लेकिन लंबे अरसे बाद 8 मार्च की रात एकम सिंह अचानक पिता के पास जा पहुंचा. उस समय वह काफी दुखी और परेशान था. रोते हुए उस ने पिता को बताया था कि वह अपनी जिंदगी से काफी परेशान है. उस की पत्नी और सास उसे परेशान कर रही हैं. उस ने यह भी बताया था कि कल उस के साथ बड़ा धोखा हो सकता है. इस के अलावा भी उस ने कई और चौंकाने वाली बातें बताई थीं.
जसपाल सिंह ने उसे आश्वस्त किया था कि वह जल्दी ही उस के घर आ कर इस मामले में उस की पत्नी और सास से बात कर के उस की समस्या का हल निकालने की कोशिश करेंगे. इस के बाद उन्होंने एकम से खाना खा कर जाने को कहा, लेकिन वह भूख न होने की बात कह कर चला गया था.
अगले दिन सवेरे ही दर्शन सिंह ढिल्लो को उस के किसी दोस्त ने फोन कर के एकम के साथ कोई हादसा होने की बात बताई थी. फोन सुनते ही वह उस के घर की ओर चल पड़ा था. एकम पहले चंडीगढ़ के सैक्टर-35 में किराए के मकान में रहता था, जहां वह 80 हजार रुपए महीना किराया देता था. करीब 20 दिनों पहले ही वह मोहाली में एक कनाल की इस कोठी की पहली मंजिल किराए पर ले कर बीवीबच्चों के साथ रहने आया था.
भाई के घर आने पर दर्शन सिंह को भाई के कत्ल के बारे में पता चला था तो उस ने फोन कर के पिता को भी बुला लिया था.
पुलिस ने लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए मोहाली के सिविल अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम का काम निपटाया गया. पुलिस ने दर्शन सिंह ढिल्लो की तहरीर पर भादंवि की धाराओं 302, 201 व 34 के तहत थाना मटौर में मुकदमा दर्ज कर के आगे की काररवाई शुरू कर दी.
चूंकि मृतक के सिर में गोली लगने का घाव साफ दिखाई दे रहा था, इसलिए पहली ही नजर में यह मामला गोली मार कर हत्या करने का लग रहा था. इसलिए मुकदमे में शस्त्र अधिनियम की धाराओं 25/54 एवं 59 का भी समावेश किया गया था.
दर्शन सिंह ने अपनी तहरीर में जिन लोगों को नामजद किया था, उस में सीरत कौर ढिल्लो, विनय सिंह बराड़ और जसविंदर कौर बराड़ थीं. इन में विनय एकम सिंह का साला था तो जसविंदर कौर सास. इन तीनों को मुख्यरूप से आरोपी बनाने के अलावा शिकायत में यह भी आशंका व्यक्त की गई थी कि वारदात के समय इन के साथ कुछ और लोग भी रहे होंगे.
इस की वजह मजबूत कदकाठी के लंबेतगड़े आदमी के साथ मारपीट करने और गोली मार कर हत्या करने के बाद उस की लाश को सूटकेस में ठूंस कर भरने का काम 2 महिलाएं और एक आदमी के वश की बात नहीं थी. फिर महिलाओं में भी एक औरत दुबलीपतली और बूढ़ी थी. मौके पर ही दर्शन सिंह ढिल्लो एक बात चीखचीख कर कह रहा था कि सीरत कौर पंजाब के एक बड़े कांग्रेसी नेता की सगी भांजी है, इसलिए पुलिस इस मामले को कतई गंभीरता से नहीं लेगी.
नामजद अभियुक्त फरार हो चुके थे. उन की तलाश में पुलिस ने भागदौड़ शुरू की. पुलिस को इस मामले में कोई सफलता मिलती, उस के पहले ही उसी दिन शाम को एक आदमी बड़ी सी गाड़ी में आया और नामजद मुख्य अभियुक्ता सीरत कौर को थाना मटौर में छोड़ गया. सीरत ने थानाप्रभारी के सामने जा कर आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर औपचारिक पूछताछ शुरू की.
