हो और यह लड़का कौन है?’’

”अब आप ने सब कुछ देख ही लिया है तो सुनो, यह मेरा सब कुछ है. मैं इस से शादी से पहले से ही प्यार करती हूं. मैं इस को कभी नहीं भूल पाऊंगी और न ही इस का साथ छोड़ूंगी. अब फैसला आप के हाथ में है.’’ उमा देवी ने सच बता दिया.

इतना सुनते ही हरेंद्र का माथा ठनका, उसे चक्कर आने लगा. उस का हाथ कांप गया और पत्नी का हाथ उस के हाथ से छूट गया. बेशरमी की चादर ओढ़ उमा भी धीरेधीरे कदमों से घर के अंदर चली गई. हरेंद्र मूकदर्शक बना उसे जाते देखता रहा. फिर वह दलान में आ कर अपनी चारपाई पर लेट गया. पत्नी के बारे में तरहतरह के विचार उस के दिमाग में कौंधने लगे. उधर उमा देवी ने उसी दिन से हरेंद्र को रास्ते से हटाने की मन में ठान ली.

रात में ही उस ने अपने प्रेमी जितेंद्र वर्मा को मोबाइल फोन पर पूरी बात बताई और कहा कि तुम तो मुझे गेट तक छोड़ कर चले गए, मगर वह कमीना पति, पता नहीं कैसे गेट के पीछे ही छिपा हुआ था. उस ने सब कुछ देख लिया है. उसे ठिकाने लगाना होगा. जल्दी से जल्दी कोई प्लान बना लो. अगर तुम मुझ से वास्तव में सच्चा प्यार करते हो तो हरेंद्र को रास्ते से हटाना ही होगा. उसे सब कुछ पता चल गया है. मैं उसे अब आगे कैसे बरदाश्त करूंगी. वरना हमारे प्यार का ही नहीं, मेरे जीवन का भी अंत हो जाएगा.

”यह तो बहुत बुरा हुआ. मगर मैं ऐसा नहीं होने दूंगा. हमारा प्यार जिंदा रहेगा और परवान भी चढ़ता रहेगा. हमें दुनिया की कोई ताकत जुदा नहीं कर सकती. मैं तो आधी रात को अभी किसी समय उस को सोते में ही ठिकाने लगा देता, लेकिन यह संभव नहीं है. तुम ने बताया है कि तुम्हारे पापा और भाई भी उस के साथ ही दालान में लेटे हुए हैं.

”दूसरे यह कि किसी नौजवान युवक की हत्या करना अकेले आदमी का काम नहीं है, क्योंकि इतना सब कुछ देखने के बाद उसे नींद नहीं आ रही होगी. जागते हुए आदमी को मारना आसान नहीं होता.’’ जितेंद्र वर्मा बोला.

”कुछ और सोचो! तुम तो आसमान से तारे तोड़ के लाने की बातें करते थे. अब सिर्फ एक आदमी ठिकाने लगाने का साहस दिखाने की जरूरत है.’’ उमा ने उसे चुनौती दी.

”दूसरा रास्ता यह है कि जिस समय सुबह वह तुम्हारे घर से अपने घर जाने के लिए निकले तो उसे रास्ते में कहीं ठिकाने लगा दिया जाए, लेकिन अब इतना समय नहीं है. साथ देने के लिए 2 -4 लोग और होने चाहिए. इतनी आसानी से वह कब्जे में नहीं आएगा. तमंचे वगैरह का इंतजाम नहीं है. गोली मार के हत्या करने से दिन में तो बवाल हो जाएगा. कहीं आसपास के लोगों ने आ कर घेर लिया तो जान खतरे में पड़ जाएगी. वैसे भी इतनी जल्दी किसी हथियार का इंतजाम नहीं हो सकता.’’ जितेंद्र ने कहा.

”देखो, हरेंद्र कल किसी कीमत पर यहां नहीं रुकेगा. फिर उस के घर जा कर उस की हत्या करना आसान ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है. तुम्हारे अंदर बुद्धि नहीं है, मैं ही कोई प्लानिंग करती हूं. ऐसा करो तुम 1-2 अच्छे चाकू और 2-4 लोगों का इंतजाम कर के रखो.’’

