UP Crime News : प्रेमी युगल अकसर प्यार के नशे में खोए रहते हैं. वे देशदुनिया की तमाम बातों से बेफिक्र होते हैं. जबकि पारिवारिक और सामाजिक मानमर्यादाओं को अधिक समय तक दरकिनार नहीं कर सकते. इस का विरोध करने का मतलब होता है प्यार के नशे में खलल. यही खलल जब सजा में बदल जाती है तब कइयों की जान जोखिम में पड़ जाती है. जैसा कि देवास जिले की इस अपराध कथा में हुआ. एक परिवार के 5 सदस्यों की हत्या हो गई. मरने वालों में आरोपी की प्रेमिका भी थी.
भारती ने अपनी मां को फोन मिलाया. 20 सेकेंड तक रिंग बजती रही. उस की मां ने फोन रिसीव नहीं किया. ऐसा पहली बार हुआ, जब उस की मां ममता ने फोन नहीं सुना हो. वह चिंतित हो गई. ममता कास्ते अपनी 2 बेटियों रूपाली और दिव्या के साथ देवास जिले के नेमावर में अकेली रहती थी. रूपाली 20 साल की और दिव्या 16 साल की थी.
पीथमपुर की रहने वाली भारती अपने पिता और भाई संतोष के साथ रहती थी. वह वहीं एक फैक्ट्री में काम करती थी. अपनी मां और 2 बहनों के अलग रहने के कारण भारती दिन में एकदो बार उन का हालचाल पूछ लिया करती थी. हालांकि भारती की मौसी की एक 16 वर्षीय बेटी पूजा और 14 वर्षीय बेटा पवन भी नेमावर मे ही रहते थे. उस रोज 13 मई को भी भारती ने हमेशा की तरह मां से हालचाल जानने के लिए फोन किया था. ममता द्वारा फोन नहीं उठाए जाने पर भारती ने परिवार के दूसरे लोगों को भी फोन किया, उन के फोन बंद मिलने पर भारती और भी चिंतित हो गई.
कारण, न तो मां उस का फोन उठा रही थी और न ही परिवार के दूसरे लोगों से बात हो पा रही थी. भारती के सामने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई थी. घबराहट में उस का मन विचलित होने लगा था. मन में कई तरह के विचार उठने लगे थे. अनहोनी की आशंकाओं से दिमाग झनझना उठा था. आखिर भारती अपने मन को कब तक समझाती. एकदो नहीं, बल्कि 5 दिन गुजर चुके थे. भारती को उस की मां या परिवार के किसी भी सदस्य से बात नहीं हो पाई थी. वह 13 मई से लगातार अपनी मां से संपर्क करने की कोशिश करती रही.
कोई सूचना नहीं मिलने पर अपने भाई संतोष के साथ 17 मई को नेमावर जाने के लिए पीथमपुर से देवास के लिए रवाना हो गई. वह इसी आशा में थी कि नेमावर में सब कुछ ठीक होगा, लेकिन वहां पहुंच कर देखा तो पाया कि उस के मकान पर ताला लगा हुआ था. दोनों भाई और बहन की परेशानियां और भी बढ़ गईं. भारती ने आसपास रहने वालों से पूछताछ की. किसी ने भी कोई जानकारी नहीं दी. घर पर ताला लगा देख घबराई भारती तुरंत नेमावर स्थित पुलिस थाने गई. टीआई अविनाश सिंह सेंगर को पूरी कहानी सुना दी.
एक ही परिवार के 5 लोग लापता थे, जिन में 2 नाबालिग लड़कियां भी थीं. इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए सेंगर ने तत्काल भारती की रिपोर्ट पर ममता, रूपा, दिव्या, पवन और पूजा की गुमशुदगी दर्ज कर ली. इस की जानकारी एसपी डा. शिवदयाल एवं एएसपी सूर्यकांत शर्मा को भी दे दी गई. मामला आदिवासी समाज का था. इस कारण इसे गंभीरता से लिया जाने लगा. लापता सभी 5 सदस्यों में से सिर्फ रूपाली का मोबाइल ही चालू था, जिस की लोकेशन लगातार बदल रही थी. रूपाली अपने मोबाइल से भारती को लगातार मैसेज कर खुद की सलामती की जानकारी दे रही थी, लेकिन उसे खोजने की कोशिश नहीं करने की भी हिदायत मिल रही थी.
