Domestic Dispute: इंसपेक्टर अमित कुमार की पत्नी दीपमाला ने अपनी छोटी बहन मधु और बहनोई दीपक के बीच बनी खटास को दूर करने की कोशिश की. लेकिन उन्हें क्या पता था कि रिश्तों का यह बदरंग चेहरा एक दिन उन के ही परिवार के लिए खौफनाक बन जाएगा.

अमित कुमार आबकारी विभाग में इंसपेक्टर थे, उन के पास अपनी कार थी. औफिस टाइम के बाद वह शाम 7 बजे तक उत्तमनगर स्थित अपने घर पहुंच जाते थे. उस दिन भी वह रोजाना की तरह 7 बजे घर पहुंच गए थे. कार गैरेज में खड़ी कर के उन्होंने पत्नी दीपमाला को फोन किया कि मार्केट से कुछ मंगाना तो नहीं है. पत्नी के फोन पर घंटी तो जा रही थी, लेकिन वह फोन नहीं उठा रही थी. अमित ने सीढि़यां चढ़तेचढ़ते उन्हें दोबारा फोन किया. लेकिन इस बार भी पत्नी ने फोन नहीं उठाया. उन का फ्लैट दूसरी मंजिल पर था. सीढि़यां चढ़ कर वह फ्लैट के दरवाजे पर पहुंच गए.

उन के फ्लैट का ताला बंद था. दरवाजे पर ताला लगा देख कर उन्होंने सोचा कि दीपमाला शायद बच्चों के साथ बाजार गई होंगी. दीपमाला के पास २ फोन थे. अमित ने दूसरे नंबर पर भी २ बार फोन किया, लेकिन दीपमाला ने फोन रिसीव नहीं किया. अमित कुमार दिल्ली के आईटीओ पर स्थित चीफ कमिश्नर एक्साइज एंड सर्विस टैक्स कार्यालय में इंसपेक्टर थे. इस से पहले उन की पोस्टिंग दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर थी. वहां से 4-5 महीने पहले ही उन का कमिश्नर औफिस में ट्रांसफर हुआ था. वह अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ उत्तमनगर के मोहनगार्डन  के जे ब्लौक के एक फ्लैट में किराए पर रह रहे थे. उन की गृहस्थी हंसीखुशी के साथ चल रही थी.

अमित के एक जानकार दीपक अरोड़ा थे, जो उसी बिल्डिंग में तीसरी मंजिल पर रहते थे. वह उन्हीं के घर जा कर बैठ गए. उन्होंने दीपक से अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. थोड़ी देर में दीपमाला घर लौट आएगी, यह सोच कर अमित कुमार  काफी देर तक  दीपक अरोड़ा और उन की पत्नी से बातें करते रहे. बीचबीच में वह पत्नी को फोन भी मिलाते रहे, लेकिन उन की बात नहीं हो पाई.  वह यह सोच कर परेशान हो रहे थे कि आखिर दीपा ऐसी कौन सी जगह गई है कि फोन तक रिसीव नहीं कर रही है. वह वहां बैठे जरूर थे, लेकिन उन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

हालांकि दीपक अरोड़ा उन्हें बारबार समझाने की कोशिश कर रहे थे कि चिंता न करें, वह थोड़ी बहुत देर में आ जाएंगी. मगर उन के दिल को तसल्ली नहीं हो रही थी. दीपक के घर एक घंटे तक इंतजार करने के बाद दीपक फिर अपने फलैट के दरवाजे पर आ गए. उन्होंने एक बार फिर से पत्नी का फोन मिलाया. इस बार भी उन्हें निराशा ही मिली. अमित को औफिस से लौटे हुए एक घंटे से ज्यादा हो चुका था. अगर दीपमाला बाजार गई होती तो उसे लौट आना चाहिए था. जब अंधेरा घिरने लगा तो अमित का धैर्य जवाब देने लगा. वह अपने फोन की टौर्च जला कर दरवाजे की जाली से कमरे में रौशनी डालते हुए आंख लगा कर कमरे में झांकने लगे.

