14नवंबर, 2022 की रात यही कोई 2 बजे की बात है. मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गोरमी थाने के गांव सिकरौदा की रहने वाली एक महिला ने 100 नंबर पर फोन कर के कहा, ‘‘मैं कृष्णपाल केवट की पत्नी रामकली बोल रही हूं, मेरे पति की किसी बदमाश ने हत्या कर के उनकी लाश मेरे घर के पीछे डाल दी है.’’

चूंकि मामला गोरमी थाने का था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम ने गोरमी थाने को घटना की जानकारी दे दी.

सूचना मिलते ही गोरमी के एसएचओ सुधाकर सिंह तोमर, एसआई मनीराम, नादिर, एएसआई देवेंद्र भदौरिया, हैडकांस्टेबल कौशलेंद्र सिंह को साथ ले कर महिला द्वारा बताए पते की ओर रवाना हो गए. मौकाएवारदात पर पहुंचने के बाद एसएचओ ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी मामले की सूचना दे दी.

मृतक के शव और आसपास की जांचपड़ताल से पता चला कि कृष्णपाल केवट उर्फ टिंकू की हत्या करने के बाद हत्यारे उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए वहां तक घसीट कर लाए थे.

लाश को घसीटे जाने के निशान देख कर अनुमान लगाया गया कि हत्यारा किसी अन्य स्थान पर हत्या कर लाश को ठिकाने लगाने ले जा रहा होगा, लेकिन किसी ने लाश घसीटते हुए उसे देख लिया होगा. अत: वह पकड़े जाने के डर से लाश छोड़ कर भाग खड़ा हुआ. उस के पैर के दोनों अंगूठों पर बिली के करंट से जलाने के निशान थे.

कृष्णपाल सिंह को उस के दोनों हाथ साड़ी से बांधने के बाद उस के पैरों के अंगूठे में बिजली का करंट लगा कर मौत के घाट उतारा गया था, मृतक के दोनों हाथ अभी भी साड़ी से बंधे हुए थे. उस की आयु 37-38 साल के आसपास पास रही होगी.

लाश पड़ी होने का सब से पहले पता रात के अंधेरे में दिशामैदान के लिए गई एक महिला को चला था. उसी ने घर आ कर लाश के बारे में अपने पति को बताया था. फिर जानकारी मिलते ही और लोग भी वहां जुटने लगे थे. उसी भीड़ में शामिल मृतक की पत्नी ने पुलिस कंट्रोल रूम को इस हत्या की सूचना दी थी.

घटनास्थल की स्थिति और शुरुआती जांच में ही परिस्थितियां रामकली के खिलाफ थीं. एसएचओ को कृष्णपाल उर्फ टिंकू केवट की हत्या के मामले में उस की पत्नी रामकली की भूमिका स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही थी.

पुलिस ने रामकली के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि उस का सिकरौदा के ही 20 वर्षीय युवक राजू से पिछले 6 महीने से चक्कर चल रहा था.

कुछ महीने पहले वह उस के साथ घर से भाग गई थी, काफी प्रयास के बाद उस का पति उसे खोज लाया था. रामकली की इस करतूत के बाद पतिपत्नी में विवाद रहने लगा था, उन दोनों के रिश्तों में दरार आती चली गई. यह दरार इतनी बढ़ गई कि रामकली ने अपने पति को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली.

एसएचओ सुधाकर सिंह तोमर को लगा कि कहीं कृष्णपाल की हत्या प्रेम संबंध में बाधा बनने की वजह से तो नहीं हुई? अगर ऐसा हुआ तो रामकली भी शामिल रही होगी. उन्होंने बिना वक्त गंवाए शक के आधार पर रामकली को थाने बुलाया और उस से गहराई से पूछताछ की.

इस पूछताछ में उस ने प्रेम प्रसंग से ले कर राजू के साथ नाजायज ताल्लुकात की बात बेहिचक स्वीकार कर ली. लेकिन पति की हत्या में किसी तरह का हाथ होने से स्पष्ट तौर से मना करती रही.

उलटे वह एसएचओ से बोली, ‘‘साहब, मेरे ही पति की हत्या हुई है और आप मुझ से ही इस तरह पूछ रहे हैं, जैसे मैं ने ही उन्हें मारा हो. जिन लोगों ने मेरे पति को मार कर मेरे घर के पीछे उन की लाश फेंकी, उन्हें पकड़ने में आप कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे. आप ही बताइए, भला मैं अपने पति को क्यों मारूंगी? यदि मैं ने अपने पति की हत्या की होती तो इतनी रात गए पुलिस को खबर क्यों देती? अगर आप मुझे ज्यादा तंग करेंगे तो मैं एसपी साहब से आप की शिकायत कर दूंगी.’’

