UP Crime News : सौरभ राजपूत मर्डर केस के बाद प्लास्टिक का नीला ड्रम चर्चा में आ गया है. 27 वर्षीय मुसकान रस्तोगी ने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ न सिर्फ विदेश में नौकरी करने वाले पति सौरभ राजपूत की क्रूरतम तरीके से हत्या की, बल्कि उस की लाश के टुकड़े कर ड्रम में डाल कर ऊपर से सीमेंट कंक्रीट का घोल भर दिया. जिस सौरभ के साथ उस ने घर से भाग कर शादी की थी, आखिर उसी के प्रति इतनी क्रूर कैसे हो गई मुसकानï? पढ़ें, लव क्राइम की यह चौंकाने वाली कहानी.
”साहिल, तुम्हें तो पता ही है कि हमारे प्यार की जानकारी पति सौरभ को हो चुकी है.
वह लगातार निगरानी कर रहा है. उस ने एक बार पहले तो किसी तरह तलाक का केस वापस ले लिया था, लेकिन इस बार वह लंदन से लौटने के बाद क्या गुल खिलाएगा, कुछ पता नहीं. मुझे तो लग रहा है कि उस के रहते हमारी प्रेम कहानी अधूरी रह जाएगी या फिर यह कोई ऐसा मोड़ न ले ले, जिस से हमारी जिंदगी नरक बन जाए. इस से बेहतर तो यही है कि सौरभ को ही ठिकाने लगा दिया जाए क्योंकि इस के अलावा अब हमारे सामने कोई रास्ता नहीं है.’’ मुसकान ने प्रेमी से कहा.
”किस तरह ठिकाने लगाया जाए?’’ साहिल ने सवाल दाग दिया.
”अरे, किसी सुपारी किलर से बात करो.’’
”मेरठ में इस तरह का कोई गैंग मेरी जानकारी में नहीं है और भाड़े के हत्यारे रकम भी बहुत मांगते हैं.’’ साहिल बोला, ”इतने हाईप्रोफाइल मर्डर के पता नहीं 10 लाख की डिमांड करें या 20 लाख की.’’
”जानू, फिर तुम्हीं कोई रास्ता बताओ. यह काम क्या तुम नहीं कर सकते?’’
साहिल शुक्ला ने इस पर चुप्पी साध ली.
”बोलते क्यों नहीं? बुजदिल हो क्या? मैं तुम्हारे लिए सब कुछ छोडऩे को तैयार हूं और तुम डर रहे हो. सौरभ लंदन से घर आने वाला है, इसलिए यह काम जल्द करना होगा.’’
यह बात नवंबर 2024 की है. मुसकान रस्तोगी इसी तरह प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ पति सौरभ की हत्या की प्लानिंग कर रही थी कि उस की हत्या भी हो जाए और कोई उन पर शक भी न करे. उसी दौरान सौरभ राजपूत का नवंबर 2024 में लंदन से भारत आने का कार्यक्रम स्थगित हो गया. सौरभ ने सोचा कि फरवरी 2025 में ही अपने घर जाएगा, क्योंकि इसी महीने उस की पत्नी मुसकान और बेटी का जन्मदिन था. सौरभ का घर लौटने का कार्यक्रम स्थगित हो जाने पर दोनों प्रेमी युगल बहुत उदास हुए. जैसेतैसे दोनों मौजमस्ती करते रहे. साथ जीने की कसमें दोहराते रहे.
इस तरह साल 2024 गुजर गया. फिर अचानक फोन पर सौरभ राजपूत ने पत्नी मुसकान रस्तोगी को बताया, ”जानू, मैं फरवरी, 2025 में निश्चित रूप से मेरठ आ रहा है. तुम्हारा जन्मदिन भी सेलिब्रेट होगा और हम दोनों के प्यार की निशानी बेटी के जन्मदिन पर भी पार्टी करेंगे.’’
यह खबर मिलने पर फिर से मुसकान और साहिल सौरभ कुमार की हत्या करने की साजिश बुनने में सक्रिय हो गए. इस के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वह सौरभ की हत्या किसी किलर से नहीं कराएंगे, क्योंकि किसी बाहरी व्यक्ति से हत्या कराने का राज कुछ दिनों में खुल ही जाता है. इसलिए उन्होंने खुद ही उस की हत्या करने का प्लान बनाया, जिस से उस की हत्या राज ही बन कर रह जाए. मुसकान और साहिल ने ये प्लान बनाया कि हत्या के बाद या तो लाश के टुकड़े कर के अलगअलग जगहों पर फेंक देंगे या फिर लाश को कहीं सुनसान जगह पर दबा देंगे. ऐसी सुनसान जगह भी वह खोजने लगे.