टौर्च की रौशनी कमरे में अंदर तक पहुंच रही थी, क्योंकि मेन गेट का लकड़ी का दरवाजा खुला था. इस के अलावा अन्य कमरों के दरवाजे भी खुले दिखे. यह देख कर अमित चौंके, क्योंकि दीपा जब भी कहीं जाती थी, लकड़ी और जाली के दोनों दरवाजे बंद कर के जाती थी. ऐसे में अमित की परेशानी बढ़नी स्वभाविक थी. लेकिन समस्या यह थी कि  दरवाजे पर ताला लगा हुआ था और वह अंदर नहीं जा सकते थे. फ्लैट के पीछे वाली साइड बालकनी थी. बालकनी में पड़ोसी के फलैट  से जाया जा सकता था. अमित को परेशान देख कर उन के पड़ोसी भी आ गए थे, अमित का दिल नहीं माना तो वह पड़ोसी के फलैट से हो कर अपने फलैट की बालकनी में पहुंच गए.

फलैट में अंधेरा था. मोबाइल टौर्च की मदद से वह लाइटें जलाने के  लिए स्विच बोर्ड के पास जा रहे थे कि तभी उन्हें बाथरूम के बाहर खून के निशान दिखाई दिए. घर में खून देखकर वह चौंक गए. किचन के साथ बाथरूम था. उस बाथरूम के बराबर में एक बैडरूम था. इस के अलावा एक और बैडरूम था, जिस में बाथरूम अटैच्ड था. इस बैडरूम की अलग से एक लौबी थी. घर में खून कहां से आया, जानने के लिए अमित ने बाथरूम की लाइट जलाई. लाइट जलते ही उन की चीख निकल गई, क्योंकि वहां उन के 9 वर्षीय बेटे सक्षम की लाश पड़ी थी. उस के पास ही उन की 7 साल की बेटी शैली की भी लाश थी. दोनों के गले कटे हुए थे. पूरे बाथरूम में खून ही खून फैला हुआ था.

अपने दोनों बच्चों की यह दशा देख कर अमित जोरजोर से रोने लगे. फ्लैट के अंदर अमित के चीखने और रोने की आवाज सुन कर दरवाजे के बाहर खड़े पड़ोसी समझ गए कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है. झांक कर उन्होंने अमित से रोने की वजह पूछी तो अमित ने रोतेरोते बताया कि वह बरबाद हो गए, किसी ने उस के दोनों बच्चों को मार डाला है. अमित की बात सुन कर लोग दंग रह गए. वह भी फ्लैट में घुसना चाहते थे, लेकिन दरवाजे पर ताला लगा था. आपस में बात कर के लोगों ने वह ताला तोड़ना शुरू कर दिया. एकदो लोग उसी तरह पड़ोसी के फलैट से बालकनी में चले गए, जैसे अमित गए थे.

उधर अमित पत्नी को तलाशने के लिए एकएक कमरा देखने लगे. जब अटैच्ड बाथरूम वाले कमरे में पहुंचे तो वह एक बार फिर जोरों से चीखे, क्योंकि उस कमरे में बिछे फोल्डिंग पलंग पर उनकी पत्नी दीपमाला उर्फ दीपा की लाश पड़ी थी. दीपा का भी गला कटा हुआ था. उन के पैर पलंग से लटके हुए थे और एक पैर फर्श को छू रहा था. उन का कुर्ता वक्षों तक फटा हुआ था. अमित ने रोतेरोते पत्नी के कपड़े संभाले. तब तक लोगों ने दरवाजे का ताला तोड़ दिया था. वे सब अंदर पहुंचे तो अंदर 3-3 लाशें देख कर हैरान रह गए.