उधर आधी रात के बाद जितेंद्र के साथ उमा को देखने के बाद हरेंद्र ससुराल नहीं आया. उमा देवी मायके में ही थी. अपनी योजना के अनुसार, उमा देवी ने अपना त्रियाचरित्र दिखाते हुए मोबाइल फोन से अपने पति हरेंद्र से माफी तलाफी की और कहा कि अब कभी कोई शिकायत नहीं मिलेगी. गलती इंसान से ही हो जाती है. आप मुझे क्षमा कर दें.

हरेंद्र के पास इस के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था. दोनों में मोबाइल फोन पर प्यार भरी बातें होती रहतीं. उमा के भाई की मई 2025 में शादी थी. उधर अपने साले रामविलास वर्मा से हरेंद्र की खूब अच्छी दोस्ती हो गई थी. वैसे भी वह उस का साला था. वह अपनी शादी का कार्ड ले कर हरेंद्र के घर आया. बहुत अच्छे माहौल में बातचीत हुई. हरेंद्र और परिवार के सभी लोगों ने वादा किया कि शादी में जरूर आएंगे. दूसरे दिन उमा देवी का भी फोन आया. उस ने भी कहा कि सभी लोग शादी में जरूर आएं. उमा देवी ने यह भी वादा किया कि शादी के बाद वह भी साथ में ससुराल आ जाएगी.

29 अप्रैल, 2025 को तेल पूजन का कार्यक्रम था. हरेंद्र इस मौके पर अपनी ससुराल पहुंच गया. गांव में उत्सव का माहौल था. विजय वर्मा का घर सजा हुआ था. रंगबिरंगी लाइटें, फूलों की मालाएं और खाने की खुशबू सब कुछ ऐसा था, जैसे कोई त्यौहार हो. विजय वर्मा गांव में एक सम्मानित व्यक्ति थे, जिन का घर हमेशा मेहमानों से गुलजार रहता था.

सब कुछ ठीकठाक अच्छा व खूबसूरत था. 30 अप्रैल, 2025 को जुगली कलां में हरेंद्र के लिए बहुत ही खुशी का मौका था. हरेंद्र का साला रामविलास शादी के बंधन में बंधने जा रहा था. शादी का कार्यक्रम भी बहुत अच्छा और हंसीखुशी से बीत गया. हरेंद्र के घर वाले जो रामविलास की शादी में शिरकत करने आए थे, विवाह समारोह के बाद अपने घर वापस चले गए. शादी के बाद शुक्रवार 2 मई, 2025  को बहूभोज का आयोजन था. यह एक तरह से रिसैप्शन का कार्यक्रम था. इस क्षेत्र में इसे बहूभोज के नाम से जाना जाता है.

गांव के लोग रिश्तेदार और आसपास के इलाकों से मेहमान आए थे. विजय वर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बड़ेबड़े शामियाने लगाए गए, पंडाल सजा था और तरहतरह के पकवान बन रहे थे. हरेंद्र हमेशा की तरह मेहमानों की आवभगत में जुटा था. वह कभी बच्चों के साथ मजाक करता तो कभी बड़ों के साथ गप्पें मारता. उस की हंसी उस रात की रौनक को और बढ़ा रही थी. बहूभोज का कार्यक्रम अपने चरम पर था. मेहमान खाना खा रहे थे. बच्चे इधरउधर दौड़ रहे थे और महिलाएं गीत गा रही थीं. तभी हरेंद्र के फोन की घंटी बजी. उस ने फोन उठाया और बात करते हुए धीरेधीरे पंडाल से बाहर निकल गया. कुछ लोगों ने उसे कंपोजिट विद्यालय की ओर जाते देखा.

इस के कुछ देर बाद जब कुछ मेहमान खाना खा कर घर लौट रहे थे तो उन की नजर सड़क किनारे गन्ने के खेत पर पड़ी. वहां खून से लथपथ हरेंद्र की लाश पड़ी थी. उस का गला इतनी बेरहमी से रेता गया था कि सिर शरीर से बस नाममात्र का जुड़ा था. चारों ओर खून बिखरा था. जैसे किसी ने जानबूझ कर उसे तड़पातड़पा कर मारा हो. पास में उस का मोबाइल फोन पड़ा था. स्क्रीन पर अब भी कोई नंबर चमक रहा था. हरेंद्र की लाश मिलने की खबर आग की तरह गांव में फैल गई. विजय वर्मा का घर जो कुछ देर पहले हंसीखुशी से गूंज रहा था, अब मातम में डूब गया. हरेंद्र की पत्नी उमा देवी बेसुध हो कर रो रही थी. गांव के लोग हैरान थे. कोई समझ नहीं पा रहा था कि आखिर यह हुआ कैसे?

