कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

रामसुशील के साथ रंजना पाल के दिन मजे में गुजर रहे थे. परिवार में पति के अलावा और कोई नहीं था. कहने को तो रिश्तेनाते में चचेरे सासससुर का भरापूरा परिवार था, जिस में 22-24 की उम्र के देवर और चेचेरे रिश्तेदारों के बच्चे भी थे, लेकिन अपने परिवार में केवल 40 वर्षीय पति रामसुशील पाल ही था, जिस के साथ उस की 3 साल पहले शादी हुई थी.

गरीब परिवार की रंजना जब ब्याह कर मध्य प्रदेश के रीवा जिले के उमरी श्रीपत गांव आई थी, तब ससुराल में अच्छीखासी खेती देख कर बहुत खुश हुई थी. पति रामसुशील पाल अकेले ही अपनी खेती को संभालता था. हालांकि उस की कुछ जमीन पर चाचा और उन के रिश्तेदारों ने कब्जा भी कर रखा था. इस कारण उन से उस की नहीं बनती थी.

रामसुशील से उन के बीच खेती के लिए बुवाई, कटाई या सिंचाई के दरम्यान अकसर झगड़ा हो जाता था. चाचा और चचेरे भाइयों के साथ बहस हो जाती थी, कमजोर कदकाठी का रामसुशील अकेला था और वो लोग संख्या में ज्यादा थे, इसलिए वह उन के सामने कमजोर पड़ जाता था. सभी उसे दबा देते थे.

रामसुशील ने पत्नी रंजना पर भी इस बात की पाबंदी लगा रखी थी कि वह चाचा के परिवार से कोई बातचीत नहीं करे और न ही उन के घर जाए. इस कारण उस के घर में आसपास के लोगों का भी आनाजाना नहीं था.

लेकिन पति के घर से चले जाने के बाद रंजना घर में अकेली रह जाती थी, जिस से पति की हिदायतों के बावजूद रंजना का मन परिवार के लोगों से बातें करने को मचलता रहता था. हमउम्र सदस्यों में उन लड़कों को वह तिरछी निगाहों से देखती रहती थी, जिन से उस का देवर का रिश्ता था. उन से हंसीमजाक करने का दिल करता था, जबकि चचेरे ससुर को दूर से देख कर ही घूंघट का परदा कर लेती थी. या सिर पर आंचल संभालती हुई गरदन पीछे की ओर घुमा लेती थी

बात साल 2022 के अक्तूबर महीने की है. दशहरा और दीपावली का त्यौहार भी खत्म हो चुका था. रंजना ने भी 24 अक्तूबर को अपने घर में मिट्टी के दीए जलाए थे. इस से पहले उस ने घर की अच्छी तरह से साफसफाई की थी. इस में उस ने कुछ पड़ोसी लड़कों से मदद भी ली थी.

पुलिस के आने से शुरू हुई कानाफूसी

महीनों से बंद पड़े भूसा घर की भी सफाई की थी. उस की सफाई करने के दौरान कुछ लोगों ने उस में से आने वाली दुर्गंध की शिकायत की थी. इस पर रंजना ने कहा था कि शायद उस में चूहा वगैरह मर गया हो. इस तरह बात आई गई हो गई.

दुर्गंध की शिकायत पर रंजना ने दीपावली के दिन अच्छी सुगंध वाली धूप व अगरबत्तियां जलाई थीं. फिर भी कई दिनों तक धीमीधीमी दुर्गंध का असर बना हुआ था. बच्चे उधर से गुजरते थे, तब नाक बंद कर लिया करते थे.

दीपावली के 2 दिन बाद सुबहसुबह रंजना के घर के पास आई पुलिस को देख कर गांव वाले चौंक गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर पुलिस यहां क्यों आई है? किसे तलाश रही है? गांव में किस ने क्या गुनाह किया है?

पासपड़ोस के कई लोग वहां जुट गए. युवा, औरतों के अलावा बच्चे भी वहां आ गए थे. उन में रंजना और उस के दूसरे कुनबे वाले भी थे. कोई पुलिस से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था.

एएसआई हुकुमलाल मिश्रा ने ही एक बुजुर्ग से पूछा, ‘‘क्या गांव का कोई आदमी लंबे समय से लापता है?’’

‘‘पता नहीं साहब,’’ बुजुर्ग बोला.

‘‘ठीक से ध्यान करो, शायद कोई हो जो दशहरा, दीवाली पर भी नजर नहीं आया हो?’’ एएसआई ने पूछा.

‘‘मुझे तो ध्यान नहीं आ रहा है साहब,’’ अपने दिमाग पर जोर डालते हुए बुजुर्ग बोला. तभी भीड़ से ही आवाज आई, ‘‘रामसुशील भैया.’’

‘‘कौन बोला, सामने आओ जरा…’’ एएसआई मिश्रा ने रौबदार आवाज में कहा.

गरदन में गमछा लपेटे और लुंगी पहने एक मजदूर किस्म का व्यक्ति सामने आया. उस ने बताया कि रामसुशील बहुत दिन से नहीं दिखा है. इसी दौरान एक युवक बीच में ही बोल पड़ा, ‘‘अरे, क्या कहते हो, हम ने तो कल सुबह ही उसे अपने खेत पर जाते देखा था.’’

‘‘अरे, वह रामसुशील नहीं, उस के चाचा का लड़का था. एकदम उसी की तरह चलता है, इसलिए तुम्हें ऐसा लगा होगा.’’ तीसरा बोला.

