Crime Story Hindi: शफीक ने प्रेमिका को पाने के लिए जो दांव खेला, वह सचमुच चौंकाने वाला था. लेकिन इस के लिए उस ने जिस दोस्त फहद को दांव पर लगाया था, उसी की हत्या की वजह से उस की कलई खुल गई. उन दिनों मेरी पोस्टिंग थाना मरीद में थी जो लाहौर और गुजरांवाला के बीच में था. उस दिन सुबह जब मैं थाने पहुंचा तो पता चला कि एक जोड़ा हवालात में बंद है. मैं एसआई हारुन से उस के बारे में पूछा. उसे उस ने बताया कि यह जोड़ा रात 2 बजे घर के बाहर चबूतरे पर बैठा गलत हरकतें कर रहा था.
मैं ने पूछा, ‘‘ये लोग हैं कौन?’’
‘‘सर, ये दोनों कस्बा रत्तावली के रहने वाले हैं, 2 दिन पहले यहां आए हैं और नेमत बीबी नाम की एक बेवा के घर किराए पर रह रहे हैं.’’ एसआई हारुन ने बताया. कस्बा रत्तावाली मरीद से करीब 10 किलोमीटर के फासले पर था. मैं ने दोनों को अपने औफिस में बुलवा कर पूछताछ की तो 25-26 साल के उस युवक ने अपना नाम फहद और लड़की ने नरगिस बताया. उन्हें देखते ही मेरे दिल में खयाल आया कि यह लड़का जरूर लड़की को भगा कर लाया है. दोनों सिर झुकाए मेरे सामने खड़े थे. मैं ने सख्त लहजे में पूछा, ‘‘कहां रहते हो और तुम्हारा आपस में क्या रिश्ता है?’’

‘‘सर, हम रत्तावाली के रहने वाले हैं और आपस में पतिपत्नी हैं. हमारी शादी करीब एक साल पहले हुई थी. मैं गांव की खेतीबाड़ी नहीं करना चाहता था, इसलिए नौकरी के लिए यहां चला आया. यहां नईम नाम के एक आदमी की बदौलत मुझे मुंशी की नौकरी मिल गई.’’ फहद ने रुकरुक कर बताया.
मैं ने उन से अगला सवाल किया, ‘‘एक साल पहले तुम्हारा निकाह किस ने पढ़ाया था?’’
यह सुन कर फहद कुछ उलझन में पड़ गया. लेकिन नरगिस झट से बोली, ‘‘मौलवी शराफत अली ने पढ़ाया था निकाह.’’
‘‘तुम्हें मौलवी का पता नहीं था?’’ मैं ने फहद को घूरते हुए कहा.
‘‘पता था साहब, लेकिन ध्यान नहीं आ रहा था. रत्तावली में एक ही तो मौलवी हैं, जो मसजिद में नमाज भी पढ़ाते हैं.’’
इस पूछताछ के बाद मैं ने दोनों को जाने की इजाजत दे दी, साथ ही यह भी कहा कि जांच पूरी होने तक वे कस्बा छोड़ कर कहीं नहीं जाएं. उन दोनों के जाने के बाद मैं भी अने कामों में व्यस्त हो गया. रात को अच्छी बारिश हुई. मौसम भी ठीक हो गया था. सुबह जब मैं थाने पहुंचा तो एक सनसनी खेज खबर मिली कि रात को किसी ने फहद परदेसी का कत्ल कर दिया. यह सुन कर मैं हैरान रह गया. एसआई हारुन और एक कांस्टेबल के साथ मैं नेमत बीबी के घर पहुंच गया. वहां अच्छेखासे लोग जमा थे. मैं ने मकतूल फहद की लाश को गौर से देखा. वह चारपाई पर चित हालत में थी और दस्ते तक एक खंजर उस के सीने में घुसा हुआ था. चारपाई के नीचे खून फैला हुआ था.
