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पुलिस निशा को साथ ले कर गंग नहर पहुंच गई. शाहिद और दानिश खान भी साथ में थे. तथाकथित तांत्रिक निशा उन्हें उस स्थान पर ले गई, जहां लाशें फेंकी गई थीं. गंगनहर में गोताखोरों को उतारा गया. काफी तलाश करने के बाद 11 साल के लडक़े मेराब की लाश मिल गई.

लडक़ी कोनेन की लाश काफी ढूंढने पर भी नहीं मिली. शायद वह बह कर कहीं दूर चली गई थी. मेराब की लाश पानी में पड़ी होने के कारण काफी फूल गई थी. आवश्यक काररवाई निपटाने के बाद मेराब की लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया.

एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बच्चों की हत्या करने वाले बाकी हत्यारों को पकडऩे के लिए पुलिस की 2 टीमें बना दीं, इस का नेतृत्व कोतवाली सीओ अमित राय को सौंपा गया. निशा ने मुसर्रत, कौसर, साद, आरिफ और प्रेमी सऊद फैजी के पतेठिकाने बता दिए. उन लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें रवाना कर दी गईं.

निशा के अब्बाअम्मी पहले देहली गेट के पटेल नगर में रहते थे. अब ये लोग हापुड़ चुंगी में स्थित इकबाल नगर में रहने आ गए थे. निशा बचपन से सुंदर थी. उस का रंग दूध में केसर मिले जैसा था, जब उस पर जवानी का उफान चढ़ा तो उस के अंगअंग में निखार आ गया. उस के पुष्ट उभार किसी भी पुरुष के दिल की धडक़नें बढ़ा सकते थे.

हिरणी जैसी आंखें, सुतवा नाक और संतरों की फांक जैसे गुलाबी होंठ मनचलों को रुक कर एक बार उसे जी भर कर देखने को विवश कर देते थे. जब वह खिलखिला कर हंसती थी तो उस के मोतियों जैसे दांतों की पक्तियां चमकने लगती थीं.

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