Love Story in Hindi : एक ही गांव के रहने वाली प्रतिमा और सुनील कुमार गोस्वामी एक ही कोर्ट में वकील थे, इसलिए दोनों को एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत थी. दोनों की किसी और से शादी जरूर हो गई, लेकिन उन की मोहब्बत जारी रही. अपनी मोहब्बत को जीवित रखने के लिए प्रतिमा ने एक ऐसा खौफनाक फैसला लिया कि…

सरकारी टीचर अमरेंद्र कुमार अपनी मोटरसाइकिल से पटना के फतुहा के दनियावां में घनश्याम से मिलने जा रहे थे. घनश्याम से इन्होंने 55 लाख रुपए में एक प्लौट खरीदा था, जिस के 51 लाख रुपए वह पहले ही दे चुके थे और बाकी के 4 लाख रुपए देने उन्हें जा रहे थे. आगेआगे स्कूटी से उन की पत्नी प्रतिमा देवी बेटी प्रिया के साथ चल रही थी तो पीछेपीछे अमरेंद्र थे. दोनों गाडि़यों के बीच में कुल 50-60 मीटर का फासला था. अमरेंद्र जैसे ही बख्तियारपुर के नारायना छपाक वाटर पार्क के पास पहुंचे, अचानक उन की बाइक के सामने एक बाइक आ कर रुकी, जिस पर 2 युवक सवार थे. अचानक बाइक के सामने आ जाने से उन्हें ब्रेक लगाना पड़ा और वह गिरतेगिरते बचे.

अभी वह कुछ समझ पाते कि बाइक पर पीछे सवार युवक ने निशाना बना कर उन पर गोलियां दाग दीं. उन के सिर में एक गोली जा धंसी और दूसरी सीने में. गोली लगते ही अमरेंद्र बाइक से लहराते हुए जमीन पर गिर पड़े. भीड़भाड़ वाला इलाका था. गोली की आवाज सुन कर लोग इधरउधर भागने लगे थे. इसी का फायदा उठा कर बाइक सवार बदमाश वहां से फरार हो गए. बदमाशों के भागते ही मौके पर भीड़ जमा हो गई थी. कुछ दूर आगे निकल आई पत्नी प्रतिमा ने जब पीछे मुड़ कर देखा तो दूरदूर तक अमरेंद्र दिखाई नहीं दिए. यह देख कर प्रतिमा ने बेटी से वापस लौटने को कहा. वापस लौटते समय जैसे ही कुछ दूर आगे बढ़ी तो एक जगह उसे भारी भीड़ नजर आई. भीड़ देख कर प्रतिमा के मन में न जाने क्यों आशंका के बादल उमड़े.

बेटी से उस ने वहीं रुकने के लिए कहा, जहां भीड़ जमा थी. प्रिया ने स्कूटी उसी भीड़ वाली जगह ले जा कर रोक दी. स्कूटी रुकते ही प्रतिमा नीचे उतरी और भीड़ को चीरती हुई अंदर तक पहुंच गई. भीड़ के बीच का दृश्य देख कर उस का कलेजा मुंह को आ गया और अचानक जोरजोर से चिल्ला कर रोने लगी. रोने की आवाज सुनकर प्रिया चौंक गई. वह भी स्कूटी वहीं खड़ी कर के भागीभागी भीड़ के बीच पहुंची. वहां का नजारा देख कर प्रिया भी खुद को रोक न सकी और जोरजोर से रोने लगी थी. अमरेंद्र को किसी ने गोली मार दी थी. प्रतिमा और उस की बेटी को रोता देख कर लोग समझ गए थे कि मृतक उस का पति है.

