UP Crime: अजीत ने सीमा के सामने शर्त रख दी थी कि जब तक वह दिलीप से तलाक नहीं ले लेती, तब तक वह उस से शादी नहीं कर सकता. इस के बाद दिलीप ने सीमा के सामने ऐसी कौन सी शर्त रख दी कि उसे जान से हाथ धोना पड़ा. औरैयाफफूंद मार्ग पर एक गांव है हर्राजपुर, जो उत्तर प्रदेश के जिला औरैया के थाना दिबियापुर के अंतर्गत आता है. इसी गांव में रामप्रकाश अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा अनिल और बेटी सीमा थी. रामप्रकाश लकड़ी के तरहतरह के सामान बनाने का कारीगर था. वह अपने बनाए सामान को बाजारों में बेचता था. इसी की कमाई से वह परिवार का खर्च चलाता था. उस के काम में उस का बेटा अनिल भी सहयोग करता था.

सीमा शादी लायक हुई तो रामप्रकाश ने उस की शादी पड़ोसी गांव वीरपुर के रहने वाले जयकरन के साथ कर दी. जयकरन 3 भाइयों में मंझला था. वह गांव में खेतीबाड़ी करता था. हालांकि उस के पास खेती की ज्यादा जमीन नहीं थी, फिर भी जैसेतैसे उस के परिवार की गुजरबसर चल रहा था. जयकरन अपने घर का सामान गांव के ही दिलीप की दुकान से उधार लाता था. दिलीप उस का बचपन का दोस्त था और अकसर उस के घर भी आयाजाया करता था. दिलीप के पिता रामबाबू की मौत हो चुकी थी. उस की गैरमौजूदगी में मां विमला भी दुकान पर बैठ जाती थी. दोस्तों की संगत की वजह से दिलीप को शराब पीने की भी लत लग गई थी.

जयकरन और सीमा की उन दिनों नईनई शादी हुई थी. रूप और यौवन से भरपूर सीमा को दिलीप जब भी देखता, मदहोश हो जाता. दिलीप जब भी जयकरन के घर आता, उस की निगाहें सीमा को ही ढूंढा करतीं. सीमा को पाने के लिए उस के दिमाग में एक आइडिया आया. उस ने सोचा कि अगर वह जयकरन को शराब पीने की लत लगा दे तो उसे सीमा से बात करने का मौका मिल जाएगा. धीरेधीरे उस ने जयकरन पर अपना जाल फेंकना शुरू कर दिया.

आए दिन उस की जयकरन के साथ उसी के घर पर खानेपीने की पार्टी चलने लगी. धीरेधीरे जयकरन को भी शराब पीने का शौक लग गया. दिलीप के कर्ज के नीचे दबे होने के कारण जयकरन उस की किसी बात से इनकार नहीं करता था. सीमा को पाने की चाहत में दिलीप अपने उधार के पैसे मांगने के बजाय उलटे उसे घर खर्च का सामान तथा नकद पैसे भी देने लगा. जयकरन दिलीप की इस विशेष कृपा के पीछे की मंशा को समझ रहा था, लेकिन वह चाह कर भी कुछ नहीं कह पा रहा था. क्योंकि वह उस के कर्ज से दबा हुआ था. नतीजतन दिलीप सीमा के साथ हंसीठिठोली करने लगा.

दिलीप के हंसी मजाक करने पर जब पति ने कोई ऐतराज नहीं किया तो सीमा भी उसी अंदाज में दिलीप को जवाब देने लगी. धीरेधीरे उन के बीच हंसीमजाक का दायरा बढ़ता गया. शराब पीना शुरू करने के बाद जयकरन के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया था. रात को अकसर वह शराब पी कर सीमा से बिना बात मारपीट करने लगा था. दूसरे बहुत कम आमदनी होने के कारण वह अपनी नईनवेली दुलहन का कोई शौक भी पूरा नहीं कर पाता था.

