अगली सुबह संदीप अपने गांव हनुमानगढ़ लौट गया. संदीप के दिलोदिमाग में पूजा बस चुकी थी. हफ्ते 10 दिन बाद कमरानी आने वाला संदीप इस बार तीसरे दिन ही बहन के घर आ गया. वह सीधा पूजा के घर में चला गया. घर पर पूजा की मां व कालूराम मौजूद थे. पूजा ने दोनों को संदीप का परिचय दिया.
कालूराम के कहने पर पूजा ने संदीप के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम किया. कालू व पूजा ने संदीप से खाना खा कर जाने को कहा. इस पर वह बोला, ‘‘दोपहर का खाना दीदी के यहां है और रात का आप के यहां.’’ कहते हुए संदीप ने कालू के साथ दोस्ती बढ़ाने का रास्ता बनाना शुरू कर दिया.
सांझ ढलते ही संदीप शराब की बोतल ले कर पूजा के घर आ गया. पूजा भी अपने आशिक की आवभगत में जुट गई. आंगन में कालू व संदीप की महफिल सजी. पूजा ने सलाद बना कर दी. कालू को जैसे लंबे अंतराल के बाद शराब मयस्सर हुई थी. वह पैग पर पैग गटकने लगा. संदीप की भी यही चाहत थी कि कालू नशे में टल्ली हो जाए.
कालू आधी से ज्यादा बोतल पी कर मदहोशी की हालत में पहुंच गया. पूजा ने दोनों के लिए चारपाई पर खाना लगा दिया. पूजा की मां विद्या सो चुकी थी. संदीप की चाहत पर पूजा भी अपने लिए खाने की थाली ले आई. कालू बिना भोजन किए ही चारपाई पर लुढ़क गया. पूजा और संदीप के लिए मनचाहा माहौल बन चुका था.
दोनों आंगन में बने दूसरे कमरे में चले गए. एकांत में दोनों ने जीभर के मौजमस्ती की. अगले दिन भी यही क्रम दोहराया गया. अगली सुबह पूजा काका सिंह के घर गई. एकांत पा कर पूजा ने संदीप से कहा, ‘‘तुम्हारा सरेआम मेरे घर आना मां को अखर रहा है, कुछ पड़ोसी भी अंगुली उठाने लगे हैं.’’
‘‘ऐसीतैसी लोगों की, मैं किसी से भी नहीं डरता. अब मैं तेरे बिना जिंदा नहीं रह सकता. तू चाहे तो मुझ से ब्याह रचा कर मुझे अपना बना ले.’’ संदीप बोला.
‘‘संदीप, ब्याह कर नहीं तू मुझे भगा ले जा और अपनी बना ले. फिर हम दोनों अपनी मर्जी से जिंदगी जी सकेंगे. सच्चाई यह है कि मैं भी तेरे बिना नहीं जी सकती.’’ पूजा ने उदासी भरे लहजे में कहा. उसी वक्त दोनों ने रात को भूसे वाले कोठे में मिलने की योजना भी बना ली.
नियत समय पर दोनों कोठे में पहुंच गए. मिलन के बाद संदीप ने पूजा के बालों में अंगुलियां फिराते हुए कहा, ‘‘देखो पूजा, भागनेभगाने के चक्कर में मुकदमेबाजी या छिपनेछिपाने का भय बना रहेगा. मैं ने एक ऐसी योजना बनाई है, जिस में सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी. बस योजना में तेरा साथ चाहिए.’’ संदीप ने कहा.
पूजा के पूछने पर संदीप ने पूरी योजना उसे समझा दी. योजना सुन कर पूजा खुशी से उछल पड़ी.
अगले दिन से पूजा ने योजना पर अमल करना शुरू कर दिया. शाम के समय कालू मजदूरी से लौट आया. मां रोटियां सेंक रही थीं. कालू आंगन में खाना खाने बैठ गया. उसी वक्त पूजा ने मां से कहा, ‘‘मां, तू इन्हें समझा कि यह काम छोड़ कर किसी जमींदार से 2-4 बीघा जमीन बंटाई पर ले लें. मिलजुल कर खेती कर लेंगे. कम से कम मेहनतमजदूरी तो नहीं करनी पड़ेगी.’’
