Social Story : आजकल सैक्सटौर्शन के मामले दिनप्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. धंधे में कमाई इतनी अच्छी होती है कि उच्चशिक्षित युवकयुवतियां भी इसे करने में गुरेज नहीं कर रहे. आखिर ऐसी क्या वजहें हैं कि सैक्सटौर्शन एक कुटीर उद्योग की तरह छोटेछोटे शहरों में भी फैल रहा है?

खाने की टेबल पर बैठे जितेंद्र सिंह  फेसबुक मैसेंजर पर आई उस वीडियो काल के बाद अचानक असहज हो गए. क्योंकि सामने बेटी, बेटा, बहू और पत्नी, पोता और पोती सभी डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे. उन्होंने फोन को झटपट साइलैंट मोड पर किया. प्लेट में रखे खाने के अंतिम 2 कौर झटपट मुंह में डाले और पानी पी कर झट से उन्हें गले से नीचे उतार कर बोले, ‘‘तुम लोग खाना खाओ, मेरा बाहर से कोई अर्जेंट काल है, उसे अटेंड करता हूं.’’

वह उठे और तेजी के साथ अपने रूम की तरफ बढ़ गए. वे कमरे में घुसते ही सीधे अटैच्ड बाथरूम में गए. फेसबुक की मैसेंजर काल डिस्कनेक्ट हो कर दोबारा शुरू हो चुकी थी. बाथरूम में घुसते ही उन्होंने वीडियो काल अटैंड की.  सामने स्क्रीन पर नजर आ रही खूबसूरत हसीना से फुसफुसाते हुए बोले, ‘‘सौरी जानू… डाइनिंग टेबल पर था और पूरी फैमिली सामने बैठी थी इसलिए काल अटैंड नहीं की.’’

सामने खड़ी हसीना ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं जानेमन, लेकिन अब अगर अकेले हो तो जल्दी से कपड़े उतारो और मेरी प्यास बुझा दो… बहुत देर से तड़प रही हूं… देखो मेरे बदन से कपड़े कैसे उतर रहे हैं… जल्दी करो… मेरी प्यास बुझा दो…’’

और कहते हुए फोन की स्क्रीन पर नजर आने वाली लड़की ने एकएक कर अपने कपड़े उतार कर निर्वस्त्र बदन को इस तरह सहलाना शुरू किया कि उत्तेजना के चरम पर पहुंच चुके जितेंद्र सिंह ने झटपट अपने कपड़े उतार कर अपने अंगों से खेलना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ वीडियो काल पर मौजूद युवती अपने बदन को सहलाते हुए ऐसी कामोत्तेजक आवाजें निकाल कर जितेंद्र को उत्तेजित कर रही थी कि कुछ ही देर में उन का शरीर शिथिल और ठंडा पड़ गया. फेसबुक पर 4-5 दिन पहले ही जितेंद्र सिंह की दोस्त बनी रुचिका नाम की इस प्रेमिका ने लगातार दूसरे दिन उन्हें उम्र के उस पड़ाव पर चरम सुख दे कर अपना दीवाना बना लिया था.

60 की उम्र पार कर चुके जितेंद्र सिंह के जीवन में रुचिका कुछ रोज पहले अचानक बहार बन कर आई थी. अचानक चंद रोज पहले फेसबुक पर रुचिका ने उन के मैसेंजर बौक्स में हाय लिख कर दोस्ती करने का निमंत्रण दिया. रुचिका के प्रोफाइल में उस की निहायत खूबसूरत तसवीरों को देखने के बाद जितेंद्र  खुद को उस की दोस्ती कबूल करने से रोक नहीं सके. रुचिका को दोस्ती का प्रत्युत्तर मिलते ही फेसबुक मैसेंजर पर उन की दोस्ती की चैट का सिलसिला शुरू हो गया. दिन में कई बार बातें होतीं. रुचिका ने खुद को नौकरीपेशा और हौस्टल में रहने वाली अविवाहित लड़की बताया. 1-2 दिन में जितेंद्र रुचिका से इतनी करीबी महसूस करने लगे कि अपनी फोटो उस के मैसेंजर में भेजने और उस की फोटो मांगने का सिलसिला शुरू हो गया.