2 बातें मुझे चौंका रही थीं. एक तो लाश की पोजीशन और दूसरे नरगिस का वहां से गायब होना. क्योंकि आदमी के सीने में अगर खंजर घोंपा जाता है तो वह तुरंत नहीं मरता, बल्कि बुरी तरह तड़पता है, पर चारपाई पर पड़ी लाश से ऐसा नहीं लग रहा था. मौके पर खोजी कुत्ता भी मंगवाया गया, लेकिन उस कुत्ते से भी कोई मदद नहीं मिल सकी. घटनास्थल की जरूरी काररवाई निपटा कर मैं ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. प्राथमिक काररवाई के बाद मैं ने पूछताछ शुरू की. नेमत बीबी करीब 60 साल की समझदार औरत थी. मैं ने उस से पूछा, ‘‘आप इस हादसे के बारे में क्या जानती हैं?’’
‘‘थानेदार जी, दोनों रात को बैठक में ठीकठाक सोए थे. उन्होंने थाने में पड़ी डांट के बारे में मुझे बता दिया था. वे परेशान से नजर आ रहे थे. पता नहीं कैसे सवेरे यह हादसा हो गया, जिस का मुझे आज सुबह ही पता चला.’’
‘‘तुम्हें कैसे पता चला, तुम बैठक के अंदर गई थीं?’’
‘‘हां, मैं अंदर गई थी. मैं सुबह जल्दी उठती हूं. नरगिस भी जल्दी उठ जाती थी. उठते ही वह सीधे बाहर आती थी उस के आदमी को भी मंडी जाना होता था. वह बरतन और किचन मेरा ही इस्तेमाल करती थी, क्योंकि उन के पास सामान नहीं था. फहद के नाश्ते का वक्त हो गया था. नरगिस बाहर नहीं आई तो मुझे अचंभा हुआ. मैं ने सोचा जा कर देखूं. बैठक का एक दरवाजा बाहर गली में खुलता है. पर मैं ने अंदर वाले दरवाजे पर दस्तक दी. कोई जवाब नहीं आया. जरा सा दबाव पड़ते ही दरवाजा खुल गया. मुझे अच्छे से याद है, रोजाना की तरह रात को अंदर से उन्होंने दरवाजे की कुंडी लगा ली थी.
‘‘फहद चारपाई पर मुर्दा पड़ा था और नरगिस गायब थी. उसे इस हालत में देख कर मैं घबरा गई, फिर बाहर जा कर लोगों को बताया. कुछ लोग यहां आ गए, उन्हीं में से कोई थाने जा कर खबर दे आया.’’
‘‘नरगिस के बारे में तुम्हें क्या पता है?’’
‘‘मैं उस के बारे में कुछ नहीं जानती.’’
नरगिस के गायब होने से मेरा ध्यान 2 बातों की तरफ जा रहा था. पहला यह कि कहीं वह फहद को कत्ल कर के तो नहीं भाग गई? दूसरा फहद को कत्ल करने वाला उसे अपने साथ ले गया था या वह अपनी मरजी से उस के साथ गई थी.
मैं ने नेमत बीबी से पूछा, ‘‘नरगिस कैसी थी? क्या वह कातिल से मिली हुई लगती थी?’’
‘‘साहब, उस की शादी को एक साल हुआ था. मेरे यहां वो 2-3 दिन पहले ही आई थी. इतने दिनों में इस से ज्यादा मैं क्या जान सकती हूं?’’
‘‘क्या इन 3-4 दिनों में कोई उन से मिलने आया था?’’
‘‘नहीं, उन से मिलने कोई भी नहीं आया था. इसी वजह से दोनों देर रात तक घर के बाहर चबूतरे पर बैठ कर बतियाते रहते थे.’’
मैं ने बाहर निकलते हुए नेमत बीबी को समझा दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक बैठक की किसी चीज को हाथ न लगाए, न ही सफाई वगैरह करे. जब मैं थाने पहुंचा तो आढ़ती नईम मेरे इंतजार में बैठा था. उस ने इस बात की तसदीक की कि फहद उस की दुकान पर लिखतपढ़त का काम करता था. वह उस की मौत पर बहुत अफसोस जता रहा था. उस से मैं ने कई सवाल पूछे पर उस ने भी वही बताया जो मुझे पहले से मालूम था. मैं ने उसे यह कह कर जाने दिया कि फहद या नरगिस के बारे में कुछ भी पता चले तो मुझे खबर करे. इन सब से पूछताछ के बाद मुझे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि वे दोनों मियांबीवी थे. मुझे लग रहा था कि ये दोनों भाग कर यहां आए थे.
