Police Story : हैडकांस्टेबल शिवाजी माधवराव सानप के साथ अय्याशी करने वाली कांस्टेबल शीतल पांसरी का स्वार्थ पूरा नहीं हुआ तो उस के दिल पर ऐसी चोट लगी कि इंतकाम लेने के लिए उस ने एक नहीं बल्कि 2 मर्दों को अपने जिस्म का लालच दे कर अपने इंतकाम की आग बुझाई.
शिवाजी माधवराव सानप (54) मुंबई पुलिस के नेहरू नगर थाने में हैडकांस्टेबल के पद पर तैनात था. वह पुणे में रहता था. वहीं से रोजाना ड्यूटी के लिए अपडाउन करता था. पुणे से वह बस से पनवेल जाता था, फिर पनवेल से दूसरी बस पकड़ कर कुर्ला पहुंचता और कुर्ला से लोकल ट्रेन के जरिए वह नेहरू नगर थाने पहुंचता. आनेजाने के लिए उस का रुटीन ठीक उसी तरह तय था, जैसे सुबह उठ कर लोग दैनिक काम करते हैं. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के कारण काफी भागदौड़ रही. दिन भर की थकान के बाद वह उस रात भी कुर्ला स्टेशन से उतरने के बाद पनवेल के लिए बस पकड़ने के लिए लगभग रात के साढ़े 10 बजे सड़क से गुजर रहा था.
तभी सड़क पार करते समय एक तेज रफ्तार नैनो कार ने शिवाजी को इतनी जोर की टक्कर मारी कि उस का शरीर हवा में उछलता हुआ सड़क के किनारे दूर जा गिरा. इस बीच शिवाजी को टक्कर मारने वाली कार हवा की गति से नौ दो ग्यारह हो गई. शिवाजी सानप गंभीर रूप से घायल हो गया. आनेजाने वाले कुछ राहगीरों ने यह माजरा अपनी आखों से देखा था. लिहाजा वहां मोजूद हुए लोगों में से किसी ने उसी समय पुलिस कंट्रोल रूम को इस की सूचना दे दी. पहले पीसीआर की गाड़ी आई जिस ने घायल शिवाजी को पास के एक अस्पताल में भरती करा दिया. लेकिन कुछ देर की जद्दोजहद के बाद आखिरकार शिवाजी की को मृत घोषित कर दिया गया.
मामला बिलकुल सीधासाधा सड़क हादसे का दिख रहा था, इस में शक की कोई गुंजाइश भी नहीं लग रही थी. लिहाजा पनवेल शहर पुलिस स्टेशन के सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे ने सड़क दुर्घटना का मामला दर्ज करवा दिया. शिवाजी के कपड़ों की तलाशी लेने के बाद जेब से उस का महाराष्ट्र पुलिस का परिचय पत्र, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज मिले थे. इस से पुलिस को उस की पहचान कराने में भी ज्यादा जहमत नहीं उठानी पड़ी. सड़क दुर्घटना का केस दर्ज करने के बाद पनवेल पुलिस स्टेशन ने पुणे में रहने वाले शिवाजी के घर वालों को भी हादसे की खबर कर दे दी. अगली सुबह ही शिवाजी सानप की पत्नी गायित्री अपने भाई व रिश्तेदारों को ले कर पनवेल पुलिस स्टेशन पहुंची, जहां उन्हें हादसे के बारे में बताया गया.
पुलिस ने विभाग का आदमी होने के कारण जल्दी ही शिवाजी के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव उस के परिजनों का सौंप दिया. 1-2 दिन गुजरने के बाद अचानक शिवाजी की पत्नी गायित्री अपने भाई के साथ पनवेल पुलिस स्टेशन पहुंची और सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे से मुलाकात की. गायत्री ने अपने मन में छिपे शक का इजहार करते हुए कहा, ‘‘सर, मेरे पति का ऐक्सीडेंट नहीं हुआ उन की हत्या की गई है. हत्या भी इस तरह कि लोगों को लगे कि ये सड़क दुर्घटना है.’’
