Crime Story: इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना ने अपने भांजे राजीव सक्सेना की पढ़ाईलिखाई से ले कर हर तरह से मदद की थी. एक दिन इसी भांजे ने आस्तीन का सांप बन कर उन्हें ऐसा डंसा कि उन की दुनिया ही उजड़ गई…

मुरादाबाद के एसएसपी कार्यालय में तैनात इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना 11 अगस्त को अपनी ड्यूटी खत्म कर के शाम करीब साढ़े 4 बजे घर पहुंचे तो उन्हें मेन गेट खुला मिला. इस तरह गेट खुला देख कर वह थोड़े चौंके, क्योंकि उन की पत्नी सरोज अकसर ही गेट बंद रखती थी. उन का घर सिविल लाइंस क्षेत्र के चंद्रनगर कालोनी में था. जैसे ही वह घर में घुसे, उन्हें रूम का दरवाजा भी खुला दिखा. अंदर से टीवी चलने की तेज आवाज भी आ रही थी.

उन्होंने पत्नी को आवाज लगाई. 4 साल पहले उन्हें पैरालाइसिस हुआ था, जिस की वजह से वह ठीक से चल नहीं पाते थे. इसलिए घर के अंदर से जब कोई जवाब नहीं आया तो वह ड्राइंगरूम में जा कर कुरसी पर बैठ गए और अपने जूते उतारे. उन्होंने सोचा कि सरोज शायद पास की दुकान से कोई सामान वगैरह लेने गई होगी, तभी तो टीवी भी चालू छोड़ गई है. वह कुरसी पर बैठे हुए पत्नी के लौटने का इंतजार करने लगे. कुछ देर इंतजार करने के बावजूद भी जब पत्नी नहीं आई तो वह धीरेधीरे बेड की तरफ बढ़े तो उन्हें पत्नी फर्श पर अस्तव्यस्त हालात में औंधे मुंह पड़ी दिखी.

वह इस हालत में क्यों पड़ी है, सोचते हुए उन्होंने आवाज देते हुए उसे हिलायाडुलाया. उस का बेजान शरीर देख कर उन की चीख निकल गई. वह मृत अवस्था में थीं. रामबाबू सक्सेना रोतेचीखते हएु बाहर सड़क पर आ गए और लोगों को पत्नी की हत्या हो जाने की खबर दी. उन के चिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग उन के घर में आ गए. उन की पत्नी की हत्या की बात सुन कर लोग चौंके. उन्हें इस बात का ताज्जुब हो रहा था कि एक पुलिस अधिकारी के यहां यह वारदात करने की हिम्मत किस ने की? उन में से किसी ने पुलिस को फोन कर के इंसपेक्टर रामबाबू की पत्नी की हत्या की खबर दे दी. थाना सिविल लाइंस वहां से कुछ ही दूरी पर था, इसलिए कुछ ही देर में थानाप्रभारी ब्रह्मपाल व चौकीइंचार्ज धीरज सिंह मौके पर पहुंच गए.

मामला एक पुलिस अधिकारी की पत्नी की हत्या का था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस की सूचना विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. मामला विभाग के ही एक पुलिस इंसपेक्टर की पत्नी की हत्या का था और वह इंसपेक्टर भी एसएसपी कार्यालय में तैनात थे, इसलिए 15-20 मिनट के अंदर ही डीआईजी ओमकार सिंह, एसएसपी लव कुमार, एसपी सिटी डा. रामसुरेश यादव, सीओ सिविल लाइंस महेश कुमार भी मौके पर पहुंच गए. मौके पर खोजी कुत्ता और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डा. अरुण कुमार को भी घटनास्थल पर बुला लिया गया, ताकि वहां से कुछ सबूत जुटाए जा सकें.

