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सिद्धू हत्याकांड में चश्मदीद गवाह के रूप में उन के 2 दोस्त जरूर थे, लेकिन 30 राउंड चली गोलियों में सभी हमलावरों की पहचान करना आसान नहीं था. हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी कनाडा में बैठे गोल्डी बरार ने ले ली थी. वह सिद्धू को दुश्मन मानने वाला लारेंस बिश्नोई का सहयोगी है.

इस घटना को ले कर तुरंत काररवाई करते हुए मूसेवाला के हत्यारों को सलाखों के पीछे डालने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एडीजीपी एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) की देखरेख में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया था.

एक परची से खुली हत्याकांड की परतें

एसआईटी ने घटनास्थल का पूरा मुआयना करने के बाद वारदात में इस्तेमाल किए गए वाहनों की तलाशी भी ली. इसी सिलसिले में उन्हें एक परची हाथ लगी.

इस की बदौलत ही पंजाब पुलिस को हत्या से पहले के घटनाक्रम को उजागर करने में मदद मिली. इस के सहारे पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई समेत 10 लोगों को हिरासत में लिया. उन में शामिल 4 शूटरों की भी पुलिस ने पहचान कर ली.

गिरफ्तार आरोपियों के अलावा इस हत्याकांड में 9 अन्य लोगों बठिंडा के बलिराम नगर का चरणजीत सिंह उर्फ चेतन, सिरसा (हरियाणा) का संदीप सिंह उर्फ केकड़ा, बठिंडा के तलवंडी साबो का मनप्रीत सिंह उर्फ मन्ना, फरीदकोट के धाईपाई का मनप्रीत भाऊ, अमृतसर के गांव डोडे कलसिया का सूरज मिंटू, हरियाणा के तख्तमाल का प्रभदीप सिद्धू उर्फ पब्बी, सोनीपत के गांव रेवली का मोनू डागर, फतेहाबाद के पवन बिश्नोई और नसीब हैं. इस के अतिरिक्त गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई जो तिहाड़ जेल दिल्ली में बंद है, को प्रोडक्शन वारंट पर लाया गया.

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