Hindi crime story: अय्याश कुंदन कुमार को कमउम्र की लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने का शौक तो लग ही गया था, दुर्भाग्य से उसे उन के साथ अपने संबंधों की फिल्म बना कर देखने का भी चस्का लग गया था. उस के इसी शौक ने उसे उस की असली जगह तक पहुंचा दिया. पहाड़ों की रानी कहलाने वाले पर्यटनस्थल शिमला के रहने वाले थे सेठ दसौंधामल. मूलरूप से जिला कांगड़ा के गांव काशनी के रहने वाले दसौंधामल ने बरसों पहले शिमला में हार्डवेयर का व्यापार शुरू किया था. उन का यह धंधा इतना बढि़या चला कि उन्होंने शिमला में अपार ख्याति और संपत्ति अर्जित की.

दसौंधामल के परिवार में पत्नी कंचनबाला के अलावा एक बेटा और 6 बेटियां थीं. बेटियों को पढ़ालिखा कर उच्च घरानों में उन की शादियां कर दी गईं, जिन में से 3 तो आज विदेशों में रह रही हैं. 6 बेटियों के बाद एकलौता बेटा था कुंदन कुमार. पढ़लिख कर वह इंडियन एयरफोर्स में पायलट औफिसर बन गया था. साल भर बाद ही मैडिकल ग्राउंड पर नौकरी छोड़ दी और अपने पुश्तैनी धंधे में पिता का हाथ बंटाने के साथसाथ शिमला स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से बीए करने लगा. दौरान दिल्ली निवासी मधुपलाल की उच्चशिक्षित बेटी मालारानी से कुंदन कुमार की शादी हो गई, जिस से उसे 3 बेटियां और एक बेटा हुआ.

कहते हैं, जब तक दसौंधामल जिंदा थे, तब तक तो उस पर अंकुश रहा. पिता के मरते ही उस के पंख निकल आए. पैसों का लेनदेन और पूरा कारोबार अब उस के हाथों में था. उस के पास इतना पैसा था कि दोनों हाथों से लुटाता तो भी खत्म होने वाला नहीं था. जमेजमाए कारोबार के अलावा दसौंधामल इतनी प्रौपर्टी छोड़ गए थे कि उस का किराया ही हर महीने लाखों में आता था. इस सब के अलावा कुंदन कुमार की पत्नी मालारानी ऊंचे ओहदे पर सरकारी नौकरी में थीं. उन्हें भी वेतन में मोटी रकम मिलती थी. इसलिए पैसों के लिए उन्हें कभी पति की ओर देखने की जरूरत नहीं थी. 4 बच्चे होने के बाद वह उन का भविष्य संवारने में व्यस्त हो गई थीं.

पिता का अंकुश हटते ही कुंदन क्लबों की रंगीनियों में खोया रहने लगा था. इस के बाद उस की अय्याशी के तार देहधंधा करने वाली औरतों से जुड़ गए. इसी के साथा उस ने कमउम्र की लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाने का शौक पाल लिया. बढ़ती उम्र में यौन क्षमता बढ़ाने के लिए वह दवाओं का सहारा ले रहा था. कामवासना से कभी उस का जी नहीं भरता था, इसलिए बिजनैस को नौकरों के सहारे छोड़ कर वह सिर्फ लड़कियां पटाने के तरीके सोचा करता था. धंधेबाज औरतों से मौजमस्ती से जी भर गया तो नौकरी का लालच दे कर कुंदन ने न जाने कितनी लड़कियों को बरबाद किया.

ऐसे में उसे न जाने क्या सूझी कि 4 लड़कियों के साथ के शारीरिक संबंध की उस ने फिल्में बना लीं. इन में एक लड़की अनु थी, जिस के साथ बनाई गई ब्लूफिल्म ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. उस समय यह मामला अखबारों में खूब उछला था. शहर का हर अखबार इस मामले से जुड़ी खबरों से भरे होते थे. उन दिनों शिमला के एडीशनल एसपी थे कुंवर वीरेंद्र सिंह. कुंदन के इस मामले की विवेचना का जिम्मा उन्हें ही सौंपा गया था. यह मामला पुलिस से पहले मीडिया के पास पहुंच गया था. स्थानीय अखबारों में एक समाचार जोरोंशोरों से छप रहा था कि शिमला के बाजारों में एक अश्लील सीडी धड़ल्ले से बिक रही है, जिस में शहर के एक प्रतिष्ठित घराने के बूढ़े को एक नवयौवना से यौनाचार करते दिखाया गया है.

