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23 जनवरी, 2023 की सुबह थाना जलालाबाद के लिए एक बुरी खबर ले कर आई. बरेली राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की ओर से थाने में किसी ने फोन किया कि दिल्लीलखनऊ रेलवे ट्रैक के फरीदपुर स्टेशन के करीब पडऩे वाले पचोली गांव के फाटक के पास एक व्यक्ति का हाथ कटा शव पड़ा है. शायद वह किसी ट्रेन की चपेट में आ गया है.

थाना जलालाबाद उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर में पड़ता है, इसलिए सूचना मिलते ही वहां के एसएचओ प्रवीण सोलंकी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. फाटक पचोली के करीब रेलवे लाइन की दाईं ओर एक व्यक्ति का शव पड़ा हुआ था. उस से कुछ दूरी पर उस का कटा हुआ हाथ भी पड़ा दिखाई दे रहा था. शव के पास फैला खून जम कर काला पड़ चुका था, इसी से एसएचओ ने अनुमान लगाया कि उस व्यक्ति की मौत करीब 7-8 घंटे पहले हुई है.

चूंकि रात को इधर कोई आया नहीं होगा, इस कारण यहां शव पड़े होने की जानकारी रात को नहीं मिल सकी. सुबह बरेली जीआरपी की गश्त करने वाली टीम इधर से गुजरी, तब यहां शव पड़े होने की जानकारी थाने में दी गई. एसएचओ सोलंकी ने शव का मुआयना किया. वह 34-35 वर्ष की उम्र का था, उस ने पैंट पहनी हुई थी. शव की जेबें टटोली गईं तो जेबों में से ऐसा कोई सामान नहीं मिला जिस से उस की पहचान हो सके. पैंटशर्ट पर किसी टेलर का लेबल भी नहीं था.

अब तक हलकी धूप निकल आई थी और पचोली गांव के लोग दिशामैदान के लिए रेलवे ट्रैक की तरफ आने लगे थे. जैसे ही उन्हें रेलवे लाइनों में किसी व्यक्ति की लाश मिलने की जानकारी हुई, वे वहां एकत्र होने लगे. खबर गांव में पहुंची तो पूरा गांव ही वहां उमड़ आया. इन में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी थे. सभी की नजरें उस व्यक्ति के शव पर थीं. पुलिस ने उन से रेलवे लाइनों में पड़ी लाश को पहचानने के लिए कहा, लेकिन किसी ने भी उस व्यक्ति को नहीं पहचाना.

किसी भी तरीके से उस व्यक्ति की शिनाख्त न होने से एसएचओ प्रवीण सोलंकी ने आवश्यक काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. जलालाबाद थाने के एसएचओ प्रवीण सोलंकी के लिए सब से पहले उस व्यक्ति की शिनाख्त होनी जरूरी थी. उन्हें विश्वासथा कि कोई न कोई इस व्यक्ति की गुमशुदगी के लिए जरूर आएगा. अपनी ओर से सोलंकी ने आसपास के थानों में उस व्यक्ति के शव का फोटो वाट्सऐप से भेज कर उस की गुमशुदगी दर्ज होने के बारे में पूछा तो पता चला कि उन के यहां उस हुलिए के शख्स की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी.

2 दिन बीत गए. प्रवीण सोलंकी उस वक्त ज्यादा परेशान हो गए, जब उन की मेज पर उस व्यक्ति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पहुंची. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. हत्या करने से पहले उसे शराब में नशे की गोलियां भी मिला कर दी गई थीं. एसएचओ अभी तक यही मान कर चल रहे थे कि वह व्यक्ति नशे में रेलवे ट्रैक पर आ गया था, किसी ट्रेन की चपेट में वह आया तो हाथ कट गया, वह बेहोश हो गया. अधिक खून बहा जिस से उस की मौत हो गई. लेकिन उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कहानी दूसरी ही सामने आई.

यह दुर्घटना नहीं, हत्या की सोचीसमझी साजिश थी. रात के अंधेरे में हत्यारा यह नहीं देख पाया कि उस ने उसे ट्रैक पर डाला है या साइड में. साइड में लाश होने की वजह से उस का एक हाथ ही कटा, पूरा शरीर नहीं. पुलिस ने अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया.

