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हनुमान और उस के दोनों साथी कपिल और दीपक कमरे से बाहर निकल कर बरामदे में आए. तभी वहां सो रहे संतोष शर्मा के छोटे बेटे हैप्पी के हाथ पर हनी का पैर पड़ गया. बच्चों के जग जाने पर पकड़े जाने के डर से वे उन पर भी टूट पड़े. संतोष के बाकी दोनों छोटे बेटों हैप्पी (15 वर्ष) और अज्जू (12 वर्ष) के साथ ही उस के भतीजे निक्की (10 वर्ष) की भी गला रेत कर हत्या कर दी. हत्यारों ने उन्हें भी चाकुओं से निर्ममतापूर्वक गोद डाला.

संतोष के पति और बच्चों की हत्या करने के बाद हनुमान ने संतोष शर्मा से उस की स्कूटी की चाबी मांगी, तब संतोष शर्मा ने चाभी और 3000 हजार रुपए दिए. तीनों हत्यारे स्कूटी से ही फरार हो गए. उन्होंने अलवर रेलवे स्टेशन के पास मंडी मोड़ के निकट सुनसान जगह पर संतोष शर्मा की स्कूटी खड़ी कर दी.

रात ज्यादा हो जाने के कारण उन्हें ट्रेन नहीं मिली. वे आटो में बैठ कर राजगढ़ चले गए. जहां से बाद में हत्याकांड में शामिल उस के दोनों साथी वापस अलवर लौट गए, जबकि संतोष शर्मा का प्रेमी वहां से बांदीकुई होते हुए जयपुर चला गया. वह जयपुर से उदयपुर भाग गया.

यह हत्याकांड किसी फिल्म की तरह था. इतने भयानक हत्याकांड के बारे में जिस ने भी सुना, दांतों तले अंगुली दबा ली. 5-5 गला कटे परिवार के सदस्यों की लाशों के बीच खून भरे कमरे में संतोष शर्मा कई घंटों तक अकेले बैठी रही. तयशुदा योजना के अनुसार सुबह होने से पहले छोटी बहन के पास जा कर सो गई.

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