बहरहाल, उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन कर घटना की सूचना दे दी. सूचना मिलते ही कंट्रोलरूम ने वायरलैस से मैसेज प्रसारित कर बख्तियारपुर थाने के इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह को तुरंत मौके पर पहुंचने का आदेश दिया. कंट्रोलरूम से सूचना मिलते ही इंसपेक्टर सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल रवाना हो गए. थोड़ी देर बाद वे मौके पर पहुंच जांचपड़ताल में जुट गए थे. उस के बाद सूचना पा कर एसपी (ग्रामीण) कांतेश कुमार मिश्र और डीएसपी राजेश कुमार मांझी भी मौके पर पहुंच गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मौके से जांचपड़ताल के दौरान 2 खाली खोखे बरामद किए. पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर वह अपने कब्जे में ले लिए. मौके पर मौजूद भीड़ से पुलिस ने बदमाशों के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि एक बाइक पर 2 बदमाश सवार थे. बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने गोली मार कर हत्या की थी और हवा में असलहा लहराते हुए वहां से फरार हो गए थे. पुलिस ने लाश को अपने कब्जे में लिया और मौके की काररवाई पूरी कर उसे पोस्टमार्टम के लिए पटना मैडिकल कालेज भिजवा दिया. कागजी काररवाई पूरी करने के बाद इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह थाने लौट आए.

पुलिस जुटी तहकीकात में यह सब करतेकरते उन्हें दोपहर हो गई थी. घटनास्थल से निकलने से पहले उन्होंने मृतक की पत्नी प्रतिमा को थाने पहुंचने के लिए कह दिया था. जब तक वह थाने पहुंचते, तब तक वह वहां पहुंच चुकी थी. इंसपेक्टर मनोज ने प्रतिमा की तहरीर पर 2 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्या की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने पति की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो प्रतिमा ने बताया, ‘‘वह तो बहुत सीधेसादे थे. वह अपने काम से मतलब रखते थे. उन की किसी से भी दुश्मनी नहीं थी.’’

मनोज ने मृतक के बारे में कुछ और जानकारी ली. जानकारी लेने के बाद इंसपेक्टर मनोज ने प्रतिमा और उस की बेटी प्रिया को घर भेज दिया. मृतक की पत्नी प्रतिमा से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मनोज को पता चला था कि अमरेंद्र प्लौट मालिक से मिलने दरियावां जा रहे थे. उन के पास 4 लाख रुपए नकद थे, जो मृतक के पास से बरामद हुए. इंसपेक्टर सिंह को एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि बदमाशों ने अगर लूट के इरादे से अमरेंद्र को गोली मारी होती तो रुपए लूट कर ले जाते, किंतु ऐसा नहीं हुआ. बदमाश अमरेंद्र की हत्या कर के मौके से फरार हो गए. इस का मतलब साफ था कि बदमाशों का लक्ष्य अमरेंद्र को मारना था, लूट नहीं. यह घटना 19 मार्च, 2021 की है.

अगले दिन एसपी ग्रामीण कांतेश कुमार मिश्र ने अपने औफिस में एक मीटिंग बुलाई. उस मीटिंग में उन के अलावा डीएसपी राजेश कुमार मांझी, बख्तियारपुर थाने के इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह सहित कई थानों के तेजतर्रार थानेदार शामिल हुए थे. सरकारी अध्यापक अमरेंद्र कुमार की हत्या के खुलासे के लिए एसपी (ग्रामीण) कांतेश कुमार मिश्र ने डीएसपी राजेश कुमार के नेतृत्व में 4 टीमें गठित कीं और जल्द से जल्द घटना का परदाफाश कर बदमाशों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. चारों टीमों का नेतृत्व डीएसपी राजेश कुमार मांझी कर रहे थे. इसलिए पलपल की जांच की रिपोर्ट इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह डीएसपी मांझी को दे रहे थे.

सभी अधिकारियों को एक ही बात बारबार परेशान कर रही थी कि बदमाशों ने हत्या तो कर दी लेकिन पैसे क्यों नहीं लूटे. यह बात अब स्पष्ट हो रही थी कि घटना लूट के लिए नहीं बल्कि किसी और बात को ले कर अंजाम दी गई थी. वह बात जोरू की हो सकती थी या फिर जमीन की. पुलिस इन्हीं दोनों आशंकाओं को ध्यान में रख कर आगे बढ़ रही थी. जांच में मृतक के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई गई, लेकिन कोई लाभ नहीं निकला. पुलिस जहां से चली थी, वहीं आ कर फिर रुक गई थी. अमरेंद्र की हत्या की वजह समझ नहीं आ रही थी. पुलिस को ऐसा लग रहा था जैसे सब कुछ आंखों के सामने है, लेकिन कुछ छूट रहा है, यही बात समझ में नहीं आ रही थी.