एसपी (ग्रामीण) एस. आनंद ने इस मामले के खुलासे के लिए अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार वाजपेयी के निर्देशन में थाना जलालाबाद के एसएचओ प्रवीण सोलंकी को यह केस हल करने के लिए नियुक्त कर दिया. उन के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी गई, जिस में इंसपेक्टर चमन सिंह, खालिक खान, कांस्टेबल अंकित, सोनवीर, आशीष, विपिन कुमार, दीपेंद्र और सुमित कुमार को शामिल किया गया.

लाश की हो गई शिनाख्त…

2 दिन बीत गए, लेकिन उस अज्ञात लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी थी. जब तक उस की शिनाख्त नहीं होती, जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. एसएचओ ने उस व्यक्ति की लाश के फोटो आसपास के गांव के आनेजाने वाले रास्तों पर चिपकवा दिए थे. उन की यह युक्ति काम कर गई. तीसरे दिन ही सुबह मोहल्ला गोसनगर निवासी कमलेश्वर सिंह ठाकुर अपने बेटे की तलाश में थाना जलालाबाद आ गए. वह काफी घबराए हुए थे.

एसएचओ के सामने आते ही कमलेश्वर सिंह रो देने वाले स्वर में बोले, ‘‘साहब, मैं लाश का फोटो देख कर यहां दौड़ा चला आया हूं. साहब, मेरा बेटा सुजीत 22 जनवरी, 2023 से लापता है. जो पोस्टर में लाश की फोटो लगाई गई है, वह मेरे बेटे सुजीत से मिलती है.’’

“हम ने लाश को मोर्चरी में रखवा रखा है, आप पहले लाश देख लीजिए. कई बार फोटो देख कर आंखें धोखा भी खा जाती हैं.’’ एसएचओ सोलंकी ने कहा और कमलेश्वर सिंह को कांस्टेबल अंकित के साथ मोर्चरी भेज दिया.  मोर्चरी में जो लाश रखी गई थी, कमलेश्वर सिंह ने उस की पुष्टि अपने बेटे सुजीत के रूप में कर ली. लाश देख कर कमलेश्वर रोने लगे. सांत्वना देने के बाद कांस्टेबल अंकित उन्हें वापस थाने में ले आया. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद एसएचओ ने चैन की सांस ली. कमलेश्वर उस समय भी रो रहे थे.

बहू पर जताया हत्या का शक…

एसएचओ सोलंकी ने उन्हें पानी पीने को दिया. जब वह पानी पी चुके तो एसएचओ ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘मुझे आप के बेटे सुजीत की मौत का गहरा दुख है. उस की लाश हमें फरीदपुर के गांव पचोली के फाटक के पास रेलवे लाइन पर मिली थी.

क्या आप बताएंगे, सुजीत वहां क्या करने गया था?’’

कमलेश्वर सुन कर रुआंसे स्वर में बोले, ‘‘मेरे बेटे का पचोली गांव से कोई संबंध नहीं था साहब. हत्यारों ने उसे मार कर वहां रेलवे लाइन पर फेंका होगा.’’

“मुझे भी ऐसा ही शक है.’’ सोलंकी सिर हिला कर बोले.

“क्या आप को किसी पर शक है?’’

“हां साहब, मुझे इरफान और अपनी दोनों बहुओं पर शक है. मेरी छोटी बहू विमला अपने पति सुजीत को पसंद नहीं करती थी. तांत्रिक इरफान मेरी बड़ी बहू संगीता से अच्छी तरह परिचित है. वह तंत्रमंत्र जानता है. बड़ी बहू संगीता ने उसे कई बार घर बुला कर अपने पति अजीत और देवर सुजीत को वश में करने के लिए इरफान से तांत्रिक क्रियाएं करवाई थीं. 22 जनवरी, 2023 को इरफान के बुलाने पर ही सुजीत घर से गया था, वह वापस नहीं लौटा. लौटा है तो लाश के रूप में.’’ कह कर कमलेश्वर सुबकने लगे.

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