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वक्त आगे बढ़ रहा था पर नरगिस के गलीमोहल्ले वालों में नरगिस और रशीद के संबंधों की बात फैल गई थी. इकबाल चूंकि रिक्शा चला कर देर रात को लौटता था इसलिए उसे भाभी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. एक दिन एक पड़ोसी ने उस से कहा, ‘‘इकबाल, तुम अपनी भाभी पर नजर रखो. कहीं किसी दिन वह बच्चों को छोड़ कर भाग गई तो बच्चे तुम्हारे गले पड़ जाएंगे.’’ यह सुन कर इकबाल चिंतित हो उठा. उस ने उस पड़ोसी से पूछताछ की तो उसे भाभी की सच्चाई पता चली.

यह बात इकबाल को पसंद नहीं आई. उस ने नरगिस को समझाने की कोशिश की तो नरगिस ने घूर कर उस की ओर देखते हुए कहा, ‘‘भाई की मौत के बाद तुम ने कभी जानने की कोशिश की कि मैं किस हाल में रहती हूं, बल्कि घर की जिम्मेदारी उठाने के बजाय तुम ने मुझे अकेला छोड़ दिया. बेहतर यही है कि तुम मेरी जिंदगी में टांग मत अड़ाओ.’’

इकबाल के पास इसका कोई जवाब नहीं था. अब नरगिस के मन में एक ही ख्वाहिश थी और वह यह थी कि रशीद की रखैल से अब बीवी कैसे बने. वह रशीद को बताती कि उस के मोहल्ले वाले और देवर उस के खिलाफ हो रहे हैं. तब रशीद उसे समझाता कि जमाना तो कुछ न कुछ कहता ही है. हमें जमाने से लड़ना थोड़े ही है. रशीद की बातों से नरगिस को समझ में आने लगा था कि वह उसे सिर्फ इस्तेमाल कर रहा है. वह रिश्ते के प्रति गंभीर नहीं है और न ही उस का उस से निकाह करने का ही कोई इरादा है. इधर रशीद सोच रहा था कि वह नरगिस से मोहब्बत करता है और बदले में उस का खर्चा उठाता है. इतना ही बहुत है. दोनों के बीच की कशमकश रिश्ते में खटास ला रही थी. अब तो नरगिस उसे शिकोहाबाद जाने से भी रोकती थी.

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