यह सुन कर अजय लांडगे के होंठों पर हलकी सी मुसकान तैर गई. वह बोले, ‘‘देखो गायत्री, मैं तुम्हारा दुख समझता हूं. तुम्हारे पति की मौत हुई है और तुम्हारे दिमाग की हालत अभी ठीक नहीं है. लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि तुम्हारे पति की हत्या हुई है. भला तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है. सड़कों पर हर रोज ऐसे हजारों ऐक्सीडेंट होते हैं, लेकिन इस का मतलब ये तो नहीं कि सब हत्या कही जाएंगी.’’
‘‘हां साहब, इस की वजह मैं आप को बताती हूं,’’ कहने के बाद गायत्री ने इंसपेक्टर कुमार लांडगे को जो कुछ बताया, उसे सुन कर लांडगे की आंखें फैल गईं.
कुछ देर शांत रहने के बाद इंसपेक्टर लांडगे ने कहा, ‘‘ठीक है गायत्री, तुम ने जो कुछ बताया, अगर वो सच है तो हम इस की जांच करेंगे. अगर तुम्हारे पति की मौत हत्या है तो तुम्हें इंसाफ जरूर मिलेगा और कातिल जेल की सलाखों के पीछे होगा.’’ इंसपेक्टर लांडगे ने उसी दिन पनवेल डिवीजन के एसीपी भगवत सोनावने को शिवाजी की पत्नी और उस के साले के इस शक के बारे में जानकारी दे कर यह भी बता दिया कि उन्हें क्यों शक है कि शिवाजी की मौत सड़क हादसा नहीं बल्कि मर्डर है.
सुनने के बाद एसीपी सोनावने भी सोच में पड़ गए, ‘‘लांडगे साहब, हम ऐसे ही किसी पर हाथ नहीं डाल सकते, क्योंकि हमारे पास कोई सबूत नहीं हैं. आप ऐसा करो, एक टीम तैयार करो और जरा पता करो कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है.’’
शिवाजी की पत्नी के कहने पर पनवेल पुलिस ने जांच तो शुरू कर दी, लेकिन खुद लांडगे के पास अभी भी इस केस को सड़क दुर्घटना नहीं मानने के लिए कोई सबूत नहीं था. हालांकि पुलिस को अभी तक यह भी नहीं पता था कि शिवाजी का ऐक्सीडेंट जिस कार से हुआ था, वह कौन सी कार थी. लेकिन कहानी में पहला ट्विस्ट तब आया, जब इंसपेक्टर लांडगे को पता चला कि शिवाजी सानप के ऐक्सीडेंट वाले स्थान से 2 किलोमीटर की दूरी पर एक सुनसान जगह पर उसी रात एक नैनो कार जली हालत में मिली.
संबंधित चौकी के स्टाफ से जानकारी मिलने के बाद लांडगे सोच में पड़ गए. लांडगे एक ही रात में शिवाजी तथा ऐक्सीडेंट स्पौट से करीब 2 किलोमीटर दूर एक जली हुई कार के मिलने की कडि़यों को जोड़ने की कोशिश कर रहे थे. इस के अगले ही दिन जब शिवाजी की पत्नी गायत्री ने यह शक जताया कि उस के पति की मौत सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि सोचीसमझी साजिश के तहत की गई है तो पुलिस मौत की जांच का काम करने में जुट गई. जिस जगह यह हादसा हुआ था, पुलिस ने उस के आसपास लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकालनी शुरू कर दी. पुलिस ने थाना नेहरू नगर के ड्यूटी औफिसर और शिवाजी के परिवार वालों से शिवाजी के आनेजाने के रुटीन का पता किया कि वह पुणे से नेहरू नगर पुलिस स्टेशन कैसे आताजाता था.
इस के बाद उन्होंने नेहरू नगर थाने से ले कर कुर्ला स्टेशन तक जितने भी सीसीटीवी लगे थे, सब को चैक किया. यह एक लंबी कवायद थी, लेकिन मामला चूंकि अपने ही विभाग से जुड़े हैडकांस्टेबल की संदिग्ध मौत से जुड़ी जांच का था, लिहाजा पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी. करीब 250 सीसीटीवी फुटेज को खंगालने के बाद 15 अगस्त की रात शिवाजी कुर्ला रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने की एक फुटेज कैमरे में मिल ही गई.