साहिल शुक्ला ऐसी जगह तलाशने लगा, जहां हिंदू मृतक बच्चों या मृत पशुओं को दफनाते हों. दोनों ने शव को दफनाने के लिए एक जगह की तलाश की. वे एक गांव पहुंचे, जहां मृत जानवरों को दफनाया जाता था. सौरभ के शव को ठिकाने लगाने के लिए उन्हें यही जगह सही नजर आई.
मुसकान ने कैसे बनाया हत्या का प्लान
अपनी योजना के अनुसार 22 फरवरी, 2025 को मुसकान मेरठ के शारदा रोड पर एक डाक्टर के पास गई. यहां उस ने डाक्टर को बताया कि वह डिप्रेशन का शिकार है. रात को उसे नींद नहीं आती, सिर मैं दर्द रहता है. डाक्टर ने परची पर दवाइयां लिख दीं. डाक्टर की लिखी हुई दवाइयों से वह संतुष्ट नहीं हुई. इस के बाद उस ने गूगल का सहारा लिया. उस ने नींद की दवा और नशीली दवाओं के बारे में जानकारी हासिल की. इस के बाद उस ने डाक्टर की लिखी हुई परची पर ही उसी की राइटिंग से मेल खाती राइटिंग में अतिरिक्त दवाओं के नाम भी जोड़ दिए.
इस के बाद वह और साहिल खैरनगर गए. योजनानुसार वहां उन्होंने नींद की गोलियों के अलावा कुछ और भी दवाइयां खरीदीं. दोनों ने इस के बाद 800 रुपए की कीमत वाले 2 ऐसे चाकू खरीदे, जो चाकू पशु वध करने वाले कसाई प्रयोग करते हैं. दुकानदार ने पूछा किस काम के लिए छुरा चाहिए तब मुसकान ने बताया कि कभीकभी मुरगा काटने के लिए काम में लेना है. ब्लीचिंग पाउडर, परफ्यूम और पौलीथिन कट्टा खरीदा. 2 मजबूत किस्म के टूरिस्ट बैग भी खरीदे गए. साहिल ने कहा कि सौरभ को शराब पीने का शौक है. उसे शराब में नशे की गोलियां मिला कर दे देना. फिर मुझे फोन करना, मैं आ जाऊंगा. दोनों मिल कर सौरभ की गरदन काट कर हत्या कर देंगे. लाश के टुकड़े कर के इन बैगों में भर लेंगे और उन्हें इस गांव में गड्ïढा खोद कर दबा देंगे.
25 फरवरी, 2025 की रात को मुसकान का जन्मदिन था. इसलिए 24 फरवरी, 2025 को सौरभ लंदन से मेरठ अपने घर आ गया. 25 फरवरी को पतिपत्नी और बेटी ने मिल कर मुसकान के जन्मदिन को सादा तरीके से ही सेलिब्रेट किया, क्योंकि 28 फरवरी को बेटी का छठा जन्मदिन था. उस के जन्मदिन को बड़े उत्साह और जोशोखरोश के साथ मनाए जाने की लालसा के साथ सौरभ राजपूत मेरठ स्थित अपने घर आया था. दूसरे यह कि उस के पासपोर्ट की डेट भी एक्सपायर होने जा रही थी, उस का रिन्यूअल भी कराना था. बेटी का जन्मदिन उन्होंने बड़े उत्साह के साथ मनाया. पतिपत्नी और बेटी ने जम कर डांस भी किया, यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. अच्छे होटल से मनपसंद खाने का और्डर किया गया.
सब कुछ टेबल पर सजा दिया गया था. केक काटने के बाद सब से पहले बेटी को केक खिला कर जन्मदिन सेलिब्रेट किया गया. तीनों खाने की टेबल पर पहुंचे, तभी मुसकान ने अंगरेजी शराब का क्र्वाटर ला कर टेबल पर रख दिया. यह उच्च क्वालिटी की शराब सौरभ लंदन से ही शौकिया इस्तेमाल करने के लिए लाया था. गिलास में नशीली गोलियां पीस कर डाल रखी थीं, जिस में शराब डाल कर सौरभ को दी जानी थी. लेकिन शराब का क्वार्टर देख कर ही सौरभ ने शराब पीने से इनकार कर दिया. उस ने कहा कि तबीयत ठीक नहीं है.
यह सुन कर मुसकान को गहरा धक्का लगा. इस से मुसकान रस्तोगी को लगा कि शायद सौरभ को उस पर कोई शक हो गया है. उस ने जल्दी से किचन में जा कर गिलास को धोया. 3 गिलास पानी ला कर टेबल पर रख दिए. उधर साहिल शुक्ला मुसकान का फोन न आने से बेचैन था. रात भर वह प्रेमिका मुसकान रस्तोगी के फोन का इंतजार करता रहा. नींद आंखों से कोसों दूर थी. अपनी तरफ से वह फोन कर नहीं सकता था, न ही कोई मैसेज भेज सकता था. वह जानता था, यदि सौरभ कुमार बेहोश नहीं हुआ होगा और उस ने फोन कर दिया तो सारी प्लानिंग फेल हो जाएगी. इधर मुसकान रस्तोगी की रात भी करवट बदलबदल कर ही कटी. फरवरी का महीना 28 दिन का था.