सूचना मिलते ही यूपी डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची. महराजगंज तराई थाने के इंसपेक्टर अखिलेश पांडेय ने स्थिति को संभाला. जल्द ही हरैया और ललिया पुलिस की टीमें भी मौके पर आ गईं. एसपी विकास कुमार खुद फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. फोरैंसिक टीम ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य जुटाने शुरू किए.

24 घंटे में ऐसे खुला हत्या का केस

खून से सने चप्पल के निशान, बिखरा हुआ खून और हरेंद्र का मोबाइल हर चीज को बारीकी से देखा गया. पुलिस ने घटनास्थल को पट्टिका से घेर कर सील कर दिया गया. घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने हरेंद्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. मृतक के चाचा लल्लू वर्मा की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू की गई. महाराजगंज तराई थाने के एसएचओ अखिलेश कुमार पांडेय के नेतृत्व में स्वाट व सर्विलांस टीम ने छानबीन शुरू की. पता चला कि मृतक की पत्नी उमा का जितेंद्र वर्मा से चक्कर चल रहा है.

शुक्रवार की देर रात हरेंद्र की हत्या के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शनिवार को ही संदेह होने पर उस की पत्नी उमा देवी को हिरासत में ले लिया था. उसी से पूछताछ कर उस के प्रेमी जितेंद्र वर्मा व उस के 5 साथियों को भी उठाया. जांच में पता चला कि मुख्य आरोपी जितेंद्र वर्मा ने उमा देवी वर्मा, मुकेश कुमार, सचिन यादव, अखिलेश यादव, संतोष व मुकेश साहू के साथ वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया.

पता चला कि घटना के पहले हरेंद्र वर्मा को मोबाइल से फोन कर के गांव के बाहर गन्ने के खेत के पास बुलाया गया. जितेंद्र वर्मा के साथ गांव के ही मुकेश कुमार, सचिन यादव, अखिलेश यादव, संतोष और मुकेश साहू वहां मौजूद थे. हरेंद्र शराब या किसी नशे का आदी नहीं था, इसलिए जितेंद्र ने इतने लोगों को इकट्ठा किया.

जैसे ही हरेंद्र घर से बाहर थोड़ी दूर आया तो इन सब ने उसे दबोच लिया और खींच कर गन्ने के खेत के पास ले गए. उसे वहीं गिरा लिया. हरेंद्र ने बहुतेरे हाथपैर फेंके, लेकिन इतने लोगों के सामने वह बेबस हो गया. एक ने उस की खोपड़ी पकड़ कर मुंह बंद कर रखा था, जिस से कि उस की चीखने की आवाज बाहर न निकल सके. बाकी लोगों ने इतना कस कर उसे दबोच लिया कि वह हाथपैर भी न हिला सका. जितेंद्र ने उस के गले पर बड़ी बेरहमी से चाकू रख दिया. इस तरह योजनाबद्ध तरीके से हरेंद्र वर्मा की चाकू से गला रेत कर निर्मम हत्या कर दी. आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद हरेंद्र वर्मा की हत्या के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली निकली—

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खरबूपुर थाना क्षेत्र के देवरहना के युवक हरेंद्र वर्मा का विवाह करीब 4 साल पहले बलरामपुर जिले के महाराजगंज तराई थाना के गांव जुबली कलां की रहने वाली उमा वर्मा के साथ हुआ था. ग्रामीण परंपरा के अनुसार किशोर और किशोरी की उम्र परिपक्व न होने के कारण विवाह तो हो जाता है, लेकिन विवाह के समय दुलहन की विदाई नहीं होती. ग्रामीण भाषा में विदाई की इस रस्म को गौना कहते हैं. इन दोनों का भी 2 साल बाद गौना हुआ था.