मुझे पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही पता चल सकता था कि फहद की मौत कैसे हुई? एसआई हनीफ को मैं ने फहद और नरगिस के घर रत्तावाली भेजा था, अब उन के वहां से लौटने का इंतजार था. उन से ही दोनों के बारे में और ज्यादा जानकारी मिलने की संभावना थी. दोपहर के वक्त हनीफ भी रत्तावली से वापस आ गए. उस वक्त भी बारिश हो रही थी. उन्होंने रतावली से लौट कर बताया, ‘‘साहब, फहद और नरगिस ने हम से झूठ बोला था. बस इतना सही था कि दोनों रतावली के रहने वाले थे और उन के मांबाप के नाम सही थे. लेकिन वे दोनों मियांबीवी नहीं थे. उन की शादी हुई ही नहीं थी. वहां के मौलवी शराफत अली ने भी बताया कि उन्होंने उन दोनों का निकाह नहीं पढ़ा.’’
‘‘गांव वालों से पता चला कि फहद पहली अगस्त को रत्तावाली से रवाना हुआ था. उस ने अपने घर वालों को कहा था कि वह 10-12 दिनों के लिए काम के सिलसिले में अपने दोस्त शफीक के पास जा रहा है.’’
‘‘और नरगिस का क्या किस्सा है?’’ मैं ने पूछा
‘‘नरगिस की रत्तावाली के एक लड़के जावेद से मंगनी हो चुकी थी. जल्दी ही उस की शादी होने वाली थी कि 4 अगस्त को वह भी अचानक गांव से गायब हो गई और अब तक गांव वापस नहीं पहुंची. रत्तावाली एक छोटा सा गांव है, इसलिए नरगिस के गायब होने की खबर मिनटों में ही फैल गई. उस समय फहद ही गांव से बाहर था, इसलिए गांव वाले यही शक करने लगे थे कि वह उसी के साथ भागी है. जबकि फहद का बाप करीम अली इस बात का विरोध कर रहा था. उस का कहना था कि फहद 2 दिन पहले अपने दोस्त से मिलने लाहौर चला गया था.’’
‘‘रत्तावाली तो हमारे थाने में ही आता है. मुंशी से यह पूछो कि नरगिस के बाप ने उस की गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट तो दर्ज नहीं कराई थी?’’
‘‘अभी तक तो नहीं कराई. वैसे सुना यह है कि फहद का बाप करम अली लाहौर जा कर अपने बेटे का पता लगाएगा कि वह शफीक के पास है या कहीं और चला गया है.’’
‘‘नरगिस की जावेद नाम के जिस लड़के के साथ शादी हो रही थी, उस का क्या रिएक्शन है?’’
‘‘जनाब वह तो एकदम शांत बैठा है. असल में जावेद ने अपने बाप के जोर देने पर शादी की हामी भरी थी. वह इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं था. दरअसल जावेद के बाप और नरगिस के बाप में बहुत गहरी दोस्ती है, दोनों दोस्ती को रिश्ते में बदलना चाहते थे, पर जावेद की मां को नरगिस पसंद नहीं थी. वह उस की जगह अपनी भांजी को बहू बना कर लाना चाहती थी.’’
‘‘करम अली लाहौर जाने को कह रहा था. बेहतर यही है कि फहद की मौत की खबर तुम उन तक पहुंचा दो, एक बार फिर तुम्हें रत्तावाली जाना पड़ेगा.’’ कह कर मैं ने हनीफ को तांगे से रवाना कर दिया.
अगली सुबह मौसम साफ था. मैं थाने पहुंचा ही था कि हनीफ भी आ गए. उन के साथ फहद का बाप करम अली और नरगिस की मां आइशा भी आई थी. करम अली करीब 60 साल का दुबलापतला आदमी था, दाढ़ी सफेद हो चुकी थी. वह बहुत दुखी और टूटा हुआ दिखाई दे रहा था. आइशा करीब 50 साल की थी और तेजतर्रार दिखती थी. जैसे ही फहद का जिक्र निकला. करम अली फट पड़ा, ‘‘साहब यह क्या जुल्म हुआ?’’
मैं ने उसे तसल्ली दी और समझाते हुए कहा, ‘‘अगर तुम हमारी मदद करोगे तो हम जल्द ही कातिल को ढूंढ़ निकालेंगे.’’