खोजी कुत्ता सरोज के शव को सूंघने के बाद घर के बाहर सड़क पर पहुंच कर भौंकने लगा. इस से पुलिस को कोई खास मदद नहीं मिली. डा. अरुण कुमार ने भी मौके का बारीकी से निरीक्षण किया. उन का काम निपट जाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतका सरोज के बाएं हाथ की मुट्ठी में बालों का गुच्छा मिला. लाश के पास बैंगनी रंग का एक बटन भी पड़ा था. इस से साफ पता चल रहा था कि मृतका की हत्यारे से हाथापाई हुई थी. सरोज ने अपना बचाव करते हुए हत्यारे के बाल पकड़ लिए होंगे. उसी दौरान उस की शर्ट का भी बटन टूट गया होगा.

डबल बैड के गद्दे भी इस तरह से उलटेपलटे पड़े थे, जैसे किसी ने उन के नीचे कुछ ढूंढने की कोशिश की थी. बेडरूम में जो सेफ रखी थी, उस के हैंडल भी मुड़े हुए थे. उन्हें देख कर साफ लग रहा था कि उन्हें तोड़ने के लिए उन पर किसी भारी चीज से वार किया गया था, लेकिन हैंडल टूटे नहीं थे. हैंडल न टूटने की वजह से अलमारी में रखा कीमती सामान सुरक्षित था. इस से लग रहा था कि हत्या केवल लूटपाट के लिए ही की गई थी. ड्राइंगरूम में जो मेज रखी थी, उस पर 2 गिलास रखे थे. उन से एक गिलास में कुछ पानी भी था. किचन में गैस चूल्हे पर सौस पैन में 2 कप पानी चढ़ा हुआ था. वहीं स्लैब पर 2 खाली कप, अदरक, चायपत्ती भी रखी थी. लेकिन गैस बंद थी. वह शायद 2 कप चाय बनाने की तैयारी कर रही थी.

चाय के पानी की मात्रा और ड्राइंगरूम में रखे पानी के गिलासों से यही अनुमान लगाया गया कि हत्यारों की संख्या एक या 2 रही होगी और वह इन के परिचित होंगे, क्योंकि मृतका ने उन्हें पानी पिलाया था और उन्हीं के लिए चाय बनाने के लिए किचन में गई थी. मृतका के गले पर मिले निशानों से लग रहा था कि उस की हत्या गला घोंट कर की गई थी.

मौके की छानबीन करने के बाद एसएसपी ने इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना से ही पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश वगैरह तो नहीं है.

‘‘सर मेरी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. मैं सुबह पत्नी को घर पर ठीकठाक छोड़ कर गया था. चूंकि पैरालाइसिस की वजह से मैं अपने काम ठीक से नहीं कर पाता, इसलिए उन्होंने ही मुझे खाना खिलाया, अपने हाथ से कपड़े और जूते पहनाए. फिर मुझे सहारा दे कर औफिस के लिए एक रिक्शे पर बैठाया. मेन गेट को वह हमेशा बंद रखती थीं, जब कोई कालबेल बजाता था तो गेट खोलने से पहले वह देख लेती थीं. अपरिचित के लिए वह गेट नहीं खोलती थीं.’’ कहतेकते इंसपेक्टर रामबाबू सुबकने लगे. एसएसपी ने उन्हें ढांढस बंधाया और भरोसा दिया कि वह केस का खुलासा करने में दिनरात एक कर देंगे. जल्द ही हत्यारे भी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने सरोज सक्सेना की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

एसएसपी लव कुमार ने तुरंत शहर के तेजतर्रार अधिकारियों की एक मीटिंग बुलाई. मामला उन के ही औफिस के इंसपेक्टर की पत्नी की हत्या का था, इसलिए केस का जल्द से जल्द खुलासा करने के लिए उन्होंने 4 पुलिस टीमों का गठन किया. कई बिंदुओं को ध्यान में रख कर पुलिस टीमें जांच में लग गईं. मौके की जांच करने के बाद यही लग रहा था कि सरोज सक्सेना की हत्या या तो चोरी के इरादे से की गई होगी या फिर किसी दुश्मनी से. लूट की वजह इसलिए लग रही थी कि हत्यारे ने सेफ को खोलने की कोशिश की थी. किंतु इसी बात पर यहीं एक सवाल यह भी उठ रहा था कि मृतका के शरीर पर सोने की ज्वैलरी थी तो हत्यारे वह ज्वैलरी क्यों नहीं ले गए.