अमित का रोरो कर बुरा हाल था. कुछ लोग उन्हें दिलासा देने लगे. लेकिन यह संभव नहीं था, क्योंकि उन की बसीबसाई गृहस्थी बरबाद हो गई थी. पता नहीं उन से किस ने दुश्मनी निकाली थी. घटना के समय अमित अपने औफिस में थे, इसलिए वह बच गए थे. अगर वह भी घर पर होेते तो शायद जिंदा नहीं बच पाते. इसी दौरान किसी ने इस तिहरे हत्याकांड की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी थी. मोहनगार्डन इलाका पश्चिमी दिल्ली के उत्तमनगर थाने के अंतर्गत आता था. इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना थाना उत्तमनगर को दे दी गई. थोड़ी देर में इस तिहरे हत्याकांड की खबर पूरे मोहनगार्डन इलाके में फैल गई. रात होने के बावजूद तमाम लोग अमित कुमार के फ्लैट के पास जुटने लगे.

खबर मिलते ही थानाप्रभारी भगवान सिंह, एसआई गोविंद सिंह, दीपक कुमार, कमल आदि के साथ रामा रोड पर स्थित मोहनगार्डन के जे ब्लौक में पहुंच गए. वहां काफी संख्या में लोग खड़े थे. भगवान सिंह अपनी टीम के साथ अमित के फ्लैट में पहुंचे. उन्होंने सब से पहले वह जगह देखी, जहां लाशें पड़ी थीं. यह बात पहली जून, 2015 की है. एक ही परिवार के 3 लोगों की हत्या पर थानाप्रभारी भी हैरत में रह गए. उन्होंने इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी, साथ ही उन्होंने घटनास्थल की जांच होने तक अमित के अलावा सभी लोगों को फ्लैट से बाहर जाने के लिए कह दिया. मामला बड़ा था, इसलिए ज्वांइट सीपी दीपेंद्र पाठक, डीसीपी पुष्पेंद्र कुमार, एडिशनल डीसीपी मोनिका भारद्वाज, एसीपी ओमवती मलिक भी घटनास्थल पर पहुंच गई.

मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी ने सीबीआई की सीएफएसएल टीम, एफएसएल टीम, क्राइम इनवैस्टिगेशन टीम को भी बुला लिया. सभी जांच टीमों ने घटनास्थल से जरूरी सबूत जुटाए. उन का काम निपटने के बाद पुलिस अधिकारियों ने पूरे फ्लैट का बारीकी से निरीक्षण किया. इस से पता चला कि दीपमाला उर्फ दीपा और उन के दोनों बच्चों की हत्या किसी तेज धार वाले हथियार से की गई थी. उन तीनों की गरदन एक ही तरह से काटी गई थी. इस से यही अनुमान लगाया गया कि तीनों का हत्यारा एक ही रहा होगा. जिस कमरे में दीपा की लाश पलंग पर पड़ी थी, उस में एक अलमारी भी रखी थी. जिस पलंग पर लाश पड़ी थी, उस पर कुछ कपड़े भी पड़े थे. उन कपड़ों पर भी खून के छींटे पड़े थे.

दीपा के फटे कपड़े और खुले बालों से लग रहा था कि उन्होंने हत्यारे का काफी विरोध किया था. उन की उंगलियों पर भी जख्म था. बाथरूम में 2 बच्चों का गला काटा गया था, वहां पूरे फर्श  पर खून फैला हुआ था. दोनों भाईबहनों की लाशें पासपास ही पड़ी थीं. सक्षम के दाएं  हाथ पर भी तेज धार हथियार की चोट दिख रही थी. बाथरूम के बाहर खून से सने पैरों के निशान थे. जिन की डाइरेक्शन बाथरूम से बाहर आने की थी. पुलिस और एक्सपर्ट टीम यह पता लगाने में जुट गई कि हत्यारे ने सब से पहले किसे मारा. दरअसल बाथरूम से बाहर खून से सने पैरों के निशानों से लग रहा था कि हत्यारे ने पहले बाथरूम में ले जा कर दोनों बच्चों का कत्ल किया होगा. संभावना थी कि उस ने यह सब मां के सामने ही किया होगा. उसी दौरान वह हत्यारे से भिड़ गई होंगी.

