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योजना के अनुसार, अमृता ने इस दौरान ओमवीर से दूरी बना ली. उसे ओमवीर से जो बात करनी होती वह या तो उसे फोन कर देती या फिर वाट्सऐप पर मैसेज कर के बात कर लेती थी. इधर रूपेंद्र इस बात से अनजान था कि ओमवीर तथा अमृता उस के खिलाफ एक खूनी साजिश रच चुके हैं. इस साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए ओमवीर ने अपनी ही सोसायटी के एक गार्ड सुमित को भी पैसे का लालच दे कर साजिश में शामिल कर लिया.

सुमित हापुड़ जिले की बाबूगढ़ तहसील के गांव भडंगपुर का रहने वाला था. पिछले 2 सालों से वह गैलेक्सी-2 सोसायटी में गार्ड की नौकरी कर रहा था. सुमित हैबतपुर गांव में किराए का एक कमरा ले कर रह रहा था.

सुमित ओमवीर से कई बार कह चुका था कि वह कोई ऐसा काम बताए, जिस से उसे मोटी रकम मिल सके. उस रकम से वह अपना कोई कामधंधा शुरू कर लेगा. ओमवीर के कहने पर सुमित ने जिला बुलंदशहर के बीबीनगर के रहने वाले अपने एक दोस्त भूले को भी इस साजिश में शामिल कर लिया.

लेकिन बिना पैसा लिए वे इस काम को अंजाम देने के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने इस काम के लिए 3 लाख रुपए की मांग की थी. ओमवीर ने यह बात अमृता को बताई तो अमृता ने 23 अप्रैल को ओमवीर के साथ जा कर अपनी सोने की 2 चूडि़यां और एक हार बेच कर एडवांस में डेढ़ लाख रुपए दे दिए.

लालची ओमवीर ने इन पैसों में से 50 हजार रुपए अपने पास रख कर 50-50 हजार रुपए सुमित और भूले को दे दिए. बाकी रकम उस ने काम पूरा होने के बाद देने का वायदा कर लिया.

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