पहली मार्च को पतिपत्नी और बेटी ने शौपिंग की. घर पर मौजमस्ती की. रात को खाना होटल से ही मंगाया और खाना खा कर सो गए. 2 मार्च, 2025 को दोनों में तनातनी की बातें होने लगीं, लेकिन मुसकान ने उसे बहुत खूबसूरत अंदाज में टाल दिया. कहने लगी कि जानू, पुरानी बातों को भूल जाओ. मेरा इस संसार में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है. मैं जिंदगी भर सिर्फ तुम्हारी ही बन कर रहूंगी. हम दोनों के बीच कभी कोई तीसरा नहीं आएगा. ऐसी प्यार भरी बातें सुन कर सौरभ राजपूत का दिल पिघल गया. उस ने आगे कोई मनमुटाव वाली बात नहीं की. मुसकान के दिमाग में तो अपनी योजना को पूरी करने का खाका घूम रहा था.
2 मार्च, 2025 का दिन मुसकान ने अपने पति से प्यार का नाटक कर के गुजार दिया. 3 मार्च को मुसकान ने कहा कि मैं मायके जा रही हूं. बेटी को भी मम्मी के पास छोड़ आऊंगी. फिर हम दोनों ही जवानी के इन खूबसूरत पलों का आनंद लेंगे. सौरभ इनकार नहीं कर सका. बात में कोई झोल भी नहीं थी. कोई साजिश भी नजर नहीं आ रही थी. यह बात 3 मार्च को दोपहर के खाना खाने के बाद की है.
सीने पर बैठ कर गोदा पति को
कुछ देर घर रुकने के बाद सौरभ राजपूत ने भी सोचा कि वह भी अपनी मम्मी के घर घूम आए. यहां उस की मम्मी बेचैनी से उस का इंतजार कर रही थी. क्योंकि करीब 2 साल बाद उन का बेटा लंदन से वापस मेरठ आया था. सौरभ को देखते ही मम्मी की आंखें भर आईं. मम्मी ने उस की पसंदीदा सब्जी लौकी के कोफ्ते बनाए. काफी शाम हो चुकी थी. उस की मम्मी बोली, ”खाना खा ले बेटा!’’
सौरभ कहने लगा, ”मम्मी, आप ऐसा करो कि लौकी के कोफ्ते की सब्जी मुसकान को भी बहुत पसंद है. आप पैक कर दो. हम दोनों साथ ही खा लेंगे.’’
उधर मुसकान ने प्रेमी से कह दिया कि हमारी योजना आज अंजाम तक पहुंच जाएगी. तुम तैयार रहना, मैं ने बेटी को भी अपनी मम्मी के घर छोड़ दिया है. कोशिश करूंगी कि आज रात को खाने में उस को नींद की गोलियां मिला कर दे दूं. सौरभ राजपूत अपनी मां के घर से लौकी के कोफ्ते पैक करा कर लाया था, मुसकान ने उस की सब्जी में नींद की गोलियां मिला कर उसे खिला दीं. इस तरह मुसकान ने अपने पति को बेहोश कर दिया. रात लगभग 11 बजे सौरभ गहरी नींद में सो गया. लगभग 12 बजे मुसकान ने प्रेमी साहिल शुक्ला को मुसकान ने फोन किया. साहिल करीब साढ़े 12 बजे मुसकान के घर पहुंच गया. साहिल शुक्ला ने भी चैक कर के देखा कि सौरभ राजपूत बेहोश है या नहीं.
पूरा यकीन हो जाने पर साहिल शुक्ला ने मुसकान को इशारा किया. इशारा पाते ही मुसकान सौरभ के सीने पर आ कर बैठ गई. तभी बाजार से लाया गया छुरा पति के सीने में घुसेड़ दिया. सौरभ की तेज चीख निकली, लेकिन नींद में होने की वजह से वह कोई विरोध नहीं कर सका. दूसरे साहिल ने उस के पैर दबोच रखे थे. इस के बाद जिस ने पैर पकड़े हुए थे, उस ने उस छुरे को पकड़ लिया और जिस ने छुरा पकड़ा हुआ था, उस ने पैरों को पकड़ लिया. फिर साहिल ने एक के बाद एक छुरे से सीने पर वार किए. सौरभ रो रहा था. गिड़गिड़ा रहा था. कह रहा था कि जैसा तुम कहोगे, मैं वैसा करूंगा. मुझे माफ कर दो, मुझे छोड़ दो. मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा. मैं तुम से बहुत दूर चला जाऊंगा. तुम्हारी जिंदगी में कभी लौट कर नहीं आऊंगा. वह इस तरह से गिड़गिड़ाता चला गया, लेकिन दोनों पर इन बातों का कोई असर नहीं पड़ रहा था.