जांच आगे बढ़ी तो पनवेल के बस स्टैंड पर बस पकड़ने के लिए पैदल चलते एक और सीसीटीवी कैमरे में उन की फुटेज मिल गई. कडि़यों को जोड़ते हुए सड़क को कवर करने वाले सीसीटीवी कैमरों को भी खंगालना शुरू किया तो एक कैमरे में वह वारदात भी कैद मिली, जिस में शिवाजी को तेज रफ्तार नैनो कार कुचलती हुई आगे निकली थी. इस से एक बात साफ हो गई कि घटना वाली रात करीब 2 किलोमीटर दूर जो नैनो कार जली मिली, उस का संबंध शिवाजी सानप से ही था. अब नेहरू नगर सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे को यह समझ आने लगा कि शिवाजी के परिवार ने उन की हत्या की जो आशंका जताई थी, उस में जरूर सच्चाई छिपी थी क्योंकि अगर शिवाजी की मौत सिर्फ हादसा होती तो नैनो कार को जलाने की जरूरत ही नहीं थी.
यानी साफ था कि कातिल सबूत मिटाने के लिए कत्ल के लिए इस्तेमाल हुई कार को जला कर सबूत खत्म करना चाहता था. पुलिस ने जब कुछ और कैमरों को खंगाला तो पता चला कि उस में 2 लोग सवार थे. पुलिस ने एक्सपर्ट की मदद से कार में बैठे दोनों लोगों की तसवीर जूम कर के तैयार करवाई. पहले पुलिस ने अपने रिकौर्ड खंगाले कि कहीं ऐसा तो नहीं किसी पुराने अपराधी ने शिवाजी से अपनी पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए उन की योजनाबद्ध तरीके से हत्या कर दी हो. पुलिस रिकौर्ड में जितने भी अपराधी दर्ज थे, सीसीटीवी से मिले फोटो कहीं भी मैच नहीं हुए.
इस दौरान पुलिस की एक दूसरी टीम जो इस बात की जांच कर रही थी कि शिवाजी सानप की तैनाती कहांकहां रही और उन का रिकौर्ड कैसा था. इस बिंदु पर तफ्तीश करने वाली पुलिस टीम को एक और कहानी पता चली. कहानी के मुताबिक, साल 2019 में शीतल पंचारी नाम की एक महिला कांस्टेबल ने शिवाजी के खिलाफ 2 अलगअलग पुलिस थानों में 2 रिपोर्ट लिखाई थीं. ये दोनों रिपोर्ट छेड़खानी और यौनशोषण की थी. नई कहानी सामने आने के बाद पुलिस ने 2019 में झांकने का फैसला किया, तब एक नई कहानी सुनने को मिली.
दरअसल, 2019 तक शिवाजी सानप और शीतल पंचारी मुंबई के नेहरू नगर पुलिस स्टेशन में एक साथ काम करते थे. इन दोनों के बीच काफी गहरे रिश्ते भी थे. लेकिन फिर अचानक रिश्तों में काफी कड़वाहट आ गई. दोनों के बीच झगड़े होने लगे और इसी झगड़े के बाद 2019 में शीतल ने 2 अलगअलग पुलिस थानों में शिवाजी के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी. यह बात शिवाजी की पत्नी और साले को भी पता थी. यही वजह है कि दोनों ने यह शक जताया कि शिवाजी की मौत सड़क हादसा नहीं, बल्कि कत्ल है और इस कत्ल में शीतल का हाथ होने का उन्होंने इशारा किया था.
पनवेल पुलिस स्टेशन नवी मुंबई के जोन-2 एरिया में आता है जिस के डीसीपी हैं शिवराज पाटिल. मामला चूंकि एक पुलिस वाले की मौत का था और शक की सुई विभाग की ही एक महिला कांस्टेबल की तरफ घूम रही थी. इसलिए इंसपेक्टर लांडगे और एसीपी भगवत सोनावने ने शीतल पंचारी के बारे में डीसीपी पाटिल को बताया गया तो उन्होंने लांडगे को क्लीन चिट दे दी कि कोशिश कर के शीतल के खिलाफ पहले सबूत एकत्र करें, उस के बाद ही उस पर हाथ डालें.
