अमेठी रियासत के युवराज अनंत विक्रम सिंह को जब पता चला कि रियासत की अकूत संपत्ति अमिता सिंह ने अपने कब्जे में कर ली है और उसे वह बेच रही हैं तो उन्होंने मर्चेंट नेवी की अपनी नौकरी छोड़ दी और पत्नी तथा बेटे के साथ आ कर अमेठी के राजमहल ‘भूपति भवन’ में रहने लगे. उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि पिता संजय सिंह पूरी तरह मौन थे. उन का सोचना था कि अगर उन्होंने ध्यान नहीं दिया तो राजमहल भूपति भवन उन के हाथ से निकल सकता है. उस के बाद तो उन की पहचान ही खत्म हो जाएगी.

जब इस बात की जानकारी अमिता सिंह को हुई तो वह अनंत विक्रम सिंह को राजमहल से निकालने की साजिश रचने लगीं. क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि उन के पति संजय सिंह की पहली पत्नी की कोई भी संतान वहां रहे.

संयोग से जुलाई, 2014 के दूसरे सप्ताह में उन्हें अनंत विक्रम सिंह को वहां से निकालने का तब मौका मिल गया, जब उन की पत्नी की दादी का देहांत हो गया. ददिया सास के देहांत पर अनंत विक्रम सिंह पत्नी और बेटे के साथ छत्तीसगढ़ स्थित अपनी ससुराल चले गए तो अमिता सिंह ने इस मौके का फायदा उठा लिया.

उन्होंने अनंत विक्रम सिंह का भूपति भवन में जो भी सामान था, उसे ट्रक पर लदवाया और लखनऊ स्थित उन की मां गरिमा सिंह के यहां भिजवा दिया. अमिता की इस हरकत से साफ हो गया कि वह संजय सिंह की पहली पत्नी के सभी बच्चों को अमेठी राजघराने की संपत्ति से बेदखल कर के खुद उस पर कब्जा करना चाहती थीं.

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