तारीख 15 नवंबर. वक्त शाम 4 बजे. जगह उज्जैन के थाना महाकाल क्षेत्र का नैशनल ढाबा.

बाईपास इनर रिंगरोड स्थित नैशनल ढाबे से कुछ दूरी पर एक आटोरिक्शा आ कर रुका. आटो से स्वाति नाम की एक सुंदर युवती उतरी. नीचे उतर कर स्वाति ने आटोचालक को पैसे दिए. तभी स्वाति के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी, जिस से वह सड़क पर उसी जगह खड़ी हो कर बात करने लगी.

आटोचालक वहां से जा चुका था. किसी को भी मालूम नहीं था कि वहां क्या घटने वाला है. कुछ ही दूरी पर खड़ी एक गाड़ी में बैठे शख्स की आंखें लगातार स्वाति पर गड़ी थीं. उसे बेपरवाह देख वह गाड़ी तेजी से स्वाति की ओर बढ़ने लगी. स्वाति सड़क पर दाहिनी ओर खड़ी थी. तेज गति से आ रही गाड़ी रौंग साइड से आई और स्वाति को जोरदार टक्कर मार कर वहां से निकल गई.

सब कुछ इतनी जल्दी और तेजी से हुआ कि आसपास मौजूद लोगों में न तो कोई कुछ देख सका और न ही कोई कुछ समझ पाया. सड़क पर घायल पड़ी स्वाति को देख कर आसपास भीड़ जमा हो गई. उसी भीड़ में नैशनल ढाबा का मालिक सुखविंदर सिंह खनूजा भी शामिल था, जिस ने देर किए बिना स्वाति को अपनी बांहों में उठाया और तत्काल सीएचएल हौस्पिटल ले गया, जहां उपचार के दौरान उस की मौत हो गई.

चूंकि यह पुलिस केस था, इसलिए हौस्पिटल प्रबंधन ने तत्काल यह जानकारी टीआई गगन बादल को दे दी. सूचना पा कर महाथाने की एक टीम सीएचएल हौस्पिटल पहुंच गई. स्वाति को ले कर हौस्पिटल आया सुखविंदर भी वहीं मौजूद था.

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