‘‘हम क्या मदद कर सकते हैं, साहब?’’
‘‘जो भी पूछा जाए, उस का सचसच जवाब दो. कुछ भी नहीं छिपाना.’’
‘‘ठीक है, साहब.’’
‘‘ये बताओ कि पहली अगस्त को तुम्हारा बेटा अपने दोस्त से मिलने लाहौर गया था?’’
‘‘जी साहब, वह यही कह कर घर से गया था.’’
‘‘जिस के पास वह गया था, उस का क्या नाम है और काम कहां करता है?’’
‘‘उस का नाम शफीक है साहब. उन दोनों की बहुत पुरानी दोस्ती है. शफीक भी रत्तावाली का रहने वाला है. वह रोजगार के सिलसिले में लाहौर चला गया था. 2 साल हो गए, उसे गए हुए. महीने में दोएक बार गांव आता है. वह लाहौर में फिरोजपुर रोड पर स्थित डबलरोटी बनाने वाली किसी फैक्ट्री में काम करता है.’’
‘‘यह आखिरी सवाल है, इस का जवाब बहुत सोचसमझ कर देना. क्या तुम्हारे बेटे फहद और आइशा की बेटी नरगिस में इश्कमोहब्बत का कोई चक्कर चल रहा था?’’
‘‘सवाल ही नहीं उठता, थानेदार साहब.’’ उस से पहले नरगिस की मां आइशा बोल पड़ी.
‘‘मैं ने तुम से नहीं पूछा.’’ मैं ने उसे घूर कर देखते हुए कहा.
‘‘जनाब चंद महीने बाद मेरी बेटी की शादी होने वाली है. उस पर ऐसे इलजाम न लगाएं.’’ वह फिर उखड़ते हुए बोली.
‘‘देखो आइशा, मुझे मेरा काम करने दो, बीच में मत बोलो. हां, करम अली तुम ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया?’’
वह झिझकते हुए बोला, ‘‘जी… मेरा खयाल है फहद नरगिस को पसंद करता था.’’
‘‘क्या उस ने खुद तुम्हें अपनी पसंद के बारे में बताया था?’’
‘‘मुझे तो नहीं बताया था, पर इस सिलसिले में अपनी मां से जरूर जिक्र किया था, मेरी बीवी ने मुझे बताया था.’’
‘‘क्या नरगिस भी उसे पसंद करती थी?’’
‘‘मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता.’’ उस ने कहा.
उस से पूछताछ करने के बाद मैं ने करम अली को बाहर भेजा, फिर आइशा से कहा, ‘‘देखो आइशा, इस हकीकत को कोई नहीं झुठला सकता कि तुम्हारी बेटी नरगिस पिछले 3-4 दिनों से फहद के साथ बीवी की हैसियत से रह रही थी. बाहर बैठ कर अश्लील हरकत के इलजाम में जब उन्हें थाने लाया गया था तो उस ने मुझ से खुद को फहद की बीवी बताया था. उस का कहना था कि उन दोनों का एक साल पहले निकाह हुआ था. हादसे की रात दोनों कमरा बंद कर के सोए थे, अगली सुबह फहद की लाश मिली और नरगिस गायब थी. तुमहारी अकल इस बारे में क्या कहती है?’’
‘‘मेरी अकल तो बिलकुल काम नहीं कर रही है. एक बार नरगिस मिल जाए तो उस से ही पूछूं कि यह क्या चक्कर है?’’ वह रुआंसी आवाज में बोली.
‘‘नरगिस का बाप क्यों नहीं आया?’’ ‘‘साहब, वह गहरे सदमें में है. वह जावेद के बाप से भी बहुत शर्मिंदा
है कि उस से अब क्या कहे?’’
‘‘आइशा, तुम जावेद के रिश्ते के विरोध में क्यों थी?’’
‘‘साहब, जावेद सुस्त व बोंगा लड़का है, इसलिए वह मुझे पसंद नहीं था.’’