सीमा यह बात अच्छी तरह जानती थी कि दिलीप की वजह से ही घर का खर्च चल रहा है. इसी बात से सीमा का झुकाव दिलीप की ओर हो गया. हालांकि उसे मालूम था कि वह जिस रास्ते पर कदम बढ़ा रही है, वह ठीक नहीं है, लेकिन जयकरन की आर्थिक स्थिति देख कर सीमा को उस समय कुछ नहीं सूझा और वह दिलीप की ओर आकर्षित होती चली गई. लिहाजा एक दिन ऐसा आ गया, जब दोनों के शारीरिक संबंध बन गए. इस के बाद जब भी दोनों को मौका मिलता, एक दूसरे में समा जाते.

धीरेधीरे दिलीप और सीमा के प्रेमप्रसंगों के किस्से गांव में चर्चा का विषय बनने लगे. साथ ही जयकरन भी अपनी नामर्दी और स्वाभिमान की कमी के कारण गांव में हेयदृष्टि से देखा जाने लगा. वैसे तो दिलीप जयकरन को अकसर शराब के नशे में धुत रखता था, किंतु जब कभी उसे अपराधबोध होता, वह सीमा को दिलीप के सामने ही मारनापीटना शुरू कर देता था. दिलीप ने सीमा को भरोसा दे रखा था कि वह हर तरह से उस की देखभाल करेगा. इसी भरोसे पर सीमा पति से नफरत करने लगी थी. उस की रोजरोज की गालीगलौज व मारपीट से सीमा तंग आ चुकी थी. दिलीप ने सीमा को सलाह दी कि अगर वह अपने मायके चली जाए तो वह रोज की किचकिच से बच जाएगी और रही बात मिलने की तो वह किसी न किसी बहाने वहां पहुंच जाया करेगा.

एक दिन जब जयकरन सीमा को पीट रहा था तो दिलीप ने उसे मना किया. इस पर जयकरन उस से भिड़ गया, ‘‘तुम होते कौन हो मेरे व मेरी पत्नी के बीच बोलने वाले. यह मेरी बीवी है. मैं इसे जितना मन होगा, उतना मारूंगा.’’

इसी बात पर जब दोनों के बीच तकरार बढ़ी तो सीमा ने साफ कह दिया कि अब वह यहां एक पल नहीं रुकेगी. गुस्से से उस ने अपना सामान समेटा और मायके हर्राजगंज चली गई. अचानक बेटी को अकेला घर आया देख उस के मातापिता चौंके तो उस ने बताया कि जयकरन उसे मारतापीटता है, इसलिए वह हमेशा के लिए उस का घर छोड़ कर यहां चली आई है. सीमा को मायके आए अभी 2 दिन ही बीते थे कि जयकरन उसे लेने आ गया. लेकिन सीमा ने ससुराल जाने से साफ मना कर दिया. जयकरन ने सास से सीमा को भेजने का अनुरोध किया तो वह बोली, ‘‘तुम जो कमाते हो, उस की शराब पी जाते हो. जब तुम अपना ही पेट नहीं भर सकते तो इसे कैसे रखोगे. उलटे तुम इसे मारतेपीटते हो. इसलिए अब यह तुम्हारे साथ नहीं जाएगी.’’

मांबेटी की दुत्कार से जयकरन को गहरा आघात पहुंचा. वह मायूस हो कर अपने घर लौट गया. अब दिलीप ने भी जयकरन को शराब पिलाना और पैसे देना बंद कर दिया था. इस की वजह से वह और भी परेशान रहने लगा. इस के बाद उस ने अपने हिस्से का खेत बड़े भाई को बेच दिया और गांव छोड़ कर कहीं चला गया. दिलीप का जब मन करता, वह सीमा से मिलने उस के मायके चला जाता. मौका मिलने पर वह वहीं इच्छा पूरी कर लेता. एक रोज सीमा की मां ने उसे दिलीप के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. तब उस ने सीमा को डांटा ही नहीं, समझाया भी. इस पर सीमा ने कहा, ‘‘मां दिलीप और मैं एकदूसरे को प्यार करते हैं. शादी के बाद से दिलीप ही मेरा और जयकरन का खर्च चला रहा था. दिलीप से मेरी शादी कर के तुम्हें पछताना नहीं पड़ेगा.’’