2 दिन बाद ही दोनों के बीच वाट्सऐप नंबरों का भी आदानप्रदान शुरू हो गया. इस के बाद शुरू हुआ देर रात तक चैटिंग और वीडियो काल करने का सिलसिला और ऐसी कामुक बातों का दौर जिस ने रहेसहे फासलों की दूरी भी पाट दी. धीरेधीरे खुलते गए जितेंद्र सिंह चौथे दिन चैट करते समय रुचिका ने जितेंद्र से अचानक उन के प्राइवेट पार्ट की वीडियो दिखाने की फरमाइश की तो उन्होंने रुचिका से पहले अपना बदन दिखाने को कहा. रुचिका ने फरमाइश पूरी कर दी तो बेकाबू हुए जितेंद्र ने भी बाथरूम में जा कर वीडियो काल से उसे भी खुद को आदमजात स्थिति में दिखा दिया. अगले दिन जब वे खाने की टेबल पर थे तो इसी बीच मैसेंजर पर रुचिका का प्रणय निवेदन आया कि वह उन का देखना चाहती है.

इसी के बाद जितेंद्र जल्दी से खाना खत्म कर के बाथरूम में पहुंचे और वहां वही सब हुआ, जो पिछली रात को हुआ था. दरअसल, पिछले चंद रोज में रुचिका फेसबुक से हुई दोस्ती के बाद उन की जिंदगी में इतनी तेजी से समा गई थी कि वह उन की सोच पर हावी हो गई थी. अपनी उम्र, समाज की ऊंचनीच और भलेबुरे का उन्हें कोई खयाल ही नहीं रहा. अहसास तो उन्हें तब हुआ जब अचानक उन के फेसबुक वाल पर उन की कुछ न्यूड फोटो किसी ने अपलोड कर दीं. चूंकि जितेंद्र  सिंह सोशल मीडिया पर ज्यादा ही एक्टिव रहते थे, लिहाजा उन्होंने जैसे ही वह अश्लील फोटो देखी तो उन्हें डिलीट कर अपनी फेसबुक वाल को ब्लौक कर दिया ताकि उस पर कोई कुछ भी अपलोड न कर सके.

शुक्र था कि अपलोड होने के तुरंत बाद उन्होंने इन्हें डिलीट कर दिया था. अचानक वह परेशान हो उठे. कहीं उन की ये तसवीरें फेसबुक के किसी फ्रैंड ने देख तो नहीं लीं… यही सोचतेसोचते वह डिप्रेशन में चले गए. बेटियां जवान और शादीशुदा हों और घर में पत्नी के अलावा बेटा, बहू व पोतेपोती हों तो उम्र के इस पड़ाव में बदनामी के डर से परेशान होना लाजिमी होता है. शुरू हुई ब्लैकमेलिंग इस घटनाक्रम की परेशानी अभी कम नहीं हुई थी कि उन के वाट्सऐप पर रुचिका की वाइस काल आई, ‘‘जितेंद्रजी, बहुत मजे ले लिए एक मजबूर लड़की से, अब जेल जाने के लिए तैयार हो जाओ… मैं तुम को पूरी दुनिया में इतना बदनाम कर दूंगी कि कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रहोगे.’’

‘‘यार, ये तुम कैसी बातें कर रही हो… हमारे बीच जो कुछ हुआ है वो तो अंडरस्टैंडिंग से हुआ है. और तुम ने मुझ से बात किए बिना मेरी फोटो मेरे फेसबुक पर क्यों डाली?’’ जितेंद्र  सिंह अचानक रुचिका का फोन आने के बाद सहम गए और गिड़गिड़ाते हुए बोले.

‘‘चलो तब बात नहीं की थी तो अब बात कर लेते हैं… बताइए कितना हरजाना देंगे अपनी रुसवाई से बचने के लिए?’’ रुचिका ने अचानक किसी शातिर कारोबारी की तरह बात करनी शुरू कर दी.

‘‘यार, ये तुम कैसी बात कर रही हो… हम दोनों दोस्त हैं. फिर यह हरजाने वाली बात कहां से आ गई.’’ अचानक जितेंद्र रुआंसे हो गए. उन्हें अपना पूरा अस्तित्व डूबता हुआ सा नजर आने लगा. वह समझ गए कि एक साजिश के तहत वह एक ब्लैकमेलर लड़की के चंगुल में फंस चुके हैं. उन्होंने समझदारी और चतुराई से काम लिया और बोले, ‘‘देखो यार, मैं कोई अमीर आदमी नहीं हूं और तुम्हारे पास अगर मेरे खिलाफ सबूत हैं तो मेरे पास भी इस बात के सबूत हैं कि तुम ने मुझ से दोस्ती की शुरुआत कर मुझे फंसाया था. तुम शायद मुझे जानती नहीं हो, मेरे कौन्टैक्ट पुलिस के कई अफसरों से हैं.’’