ताज्जुब की बात यह थी कि वह भारती अथवा परिवार के किसी भी सदस्य का फोन नहीं उठा रही थी. लापता सदस्यों में 2 रूपाली की मौसी के बच्चे थे. इस की जानकारी भारती की मौसी को मिलने पर वह भी भागीभागी नेमावर आ गई. उन्होंने रूपाली पर अपने बच्चों के अपहरण का आरोप लगाना शुरू कर दिया. उन का कहना था कि रूपाली की हरकतें ठीक नहीं थी. उसी ने हमारे बच्चे का अपहरण किया है. मामले को उलझता देख एसपी ने उज्जैन जोन के आईजी योगेश देशमुख से संपर्क किया. देशमुख नेमावर पहुंच कर एसपी देवास को आवश्यक निर्देश दिए. उस के मुताबिक एसपी ने मामले की जिम्मेदारी एएसपी सूर्यकांत शर्मा को सौंप कर 5 टीमों को फील्ड में उतार दिया. इस के साथ ही टीआई (नेमावर) अविनाश सिंह सेंगर के अलावा आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी जांच मे जुट गए.
मामले को सुलझाने की पहली जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए नेमावर पुलिस लापता सदस्यों के परिवार की कुंडली बनाने में जुट गई. इस के लिए मुखबिरों की मदद ली गई. पुलिस ने रूपाली के मोबाइल फोन की भी डिटेल निकाली, जिस से रूपाली के फोन पर कई युवकों से बात होने की जानकारी मिली. उन में एक नेमावर का रहने वाला युवक सुरेंद्र सिंह पुत्र लक्ष्मण सिंह भी था. जबकि बाकी के युवक हरदा और उस के आसपास के इलाके के थे. सुरेंद्र रूपाली के भाई संतोष का पुराना दोस्त था. वह संतोष के साथ रूपाली और परिवार के बाकी लोगों की खोजखबर लेने के लिए हमेशा उस के साथ थाने भी आता था.
पूछताछ में उस ने बताया कि संतोष उस का दोस्त है. संतोष के पीथमपुर जाने के बाद उस के परिवार का हालचाल जानने के लिए आताजाता था. उस की रूपाली के अलावा परिवार के अन्य लोगों से भी बातचीत होती रहती थी. रूपाली की काल डिटेल्स में कई लोगों के साथ बातचीत की भी जानकारी मिली. उन में सुरेंद्र के अलावा दूसरे लोग हरदा इलाके के रहने वाले थे. उन के साथ रूपाली की जानपहचान संदिग्ध लगने के संदर्भ में पुलिस इंसपेक्टर शिवमुराद यादव को एक चौंकाने वाली जानकारी मालूम हुई.
वह यह कि रूपाली ने घर वालों की बिना जानकारी के हरदा में एक किराए का कमरा ले रखा था. वह अकसर उसी कमरे मे ठहरती थी. वहीं सुरेंद्र भी नेमावर से हरदा जा कर उस से मिलता था. सुरेंद्र के अलावा दूसरे युवक भी रूपाली के पास आतेजाते देखे गए थे. पुलिस को रुपाली के बारे में सब से महत्त्वपूर्ण जानकारी यह भी मालूम हुई कि उस ने पड़ोसियों से सुरेंद्र का परिचय अपने पति के रूप में करवाया था. इन जानकारियों के आधार पर रूपाली परिवार के लापता सदस्यों के सिलसिले में इकलौता सूत्र बन गई थी. एक तरफ जहां रूपाली की संदिग्ध गतिविधियां सामने आ चुकी थीं, वहीं उस के मोबाइल से बदले हुए लोकेशनों के साथ मैसेज भेजे जा रहे थे.