जवान बेटी को घर में बिठाना संभव नहीं था. इसलिए इस बाबत उस ने पति रामप्रकाश और बेटा अनिल से बात की. उन्होंने सहमति दे दी तो फिर सीमा का दूसरा विवाह दिलीप के साथ कर दिया गया. दिलीप सीमा को ले कर घर पहुंचा तो दिलीप की मां विमला ने सीमा को बहू के रूप में स्वीकार करने से साफ मना कर दिया. इस के बाद दिलीप सीमा के मायके में ही अलग मकान में रहने लगा और मेहनतमजदूरी कर के गुजारा करने लगा. सीमा और दिलीप का दांपत्य जीवन 4-5 साल तक सुखमय बीता. इस बीच सीमा 2 बच्चों की मां बन गई, लेकिन उस के बाद उन की गृहस्थी में कलह की आग लगनी शुरू हो गई. कलह का कारण सीमा ही थी. चंचल सीमा खुले विचारों की औरत थी, जबकि दिलीप सीधासादा.

अब दिलीप की आमदनी पहले जैसी नहीं रह गई थी. वह जो भी कमाता था, सीमा उसे अपने बनावशृंगार व फैशनपरस्ती में उड़ा देती थी. जिस से उसे घरगृहस्थी चलाने में कठिनाई होती थी. अब वह भी कर्ज के बोझ से दबता जा रहा था. आर्थिक तंगी की वजह से सीमा भी चिड़चिड़ी हो गई थी. वह बातबेबात उसे झिड़क देती थी. दोनों के बीच तनाव और कलह इतना बढ़ गया कि एक छत के नीचे रहते हुए वे नाममात्र के पतिपत्नी रह गए थे. उन्हीं दिनों अजीत का सीमा के घर आनाजाना शुरू हुआ. अजीत हरतौली का रहने वाला था और सीमा के भाई अनिल का दोस्त था. वह भी लकड़ी का कारोबार करता था, जिस से अनिल व उस के पिता रामप्रकाश से उस की अच्छी पटती थी.

अजीत अच्छा कमाता था, जिस से वह ठाठबाट से रहता था. अजीत जब भी अनिल से मिलने आता, सीमा से भी मिल लेता था. जब वह घर पर अकेली मिलती तो उस से रसभरी बातें करता. उस के दोनों बच्चों को भी खानेपीने की चीजें लाता. जाते समय कुछ रुपए भी सीमा के हाथ पर रख जाता. अजीत सीमा के हुस्न पर लटटू था. अनुभवी सीमा उस की बातों और नजरों से उस के मन की बात जान चुकी थी. वैसे भी उसे दिलीप में अब कोई दिलचस्पी नहीं रह गई थी. इसलिए वह अजीत की ओर आकर्षित होती गई.

एक रोज अजीत दोपहर को उस के यहां आया. उस समय सीमा घर में अकेली थी. दिलीप किसी काम से औरैया गया हुआ था और बच्चे कमरे में सो रहे थे. अजीत ने आते ही सीमा को बांहों में भर कर कहा,  ‘‘सीमा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब रहा नहीं जाता.’’

‘‘कैसी बातें करते हो. मैं शादीशुदा और 2 बच्चों की मां हूं.’’ सीमा ने अजीत को टटोला.

‘‘तो क्या हुआ, शादीशुदा औरत के पास दिल नहीं होता क्या?’’

‘‘लेकिन अजीत, मेरे बच्चों का क्या होगा?’’ सीमा ने आशंका जताई.

तुम चिंता मत करो. तुम्हारे साथ मैं तुम्हारे बच्चों को भी अपना लूंगा.