गौना के बाद हरेंद्र वर्मा अपनी पत्नी को विदा करा के घर ले आया. वैवाहिक जीवन ठीकठाक गुजर रहा था, लेकिन पत्नी उस के प्रति इतनी गंभीर नहीं थी, जितनी कि एक नए शादीशुदा युवक को उस से अपेक्षाएं होती हैं. पत्नी का प्यार भरा रवैया न होने पर वह बड़ा मायूस रहता था. उमा देवी ज्यादातर खामोश रहती थी. उस का मुंह फूलाफूला रहता था. न घर के काम में उसे कोई दिलचस्पी थी, न ही पति के प्रति कोई दिलचस्पी दिखाई दी.

उमा देवी हमेशा मायके जाने के लिए तत्पर रहती. वह एक हफ्ता ससुराल में रहती तो 2 हफ्ते मायके में गुजारती. वैसे तो मायके वालों को भी उस का बारबार आना पसंद नहीं था, फिर भी औलाद तो औलाद ही होती है. उस के पेरेंट्स और भाई उस की इस हरकत पर उसे समझाते भी और जब वापस मायके आ जाती तो फिर निभाते भी थे. शादी हो जाने के बाद भी उमा अपने प्रेमी जितेंद्र वर्मा के टच में रहती थी. वह जब अपने मायके आती तो जितेंद्र वर्मा से उस की बराबर बातें होतीं. उमा ससुराल में पहुंचने के बाद भी चोरीछिपे मोबाइल से जितेंद्र से बात कर लिया करती थी. दोनों के इस रिश्ते की बात हरेंद्र को उड़तेउड़ते पता चली तो उस ने पत्नी को कई बार इधरउधर की मिसालें दे कर समझाया.

दिन गुजरते रहे. एक दिन उमा देवी अपनी ससुराल में थी, तभी प्रेमी जितेंद्र वर्मा उस की ससुराल पहुंच गया. हरेंद्र ने पत्नी से उस युवक की बाबत जानकारी की तो उमा देवी ने बताया कि यह उस का कजिन है. नाम है जितेंद्र वर्मा. अतिथि की तरह हरेंद्र ने उस की आवभगत की. उस दौरान हरेंद्र ने नोट किया कि जितेंद्र वर्मा का व्यवहार उमा देवी के प्रति भाईबहन जैसा नहीं था. वह अपने गांव के कजिन जितेंद्र वर्मा से बड़े खुल कर हंस कर इस तरह बात कर रही थी, जैसे अपने किसी प्रेमी से कर रही हो. उस समय उस ने पति को बिलकुल नजरअंदाज कर रखा था.

कुछ घंटे रुकने के बाद जितेंद्र वर्मा चला गया तो हरेंद्र को शक हुआ कि यही वह युवक है, जिस से उमा छिपछिप कर फोन पर बात करती है. उस के जाने के बाद पत्नी से हरेंद्र ने अपने शक का इजहार किया. इस पर उमा ने साफ इनकार कर दिया. कई तरह की कसमें खा कर उस ने पति को यकीन दिलाया कि उस का किसी से कोई चक्कर नहीं है. उस के बाद से उमा देवी का रवैय्या एकदम बदल गया. वह पति पर प्यार लुटाने लगी. घर वालों की सेवा में भी कोई कमी नहीं करती, इसलिए हरेंद्र ने जितेंद्र वर्मा की तसवीर दिमाग से निकाल दी. उसे ऐसा लगा कि यह उस के मन का वहम था. वह भी पत्नी का खयाल ठीक से रखने लगा. वह खुश भी दिखती. उस के इस तरह के बदलाव से हरेंद्र भी हैरान था.

जबकि असलियत कुछ और ही थी. दरअसल, उमा के लिए यह शादी सिर्फ एक ऐसा बंधन था, जिस में उसे जबरदस्ती उस की मरजी के खिलाफ बांधा गया था. लिहाजा वह अपना झूठा चेहरा पति के सामने दिखाने लगी थी कि वह खुश है. लेकिन अंदर ही अंदर वह अपने पति से बेइंतहा नफरत करती थी. वह एक मौके की तलाश में थी.