पूछताछ के बाद उसी दिन एसएचओ ने रामकली और राजू के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स देख कर वह हैरान रह गए. काल डिटेल्स से पता चला कि दोनों एकदूसरे से अकसर घंटों तक बातें किया करते थे.

घटना वाली रात भी घटना से कुछ देर पहले और बाद में भी दोनों की काफी लंबी बातें हुई थीं. सबूत मिल जाने के बाद सुधाकर सिंह तोमर ने रामकली से कहा, ‘‘तुम जिस से चाहो मेरी शिकायत कर देना, मुझे तो इस अंधे कत्ल की पड़ताल कर जल्द से जल्द इस का खुलासा करना है.’’

सुधाकर सिंह तोमर ने रामकली से पूछा, ‘‘अब तुम यह बताओ कि तुम्हारे पति की हत्या से पहले और बाद में राजू से तुम्हारी क्या बातें हुई थीं? तुम्हारे मोबाइल फोन में मौजूद इस नंबर के बारे में भी बताओ कि यह किस का है?’’

रामकली ने तपाक से बताया कि यह नंबर  उस के प्रेमी राजू के मुंहबोले चाचा वीर सिंह का है.

इस बीच एसएचओ को अपने भरोसेमंद मुखबिर से पता चला कि घटना वाली रात सिकरौदा गांव के शातिर बदमाश वीर सिंह जिस पर अपनी पत्नी की हत्या सहित आधा दरजन आपराधिक मामले दर्ज हैं, को कृष्णपाल के घर में जाते हुए देखा गया था.

इस महत्त्वपूर्ण जानकारी से एसएचओ सुधाकर तोमर का माथा ठनका कि कहीं   रामकली के प्रेमी के साथसाथ वीर सिंह भी तो कृष्णपाल की हत्या में शामिल नहीं था.

एसएचओ ने राजू और उस के मुंहबोले चाचा वीर सिंह को भी पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. उन दोनों से कृष्णपाल की हत्या के बारे में पूछताछ की गई. राजू ने बताया कि जिस वक्त कृष्णपाल की हत्या होने की बात कही जा रही है, उस समय वह सिकरौदा में नहीं था. वह तो किसी काम से उत्तर प्रदेश गया हुआ था.

राजू बारबार यही बात दोहराता रहा, उस के मोबाइल फोन की लोकेशन चैक करने से एक बात साफ हो गई कि कृष्णपाल की हत्या के समय राजू की मौजूदगी सिकरौदा में नहीं थी. यानी कृष्णपाल का हत्यारा कोई और था.

इस के बाद तोमर ने रामकली से पूछा, ‘‘तुम मुझे यह बताओ कि तुम्हारे पति की हत्या से पहले और बाद में राजू और उस के मुंहबोले चाचा से तुम्हारी क्या बातें हुई थीं?’’

इस सवाल पर रामकली के चेहरे का रंग उड़ गया. वह खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘नहीं, मेरी उन दोनों से कोई बात नहीं हुई. साहब, किसी ने आप को गलत जानकारी दी है.’’

‘‘गलत नहीं बताया, यह देख लो. तुम ने घटना वाले दिन, कबकब और किस से बात की है. इस कागज में पूरी डिटेल है. एक नजर मार लो,’’ एसएचओ ने काल डिटेल्स वाला कागज उस के हाथ में थमाते हुए कहा.

रामकली अब झूठ नहीं बोल सकती थी, क्योंकि सुधाकर सिंह तोमर ने सारी हकीकत उस के सामने जो रख दी थी. उस की चुप्पी से तोमर समझ गए कि उन की जांच सही दिशा में चल रही है.

इस के बाद उन्होंने उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की तो रामकली ने कुबूल कर लिया कि पति की हत्या उस ने अपने प्रेमी के मुंहबोले चाचा वीर सिंह के साथ मिल कर की थी. उस ने पति के पैर के अंगूठे पर हीटर का तार बांधने के बाद एक घंटे तक करंट लगाया था. उस ने इस हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

तकरीबन 9 साल पहले घर वालों ने रामकली का विवाह सिकरौदा के कृष्णपाल केवट के साथ कर दिया था. रामकली इस विवाह से काफी खुश थी. उस ने बेहतर जिंदगी के सपने संजो लिए थे.

उस का लालनपालन भले ही एक गरीब परिवार में हुआ था, लेकिन उसे उम्मीद थी कि विवाह के बाद उस की सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी और उस का पति उस के हर शौक को पूरा करेगा.

लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि कृष्णपाल सिंह अव्वल दरजे का शराबी था. वह जो कुछ कमाता था, शराब में उड़ा देता था. ऐसी स्थिति में उस के सारे अरमान चकनाचूर हो गए. समय अपनी गति से चलता रहा. रामकली 4 बच्चों की मां बन गई.