‘‘क्या कहते हो, रामसुशील का चचेरा भाई उस के खेत पर क्यों जाएगा? उस की उस से बनती ही कहां है? वह रामसुशील ही था.’’

रामसुशील के नाम से बातें होती देख एएसआई मिश्रा ने पूछा, ‘‘रामसुशील का घर कौन सा है?’’

इस पर पास खड़े एक बच्चे ने उस के घर की ओर इशारा कर दिया, जहां दरवाजे पर रंजना आंचल संभाल रही थी.

गांव वालों से पता चली सच्चाई

पुलिस वाले को उस ओर आता देख रंजना घर के भीतर जाने को मुड़ी. तभी महिला सिपाही ने उसे आवाज दी, ‘‘अरे कहां जा रही हो, ठहरो!’’ सुन कर रंजना वहीं ठिठक गई.

‘‘रामसुशील का घर यही है? तुम कौन हो उस की?’’ पुलिस वाले ने पूछा.

‘‘पत्नी है…दूसरी पत्नी,’’ एक आदमी तपाक से बोल पड़ा.

‘‘यह कौन बोला? मैं ने तुम से पूछा क्या पहली या दूसरी पत्नी के बारे में?’’ पुलिस वाले की कड़क आवाज सुन कर बोलने वाला शख्स सहम गया और सामने नहीं आया.

इस बार कांस्टेबल चंद्रभान जाटव ने रंजना के पास जा कर सीधा सवाल किया, ‘‘रामसुशील का घर यही है?’’

रंजना ने ‘हां’ में सिर हिला दिया.

‘‘वह घर में है? बाहर बुलाओ?’’ कुछ जवाब दिए बगैर वह वहीं खड़ी रही.

फिर वही आवाज आई, ‘‘अरे घर में होगा तभी न उसे बुलाएगी. वह तो गांव में महीनों से नजर नहीं आया है.’’

‘‘कौन बोल रहा है भई, उस के बारे में जो कुछ जानते हो सामने आ कर बताओ.’’ कांस्टेबल चंद्रभान जाटव के प्यार से बोलने पर एक व्यक्ति सामने आया.

उस ने बताया कि रामसुशील को गांव से गए हुए साल भर से ज्यादा हो गया. यह हमेशा उस से झगड़ती रहती थी, लगता है इसी कारण ऊब कर कहीं चला गया है.

‘‘सचसच बता, क्या यह आदमी रामसुशील के बारे सही कह रहा है?’’ एएसआई मिश्रा ने रंजना से पूछा.

‘‘गलत बोल रहा है साहब,’’ रंजना बोली.

‘‘तो फिर वह कहां है, बुलाओ उसे.’’

‘‘साहब, वह दीवाली के बाद ही रीवा चला गया था. वहां तो वह कोरोना के बाद से ही मजदूरी कर रहा है. कुछ दिन के लिए आया था. दशहरे पर भी आया था साहब.’’ रंजना सहमती हुई बोली.

‘‘लेकिन वह लड़का तो बोल रहा है कि उसे कल सुबह अपने खेत की तरफ जाते

देखा था.’’ एएसआई मिश्रा ने संदेह भरा सवाल किया.

‘‘वह गलत बोला था साहब, जिस के बारे में बताया वह मेरा चचेरा देवर है. उसी की तरह चालढाल है उस की,’’ रंजना बोली.

‘‘अरे तो फिर यह बताओ कि जिसे तुम अपना चचेरा देवर बता रही हो, तुम्हारे घर से निकल कर तुम्हारे ही खेत की तरफ क्यों जा रहा था? तुम्हारी तो उस के बाप से दुश्मनी है.’’ एक अन्य आदमी बोला.

‘‘वह मेरे कहने पर खेत में पानी पटाने आया था.’’ रंजना ने कहा.

‘‘फिर झूठ बोल रही है. इस वक्त कौन सी फसल लगी है तुम्हारे खेत में… अभी तो जुताई ही हुई है.’’ उस व्यक्ति ने तर्क किया. पुलिस वाले रंजना और गांव वालों की बातें सुन कर उलझन में पड़ गए.

थाने पहुंचते ही रंजना ने स्वीकारा जुर्म

दरअसल, रीवा जिले के मऊगंज थाने के अंतर्गत 25 अक्तूबर, 2022 को एक नाले से लाश बरामद हुई थी, जिस की गरदन कटी थी. उस की शिनाख्त के सिलसिले में पुलिस पता लगा रही थी कि आसपास के गांव का कोई व्यक्ति महीनों से गायब तो नहीं है.

इसी सिलसिले में पुलिस उमरी श्रीपत गांव भी आई थी. यहीं पर पुलिस को पता चला था कि रामसुशील भी गायब है. पूछताछ के दौरान पुलिस को रामसुशील के बारे में संदिग्ध बातों की जानकारी से लाश की पहचान के संबंध में एक उम्मीद जाग गई. रंजना समेत जिन्होंने भी रामसुशील के बारे में जो कुछ बताया, उन्हें पुलिस मऊगंज थाने ले आई, ताकि उन से विस्तार से पूछताछ की जा सके.

थाने में टीआई श्वेता मौर्या ने सब से पहले बरामद लाश के कपडे़ ला कर रंजना के सामने रखते हुए पूछा, ‘‘इन्हें पहचानती हो?’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...