चंद्रनगर से सटी हुई भांतू कालोनी है. इस जाति के अनेक लोग लूट की वारदातें करते हैं. यह वारदात कहीं इन्हीं लोगों ने तो नहीं की. यह पता लगाने के लिए इंसपेक्टर ब्रह्मपाल अपनी टीम को ले कर भांतू कालोनी गए और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को उठा कर थाने ले आए. उन से सख्ती से पूछताछ की, लेकिन सरोज सक्सेना की हत्या के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी. आसपास रहने वाले लोगों से मृतका के बारे में पता किया तो पता चला कि वह अकसर अपना गेट बंद कर के रखती थी. किसी से वह फालतू बात तक नहीं करती थी. पड़ोसियों ने बताया कि घटना वाले दिन उन्हें दोपहर के समय उस समय देखा गया था, जब वह दूधिए से दूध लेने आई थी.

उन के यहां जो दूधिया आता था, वह छजलैट के पास बदावली गांव का रहने वाला था. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. मुखबिरों से खबर के बाद पुलिस चंद्रनगर के ही 2 लोगों को पूछताछ के लिए थाने ले आई. पुलिस की इस काररवाई का मोहल्ले के लोगों ने विरोध किया और सैकड़ों लोग उन दोनों युवकों को छोड़ने की मांग करने लगे. लोगों के विरोध को देखते हुए पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. इस के अलावा पुलिस ने इलाके के अनेक आपराधिक लोगों से भी पूछताछ की, परंतु नतीजा वही ढाक के तीन पात. नतीजा निकलता न देख नगर पुलिस अधीक्षक डा. रामसुरेश यादव ने सीओ महेश कुमार के साथ विचारविमर्श किया. उन्होंने कहा कि मुझे पूरा शक है कि इस हत्या का कारण पारिवारिक विवाद ही हो सकता है.

एक पुलिस इंसपेक्टर की बीवी का कत्ल बाहरी व्यक्ति भला क्यों करेगा. कोई भी बदमाश यह काम करने से पहले 10 बार सोचेगा. उन्होंने कहा कि हो न हो, इस मामले में इन का कोई न कोई परिचित ही शामिल रहा होगा. पुलिस ने मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकाल कर जांच की. लेकिन उस का भी कोई नतीजा नहीं निकला. फिर पुलिस ने 11 अगस्त के उन फोन नंबरों को जांच के दायरे में लिया, जो उस दिन दोपहर ढाई बजे से शाम 4 बजे तक चंद्रनगर इलाके में सक्रिय रहे थे. पता चला कि ढाई सौ फोन उस दौरान उस इलाके में सक्रिय रहे. उन सभी नंबरों की जांच की. लेकिन कोई फायदा नहीं निकला.

पुलिस जिस बिंदु पर जांच कर रही थी, निराशा ही हाथ लग रही थी. इस तरह यह केस पुलिस टीम के लिए एक चुनौती से कम नहीं था. हालांकि यह भी मर्डर का केस था, लेकिन यह केस और केसों की तरह सामान्य नहीं था. क्योंकि यह विभाग के ही एक पुलिस अधिकारी की पत्नी का मामला था. अगले दिन पोस्टमार्टम कराने के बाद लाश रामबाबू को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि सरोज के गले, कोहनी, होंठ, बाएं हाथ की अंगुली, सीने और गाल पर जख्मों के निशान थे. मौत की वजह सांस नली का दबाव के कारण अवरुद्ध होना बताया गया. नाखूनों में स्किन के टुकड़े भी मिले, जिन्हें डीएनए जांच के लिए भेज दिया.