लेकिन साथ ही उन्होंने उसे शांत करने के लिए यह भी बोला, ‘‘हां, अगर तुम कहोगी तो मैं तुम्हारी थोड़ीबहुत हेल्प कर दूंगा. लेकिन मुझे थोड़ा वक्त चाहिए.’’

जितेंद्र सिंह आगे कुछ कह पाते उस से पहले ही रुचिका ने धमकी भरे अंदाज में कहा, ‘‘देख बे ठरकी… तेरे पास केवल 2 दिन का वक्त है 5 लाख रुपए का इंतजाम कर ले, नहीं तो पूरी दुनिया देखेगी कि तेरे जैसे बुड्ढे किस तरह मासूम लड़कियों से फेसबुक पर दोस्ती कर के अपनी ठरक मिटाते हैं. बाकी का हिसाब तुझ से पुलिस अपने आप ले लेगी. मैं बाद में फोन करूंगी. जल्दी से पैसे का इंतजाम कर.’’

फोन कटने के बाद घबराहट में जितेंद्र  की सांसें लोहार की धौंकनी की तरह चलने लगीं. जितेंद्र सिंह रसूख वाले इंसान थे. उन्होंने खुद पर काबू पाया और समझदारी के साथ सिर पर आ पड़ी इस मुसीबत से निकलने का फैसला किया. अगली सुबह वह दिल्ली पुलिस में तैनात एक अधिकारी दोस्त के पास जा पहुंचे और उन्हें अपने साथ हुई घटना अक्षरश: बयान कर दी. ऐसे मामलों में जैसा होता है वैसा ही जितेंद्र सिंह के साथ भी हुआ. पुलिस अफसर दोस्त ने उन्हें उम्र का हवाला देते हुए उन की ठरकबाजी के लिए पहले तो खूब खरीखोटी सुनाई. जितेंद्र सिंह जानते थे कि ऐसा ही होगा. लेकिन बाद में पुलिस अफसर दोस्त ने क्राइम ब्रांच में अपने एक मातहत अधिकारी को फोन किया और जितेंद्र  सिंह को उन के पास भेज दिया.

साथ ही यह भी ताकीद कर दी कि जितेंद्र का नाम उन की पहचान सामने लाए बिना उन की मदद करें. क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर बन कर हड़काया जितेंद्र उसी दिन जब क्राइम ब्रांच के अधिकारी से मिल कर वापस लौटे तो उन के फोन पर एक अंजान नंबर से काल आई. ट्रूकालर में विक्रम सिंह राठौर साइबर सेल लिख कर आ रहा था. जितेंद्र सिंह ने सोचा कि शायद क्राइम ब्रांच में वह जिस बडे़ अधिकारी से मिल कर आ रहे हैं, उन के मातहत किसी अधिकारी ने कोई जानकारी लेने के लिए उन्हें  फोन किया होगा. जितेंद्र सिंह ने फोन रिसीव कर लिया. सामने वाले ने अपना परिचय इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठौर के रूप में दिया. जितेंद्र सिंह समझ गए कि उन की शिकायत पर क्राइम ब्राच वाले अधिकारी ने काफी तेजी से जांच का काम शुरू करा दिया है.

‘‘मिस्टर जितेंद्र सिंह, आप को शर्म आनी चाहिए एक लड़की से फोन पर इस तरह की अश्लील बातें करते हुए और उस के सामने अपने कपड़े उतारते हुए. जानते हैं इस मामले में आप को कितनी सजा हो सकती है. और जब आप के परिवार को यह बात पता चलेगी तो उन पर क्या गुजरेगी… समाज में आप की कितनी बदनामी होगी. जब आप इस मामले में अरेस्ट किए जाएंगे.’’

