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मां बनने के बाद पूजा का यौवन ताजे गुलाब की भांति खिल गया था, वह सुंदर तो थी ही, उस का रूप अब और निखर आया था. पति राकेश को टिफिन तैयार कर के ड्यूटी पर भेजने के बाद कमरे की साफसफाई और 2-4 जोड़ी कपड़े धोने का काम ही बचता था, जिसे निपटा लेने के बाद पूजा के पास आराम करने, टीवी देखने के अलावा कोई काम नहीं रह जाता था. बेटा एक साल का था, इसलिए नहलाने और पेट भर दूध पिलाने के बाद वह आराम से घंटों सोता रहता था. रोजरोज एक ही तरह का काम करना पड़े तो आदमी ऊब जाता है. पूजा अब आराम करने या टीवी देखने से ऊबने लगी थी.

फ्लैटों में आसपड़ोस से ज्यादा वास्ता रखने का चलन नहीं होता है. सभी अपने फ्लैट का दरवाजा बंद कर रखते हैं. पूजा को भी दरवाजा बंद कर के रहना पड़ता था. पड़ोसियों से अधिक बोलचाल न होने से पूजा दिन भर बोर होती रहती थी. शाम को राकेश लौटता था, तभी उस के चेहरे पर रौनक आती थी. रात राकेश की बांहों में गुजर जाती थी, दूसरा दिन फिर बोरियत भरा. वह क्या करे, क्या न करे इसी सोच में थी कि एक दिन सुबह 10 बजे उस के घर की कालबेल बजी. राकेश तो ड्यूटी पर चला गया है, इस वक्त कौन आया होगा? सोच में डूबी पूजा दरवाजे पर आ गई.

“कौन है?’’ पूजा ने दरवाजे के पीछे से ऊंची आवाज में पूछा, ‘‘जी, मैं आप की वाशिंग मशीन ले कर आया हूं, दरवाजा खोलिए.’’ बाहर से बताया गया.

“लेकिन हम ने तो वाशिंग मशीन नहीं मंगवाई है.’’ पूजा ने हैरानी से कहा.

“यह राकेश मीणा जी का ही घर है न?’’

“बेशक! यह मेरे पति राकेश मीणा का ही घर है.’’

“आप के पति राकेशजी ने हमारी कंपनी को फोन कर के वाशिंग मशीन घर में भेजने को कहा है. आप अपने पति राकेशजी से पूछ लीजिए.’’

पूजा ने तुरंत पति राकेश को फोन मिला दिया और पूछा, ‘‘क्या आप ने वाशिंग मशीन खरीदी है?’’

“ओह!’’ राकेश चौंकता हुआ बोला, ‘‘मैं तुम्हें फोन करना भूल गया था पूजा. देखो कंपनी से कोई वाशिंग मशीन ले कर आएगा, उसे अपने हिसाब से लगवा लेना.’’

“कंपनी ने वाशिंग मशीन भेज दी है, मेरे भुलक्कड़ पति.’’ पूजा मुसकरा कर बोली, ‘‘मैं उसे रिसीव कर रही हूं.’’ पूजा ने फोन काटने के बाद दरवाजा खोल दिया. दरवाजे पर 2 युवक एलजी की आटोमैटिक वाशिंग मशीन के साथ खड़े थे. दोनों पसीने से भीगे थे.

“सौरी.’’ पूजा झेंपते हुए बोली, ‘‘मेरे पति मुझे पहले ही बता देते तो मैं आप को इतनी देर इंतजार नहीं करवाती. आप तो जानते ही हैं, ऐसी जगह पर बहुत सावधानी से रहना पड़ता है.’’

“कोई बात नहीं जी.’’ उन दोनों में से एक युवक जो देखने में स्मार्ट दिखाई पड़ रहा था, हंस कर बोला, ‘‘पहले आप ठंडा पानी पिलाइए. फिर मैं आप की पसंद से मशीन सैट कर दूंगा.’’

“जी हां,’’ पूजा जल्दी से बोली, ‘‘आप दोनों अंदर आ जाइए और पंखे में पसीना सुखा लीजिए. मैं आप के लिए शरबत बना कर लाती हूं.’’ पूजा रसोई में चली गई.

वह नींबू का शरबत बना कर 2 गिलास ट्रे में ले कर आई तो दोनों युवक ड्राइंगरूम में बैठे पसीना सुखा रहे थे. “आज बहुत गरमी है.’’ पूजा ने कहा और दोनों को शरबत दे दिया.

“आप अपने लिए शरबत नहीं लाई भाभीजी.’’ उस स्मार्ट से नजर आने वाले युवक ने पूछा. भाभी का संबोधन सुन कर पूजा मुसकराने लगी, ‘‘आप ने तो रिश्ता भी जोड़ लिया जी.’’

“मेरा नाम कृष्ण कुमार मीणा है.’’ उस हैंडसम युवक ने बगैर हिचके कहा, ‘‘मीणा जाति से हूं तो आप के पति का मैं छोटा भाई बन गया और आप का देवर, इस नाते से आप मेरी भाभी लगीं.’’