यह आवाज, दवाओं के नशे में दबी उस की चीखपुकार दोनों कातिलों के कानों तक पहुंच तो रही थी. मगर उस की चीख और उस की इल्तेजा का दोनों पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. वह अपना काम बड़े इत्मीनान से बहुत आराम से कर रहे थे. आखिरकार लगभग 25 से 30 मिनट तक वह व्यक्ति ऐसे ही दर्द से तड़पता रहा और फिर दम तोड़ दिया. उस की नब्ज को टटोल कर देखने के बाद सौरभ राजपूत की लाश को दोनों खींच कर बाथरूम में ले गए. उस के हाथों को काट दिया गया. गरदन धड़ से अलग कर दी गई. ब्लीचिंग पाउडर से सब धो कर साफ किया गया.
उस के बाद साहिल शुक्ला जो बैग खरीद कर लाया था, उस में गरदन और हाथों को रख कर ठिकाने लगाने के लिए अपने साथ अपने घर ले गया. मुसकान कटे हुए शरीर के शेष भाग को डबल बैड में डाल कर उसी बैड पर लेटी रही. साहिल शुक्ला बैग ले कर वापस मुसकान के पास आया 4 मार्च की बात है. उस ने कहा कि कहीं दूर ले जा कर फेंकने का मौका नहीं लगा, इसलिए इसे ठिकाने लगाने का कोई और तरीका सोचते हैं. नई योजना के तहत दोनों ने घंटाघर से प्लास्टिक का एक बड़ा नीला ड्रम और स्थानीय बाजार से सीमेंट खरीदा.
हत्या के बाद शादी कर मनाया हनीमून
मुसकान के घर लौट कर उन्होंने धड़ को ड्रम में डाल दिया. उस के बाद साहिल ने सिर और हाथ निकाल कर सीमेंट और कंक्रीट का घोल ड्रम में डाल दिया. सीमेंट और कंक्रीट के घोल से उन्होंने ड्रम को सील कर दिया. इस तरह सौरभ के क्षतविक्षत शरीर को कंक्रीट की कब्र में दफना दिया गया. हत्या के बाद हिल स्टेशन घूमने का प्रोग्राम बनाया. साहिल ने एक ट्रैवल एजेंसी से हिमाचल के 15 दिनों के टूर के लिए 54 हजार रुपए में एक टैक्सी बुक की. ट्रैवल एजेंसी को सािहल ने अपना नाम विकास बताया था. मुसकान ने पड़ोसियों को बताया था कि वह कई दिन के टूर पर हिमाचल घूमने जा रही है.
4 मार्च, 2025 को टैक्सी ड्राइवर अजब सिंह की स्वीट डिजायर कार से मुसकान और टूर पर निकल गए. वह सब से पहले शिमला पहुंचे. वहां पर दोनों ने एक मंदिर में शादी की. उस के बाद हनीमून मनाने के लिए मनाली चले गए. शिमला के एक होटल में साहिल का जन्मदिन मनाने की मुसकान ने प्लानिंग की. मुसकान ने ड्राइवर अजब सिंह से एक केक मंगाया. उस से कहा गया कि इस बात को गुप्त रखना, क्योंकि वह साहिल को सरप्राइस देना चाहती थी. साहिल का जन्मदिन मनाया गया. इस दौरान उन्होंने केक काटा और डांस किया. केक काटते और किस करते दोनों का एक वीडियो भी वायरल हुआ है.
दोनों ने कसोल में होटल पूर्णिमा में 10 मार्च को चैकइन करने के बाद 16 मार्च तक वहां रहे. 6 दिनों तक ठहरने के दौरान उन्होंने ज्यादातर समय कमरे में ही बिताया. ड्राइवर को जितना भी पेमेंट किया, मुसकान ने ही अपने यूपीआई से किया था. साहिल ने पेमेंट कभी नहीं किया. कुल मिला कर टोटल जितने दिन वे टूर पर रहे, सभी पेमेंट मुसकान के मोबाइल से औनलाइन ही किया गया. सौरभ का मोबाइल भी मुसकान के पास ही था. वह लगातार उसी के मोबाइल से अपनी बेटी और अपने मम्मीपापा से भी कांटेक्ट कर रही थी और सौरभ के घर वालों से भी कांटेक्ट में थी. दोनों परिवारों को उस ने फोन से गुमराह किया.
