बिहार के जिला भागलपुर स्थित कजरैली इलाके का एक गांव है गौराचक्क. वैसे तो इस गांव में सभी जातियों के लोग रहते हैं. लेकिन यहां बहुतायत यादवों की है. यहां के यादव साधनसंपन्न हैं. उन में एकता भी है. उन की एकजुटता की वजह से पासपड़ोस के गांवों के लोग उन से टकराने से बचते हैं.
इसी गांव में परमानंद यादव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 1 बेटी और 2 बेटे थे. बेटी बड़ी थी, जिस का नाम सोनी था. साधारण शक्लसूरत और भरेपूरे बदन की सोनी काफी मिलनसार और महत्त्वाकांक्षी थी. उस के अंदर काफी कुछ कर गुजरने की जिजीविषा थी.
2 बेटों के बीच एकलौती बेटी होने की वजह से सोनी को घर में सभी प्यार करते थे. उस की हर एक फरमाइश वह पूरी करते थे. सोनी के पड़ोस में हिमांशु यादव रहता था. रिश्ते में सोनी उस की बुआ लगती थी. यानी दोनों में बुआभतीजे का रिश्ता था. दोनों हमउम्र थे और साथसाथ पलेबढे़ पढ़े भी थे.
वह बचपन से एकदूसरे के करीब रहतेरहते जवानी में पहुंच कर और ज्यादा करीब आ गए. यानी बचपन के रिश्ते जवानी में आ कर सभी मर्यादाओं को तोड़ते हुए प्यार के रिश्ते की माला में गुथ गए.
सोनी और हिमांशु एकदूसरे से प्यार करते थे. इतना प्यार कि एकदूसरे के बिना जीने की सोच भी नहीं सकते थे. वे जानते थे कि उन के बीच बुआभतीजे का रिश्ता है. इस के बावजूद अंजाम की परवाह किए बगैर प्यार की पींग बढ़ाने लगे. बुआभतीजे का रिश्ता होने की वजह से घर वालों ने भी उन की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया.
एक दिन दोपहर का वक्त था. सोनी से मिलने हिमांशु उस के घर गया. कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. सोनी सोफे पर अकेली बैठी कुछ सोच रही थी. हिमांशु को देखते ही मारे खुशी के उस का चेहरा खिल उठा. हिमांशु के भी चेहरे पर रौनक आ गई. वह भी मुसकरा दिया. तभी सोनी ने उसे पास बैठने का इशारा किया तो वह उस के करीब बैठ गया.
‘‘क्या बात है सोनी, घर में इतना सन्नाटा क्यों है?’’ हिमांशु चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोला, ‘‘चाचाचाची कहीं बाहर गए हैं क्या?’’
‘‘हां, आज सुबह ही मम्मीपापा किसी काम से बाहर चले गए. वे शाम तक ही घर लौटेंगे और दोनों भाई भी स्कूल गए हैं.’’ वह बोली.
‘‘इस एकांत में बैठी तुम क्या सोच रही थी?’’ हिमांशु ने पूछा.
‘‘यही कि सामाजिक मानमर्यादाओं को तोड़ कर जिस रास्ते पर हम ने कदम बढ़ाए हैं, क्या समाज हमारे इस रिश्ते को स्वीकार करेगा?’’ सोनी बोली.
‘‘शायद समाज हमारे इस रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेगा.’’ हिमांशु ने तुरंत कहा.
‘‘फिर क्या होगा हमारे प्यार का? मुझे तो उस दिन की सोच कर डर लगता है, जिस दिन हमारे इस रिश्ते के बारे में मांबाप को पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा?’’ सोनी ने लंबी सांस लेते हुए कहा.
‘‘ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, वे हमें जुदा करने की कोशिश करेंगे.’’ सोनी की आंखों में आंखें डाले हिमांशु आगे बोला, ‘‘इस से भी जब उन का जी नहीं भरेगा तो हमें सूली पर चढ़ा देंगे. अरे हम ने प्यार किया है तो डरना क्या? सोनी, मेरे जीते जी तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है.’’
‘‘सच में इतना प्यार करते हो मुझ से?’’ वह बोली.
‘‘चाहो तो आजमा लो, पता चल जाएगा.’’ हिमांशु ने तैश में कहा.
‘‘ना बाबा ना. मैं ने तो ऐसे ही तुम्हें तंग करने के लिए पूछ लिया.’’
‘‘अच्छा, अभी बताता हूं, रुक.’’ कहते हुए हिमांशु ने सोनी को बांहों में भींच लिया. वह कसमसाती हुई उस में समाती चली गई. एकदूसरे के स्पर्श से उन के तनबदन की आग भड़क उठी. कुछ देर तक वे एकदूसरे में समाए रहे, जब होश आया तो वे नजरें मिला कर मुसकरा पड़े. फिर हिमांशु वहां से चला गया.
लेकिन उन का यह प्यार और ज्यादा दिनों तक घर वालों की आंखों से छिपा हुआ नहीं रह सका. सोनी के पिता को जब जानकारी मिली तो उन के पैरों तले जमीन खिसक गई. परमानंद यादव बेटी को ले कर गंभीर हुए तो दूसरी ओर उन्होंने हिमांशु से साफतौर पर मना कर दिया कि आइंदा वह न तो सोनी से बातचीत करेगा और न ही उन के घर की ओर मुड़ कर देखने की कोशिश करेगा. अगर उस ने दोबारा ऐसी ओछी हरकत करने की कोशिश की तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा.
प्रेम प्रसंग की बातें गांवमोहल्ले में बहुत तेजी से फैलती हैं. परमानंद ने बहुत कोशिश की कि यह बात वह किसी और के कानों तक न पहुंचे पर ऐसा हो नहीं सका. लाख छिपाने के बावजूद पूरे मोहल्ले में सोनी और हिमांशु की प्रेम कहानी के चर्चे होने लगे. इस से परमानंद का मोहल्ले में निकलना दूभर हो गया.
परमानंद ने सोनी पर कड़ा पहरा बिछा दिया. सोनी के घर से बाहर अकेला जाने पर पाबंदी लगा दी. पत्नी से भी उन्होंने कह दिया कि सेनी को अगर घर से बाहर जाना भी पड़ेगा तो उस के साथ घर का कोई एक सदस्य जरूर जाएगा.
पिता द्वारा पहरा बिठा देने से हिमांशु और सोनी की मुलाकात नहीं हो पा रही थी. सोनी की हालत जल बिन मछली की तरह हो गई थी. उसे न तो खानापीना अच्छा लगता था और न ही किसी से मिलनाजुलना. उस के लिए एकएक पल काटना पहाड़ जैसा लगता था.