इस के बाद सीमा ने निगाहों से उसे आमंत्रण दे दिया तो अजीत ने उसे अपनी बांहों में कैद कर लिया और अपनी मनमानी कर डाली. इस के बाद सीमा जो पहले बुझीबुझी सी रहती थी, अब खिलीखिली सी रहने लगी. अजीत सीमा की हर ख्वाहिश पूरी करने लगा. पति की गैरमौजूदगी में अजीत का सीमा के घर आना आसपड़ोस के लोगों में चर्चा का विषय बन गया. दिलीप को जब पता चला तो उस ने सीमा से इस बारे में बात की. सीमा बेहयाई से बोली, ‘‘हां, अजीत मुझ से मिलने आता है और आता रहेगा. और तुम भी कान खोल कर सुन लो, अगर तुम ने टोकाटाकी की तो तुम्हें छोड़ कर अजीत के साथ चली जाऊंगी.’’

सीमा की बात सुन कर दिलीप अवाक रह गया. उस ने सीमा से उलझने के बजाय उस के पिता रामप्रकाश से शिकायत की. उस ने अनिल से भी कहा कि वह अपने दोस्त अजीत को समझाए और उस की गृहस्थी में आग न लगाए. लेकिन उस की शिकायत को अनिल ने अनसुना कर दिया. दरअसल, सीमा पति दिलीप की शिकायत अपने मांबाप व भाई से करती रहती थी कि वह कमाता नहीं है, जिस से उस का गुजारा नहीं हो रहा है. इस कारण सीमा के परिवार वाले भी दिलीप से नाराज रहते थे. यही वजह थी कि सीमा ने अजीत से मिलना शुरू किया तो बापभाई किसी ने ज्यादा ऐतराज नहीं किया.

कोई भी पति अपनी आंखों के सामने दूसरे मर्द की बाहों में अपनी पत्नी को नहीं देख सकता, भले ही वह नपुंसक ही क्यों न हो. दिलीप ने सीमा को अपनी सीमा में रहने की हिदायत दी. जिस से दोनों में झगड़ा, मारपीट व कलह शुरू हो गई. जब दिलीप सीमा को पीटता तो अजीत दिलीप की पिटाई कर देता. सीमा अजीत के साथ चैन की जिंदगी जीना चाहती थी. इसलिए वह मई, 2014 में उस के साथ भाग गई. उसे ले कर अजीत अपने घर पहुंचा तो उस के घर वालों ने 2 बच्चों की मां सीमा को बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया. फिर भी अजीत सीमा के साथ अपने गांव हरतौली में ही रहने लगा.

शाम को दिलीप घर वापस आया तो सीमा और बच्चों को घर में न पा कर उस का माथा ठनका. पहले तो उस ने आसपड़ोस में पता किया, फिर सीमा के पिता के घर जा पहुंचा. सीमा वहां भी नहीं थी. इस के बाद दिलीप ने घर चेक किया तो सारा राज खुल गया. घर में रखे बक्से का ताला खुला था और उस में रखे सीमा के कपड़े गायब थे. दिलीप को समझते देर नहीं लगी कि सीमा अजीत के साथ भाग गई है. दिलीप को सीमा के भागने का इतना गम नहीं था, जितना बच्चों के चले जाने का था. दिलीप कर ही क्या सकता था. पुलिस में जाने का भी कोई फायदा नहीं था. इसलिए वह शांत हो कर बैठ गया. कुछ सप्ताह बाद वह अपने गांव वीरपुर मां के पास चला गया. विमला ने पहले तो उसे खूब खरीखोटी सुनाईं, फिर साथ रखने को राजी हो गई.

2 महीने बाद सीमा अजीत पर शादी करने का दबाव डालने लगी. अजीत शादी करने को तैयार तो था, लेकिन उस ने उस के सामने शर्त रखी कि वह दिलीप से तलाक ले ले. तलाक के बाबत सीमा ने दिलीप से बात की तो वह बोला, ‘‘पहले मेरे बच्चों को मुझे दे दो, उस के बाद मैं तुम्हें तलाक देने पर विचार करूंगा.’’

सीमा अपने जिगर के टुकड़ों को देने को राजी नहीं थी. वह चाहती थी कि उसे बच्चे भी न देने पड़ें और तलाक भी मिल जाए. लेकिन दिलीप तैयार नहीं था. इस के लिए सीमा ने अपने पिता और भाई से भी दबाव डलवाया, परंतु दिलीप राजी नहीं हुआ. अजीत के धमकाने पर भी दिलीप टस से मस नहीं हुआ. सीमा अब अजीब उलझन में फंस गई थी. बिना तलाक के अजीत उस से शादी को राजी नहीं था और दिलीप तलाक देने को तैयार नहीं था. ऐसे में परेशान सीमा ने प्रेमी अजीत के साथ मिल कर दिलीप को निपटाने की योजना बना डाली. क्योंकि वह अजीत को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी.

15 जनवरी, 2015 की सुबह सीमा अजीत के साथ अपने मायके पहुंची. योजना के मुताबिक सीमा ने दिलीप को फोन किया कि वह बच्चों को देने को राजी है, इसलिए वह आ कर उन्हें ले जाए. तलाक की शर्त उस ने वापस ले ली है. यह सुन कर दिलीप बहुत खुश हुआ. लगभग 12 बजे दिलीप हर्राजपुर पहुंच गया. उस समय घर पर सीमा, उस का भाई अनिल, पिता रामप्रकाश और प्रेमी अजीत मौजूद थे. दिलीप ने सीमा से बच्चों की मांग की तो सीमा ने तलाक का कागज दिलीप की ओर बढ़ाया और दस्तखत करने को कहा. दिलीप ने कागज पढ़ा और गुस्से से फाड़ दिया.

कागज फाड़ते ही सीमा दिलीप से झगड़ने लगी. दिलीप सब के सामने ही सीमा को पीटने लगा तो अनिल और रामप्रकाश उसे पकड़ कर पीटने लगे. उसी समय अजीत ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और दिलीप के सिर से सटा कर गोली मार दी. गोली लगते ही दिलीप जमीन पर गिर पड़ा और दम तोड़ दिया. दिनदहाड़े गोली चलने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग चौंके. चूंकि गोली की आवाज रामप्रकाश के घर से आई थी, इसलिए लोग उसी के घर की ओर दौड़े. घर के अंदर पहुंचते ही सभी भौचक्के रह गए. आंगन में खून से लथपथ दिलीप की लाश को उन्होंने पहचान लिया. लोगों ने सीमा और अन्य लोगों को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वे उन्हें पकड़ नहीं सके.

इसी बीच किसी ने वारदात की सूचना थाना दिबियापुर पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी के.डी. यादव सबइंसपेक्टर विजय कुमार भदौरिया, आर.के. सिंह, हैडकांस्टेबल प्रदीप व रामनाथ के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की सूचना पर डीएसपी शिवराज व कोतवाली औरैया के प्रभारी निरीक्षक विक्रमजीत सिंह भी मौके पर आ गए. उन्होंने भी जांचपड़ताल शुरू कर दी. खबर मिलने पर मृतक की मां विमला देवी भी वहां आ गई. बेटे की रक्तरंजित लाश देख कर वह दहाड़े मार कर रोने लगी. पुलिस अधिकारियों ने विमला को धैर्य बंधाया और पूछताछ की. विमला ने बताया कि उस के बेटे की हत्या सीमा, उस के पिता रामप्रकाश, भाई अनिल और सीमा के प्रेमी अजीत ने मिल कर की है. विमला ने पुलिस को सीमा की चरित्रहीनता की पूरी कहानी बता दी.

चूंकि हत्या की वजह स्पष्ट हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने पंचनामा तैयार कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए औरैया भेज दिया. विमला की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत सीमा, उस के प्रेमी अजीत तथा रामप्रकाश और अनिल के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया. सभी को गिरफ्तार करने के लिए संभावित स्थानों पर दबिशें दी गईं, लेकिन कथा संकलन तक कोई भी अभियुक्त पकड़ में नहीं आ सका था. UP Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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