‘‘यह सब इतना आसान है क्या?’’ कालू ने कहा तो पूजा बोली, ‘‘संदीप की कई बडे़ जमींदारों से जानपहचान है. वह हमें बंटाई पर जमीन दिला देगा. इस बार संदीप आए तो बात कर लेना.’’
पूजा का यह सुझाव कालू और मां को पसंद आ गया. 2 दिन बाद ही संदीप कमरानी आ गया. पूजा उसे अपने घर ले आई. संयोग से उस वक्त कालू व विद्या घर पर ही थे.
‘‘संदीप भाई, सुना है तुम्हारी कई जमींदारों से जानपहचान है. हमें भी थोड़ी सी जमीन बंटाई पर दिलवा दो. संभव है, हमारे भी दिन फिर जाएं.’’ कालू राम ने कहा.
‘‘भैया मेरे पिताजी रावतसर क्षेत्र के चक 2 के एम के बड़े दयालु स्वभाव के किसान सुखदेव सिंह कांबोज के यहां कई वर्षों से बंटाई पर खेती कर रहे हैं. मैं आज ही उन के पास जा रहा हूं. मुझे पूरी उम्मीद है कि वहां आप का काम बन जाएगा.’’ संदीप ने जवाब दिया.
मजहबी सिख कौर सिंह हनुमानगढ़ टाउन में रहता था. उस के 2 ही बच्चे थे, संदीप और एक बेटी जिस ने कमरानी निवासी काका सिंह के साथ प्रेम विवाह कर लिया था. करीब 5 वर्ष पूर्व कौर सिंह की पत्नी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. उस के मायके वालों ने कौर सिंह के खिलाफ दहेज हत्या का केस दर्ज करवा दिया था.
पुलिस ने इस केस में कौर सिंह को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया था. कालांतर में दोनों पक्षों में राजीनामा हो गया. फलस्वरूप कौर सिंह 12 महीनों बाद जेल से बाहर आ गया. हनुमानगढ़ में अपनी जायदाद बेच कर कौर सिंह रावतसर क्षेत्र में चक 2 केएम के किसान सुखदेव सिंह के यहां ढाणी में रह कर बंटाई पर खेती करने लग गया. जबकि संदीप आवारागर्दी करने के अलावा कोई काम नहीं करता था.
2 दिन बाद संदीप फिर कमरानी लौटा. उस ने पूजा व कालूराम को खुशखबरी दी कि पिताजी के यहां उन दोनों को काम मिल जाएगा. सितंबर 2017 में संदीप, कालूराम व पूजा को ले कर चक 2 केएम कौर सिंह के पास पहुंच गया. इस दौरान संदीप भी नशेड़ीबन गया था.
‘‘पापा ये लोग दीदी के पड़ोसी हैं. कालूराम खेतीबाड़ी के सारे काम जानता है. इन्हें बंटाई पर जमीन दिलवा दो ताकि इन की गुजरबसर हो सके.’’ संदीप ने कहा.
‘‘हां हां क्यों नहीं, वह साइड वाली ढाणी खाली पड़ी है. दोनों उस में डेरा जमा लें. अभी तो सारी जोत बंटाई पर उठा दी गई है. फिर भी मैं कोई न कोई रास्ता निकाल दूंगा. यहां काम की कोई कमी नहीं है. दोनों मियांबीवी 7 सौ रुपए रोजाना आराम से कमा लेंगे.’’ कौर सिंह ने कहा.
अगले दिन से कालू व पूजा ने दिहाड़ी मजदूरी का काम शुरू कर दिया. दोनों ने खाली पड़ी ढाणी में अपना बोरियाबिस्तर जमा लिया था. संदीप पूजा का सान्निध्य पाने की गरज से उन के साथ दिहाड़ी पर काम करने लगा. हाड़तोड़ मेहनत करने से संदीप भी कालू की तरह रोजाना नशे की खुराक लेने लग गया था. खाना खाते ही कालू व संदीप नींद के आगोश में चले जाते थे.