शिमला की हसीन वादियों की तसवीर और वीडियो देख कर ये लोग समझते रहे कि सौरभ अपनी पत्नी मुसकान के साथ शिमला की वादियों में मौजमस्ती कर रहा है. 17 मार्च को रात के 10 -11 बजे के करीब शिमला से लौटे, तब मुसकान और साहिल एक साथ ही मुसकान के कमरे पर रुके. उन्हें अब तो किसी तरह का खौफ नहीं था. मुसकान का पति सौरभ अब ड्रम में कैद था. वह भी इस तरह से जो बाहर न निकल सके.
पेरेंट्स ने किया बेटी को पुलिस के हवाले
दोनों ने ड्रम का मुआयना किया. ड्रम इतना भारी था कि उन से खिसक नहीं रहा था. इस में से हलकीहलकी बदबू भी आ रही थी. सुबह उठ कर साहिल ने 3-4 मजदूरों की व्यवस्था की, जिस से ड्रम को कहीं ठिकाने लगाया जा सके. मजदूर इस मकान के दूसरे गेट से बुलाए गए, जोकि कभी प्रयोग में नहीं आता था. यह रास्ता एक पतली गली में खुलता है. मजदूरों ने ड्रम को निकालने की कोशिश की, लेकिन बहुत भारी होने तथा बदबू आने के कारण वे ड्रम को घर से बाहर नहीं निकाल सके. सो वे वापस चले गए. इस से मुसकान और साहिल दोनों घबरा गए. दोनों ने काफी चिंतन किया कि अब क्या किया जाए. तो मुसकान ने कहा कि मैं अब अपने मम्मीपापा से सलाह करती हूं. उस के बाद सोचेंगे कि क्या करना है.
यह कह कर मुसकान ने अपनी मम्मी को फोन किया. फिर उस के बाद मायके पहुंची. मुसकान ने मम्मीपापा को पति सौरभ की हत्या करने की बात बताई. प्रमोद रस्तोगी और उन की पत्नी कविता रस्तोगी 18 मार्च, 2025 को मुसकान रस्तोगी उर्फ शोभी (27 साल) को साथ ले कर मेरठ के थाना ब्रह्मïपुरी पहुंच गए. वहां मौजूद एसएचओ रमाकांत पचेरी को उन्होंने बताया कि इस लड़की ने मेरे दामाद सौरभ राजपूत को बहुत बुरी तरह से मार दिया है. इस को गिरफ्तार कर के जेल भेज दो. उस के बाद इसे फांसी चढ़ा दो. हम अपनी इस बेटी को कभी देखना नहीं चाहते.
एसएचओ ने जैसे ही ये बात सुनी, उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ. वह सोचने पर मजबूर हो गए कि शायद ये भारत के पहले ऐसे मांबाप होंगे जो अपनी ही बेटी को फांसी चढ़ते हुए देखना चाहते हैं और ये पहले ही ऐसे मांबाप होंगे, जो अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर थाने लाए हैं. एसएचओ रमाकांत पचेरी ने शुरुआती पूछताछ के बाद मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी. एसएचओ पुलिस फोर्स ले कर उस स्थान पर पहुंचे, जहां पर मुसकान रस्तोगी ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के ठहरे होने का पता बताया था.
साहिल शुक्ला उस स्थान पर आराम से बेखौफ बैठा था. किसी तरह की घबराहट व शिकन उस के चेहरे पर नहीं थी. 2 सिपाहियों ने आगे बढ़ कर उसे हिरासत में ले लिया. आराम से बिना किसी झंझट के पुलिस साहिल शुक्ला को पकड़ कर थाने ले आई. साहिल शुक्ला ने भागने की भी कोई कोशिश नहीं की. उच्च अधिकारी भी सक्रिय हो गए. फिर दोनों से पूछताछ शुरू की गई. मैराथन पूछताछ के बाद एक नए तरह की हत्या का मामला सामने आया. किसी की हत्या कर के तंदूर, फ्रिज, सूटकेस, ईंट भट्ठा, डबल बैड, सेफ्टी टैंक आदि में लाश छिपाने के अनेक मामले देश में चर्चित हो चुके हैं. अब यह मामला सीमेंट ड्रम किलर के नाम से जाना जाएगा. दोनों ने पहले तो पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन अलगअलग पूछताछ हुई तो उन्होंने पूरा सच उगल दिया.