खुद को साइबर क्राइम का इंसपेक्टर राठौर बताने वाले ने जब यह बात कहीं तो अचानक जितेंद्र सिंह का माथा ठनका. क्योंकि उन के अधिकारी दोस्त व क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने तो वायदा किया था कि उन की पहचान उजागर किए बिना उन की मदद की जाएगी और ब्लैकमेल करने वाली महिला को पकड़ा जाएगा. लेकिन यहां तो सब उलटा ही हो रहा था. लिहाजा उन्होंने खुद को राठौर बताने वाले इंसपेक्टर से कहा, ‘‘मिस्टर राठौर, आप के बौस ने भी मुझ से ऐसी बात नहीं की थी, जिस तरह आप बात कर रहे हैं. उन्होंने मेरे बारे में आप से ठीक से नहीं बताया क्या?’’

‘‘कौन से बौस की बात कर रहे हो मिस्टर और तुम्हारे जैसे ठरकी लोगों से कैसे बात की जाती है, मैं खूब अच्छी तरह से जानता हूं. देखो, तुम्हारे खिलाफ शिकायत मिली है… अभी मैं ने मामला दर्ज नहीं किया है… ये मामले बड़े नाजुक होते हैं… उस लड़की से जैसे भी हो, आपस में बातचीत कर के सैटल कर लो, नहीं तो मुझे केस रजिस्टर कर के तुम्हें अरेस्ट करना होगा… इस में तुम्हारी इज्जत भी जाएगी और कोर्टकचहरी में पैसा खर्च होगा सो अलग.’’ उस ने हड़काया.

कथित राठौर की ये धमकी सुन कर जितेंद्र सिंह समझ गए कि उन्हें फोन करने वाला कम से कम क्राइम ब्रांच के उस अधिकारी का तो मातहत नहीं हो सकता, जिसे वह अपनी पीड़ा सुना कर आए थे. जितेंद्र सिंह ने भी बदले तेवर लिहाजा उन्होंने पलट कर फिर से क्राइम ब्रांच के अधिकारी को फोन कर के पूछा कि क्या उन्होंने किसी अधिकारी को उन के मामले की जांच के काम पर लगाया है तो उन्होंने कहा, ‘‘अभी मीटिंग की व्यस्तता के कारण वह ऐसा नहीं कर सके थे, लेकिन कल तक मामले की जांच शुरू करा देंगे.’’

तब जितेंद्र सिंह समझ गए कि उन्हें ब्लैकमेल करने वाली लड़की के किसी साथी ने ही खुद को साइबर क्राइम का इंसपेक्टर बता कर फोन किया था. तब जितेंद्र सिंह ने उस फोन काल के बारे में क्राइम ब्रांच के अपने परिचित अफसर को बताया तो उन्होेंने पहले जितेंद्र से वह नंबर लिया, जिस नंबर से उन्हें फोन आया था. उस के बाद उन्होंने जितेंद्र को सलाह दी कि अब की बार फोन आने पर वह पैसे मांगने वाले लोगों से साफ कह दें कि वह एक पाई भी नहीं देंगे, जो करना है कर लो…चाहे तो यह भी कह दें कि उलटा उन्होंने ही उस की शिकायत क्राइम ब्रांच में कर दी है.

ऐसा ही हुआ… अगली सुबह पहले रुचिका का वाट्सऐप काल उन के फोन पर आया और उस ने पूछा कि पैसे का इंतजाम हुआ या नहीं? जितेंद्र सिंह ने उसे डांट दिया और बोले, ‘‘मैं जानता हूं तुम जैसे लोग लोगों को कैसे ठगते हो…’’

जितेंद्र सिंह ने उसे धमकी दी, ‘‘मैं ने पहले ही तुम लोगों की शिकायत पुलिस में कर दी है.’’

उसी दोपहर को जितेंद्र के पास इंसपेक्टर राठौर बताने वाले शख्स का भी फोन आया. उस ने जब पूछा, ‘‘लड़की से आप का कोई सैटलमैंट हुआ या नहीं?’’

जितेंद्र सिंह ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘तुम लोगों से हम पुलिस की हवालात में बात करेंगे, क्योेंकि मैं ने पहले ही तुम लोगों की शिकायत पुलिस में कर दी है. साथ ही तुम्हारे फोन काल्स को पुलिस रिकौर्ड कर रही है.’’