लेकिन अभी तक शीतल के खिलाफ केवल शक था. पुलिस के पास कोई सबूत नहीं था कि वह उसे कातिल ठहरा सके. इसीलिए इंसपेक्टर लाडंगे ने अपनी टीम को बड़ी खामोशी के साथ शीतल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के काम पर लगा दिया. शीतल उस समय शस्त्र शाखा में काम करती थी. पुलिस ने शीतल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली. इतना ही नहीं, उस के सोशल मीडिया अकांउट का पता लगा कर उस में भी झांकना शुरू किया, कोशिश रंग लाई. शीतल के इंस्टाग्राम पर पुलिस को एक मर्द का चेहरा और एक पोस्ट नजर आई, जिस का नाम धनराज यादव था. पुलिस ने शीतल के परिचितों को खंगालना शुरू किया तो जानकारी मिली कि धनराज यादव पेशे से एक बस ड्राइवर है.
शीतल की इंस्टाग्राम पर धनराज से दोस्ती हुई थी. लेकिन हैरानी की बात यह थी कि शीतल ने धनराज से दोस्ती करने के 5 दिनों बाद ही उस से शादी कर ली. यह बात 2019 के आखिर की है. यह अपने आप में हैरानी की बात जरूर थी. इंसपेक्टर लांडगे को लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं धनराज यादव ने ही अपनी पत्नी के साथ हुए यौन शोषण का बदला लेने के लिए शिवाजी की सड़क हादसा कर हत्या कर दी हो. वह पेशे से ड्राइवर भी था. पुलिस को लगने लगा कि कातिल अब उस से एक हाथ की दूरी पर है. गुपचुप तरीके से शीतल के जानकारों से पुलिस ने पता कर लिया कि धनराज तमिलनाडु का रहने वाला है.
शादी के सिर्फ एक महीने बाद ही धनराज रहस्यमय तरीके से अचानक शीतल को छोड़ कर तमिलनाडु चला गया. उस के बाद धनराज को किसी ने नहीं देखा. डीसीपी शिवराज पाटिल को केस की इस नई जानकारी का पता चलने पर एक टीम को तमिलनाडु भेज दिया गया. एक सप्ताह तक सुरागरसी करतेकरते पुलिस टीम आखिर तमिलनाडु में धनराज के घर तक पहुंच गई और उसे पकड़ कर मुंबई पनवेल ले आई.
हालांकि पुलिस ने नैनो कार में बैठे जिन 2 लोगों की सीसीटीवी फुटेज हासिल की थी, उन से धनराज का चेहरा कहीं भी मेल नहीं खाता था. लेकिन फिर भी उस से पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ तो उस ने कुबूल कर लिया कि उस ने इंस्टाग्राम पर कांस्टेबल शीतल से दोस्ती करने के बाद 5 दिनों में ही शादी कर ली थी, लेकिन एक महीने के बाद ही वह शीतल को छोड़ कर अपने गांव चला गयाथा.
‘‘क्यों, ऐसा क्यों किया तुम ने?’’ इंसपेक्टर लांडगे ने सवाल किया.
‘‘सर, मैं बहुत डर गया था. पहले तो दोस्ती करने के बाद इतनी जल्द मेरे जैसे ड्राइवर से एक पुलिस वाली के शादी करने का राज ही मेरी समझ में नहीं आया था. लेकिन शादी के 5 दिन बाद ही जब शीतल ने मुझ से एक खतरनाक काम करने के लिए कहा तो मेरी समझ में आ गया कि उस ने अपना काम कराने के लिए मुझ से शादी की है और मुझे हथियार बनाना चाहती है.’’ धनराज ने सहमते हुए एकएक राज उगलना शुरू कर दिया.
