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जय घोष एक लडक़ी से प्यार करता था. उस का नाम उर्वशी था. वह एक कला एंपोरियम में काम करती थी. सांवली रंगत वाली उर्वशी के नाकनक्श सांचे में ढले थे. वह बेहद खूबसूरत थी. उर्वशी के पिता नहीं थे. अपना और मां का खर्च चलाने के लिए उर्वशी काम करती थी. वह गरीब थी, लेकिन दिल की अमीर थी. जय घोष एक नटराज की मूर्ति लेने के लिए कला म्यूजियम में गया था, तब उस की मुलाकात उर्वशी से हुई थी. उर्वशी ने ही उसे अटैंड किया था.

उस की मीठीमीठी बातों ने और मोहक मुस्कान ने जय घोष को इतना प्रभावित किया था कि वह उर्वशी को अपने दिल में बसा कर वापस घर लौटा था. इस के बाद वह अकसर उर्वशी की एक झलक पाने के लिए उस की दुकान में जाने लगा था. उर्वशी भांप गई थी कि जय घोष उसे प्यार करने लगा है. उसे भी जय अच्छा लगने लगा था. वह भी अपना दिल हार गई थी. अब दोनों की मुलाकातें उस दुकान से बाहर भी होने लगी थीं. वे दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे थे.

उर्वशी ने ही जय को सुझाव दिया था कि वह कलाकृतियों का म्यूजियम खोले. जय ऐसा ही चाहता था, इस के लिए उस ने अपने पिता से रुपए मांगे थे. पिता ने उसे रुपया देने से स्पष्ट इंकार कर दिया था. जय घोष परेशान था. उस ने उर्वशी को अपनी समस्या बताई थी, तब उर्वशी ने सुझाव दिया था कि वह किसी बैंक या निजी कंपनी से लोन ले कर अपना काम शुरू कर सकता है.

जय घोष ने झटपट लोन देने वाली कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी से 30 लाख रुपए लोन ले लिया था और अपना ब्रास की मूर्तियों का शानदार एंपोरियम खोल लिया था. उर्वशी अब उसी की दुकान पर काम करने लगी थी. एक दिन पार्क में मुलाकात के दौरान जय घोष ने उर्वशी का हाथ पकड़ कर यह वादा किया कि वह बहुत जल्द उस से शादी कर लेगा. तब वह इस दुकान की नौकरीपेशा वर्कर नहीं, मालकिन बनेगी.

लेकिन ऐसा कुछ होने से पहले ही एक ऐसी घटना घटी, जिस ने जय घोष को नीचे से ऊपर तक हिला कर रख दिया.

मंगेतर के न्यूड फोटो देख कर चौंक गया जय घोष

उस दिन जय घोष सुबह जब एंपोरियम पहुंचा और उस ने ताला खोल कर शटर उठाया तो उसे फर्श पर एक बड़ा लिफाफा दिखाई दिया. शायद वह शटर के नीचे से सरकाया गया था. जय घोष ने सोचा कोई डाकिया उस की डाक को एंपोरियम बंद होने के बाद नीचे से अंदर डाल गया होगा.

जय घोष ने उस लिफाफे को उठा कर उलटपलट कर देखा. जय को हैरानी हुई. उस लिफाफे पर न भेजने वाले का नाम था न पाने वाले का. लिफाफे का मुंह खुला हुआ था. जय घोष ने लिफाफे में हाथ डाला तो उस में ए-4 साइज के फोटोग्राफ नजर आए, जिन्हें बाहर खींचते ही जय घोष यूं उछला जैसे उसे बिच्छू ने डंक मार दिया हो.

वह उर्वशी के किसी अंतरंग क्षणों के न्यूड फोटो थे. उर्वशी के जिस्म पर वस्त्र की एक चिंदी भी नहीं थी. पुरुष भी नग्न था. उर्वशी जो उस के दिल की मल्लिका थी, जिसे वह दिल की गहराई से प्यार करता था, उस की इन अश्लील फोटोग्राफ्स ने जय घोष की खोपड़ी घुमा दी.

उर्वशी इतनी बेहया, निर्लज्ज भी हो सकती है, यह वह कल्पना भी नहीं कर सकता था. लेकिन सच्चाई मुंह से बोल रही थी. इसे वह क्या कोई भी झुठला नहीं सकता था. जय घोष का दिल टूट गया. वह पसीने से तरबतर हो गया. उस के ख्वाब बिखर गए थे. उर्वशी के साथ विवाह करने का सपना चूरचूर हो गया था.

जय को गश आ जाता. उस ने जल्दी से शोकेस का सहारा लिया और कुरसी पर बैठ गया. उस ने आंखें बंद कर लीं. काफी देर तक वह उसी तरह बैठा रहा. अब उस ने अपने आप को संभाला, तब साढ़े 10 बज रहे थे. उसे हैरानी हुई, उर्वशी अभी तक शौप पर नहीं आई थी. वह और दिन 10बजे तक आ जाया करती थी.