सिर्फ मैसेज आने की स्थिति में पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि रूपाली का मोबाइल कोई और इस्तेमाल कर रहा है. इस मामले में रूपाली की भूमिका महत्त्वपूर्ण होने के बावजूद पुलिस उस तक नहीं पहुंच पा रही थी. समय बीतता जा रहा था. पुलिस को ठोस जानकारी के नाम पर कुछ भी हाथ नहीं लग पाया था. सुरेंद्र से भी कई बार पूछताछ की जा चुकी थी, लेकिन उस से भी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी. हां, उस ने इतना जरूर बताया था कि वह रूपाली से प्यार करता था.
पुलिस ने जब जांच का दायरा बढ़ाया तब मालूम हुआ कि 13 मई, 2021 को ममता रूपाली और दिव्या के अलावा पूजा और पवन भी शाम तक नेमावर मे ही देखे गए थे. उसी दिन रूपाली और सुरेंद्र को भी गहराती शाम नर्मदा में तैरती नाव में एकदूसरे के साथ देखा गया था. पुलिस को सुरेंद्र भी संदिग्ध लगा. दूसरे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुरेंद्र हरदा में किराए के कमरे पर रूपाली के पास जाता था. यह बात उस ने पूछताछ में नहीं बताई थी. वहां के पड़ोसियों के अनुसार वह रूपाली का कथित पति भी था.
सुरेंद्र और रूपाली के बीच के संबंध का पता लगने पर पुलिस ने जांच का रुख बदल दिया. जल्द ही मालूम हो गया कि उन के बीच काफी गहरा संबंध था. ऐसे में निश्चित तौर पर रूपाली ने नेमावर से अचानक कहीं जाने से पहले इस की जानकारी सुरेंद्र को दी होगी. पुलिस ने इस का अंदाजा लगाते हुए संदेह के आधार पर 2 बातों पर गौर किया. पहला, रूपाली के गायब हो जाने पर सुरेंद्र ने कभी उस के मोबाइल पर फोन क्यों नहीं लगाया? दूसरा, रूपाली के नंबर से उस के मोबाइल पर कोई काल या मैसेज क्यों नहीं आया?
पुलिस की नजर में इस का मतलब साफ था कि मामले में कोई सुरेंद्र को दूर रखने की कोशिश कर रहा था या फिर सुरेंद्र एक साजिश के तहत पुलिस के सामने आ कर अपना और रूपाली का बचाव कर रहा था. इस शक को ध्यान में रख कर नेमावर पुलिस ्रसुरेंद्र को मामले का सब से बड़ा संदिग्ध मानते हुए उस पर नजर रखने लगी. उस के बारे में जानकारियां जुटाई जाने लगीं. मिली जानकारी के अनुसार सुरेंद्र सिंह नेमावर में एक अच्छे धमकदार परिवार का था. उस के दादा होकम सिंह के अलावा उस के पिता लक्ष्मण सिंह भी नामदार रहे हैं. कुछ साल पहले इस परिवार की जमीन हाइवे निर्माण के लिए शासन ने अधिग्रहीत कर ली थी. बदले में परिवार को मुआवजे की मोटी रकम मिली थी.
पैसा आने पर सुरेंद्र और उस के छोटे भाई वीरेंद्र का समाज में रौबरुतबा बढ़ गया था. दोनों भाई शराब की लत के लिए भी चर्चित हो गए थे. पुलिस सुरेंद्र के बारे में हर स्तर की जानकारियां जुटाने में लगी हुई थी, जबकि लापता रूपाली, ममता, दिव्या, पवन और पूजा का 2 महीने से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद कुछ नहीं पता चल पाया था. एक दिन सुरेंद्र के बारे में एक नई जानकारी मिली. वह जानकारी सोशल मीडिया की तरफ से मिली थी. इंस्टाग्राम पर सुरेंद्र की मंगेतर को ले कर एक पोस्ट किया गया था. उस के जरिए रुपाली द्वारा आपत्ति जताई गई थी.