पूछताछ के बाद मैं ने उन दोनों को भी घर भेज दिया. अगले रोज 12 बजे फहद की लाश अस्पताल से वापस आ गई. बाद में उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट के अनुसार, फहद की मौत 7 अगस्त की रात 1 से 2 बजे के बीच हुई थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि मौत के वक्त वह गहरी बेहोशी में था. उस के पेट से मिले नमूने में बेहोशी की दवा के आसार मिले. इस का मतलब यह हुआ कि रात के खाने में उसे बेहोशी की दवा दी गई होगी. नींद में चले जाने के बाद उस की हत्या की गई होगी. बेहोश होने की वजह से वह न तो अपना बचाव कर सका था और न ही शोरशराबा कर पाया था.
अब सवाल यह उठ रहा था कि नरगिस उसे पसंद करती थी, उस के साथ भाग कर आई थी, फिर उसे मार कर क्यों गायब हो गई? जरूर इस खतरनाक खेल में कोई तीसरा शामिल था, जिस ने नरगिस की मदद की या नरगिस ने उस की मदद की. वह तीसरा कौन था? इसी पर हमारी जांच केंद्रित हो गई. मैं ने यह सोच कर लाहौर जाने का फैसला कर लिया कि शायद वहां इस बंद गली का कोई रास्ता निकल आए. क्योंकि पहली अगस्त को फहद लाहौर में अपने दोस्त शफीक के पास जाने को कह कर निकला था. संभव था कि बीच के 2 दिन वह शफीक के पास गया हो? यही सब जानने के लिए शफीक से मुलाकात बहुत जरूरी हो गई थी.
शफीक डबलरोटी, बन, शीरमाल बनाने वाली बेकरी में काम करता था. मैं करीब 11 बजे वहां पहुंच गया. मैं सादे कपड़ों में था. मैं बेकरी के मैनेजर सुलेमान बुखारी से मिला और उसे अपने आने की वजह बता दी. मैनेजर सुलेमान बुखारी ने बताया, ‘‘साहब, आज वह जल्दी छुट्टी ले कर घर चला गया. उस का एक साथी कदीर बता रहा था कि गांव से उस का कोई दोस्त मिलने आया है, इसलिए वह छुट्टी ले कर चला गया.’’
‘‘गांव से कोई दोस्त.’’ मैं ने चौंक कर कहा, ‘‘बुखारी साहब, मैं अभी शफीक के घर जाना चाहता हूं. आप किसी ऐसे बंदे को मेरे साथ भेज दें, जिस ने शफीक का घर देखा हो.’’
कुछ देर बाद हम तीनों बुखारी की कार से शफीक के घर जा रहे थे. साथ में शफीक को पहचानने वाला कदी भी था. एक कालोनी के पीछे कच्ची आबादी थी. जब सुलेमान बुखारी ने मेन फिरोजपुर रोड से गाड़ी कच्ची आबादी की तरफ मोड़ी तो कदीर ने चौंक कर कहा, ‘‘साहब, एक मिनट…’’
‘‘क्या बात है, क्या हुआ?’’ बुखारी ने उलझन भरे लहजे में पूछा.
‘‘आप गाड़ी रोक दें. मुझे लगता है शफीक वह जा रहा है.’’ उस ने एक तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं ने गरदन घुमा कर देखा, सड़क के किनारे एक जोड़ा जा रहा था. उन की पीठ हमारी तरफ थी. मैं ने कदीर से पूछा, ‘‘क्या तुम इस जोड़े की बात कर रहे हो?’’
‘‘जी, जब साहब ने कार मोड़ी थी तो मैं ने शफीक की एक झलक देख ली थी. पर उस के साथ यह औरत कौन है?’’ उस ने उलझन भरे लहजे में कहा.
मैं सुलेमान बुखारी को सारा किस्सा सुना चुका था. इसलिए उस ने मुझ से पूछा, ‘‘अब क्या करना है साहब?’’
‘‘बुखारी साहब, आप कार को उस तरफ ले कर चलें, जिस तरफ वे दोनों जा रहे हैं. मैं इस लड़की का चेहरा देखना चाहता हूं.’’ मैं ने कहा.
‘‘यह रांग साइड ड्राइविंग होगी, पर हुक्म करें तो चलता हूं.’’
‘‘आप कानून न तोड़ें, मुझे यहीं उतार दें और अगले कट से गाड़ी घुमा कर ले आएं. तब तक मैं पैदल उन का पीछा करता हूं.’’