समाचारों में नीचे यह भी लिखा होता था कि वह बूढ़ा काफी प्रभावशाली है, इसलिए पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर रही है. पुलिस के लिए परेशानी की बात यह थी कि इस मामले में किसी ने कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई थी. बिना शिकायत के पुलिस किसी के खिलाफ क्या और कैसे काररवाई कर सकती थी. फिर भी सीआईडी के तत्कालीन आईजी आई.डी. भंडारी ने उन खबरों को गंभीरता से लेते हुए मामले की गहराई में जाने की जिम्मेदारी सीआईडी स्पैशल ब्रांच के इंसपेक्टर कुशल कुमार को सौंप दी. कुशल कुमार ने अखबार वालों से संपर्क कर खूब दौड़भाग की. मामले की गहराई में जाने के लिए उन्होंने दिनरात एक कर दिया. जांच के लिए वह सीडी जरूरी थी. बाजार में सीडी होने की चर्चा तो खूब थी, लेकिन वह सीडी कुशल कुमार के हाथ नहीं लगी. 3 दिन इसी तरह निकल गए.

चौथे दिन संयोग से किसी अनजान आदमी ने उन्हें फोन कर के बताया, ‘‘सर, आप जिस सीडी के लिए दिनरात परेशान हो रहे हैं, उस की एक कौपी रिज के पास टका बैंच पर रखी है. आप उसे देख कर छानबीन करें तो सारी असलियत सामने आ जाएगी. आप से आग्रह है कि मेरे बारे में पता लगाने की कोशिश मत कीजिएगा.’’

अंधा क्या चाहे, 2 आंखें. कुशल कुमार तुरंत रिज मैदान पहुंच गए. टका बैंच पर उन्हें दीवार के पास कागज का पुराना सा लिफाफा दिखाई दिया. उठा कर देखा तो उस में सीडी थी. अपने औफिस आ कर कंप्यूटर पर उन्होंने उस सीडी को चलाया. सीडी में 15 मिनट की अश्लील फिल्म थी, जिस में एक बूढ़ा एक लड़की के साथ शारीरिक संबंध बना रहा था. सीडी देखने के बाद कुशल कुमार उसे ले कर आईजी श्री भंडारी के पास गए. सीडी देख कर उन्होंने शिमला के पुलिस अधीक्षक जोगराज ठाकुर को एफआईआर दर्ज कर के तत्काल काररवाई करने के आदेश दे दिए.

जोगराज ठाकुर ने कुशल कुमार की ओर से एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति कर के मामले की फाइल थाना सदर भेज दी. इसी के साथ एडीशनल एसपी कुंवर वीरेंद्र सिंह को इस मामले की विवेचना की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. थाना सदर के थानाप्रभारी इंसपेक्टर बृजेश सूद ने भादंसं की धारा 292 के तहत मुकदमा दर्ज कर के इस मामले की जांच अतिरिक्त थानाप्रभारी गोबिंदराम को सौंप दी थी. गोबिंदराम ने सब से पहले शहर के कुछ गणमान्य लोगों को बुला कर उन के सामने उस सीडी को चला कर दिखाया. इस का उद्देश्य ब्लूफिल्म के नायक की पहचान करना था. आखिर उस आदमी की पहचान हो गई. वह कोई और नहीं, कुंदन कुमार था.

उन लोगों ने बताया कि इस की गिनती शहर के प्रमुख कारोबारियों में होती है. इस की पत्नी सरकारी अधिकारी है और इस के बच्चे इंग्लैंड, अमेरिका में पढ़ रहे हैं. सीडी की अश्लील फिल्म के नायक की पहचान हो जाने के बाद पुलिस टीम ने कुंदन कुमार के भव्य निवास पर छापा मारा. उस समय घर पर नौकर मोतीलाल के अलावा और कोई नहीं था. पुलिस ने उसे थाने ला कर गहन पूछताछ की. इस पूछताछ में मोतीलाल ने बताया कि उस का मालिक शराब और शबाब का शौकीन है. पैसे की उसे कोई कमी नहीं है. शिमला में प्रौपर्टी से ही उसे लाखों रुपए महीने किराया आता है. उस की उम्र काफी हो गई है, लेकिन बिना मेहनत के आने वाले पैसों की वजह से इस उम्र में भी उस की आदतें खराब हैं.