यह पोस्ट सुरेंद्र की शादी नसरूलागंज निवासी एक युवती के साथ तय होने के जवाब के तौर पर की गई थी. इस से स्पष्ट था कि सुरेंद्र के रूपाली से संबंध टूट गए थे. इस जानकारी के आधार पर शिवमुराद यादव ने रुपाली के लापता होने के मामले को सुरेंद्र की सगाई से जोड़ कर देखा. उन्होंने अपने सहकर्मियों का पता लगाने के लिए कहा कि जिस रोज रूपाली और उस के परिवार के दूसरे 4 सदस्य लापता हुए, उस रोज सुरेंद्र कहां था? संयोग से उसी दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिस से मामले में पूरी तरह से सुरेंद्र का हाथ होने का शक और मजबूत हो गया.
पुलिस ने पाया कि भारती और संतोष के मोबाइल पर बारबार रूपाली के मोबाइल से आने वाला मैसेज जांच की दिशा भटकाने के लिए किया जा रहा था. 40 दिन बाद आए मैसेज को टारगेट कर इंसपेक्टर यादव ने मोबाइल की लोकेशन मालूम की, जो चोरल डैम के इलाके की थी. चोरल डैम नेमावर से बहुत नजदीक नहीं तो बहुत दूर भी नहीं है. लोग वहां घूमने जाते हैं. पुलिस ने अब पूरा मामला एक बड़ी साजिश में उलझाया हुआ महसूस किया. उस दिशा में नेमावर पुलिस ने अपनी जांच और भी तेज कर दी. कुछ दिनों बाद ही पुलिस को एक ढाबे पर कुछ लोगों के द्वारा रूपाली के परिवार के गायब होने की बात करने की जानकारी मिली. उन में 2 लोग सुरेंद्र के खेत पर काम करते थे.
पुलिस संदेह के आधार पर उन्हें थाने ले लाई. उन से पूछताछ के क्रम में सुरेंद्र के 2 करीबी दोस्तों विवेक तिवारी और राकेश के बारे में भी जानकारी मिली. उन्हें भी थाने बुलवा लिया गया. आखिर में पुलिस सुरेंद्र और उस के भाई वीरेंद्र को भी पूछताछ के लिए थाने ले आई. इंसपेक्टर यादव ने दोनों भाइयों से अलगअलग पूछताछ की और उन के दोस्तों के बयान के साथ तार जोड़ा, तब यह समझते देर नहीं लगी कि लापता परिवार के पीछे इन्हीं लोगों का हाथ है. उन पर जब सख्ती बरती गई और सच छिपाने एवं भ्रामक बयान देने की भी सजा का भय दिखाया गया, तब वे टूट गए.
उन से मिली जानकारियों के आधार पर पुलिस के आला अधिकारी जेसीबी मशीन ले कर सुरेंद्र के खेत जा पहुंचे. तब तक गांव वालों की काफी भीड़ जमा हो गई थी. कुछ ही देर में खेत की खुदाई शुरू की गई. जैसेजैसे बड़े गड्ढे से मिट्टी निकलती गई, वैसेवैसे अपराधियों का कृत्य सामने आता चला गया. कुछ देर में ही जो मंजर सामने आया, सब की रूह कांप उठी. खेत में से एक के बाद एक कर 5 सड़ीगली कंकाल बन चुकी लाशें निकाली गईं. उन की पहचान ममता, रूपाली, दिव्या, पूजा और पवन के रूप में हुई. पुलिस को हैरत हुई कि जिस के मोबाइल से लगातार मैसेज आ रहे थे, उस की मौत हो चुकी थी.