ड्राइंगरूम में चाय के 2 खाली कप भी रखे थे. जांच के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची की हत्यारा चाहे जो भी रहा होगा, वह कोई परिचित ही होगा. क्योंकि उस की फ्लैट में फ्रेंडली एंट्री हुई थी. वह पहले भी इस फ्लैट में आताजाता रहा होगा. टेबल पर रखे खाली कपों से पता चल रहा था कि दीपा ने उसे चाय पिलाई थी. जिस वक्त पुलिस जांच कर रही थी, उसी समय अमित का भाई जो नोएडा की किसी कंपनी में सीए है, वह भी अपनी पत्नी के साथ वहां पहुंच गए. पुलिस ने उन से कुछ पूछताछ करनी चाही, लेकिन वह इतने दुखी थे कि कुछ नहीं बोले.

पुलिस अधिकारियों ने अमित से प्रारंभिक पूछताछ की तो उन्होंने पूरी कहानी बता दी. पुलिस ने उन से उन सभी लोगों के नामपते मालूम किए, जिन का उन के फ्लैट में आनाजाना था. हालांकि अमित भी पुलिस के शक के घेरे में थे, लेकिन उस समय पुलिस ने उन से ज्यादा पूछताछ करनी जरूरी नहीं समझी. पुलिस ने पड़ोसियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि किसी ने अमित के फ्लैट से रोने या चीखने की आवाज नहीं सुनी थी. पुलिस को यह भी पता चला कि अमित का 9 वर्षीय बेटा सक्षम और 7 वर्षीय बेटी शैली शाम को अन्य बच्चों के साथ नीचे जा कर खेलते थे. उस दिन भी वह शाम 5 बजे तक बच्चों के साथ खेले थे. इस से पुलिस ने यही अंदाजा लगाया कि वारदात शाम 5 बजे के बाद हुई थी.

दीपा के दोनों फोन कमरे में ही मिले थे. इस के अलावा कमरे का सारा सामान अपनी अपनी जगह पर था. इससे यही लगा कि हत्यारे का मकसद फ्लैट में लूटपाट करना नहीं था, बल्कि वह सिर्फ हत्या करने के लिए आया था और अपना काम कर के चला गया. दीपा के साथ सैक्सुअल अटैक जैसी आशंका भी नहीं दिखाई दी थी. घटनास्थल की प्रारंभिक काररवाई करने के बाद पुलिस ने तीनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल भिजवा दिया और अमित की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. केस की जांच थानाप्रभारी भगवान सिंह ने अपने हाथ में ले ली.

अगले दिन सहारनपुर से दीपा के मांबाप भी दिल्ली आ गए. पुलिस ने उन से पूछताछ  की तो उन्होंने बताया कि दीपा अपने पति के साथ हंसीखुशी से रह रही थी. उसे पति से कोई शिकायत नहीं थी. 3 जून को वह बच्चों को ले कर मायके आती, मगर उस से पहले ही यह सब हो गया. अमित को उन के सासससुर ने भले ही क्लीन चिट दे दी थी, पर पुलिस को अब भी उन पर शक था. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने तीनों शव घर वालों के हवाले कर दिए. तीनों लाशों को उन के घर सहारनपुर ले जाया गया. डीसीपी पुष्पेंद्र कुमार ने इस तिहरे हत्याकांड को सुलझाने को 2 पुलिस टीमें बनाईं, पहली टीम विकासपुरी क्षेत्र की एसीपी ओमवती मलिक के नेतृत्व में बनी, जिस में थानाप्रभारी भगवान सिंह, एसआई गोविंद सिंह, दीपक कुमार, हेडकांस्टेबल महावीर सिंह, अजीत सिंह, कांस्टेबल हरीश कुमार और रामकुमार आदि को शामिल किया गया.