इतना सुनते ही खुद को इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठौर बताने वाले शख्स ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया. जनवरी 2021 में दिल्ली पुलिस ने पहली बार यह खुलासा किया था कि भरतपुर के मेवाती इलाके खोह के कुछ गांवों से सैक्सटौर्शन का रैकेट एक सिंडीकेट के रूप में चलाया जा रहा है. साइबर क्राइम की टीम ने 6 लोगों को पकड़ा था. जिन्होंने दरजनों लोगों से करीब 25 लाख रुपए ऐंठ लिए थे. उन के पास से 17 मोबाइल फोन बरामद हुए थे, जिन में 40 लोगों की अश्लील वीडियो पुलिस टीम को मिली थी. पुलिस को यह भी पता चला था कि इस गैंग में कोई युवती नहीं थी, वह केवल किसी शख्स को फंसाने के लिए पहले से बने महिलाओं के वीडियो चलाते थे.

दिल्ली पुलिस की काररवाई के बाद ही जून 2021 में अलवर की गोविंदगढ़ पुलिस ने ब्लैकमेलिंग का कालसैंटर पकड़ कर उस से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. ये सभी लोग भरतपुर के मेवाती इलाकों के रहने वाले थे. ये गिरोह कई राज्यों के लोगों से 80 लाख रुपए ठग चुका था. गिरफ्तार हुए लोग काल सैंटर की तरह अलगअलग शिफ्ट में काम करते थे. सैक्सटौर्शन के काल सैंटर में काम करने वाले ये लोग लड़कियों के नाम से फरजी फेसबुक आईडी बनाते थे. उस के बाद अश्लील वीडियो के जरिए न्यूड चैट कर के लोगों को फंसाते थे. फिर इस अश्लील वीडियो कालिंग की रिकौर्डिंग को भेज कर ब्लैकमेल करते थे.

पुलिस ने उन के कब्जे से 23 मोबाइल फोन बरामद किए थे. जांच के बाद पता चला कि बड़ी संख्या में इन के अलगअलग नाम से बैंक खाते हैं. महिलाओं के नाम से खुद के पेटीएम, वाट्सऐप और फेसबुक सहित अधिकतर प्लेटफार्म पर एकाउंट खोल रखे थे. ताकि दूसरे लोगों को विश्वास हो जाए कि ये खाते महिला के नाम से ही हैं. इस के कुछ दिन बाद अगस्त, 2021 में राजस्थान के अलवर जिले की रामगढ़ थाना पुलिस ने भी लड़की के नाम से फरजी आईडी बना कर अश्लील चैंटिग कर लोगों को ब्लैकमेल करने और लाखों रुपए ठगने वाले शातिर गिरोह का परदाफाश कर सैक्सटौर्शन करने वाले शातिर अपराधियों इकबाल और साहिल को गिरफ्तार किया था. ये दोनों भी भरतपुर के मेवात क्षेत्र रहने वाले थे.

ठगी करने वाले लोग पहले फ्रैंडशिप लिस्ट में बड़ी चतुराई से शामिल हो जाते हैं. अगर आप पुरुष हैं तो महिला बन कर और महिला हैं तो पुरुष बन कर आप से दोस्ती की जाती है. कई बार महिला के साथ महिला और पुरुष के साथ पुरुष बन कर भी दोस्ती का जाल बिछाया जाता है. सैक्सी बातों में फंस जाते हैं लोग फेसबुक मैसेंजर के जरिए शुरू होने वाली बातचीत बाद में वाट्सऐप और कई बार मोबाइल पर भी होने लगती है. बातचीत के झांसे में ‘साम दाम दंड भेद’ सभी का पूरा सहारा लिया जाता है. भावुक बातें, जरूरत से ज्यादा केयर करना, कुछ जोक्स, वीडियो और मैसेज के साथ सैक्सी बातें भी होने लगती हैं. यही नहीं, वीडियो चैट तक होने लगती है.

इस के बाद अचानक डिमांड शुरू हो जाती है. आजकल पैसा ट्रांसफर करना इतना सरल हो गया है कि लोग भावुकता में पड़ कर तुरंत पैसा भेज देते हैं. ठगों के लिए सरल बात यह है कि फेसबुक में प्रोफाइल बनाना आसान काम है. इसलिए वे सब से ज्यादा सोशल मीडिया फेसबुक प्लेटफार्म को ही ठगी के लिए इस्तेमाल करते हैं. रामपुर के भाजपा नेता का सैक्सटौर्शन उसी दौरान जितेंद्र सिंह को मीडिया की सुर्खी बना एक किस्सा याद आ गया, जिस में उन्हीं की तरह उत्तर प्रदेश में रामपुर के एक भाजपा नेता को ब्लैकमेल किया गया था.