उस ने बताया कि शीतल ने उसे शिवाजी सानप द्वारा अपने यौनशोषण की कहानी सुना कर भावुक कर दिया था. इस के बाद शीतल ने उस से कहा कि अगर वह उस से प्यार करता है तो वह अपनी पत्नी के साथ हुई नाइंसाफी का बदला ले और शिवाजी को ट्रक से कुचल कर मार दे. यह सुन कर धनराज बहुत डर गया… क्योंकि वह मुंबई शहर में रोजीरोटी कमाने के लिए आया था. ऐसे में एक कत्ल वह भी पुलिस वाले का… ऐसा सुनते ही धनराज के रोंगटे खड़े हो गए. उस ने शीतल को समझाया, ‘‘शीतल, जो हुआ उसे भूल जाओ. यह सब जान कर भी तुम्हारे लिए मेरा प्यार कम नहीं हुआ है. वैसे भी यह काम बहुत रिस्क वाला है मैं ने जीवन में कभी ऐसा काम नहीं किया है… सोचो मैं ने यह काम कर भी दिया तो एक न एक दिन भेद खुल जाएगा. फिर मैं और तुम दोनों ही पकड़े जाएंगे.’’
लेकिन शायद शीतल के ऊपर शिवाजी से इंतकाम लेने का जुनून इस कदर सवार था कि वह आए दिन धनराज पर दबाव डालने लगी कि चाहे जैसे भी हो, उसे शिवाजी की हत्या करनी ही होगी. वह तो पेशे से ड्राइवर है इसलिए किसी को भी शक नहीं होगा. अगर पकड़े भी गए तो केवल लापरवाही से हुई दुर्घटना का केस चलेगा. इसी तरह 3 सप्ताह गुजर गए. धनराज अजीब पशोपेश में था. क्योंकि वह दिल से नहीं चाहता था कि ऐसा गलत काम करे. उसे अब इस बात का भी डर सताने लगा था कि अगर वह लगातार शीतल का काम करने से मना करता रहा तो वह कहीं उसे पुलिस विभाग में अपनी तैनाती का फायदा उठा कर किसी झूठे आरोप में फंसवा कर जेल न भिजवा दें.
उस के सामने अब यह भी साफ हो गया था कि शीतल ने उस से शादी अपना यह काम करवाने के लिए ही की थी. लिहाजा एक दिन डर की वजह से धनराज अपनी नौकरी छोड़ कर सारा सामान समेट कर अपने गांव तमिलनाडु भाग गया. धनराज से पूछताछ के बाद पुलिस एक बार फिर अंधेरे मोड़ पर खड़ी हो गई. क्योंकि पुलिस पहले ही इस बात की तसदीक कर चुकी थी कि 2019 में तमिलनाडु जाने के बाद धनराज कभी अपने राज्य से बाहर या मुंबई नहीं गया था.
‘‘अच्छा, तुम ये दोनों फोटो देख कर बताओ कि इन में से किसी को पहचानते हो? ये उस कार में बैठे लोगों की फोटो हैं जिस से शिवाजी का ऐक्सीडेंट हुआ था.’’
धनराज से पूछताछ के बाद निराश इंसपेक्टर लांडगे ने धनराज को सीसीटीवी से हासिल हुई दोनों संदिग्धों की फोटो दिखाईं तो धनराज बोला, ‘‘अरे सर, ये तो विशाल है. मैं 2019 में शीतल से शादी के बाद जिस सोसाइटी में रहता था, उसी सोसाइटी के चौकीदार बबनराव का बेटा है ये.’’
पूरी तरह से निराश हो चुके इंसपेक्टर लांडगे के चेहरे पर धनराज का जवाब सुनते ही अचानक चमक आ गई. अब उन्हें लगने लगा कि शिवाजी सानप हत्याकांड की गुत्थी सुलझ जाएगी. धनराज की इस गवाही से जब डीसीपी पाटिल को अवगत कराया गया तो उन्होंने तत्काल पुलिस कमिश्नर को इस पूरे केस की जानकारी दे कर शीतल की गिरफ्तारी का आदेश हासिल कर लिया. 12 सितंबर की रात पुलिस ने ताबड़तोड छापेमारी कर पहले शीतल को हिरासत में लिया, उस के बाद उसी रात विशाल बबनराव जाधव को. उन दोनों से पूछताछ के बाद गणेश लक्ष्मण चव्हाण उर्फ मुदावथ को भी हिरासत में ले लिया.
