अगले दिन रंजीत ने अपने मोबाइल पर किसी अनजान नंबर की घंटी सुनी. जैसे ही उस ने हैलो कहा तो दूसरी तरफ से लड़की की आवाज सुनाई दी. वह बोला, ‘‘कौन, किस से बात करनी है.’’
‘‘ओह हम ने तो सोचा था कि तुम काफी स्मार्ट हो, पर तुम तो जीरो निकले मि. स्मार्ट.’’ कहते हुए लड़की हंसने लगी.
रंजीत समझ गया कि वह गायत्री है. रंजीत मन ही मन बहुत खुश हुआ. वह सफाई देते हुए वह बोला, ‘‘सौरी गायत्री, मैं समझा किसी और का फोन है. अब मैं तुम्हारा फोन नंबर मोबाइल में सेव कर लूंगा.’’
‘‘हां, समझदार दिखते हो. सुनो, आज मुझे 2 घंटे के बाद एटा जाना है. तुम मोड़ पर मिलो.’’ गायत्री ने कहा.
रंजीत निर्धारित समय से पहले ही वहां पहुंच गया. उस के कुछ देर बाद गायत्री भी आ गई. उस दिन से रंजीत और गायत्री के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. दोनों ही लोगों की नजरों से छिप कर मिलने लगे. लेकिन लाख छिपाने पर भी ऐसी बातें छिप नहीं पातीं. गांव के किसी आदमी ने गायत्री को रंजीत की बाइक पर बैठे देखा तो उस ने रामबाबू को यह बात बता दी.
घर वालों की परेशानी बढ़ाई गायत्री ने
रामबाबू परेशान हो गया. घर आ कर उस ने गायत्री से पूछताछ की तो उस ने इस बात से इनकार कर दिया. रामबाबू ने सोचा कि शायद पड़ोसी को कोई गलतफहमी हो गई होगी.
लेकिन अब गायत्री सतर्क हो गई थी. उस का और रंजीत का प्यार परवान चढ़ने लगा था. अपनी मुलाकातों के दौरान प्रेमी युगल भविष्य के सपने बुनने लगा था. हालांकि दोनों की जाति एक थी पर रंजीत न तो कोई कामधंधा करता था और न ही उस की छवि अच्छी थी. गायत्री अच्छी तरह जानती थी कि घर वाले उस के इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे.
दूसरी ओर दोनों के इश्क की खबरें लोगों तक पहुंचने लगी थीं. लोग दोनों के बारे में खुसुरफुसुर करने लगे. कई लोगों ने रामबाबू से शिकायत की कि उसे अपनी बेटी पर कंट्रोल करना चाहिए. लोगों की बातें सुन कर वह परेशान हो गया था. जबकि गायत्री यही कहती कि लोगों को तो बातें बनाने की आदत होती है. फालतू में उसे बदनाम कर रहे हैं.
लेकिन एक दिन गायत्री और रंजीत ने रात को मिलने का फैसला किया. गायत्री के घर के सभी लोग सो चुके थे. देर रात को रंजीत उस के यहां पहुंच गया. गायत्री बाहरी गेट खोल कर उसे अंदर ले आई, पर वह दिन उन की मुलाकात के लिए ठीक नहीं रहा.
उस रात गायत्री के भाई टीटू की तबीयत ठीक नहीं थी. वह टौयलेट जाने को उठा तो देखा, मेन गेट की कुंडी खुली हुई है. उसे कुछ शक हुआ तो उस ने गायत्री के कमरे में झांक कर देखा, गायत्री वहां नहीं थी. वह टौयलेट जाने के बजाए तेजी से गेट खोल कर बाहर आया. तभी कोई व्यक्ति छत से कूद कर भाग गया. टीटू भाग कर अंदर आया तो देखा, गायत्री कमरे में थी.
‘‘तू कहां गई थी?’’ टीटू ने उस से पूछा.
‘‘मैं तो यहीं थी भैया, क्यों क्या हुआ आप कुछ परेशान से दिख रहे हैं?’’ गायत्री ने कहा.