मोतीलाल को जब सीडी की फिल्म दिखाई गई तो उस ने उस फिल्म के बूढ़े नायक की पहचान अपने मालिक कुंदन कुमार के रूप में कर दी. लड़की के बारे में उस ने कहा, ‘‘अरे यह तो अनु है. यह साहब के औफिस में नौकरी करती थी.’’

‘‘इस समय यह कहां है?’’ मोतीलाल से पूछा गया.

‘‘अब कहां है, यह मुझे पता नहीं. क्योंकि इस ने साहब के यहां से नौकरी छोड़ दी है.’’ मोतीलाल ने कहा.

इस के बाद मोतीलाल को यह संदेश दे कर छोड़ दिया गया कि वह अपने साहब से कह देगा कि वह खुद थाने आ कर पुलिस जांच में शामिल हो जाए तो ज्यादा ठीक रहेगा, वरना उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इस का असर यह हुआ कि पुलिस का संदेश मिलते ही कुंदन कुमार अपने वकील के साथ थाना सदर आ पहुंचा. पुलिस ने उसे उस की ब्लूफिल्म दिखाते हुए उस के बारे में स्पष्टीकरण मांगा तो उस ने कहा, ‘‘अनु मेरे औफिस में नौकरी करती थी. अपनी खूबसूरती के जाल में फंसा कर वह मुझ से पैसे ऐंठती थी. उस के फरेब में आ कर मैं उस के हुस्न के जाल में फंस गया था. जब भी मौका मिलता था, हम संबंध बना लेते थे.

कभीकभी औफिस में भी यह सब हो जाता था. एक दिन मेरे मन में न जाने क्या आया कि मैं ने वैब कैमरे से यह फिल्म बना ली.’’

‘‘फिल्म की सीडी मार्केट में कैसे आई?’’ पुलिस ने पूछा तो जवाब में कुंदन ने कहा, ‘‘कुछ दिनों पहले मेरा कंप्यूटर खराब हो गया था. मिडिल बाजार में मुकेश की कंप्यूटर रिपेयर की दुकान है. अपना कंप्यूटर ठीक करवाने के लिए मैं ने उसे अपने घर बुलवाया. लेकिन घर में कंप्यूटर ठीक नहीं हुआ तो वह सीपीयू अपने साथ ले गया.’’

इतना कह कर कुंदन ने पानी मांगा. 2 गिलास पानी पीने के बाद उस ने आगे कहा, ‘‘अगले दिन मैं मुकेश की दुकान पर गया तो उस ने कहा कि हार्डडिस्क क्रैश हो गई है, इसलिए बदलनी पड़ेगी. मेरे कहने पर उस ने हार्डडिस्क बदल दी. पुरानी हार्डडिस्क उस के पास ही रह गई. मुझे लगता है कि पुरानी हार्डडिस्क को नई में लोड करते समय उस ने मेरी इस फिल्म को देख लिया. उस के बाद पैसा कमाने के लिए उस की सीडी बना कर बाजार में पहुंचा दिया.’’

बृजेश सूद ने कुंदन को अपनी बातों में उलझा लिया और गोबिंदराम 2 सिपाहियों को साथ ले कर कुंदन कुमार की पुरानी हार्डडिस्क बरामद करने मुकेश की दुकान पर जा पहुंचे. कुछ देर बाद आ कर उन्होंने बताया कि दुकान बंद है. लेकिन उन्होंने दुकान सील कर के अपने दोनों सिपाही वहां बैठा दिए हैं. इस के बाद एडीशनल एसपी कुंवर वीरेंद्र सिंह के आदेश पर पुलिस ने कुंदन कुमार के औफिस और घर को सील कर दिया. अगले दिन 2 पार्षदों की उपस्थिति में मुकेश की दुकान खुलवाई गई. कुंदन कुमार भी पुलिस के साथ वहां मौजूद था. उस से दुकान में मिली हार्डडिस्कों से अपनी हार्डडिस्क पहचानने को कहा गया. उस ने इधरउधर देख कर कहा, ‘‘मेरी हार्डडिस्क दुकान में नहीं है.’’