बुखारी ने बिना कोई सवाल किए मुझे वहीं ड्रौप कर दिया और गाड़ी को फिरोजपुर रोड की दूसरी तरफ ले गया. मैं तेज कदमों से उस जोड़े के पीछे चल पड़ा. मैं ने शफीक को नहीं देखा था, लेकिन नरगिस से मेरी मुलाकात हो चुकी थी. मैं उस का चेहरा देखते ही पहचान सकता था. चलतेचलते मैं सोचने लगा कि अगर यह महिला नरगिस निकल आई तो केस जल्दी खुल सकता है. मैं बड़ी होशियारी से कदम दबा कर उन का पीछा कर रहा था. जब हमारे बीच करीब 10 फुट का फासला रह गया तो मैं ने देखा, वे दोनों दाईं तरफ एक सिनेमा हाल की ओर मुड़ गए. यानी दोनों सिनेमा देखने के लिए घर से निकले थे. उसी समय मैं उस महिला की झलक देखने में कामयाब हो गया. उसे देख कर मेरी नसें तन गईं, क्योंकि वह कोई और नहीं, नरगिस ही थी.
वही नरगिस, जिस की तलाश ने मुझे बुरी तरह बेचैन और परेशान कर रखा था. मैं उन की तरफ लपका और जोर से पुकारा, ‘‘नरगिस.’’
आवाज सुनते ही दोनों ठिठक कर रुक गए, फिर उन्होंने पलट कर मेरी तरफ देखा. शफीक के चेहरे पर हैरानी और उलझन थी. नरगिस का चेहरा डर और खौफ से पीला पड़ गया था. नरगिस ने एक तरफ भागने की कोशिश की तो मैं ने दौड़ कर उसे काबू कर लिया. अचानक हुई इस पकड़धकड़ को देख कर शफीक ने दूसरी तरफ दौड़ लगा दी. मैं ने फौरन अपना सर्विस रिवाल्वर निकाला. इस से पहले कि मैं उसे धमकाने के लिए हवाई फायर करता, सुलेमान बुखारी मौके पर पहुंच गया. उस ने बड़ी तेजी से कार हमारी तरफ बढ़ा दी. इत्तेफाक से शफीक उसी तरफ भागने की कोशिश कर रहा था. वह बुखारी की कार के बोनट से टकराया और वहीं सिनेमा के गेट के करीब जमीन पर गिर कर कराहने लगा. उस के घुटने पर चोट लगी थी. सुलेमान बुखारी और कदीर कार से उतर आए. उन दोनों ने उसे पकड़ लिया.
जब कोई मुजरिम किसी ठोस सबूत के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है तो फिर उस की जुबान खुलवाना मुश्किल नहीं होता. उसी शाम मैं सुलेमान बुखारी की कार में बिठा कर नरगिस और शफीक को थाना मरीद ले आया. बुखारी और कदीर के जाने के बाद मैं ने नरगिस और शफीक से कहा, ‘‘तुम दोनों सीधी तरह सच बोलोगे या फिर…’’
पहले तो वे अपने बचाव के लिए इधरउधर की बातें करने लगे, लेकिन उन से थोड़ी सख्ती की गई तो फहद की हत्या की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह बड़ी सनसनीखेज और हैरतअंगेज थी. दरअसल नरगिस और शफीक में बड़ी खुफिया सेटिंग चल रही थी. उन्होंने अपनी इश्कमोहब्बत को बेहद छिपा कर रखा था. गांव में किसी को भी उन के इश्क की खबर तक नहीं लगी. उन का चक्कर चल ही रहा था कि फहद भी नरगिस में दिलचस्पी लेने लगा. फहद और शफीक अच्छे दोस्त थे, पर इतने गहरे नहीं थे कि शफीक अपनी और नरगिस की मोहब्बत के बारे में उसे बताता.
जब नरगिस की जुबानी शफीक को पता चला कि फहद बड़ी तेजी से उस के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रहा है तो उसे परेशानी होने लगी. वह खुल्लमखुल्ला फहद को नरगिस से प्यार करने को मना नहीं कर सकता था, क्योंकि उस स्थिति में फहद उस से वजह पूछता. जबकि शफीक नरगिस से रिश्ता तय हो जाने से पहले अपने प्यार को उजागर नहीं करना चाहता था. इस बारे में उसे पहले अपनी मां से बात करनी थी. अभी ये उलझन चल ही रही थी कि नरगिस के बाप याकूब ने अपने दोस्त के बेटे जावेद से उस का रिश्ता तय कर दिया और उस की मंगनी भी कर दी. नरगिस इस शादी के लिए बिलकुल राजी नहीं थी. नरगिस की मंगनी किसी और के साथ तय हो जाने पर शफीक भी बहुत परेशान था.