दूसरी पुलिस टीम स्पेशल स्टाफ के इंसपेक्टर सुरेंद्र राठी के नेतृत्व में बनी, जिस में एसआई ईश्वर सिंह, चरण सिंह आदि तेजतर्रार पुलिस अफसरों को शामिल किया गया. इस टीम को निर्देशित करने का दायित्व एसीपी औपरेशन दिनेश तिवारी का था. पुलिस को पहला शक आबकारी इंसपेक्टर अमित कुमार पर ही था. इस संदेह को दूर करने के लिए पुलिस ने अमित के फोन की काल डिटेल्स निकलवाईं तो घटना वाले दिन उन के फोन की लोकेशन औफिस के समय तक आईटीओ इलाके में ही मिली. इससे संतुष्टी नहीं हुई तो जांच टीम अमित की गैरमौजूदगी में उनके औफिस पहुंच गई. औफिस में काम करने वालों ने बताया कि पहली जून को अमित सुबह से शाम तक औफिस में ही थे.

अमित पत्नी व बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए सहारनपुर गए हुए थे. इस बीच पुलिस ने दीपा के दोनों फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा ली थी. अमित के दिल्ली लौटने पर पुलिस ने उन से पत्नि व बच्चों की हत्या की बाबत पूछताछ की तो वह खुद को निर्दोष बताते रहे. थानाप्रभारी भगवान सिंह ने जब उन से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश या दुश्मनी तो नहीं है? यह सुन कर अमित कुछ सोचने लगे, फिर कुछ देर बाद बोले, ‘‘हमारी किसी से दुश्मनी तो नहीं है, लेकिन हमारा छोटा साढू़ दीपक हम लोगों से खुश नहीं था. दूसरे वह पत्नी और बच्चों के अंतिम संस्कार में भी नहीं दिखाई दिया.’’

अमित ने यह भी बताया कि दीपा के मायके वालों को दीपक जब अंतिम संस्कार में भी नहीं दिखा तो उन्होंने उस के घर जा कर पूछताछ की. उस के घर वालों ने बताया कि वह पहली जून को दिल्ली गया था और वहां से रात पौने 12 बजे घर लौटा था. उस समय दीपक दूसरे कमरे में था. दीपा के मायके वालों ने जब दीपक को बुला कर पूछताछ की तो वह इस बात का जवाब नहीं दे पाया कि वह दिल्ली क्यों गया था. वह दिल्ली जाने की बात से साफ नकारता रहा. तब दीपा के मायके वालों ने उस से कह दिया कि वह कहीं नहीं जाए, क्योंकि दिल्ली पुलिस कभी भी उस से पूछताछ करने के लिए आ सकती है.

उन लोगों के जाने के थोड़ी देर बाद दीपक भी अपने घर से निकल गया. दीपक भी सहारनपुर में रहता था. इस से दीपा की छोटी बहन मधु की शादी हुई थी. 5 जून को दीपक की तलाश में एक पुलिस टीम सहारनपुर गई. लेकिन वह घर पर नहीं मिला. उसे ढूंढने के लिए यह टीम सहारनपुर में ही डेरा डाले रही. अगली सुबह यानी 6 जून को दीपक के घर सहारनपुर के ही थाना कुतुबशेर से फोन आया. बताया गया कि अंबाला रेलवे लाइन पर बड़ी नहर के पास दीपक नाम के एक व्यक्ति की लाश मिली है. उस की जेब से जो परची मिली है, उसी पर एक फोन नंबर लिखा था, उसी नंबर पर काल की गई थी.

यह खबर मिलते ही दीपक के घर वाले रोतेबिलखते थाना कुतुबशेर पहुंच गए. वहां से पुलिस उन्हें उस जगह ले गई, जहां रेलवे लाइन के किनारे एक युवक की लाश पड़ी थी. उन लोगों ने उस की शिनाख्त दीपक के रूप में की. लाश का सिर ही क्षतिग्रस्त था. इससे यह पता लगाना मुश्किल था कि उस ने आत्महत्या की थी या फिर उस की साजिशन हत्या कर के लाश को वहां डाला गया था. बहरहाल थाना कुतुबशेर पुलिस ने दीपक की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. मृतका दीपा के मायके वालों को इस बात का गहरा सदमा पहुंचा. पहली जून को बड़ी बेटी दीपा और उस के दोनों बच्चों को किसी ने मार दिया. इस घटना को अभी हफ्ता भी नहीं हुआ था कि छोटी बेटी मधु भी 25 साल की उम्र में विधवा हो गई थी.