मुकेश भी वहां मौजूद था. जब उस से कहा गया तो उस ने दुकान से 3 हार्डडिस्कें निकाल कर पुलिस के हवाले करते हुए कहा कि ये तीनों हार्डडिस्कें कुंदन कुमार की हैं. साथ ही उस ने यह भी कहा कि उसे नहीं पता कि इन सब में क्या था. उस ने इन के अंदर ताकझांक करने की कोई कोशिश नहीं की थी. पुलिस ने तीनों हार्डडिस्कें कब्जे में ले कर मुकेश की दुकान की गहन तलाशी ली. दुकान में कोई भी आपत्तिजनक चीज नहीं मिली. इस के बाद पुलिस ने कुंदन कुमार के औफिस की तलाशी ली, जहां पुलिस को पुरानी हार्डडिस्कें तो मिली हीं, 87 सीडीज और 25 फ्लौपीज भी मिलीं. जब उन सब को देखा गया तो उन सभी में अश्लील फिल्में थीं. यही नहीं, 4 ब्लूफिल्मों का हीरो खुद कुंदन कुमार था.

अनु के अलावा 3 अन्य लड़कियों के साथ भी उस ने अश्लील फिल्में बना रखी थीं. जिन फिल्मों में कुंदन कुमार खुद हीरो था, उन्हें देख कर साफ लग रहा था कि उन्हें औफिस में ही बनाया गया था. इसलिए फिल्म में दिखाई देने वाला सामान यानी चादर, कुशन, गिलाफ, तकिए और गिलासों के अलावा लकड़ी का वह छोटा सा दीवान भी कब्जे में ले लिया गया, जिस पर शारीरिक संबंध बनाया गया था. इसी के साथ कुंदन कुमार की निशानदेही पर उस के घर से वे कपड़े भी बरामद कर लिए गए थे, जिन्हें उस ने शारीरिक संबंध बनाने से पहले पहन रखे थे. बाद में तो उस ने कपड़े उतार दिए थे. कुंदन चूंकि गंजा था, जवान लड़की को शायद यह बात खल जाती, इसलिए पूरे कपड़े उतारने के बाद भी उस ने सिर पर आकर्षक कैप पहन रखी थी. वह कैप भी पुलिस ने जब्त कर ली थी.

सारी चीजों को कब्जे में लेने के बाद पुलिस ने कुंदन कुमार को थाने ला कर पूछताछ शुरू की. इस पूछताछ में उस ने यह तो खुलासा कर दिया कि वह शराब और शबाब का शौकीन था, खासकर कमउम्र की लड़कियों के साथ उसे बहुत मजा आता था. इसी के साथ उस की एक कमजोरी भी सामने आई कि अकसर वह कमउम्र लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाते समय वैब कैमरे से उन की फिल्में बना लिया करता था. इस के लिए उस ने अपने औफिस के निजी कमरे में एक वैबकैम लगवा रखा था. बाद में वह अपनी उन फिल्मों को देख कर रोमांचित होता था.

कुंदन कुमार ने अपनी सारी कमजोरियों को बता कर अपना अपराध स्वीकार कर लिया था, लेकिन किसी भी लड़की के बारे में उस ने कुछ नहीं बताया था. शायद बताना नहीं चाहता था. उस ने पुलिस से कहा, ‘‘ये पेशेवर लड़कियां थीं, जो पैसे के लिए मेरे पास आती थीं. खायापिया, मुझे खुश करने का पैसा लिया और चलती बनीं.’’

‘‘लेकिन अनु तो तुम्हारे यहां नौकरी करती थी?’’ पुलिस ने पूछा.

‘‘जी, मैं ने उसे नौकरी पर रखा था, लेकिन वह भी अन्य लड़कियों की तरह पैसे ऐंठने के लिए खुशीखुशी मेरे साथ संबंध बनाने को राजी हो गई थी.’’ कुंदन कुमार ने कहा.

‘‘वह सब छोड़ो, फिलहाल यह बताओ कि अनु जब नौकरी करने आई थी तो उस का बायोडाटा तो तुम ने लिया ही होगा?’’ पुलिस ने थोड़ा सख्त लहजे में पूछा.

कुंदन कुमार ने घबरा कर कहा, ‘‘जी हां, लिया था.’’