रामकली जितनी सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा चंचल भी थी. वह ज्यादा पढ़ीलिखी तो नहीं थी, मगर उस की खासियत यह थी कि वह गजब की चालाक थी. उसे जो भी करना होता था, बेहिचक हो कर करती थी. उस के इसी स्वभाव की वजह से जो भी उस से एक बार मुलाकात कर लेता था, वह उस का दीवाना हो जाता था.

राजू भी पहली ही मुलाकात में उस का दीवाना हो गया था. यही नहीं, वह मन ही मन उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने के सपने संजोने लगा था. वह जब भी अल्हड़ रामकली को देखता तो उस के दिल की धड़कनें बढ़ जातीं और वह रामकली का मादक जिस्म पाने के लिए छटपटा उठता.

हालांकि शुरू में तो राजू रामकली से ठीक तरह नजर भी नहीं मिला पाता था. लेकिन जब उसे पता चला कि रामकली अपने पति से खुश नहीं है तो उस की हिम्मत बढ़ गई. जैसा कि कहा जाता है कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. राजू के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

रामकली के पति कृष्णपाल केवट को शराब पीने का शौक था. इसी के जरिए राजू को उस के करीब पहुंचने का मौका मिल गया. राजू भी अपने मुंहबोले चाचा वीर सिंह के साथ रोज कृष्णपाल के संग उस के घर पर शराब पीने जाता था.

इसी दौरान रामकली से उस की आंखें चार हो जाती थीं. फिर इसी बहाने वह रामकली के पति से ही नहीं, रामकली से भी घुलमिल गया. राजू उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. हालांकि वीर सिंह भी रामकली से जिस्मानी संबंध बनाना चाहता था, मगर 40 वर्षीय वीर सिंह के आपराधिक चरित्र को देखते हुए रामकली इस के लिए तैयार नहीं हुई.

रामकली कोई दूधपीती बच्ची नहीं थी. वह राजू के दिल की बात अच्छी तरह से समझ रही थी. राजू को अपनी तरफ आकर्षित होते देख वह भी उस की ओर खिंची चली गई. राजू और रामकली के दिल में प्यार के अंकुर फूटे तो जल्द ही वह समय भी आ गया, जब दोनों का एकदूसरे के बिना रहना मुश्किल हो गया.

रामकली अकसर पति के नशे में मदहोश होते ही प्यार का अनैतिक खेल खेलने और अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए राजू को अपने घर पर बुलाने लगी थी. जैसेजैसे यह खेल आगे बढ़ रहा था, उन दोनों के प्यार का बंधन मजबूत होता जा रहा था.

धीरेधीरे स्थिति यह हो गई कि रामकली को अपने पति कृष्णपाल की बाहों की अपेक्षा राजू की बाहें सख्त और ज्यादा अच्छी लगने लगी थीं. जो जिस्मानी सुख उसे राजू की बाहों में मिलता था, वह अपने पति की बाहों में नहीं मिल पाता था.

यही वजह थी कि उन दोनों को लगने लगा था कि अब वे एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते. हालांकि राजू ने तो कुछ नहीं कहा लेकिन एक रोज रामकली ने उस से कहा, ‘‘राजू, अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मैं अब तुम से शादी करना चाहती हूं.’’

इस पर राजू ने उस से मजाक करते हुए कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं हो सकता, क्योंकि तुम सिर्फ शादीशुदा ही नहीं, बल्कि बालबच्चेदार भी हो.’’

‘‘मुझे इस से कोई मतलब नहीं. तुम अगर मुझ से सच में प्यार करते हो और मुझे हमेशाहमेशा के लिए अपना बनना चाहते हो तो इस के लिए तुम्हें मेरे पति की हत्या करनी पड़ेगी.’’ रामकली ने साफ कह दिया.

अपनी प्रेमिका के मुंह से यह सब सुन कर राजू की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. उस ने रामकली से दोटूक शब्दों में कहा, ‘‘मुझ से ऐसा निहायत ही घिनौना काम नहीं हो सकेगा. ऐसा करने पर हम दोनों को ही सारी उम्र जेल में गुजारनी पड़ेगी.’’

राजू ने रामकली से कहा, ‘‘हम दोनों को जो चाहिए वह हमें मिल रहा है तो फिर हम ऐसा काम क्यों करें?’’

राजू ने उसे समझाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन इस का उस पर लेश मात्र भी असर नहीं हुआ. क्योंकि वह अपने शराबी पति से हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना चाहती थी. राजू के प्यार में अंधी हो चुकी रामकली कभी राजू से कहती कि मेरे पति को शराब में जहर दे कर मार दो, तो कभी कहती गला घोट कर किस्सा हमेशा के लिए खत्म कर दो.