सहारनपुर में मौजूद दिल्ली पुलिस की टीम को जब यह बात पता चली कि जिस दीपक की उन्हें तलाश थी, उस की मौत हो गई है तो टीम को भी निराशा हुई. वह थाना कुतुबशेर पहुंच गई और थानाप्रभारी से बातचीत कर के दिल्ली लौट आई. डीसीपी पुष्पेंद्र कुमार को जब दीपक की मौत की जानकारी मिली तो उन्हें भी लगा कि कहीं उसे किसी साजिश के तहत तो नहीं मार दिया गया. क्योंकि सामने ऐसा कोई क्लू नहीं था, जिस पर काम कर के तफतीश आगे बढ़ाई जा सकती.

डीसीपी ने पुलिस टीम को मृतक दीपक के फोन की काल डिटेल्स खंगालने के  निर्देश दिए. आदेश मिलते ही पुलिस ने दीपक के फोन की काल डिटेल्स निकलवाईं. उस में पहली जून को उस के फोन की लोकेशन दिल्ली की नहीं निकली. जिन लोगों से उस की फोन पर आखिरी मर्तबा बात हुई थी. पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. वे थे राजेश कुमार और गुलशन. दोनों ही सहारनपुर के रहने वाले थे. पुलिस ने दोनों से दीपा ओर उस के दोनों बच्चों की हत्या और दीपक की रेलवे ट्रैक पर मिली लाश के बारे में पूछताछ की. उन्होंने बताया कि दीपक उन का दोस्त था, लेकिन इन चारों की मौत के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता.

उन दोनों की बातों से पुलिस को लग रहा था कि ये लोग सच्चाई छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने दीपा और उस के दोनों बच्चों की हत्या की पूरी कहानी पुलिस के सामने बयां कर दी. सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स इंसपेक्टर अमित कुमार मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के रहने वाले थे. करीब 12 साल पहले उन की शादी सहारनपुर के दूसरे मोहल्ले में रहने वाली दीपमाला उर्फ दीपा से हुई थी. दीपा भी खूबसूरत और पढ़ीलिखी लड़की थी. कालांतर में दीपा एक बेटे और एक बेटी की मां बनीं.

अमित और दीपा अपने बच्चों की परवरिश पर ध्यान देने लगे. अमित सरकारी अफसर थे. उन के यहां किसी भी चीज का अभाव नहीं था. सुखसुविधाओं के बीच बच्चों की परवरिश हो रही थी. उन्होंने मोहनगार्डन स्थित एक अच्छे स्कूल में उन का दाखिला भी करा दिया था. अमित दिल्ली के आइजीआई एयरपोर्ट पर तैनात थे. उन्होंने पश्चिमी दिल्ली के उत्तमनगर स्थित मोहनगार्डन के जे ब्लौक में एक फ्लैट किराए पर ले रखा था. दीपा हाउस वाइफ थीं. वह बच्चों पर पूरा ध्यान देती थीं. उन का फ्लैट दूसरी मंजिल पर था. शाम को वह बच्चों को पार्क में ले जाती थीं. दीपा एक व्यावाहारिक महिला थीं, इसलिए उस ब्लौक में रहने वाली कई महिलाओं से उन की दोस्ती हो गई थी. कुल मिला कर उन की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी.

दीपा से 10 साल छोटी उन की बहन मधु की शादी सहारनपुर के ही रहने वाले दीपक से हुई थी. दीपक एक जूता फैक्ट्री में काम करता था. इसके खिलाफ कुतुबशेर थाने में कई मामले दर्ज थे. जिसकी वजह से उसे 2014 में जिलाबदर कर दिया गया था. शादीशुदा होते हुए भी उस के संबंध दूसरे मोहल्ले की रहने वाली विमला से थे. एक बार मधु ने दीपक और विमला को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. उस वक्त दीपक ने पत्नि से माफी मांगी तो उसने उसे माफ कर दिया था. लेकिन दीपक ने विमला का साथ नहीं छोड़ा. वह उस से मिलता रहा.