इस के बाद पुलिस कुंदन कुमार को उस के औफिस ले गई और अनु का बायोडाटा बरामद कर लिया. उस पर उस का फोटो लगा था. फोटो में वह वाकई निहायत खूबसूरत लग रही थी. वह कस्बा रहेड़ू की रहने वाली थी. बायोडाटा से उस का पता ही नहीं, फोन नंबर भी मिल गया था. पुलिस ने उस नंबर पर फोन किया तो फोन अनु के पिता ने रिसीव किया. उन्होंने बताया कि अनु पिछले कई दिनों से कहीं गई हुई है. कहां गई है, इस बारे में वह कुछ नहीं बता पाए. पुलिस ने अनु की तलाश में अपना पूरा जाल बिछा दिया. इसी के साथ उस के घर वालों के अलावा कुंदन कुमार पर पुलिसिया शिकंजा कसा गया तो 2 दिनों में सोलन जिले के कनलख कस्बा के एक घर में अनु मिल गई. पिछले कुछ दिनों से वह वहां छिप कर रह रही थी.

शिमला ला कर पुलिस ने अनु से पूछताछ की तो अनु ने बताया कि एक भाई और 3 बहनों में वह सब से बड़ी थी. 12वीं पास करने के बाद वह पुलिस में भरती हो गई. लेकिन वहां दिल नहीं लगा तो जल्दी ही उस ने वह नौकरी छोड़ दी. इस के बाद वह किसी औफिस में नौकरी तलाश करने लगी. इस के लिए उस ने कंप्यूटर कोर्स भी कर लिया था. एक दिन उसे उस की एक सहेली ने कुंदन कुमार के बारे में बता कर कहा कि उसे औफिस में काम करने के लिए एक लड़की की जरूरत है. कुंदन कुमार के औफिस जा कर अनु उस से मिली तो उस ने उस का बायोडाटा और फोटो लेने के अलावा उस का इंटरव्यू भी लिया. इस के बाद उस से कहा कि वह एक हफ्ते बाद आ कर मिले. हफ्ते भर बाद अनु गई तो उसे अगले हफ्ते आने को कहा.

महीना भर इसी तरह टरकाने के बाद एक दिन कुंदन कुमार ने कहा, ‘‘ऐसा है बेटा, तुम्हारी परफौरमेंस तो अच्छी नहीं है, फिर भी मैं तुम्हें नौकरी पर रखने के बारे में सोच रहा हूं.’’

‘‘थैंक्यू सर,’’ अनु ने चहकते हुए कहा, ‘‘आप ने मुझे यह नौकरी दे दी न सर तो देखिएगा, आप को मेरी तरफ से शिकायत का कोई मौका नहीं मिलेगा. मुझे नौकरी की जरूरत तो है ही, इस के अलावा मैं अपनी मेहनत से जिंदगी में कुछ बनना चाहती हूं.’’

कुंदन कुमार उठे और अनु की पीठ थपथपा कर बोले, ‘‘मैं तुम्हारी भावना से बहुत खुश हूं बेटी. लेकिन पहले मेरी एक बात ध्यान से सुन लो. अभी मैं तुम्हें रैग्युलर नौकरी पर न रख कर ट्रेनी के रूप में रखूंगा. 3 महीने तुम्हें औफिस के कामों की, कंप्यूटर की, सेल्स टैक्स व इनकम टैक्स संबंधी रिटर्न भरने और चुस्तदुरुस्त बनी रहने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस बीच तुम्हें 12 सौ रुपए महीने मिलेंगे. इस बीच तुम ने बढि़या काम किया तो तुम्हारी नौकरी रैग्युलर कर के तुम्हें 5 हजार रुपए महीने तनख्वाह दी जाएगी. हर साल 5 सौ रुपए का इन्क्रीमेंट के अलावा हर साल दीवाली पर 1 महीने की तनख्वाह बोनस में मिला करेगी.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छा है सर.’’

‘‘नहीं, अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई. पहले पूरी बात सुन लो.’’

‘‘देखो, तुम्हारा जो ट्रेनिंग पीरियड है, अगर यह संतोषजनक नहीं रहा तो तुम्हें नौकरी से हटा दिया जाएगा या फिर 3 महीने के लिए तुम्हारा ट्रेनिंग पीरियड और बढ़ा दिया जाएगा. अब फैसला तुम्हें करना है.’’

अनु कुछ देर सोचती रही, फिर बोली, ‘‘ठीक है सर, मुझे मंजूर है.’’