इन लोगों के पास से पुलिस ने 3 मोबाइल फोन, एक कार और कुछ कपड़े बरामद किए. तीनों ने कड़ी पूछताछ में शिवाजी सानप की हत्या का गुनाह कुबूल कर लिया. शिवाजी माधवराव सानप की सड़क दुर्घटना में मौत का मामला पनवेल पुलिस ने भादंसं की धारा 302 व 201 में दर्ज कर लिया. अगले दिन तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद 7 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया. इस दौरान पुलिस ने घटना की एकएक कडि़यों को जोड़ कर तीनों आरोपियों के खिलाफ कड़े सबूत एकत्र करने का काम किया.
इन से की गई पूछताछ के बाद इस अपराध की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली— शीतल पंचारी महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली थी. स्नातक की पढ़ाई करने के बाद उसे महाराष्ट्र पुलिस में नौकरी मिल गई. 28 साल की शीतल 4 साल नौकरी के बाद जब 2018 में नेहरू नगर थाने में तैनात हुई तो उस की दोस्ती जल्द ही अपने ही थाने में तैनात हैडकांस्टेबल शिवाजी माधवराव सातप से हो गई. दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई और दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता भी कायम हो गया. दोनों के बीच लंबे समय तक प्यार की कहानी चली.
उन दोनों के रिश्ते के बारे में अब विभाग में भी चर्चा होने लगी थी. शीतल के साथ काम करने वाले साथी पुलिसकर्मी भी अब उसे शिवाजी का माल कह कर चिढ़ाने लगे थे. ऐसे में बदनामी बढ़ती देख एक दिन शीतल ने शिवाजी से कहा कि हम दोनों के संबंधों को ले कर अब लोग अंगुलियां उठाने लगे हैं, इसलिए हमें अब शादी कर लेनी चाहिए. यह सुनते ही शिवाजी को झटका लगा. क्योंकि वह तो पहले से ही शादीशुदा था, उस के 2 बच्चे भी थे. लिहाजा शादी की बात सुनते ही शिवाजी ने शीतल को डपट दिया और बोला, ‘‘संबध रखने हैं तो रखो नहीं तो छोड़ दो. लेकिन मैं किसी भी हालत में शादी नहीं कर सकता. क्योंकि मैं अपनी पत्नी से बेहद प्यार करता हूं.’’
शादी से इंकार की बात सुनते ही शीतल शिवाजी पर बिफर पड़ी. क्योंकि शिवाजी ने ऐसी कड़वी बात कह दी थी, जिस ने शीतल के तन, मन और आत्मा को बुरी तरह झुलसा दिया था. शिवाजी ने तंज कसा था, ‘‘शादी से पहले जो औरत एक हैडकांस्टेबल के नीचे लेट सकती है वह अपना काम निकलवाने के लिए तो न जाने कितने बड़े अफसरों के नीचे लेटेगी. अपनी प्यार करने वाली बीवी को छोड़ कर ऐसी औरत से कौन शादी करेगा?’’
उस दिन शिवाजी और शीतल में खूब लड़ाई हुई और उसी दिन से दोनों के बीच दूरियां आ गईं. चूंकि शीतल के शिवाजी से संबंधों की बात पूरे थाने को और विभाग के दूसरे लोगों को भी पता थी. इसलिए खुद को पाकसाफ दिखाने के लिए शीतल ने पहले उस के खिलाफ उसी नेहरू नगर थाने में छेड़छाड़ की धारा 354 तथा उस के बाद कल्याण थाने में बलात्कार की धारा 376 में शिकायत दर्ज करवा दी थी. इन दोनों ही शिकायतों पर शिवाजी सानप के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई. शीतल के साथ संबंधों की जानकारी शिवाजी के परिवार तक पहुंच गई थी.