मधु ने इस की शिकायत अपने मांबाप और बहन दीपा से की. सभी ने दीपक को समझाया, पर दीपक पर विमला के इश्क का ऐसा भूत सवार था कि वह विमला को नहीं भुला सका. इसी स्थिति के चलते एक दिन अमित कुमार और दीपा ने सहारनपुर पहुंच कर दीपक को अन्य रिश्तेदारों के सामने चेतावनी दी कि अगर वह नहीं माना तो मधु की तरफ से उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी जाएगी. रिश्तेदारों के सामने खुद की बेइज्जती दीपक को बुरी लगी. इस के बाद वह दीपा और उस के पति से खुन्नस रखने लगा. पति के अच्छे पद पर होने की वजह से दीपा बनठन कर रहती थी. नएनए डिजाइन के गहने पहनती थी. जबकि दीपक की तनख्वाह मामूली थी. वह जैसेतैसे घर चला रहा था. उसे अमित और दीपा से ईर्ष्या थी. वह उन्हें सबक सिखाना चाहता था.

जिस जूता फैक्ट्री में दीपक नौकरी करता था, उसी में उस के 2 दोस्त राजेश और गुलशन भी नौकरी करते थे. वे भी सहारनपुर में ही रहते थे. इन से दीपक की ऐसी दोस्ती थी कि वह उन्हें हर बात बता देता था. उस ने अपनी बेइज्जती की बात भी उन दोनों को बताई. उस ने उन से कहा कि दीपा के पास बहुत पैसा है और गहने भी हैं. अगर उसे उस के फ्लैट में मार कर पैसा और ज्वैलरी लूट ली जाए तो इस से एक पंथ दो काज हो जाएंगे. लोग यही सोचेंगे कि किसी ने लूट का विरोध करने पर हत्या की है. राजेश और गुलशन ने यह काम करने के लिए हामी भर दी.

लेकिन योजना को अंजाम देने के लिए दीपक राजेश और गुलशन को बिना बताए पहली जून, 2015 को दिल्ली आ गया. उस के मोबाइल की लोकेशन दिल्ली न आए, इसलिए उस ने अपने फोन को स्विच्ड औफ कर दिया. वह जानता था कि उस के साढू ड्यूटी पर होंगे, जिस से वह अपना काम आसानी से निपटा देगा. शाम 4 बजे वह अमित के फ्लैट पर पहुंचा. घंटी बजने पर दीपा ने दरवाजा खोला. ड्राइंगरूम में बिठा  कर वह उस से बातें कर ने लगी. उन्होंने उसे चाय बना कर पिलाई. दीपक की योजना से अनभिज्ञ दीपा उस दिन भी उसे समझा रही थीं. उस समय उन का 9 वर्षीय बेटा सक्षम और 7 वर्षीय बेटी वैष्णवी उर्फ शैली नीचे बच्चों के साथ खेल रहे थे.

दीपा से बातचीत करते समय दीपक मौके की तलाश में था. जैसे ही दीपा ड्राइंगरूम से उठ कर किचन में गइर्ं तो वह भी उन के पीछे पीछे वहां पहुंच गया. तभी उस ने दीपा के गले में पड़े दुपट्टे को कसना शुरू कर दिया. दीपा भी हट्टीकट्टी थीं. अचानक गला कसने से दीपा घबरा गई. उन्होंने पूरी ताकत लगाते हुए अपनी सुरक्षा करने की कोशिश की. उस समय उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था. शोर मचाते हुए वह अपनी जान बचाने के लिए कमरे की तरफ भागीं.

इस से दीपक घबरा गया. इसलिए वह भी उन के पीछेपीछे कमरे में पहुंच गया और कोई भारी चीज उनक के सिर पर मारी, जिस से वह फोल्डिंग पलंग पर गिर गईं. उन के गिरते ही उस ने साथ लाए चाकू से उन का गला रेत दिया. गला कटते ही खून का फव्वारा फूट पड़ा. जिस से पलंग पर रखे कपड़ों पर भी छींटे पड़ गए. कुछ देर छपपटाने के बाद दीपा का शरीर शांत हो गया. उन के मरने के बाद उस ने उस की अंगूठी और कानों की बालियां निकाल लीं. नीचे शैली और सक्षम अन्य बच्चों के साथ खेल रहे थे, खेलतेखेलते शैली के हाथ में किसी चीज से खरोंच लग गई. उस खरोंच को अपनी मम्मी को दिखाने के लिए वह रोती हुई ऊपर आई. कमरे का दरवाजा बंद था.