सरोज सक्सेना की हत्या के बाद से अंतिम संस्कार तक उन के यहां आनेजाने वाले नजदीकियों पर सीओ महेश कुमार नजर रखे हुए थे. उन का अंतिम संस्कार होने के बाद सीओ महेश कुमार ने इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना से बात कर के यह पता लगाने की कोशिश की कि ऐसा उन का कौन सा रिश्तेदार या नजदीकी है, जो इस दुखद घटना की जानकारी मिलने के बावजूद उन के यहां नहीं आया. तब उन्होंने बताया कि शाहबाद (रामपुर) में रहने वाली उन की बहन का बेटा राजीव सक्सेना उन के पास नहीं आया. वह केवल पोस्टमार्टम हाउस पर कुछ देर के लिए आया था. यहां तक कि वह अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुआ. जबकि वह शहर के ही मोहल्ला कटघर (मेहबुल्लागंज) में रहता है.

मोहल्ले वालों से भी पुलिस को पता चला कि राजीव सक्सेना अकसर अपने मामा रामबाबू सक्सेना के घर पर ही रहता था. यह जानकारी पुलिस के लिए खास थी कि जब राजीव सक्सेना अपने मामा के यहां रहता था तो मामी की हत्या की खबर मिलने के बाद भी वह और रिश्तेदारों की तरह उन के यहां क्यों नहीं आया. तीजे की रस्म खत्म होने के बाद पुलिस टीम 14 अगस्त, 2015 की शाम को शहर के मोहल्ला कटघर (मेहबुल्लागंज) पहुंच गई. वह वहां पर मिल गया. अपने घर पर पुलिस को देखते ही वह घबरा गया. पुलिस उसे थाने ले आई. थाने में वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उस से सरोज सक्सेना की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने आसानी से अपना अपराध स्वीकार कर लिया. फिर उस ने अपनी मामी सरोज की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

रामबाबू सक्सेना मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के सहसवान थाने के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव अकौराबाद के रहने वाले थे. गांव में रहने के बाद भी उन का परिवार सुशिक्षित था. उन के 2 भाई और थे. उन में से एक दिनेश सक्सेना उत्तर प्रदेश पुलिस में इंसपेक्टर हैं, जो आजकल बरेली जिले में तैनात हैं, जबकि दूसरे भाई श्यामबाबू सक्सेना बदायूं के एक ला कालेज में प्रोफेसर हैं. रामबाबू शर्मा भी उत्तर प्रदेश पुलिस में भरती हो गए थे. बाद में प्रमोशन से वह इंसपेक्टर हो गए. इन के परिवार में पत्नी सरोज सक्सेना के अलावा 2 बेटे थे. दोनों बेटों की वह शादी कर चुके हैं. बड़ा बेटा राजीव सक्सेना छत्तीसगढ़ पावर कार्पोरेशन में इंजीनियर है.

वह पत्नी और 2 बच्चों के साथ वहीं रहता है. जबकि छोटा बेटा संदीप सक्सेना बरेली के पास मीरगंज स्थित एक शुगर मिल में इंजीनियर है. वह भी पत्नी व 2 बच्चों के साथ बरेली में रहता है.  पैरालाइसिस हो जाने के बाद से इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना के हाथपैर ठीक से काम नहीं करते थे, इसलिए उन की पत्नी सरोज उन्हें खाना खिलाने, कपड़े पहनाने, नहाने आदि में उन का सहयोग करती थीं. उन्होंने घर के काम करने के लिए नौकरानी रखने की बात कई बार पत्नी से कही, लेकिन सरोज ने मना कर दिया. रामबाबू सक्सेना ने मुरादाबाद के चंद्रनगर कालोनी में एक आलीशान मकान बना रखा था, जहां वह पत्नी के साथ रहते थे. शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने की वजह से उन की तैनाती एसएसपी कार्यालय में कर दी गई थी.