पता नहीं क्यों डीएसपी राजेश कुमार मांझी को मृतक की पत्नी प्रतिमा संदिग्ध लग रही थी. इंसपेक्टर मनोज को डीएसपी राजेश कुमार ने सुझाया कि कभीकभी जो दिखता नहीं है, कातिल वही निकलता है. मृतक की पत्नी प्रतिमा को जांच के दायरे में लेते हुए अपनी काररवाई आगे बढ़ाओ, रास्ता खुद मिल जाएगा. इंसपेक्टर मनोज ने वैसा ही किया जैसा उन्हें अपने अधिकारी का आदेश मिला था. प्रतिमा को शक के दायरे में लेते हुए उन्होंने अपनी काररवाई को गति दी और उस के मोबाइल फोन का नंबर ले कर सर्विलांस पर लगा दिया. साथ ही साथ काल डिटेल्स निकाल कर पूरी तरह खंगाली.

काल डिटेल्स देखते ही उन का माथा ठनका. घटना घटने के 4 दिनों पहले से प्रतिमा की एक नंबर पर लंबीलंबी बात होती थी. घटना वाले दिन तो उस नंबर पर करीब 4 बार बात की गई थी. पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर किसी सुनील कुमार गोस्वामी का निकला. उस नंबर के बारे में जब पुलिस ने प्रतिमा से पूछताछ की तो उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए उस ने बताया कि यह नंबर उस के एक परिचित दोस्त वकील सुनील कुमार गोस्वामी का है. वह एक फैमिली मेंबर जैसा है. उन पर कोई शक नहीं कर सकता है, कहते हुए प्रतिमा बुरी तरह परेशान दिख रही थी.

पुलिस का तीर लगा निशाने पर पुलिस ने अंधेरे में जो तीर चलाया था, वह सही निशाने पर लगा था. पति की हत्या में प्रतिमा कहीं न कहीं शामिल थी. पुलिस ने प्रतिमा पर नजर रखने के लिए मुखबिर को लगा दिया, जिस का परिणाम सकारात्मक निकला. मुखबिर ने एक दिन चौंकाने वाली खबर दी. खबर यह थी कि अमरेंद्र की हत्या प्रेम संबंधों में बाधक बनने पर की गई थी. मृतक की पत्नी प्रतिमा और सुनील के बीच जवानी के दिनों से ही इश्क चल रहा था. यह बात अमरेंद्र जानता था. बहरहाल, पुलिस के लिए इतनी खबर काफी थी. इंसपेक्टर मनोज कुमार ने मुखबिर की खबर पर जांच आगे बढ़ाई. जांच के बाद मुखबिर की बात सच निकली.

मृतक की पत्नी प्रतिमा और उस के वकील दोस्त सुनील कुमार गोस्वामी के बीच लंबे समय से प्रेम संबंध कायम थे. इस बात को साबित करने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य (काल डिटेल्स) भी पर्याप्त थे. फिर क्या था, पुलिस ने बगैर समय गंवाए 26 मार्च, 2021 को मृतक की पत्नी प्रतिमा और उस के प्रेमी सुनील कुमार को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया और थाने ले आई. प्रतिमा और उस के प्रेमी ने कुबूला अपराध थाने में दोनों से इंसपेक्टर मनोज और डीएसपी राजेश ने कड़ाई से पूछताछ की. पेशे से दोनों वकील थे और कानून के जानकार भी. इसलिए इतनी आसानी से टूटने वालों में नहीं थे. दोनों ने पुलिस को खूब छकाया.

उन्हें जब यह लगने लगा कि अब बचना मुश्किल है, तब दोनों ने अपनेअपने जुर्म कुबूल कर लिए. पुलिस पूछताछ में प्रतिमा ने बताया कि वे दोनों एकदूसरे से कालेज के समय से ही प्यार करते थे. वे दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन घर वालों को उन का यह रिश्ता मंजूर नहीं था. घर वालों के दबाव में आ कर उस ने अमरेंद्र से शादी कर ली. इस के बाद प्रतिमा सिलसिलेवार पूरी घटना से परदा उठाती चली गई थी. सुनील ने भी वही बयान दिया, जो उस की प्रेमिका ने दिया था. सुनील ने पुलिस को बताया कि अमरेंद्र को रास्ते से हटाने के लिए बक्सर के 2 शूटरों को 5 लाख रुपए की सुपारी दी थी, जिस में पेशगी के तौर पर 50 हजार रुपए पहले दिए जा चुके थे. बाकी काम होने के बाद देनी थी.