नरगिस उस के हाथ से न निकले, इस के लिए शफीक कोई तरकीब सोचने लगा. अचानक उस के शैतानी दिमाग में एक खतरनाक प्लान आ गया. उस ने नरगिस को विश्वास में ले कर अपने मंसूबे के बारे में बताया. नरगिस उस से बहुत प्यार करती थी. वह भी शफीक से ही शादी करना चाहती थी. इसलिए उस ने शफीक के बताए मंसूबे पर बिना सोचेसमझे यकीन कर लिया. शफीक ने उसे समझाया कि कुछ दिन वह फहद के साथ उस की बीवी की हैसियत से रहे. 8-10 दिनों बाद वह उसे अपने साथ ले जाएगा.
शफीक ने नरगिस को कुछ इस तरह समझाया था कि वह उस की बात मान कर फहद के साथ रहने को तैयार हो गई. उसे यकीन था कि शफीक जल्दी ही उस से शादी कर के उसे लाहौर ले जाएगा. शफीक ने उस से कहा कि इन सब बातों की भनक फहद के कानों में नहीं पड़नी चाहिए. यह एक खुफिया प्लान है. नरगिस ने वही किया, जो फहद ने किया. दूसरी तरफ उस ने फहद को दूसरी पट्टी पढ़ाते हुए कहा कि अगर वह उस की बात मानेगा तो नरगिस उस की हो सकती है. शफीक के ही कहने पर फहद घर से 2 दिन पहले निकला, ताकि नरगिस के गायब होने पर कोई उस पर शक न करे. शफीक ने फहद से यह भी कहा था कि वह उन दोनों की शादी करा देगा और वे दोनों आराम से मरीद में रह सकते हैं.
फहद और नरगिस ने ऐसा ही किया. दोनों मरीद में किराए का एक कमरा ले कर रहने लगे. सब कुछ शफीक की प्लानिंग के अनुसार हो रहा था. फहद को इस प्लान का कुछ पता नहीं था. वह नरगिस को पा कर बेहद खुश था. वह शफीक का बहुत अहसानमंद था, क्योंकि उस की वजह से उस की जिंदगी में ये खूबसूरत दिन आए थे. उसे खबर ही नहीं थी कि उस का दोस्त उस के साथ क्या चाल चल रहा है. फहद नरगिस के बहुत करीब रह रहा था. वह उसे जिस्मानी तौर पर पाना चाहता था, पर नरगिस उसे यह कह कर टाल रही थी कि निकाह से पहले यह सब नहीं होगा. निकाह अभी हुआ नहीं था, पर दोनों के बीच हल्कीफुल्की छेड़छाड़ हो जाती थी.
कई बार फहद नरगिस के अंगों को स्पर्श कर लेता था. एक रात वह घर के बाहर वाले चबूतरे पर बैठा नरगिस को गले लगा कर प्यार कर रहा था. तभी रात की गश्त पर निकले एक एएसआई ने उन दोनों को अश्लील हरकतें करते देखा तो वह उन्हें थाने ले आया था. योजना के मुताबिक दूसरे दिन नरगिस ने फहद के रात के खाने में बेहोश होने की दवा डाल दी. उसे नींद की गोलियां भी शफीक ने ही ला कर दी थीं. तय प्रोग्राम के मुताबिक शरीफ आधी रात को नेमत बीबी के घर पहुंच गया. उस ने बाहर के दरवाजे पर एक खास तरह से दस्तक दी तो नरगिस ने दरवाजा खोल दिया और खुद बाहर गली में निकल आई.