उन्हें भी कई बार दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का फरजी अधिकारी बता कर फोन किया गया और जेल जाने डर दिखा कर धमकाया गया. पैसे न देने पर उन का वीडियो यूट्यब पर डाल दिया गया और फिर नेताजी से कहा गया कि अगर वीडियो हटवाना चाहते हैं तो यूट्यूब कस्टमर केयर पर बात कर लें. एक नंबर भी दिया गया, जिस पर काल करने पर कहा गया कि अगर वीडियो हटवाना चाहते हो तो यूट्यूब को प्रोसेसिंग फीस देनी पड़ेगी. नेताजी जब ज्यादा परेशान हो गए तो उन्होंने रामपुर के एसपी से मिल कर इस बात की शिकायत की और साइबर क्राइम की टीम ने जांचपड़ताल शुरू की. न्यूड काल कर भाजपा नेता को ब्लैकमेल करने वाला गैंग बाद में पकड़ा गया. इस गैंग के पकड़े गए 2 सदस्य आमिर और मुस्तकीम राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले थे, जबकि तीसरा आरोपी इमरान नेताजी के गृह जनपद रामपुर का ही रहने वाला था.

इस गैंग के लोगों से पूछताछ और जांच में पुलिस को पता चला था कि इन का नेटवर्क कई राज्यों में फैला था, जिस कारण उन्हें पकड़ना आसान काम नहीं था. राजस्थान से जुड़े गिरोह के तार क्योंकि ये अपराधी जिन सिमकार्ड का इस्तेमाल करते थे, वे सिमकार्ड ओडिशा के मजदूरों के नाम पर लिए थे. जबकि काल भरतपुर से किए जा रहे थे. इसी गिरोह के कुछ लोग दिल्ली से भी फोन करते थे. पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि इस गिरोह के तार राजस्थान के भरतपुर, ओडिशा, दिल्ली और हरियाणा के मेवात से जुड़े थे. ये अपराधी अपने शिकार को कौन्फ्रैंसिंग के जरिए काल करते थे. जिस से हर बार अलगअलग लोकेशन आती थी. कभी भरतपुर तो कभी रामपुर की.

इस गैंग ने नेताजी को पैसे डालने के लिए जो बैंक खाते दिए थे, वे भी जांच करने पर फरजी दस्तावेजों से खोले पाए गए. रामपुर पुलिस शायद बीजेपी नेता के सैक्सटौर्शन करने वाले गैंग को पकड़ ही नहीं पाती. क्योंकि पुलिस 15 दिन की कोशिशों के बाद सिर्फ एक नंबर ही ट्रैस कर सकी थी. तब पुलिस ने चालाकी खेली और नेताजी के जरिए ब्लैकमेलर्स को नकद पैसा देने का लालच दिलाया गया. नेताजी को पैसे देने के लिए रामपुर से दूर दिल्ली में पैसे देने के लिए बुलाया गया. बस यहीं पर गैंग से चूक हो गई और पैसा लेने पहुंचे गैंग के एक सदस्य  को रामपुर पुलिस ने दबोच लिया. जब गैंग के 3 लोग पकड़े गए तो पूछताछ में पता चला कि रामपुर का रहने वाला इमरान सेंट बेचने राजस्थान गया था.

वहां उस की मुलाकात सैक्सटौर्शन करने वाले अपराधियों से हो गई. शार्टकट से पैसा कमाने के लालच में वह इस गैंग से जुड़ गया और इस गैंग से ट्रेनिंग ले कर रामपुर आ गया. रामपुर आ कर वह लोगों के साथ इस तरह की ठगी करने लगा. अपने गैंग की मदद से इमरान ने बरेली, उत्तराखंड, हापुड़ और कई दूसरे जिलों में कई लोगों को अपना शिकार बनाया. बदनामी का रहता है डर जितेंद्र सिंह ने मीडिया की सुर्खी बने बीजेपी नेता के सैक्सटौर्शन के किस्से की खबरें समाचार पत्र में पढ़ी थीं. इसी से प्रेरित हो कर उन्होंने भी ऐसा ही साहस जुटाया था.