वकील सुनील कुमार के बयान के आधार पर पुलिस दोनों शूटरों को गिरफ्तार करने बक्सर गई. सुनील की निशानदेही पर दोनों शूटर विमलेश उर्फ छोटन कुमार और निखिल कुमार पांडेय उर्फ गोलू गिरफ्तार कर लिए गए. सख्ती से पूछताछ करने पर दोनों शूटरों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पुलिस दोनों शूटरों को कड़ी सुरक्षा में बक्सर से पटना ले आई. एक सप्ताह से अध्यापक अमरेंद्र कुमार हत्याकांड जो रहस्य बना हुआ था, पुलिस ने उस का खुलासा कर दिया था. एसपी (ग्रामीण) कांतेश कुमार मिश्र ने अपने दफ्तर में पै्रसवार्ता आयोजित की.

प्रैस कौन्फ्रैंस के दौरान अमरेंद्र की पत्नी प्रतिमा, उस के आशिक वकील सुनील कुमार गोस्वामी, दोनों शूटरों विमलेश और निखिल से पत्रकारों ने भी पूछताछ की तो उन्होंने सच्चाई बता दी. उस के बाद पुलिस ने चारों अभियुक्तों को अदालत में पेश कर उन्हें पटना की बेउर जेल भेज दिया. पुलिस पूछताछ के बाद अमरेंद्र हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

38 वर्षीय अमरेंद्र कुमार मूलरूप से नालंदा जिले के परशुराय थाने के गुलेरिया बिगहा के रहने वाले थे. वर्तमान में वह राजधानी पटना के रामकृष्ण नगर के जकरियापुर में मकान बनवा कर पत्नी प्रतिमा और इकलौती बेटी प्रिया के साथ रहते थे. यही उन का संसार था. संपत्ति की देखरेख के लिए एक बेटे की चाह थी, लेकिन उन की इच्छा पूरी नहीं हुई तो उन्होंने बेटी से ही संतोष कर लिया और बेटी की परवरिश में जुट गए. वैसे भी आजकल लोग बेटेबेटी में कोई भेदभाव नहीं करते हैं. अमरेंद्र ने भी बेटी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया. अमरेंद्र गौतम बुद्ध मध्य विद्यालय, महेंद्रू पटना के सरकारी विद्यालय में अध्यापक थे. संस्कार उन में कूटकूट कर भरा हुआ था. वही संस्कार उन्होंने बेटी प्रिया को भी दिया था.

दोनों एक ही कोर्ट में करते थे वकालत उन की पत्नी प्रतिमा भी एक वकील थी. वह पटना कोर्ट में वकालत करती थी. उस की वकालत ठीकठाक चल रही थी. जिस कालोनी में अमरेंद्र रहते थे, उसी में सुनील कुमार गोस्वामी रहता था. सुनील मूलरूप से बक्सर जिले के राजपुर का रहने वाला था और पटना के जकरियापुर में अपने परिवार के साथ रहता था. सुनील भी पेशे से वकील था और पटना कोर्ट में ही वकालत करता था. प्रतिमा और सुनील एक ही छत के नीचे बैठ कर वकालत करते थे. सुनील बक्सर जिले के जिस राजपुर गांव का रहने वाला था, उसी गांव में प्रतिमा का मायका था. बचपन पीछे छोड़ दोनों एकदूसरे को देखते बड़े हुए, साथसाथ खेलेकूदे और एक ही कालेज में पढ़ाई की.

साधारण शक्लसूरत और गोरी रंगत वाली प्रतिमा खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन उस में आकर्षण था. सुनील भी प्रतिमा की अदाओं से बच न सका और कब उस के आबनूसी गेसुआें में गिरफ्तार हुआ, यह न तो वह जान सका और न ही प्रतिमा. प्रेम बंधन की डोर से दोनों बंधते चले गए थे. आलम यह था कि एकदूसरे को देखे बगैर चैन नहीं आता था. दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे जीवन भर साथ निभाने की कसमें खा चुके थे. लेकिन हुआ इस के विपरीत. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही प्रतिमा के घर वाले उस की शादी के लिए लड़का ढूंढने लगे. संस्कारों में पली प्रतिमा इतना साहस नहीं जुटा पाई कि वह घर वालों से अपने मन की बात कह सके. मन की बात मन में ही रह गई और अमरेंद्र के साथ उस की डोर बंध गई.

