short hindi story : सीमा ढाका पुलिस में जरूर हैं, लेकिन मां भी हैं. उन की संवेदनशीलता और बहादुरी ही उन्हें खास बनाती है, जिस के चलते उन्होंने 76 ऐसे बच्चों को उन के परिवारों तक पहुंचाया जो अपने जिगर के टुकड़ों के लिए तरस रहे थे. सीमा का यह सफर कतई...

कुछ देर के लिए जिगर का टुकड़ा दूर हो जाए तो कैसी छटपटाहट होती है, सभी जानते हैं. उस परिवार के लोगों पर क्या बीतती है जिन के बच्चों को कोई चुरा ले जाए या अपहरण हो जाए. उम्मीदों के आंसू हर पल दरवाजे पर टिके रहते हैं. ऐसे ही परिवारों के लिए उम्मीद बनी हैं दिल्ली पुलिस की सीमा ढाका. जिन्होंने एकदो नहीं बल्कि 76 परिवारों की खुशियां लौटाई हैं. उन के परिवार में त्यौहार का माहौल सा बना दिया है. महज ढाई माह में 76 बच्चों की बरामदगी सीमा के लिए आसान नहीं थी. वो भी अलगअलग राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा से. अधिकांश मामले भी अपहरण के थे.

दिल्ली के समयपुर बादली थाने में तैनात 33 वर्षीय सीमा ढाका दिनरात बच्चों की तलाश में लगी रहती थीं. उन्होंने 2013 से 2020 के बीच हुए सभी थानों से बच्चों के अपहरण की सूची तैयार की. एफआइआर के जरीए उन परिवारों की तलाश कर उन से बात की, बच्चों के बारे में जानकारी जुटाई. फिर साइलैंट सिंघम बनीं सीमा ने एकएक कर हर एफआइआर के आधार पर अलगअलग तरीके से बच्चों की बरामदगी के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया. सीमा चूंकि दिल्ली पुलिस आयुक्त के गुमशुदा बच्चों को तलाशने के लिए मिशन के तहत काम कर रही थीं. इसलिए उन के वरिष्ठ अधिकारियों का भी उन्हें पूरा सहयोग मिला.

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