चूंकि शिवाजी सातप तेजतर्रार हैड कांस्टेबल था. मुंबई पुलिस में कई सीनियर अफसरों के साथ रहते हुए उस ने कई गुडवर्क किए थे, इसलिए वे तमाम अधिकारी उसे पसंद करते थे. सभी को ये भी पता था कि शिवाजी के शीतल के साथ संबंध थे, लेकिन उस ने कभी शीतल से जबरदस्ती नहीं की थी. यही कारण रहा कि ऐसे तमाम अधिकारियों के दबाव में शिवाजी के खिलाफ की गई शीतल की शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी गई. जब काफी वक्त गुजर गया और शीतल को लगने लगा कि शिवाजी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ कर वह उसे सजा नहीं दिलवा पाएगी तो उस ने खुद ही उसे सजा देने का निर्णय कर लिया.
शीतल पहले ही नेहरू नगर थाने से आर्म्स यूनिट में अपना तबादला करा चुकी थी. मन ही मन वह किसी ऐसी तरकीब पर विचार करने लगी, जिस से वह शिवाजी से अपने अपमान का इंतकाम भी ले सके और उस पर आंच भी ना आए. इसी सोचविचार में काफी वक्त गुजर गया. अचानक उसे खयाल आया कि क्यों न शिवाजी को सड़क हादसे में करवा दिया जाए. एक बार इस खयाल ने मन में जगह बनाई तो रातदिन वह इसी रास्ते से शिवाजी से बदला लेने की साजिश रचने लगी.
इसी साजिश के तहत उस ने ट्रक ड्राइवर का पेशा करने वाले धनराज यादव की इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल देखी तो साजिश का खाका उस के दिमाग में फिट बैठ गया. शीतल ने शिवाजी को रास्ते से हटाने के लिए हथियार के रूप में धनराज को मोहरा बनाने के लिए पहले इंस्टाग्राम पर रिक्वेस्ट भेज कर धनराज से दोस्ती की और 5 दिन बाद ही उस ने धनराज को शादी के लिए प्रपोज भी कर दिया. चंद रोज के भीतर दोनों ने शादी कर ली.
एक हफ्ते बाद ही शीतल ने धनराज को शिवाजी की कहानी सुनाई और कहा कि वह उस से बदला लेना चाहती है. तुम ड्राइवर हो, तुम से सड़क हादसा हो जाए तो तुम पर कोई शक भी नहीं करेगा. लेकिन धनराज तैयार नहीं हुआ और डर कर अपने गांव भाग गया. शीतल का पहला दांव ही खाली चला गया. जिस मकसद से उस ने धनराज से शादी की थी, वह अधूरा रह गया. पर वह किसी भी कीमत पर शिवाजी से बदला लेना चाहती थी. इसी उधेड़बुन में काफी वक्त गुजर गया. इसी बीच मुंबई में 2020 की शुरुआत से कोविड महामारी का प्रकोप फैलने लगा.
कोविड का पहला दौर ठीक से खत्म भी नहीं हुआ था कि महामारी की दूसरी लहर भी शुरू हो गई. जून महीने के बाद जब हालत कुछ सुधरने लगे तो शीतल के दिमाग में फिर से शिवाजी से बदला लेने की धुन सवार हो गई. शीतल खुद इस काम को अंजाम नहीं देना चाहती थी, इसलिए अबकी बार उस ने दूसरा मोहरा चुना अपनी सोसाइटी के सिक्योरिटी गार्ड बबनराव के बेटे विशाल जाधव को. दरअसल, सोसाइटी में आतेजाते शीतल ने एक बात नोटिस की थी कि गार्ड बबनराव का 18 साल का बेटा विशाल जाधव उसे चोरीछिपी नजरों से देखता है. शीतल एक खूबसूरत और जवान युवती थी. किसी मर्द की नजर को वह भलीभांति जानती थी कि उन नजरों में उस के लिए कौन सा भाव छिपा है.
अचानक विशाल के रूप में शीतल को शिवाजी से बदला लेने का दूसरा हथियार नजर आने लगा. उस ने मन ही मन प्लान कर लिया कि अब विशाल को कैसे अपने काबू में करना है. एक जवान और जिस पर कोई लड़का पहले से ही निगाह लगाए हो, उसे काबू में करना तो बेहद आसान होता है. कुछ रोज में ही विशाल पूरी तरह शीतल के काबू में आ कर उस के आगेपीछे मंडराने लगा. शीतल ने विशाल की आंखों में अपने लिए छिपी जिस्मानी भूख को पढ़ लिया था. थोड़ा तड़पाने के बाद उस ने जब विशाल की इस जिस्मानी भूख की ख्वाहिश को पूरा कर दिया तो इस के बाद विशाल पूरी तरह उस के इशारे पर नाचने लगा.