हत्या के इस खुलासे ने मेरठ ही नहीं, पूरे प्रदेश और देश के लोगों की दिमाग की चूलें हिला दीं. पुलिस का अनुमान है कि यह तरीका शायद फिल्म देख कर दोनों को आया होगा. इतनी जानकारी मिलने पर पुलिस ने छापा मार कर ड्रम बरामद किया. उस में से शव निकालने की कोशिश की. लेकिन कामयाबी नहीं मिली. पंचनामा भर कर उसे ऐसे ही पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया. ड्रम मेरठ के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर पहुंचा. ड्रम जरूरत से ज्यादा भारी था, न यह ड्रम खुल पा रहा था, न ही इसे तोड़ा जा सका था. लिहाजा पुलिस ने तय किया कि इस ड्रम को मशीन से काटा जाए. कुछ देर में ही मशीन और मैकेनिक मुर्दाघर में बुला लिए गए. अब बारी ड्रम को काटने की थी.
बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार ड्रम को काटने में कामयाबी मिली. दरअसल, इस ड्रम के अंदर सीमेंट कंक्रीट का घोल भर दिया गया था, जिस की वजह से वह जम कर पत्थर की तरह सख्त हो चुका था. अब ड्रम काटने के बाद उस के अंदर जमे हुए सीमेंट के टुकड़ों को भी मशीन से काटने का काम शुरू हो गया. थोड़ी देर बाद सारे टुकड़े अलग हो गए. फिर उन्हीं टुकड़ों में से 4 टुकड़ों में बिखरी सौरभ राजपूत की लाश निकली. ड्रम में टुकड़ों में बंद होने के पूरे 14 दिन बाद काली पौलीथिन में सौरभ की लाश के 4 टुकड़े निकले. डाक्टरों की एक टीम द्वारा पोस्टमार्टम किया गया.
सीएमओ अशोक कटारिया ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा कि शव की हालत काफी खराब थी. बौडी को गलाने के लिए सीमेंट से प्लास्टर किया गया था. दांत हिल रहे थे. स्किन ढीली पड़ गई थी. गरदन के चारों तरफ घाव थे. दाएं कान से 7 सेंटीमीटर नीचे घाव मिला. जबड़े के दाईं ओर 4 सेंटीमीटर का घाव मिला. ठोड़ी से 6 सेंटीमीटर नीचे जख्म था. बाएं कान से 8 सेंटीमीटर नीचे और जबड़े के बाएं कोने से 4 सेंटीमीटर नीचे जख्म मिले. 3 जख्म बाईं छाती पर मिले. एक जख्म 6 सेंटीमीटर गहरा था. छुरी दिल को चीरते हुए निकल गई थी. सौरभ के पैर धड़ की तरफ मुड़े थे, जिन्हें सीधा करना मुश्किल हो गया था.
इस तरह दोनों शातिर कातिलों की गिरफ्तारी होने के बाद सौरभ हत्याकांड का खुलासा हुआ. इस सनसनीखेज मामले ने मेरठ को ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों को सन्न कर दिया. यह कहानी प्यार, धोखे और अपराध की एक दुखद मिसाल है, जहां एक प्रेम प्रसंग ने एक निर्दोष की जान ले ली. मुसकान उत्तर प्रदेश के महानगर मेरठ की मास्टर कालोनी, ब्रह्मपुरी क्षेत्र की रहने वाली थी. उस के परिवार में पेरेंट्स के अलावा एक छोटा भाई है. मुसकान के पापा प्रमोद रस्तोगी मेरठ में किराने की दुकान चलाते थे. मम्मी कविता रस्तोगी एक गृहिणी थीं, जो परिवार की देखभाल करती थीं. परिवार की आर्थिक स्थिति औसत है, न ज्यादा अमीर न ही गरीब.
मुसकान ने सौरभ से भाग कर की थी शादी
मुसकान अपने परिवार में सब से बड़ी संतान थी और शुरू में उसे घर में काफी लाड़प्यार मिला. पड़ोसियों के अनुसार, वह बचपन में शांत और आज्ञाकारी थी, लेकिन किशोरावस्था में आते ही उस का व्यवहार बदलने लगा. उस की पढ़ाई मेरठ के विवेकानंद स्कूल से शुरू हुई. मुसकान के नाना ज्योतिषी थे और सौरभ के परिवार के लोग मुसकान के घर जाते थे. इस दौरान दोनों में प्रेम प्रसंग हुआ. 2015 में जब मुसकान की सौरभ से दोस्ती हुई. दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटा और देखते ही देखते विशाल वृक्ष के रूप में फैल गया.
मुसकान की सुंदरता, बौडी लैंग्वेज व फिगर किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं थी. सौरभ के शरीर से भी उस का यौवन छलक रहा था. इन के प्रेम प्रसंग की बात दोनों के परिवारों को पता लगी. अब दोनों ही ने अपनेअपने बच्चों को इस संबंध को खत्म करने की सलाह दी, लेकिन इन दोनों पर तो प्यार का भूत सवार हो चुका था. इन्होंने अपने घर वालों की कोई बात नहीं मानी और विवाह के लिए दबाव बनाने लगे. सौरभ एक राजपूत परिवार से था, जबकि मुसकान रस्तोगी थी. इस अंतरजातीय विवाह को ले कर दोनों परिवारों में असहमति थी. प्यार की खातिर मुसकान और सौरभ ने अपनेअपने परिजनों से बगावत कर दी और दोनों घर छोड़ कर फरार हो गए.