इस के बाद अनु मालरोड स्थित कुंदन कुमार के औफिस में नियमित ड्यूटी पर जाने लगी. औफिस में जहां कुंदन कुमार बैठता था, वहीं बगल में कंप्यूटर टेबल रखी थी. उसी पर अनु को बैठना था. वहीं बगल में दीवार से सटा कर छोटा सा दीवान रखा था, जिस पर लेट कर कुंदन कुमार आराम किया करता था. औफिस में कोई खास काम तो था नहीं, लिहाजा कुंदन कुमार बैठा अनु से गप्पें हांकता रहता था. कभीकभी उसे औफिस के कामों के बारे में समझाने बैठ जाता. वह जब भी बैंक में पैसा जमा करने अथवा निकलवाने के लिए जाता, अनु को भी साथ ले जाता. रुपए भी वह उसी से गिनवाता.

औफिस में छोटा सा किचन था. उस में रखे फ्रिज में कई तरह के जूस मौजूद रहते थे. चाय बनाने की भी व्यवस्था थी. कुंदन का जब भी मन होता, अनु से चाय बनवा कर अथवा फ्रिज से जूस मंगवा कर पीता. उस ने अनु से भी कह रखा था कि जब भी उस का मन हो, वह चाय या जूस पी लिया करे. इसी तरह 2 महीने बीत गए. एक दिन कुंदन कुमार बाहर से आया. उस समय अनु कंप्यूटर पर गेम खेल रही थी. कुंदन ने आते ही उस के गाल को गर्मजोशी से चूम कर कहा, ‘‘आज मैं बहुत खुश हूं अनु.’’

अनु ने उस की बात पर ध्यान न देते हुए कुंदन पर सख्त ऐतराज जताते हुए कहा, ‘‘मुझे आप से यह उम्मीद नहीं थी सर. आप ने मुझे किस कर के बहुत गलत किया. आप को ऐसा हरगिज नहीं करना चाहिए था.’’

कुंदन कुमार ने भी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं ने तुम्हारा गाल चूम लिया तो कौन सा गजब कर दिया. मुझे एक खुशखबरी मिली थी. इसी वजह से खुश हो कर मैं ने तुम्हें अपनी बेटी की तरह किस कर लिया. इस का तुम्हें बुरा लगा तो आगे से मैं ध्यान रखूंगा.’’

अनु के बताए अनुसार, यह बात आईगई हो गई. उसे भी लगा कि शायद कुंदन अपनी जगह ठीक था. वैसे भी उम्र में वह उस के पिता से भी कहीं ज्यादा का था. इसलिए अनु ने उस की ओर से अपना मन साफ कर लिया. मगर इस के लगभग 10 दिनों बाद कुंदन ने अचानक अनु को अपनी बांहों में कस कर भींच लिया. इस बार अनु ने पहले से भी कहीं ज्यादा सख्त लहजे में ऐतराज जताया. यहां तक कि नौकरी छोड़ देने की धमकी भी दी. कुंदन ने इस बार भी उसे यह कह कर मना लिया कि उस की शक्ल हूबहू उस की बेटी जैसी है. जिस तरह ज्यादा खुश होने पर वह अपनी बेटी को बांहों में ले कर प्यार करता था, उसी तरह उस से भी कर बैठा.

इसी के साथ कुंदन कुमार ने कान पकड़ कर अनु से माफी भी मांगी. हालांकि जिस तरह कुंदन कुमार ने अनु को अपनी बांहों में भर कर भींचा था, हर तरह से ऐतराज वाली बात थी. इस के बाद भी कुंदन की बात पर भरोसा कर के अनु ने इस बार भी उस की गलती माफ कर दी थी. कुछ दिनों बाद तो हद ही हो गई. कुंदन कुमार अनु को ले कर बैंक गया था. वहां से कोई फाइल लेने का बहाना कर के उसे अपने घर ले गया. उस समय घर में कोई नहीं था. ताला खोलने के बाद कुंदन कुमार ने उसे ले जा कर एक ऐसे कमरे में बैठा दिया, जहां कंप्यूटर लगा था. उस पर सीडी लगा कर वह बोला, ‘‘मैं अभी आया, तब तक तुम यह फिल्म देखो.’’