शफीक ने उसे गली में रुकने को कहा और खुद बैठक में चला गया. अंदर आ कर उस ने दरवाजे की कुंडी चढ़ाई और बेसुध पड़े फहद के सीने में दस्ते तक खंजर घोंप दिया. इस के बाद वह दरवाजा खोल कर अंदर सेहन में पहुंचा. फिर घर का दाखिली दरवाजा खोल कर बाहर गली में निकल आया, जहां नरगिस उस की राह देख रही थी. इस के बाद दोनों तय कार्यक्रम के मुताबिक लाहौर के लिए रवाना हो गए. इस मौके पर नरगिस ने शफीक से कोई सवाल नहीं किया था. उसे यह बात पता नहीं थी कि शफीक ने फहद की हत्या कर दी थी. शफीक बाहर निकलते वक्त बैठक का दरवाजा भिड़ा आया था. फहद की हत्या के बाद दोनों लाहौर पहुंचे और कच्ची आबादी वाले घर में मजे से रहने लगे.
शफीक ने अपनी प्लानिंग को कामयाब बनाने के लिए कुछ दिनों पहले ही लाहौर में अपने मोहल्ले में यह खबर उड़ा दी थी कि उस की शादी हो गई है और जल्दी ही वह अपनी बीवी को यहां ले आएगा. इसलिए जब नरगिस कच्ची आबादी के घर में पहुंची तो किसी को उस पर शक नहीं हुआ. लेकिन इस से पहले कि वे साथ रह कर अपनी आगे की जिंदगी आराम से काटते, कानून के शिकंजे में फंस गए. शफीक ने बताया कि उस दिन वह फैक्ट्री से जल्दी छुट्टी कर के नरगिस को फिल्म दिखाने सिनेमाहाल ले जा रहा था.
शफीक के इकबालिया बयान के बाद यह केस पूरी तरह से हल हो गया था. फिर भी एक सवाल कांटे की तरह दिमाग में चुभ रहा था. आखिर मैं ने उस से पूछ लिया, ‘‘जब तुम्हारा सोचा हुआ मंसूबा पूरी तरह कामयाब हो गया था तो तुम ने फहद की जान क्यों ली?’’
‘‘इस कत्ल की 2 वजहें थीं?’’
‘‘कौन सी 2 वजहें?’’ मैं ने डपट कर पूछा.
‘‘पहली तो यह थी कि मुझे इस बात का डर था कि जब सुबह फहद उठेगा तो नरगिस को गायब पाएगा उस के बाद सीधे मेरे पास लाहौर आ जाएगा. जबकि मैं ऐसा नहीं चाहता था. इसलिए मैं ने उस का किस्सा ही खत्म कर दिया. दूसरी वजह यह थी कि मैं ऐसा कर के पुलिस की तफ्तीश का रुख बदलना चाहता था.’’
‘‘दूसरी तरफ तुम ने नेमत बीबी के घर का बाहरी दरवाजा खुला छोड़ कर यह जताने की कोशिश की कि जैसे नरगिस फहद को कत्ल कर के फरार हो गई हो?’’ मैं ने पूछा.
‘‘जी, मैं यह चाहता था कि किसी का भी ध्यान मेरी तरफ न जाए. मैं इस मामले को इतना उलझा देना चाहता था कि कोई सुराग न मिल सके और कहीं भी मेरा नाम न आए.’’
शफीक की बातें सुन कर नरगिस उसे नफरत व गुस्से से देखते हुए गुर्रा कर बोली, ‘‘अगर मुझे पता होता कि तुम अंदर से इतने बोदे और कमीने हो तो मैं तुम्हारी बातों में कभी न आती. तुम ने अपनी मासूमियत का खूब फायदा उठाया. अब मैं तुम्हारे साथ एक पल भी नहीं रहूंगी. थूकती हूं तुम पर मैं.’’
‘‘साथ रहने की नौबत आएगी, तब न तुम इस के साथ रहोगी. थोड़ी देर में तुम्हारा यह आशिक यहां से सीधे जेल जाएगा. तुम ने एक कमजोर और बीमार घोड़े पर दांव लगा कर अपनी जिंदगी की सब से बड़ी भूल की है.’’ मैं ने कड़वा सच कहा तो नरगिस फटीफटी आंखों से मुझे देखती रह गई.
मोहब्बत में मात खाई नरगिस की स्थिति यह हो गई थी कि अब उस ने सारी उम्र मोहब्बत से नफरत करने का फैसला कर लिया था, क्योंकि इसी इश्क ने उसे बदनाम कर दिया था. Crime Story Hindi