टीटू की समझ में नहीं आ रहा था कि सच क्या है. कुछ देर पहले गायत्री कमरे में नहीं थी. किसी के छत से कूदने की आवाज भी उस ने सुनी थी, पर देखा किसी को नहीं था. क्या उसे भ्रम हुआ था. पर बाहरी दरवाजे की कुंडी भी खुली हुई थी. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. वह वहां से चुपचाप चला गया.
गुपचुप खेला जाने लगा खेल
गायत्री ने राहत की सांस ली. वह जानती थी कि अगर भाई ने रंजीत को देख लिया होता तो उस की खैर नहीं थी. अगले दिन उस ने रंजीत को फोन पर सारी बात बताई और सतर्क रहने को कह दिया. इधर टीटू को लगने लगा था कि कुछ तो है जो वह देख नहीं पा रहा, जबकि लोग देख रहे हैं. बहन पर उस का शक पक्का होने लगा था.
अब वह गायत्री पर गहरी नहर रखने लगा. गायत्री भी मन ही मन डर गई थी. इधर टीटू ने एक दिन मां से कहा कि वह बहन को ले कर काफी चिंतित है. अगर कोई ऊंचनीच हो गई तो कहीं के नहीं रहेंगे. लेकिन मां ने कहा, ऐसी कोई बात नहीं है, गायत्री ऐसी लड़की नहीं है.
एक दिन टीटू ने खुद गायत्री को रंजीत के साथ देख लिया. वह उस के साथ बाइक पर थी. टीटू जब घर आया तो उस ने देखा गायत्री घर पर ही थी. उस ने उस से पूछा कि अभी कुछ देर पहले वह कहां थी.
गायत्री ने कहा मैं तो अपनी सहेली के घर गई थी. टीटू को लगा कि वह झूठ बोल रही है. लिहाजा उस ने उस की पिटाई कर दी और कहा, ‘‘आइंदा अगर मैं ने तुझे किसी के साथ देखा तो जान से मार दूंगा.’’
मां को भी लगने लगा कि गायत्री कुछ तो गड़बड़ कर रही है. जब देखो तब बाहर भागने की कोशिश करती है. इसलिए मां ने भी उस से कहा, ‘‘आज से तेरा घर से बाहर जाना बंद, अब घर का काम सीख, वरना ससुराल जा कर हमारी बेइज्जती कराएगी.’’
‘‘मैं क्या कोई कैदी हूं मां, जो मुझे बांध कर रखोगी. आखिर मैं ने किया क्या है.’’ गायत्री ने कहा तो टीटू ने उसे कस कर तमाचा जड़ दिया, ‘‘तू क्या समझती है, हम अंधे हैं.’’
गायत्री रोती हुई कमरे में चली गई और उस ने मौका देख कर रंजीत को सारी बात बता दी. उस ने कहा कि जल्दी कुछ सोचो, वरना ये लोग हमें अलग कर देंगे.
अगले दिन टीटू ने रंजीत को रास्ते में रोक कर कहा, ‘‘तू गायत्री का पीछा करना छोड़ दे वरना बुरा होगा.’’ रंजीत ने टीटू को समझाने की कोशिश की कि उसे शायद कोई गलतफहमी हुई है.
गायत्री और रंजीत की हकीकत आई सामने
इधर रंजीत ने प्रेमिका से मिलने का एक उपाय खोज लिया. उस ने कैमिस्ट से नींद की गोलियां खरीद कर गायत्री को देते हुए कहा कि वह रात के खाने में कुछ गोलियां मिला दिया करे. फिर दोनों बेखौफ हो कर मिला करेंगे. गायत्री ने अब रात का खाना बनाने की जिम्मेदारी ले ली. इस के बाद वह जब अपने प्रेमी से मिलने का प्रोग्राम बना लेती तो खाने में नींद की गोलियां मिला देती. पूरा परिवार गोलियों के असर से गहरी नींद में सो जाता लेकिन सुबह जब वे लोग उठते तो सब का सिर भारी होता.