इस के बाद वह कमरे से चला गया. अनु ने कंप्यूटर स्क्रीन पर नजरें जमा दीं. कुछ देर में फिल्म चलने लगी. कंप्यूटर स्क्रीन पर जो दृश्य उभरे, उन्होंने अनु के होश उड़ा दिए. वह एक ब्लूफिल्म थी. फिल्म के अश्लील दृश्यों को देख कर अनु घबरा गई, उस का हलक सूख गया. उसे कुछ नहीं सूझा तो वह दरवाजा खोल कर भागी. इस के बाद अनु ने कुंदन कुमार के यहां नौकरी पर जाना बंद कर दिया. वह अपनी तनख्वाह भी लेने नहीं गई. कुंदन कुमार ने भी उस से संपर्क करने की कोशिश नहीं की. इसी तरह करीब 2, ढाई महीने बीत गए. इस बीच अनु कहीं और नौकरी तलाश करती रही, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

संयोग से एक दिन लोअर बाजार में कुंदन कुमार से अनु की मुलाकात हो गई. कुंदन कुमार उस की बांह पकड़ कर एक किनारे ले गया और वात्सल्य भरे लहजे में उस के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, ‘‘मुझे गलत न समझ बेटी, उस दिन मैं ने तुम्हारे लिए अपनी ओर से वह हिंदी फिल्म लगाई थी, जो उस सुबह ही मैं ने देखी थी. मुझे इस बात की जरा भी जानकारी नहीं थी कि उस सीडी में ब्लूफिल्म है. मेरा यकीन करो बेटी, इस में मेरा जरा भी कुसूर नहीं है.’’

‘‘कुसूर नहीं है तो इस तरह की गंदी फिल्म घर पर ला कर रखी ही क्यों?’’ अनु ने तल्खी से कहा, ‘‘ऐसी फिल्में देखने के बाद, वह भी इस उम्र में, आप क्या समझते हैं कि आप अच्छे कैरेक्टर के मालिक होंगे, कतई नहीं.’’

‘‘अब तुम्हें कैसे समझाऊं बेटी. दरअसल हम जैसे हाईसोसायटी वालों के घरों में यह सब आम बात है. हमारे यहां बच्चे, औरतें सब इस तरह की फिल्में देख कर मनोरंजन करते हैं. तुम मिडिल क्लास की हो, इसलिए तुम्हें यह सब अजीब लग रहा है. उस दिन गलती से ब्लूफिल्म लग गई थी तो कंप्यूटर बंद कर देती या आवाज दे कर मुझे बुला लेती. तुम तो सिर पर पांव रख कर ऐसे भागी, जैसे कोई बम फट गया हो.’’

अनु कुंदन कुमार को बीचबीच में टोकने का प्रयास करती रही, लेकिन कुंदन उसे नजरअंदाज कर के अपनी बात कहता रहा. अंत में उस ने कहा, ‘‘अब मैं तुम्हें कभी बेटी भी नहीं कहूंगा. जब तुम्हें मेरे दिमाग में, मेरे काम में और मेरी हर हरकत में गंदगी ही दिखाई दे रही है तो फिर इस रिश्ते को बदनाम क्यों किया जाए. बस मेरी एक बात ध्यान से सुन लो अनु कि मैं आज भी तुम्हें अपनी बेटी की तरह ही मानता हूं.

‘‘मैं ने जानबूझ कर कोई गलती नहीं की. बेकसूर होते हुए भी मैं तुम्हारी नफरत का शिकार हो गया. अब इस की सजा मैं अपने आप को यह देना चाहता हूं कि तुम्हारे ट्रेनिंग पीरियड का वेतन 2 हजार रुपए महीने कर दूंगा. 3 महीने के बाद नौकरी रैग्युलर कर के तनख्वाह 8 हजार रुपए महीने और हर साल बोनस भी इतना ही दूंगा. ठीक लगे तो कल से औफिस आना शुरू कर दो. तुम्हारी सीट आज भी खाली है.’’

अपनी बात पूरी कर के कुंदन कुमार क्षण भर के लिए भी वहां नहीं रुका. तेज कदमों से चलता हुआ वह पलभर में अनु की नजरों से ओझल हो गया. अनु उस के झांसे में आ कर अगले दिन से उस के औफिस में काम करने लगी. कुछ दिन तो ठीकठाक बीते. एक दिन दोपहर को कुंदन कुमार ने फ्रिज से फ्रूटजूस के 2 टेट्रापैक निकाल कर एक उसे पीने को दिया और एक खुद पीने लगा. जूस पीते ही अनु पर नशा सा छाने लगा. जल्दी ही वह अर्धबेहोशी की हालत में पहुंच गई. कुंदन कुमार ने उसे उठा कर दीवान पर लिटा दिया. इस के बाद कपड़े उतार कर शारीरिक संबंध बनाने लगा.