प्रतिमा अमरेंद्र की पत्नी बन कर ससुराल (गुलेरिया बिगहा) आ तो गई थी, लेकिन उस का दिल सुनील के पास ही रह गया था. चाह कर भी वह अमरेंद्र को अपने दिल में जगह नहीं दे पाई. लेकिन अपने शरीर पर पति को अधिकार दे दिया ताकि किसी को उस पर शक न हो और उस का प्यार भी जिंदा रहे. शादी के बाद भी जिंदा रही मोहब्बत  शातिर प्रतिमा अपने मकसद में कामयाब हो गई थी. सालों तक उस का राज छिपा रहा. अमरेंद्र को पत्नी पर कभी शक नहीं हुआ कि उस की पत्नी दोहरा चरित्र जी रही है. सुनील की पैठ उस के घर के अंदर तक थी क्योंकि प्रतिमा ने पति से उस का परिचय अपने भाई के रूप में कराया था. इस वजह से सुनील कुमार का उस के घर में आनाजाना बेरोकटोक जारी था.

उस के घर के हर फैसले में सुनील का हस्तक्षेप होता था. चाह कर भी अमरेंद्र सुनील की बातों को मना नहीं कर पाता था, क्योंकि मना करने पर पत्नी मुंह फुला कर बैठ जाती थी.  शेर की खाल में भेडि़या आखिरकार कब तक शेर बना रह सकता था. एक न एक दिन तो आवाज मारता ही. ऐसा ही कुछ अमरेंद्र के साथ भी हुआ. धीरेधीरे पत्नी पर अमरेंद्र का शक गहराता गया. सुनील और प्रतिमा के भाईबहन वाले रिश्ते को अमरेंद्र हजम नहीं कर पा रहे थे. उन के चालचलन और हावभाव से कहीं से लगता ही नहीं था कि वे भाईबहन हो सकते थे. उन पर अमरेंद्र नजर रखने लगे. आखिरकार उन का शक यकीन में बदल गया.

प्रतिमा और सुनील के बीच भाईबहन नहीं प्रेमीप्रेमिका का संबंध था. यह जान कर अमरेंद्र के पैरों तले की जमीन खिसक गई कि रिश्तों की आड़ में इतने सालों से पत्नी उन की आंखों में धूल झोंक रही थी. उस दिन के बाद से अमरेंद्र पत्नी से खिंचेखिंचे से रहने लगे. पत्नी से वह जब भी बात करते तो उन के तेवर अलग ही होते. पति के इस व्यवहार को देख कर प्रतिमा समझ नहीं पाई कि अचानक पति को क्या हो गया जो वह उस के साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं. उसे क्या पता था कि उस के राज का पता पति को चल चुका है. पति के इस व्यवहार से प्रतिमा विचलित थी. वह जानना चाहती थी वह उस के साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं. उसे शक था कि कहीं पति को उस के संबंधों के बारे में पता तो नहीं चल गया.

उस की आशंका गलत नहीं थी. पति को दोनों के संबंधों के बारे में पता चल चुका था. इस के बाद अमरेंद्र और प्रतिमा के रिश्तों में दरार आ गई थी. प्रतिमा ने प्रेमी सुनील को सारी बातें बता दी कि पति को उन के रिश्तों के बारे में पता चल चुका है. उन के रिश्तों से परदा उठ गया तो वे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. इस के बाद दोनों मिल कर अमरेंद्र को रास्ते से हटाने की योजना बनाने लगे. ताकि वे बदनामी से बचे रहे. एडवोकेट सुनील ने 5 लाख की दी सुपारी सुनील और प्रतिमा दोनों ही कानून के खिलाड़ी थे. कानून के दांवपेंच जानते थे. अमरेंद्र को राह से हटाने के लिए एक खतरनाक योजना बनाई. उस की हत्या के लिए सुनील ने बक्सर के शूटर विमलेश उर्फ छोटन कुमार और निखिल कुमार पांडेय उर्फ गोलू को 5 लाख की सुपारी दे दी.