पहले तो उन्हें बदनामी का डर सता रहा था, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि एक बार उन्होंने रकम दे दी तो ब्लैकमेल करने वालों का साहस बढ़ जाएगा. वे फिर उन से पैसे मांगेंगे. लिहाजा उन्होंने दिल्ली पुलिस में बड़े अधिकारी के पद पर बैठे अपने दोस्त से मदद मांगी. रुचिका नाम की लड़की और खुद को साइबर क्राइम का इंसपेक्टर बताने वाले शख्स विक्रम सिंह राठौर ने जब देखा कि उन का पासा गलत जगह पड़ गया है तो उन दोनों ने अपने फोन बंद कर दिए और फेसबुक एकाउंट को डिलीट कर दिया. जिस कारण पुलिस जितेंद्र सिंह को ब्लैकमेल करने वाले लोगों तक नहीं पहुंच पाई.

जितेंद्र सिंह किस्मत वाले निकले कि वह थोड़ी सूझबूझ और अपनी हिम्मत के कारण बच गए क्योंकि उन के संबध एक बड़े पुलिस अधिकारी से थे. लेकिन इन दिनों देश के अलगअलग हिस्सों खासतौर से महानगरों में सोशल मीडिया के जरिए लोगों को हनीट्रैप में फंसा कर उन से जबरन वसूली यानी सैक्सटौर्शन करने वाले गिरोह का आतंक फैला हुआ है. इसी दौरान दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 10 जुलाई, 2021 को एक ऐसे बड़े सैक्सटौशन गैंग का खुलासा किया, जिस के सरगना इंजीनियर युवकयुवती थे और वे टिंडर ऐप से ग्राहकों को फंसाते थे.

टिंडर ऐप से भी चल रहा है सैक्सटौर्शन दिलचस्प बात यह है कि इस रैकेट को चलाने वाली लड़की और उस के दोनों साथी सौफ्टवेयर इंजीनियर थे. वे अपने महंगे शौक पूरा करने और लग्जरी लाइफ के लिए इस अपराध को अंजाम दे रहे थे. ये लोग पहले सोशल मीडिया ऐप टिंडर के जरिए अमीर लोगों को लड़की के जाल में फंसाते. उस के बाद हनीट्रैप के खेल में फंसाने के बाद उन से मोटी रकम वसूली जाती थी. दरअसल, हुआ यूं कि दिल्ली पुलिस को एक करोड़ रुपए की रंगदारी की शिकायत मिली थी, जिस में शिकायतकर्ता ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से एक अज्ञात व्यक्ति काल कर रहा था और उस से एक करोड़ रुपए की मांग कर रहा था. उस की अश्लील तसवीरें वायरल करने की धमकी भी दी जा रही थी.

इस शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रंगदारी की एफआईआर दर्ज कर ली. इंसपेक्टर अरुण सिंधू और दिनेश कुमार के नेतृत्त्व में एक टीम बनाई गई. फोन की सर्विलांस और दूसरे टैक्नीकल तरीकों से जब पुलिस टीम ने काफी सारी जानकारी जुटा ली, तो उस के बाद छापेमारी की गई.  पुलिस टीम ने गुड़गांव से राजकिशोर सिंह को पकड़ लिया. उस ने सब कुछ उगल दिया और उस के बाद उस के 2 साथियों शालिनी और आर्यन को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उन के पास से स्पाई कैम लगे 2 हैंडबैग, मेमोरी कार्ड्स, यूएसबी पैन ड्राइव, लैपटौप जिस में पीडि़तों की तसवीरें/वीडियो थे. इस के अलावा 6 मोबाइल फोन भी बरामद कर लिए गए.

पूछताछ में पता चला कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड राजकिशोर सिंह है, जोकि पेशे से सौफ्टवेयर इंजीनियर था. राजकिशोर सिंह सन 2012 में दिल्ली आया था. वह रोजगार तलाश कर ही रहा था कि साल 2013 में कनाट प्लेस में एक लड़की को छेड़ने और धमकाने के आरोप में वह पुलिस के हत्थे चढ़ कर जेल चला गया. यहीं से उस की जिंदगी बदल गई. जेल से निकल कर उस ने तय कर लिया कि अब जिंदगी में शार्टकट रास्ते से बहुत दौलत कमानी है. बस ऐशभरी जिंदगी जीने और उस के लिए होने वाले खर्चों को पूरा करने के लिए वह बुरी संगत में पड़ गया. उस ने गुड़गांव में एक स्पा (बौडी मसाज) खोल कर अपने पेशे से अलग तरह का धंधा शुरू कर दिया.