उस के दिल की धड़कनें शादी के 4 साल बाद भी अपने प्रेमी के लिए धड़कती थीं. कई बार मांबाप अपनी इज्जत अपने समाज के दिखावे और अपनी इच्छाओं के चलते अपनी संतान के दिल की आवाज को नजरअंदाज कर देते हैं. बलरामपुर जिले के महाराजगंज तराई थाना के गांव जुबली कलां के विजय वर्मा की बेटी उमा देवी की भी यही कहानी है. उमा देवी का गांव के ही एक युवक जितेंद्र से प्रेम प्रसंग चल रहा था.

फेमिली वालों ने क्यों नहीं मानी उमा की बात

एक ही गांव के जितेंद्र वर्मा और उमा देवी एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाते थे और दोनों ने यह कहा था कि वे एकदूसरे के बिना रह नहीं पाएंगे. लिहाजा दोनों ने अपने फेमिली वालों को इस बात की जानकारी दी. जितेंद्र के घर वाले इस शादी के लिए तैयार हो गए. उन्होंने सोचा कि जहां बेटे की खुशी वहीं हमारी खुशी. अगर बेटा यह चाहता है तो ठीक, यही सही, लेकिन उमा के घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए.

उन का कहना था कि जिस तरह का लड़का वो चाहते हैं उस तरह का जितेंद्र नहीं है. इस पैमाने पर वह फिट नहीं बैठता. वह उन की बेटी को खुश नहीं रख सकता. दोनों के सामाजिक स्तर में जमीनआसमान का फर्क था. उमा इस दौरान अपनी मम्मी को लाख समझाती रही कि वह उस के साथ खुश रहेगी. जितेंद्र उसे खूब खुश रखेगा. जितेंद्र उस का ख्याल रखेगा, लेकिन उमा की हर बात को मम्मी ने दरकिनार कर दिया.

उन्होंने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा, तुम्हें अभी जीवन का अनुभव नहीं है. तुम्हारी उम्र अभी 18-19 साल है. तुम्हें क्या पता जीवन में क्या होता है. जीवन की गाड़ी कैसे चलती है. तुम्हें कुछ नहीं पता है. तुम अपने फैसले नहीं ले सकतीं. इस तरह जबरदस्ती उमा की आवाज को हमेशा के लिए चुप करा दिया गया. उमा का जितेंद्र के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है, इस की चर्चा पूरे गांव में होते हुए विजय वर्मा के कानों तक भी पहुंची. उन में चिंता और आक्रोश का ज्वालामुखी अंदर ही अंदर धधकने लगा. अपने आक्रोश को दबाते हुए उन्होंने बेटी से बड़े प्यार से कहा कि बेटी यह मैं ने क्या सुना है कि तुम गांव के किसी लड़के के चक्कर में पड़ गई हो.

उमा अपने पापा के सामने बोलने का साहस नहीं जुटा पाई. बस नीचे सिर कर के गुमसुम बैठी रही. उस की आंखें नम हो गई थीं. इस से पहले कि वह बिलखबिलख कर रोने लगती, उस की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता, विजय वर्मा स्थिति को भांप कर चुपचाप दूसरे कमरे में चले गए.

विजय वर्मा ने सोचा कि इस पूरे प्रकरण की जानकारी उन की पत्नी को जरूर होगी. अपनी पत्नी के माध्यम से इस समस्या को सुलझाने का मन बनाया. उन्होंने पत्नी से कहा कि बेटी को समझाओ. हम गांव के सम्मानित और इज्जतदार लोग हैं. अगर ऐसे लुच्चेलफंगे के साथ हम ने अपनी बेटी का विवाह कर दिया तो हमारी समाज में क्या इज्जत रह जाएगी. वैसे भी पुरानी कहावत है, समधियाना और पाखाना दूर का ही सही रहता है. विजय वर्मा के स्वभाव को उन की पत्नी भलीभांति जानती थी. इस से पहले कि वह आक्रोश की आग में जल उठें, उन का ब्लड प्रैशर हाई हो. पत्नी ने कहा कि आप चिंता न करें, मैं उसे समझा दूंगी. इस के लिए कोई रिश्ता  ढूंढना शुरू कर दें. शादी हो जाएगी तो सब कुछ नारमल हो जाएगा. न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी.