बक्सर के शूटर को सुपारी देने के पीछे दोनों का एक ही मकसद था कि पुलिस कभी न तो उन तक पहुंच सकती थी और न ही हत्यारों को ढूंढ सकती थी और वे बेदाग बच सकते हैं. बहरहाल, पेशगी के तौर पर सुनील ने शूटर विमलेश को 50 हजार रुपए दिए और बाकी के साढ़े 4 लाख रुपए काम होने के बाद देना तय हुआ. योजना के अनुसार, अमरेंद्र की सुपारी लेने के बाद 16 मार्च, 2021 को शूटर विमलेश और निखिल बक्सर से पटना आ गए थे. सुनील ने दोनों को पटना के एक होटल में ठहराया था. वहीं रह कर दोनों शूटरों ने अमरेंद्र की 2 दिनों तक रेकी की. इधर प्रतिमा पति पर जमीन मालिक को शेष रकम देने का दबाव बनाए थी ताकि पति घर से बाहर निकले और उस का कत्ल करा दिया जाए.

अमरेंद्र आज नहीं कल कह कर टालते जा रहे थे कि समय मिलते ही बाकी के रुपए दे आऊंगा. लेकिन प्रतिमा जिद पर ही अड़ी रही कि आज यानी 19 मार्च, 2021 को जमीन मालिक को पैसे देने ही हैं. अमरेंद्र को क्या पता था प्रतिमा खुद सिंदूर मिटाने की जिद पर अड़ी हुई है. बेटी के सिर से पिता का साया छीनने के लिए बेचैन है. आखिर अमरेंद्र जमीन मालिक को बाकी पैसे देने जाने के लिए राजी हो गया. पति के हामी भरते ही प्रतिमा के चेहरे पर जहरीली मुसकान थिरक उठी और मौका देख कर प्रेमी सुनील कुमार को यह बात बता दी. सुनील ने शूटरों को अलर्ट कर दिया कि शिकार तैयार है, तुम भी तैयार हो जाओ.

योजना के अनुसार, अमरेंद्र घर से 4 लाख रुपए ले कर निकले तो प्रतिमा भी बेटी प्रिया को ले कर पति के पीछे निकली. पति से उस ने कह दिया था कि वह दरियावां साथ चलेगी. आखिरकार बड़ी रकम का मामला है. यह उस नागिन की बड़ी साजिश थी, जो सीधासादा पति समझ नहीं पाया था. खैर, कुछ दूर आगे चल कर प्रिया स्कूटी ले कर अमरेंद्र से आगे निकल गई. अमरेंद्र घर से जैसे ही निकले, प्रतिमा ने सुनील को फोन कर बता दिया कि पति घर से निकल चुका है. फिर उस ने शूटर विमलेश और निखिल को जानकारी दे दी और दोनों अमरेंद्र के पीछे लग गए. शातिर प्रतिमा पति को अपनी आंखों के सामने मरते देखना चाहती थी, इसीलिए वह उस से आगेआगे चल रही थी. फिर आगे क्या हुआ, कहानी में ऊपर वर्णित है.

कहते हैं, अपराधी लाख शातिर क्यों न हो, वह कोई न कोई गलती जरूर करता है. वही गलती प्रतिमा ने भी की. मौके पर पूछताछ के दौरान इंसपेक्टर मनोज को उस ने बताया था कि वह पति से आगे चल रही थी और पति को 2 लोगों ने गोली मारी थी. यही बात उन्हें खटक गई थी कि जब वह पति से आगे आगे चल रही थी तो कैसे जान गई कि अमरेंद्र की हत्या करने वाले 2 ही लोग थे. बस यही गलती प्रतिमा पर भारी पड़ गई और पहुंच गई सलाखों के पीछे. कथा लिखे जाने तक बक्सर से दोनों शूटर विमलेश और निखिल गिरफ्तार किए जा चुके थे. उन की निशानदेही पर छिपा कर रखी पिस्टल और हत्या में इस्तेमाल बाइक पुलिस ने बरामद कर ली थी.

कथा लिखे जाने तक चारों आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था. प्रतिमा को अपने सुहाग उजड़ने का कोई गम नहीं था. Love Story in Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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