इस पूछताछ में पता चला कि सीरत की दोस्ती अपने भाई विनय प्रताप सिंह बराड़ के एक दोस्त से थी. इसी दोस्ती की वजह से उस ने भाई और उस के उस दोस्त के साथ मिल कर अपने पति को मौत के घाट उतार दिया था. इस बात की जानकारी उस की मां जसविंदर कौर को भी थी. सीरत के दोस्त ने एकम सिंह पर 2 गोलियां चलाई थीं. उन में से एक उस की खोपड़ी में लगी थी और दूसरी पिस्टल में ही फंस कर रह गई थी.
एकम को खत्म करने की योजना बना कर सभी शनिवार की रात घर आ गए थे. देर रात एकम घर आया तो पहले उस से मारपीट की गई. उस के बाद उसे जबरदस्ती बाथरूम में ले जाया गया और गोली मार दी गई. जब वह मर गया तो वहां पड़े खून के धब्बों को साफ कर के एकम की लाश को ठिकाने लगाने के लिए सूटकेस में ठूंस दिया गया.
सुबह सीरत अकेली सूटकेस को खींचती हुई नीचे ले आई. सूटकेस उतारते समय सीढि़यों में जहांतहां भी खून टपका, उस ने उसे साफ कर दिया. इस से पहले वह नीचे जा कर गाड़ी का गेट खोल कर इस बात का अंदाजा लगा आई थी कि सूटकेस को कहां रखना चाहिए.
इसी चक्कर में गाड़ी की चाबी डिक्की में गिर गई थी और इस बात से बेखबर सीरत ने डिक्की बंद कर दी थी. कार के दरवाजे खुले ही थे. सूटकेस नीचे ला कर जब वह सूटकेस गाड़ी में नहीं रख पाई तो वहां सवारी छोड़ने आए औटोचालक को रोक कर उस से मदद मांगी. सूटकेस रखवा कर वह चला तो गया, लेकिन सीरत को उस की बातों से लगा कि उसे उस पर शक हो गया है.
थोड़ी ही देर में सीरत कौर को पुलिस वैन आती दिखाई दी तो वह वहां से भाग गई. उस के बताए अनुसार, उस के साथ कोई अन्य औरत नहीं थी. औटोचालक ने पता नहीं क्यों झूठ बोला था. पुलिस की तो जैसे लौटरी निकल आई थी. जरा सी देर में बिना खास प्रयास के एक हाईप्रोफाइल मर्डर केस का खुलासा हो गया था. सीरत ने आत्मसमर्पण कर दिया था. अब अन्य अभियुक्तों को भी आसानी से पकड़ा जा सकता था.
परंतु रात में ही पुलिस की आशा निराशा में बदल गई. सीरत की गिरफ्तारी की सूचना पा कर रात में जब पुलिस के बड़े अधिकारी उस से पूछताछ करने थाने पहुंचे तो वह पिछले बयानों से मुकर गई. अब वह कहने लगी थी कि पति के अत्याचारों से तंग आ कर उस ने अकेले ही उस की हत्या की थी. एकम उस के चरित्र पर शक करते हुए उस से मारपीट करता था. पिछली रात भी वह शराब पी कर आया और उस से मारपीट करते हुए उस ने उस पर अपना रिवौल्वर तान दिया. मौका पा कर रिवौल्वर छीन कर उस ने उसी पर गोली चला दी.
रिवौल्वर के बारे में उस ने बताया कि वह घर की अलमारी में पड़ी है. लेकिन इस कांड में उस के साथ कोई और नहीं था. उस ने अकेले अपनी सुरक्षा को ध्यान में रख कर यह कत्ल किया है और वह अपना अपराध स्वीकार कर रही है.