उमा देवी की मम्मी उसे पहले ही अपना फैसला सुना चुकी थी. कह चुकी थी कि यह शादी हरगिज नहीं हो सकती. मम्मी ने बेटी उमा देवी को समझाया. कहा बेटी बचपन लड़कपन में बच्चों से ऐसा हो जाता है. किसी से ज्यादा बोलचाल दोस्ती एक लिमिट तक ही रहनी चाहिए. आजकल जमाना ठीक नहीं है. लड़के अपना काम निकाल कर भूल जाते हैं. ऐसी घटनाएं भी होती हैं कि फोटो या वीडियो बना कर ब्लैकमेल करते रहते हैं. आए दिन घटनाएं होती हैं. प्रेमव्रेम का चक्कर अच्छा नहीं है. मम्मीपापा जो शादी करते हैं, वह सब कुछ देखभाल कर करते हैं. अरेंज मैरिज ही ज्यादा कामयाब है. उमा देवी चुपचाप मम्मी की बात सुनती रही और कुछ नहीं बोली. अंत में उस ने कहा ठीक है मम्मी.

जितेंद्र वर्मा का उमा देवी से आमनासामना स्कूल आतेजाते हो जाता. गांव की और भी लड़कियां स्कूल आतीजाती थीं, लेकिन गांव के लड़के अपने गांव की लड़कियों से किसी तरह का कोई हंसीमजाक नहीं करते, बल्कि उन का मानसम्मान करते. आतेजाते सिर्फ इस तरह से एकदूसरे को देख लिया करते, जैसे राह चलते अनजान लोग एकदूसरे को देख कर अपनीअपनी मंजिल की तरफ आतेजाते हैं.

4 साल पहले की बात है. गांव में एक शादी समारोह चल रहा था. रात का समय था. सब अपनीअपनी प्लेट लिए खाना हासिल करने की जद्ïदोजहद कर रहे थे. भीड़ काफी थी. जो लोग प्लेट में खाना प्राप्त कर लेते, वह इस तरह से पीछे हटते जैसे कोई मुकाबला जीत लिया हो. उमा देवी भी प्लेट में खाना ले कर तेजी से बाहर निकली तो जितेंद्र वर्मा से टकरा गई. प्लेट में रखी सब्जियों ने जितेंद्र वर्मा की शर्ट से ले कर पैंट तक को अपनी चपेट में ले लिया. वह पछतावा भरी नजरों से जितेंद्र वर्मा को देख रही थी. जितेंद्र ने उमा देवी को देखा.

दोनों की नजरें एकदूसरे को काफी देर तक देखती रहीं. उस की आंखों में एक गहराई थी, जादू नहीं, बल्कि सुकून था. काजल से सजी वो नजरें कुछ कह नहीं रही थीं, बस चुपचाप दिल तक उतर गईं. वह मुसकराने लगी, उस की मुसकान में मासूमियत और शरारत का अजीब सा मेल था, जैसे सावन की पहली फुहारें किसी तपती दोपहर को छू जाएं. उस की गरदन की हलकी सी लचक, बालों को धीमे से झटकना और दुपट्टे का नजाकत से इस तरह संवारना कि स्तनों को पूरी तरह दिखा कर एक हाथ से ही दुपट्टे का एक पहलू सिर पर रखना, यह सब नजारे जितेंद्र वर्मा के दिल में बस गए. उस का रंग सांवला नहीं था, गोरा भी नहीं, लेकिन उस में वो चमक थी, जो उस की भरपूर जवानी का दस्तक दे रही थी.

जितेंद्र वर्मा ने चुप्पी तोड़ी, ”कोई बात नहीं भीड़भाड़ में ऐसा हो ही जाता है.’’

जवाब में उमा देवी ने कहा, ”नहीं, मेरी गलती है. सौरी… आप मुझे क्षमा कर दें.’’