विशाल के पूरी तरह मोहपाश में फंसते ही एक दिन शीतल ने उसे भी भावुक कर के हैडकांस्टेबल शिवाजी द्वारा अपनी इज्जत लूटने की एक झूठी कहानी सुना कर अपना बदला लेने के लिए उकसाना शुरू कर दिया. शीतल के प्यार में विशाल पागल था, लिहाजा लोहा गर्म देख कर जब कई बार विशाल से प्यार की खातिर शिवाजी से बदला लेने के लिए कहा तो एक दिन विशाल ने उस का काम करने के लिए हामी भर दी, लेकिन साथ ही कहा कि इस काम के लिए उसे एक और साथी की जरूरत पड़ेगी और इस में कुछ पैसा भी खर्च होगा.
शीतल ने तुरंत हां कर दी. बस इस के बाद शीतल ने शिवाजी को खत्म करने की साजिश को अमली जामा पहनाने का काम शुरू कर दिया. विशाल ने इस काम के लिए अपने एक दोस्त गणेश चौहान से बात की. गणेश तेलंगाना से रोजीरोटी की तलाश में मुंबई आया था. संयोग से कोरोना महामारी के कारण उन दिनों उस के पास कोई कामकाज नहीं था और पैसों की बड़ी तंगी थी.
जब विशाल ने उसे बताया कि उन्हें किसी का ऐक्सीडेंट करना है इस के बदले अच्छीखासी रकम मिलेगी तो मजबूरी में दबा गणेश भी तैयार हो गया. दोनों से शीतल ने मुलाकात की. शिवाजी को ठिकाने लगाने के लिए शीतल ने विशाल को 50 हजार और गणेश को 70 हजार रुपए एडवांस दे दिए. जिस के बाद विशाल और गणेश ने सब से पहले शिवाजी का पीछा करना शुरू किया. उस के आनेजाने के समय को नोट किया. इस के बाद उन्होंने तय किया कि वो कुर्ला से पनवेल के बीच ही शिवाजी को मार डालेंगे. इस काम के लिए शीतल ने उन्हें एक सेकेंडहैंड नैनो कार खरीदवा दी. और 15 अगस्त की रात को इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया गया.
प्लान के मुताबिक 15 अगस्त, 2021 की रात साढ़े 10 बजे पनवेल रेलवे स्टेशन से मालधक्का जाने वाली सड़क पर शिवाजी को उन की नैनो कार से जोरदार टक्कर मार दी. संयोग से राष्ट्रीय अवकाश के कारण व कम रोशनी के कारण कोई न तो यह देख सका कि टक्कर किस नंबर की कार से लगी है. शिवाजी को टक्कर मारने के वक्त शीतल एक दूसरी कार से पीछा करते हुए पूरा नजारा देख रही थी. उस ने सड़क पर घायल शिवाजी को देख कर ही समझ लिया था कि वह जिंदा नहीं बचेगा.
योजना के मुताबिक ऐक्सीडेंट करने के बाद करीब 2 किलोमीटर आगे जा कर विशाल व गणेश ने नैनो कार पर पैट्रोल डाल कर पूरी तरह जला दी ताकि कोई सबूत पीछे न छूटे. वारदात के बाद दोनों का पीछा कर रही शीतल उन्हें कार जलाने के बाद अपनी कार में बैठा कर साथ ले गई और उन्हें उन के घर छोड़ दिया. बाद में पुलिस ने जब शीतल, विशाल व गणेश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उन के मोबाइल की लोकेशन देखी तो उन की मौजूदगी उसी जगह के आसपास दिखी, जहां शिवाजी सानप का ऐक्सीडेंट हुआ था. पुलिस ने रिमांड अवधि में पूछताछ के बाद तीनों को न्यायालय में पेश कर दिया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Police Story
—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित