Real Crime Story: शातिर तूबा को लगा कि उस के सारे दोस्त खूबसूरत अबीरा के होते जा रहे हैं तो वह उसे रास्ते से हटाने के बारे में सोचने लगी. उस ने इस के लिए तरीका तो बहुत बढि़या अख्तियार किया, लेकिन पुलिस की नजरों से बच नहीं सकी.
जनवरी की 13 तारीख थी, मौसम में काफी ठंडक थी. पूरा पंजाब लोहड़ी की तैयारी में लगा हुआ था. अगर आप यह सोचते हैं कि लोहड़ी सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है तो आप गलत सोच रहे हैं, पाकिस्तान के पंजाब में भी लोहड़ी का त्यौहार अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है. लाहौर के लोगों में भी लोहड़ी का उत्साह था. सुबह का समय था, लाहौर के एक संभ्रांत इलाके जौहर टाउन के शेरकोट बसअड्डे पर अच्छीखासी भीड़ थी. बसअड्डे के लाउंज में एक लावारिस सूटकेस रखा था.
बहुत देर तक जब कोई उस सूटकेस को लेने नहीं आया तो बसअड्डे पर मौजूद लोगों में से किसी ने पुलिस को फोन कर दिया. इसके बाद थोड़ी देर में ही पुलिस आ गई. पुलिस ने सूटकेस को खोला तो उस में से एक लड़की की लाश निकली. लड़की की लाश बिलकुल ठंडी थी. पुलिस को लगा कि यह मौसमी ठंडक की वजह से ठंडी नहीं हुई है, बल्कि इसे बर्फ में रख कर ठंडा किया गया था. लड़की के जिस्म पर चोट के निशान थे, जिस से पता चलता था कि उसे मारापीटा गया था. पहली नजर में ही देखने से लग रहा था कि लड़की की मौत दम घुटने की वजह से हुई थी. क्योंकि उस के गले पर नीले रंग का निशान था.
पुलिस ने लाश की पहचान करवाने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद लोगों में से कोई भी लाश को नहीं पहचान सका. जब कई दिनों तक लाश की पहचान नहीं हो सकी तो पुलिस ने लाश का पोस्टमार्टम और औटोप्सी कराई. पुलिस ने बसअड्डे के पास लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग निकलवाई तो उस से पता चला कि वह सूटकेस सुबहसुबह एक लड़की औटोरिक्शा में रख कर लाई थी और उसे बसस्टैंड पर रख कर फौरन वापस चली गई थी. लेकिन पुलिस उस लड़की की पहचान नहीं कर पाई थी.
औटोप्सी से पता चला कि मृतका को खाने में आर्सेनिक और नाइट्रेट जहर भी दिया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस के साथ बलात्कार होने की भी पुष्टि हुई थी. वैसे उस की मौत गला घोंटने के कारण हुई थी. लाश को पहचान के लिए अस्पताल में सुरक्षित रख दिया गया था. 10-12 दिनों तक न तो लाश की पहचान हो पाई और न ही उस लड़की की. अंतत: पुलिस ने लावारिस मान कर लाश को दफन करा दिया. 13 फरवरी 2015 को लाहौर की वहादत कालोनी के पुलिस स्टेशन में एक आदमी आया. उस का नाम जुहेब भट्टी था
उस ने अपना पूरा परिचय देते हुए बताया कि वह सियालकोट के छावनी इलाके के रहने वाले मोहम्मद भट्टी का बेटा है और सियालकोट में अपने बड़े भाई जावेद भट्टी के साथ प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता है. उस की 2 बहनें थीं, उज्मा और अबीरा. मां का कुछ साल पहले देहांत हो चुका है. उस ने आगे बताया कि उस की बहन अबीरा, जिस की उम्र 22 साल थी, कुछ साल पहले वह पढ़ने के लिए लाहौर आई थी. पहले कुछ समय तक वह लाहौर में अपने मामू के यहां रही. चूंकि उस की हार्दिक इच्छा थी कि वह मौडल बने, इसलिए वह शोबिज (व्यावसायिक पार्टियां) की पार्टियों में शिरकत करने लगी.
ऐसी पार्टियों में शामिल होने के लिए वह नएनए दोस्त बनाती रहती थी. उस की इस आदत की वजह से मामू परेशान रहते थे और उसे डांटते भी थे. इसलिए उस ने मामू का घर छोड़ दिया था और वहादत कालोनी स्थित एक हौस्टल में रहने लगी थी. अब वह कई दिनों से हौस्टल से लापता है. उसे शक है कि हौस्टल की मालकिन सिदरा ने उस की बहन को गायब कर दिया है. पुलिस ने जुहेब भट्टी की शिकायत पर वहादत रोड स्थित हौस्टल में छापा मार कर हौस्टल की मालकिन सिदरा अवान सहित 4 लोगों, नौमान कुरैशी, फरहान खान, सकीना और आयशा बट को हिरासत में ले लिया.
पुलिस सभी को थाने ले आई. पुलिस ने जब सिदरा से जुहेब भट्टी की बहन अबीरा के बारे में पूछताछ की तो उस ने अबीरा के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की, लेकिन इतना जरूर बता दिया कि अबीरा आजकल तूबा से बहुत मिलती थी, जो एक मेकअप आर्टिस्ट है. वह खासकर मौडल्स का मेकअप करती है. इकबाल टाऊन के एसपी मोहम्मद इकबाल ने जब जुहेब से उस की बहन का हुलिया पूछा तो उस ने जो हुलिया बताया, उस से पुलिस को लगा कि संभवत: बसअड्डे पर मिली लाश उस की बहन की थी. लाश के फोटो देखने के बाद जुहेब ने उस की शिनाख्त अपनी बहन अबीरा के रूप में कर दी. चूंकि अब लाश की पहचान हो गई, इसलिए पुलिस जांच में तेजी आ गई.
पुलिस ने शेरकोट बसअड्डे की सीसीटीवी की फुटेज पहले ही अपने कब्जे में ले रखी थी. उस में साफ दिख रहा था कि एक लड़की औटोरिक्शा में सूटकेस ले कर आई थी और सूटकेस वहां रख कर वापस चली गई थी. पुलिस ने वह सीसीटीवी फुटेज सिदरा को दिखाई तो उस ने फुटेज में दिख रही लड़की की पहचान तूबा के रूप में कर के बताया कि अबीरा आजकल इसी के साथ कुछ ज्यादा दिखाई दी जा रही थी. साथ ही उस ने तूबा का पता भी बता दिया था. पुलिस ने तुरंत तूबा के घर छापा मारा तो वह घर पर ही मिल गई. पुलिस उसे पकड़ कर थाने ले आई. पुलिस पूछताछ में तूबा ने बताया कि अबीरा को उस ने नहीं, औटोरिक्शा वाले ने मारा है. पुलिस ने तूबा की निशानदेही पर औटोचालक असलम को भी गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस पूछताछ में असलम ने अबीरा की हत्या से साफ इनकार कर दिया. उस ने पुलिस को बताया कि वह तो अबीरा को जानता तक नहीं. वह तो तूबा के कहने पर उस सूटकेस को बसअड्डे तक ले आया था. इस के बाद पुलिस के सामने यह सवाल खड़ा हो गया कि वह तूबा से सच कैसे उगलवाए. इस के लिए पुलिस ने तूबा का पौलिग्राफिक टेस्ट कराया. इस पौलिग्राफिक टेस्ट में जो हकीकत सामने आई, उस से सारे पुलिस अफसर हैरान रह गए. इस के बाद पूछताछ में तूबा ने बताया कि उस का असली नाम उज्मा राव है और वह मेकअप आर्टिस्ट है. 7 साल पहले उस की शादी बाबर बट के साथ हुई थी.
पति से उसे एक बेटी पैदा हुई. एक दिन उस की तबीयत खराब हुई तो बाबर ने अपने दोस्त यूसुफ खोखर के कहने पर उसे डाक्टर को इसलिए नहीं दिखाने दिया, क्योंकि वह लड़की थी. यूसुफ खोखर कैमरामैन था. दरअसल बाबर और युसुफ, दोनों ही मौडलिंग की दुनिया से जुड़े थे. डाक्टर को न दिखाने की वजह से तूबा की बेटी मर गई. तूबा ने इस का सारा इल्जाम बाबर और यूसुफ पर डाला. इस के बाद उस की बाबर से अनबन रहने लगी. आखिरकार 2 साल बाद बाबर ने उसे तलाक दे दिया. इस के बाद तूबा उर्फ उज्मा ने बाबर और यूसुफ को मारने का फैसला कर लिया.
बाबर से तलाक लेने के बाद तूबा जौहर टाऊन के एक अपार्टमेंट में अलग रहने लगी थी. यहीं रहते हुए उस की कई पुरुषों से दोस्ती हो गई, जिन में से एक का नाम जीशान था. एक दिन उस ने जीशान से कोई जहर ला कर देने को कहा तो उस ने उसे आर्सेनिक जहर ला कर दे दिया. तूबा ने बाबर से तलाक लेने के बाद भी उस के दोस्त यूसुफ खोखर से दोस्ती कायम कर रखी थी. उस ने इसी दोस्ती का फायदा उठा कर एक दिन खाने में यूसुफ को जीशान द्वारा लाया आर्सेनिक जहर दे दिया. आर्सेनिक जहर की विशेषता यह है कि यह कुछ समय बाद असर करता है. यूसुफ ने खाना तो खाया तूबा के साथ, लेकिन मरा अपने घर जा कर. इस से पुलिस को पता नहीं लग सका कि उसे जहर किस ने दिया था.
इस के बाद तूबा इस फिक्र में रहने लगी कि बाबर को किस तरह मौत के घाट उतारा जाए. इसी बीच उस की जिंदगी में एक और आदमी आया, जिस का नाम फारुख रहमान था. वह एक प्राइवेट बैंक में अधिकारी था. तूबा उस के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी. फारुख रंगीनमिजाज आदमी था. वह जब भी कोई सुंदर लड़की देखता, उस की लार टपकने लगती थी. तूबा का प्रोफेशन चूंकि मौडल्स का मेकअप करना था, इसलिए वह भी शोबिज की पार्टियों में शामिल हुआ करती थी. 24 दिसंबर, 2014 को एक ऐसी ही पार्टी में उस के परिचित तरनजीत सिंह ने उस की मुलाकात एक नई उभरती मौडल से कराई. इस मौडल का नाम था अबीरा. वह बेपनाह हुस्न व कशिश की मलिका थी. ऊंचा कद, गोरा रंग, एकदम हूर लगती थी.
अबीरा एक उभरती हुई मौडल थी. उसे किसी अच्छे कौंट्रेक्ट की चाहत थी. तरनजीत ने जब उसे बताया कि तूबा की मौडलिंग इंडस्ट्री में काफी जानपहचान है तो अबीरा उस से मिली. इस पहली मुलाकात में ही वह उस से काफी प्रभावित हुई. वह जल्द ही उस से घुलमिल गई. इस के 3-4 दिनों बाद तूबा ने अबीरा को अपने घर बुलाया. उस वक्त वहां फारुख भी मौजूद था. फारुख ने अबीरा को देखा तो देखते ही उस के हुस्न का दीवाना हो गया. उस ने तूबा के सामने अपनी ख्वाहिश रखते हुए कहा कि वह हर हाल में उसे पाना चाहता है. पता नहीं क्या सोच कर तूबा ने उस की मदद करने की हामी भर दी. उस समय तूबा अपने दिमाग में शायद किसी साजिश का तानाबाना तैयार कर रही थी.
उस ने सोचा कि अबीरा की मदद से वह अपने पूर्व पति बाबर बट की हत्या करवा सकती है. वह जानती थी कि बाबर भी अय्याश किस्म का आदमी है और आसानी से अबीरा के हुस्न के जाल में फंस जाएगा. फिर जिस तरह उस ने यूसुफ खोखर को जिंदगी से छुटकारा दिलाया था, उसी तरह अबीरा भी बाबर को उस की जिंदगी से छुटकारा दिला देगी. तूबा को पता था कि अबीरा के पास अभी कोई बड़ा प्रोजैक्ट नहीं है, इसलिए वह आर्थिक तंगी से गुजर रही है. घर वालों से रिश्ते ठीक न होने की वजह से वह उन से भी मदद नहीं मांग सकती.
सोचविचार कर तूबा ने अबीरा से एक समझौता कर लिया. फिर उसी समझौते के तहत अबीरा को बाबर की हत्या में तूबा की मदद करनी थी. इस के बदले में तूबा को उसे कुछ नकद और मौडलिंग के कुछ अच्छे अनुबंध दिलाने थे. अबीरा जानती थी कि तूबा के शोबिज के सर्किल में काफी अच्छे ताल्लुकात हैं. निस्संदेह उस की मदद से वह कामयाबी की सीढि़या चढ़ सकती है. इसलिए उस ने तूबा का साथ देने की हामी भर ली. दूसरी ओर तूबा ने सोचा था कि एक बार अगर अबीरा उस के साथ जुर्म में शामिल हो गई तो फिर वह बड़े आराम से अपने दोस्त फारुख की इच्छा पूरी करवा देगी, क्योंकि इस के बाद अबीरा इस स्थिति में नहीं रह जाएगी कि उस की किसी बात से इनकार कर सके.
फारुख ने जिस दिन तूबा से यह कहा था कि वह अबीरा को पाना चाहता है, वह जलभुन उठी थी. लेकिन वह चाह कर भी फारुख का कुछ नहीं कर सकती थी. उस ने फारुख के जाने के बाद अबीरा के फोटो निकाले और गुस्से में उस के फोटो पर ही खुरचखुरच कर उस का चेहरा बिगाड़ दिया था. उस वक्त वह इतने गुस्से में थी कि अगर अबीरा वहां होती तो शायद उस का चेहरा सचमुच बिगाड़ देती. खैर, अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जनवरी के पहले सप्ताह में उस ने अबीरा को अपने घर बुलाया और बाबर को मारने की अपनी योजना में साथ देने को कहा. लेकिन इस बार अबीरा ने मना कर दिया. तूबा ने उसी वक्त सोच लिया कि अब वह अबीरा को इस दुनिया में जीवित नहीं रहने देगी.
तूबा ने उस वक्त तो अबीरा से कुछ नहीं कहा. अलबत्ता उस ने अपने दोस्त जीशान से जरूर कहा कि उसे डर है कि अबीरा कहीं उस से उस के दोस्तों को न छीन ले. अगर ऐसा हुआ तो उस का धंधा चौपट हो जाएगा. जीशान ने उसे फिर से आर्सेनिक जहर ला कर दे दिया. 12 जनवरी, 2015 को तूबा ने मौडलिंग का एक अच्छा और बड़ा अनुबंध दिलाने के बहाने अबीरा को खाने पर बुलाया. अबीरा वहां आई तो फारुख को यह पता नहीं था कि तूबा उसे मारने की योजना बना चुकी है. तूबा ने अबीरा के लिए स्पैशल खीर बनाई. उस ने अबीरा की खीर में जीशान का लाया जहर मिला दिया. जब अबीरा खाना खा चुकी तो फारुख उसे बहाने से अपने कमरे में ले गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. इस के बाद उस ने अबीरा को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की.
अबीरा पर चूंकि जहर का असर होने लगा था, इसलिए वह ज्यादा विरोध नहीं कर सकी और फारुख ने आसानी से अपनी अच्छा पूरी कर ली. तब तक अबीरा बेहोश हो चुकी थी. थोड़ी देर बाद उस ने तूबा को बुलाया और अबीरा को वहां से ले जाने को कहा. तूबा जानती थी कि जो जहर अबीरा को दिया गया है, उसे पूरे तौर पर असर करने में अभी कई घंटे का समय लगेगा. उसे डर था कि अगर उसे बेहोशी की हालत में कहीं छोड़ा गया और वह बच गई तो उस का पुलिस से बच पाना नामुमकिन हो जाएगा. यही सोच कर तूबा ने पास पड़े अपने दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. जिस से अबीरा उसी वक्त मर गई.
अबीरा तो मर गई. अब समस्या यह थी कि अबीरा की लाश का क्या किया जाए? इस के लिए तूबा ने फारुख से कहा कि लाश को एक बड़े सूटकेस में डाल कर बंद कर दो. फारुख ने ऐसा ही किया. लाश को सूटकेस में रख कर दोनों ने उसे फ्रीजर में रख दिया. रात भर सूटकेस तूबा के अपार्टमेंट में ही फ्रीजर में रखा रहा. तूबा ने वह रात फारुख के साथ दूसरे कमरे में गुजारी. सुबह सूरज निकलने से पहले तूबा ने अपने जानने वाले एक औटोरिक्शा वाले असलम को फोन कर के बुलाया. फिर उस के औटोरिक्शा में सूटकेस रखकर शेरकोट बसअड्डे पहुंची.
चूंकि सुबह का समय था, इसलिए बसअड्डे पर ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. तूबा सूटकेस उतार कर बसअड्डे के लाउंज में ले गई और वहीं रख कर वापस आ गई. लेकिन सीसीटीवी कैमरे से उस की सारी हरकतें रिकौर्ड हो गईं. जब पुलिस ने तूबा के अपार्टमेंट पर छापा मारा था तो पुलिस को उस के घर से वह जहर भी मिल गया था, जो पोस्टमार्टम में अबीरा के शरीर में पाया गया था. इस के अलावा अबीरा की फोन काल डिटेल्स में अबीरा की आखिरी लोकेशन तूबा के घर की पाई गई थी. तूबा के बयान के आधार पर पुलिस ने फारुख और जीशान को भी गिरफ्तार कर लिया.
आगे की जांच में पता चला कि तूबा का असली नाम उज्मा राव था. उस ने अपना पहचान पत्र तूबा के फरजी नाम से बनवा रखा था. पुलिस को यूसुफ की हत्या के सबूत भी तूबा के घर से मिल गए हैं. पुलिस के अनुसार बाबर बट ने तूबा के साथ बलात्कार किया था, जिस की उस ने पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. लेकिन बाद में जब बाबर ने केस के डर से तूबा से शादी कर ली थी तो तूबा ने अपनी शिकायत वापस ले ली थी. तूबा अपने दूसरे दुश्मन बाबर बट का कत्ल करती, इस से पहले ही उस की एक और अबीरा दुश्मन पैदा हो गई. अपनी इसी दुश्मन अबीरा को रास्ते से हटाने के चक्कर में वह पुलिस की गिरफ्त में आ गई.
पुलिस ने तूबा, फारुख, जीशान और असलम को लाहौर की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. तीनों जेल की सलाखों के पीछे हैं और अपने किए की सजा भुगत रहे हैं. असलम को जमानत मिल गई है. Real Crime Story
लेखक – एम.जेड. बेग