वैसे वह शहर की ही कांशीराम कालोनी में स्थित एक डाक्टर के पास फिजियोथेरैपी के लिए जाते थे, जिस से उन्हें कुछ फायदा भी हो रहा था. राजीव सक्सेना इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना का सगा भांजा था. वैसे वह शाहबाद (रामपुर) का रहने वाला था, लेकिन बचपन से ही वह मुरादाबाद में ही रहा है. यहीं से उस ने अपनी पढ़ाई की थी. उस का रामबाबू सक्सेना से ज्यादा लगाव था. इस की वजह यह थी कि उन्होंने उस की पढ़ाईलिखाई में काफी सहयोग किया था. वह अकसर उन के यहां आताजाता था. सक्षम होने की वजह से रामबाबू कभीकभी राजीव की पैसों से मदद कर दिया करते थे.

पढ़ाई पूरी करने के बाद राजीव सक्सेना एक दवा कंपनी में मैडिकल रिप्रिजेंटेटिव बन गया था. लेकिन करीब 4 साल पहले उस की यह नौकरी छूट गई. जिस से वह परेशान रहने लगा. बेरोजगार होने के बाद राजीव सक्सेना पर करीब 80 हजार रुपए कर्ज हो गया था. कहते हैं कि खाली समय में परेशान इंसान के दिमाग में ऊलजुलूल विचार आते हैं. कुछ लोग उन विचारों को अनुसरण कर लेते हैं, जिस से वही विचार उन के लिए दुखदाई बन जाते हैं. घटना के कुछ दिनों पहले राजीव ने इंसपेक्टर रामबाबू सक्सेना को अपनी परेशानी और कर्ज से लदे होने की पीड़ा बताई थी. उस ने कहा था कि जिन लोगों का कर्ज है, वह उसे परेशान और बेइज्जत करते हैं. उस ने मामा से 50 हजार रुपए मांगे और कहा कि जब नौकरी लग जाएगी तो वह उन के पैसे लौटा देगा.

तब रामबाबू सक्सेना ने उस से कहा, ‘‘राजीव मैं इस बारे में तुम्हारी मामी से बात करूंगा. अगर उस के पास पैसे होंगे तो मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा.’’

10 अगस्त, 2015 को राजीव सक्सेना पैसे के लिए अपने मामा के घर पहुंचा. उस समय घर पर मामी सरोज ही थी. राजीव ने उन से कहा, ‘‘मामी मेरी मामा से बात हो गई है, आप मुझे 50 हजार रुपए दे दोगी तो बड़ी मेहरबानी होगी.’’

‘‘तेरे मामा ने मुझ से इस बारे में कोई बात नहीं बताई है. मैं उन से पूछ लूं, वह कह देंगे तो मैं पैसे दे दूंगी.’’ सरोज ने कहा.

मामी का जवाब सुन कर राजीव निराश हो कर घर लौट गया. अगले दिन 11 अगस्त, 2015 को राजीव सक्सेना फिर से अपनी मामी के घर यह सोच कर चला गया कि रात को मामी ने मामा से इस बारे में बात कर ली होगी. इस बार भी घर पर सरोज ही मिली. उस ने फिर से अपनी समस्या बताते हुए मामी से 50 हजार रुपए की डिमांड की तो सरोज ने साफ मना करते हुए कहा, ‘‘देखो राजीव, इस समय घर में पैसे नहीं हैं. तेरे मामा के इलाज पर काफी पैसे खर्च हो रहे हैं. सारी तनख्वाह ऐसे ही खर्च हो जाती है. अब उन्हें इलाज के लिए दिल्ली भी ले जाना है. वहां भी पता नहीं कितना खर्च आएगा. अब हमें अपना खर्च चलाना ही मुश्किल हो रहा है.

तुझे मालूम ही है कि तेरे मामा ने बच्चों की पढ़ाईलिखाई और उन की शादी में कितना पैसा खर्च किया था. अपाहिज हो कर भी वह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. जब वह ड्यूटी से वापस आएंगे तो मैं उन से बात करूंगी. जैसा वे कहेंगे कर दूंगी.’’