शैली ने जैसे ही घंटी बजाई, दीपक डर गया कि पता नहीं कौन आया है. उस ने आने वाले से निपटने की सोच ली. दीपक ने दरवाजा खोला तो बच्ची को देख कर उसे तसल्ली हुई. शैली दीपक को जानती थी. मौसा को देखते ही उसने मुसकराते हुए नमस्ते किया और फिर वह उस से पूछने लगी, ‘‘मौसाजी मम्मी कहां हैं?’’

दीपक ने उस से कहा कि वह बाथरूम में है, वह शैली को हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गया. उस बच्ची को क्या पता था कि उस के साथ क्या होने वाला है. बाथरूम में जाते ही उस ने शैली का गला काट दिया. इसी दौरान अचानक मौसम बदल गया. आंधी आने की वजह से नीचे खेल रहे सभी बच्चे अपनेअपने घर चले गए. सक्षम भी ऊपर अपने घर आ गया. दरवाजा बंद होने पर उस ने घंटी बजाई तो दीपक फिर घबरा गया. उसने सोचा कि इस बार शायद अमित आ गया है. उस ने तय कर लिया था कि इस दौरान जो भी आएगा, वह उस का काम तमाम कर देगा. उस ने दूसरी बार दरवाजा खोला तो सामने सक्षम था.

मौसा को देखते ही सक्षम ने उस के पैर छुए. उस का आदर भाव देख कर दीपक उसे मारना नहीं चाहता था, लेकिन उस को जिंदा छोड़ने पर उस के फंसने की संभावना थी. इसलिए उसे ठिकाने लगाने के लिए वह सक्षम को भी बाथरूम में ले गया. वहां छोटी बहन की लाश देख कर सक्षम घबरा गया. इस बारे में वह अपने मौसा से कुछ पूछने की हिम्मत जुटा पाता, इस से पहले ही दीपक ने उस का भी गला काट दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद उस का भी शरीर ठंडा हो गया. 3 हत्याएं करने के बाद दीपक ने बाथरूम में ही खून से सने हाथ धोए और जल्दबाजी में केवल जाली वाले दरवाजे पर ताला लगा कर चला गया.

रात करीब 12 बजे वह अपने घर पहुंचा. अगले दिन उसने फोन कर के अपने दोस्तों राजेश और गुलशन को एक जगह बुला लिया और दीपा व उस के दोनों बच्चों की हत्या करने की पूरी बात बता दी. उसने दीपा की अंगूठी और बालियां उन दोनों को देते हुए कहा कि यह बात किसी से न बताएं. उधर दीपा और उस के बच्चों की हत्या की बात सुन कर दीपा के मायके वाले और दीपक के मातापिता दिल्ली पहुंच गए, लेकिन दीपक का साढू़ के घर नहीं गया. न ही वह उन तीनों के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ. इस से दीपा के मातपिता को उस पर शक हो गया. वे दीपक से पूछने उस के घर भी गए. इस के बाद दीपक को लगा कि अब वह बच नहीं पाएगा. शायद इसीलिए उसने रेलवे ट्रैक पर जा कर ट्रेन के आगे आत्महत्या कर ली.

पुलिस ने राजेश और गुलशन को भादंवि की धारा 120 बी के तहत गिरफ्तार कर के 9 जून को तीस हजारी न्यायालय में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर के 3 दिनों के  पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में उन की निशानदेही पर उन से दीपक द्वारा दी गई दीपा की ज्वैलरी बरामद की गई. इस के बाद उन्हें 12 जून को पुन: न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. Domestic Dispute

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में विमला परिवर्तित नाम है

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