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इस के बाद पुलिस वालों ने शशिकला से उमेश के घर वालों का फोन नंबर ले कर उमेश की मौत की सूचना उस के घर वालों को दी. सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद ही उमेश के घर वाले थाना मलिहाबाद पहुंच गए. उमेश के पिता सूबेदार कनौजिया ने उमेश की हत्या किए जाने की बात कह कर 2 लड़कों के नाम भी बताए.

लेकिन थाना मलिहाबाद पुलिस का कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाएगा. इस पर उमेश के घर वाले भड़क उठे. धीरेधीरे यह बात फैलने लगी कि जिला पंचायत सदस्य उमेश कनौजिया की हत्या हो गई है और थाना मलिहाबाद पुलिस मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी कर रही है. मलिहाबाद उन्नाव की सीमा से जुड़ा है, इसलिए खबर मिलने के बाद मृतक उमेश की जानपहचान वाले थाना मलिहाबाद पहुंचने लगे.

15 नवंबर की सुबह से ही हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए धरनाप्रदर्शन शुरू हो गया. अब तक शव घर वालों को मिल चुका था. घर वालों ने बसपा सांसद ब्रजेश पाठक, भाजपा के पूर्व विधायक मस्तराम, किसान यूनियन के नेता महेंद्र सिंह के नेतृत्व में रहीमाबाद चौराहे पर लाश रख कर रास्ता रोक दिया. सांसद ब्रजेश पाठक का कहना था कि समाजवादी पार्टी के राज में पुलिस आम जनता की नहीं सुन रही है, इसलिए ऐसा करना पड़ रहा है.

जाम लगने से आनेजाने वाले ही नहीं, रहीमाबाद कस्बे के लोग भी परेशान हो रहे थे. जाम लगाने वाले लोग उमेश कनौजिया के हत्यारों को गिरफ्तार करने, थाना मलिहाबाद के इंसपेक्टर जे.पी. सिंह को निलंबित करने, पीडि़त परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने और उमेश के छोटे भाई सुधीर को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे थे. जाम का नेतृत्व कर रहे नेताओं को लग रहा था कि उन के इस आंदोलन से राजनीतिक लाभ मिल सकता है, इसलिए वे आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे.

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