“बातें बनाने में माहिर लगते हो,’’ पूजा हंसते हुए बोली, ‘‘चलो शरबत पी कर वाशिंग मशीन सैट करवा दो.’’ कृष्ण और उस के साथी ने शरबत पी लिया और पूजा के द्वारा बताई जगह पर वाशिंग मशीन लगा कर उस के प्रयोग का तरीका भी समझा दिया. पूजा ने महसूस किया कि वाशिंग मशीन लगाने के दौरान कृष्ण मीणा उसे चोर नजरों से निहार रहा था.

पूजा के दिल में इस बात से गुदगुदी होने लगी. पहली मुलाकात थी, इसलिए संकोचवश वह ज्यादा नहीं बोली. कृष्ण मीणा ने जाते समय अपना मोबाइल नंबर पूजा के मोबाइल में फीड करवा दिया और यह कह कर पूजा का मोबाइल नंबर ले लिया कि 2 दिन बाद उस से वाशिंग मशीन के विषय में पूछताछ करेगा. यदि मशीन की कोई कंप्लेन हो तो वह बेहिचक उसे फोन कर के बता सकती हैं.

दिल में बस गया कृष्ण कुमार…

कृष्ण मीणा चला गया तो पूजा उसी के विषय में दिन भर सोचती रही. शाम को राकेश लौट कर आया तो पूजा के दिमाग से कृष्ण मीणा का खयाल निकल गया. वह पति की सेवा में लग गई. पूजा कृष्ण मीणा को भूल ही गई थी. 2 दिन बाद कृष्ण मीणा ने उस का नंबर मिला दिया. पूजा ने काल रिसीव की तो कृष्ण मीणा का चहकता स्वर उभरा, ‘‘कैसी हो भाभी, पहचाना या भुला दिया अपने देवर को?’’

पूजा उसे तुरंत पहचान गई थी, वह मुसकरा कर बोली, ‘‘भूली नहीं हूं देवरजी, बताओ कैसे हो?’’

“ठीक नहीं हूं भाभी. जब से तुम्हारे घर से लौटा हूं, कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.’’ कृष्ण ने दूसरी तरफ से आह भरते हुए बताया.

“अरे तो किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाओ.’’

“जो रोग लग गया है, वह किसी डाक्टर से ठीक होने वाला नहीं है,’’ कृष्ण ने दूसरी ओर ठंडी सांस भरी, ‘‘उस का इलाज तुम्हारे पास है भाभी.’’

कृष्ण की बात का मतलब समझते ही पूजा के दिल की धडक़नें बढ़ गईं. वह खुद को संभालते हुए अनजान बन कर बोली, ‘‘मेरे पास भला तुम्हारी बीमारी का क्या इलाज है?’’

“मुझे नींद नहीं आ रही है भाभी. जब से तुम्हारी मोहिनी सूरत देखी है, रात भर जागता रहता हूं, तुम अपने पहलू में थपकी दे कर सुलाओगी तो नींद आ जाएगी.’’

पूजा का तनमन रोमांच से भर गया. कृष्ण उस पर दिलोजान से फिदा हो गया है, यह सोच कर ही उस के दिल में घंटियां बजने लगीं. उस ने मादक अंगड़ाई ली और इस प्रकार फुसफुसाई जैसे कोई पास में खड़ा हो और उस की बात सुन लेगा, ‘‘कल वह ड्यूटी चले जाएंगे तो आ जाना. कोशिश करूंगी कि तुम्हें मीठी नींद आ जाए.’’ कहने के बाद पूजा ने तुरंत फोन काट दिया. अपनी बात पर वह खुद शरमा गई थी. यानी डिलीवरी बौय कृष्ण कुमार मीणा से उसे प्यार हो गया था.

हो गए अवैध संबंध…

दूसरे दिन राकेश टिफिन ले कर ड्यूटी पर चला गया तो 10 मिनट बाद ही कृष्ण ने आ कर कालबेल बजा दी. पूजा ने समझा राकेश कुछ भूल गया है वही लौटा है. लेकिन दरवाजा खोलने पर कृष्ण नजर आया तो वह चौंक कर बोली, ‘‘क्या राकेश के घर से निकलने की राह ही देख रहे थे.’’

“ऐसा ही समझ लो भाभी,’’ कहने के साथ ही कृष्ण ने पूजा को बाहों मे भर लिया.

“बड़े बेसब्र हो देवरजी, तुम्हें अंगुली भी नहीं पकड़ाई, तुम ने सीधे पोंचा ही पकड़ लिया. दरवाजा तो बंद करने देते.’’ पूजा कसमसा कर बोली तो कृष्ण ने उसे छोड़ दिया. पूजा ने दरवाजा बंद कर दिया और कृष्ण की बांह पकड़ कर उसे बैडरूम में ले आई. कृष्ण ने उसे बांहों मे समेटा तो पूजा ने कृष्ण को पति के बैड पर वह सब सौंप दिया, जिस पर केवल उस के पति का अधिकार था. वह तनमन से कृष्ण की हो गई. अर्थात अवैध संबंध कथा की शुरुआत हो चुकी थी. कृष्ण से अवैध संबंध कायम हुए तो पूजा ने उसी के साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं.

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