इस नृशंस हत्याकांड को ले कर पूरे मध्य प्रदेश में सनसनी फैल गई. सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने इसे दलित अत्याचार का रंग देने की कोशिश की. हालांकि मामला कैसे अलग तरह का था, इस का खुलासा आरोपियों ने गहन पूछताछ के बाद किया. इस दिल दहला देने वाले सनसनीखेज हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई—
रूपाली मूलरूप से खंडवा स्थित खलावा तहसील में रहने वाले वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय के परिवार की सदस्य थी. पूरा परिवार काम की तलाश में देवास जिले के नेमावर में आ कर बस गया था. पूरा परिवार वार्ड नंबर 10 में रहता था. रूपाली के घर के बिलकुल नजदीक सुरेंद्र सिंह का मकान था. रूपाली के भाई संतोष से उस की दोस्ती थी. दोनों एक ही उम्र के थे. दोस्ती होने के कारण सुरेंद्र का रूपाली के घर आनाजाना लगा रहता था. रूपाली किशोरावस्था की उम्र लांघ चुकी थी. वह काफी आकर्षक और सुंदर दिखने लगी थी. उस की सुंदरता को देख कर सुरेंद्र दंग था. मन ही मन वह उसे अपना दिल दे बैठा था. किसी न किसी बहाने से वह संतोष के घर जाने लगा था.
कुछ समय बाद रूपाली की बड़ी बहन भारती, पिता और संतोष खराब आर्थिक स्थिति के चलते रोजगार के सिलसिले में पीथमपुर जा कर रहने लगे. जबकि रूपाली अपनी मां और बहन के साथ वहीं नेमावर में रहने लगी. संतोष के जाने के बाद सुरेंद्र ही एक तरह से उन की देखभाल करने वाला बन गया था. छोटीमोटी मदद भी कर दिया करता था रूपाली भी सुरेंद्र के हावभाव को समझ गई थी. ऊपर से वह पैसे वाला संपन्न परिवार से था. रूपाली ने महसूस किया कि उस की मनमांगी मुराद पूरी होने वाली है.
वह सुरेंद्र में पलकों पर बिठा कर रखने वाले सपनों के राजकुमार की छवि देखने लगी. लगभग 4 साल पहले शुरू हुई दोनों की पे्रम कहानी दिनप्रतिदिन मधुरता से भरती चली गई. इसी बीच सुरेंद्र ने रूपाली से शादी करने का वादा किया. रूपाली ने भी हां करते हुए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया. दोनों शादी से पहले ही शारीरिक संबंध कायम करते रहे. रूपाली प्यार के मामले में सुरेंद्र से भी ज्यादा हिम्मती थी. नेमावर छोटी जगह होने के कारण उसे सुरेंद्र से मिलते रहने में बाधा आती थी. इसे देखते हुए रूपाली ने एक योजना के तहत हरदा में एक कमरा किराए पर ले लिया. वहीं वह सुरेंद्र के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी.
उन्हीं दिनों इलाके के हाइवे निर्माण से सुरेंद्र के परिवार को मुआवजा मिला. अचानक आए पैसे से सुरेंद्र को शराब की लत लग गई. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हुए रूपाली चमकदमक और यौनसुख की भूखी बन चुकी थी. उस ने भी कई युवकों से दोस्ती कर ली. उन में ज्यादातर युवक हरदा व उस के आसपास के रहने वाले थे. सुरेंद्र को रूपाली के दूसरे दोस्तों से मिलने वाली बात मालूम थी. फिर भी वह इसलिए चुप रहता था, क्योंकि उस के लिए भी रूपाली महज मनोरंजन का साधन भर थी. वह उस के प्यार से कहीं अधिक वासना के नशे में खोया रहता था. जबकि रूपाली सुरेंद्र के द्वारा किए गए वादे को सच मान बैठी थी.