इस पर राजीव ने कहा कि देखो मामी तुम अलमारी खोल कर मुझे 50 हजार रुपए दे दो. मेरी मामा से बात हो गई है.

बात करतेकरते ही सरोज ने फ्रिज से बोतल निकाल कर राजीव को एक गिलास पानी पीने को दे दिया.

बाद में वह चाय बनाने के लिए किचन में चली गई. उन्होंने सौस पैन में 2 कप पानी भी रख दिया तभी राजीव पीछेपीछे किचन में पहुंच गया. उस ने बिना किसी संकोच के मामी का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘मामी, अगर तुम ने आज मुझे पैसे नहीं दिए तो अनर्थ हो जाएगा.’’

राजीव की इस हरकत पर सरोज गुस्से में बोलीं, ‘‘यह क्या बदतमीजी है? क्या अनर्थ हो जाएगा, तू हट्टाकट्टा है. कोई काम क्यों नहीं करता. और तेरी मजाल मेरा हाथ पकड़ने की कैसे हुई? चल पीछे हट. बड़ा आया पैसे लेने वाला.’’

उस समय राजीव के सिर पर खून सवार था. सरोज चाय छोड़ कर ड्राइंगरूम में आ गई. राजीव सरोज पर भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ा. वह लातघूसों से मामी पर प्रहार करने लगा. अपना बचाव करते हुए वह राजीव को धक्का दे कर अपनी जान बचाने के लिए बैडरूम की तरफ भागी कि वहां जा कर वह बैडरूम बंद कर लेगी. राजीव नीचे गिर चुका था. वह खुद को संभालते हुए उठ खड़ा हुआ. तब सरोज ने घर में रखी टौर्च से उस पर किया था. इस के बाद सरोज तुरंत बैडरूम का दरवाजा बंद करने लगी, लेकिन बैडरूम के दरवाजे में रस्सी बंधी हुई थी, जिस से दरवाजा बंद नहीं हो सका.

इतनी देर में राजीव भी बैडरूम में पहुंच गया. वह फिर से मामी से गुत्थमगुत्था हो गया. सरोज ने अपना बचाव करते हुए राजीव के बाल पकड़ लिए और नाखूनों से उस का मुंह नोच लिया, जिस से उस के नाखूनों में स्किन के टुकड़े फंस गए थे. 53 साल की सरोज भला एक जवान युवक का सामना कैसे कर सकती थीं. अंत में राजीव उन्हें बैड पर लिटा कर उन के सीने पर बैठ गया. तब सरोज ने उस के सामने हाथ जोड़ते हुए जीवन की भीख मांगी और कहा, ‘‘राजीव मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हें पैसे दिलवा दूंगी.’’

मगर राजीव पर खून सवार था. बोला कि मामी अब बहुत देर हो चुकी है. तुझे छोड़ने का मतलब है खुद को फांसी के फंदे तक पहुंचाना. इस के बाद उस ने उन का गला दबोच लिया. वह सरोज का गला तब तक दबाए रखा जब तक उन के प्राण निकल नहीं गए. जब राजीव ने देख लिया कि वह मर चुकी है तो वह पलंग के गद्दों को उलटपलट कर सेफ की चाबियां ढूंढने लगा. जब उसे सेफ की चाबियां नहीं मिलीं तो उस ने घर में रखा टीवी चालू कर के उस की आवाज बढ़ा दी और सेफ के कुंडों को तोड़ने लगा, ताकि उस में रखी नगदी, ज्वैलरी आदि को वह ले जा सके. ऐसा करने से कुंडे मुड़ जरूर गए, लेकिन खुले नहीं.

सेफ नहीं खुली तो वह दबे पांव वहां से बाहर आ गया. फिर औटो पकड़ कर वह कटघर में अपने कमरे पर आ गया. राजीव सक्सेना से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. लोगों को जब पता चला कि राजीव ही मामी का हत्यारा है तो लोग दांतों तले अंगुली दबा गए. Crime Story

 

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