रामकली किसी भी तरह अपने पति को हटाना चाहती थी. लेकिन राजू इस के लिए तैयार नहीं हो रहा था. रामकली इस बात को अच्छी तरह जानती थी कि जब तक शराबी पति जिंदा रहेगा, वह तसल्ली से अपने प्रेमी को अपना जिस्म सौंप कर तनमन की प्यास नहीं बुझा सकेगी.

13 नबंबर, 2022 की रात रामकली ने राजू को फोन कर के कहा, ‘‘राजू, कृष्णपाल इस वक्त शराब के नशे में बेसुध हो कर बिस्तर पर पड़ा है. आज अच्छा मौका है उसे रास्ते से हटाने का. जल्दी से तुम यहां आ जाओ.’’

मगर राजू ने रामकली से कहा, ‘‘आज मैं सिकरौदा में नहीं हूं, अत: मैं नहीं आ सकूंगा. तुम मेरे मुंहबोले चाचा वीर सिंह को तो जानती ही हो, उन्हें फोन कर के अपने घर पर बुला लो. उन की मदद से अपने पति का खेल खत्म कर दो.’’

कहते हैं कि औरत जब चरित्रहीनता पर उतर आती है तो उसे किसी लोकलाज का भय नहीं रहता. रामकली भी ऐसी ही औरत थी. जिस वक्त रामकली ने अपने प्रेमी के मुंहबोले चाचा वीर सिंह को फोन किया, उस समय रात के 11 बज रहे थे.

रामकली ने पहले तो उस से इधरउधर की बातें कीं, इस के बाद उस ने बिना किसी हिचकिचाहट के वीर सिंह से कहा, ‘‘मुझे आज अपने पति को अपने और राजू के रास्ते से हटाना है. पति नहीं रहेगा तो मैं राजू के साथ हमेशा के लिए रह सकूंगी.’’

उस का इतना कहना था कि वीर सिंह ने कहा, ‘‘मैं तेरी इच्छा के मुताबिक रास्ते के कांटे को आज ही हटाए देता हूं. मगर इस के बदले में तुझे मेरे संग सोना होगा.’’

रामकली पति को ठिकाने लगाने के एवज में वीर सिंह के साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार हो गई. वीर सिंह खुशी से चहका और मोबाइल फोन बंद कर के सीधे रामकली के घर जा पहुंचा.

उस ने रामकली के दरवाजे पर दस्तक दी और धीरे से दरवाजे को धकेला. दरवाजा खुल गया. वीर सिंह के दिल की धड़कनें बेकाबू होने लगीं. वह उन पलों की कल्पना कर के ही रोमांचित होने लगा, जब रामकली उस की बाहों में समाने वाली थी. अब वह क्षण बहुत करीब था.

रामकली के घर पहुंच कर वीर सिंह ने रामकली की मदद से शराब के नशे में मदहोश पड़े कृष्णपाल के दोनों हाथ साड़ी से बांध दिए. उस के बाद पैर के अंगूठों पर हीटर के तार से करंट देना शुरू कर दिया. जब कृष्णपाल की सांसें थम गईं, तब रामकली ने अपनी साड़ी से उस का गला घोंट दिया.

इस के बाद वादे के मुताबिक रामकली ने अपने पति की लाश के सामने ही वीर सिंह के साथ सहवास कर उस की कामोत्तेजना शांत की.

इस के बाद रामकली ने पति की नब्ज टटोलने के बाद नफरत से उस की लाश पर थूकते हुए कहा, ‘‘मर गया कमीना. मेरे और राजू के रास्ते का कांटा हमेशा के लिए निकल गया. चलो वीर सिंह, अब इसे कुंवारी नदी में फेंक कर देते हैं.’’

रामकली ने सोचा कि लाश नदी के पानी के साथ बह जाएगी, जिस से इस की पहचान नहीं हो पाएगी तो मामला रफादफा हो जाएगा’ लेकिन जब 14 नवंबर, 2022 की रात कृष्णपाल की लाश को रस्सी से बांध कर घसीटते हुए पास में बहने वाली नदी में प्रवाहित करने दोनों ले जा रहे थे, तभी उन्हें किसी के आने की आहट सुनाई दी. तब दोनों लाश को रास्ते में ही पड़ा छोड़ कर भाग खड़े हुए.

रामकली, राजू और वीर सिंह से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने मृतक की पत्नी की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त बिजली का तार, रस्सी और 3 मोबाइल फोन बरामद कर लिए.

इस के बाद उन्हें आईपीसी की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.     द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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