सुरेंद्र ने पुलिस को बताया कि कुछ समय पहले परिवार वाले उस की शादी के लिए तैयारी करने लगे थे. इस बात की जानकारी रूपाली को लगी. इस बात से वह नाराज हो गई और उस ने अपनी इंस्टाग्राम पेज पर अपनी अंतरंग तसवीरें पोस्ट कर मुझे बदनाम कर दिया. वह मुझ पर दबाव बनाने लगी कि मैं अपनी सगाई तोड़ कर उस के साथ ही शादी करूं. रूपा को भी मेरे और रूपाली के संबंध की जानकारी थी, इसलिए वह भी उस का साथ देती थी. मेरी सगाई तोड़ने के लिए रूपाली ने करीब 20 दिन पहले ही इंस्टाग्राम पर मेरी होने वाली पत्नी को काफी गंदी टिप्पणियां कर दी थीं, जब मैं ने उसे ऐसा करने से मना किया तो उस का कहना था कि यह तो शुरुआत है. अगर उस के साथ शादी नहीं की तो पूरे परिवार का जीना मुश्किल कर देगी.
उस के द्वारा दी गई धमकियों से मुझे लग गया कि वह अपनी बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. इसलिए मैं ने उसे खत्म कर देने का फैसला कर अपनी योजना में दोस्त विवेक तिवारी के अलावा छोटे भाई वीरेंद्र, राजकुमार, मनोज, करण व राकेश को शामिल कर लिया. खेत मे ट्रांसफार्मर लगाने के नाम पर गहरा गड्ढा करवा लिया. इस के बाद योजना के अनुसार मैं ने 13 मई, 2021 को रूपाली को शाम के समय फोन कर के खेत पर बुलाया. वह खुशीखुशी अपनी गाड़ी ले कर खेत पर आ गई.
उस समय तक हम सब दोस्त शराब के नशे मे चूर हो गए थे. रूपाली ने आते ही शादी की बात शुरू कर दी तो मैं ने उसे उसी समय अपने साथ सुहागरात मनाने की जिद की. रूपाली ने सब के सामने ऐसा करने से मना किया तो मैं ने जबरदस्ती उस के साथ संबंध बनाए और फिर वह उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी. उस का गला दबाने के बाद हम सब ने लोहे की रौड से पीटपीट कर हत्या कर दी. उस के बाद शव गड्ढे में डाल दिया. रूपाली और सुरेंद्र के संबंध के बारे में उस की मां ममता व बहन दिव्या सब कुछ जानती थी, इसलिए रूपाली के घर वापस नहीं पहुंचने पर हमारे पकड़े जाने का पूरापूरा डर था. इसलिए एक व्यक्ति रूपाली के घर जा कर उस की मां और बहन को शादी की बात करने के नाम पर खेत पर ले आया, जहां हम ने उन दोनों की भी हत्या कर दी.
फिर हमें पता चला कि रूपाली के घर उस की मौसी के बच्चे भी आए हुए हैं. दोनों पुलिस को पूरी कहानी बता सकते थे. इसलिए दोनों मौसी द्वारा खेत पर बुलाने के बहाने से ले आए. उन की भी हत्या कर लाश को गड्ढे में दफन कर दिया. गड्ढे को नमक, यूरिया व मिट्टी डाल कर दबा दिया. धीरेधीरे घटना को डेढ़ माह से अधिक समय बीत जाने पर भी जब पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा था. तब सुरेंद्र और उस के साथियों को भरोसा हो गया कि अब पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाएगी. एसपी (देवास) शिवदयाल के निर्देशन और एएसपी सूर्यकांत शर्मा के नेतृत्व में नेमावर थाने की टीम में शामिल टीआई शिवमुराद यादव, एसआई शिवपाल सिंह, मनीष मीणा के साथ आरक्षक भरत शर्मा व अर्पित जायसवाल की टीम ने दिनरात मेहनत कर आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.
नोट: मामले में पुलिस ने युवती के प्रेमी सुरेंद्र सिंह चौहान व उस के भाई वीरेंद्र सिंह चौहान सहित विनय तिवारी, राजकुमार, करण, मनोज को गिरफ्तार कर UP Crime News