इस काम के लिए कालगर्ल्स की भरती की. उस के बाद लड़कियों का इस्तेमाल एस्कौर्ट सर्विस के लिए करने लगा. बाद में उस ने लड़कियों का इस्तेमाल अमीर लोगों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए करना शुरू कर दिया. उस ने अपने गिरोह की कालगर्ल्स के जरिए कई कारोबारियों को झूठे रेप केस में फंसाने की धमकी दे कर बड़ी रकम ऐंठी थी. गुड़गांव के सेक्टर-67 की रहने वाली शालिनी जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहती थी. आईटी के फील्ड में नौकरी करती थी. पिछले साल उसे प्रमोशन की उम्मीद थी, मगर अचानक कोविड-19 आ गया. पहले सैलरी कम हुई और फिर नौकरी चली गई.

पैसों के लिए परेशान रहने लगी तो उस ने अपनी परेशानी अपने दोस्त आर्यन दीक्षित (28) को सुनाई. बी-269, छतरपुर एनक्लेव- टू का रहने वाला आर्यन दीक्षित एमबीए है और वर्तमान में उस का अपना औनलाइन गारमेंट्स का व्यवसाय है. शालिनी ने जब आर्यन से कहा कि यार कोई भी काम बताओ पैसों की बड़ी जरूरत है तो आर्यन ने उसे राजकिशोर से मिलवा दिया. आर्यन ने एक बार राजकिशोर से स्पा की सर्विस ली थी. इसलिए दोनों में जानपहचान हो गई थी. जल्द ही आर्यन भी राजकिशोर के धंधे में ही उतरने की योजना बनाने लगा. जब शालिनी ने आर्यन से ईजी मनी कमाने का तरीका पूछा तो आर्यन ने राजकिशोर से शालिनी को मिलवा दिया. राजकिशोर ने बता दिया कि उस का धंधा थोड़ा टेढ़ा है, लेकिन इस में पैसा बहुत है.

राजकिशोर ने जब शालिनी को अपने धंधे के बारे में बताया तो थोड़ा हिचकने के बाद शालिनी मान गई और राजकिशोर ने उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया. शालिनी को 2-4 दिन तक धंधे की ट्रेनिंग और अमीरों को फंसाने के टिप्स दिए गए. उस के बाद शालिनी का टिंडर पर प्रोफाइल बना दिया गया. बस इस के बाद वह 40-50 साल की उम्र वाले बिजनैसमैन को राइट स्वैप करने लगी. होटल में बुला कर उन की तसवीरें उतार लेती. फिर आर्यन और राजकिशोर उस कारोबारी को धमका कर उस से पैसे वसूलने लगे. पैसा आना शुरू हुआ तो शालिनी के हौसले बुलंद हो गए.

वह टिंडर पर राइट स्वैप करने के बाद लोगों से चैट करती. कुछ दिनों बाद होटल में मुलाकात फिक्स हो जाती. उस के बाद होटल के कमरे में हैंडबैग या अन्य चीजों में छिपाए गए स्पाईकैम के जरिए अपने शिकार की आपत्तिजनक तसवीरें ले ली जातीं. कुछ दिन बाद टारगेट से सोशल मीडिया पर संपर्क कर के शिकार को उस की न्यूड तसवीरें/वीडियो दिखाई जाती और 10 लाख से ले कर एक करोड़ रुपए तक की डिमांड की जाती. पैसा नहीं देने पर वीडियो पब्लिक करने या परिवार में किसी को भेजने की धमकी दी जाती. अपनी इज्जत बचाने के डर से अधिकतर पीडि़त सौदेबाजी के बाद पैसे दे कर मामला खत्म कर लेते थे. मगर उन के आखिरी टारगेट ने पुलिस में शिकायत कर दी.

जिस के बाद टिंडर ऐप से चल रहा सैक्सगटौर्शन का ये रैकेट पकड़ा गया. पुलिस ने राजकिशोर सिंह, शालिनी और आर्यन को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया. देश के हिंदीभाषी राज्यों में लगभग सभी जिलों में इस तरह के मामले कुछ महीनों में तेजी से बढ़े हैं. अनुमान है कि पिछले 6 महीनों के दौरान ही इन सभी जगहों पर पुलिस को 5 हजार से ज्यादा ऐसे मामलों की शिकायतें मिली हैं.

(कथा पुलिस सूत्रों, निजी शोध व पड़ताल तथा पीडि़तों से मिली जानकारी पर आधारित. कथा में जितेंद्र सिंह नाम परिवर्तित है)

 

 

 

 

 

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