MP Crime News : लीला की हत्या कर हत्यारों ने सारे सुबूत मिटा दिए, जिस से पुलिस उन तक पहुंच न पाए. पुलिस सचमुच उन तक पहुंच भी नहीं पाई. आखिर 3 सालों बाद एडिशनल एसपी दिलीप सोनी के हाथ ऐसा कौन सा सुबूत लग गया कि उन्होंने लीला के हत्यारों को खोज निकाला. हवा के साथ आने वाली दुर्गंध ने हाईवे पर बने जसपाल ढाबा के कर्मचारियों और ग्राहकों को कुछ ज्यादा ही परेशान कर दिया तो ढाबे के नौकर यह पता करने को मजबूर हो गए कि आखिर यह दुर्गंध आ कहां से रही है? क्योंकि वह दुर्गंध किसी लाश के सड़ने जैसी थी.

ढाबे के नौकर दुर्गंध के बारे में पता करने उस ओर गए, जिस ओर से दुर्गंध आ रही थी तो ढाबे से थोड़ी दूरी पर कच्ची सड़क के किनारे एक टीवी का कार्टन रखा दिखाई दिया. नजदीक जाने पर पता चला कि दुर्गंध उसी से आ रही थी. इस का मतलब उसी में लाश रख कर कोई फेंक गया था. ढाबे के नौकरों ने यह बात मालिक को बताई तो उन्होंने इस बात की सूचना क्षेत्रीय थाना खजराना पुलिस को दे दी. कार्टन में रखी लाश की सूचना मिलते ही तत्कालीन थानाप्रभारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंच गए. कार्टन खुलवाया गया तो उस में डबलबैड की चादर में लिपटी एक लड़की की लाश निकली.

लाश बाहर निकलवाई गई. लाश सड़ चुकी थी, लेकिन उस का चेहरा ऐसा था कि उसे पहचान जा सकता था. थानाप्रभारी ने लाश मिलने की जानकारी अधिकारियों को दे कर एफएसएल जांच के लिए डा. सुधीर शर्मा को बुला लिया. मृतका की उम्र 24-25 साल रही होगी. वह सलवारकुरता पहने थी. लाश डबलबैड की चादर में लपेट कर कार्टन में रख कर वहां फेंकी गई थी. वह वीरान इलाका था. दूरदूर इक्कादुक्का मकान बने थे. स्थितियां बता रही थीं कि लाश बाहर से ला कर फेंकी गई थी. वहां लाश की शिनाख्त होने का कोई चांस नहीं था, इसलिए पुलिस ने लाश के फोटो करा कर उस के कपड़े, कार्टन और चादर जब्त कर के घटनास्थल की अन्य काररवाई निपटाई और लाश को पोस्टमार्टम के लिए एम.वाय. अस्पताल भिजवा दिया. यह 27 जून, 2011 की बात थी.

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