जय घोष ने जल्दीजल्दी वह फोटोग्राफ्स लिफाफे में डाले और लिफाफा अपनी सीट के पास वाली अलमारी में रख दिया. उर्वशी का एक घिनौना रूप उस के सामने आ चुका था. वह अब उर्वशी को एक पल के लिए भी बरदाश्त नहीं करना चाहता था. वह उर्वशी के आने का रास्ता देखने लगा.

उर्वशी उस रोज 11 बजे आई. उस के शरीर पर गहरे लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज था. उस ने बालों का जूड़ा बनाया हुआ था. उस में गुलाब का फूल खोंसा हुआ था. उस दिन वह और दिनों की अपेक्षा बहुत हसीन लग रही थी. उसे देख कर जय घोष खुश नहीं हुआ. वह सिर झुका कर अपने मोबाइल को देखता रहा.

“गुड मार्निंग जय!” उर्वशी ने मुसकरा कर कहा तो जय ने कोई उत्तर नहीं दिया.

उर्वशी समझी जय उस के लेट आने से नाराज है. उस ने पास जा कर बड़ी संजीदगी से कहा, “सौरी जय, मां की तबीयत खराब हो गई थी, मैं उन्हें दवा दिलवा कर आई हूं, इसी से लेट हो गई.”

“भाड़ में जाओ तुम और भाड़ में जाए तुम्हारी मां, तुम इसी वक्त यहां से दफा हो जाओ.” वह गुस्से से दहाड़ा.

उर्वशी कांप गई. जय ने आज इतने क्रोध से उसे डांटा था, क्यों वह समझ नहीं पाई. वह हैरानी से जय को देखने लगी.

“सुना नहीं तुम ने…मैं कह रहा हूं तुम अभी इसी वक्त मेरी आंखों के सामने से चली जाओ.” जय फिर दहाड़ा.

“क्या हो गया जय. आज तुम मुझ से यह कैसा बर्ताव कर रहे हो?”

“यह फूल तुम्हारे उसी यार ने तुम्हारे जूड़े में खोंसा है न, जिस के साथ तुम बंद कमरे में लिपटतीचिपकती हो.” जय ने जहर उगला.

“जयऽऽ” उर्वशी चीख पड़ी, “तुम मेरी जान ले लो, लेकिन मुझ पर ऐसे गंदे आरोप मत लगाओ. मैं सिर्फ तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूं.”

“यह सती सावित्री होने का ढोंग मेरे सामने मत करो उर्वशी, तुम्हारी असलियत मेरे सामने आ गई है. तुम बेहया, निर्लज्ज और कुलटा हो. अच्छा यही है, तुम मेरी आंखों के आगे से दफा हो जाओ.” जय जहरीले स्वर में बोला.

उर्वशी की आंखें भर आईं. वह जय के पास आ कर उस के हाथ पकड़ कर अपनी गरदन पर रखते हुए रो पड़ी, “लो घोंट दो अपनी उर्वशी का गला, लेकिन उसे इतनी गंदी गाली मत दो जय.”

जय ने उसे धक्का दे कर दूर धकेला और उठ कर अलमारी से वह लिफाफा निकाल लिया जो उसे सुबह फर्श पर मिला था. जय ने सारे फोटो निकाल कर शोकेस पर रखते हुए विष बुझे स्वर में कहा, “यह देखो, तुम्हारी बेहयाई का सबूत…”

फोटो देख कर अचंभे से फैल गईं उर्वशी की आंखें

फोटोज पर नजर पड़ते ही उर्वशी की आंखें अचंभे से फैल गईं. वह हैरानी से उन फोटो को देखने लगी. फोटो में एक पराए पुरुष के साथ वह निर्वस्त्र मौजूद थी. थोड़ी देर वह ठगी सी खड़ी रही फिर बोली, “यह सब झूठे फोटो हैं जय, मैं ऐसा करने से पहले मर जाना पसंद करूंगी.”

“इसे झुठला रही हो तुम, यह तो तुम्हारी निर्लज्जता का प्रमाण है उर्वशी. तुम्हें इस पुरुष के साथ मुंह काला करना था तो मेरे साथ प्यार का खेल क्यों खेला? मुझे किसलिए अपने प्रेमजाल में फांसा?”

उर्वशी की नजरें अभी भी उन फोटो पर थीं. एकाएक वह चौंकी. उस ने एक फोटो को उठा कर बहुत ध्यान से देखा. उस की आंखों में तीखी चमक उभर आई.

“ओह तो यह ट्रिकबाजी है,” उर्वशी बड़बड़ाई फिर उस ने जय की कलाई पकड़ ली और उसे केबिन की तरफ घसीटते हुए बोली, “मेरे साथ चलो जय, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूं.”

न चाहते हुए भी जय उस के साथ उस एंपोरियम के कोने में आराम करने के मकसद से बने केबिन में आ गया. उर्वशी ने केबिन बंद कर लिया और लाइट जला दी.

क्या उर्वशी की फोटोज का सच सामने आ सकेगा? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग…

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