दोनों ही अपने घर वालों के लिए बहुत ही दुलारे और प्यारे थे. इसलिए दोनों को तलाश कर के घर बुला लिया गया. सौरभ राजपूत और मुसकान रस्तोगी के बीच प्रेम प्रसंग चलता रहा. सौरभ के घर वाले किसी भी कीमत पर मुसकान से विवाह करने के लिए राजी नहीं थे. अंजाम यह हुआ कि दोनों ने खुद निर्णय लेते हुए सन 2016 में प्रेम विवाह कर लिया. हालांकि मुसकान की जिद के आगे उस के पेरेंट्स को झुकना पड़ा. लेकिन सौरभ के परिवार ने इस शादी को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया था.
शादी के बाद मुसकान सौरभ के साथ इंदिरानगर फेज वन में किराए के मकान में रहने लगी. शादी के समय सौरभ मर्चेंट नेवी में दुबई में नौकरी कर रहा था. हालांकि शादी के एक साल बाद ही नौकरी छोड़ कर सौरभ राजपूत मेरठ वापस आ गया और यहीं दिल्ली रोड पर एक प्लाईवुड कंपनी में नौकरी करने लगा. अब उस की माली हालत पहले जैसी नहीं रही. दुबई में नेवी की नौकरी में खूब पैसा मिलता था. दुबई के रुपए की वैल्यू भी अथिक थी, जिस से भारतीय रुपए काफी मिल जाते थे. आर्थिक तंगी से जूझ रहे सौरभ ने अपने पेरेंट्स से संबंध नौरमल किए. समय के साथ स्थिति सामान्य हो गई. सौरभ के फेमिली वाले भी धीरेधीरे सामान्य हो गए, क्योंकि सौरभ अपनी मां से मिलने अकसर जाता रहता था. इस तरह मुसकान को ले कर अपने घर वापस आ गया.
2019 में उन की एक बेटी हुई. शुरुआती सालों में उन की गृहस्थी ठीक चली, लेकिन बाद में रिश्तों में दरारें आने लगीं. बेटी की पैदाइश के बाद मुसकान ने घर में कोहराम मचाना शुरू कर दिया. आए दिन सासससुर से झगड़ा होने लगा. सौरभ की स्थिति गले में हड्ïडी अटकने जैसी हो गई, जिसे न उगल सकता था न निगल सकता था. मुसकान को समझाने के सभी प्रयास विफल हो गए. तंग आ कर उस के मम्मीपापा ने दोनों को घर से निकालने की चेतावनी दे दी. मुसकान यही चाहती थी. इसी बात को ले कर झगड़ा और कोहराम मचाया करती थी.
सौरभ राजपूत के पिता का नाम मुन्नालाल राजपूत है. सौरभ का एक भाई राहुल उर्फ बबलू है. मां रेणु देवी हैं. परिवार मेरठ के ही ब्रह्मपुरी में रहता है. सौरभ के घर वालों ने मुसकान रस्तोगी के पेरेंट्स पर भी सौरभ हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगाया है. इन का कहना है कि जब उस की शादी हुई, हमारे घर में आ कर वो 2 साल तक बहुत अच्छे से रही. घर में हर चीज उसे हम ने उपलब्ध कराई. उस की दुबई में जौब थी. मुसकान का जैसे ही अपने मायके आनाजाना शुरू हुआ तो उस के तेवर बदलने लगे.
सौरभ दुबई चला गया था. उस के बाद मुसकान ने घर में बातबात पर लड़ाईझगड़ा शुरू कर दिया. कहने लगी कि तुम्हारे घर में भूत हैं, बलाएं हैं. हम उसे हमेशा टाल देते थे. मम्मी को बहुत परेशान करती थी. कभी भी रात में उठ जाती थी, सारे बरतन फेंकने लग जाती थी. 6 महीने की बेटी को भी जमीन पर रख कर धमकी देती थी कि मैं इसे फेंक दूंगी. उस की एक ही रट थी, मैं घर छोड़ कर जाऊंगी. मुझे जाने दो. तभी उस ने ये लाइन बोली थी कि मैं तुम्हें तुम्हारे लड़के का मुंह नहीं देखने दूंगी.
