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सलामत खान यह सबूत ले कर थाने पहुंचे और मोबाइल विवेचना अधिकारी को सौंप दिया. सलामत खान ने पुलिस को यह भी बताया कि कुछ दिन पहले उन के बेटे का बहू से झगड़ा भी हुआ था और दोनों परिवार परामर्श केंद्र भी गए थे, जहां उन की सुलह कराई गई थी. बहू का रवैया और उस की मां की बातचीत से सलामत खान को लग रहा था कि उस के बेटे के साथ कोई साजिश रची गई है.

उन्होंने अपनी आशंका सिविललाइंस थाना पुलिस को बताई भी, लेकिन किसी ने उन की बात नहीं सुनी, क्योंकि जब भी पुलिस पूछताछ के लिए उसे बुलाती तो शालेहा रोधो कर पुलिस को यही बताती थी कि शाहिद शराब पी कर उस के साथ मारपीट करता है. पुलिस उस की बात पर भरोसा कर शालेहा के प्रति कोई ऐक्शन लेने के बजाय सहानुभूति रखती.

थाने में लिखित शिकायत करने के बाद भी पुलिस को भरोसा नहीं हुआ. पुलिस वाले कहते रहे कि केवल शक के आधार पर कोई काररवाई नहीं की जा सकती. पुलिस मामले की जांच करेगी, बिना ठोस सबूत के किसी पर आरोप लगाना ठीक नहीं. वीडियो सामने आने के बाद 10 दिनों तक पुलिस अपने तरीके से इस वीडियो की सच्चाई जानने की कोशिश करती रही.

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पुलिस की लचर कार्यप्रणाली को ले कर सलामत खान रीवा के एसपी विवेक कुमार से मिले और उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया. एसपी ने इस केस की जांच के लिए एडीशनल एसपी अनिल सोनकर के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर जांच का जिम्मा एक तेजतर्रार एसआई बृजराज सिंह को सौंप दिया.

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