अनु के साथ कुछ हो रहा है, इस बात की जानकारी तो उसे थी, लेकिन वह विरोध करने की स्थिति में नहीं थी. शाम 6 बजे वह होश में लौटी तो उसे उस सब का कुछकुछ याद आने लगा. उस ने इस बारे में कुंदन कुमार से पूछा तो उस ने उसे उस की ब्लूफिल्म दिखा दी. साथ ही धमकी दी कि इस सब के बारे में किसी को कुछ बताया तो वह उस की ब्लूफिल्म की सीडी बाजार में उतार देगा.  इस से अनु बुरी तरह डर गई. इस के बाद जब भी कुंदन कुमार का मन होता, उस से अपने मन की कर लेता. इस के एवज में वह उस की हर छोटीबड़ी जरूरत का ध्यान रखने लगा. वह सीडी बाजार में कैसे पहुंची, इस बारे में कुंदन कुमार और अनु ने कुछ भी मालूम होने से मना कर दिया. जैसे ही यह सब अखबारों में छपना शुरू हुआ, उस ने काफी पैसे दे कर अनु को छिपा दिया था.

अनु से पूछताछ के बाद कुंदन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के उस हवालात में बंद कर दिया गया. इस के बाद वह पुलिस को धमकियां देने लगा कि वह सभी पुलिस वालों को देख लेगा. लेकिन पुलिस के पास पुख्ता सबूत थे. इस पर भी वह खुद को बेकसूर बता रहा था, साथ ही कह रहा था कि उसे किसी साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. उस ने थाने की मैस का खाना खाने से इनकार कर दिया था. कह रहा था कि उस का खाना किसी बढि़या होटल से मंगवाया जाए. एडीशनल एसपी कुंवर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक वह यहां है, उसे यहीं का खाना मिलेगा. जैसेतैसे उस ने थोड़ा सा खाना खा लिया तो आधी रात में दिल का दौरा पड़ने का शोर मचाने लगा. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां चैकअप के बाद डाक्टरों ने उसे पूरी तरह स्वस्थ बताया.

अगले दिन पुलिस ने उसे न्यायिक दंडाधिकारी के सम्मुख पेश कर के 5 दिनों के कस्टडी रिमांड पर ले कर विस्तारपूर्वक पूछताछ की. रिमांड अवधि में भी वह कभी सीने में दर्द का तो कभी किसी और तरह की परेशानी का ढोंग कर के पुलिस वालों को अस्पतालों के चक्कर लगवाता रहा. आखिर उस की सारी नौटंकियां फ्लौप साबित हुईं. जैसेतैसे पुलिस रिमांड की अवधि समाप्त हुई और पुलिस ने उसे फिर से अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में जेल भिजवा दिया, जहां से उसे सजा सुनाए जाने तक जमानत नहीं मिली.

चार्जशीट दाखिल होने के बाद इस केस की सुनवाई 2 सालों तक चली. इस मामले में उसे 10 सालों की कैद की सजा हुई. सजा सुनाए जाने के समय विद्वान जज महोदय ने टिप्पणी करते हुए उसे लताड़ा था कि जिस लड़की से दुष्कर्म के आरोप में उसे यह सजा दी जा रही है, वह उस की बेटी से भी कम उम्र की थी. ऐसे में उस के इस घिनौने अपराध के प्रति देश की कोई भी अदालत नरम रवैया अपनाने के बारे में शायद ही सोच सके. खैर, पुलिस ने तो कुंदन को उस के अपराध की सजा दिला दी, लेकिन वह अश्लील सीडी बाजार में कैसे पहुंची, इस रहस्य की तह तक अंत तक नहीं पहुंच सकी और न ही उन 3 अन्य लड़कियों का पता लगा सकी, जिन के साथ कुंदन कुमार की अश्लील फिल्मों की कई सीडी बरामद हुई थीं.

इस मामले से मिडिल क्लास की उन बेरोजगार लड़कियों को सावधान हो जाना चाहिए, जिन्हें नौकरी देने के नाम पर नोचने के लिए इस तरह के कामुक भेडि़ए घात लगाए बैठे रहते हैं. Hindi crime story

—कथा में पात्रों के नाम बदले हुए हैं.

 

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