सौरभ अपनी पत्नी मुसकान के साथ मेरठ के इंदिरा नगर में किराए पर रहने लगा. मुसकान के महंगे शौक थे, जिस के चलते उस ने परिवार से दूरी बना ली. एक बार की बात है. करीब एक साल की उस की बच्ची लगातार रो रही थी. रोतेरोते काफी देर हो गई. उस के रोने की आवाजें मकान मालिक तक पहुंचीं. मकान मालिक जब उस बच्ची के पास पहुंचा तो उस ने उस की मम्मी को ढूंढना शुरू किया. उसे मुसकान एक पुरुष के साथ आपत्तिजनक स्थिति में मिली. मकान मालिक को उसे बहुत बुरा लगा. हालांकि मुसकान को भी यह बात पता चल गई थी कि मकान मालिक ने उसे इस हालत में देख लिया है.
बाद में उस ने मकान मालिक को शांत करने की कोशिश की. उस के हाथपैर जोड़े, लेकिन मकान मालिक शांत नहीं हुआ. बल्कि उस ने सीधे सौरभ को फोन मिलाया और कहा कि तुम्हारी पत्नी को मैं ने किसी दूसरे मर्द के साथ आपत्तिजनक हालत में देखा है. तुम अपना घर बिगडऩे से बचा सकते हो तो बचा लो. सौरभ ने अपनी पत्नी को डांटाफटकारा. मुसकान ने भी कसम खाई कि ऐसी गलती कभी दोबारा नहीं करेगी. यह बात आईगई हो गई.
पेरेंट्स के प्यार से अछूता रहा साहिल
साहिल शुक्ला मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके का रहने वाला था. उस की पारिवारिक स्थिति काफी अस्थिर रही. साहिल की नानी सरोजनी शुक्ला के बयान के अनुसार, उस की मम्मी ज्योति का निधन 18 साल पहले हो चुका था, जब वह काफी छोटा था. उस के पापा नोएडा में काम करते थे. उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी. इस तरह साहिल का बचपन मम्मी की गैरमौजूदगी और पिता की कम मौजूदगी के बीच बीता, जिस ने शायद उस के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डाला. वह अपने नानानानी के साथ रहता था. साहिल की नानी सरोजिनी शुक्ला ने बताया कि साहिल ऊपर के कमरे में रहता था. लैपटाप पर कुछ काम करता रहता था. उन्हें उस के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उस की पढ़ाई का खर्चा उस के पापा कभीकभी भेज दिया करते थे.
साहिल और मुसकान की दोस्ती स्कूल के दिनों से शुरू हुई थी. दोनों मेरठ के विवेकानंद स्कूल में आठवीं कक्षा तक साथ पढ़े थे. इस के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए. लेकिन सालों बाद विवेकानंद स्कूल में आठवीं तक साथ पढऩे वाले स्टूडेंट्स ने एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया. साहिल और मुसकान भी उस ग्रुप में मेंबर बने थे. यहां से दोनों की फिर से बातचीत शुरू हुई. मुसकान की शिक्षा ज्यादा आगे नहीं बढ़ी. वह आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी थी. वहीं साहिल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी.
साहिल के कमरे में पुलिस को शराब की बोतलें, बिखरे कपड़े और दीवारों पर तंत्रमंत्र से जुड़ी अजीबोगरीब तसवीरें मिलीं. कमरे में भगवान शिव की तसवीरों के साथसाथ साधना और तंत्र से जुड़े चित्र मिले, जो उस ने खुद बनाए थे. मुसकान ने इस कमजोरी का फायदा उठाया और स्नैपचैट पर फरजी आईडी बना कर साहिल को यह विश्वास दिलाया कि उस की मृत मम्मी की आत्मा उस से बात कर रही है और सौरभ की हत्या का आदेश दे रही है.
साहिल इस बहकावे में आ गया, जो उस की आसानी से प्रभावित होने वाली मानसिकता को दिखाता है. पुलिस का मानना है कि वह इस बहाने खुद को कानूनी सजा से बचाने की कोशिश भी कर रहा है. पुलिस ने साहिल शुक्ला और मुसकान उर्फ शोभी से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. सीमेंट ड्रम किलर की पूरी कमान एसपी (सिटी) मेरठ आयुष विक्रम सिंह संभाले हुए हैं. पूरे मामले की हर पहलू से जांच कराई जा रही है. मुसकान रस्तोगी और साहिल शुक्ला जेल में बंद हैं. अभी तक कोई भी दोनों के परिवार में से जेल में उन से मुलाकात करने नहीं गया.
बेटी इस समय अपनी नानी के घर है. क्योंकि सौरभ राजपूत के अपने घर वालों से संबंध ज्यादा अच्छे नहीं थे. पापा ने तो अपनी चलअचल संपत्ति से भी सौरभ राजपूत को बेदखल कर दिया था. घटना की खबर भाई को भी लाश मिलने के बाद हुई थी. भाई राहुल की तहरीर पर ही मुकदमा दर्ज किया गया था. UP Crime News