इतनी देर में ही दोनों के बीच प्यार की नींव रख गई. उस समय उमा और जितेंद्र दोनों की उम्र 18 साल के आसपास ही रही होगी. उमा देवी के घर से 100 कदम की दूरी के बाद ही खेती की जमीनों का क्षेत्र शुरू हो जाता है. जितेंद्र वर्मा खेतों की तरफ आ जाता, उमा वायदे के अनुसार वहां मिल जाती. पेड़पौधों की आड़ में बैठ कर दोनों प्रेम की बातें करते और भविष्य की प्लानिंग बनाते. इश्क और मुश्क छिपता नहीं यह कहावत यहां भी चरितार्थ हो गई. दोनों के प्यार के चर्चे गांव में होने लगे. उमा देवी के फेमिली वालों को पता चला तो उन्होंने उस पर रोक लगा दी. निगरानी शुरू कर दी. समाज की ये दीवारें प्यार करने वालों को कहां रोक पाती हैं.

दोनों के बीच मोबाइल फोन पर बातें होती रहतीं. मौका मिलता, दोनों छिपछिप कर मिल लिया करते. जितेंद्र के फेमिली वालों को उन की प्रेम कहानी का पता चला. उस की मम्मी ने जितेंद्र को समझाते हुए कहा कि हमारा उमा देवी के परिवार से बिरादरी का रिश्ता तो है, लेकिन बराबरी का नहीं है. वे लोग शादी के लिए तैयार नहीं होंगे. बेटा, ऐसा करो उसे भूल जाओ, वरना समस्याओं में ही घिरोगे. कोई हल नहीं निकलेगा. वे दबंग और असरदार लोग हैं. वे हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं.

जितेंद्र ने कहा, ”मम्मी, उन के घर एक बार रिश्ता भिजवा कर तो देख लो, कभी उमा की खुशी के लिए वे लोग शादी के लिए तैयार हो जाएं.’’

बेटे की जिद को देखते हुए जितेंद्र के फेमिली वालों ने शादी के लिए उमा के घर रिश्ता भेजा, लेकिन उन्होंने बेटी का शादी जितेंद्र के साथ करने से साफ मना कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने नाराजगी भी जताई. विजय वर्मा अपनी बेटी की शादी के लिए रिश्ते की तलाश कर ही रहे थे कि इसी बीच उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खरबूपुर थाना क्षेत्र के देवरहना के युवक हरेंद्र वर्मा के बारे में उन्हें पता चला. उन के पिता चंद्रप्रकाश वर्मा गांव के सम्मानित व मेहनती किसान थे, उन्हें गांव में चंदू के नाम से जाना जाता था.

हरेंद्र की 3 बहनें थीं. एक हरेंद्र से बड़ी बहन और 2 उस से छोटी हैं. बड़ी बहन की शादी हो गई. हरेंद्र से छोटी 2 बहनों की शादी नहीं हुई थी. चंद्रप्रकाश वर्मा अपनी एक और बेटी का विवाह करने के बाद हरेंद्र की शादी करना चाहते थे. बिचौलिए की बातों में आ कर वह हरेंद्र की शादी के लिए तैयार हो गए. सभी तरफ से जानकारी करने पर परिवार को अच्छा ही बताया गया. हरेंद्र का बचपन गांव की गलियों में दोस्तों के साथ हंसतेखेलते बीता, वह पढ़ाई में ठीकठाक था. उस का असली हुनर लोगों से मिलनाजुलना था. उस से बात कर के कोई भी उदास नहीं रह सकता था, बल्कि प्रभावित हो जाता था. करीब 20 वर्षीय चंचल और लंबाचौड़ा हरेंद्र उमा देवी के फेमिली वालों को पसंद आ गया और आननफानन में दोनों का विवाह कर दिया.

हरेंद्र वर्मा से शादी हो जाने के बाद भी उमा ने अपने प्रेमी जितेंद्र वर्मा से मिलना जारी रखा. वह किसी भी हालत में जितेंद्र से दूर नहीं होना चाहती थी. बाद में जब हरेंद्र को पत्नी के अवैध संबंधों की जानकारी हो गई तो उमा ने प्रेमी के साथ मिल कर पति को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया. फिर मौका मिलने पर 2 मई, 2025 को पति की हत्या करा दी. पुलिस ने हत्यारोपी उमा देवी, उस के प्रेमी जितेंद्र वर्मा, मुकेश कुमार, सचिन यादव, अखिलेश यादव, संतोष और मुकेश साहू को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

एसपी विकास कुमार ने 24 घंटे के अंदर ही घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की. True Crime Stories Hindi

 

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