आयुष्मान कार्ड किसी से न करें शेयर
—डा. राकेश बोहरे (चीफ मैडिकल एंड हेल्थ औफिसर) नरसिंहपुर
सरकार जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिन के जरिए मरीज को हौस्पिटल में एडमिट कर कैशलेस इलाज किया जाता है, लेकिन सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर धांधली भी कुछ प्राइवेट हौस्पिटलों द्वारा की जा रही है.
नैशनल हेल्थ अथौरिटी (एनएचए) आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम को ले कर पहले ही एंटी फ्रौड गाइडलाइंस जारी कर चुका है. इस के अलावा विभाग ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में भी नैशनल एंटी फ्रौड यूनिट (एनएएफयू) गठित की है, जो इस योजना से संबंधित फरजीवाड़े की राज्य स्तर पर निगरानी कर सकें. सरकार इस स्कीम को जीरो टेलरेंस अप्रोच के तहत लागू कर रही है.
इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों को जरूरी दस्तावेजों को जमा करना पड़ता है और साथ ही उन्हें रोगी की औनबेड फोटो भेजनी पड़ती है. इस के अलावा इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आधार बेस्ड वेरिफिकेशन भी किया जाता है.
गांवों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी अभी भी इतनी शिक्षित नहीं है कि वह सरकारी योजनाओं की जानकारी को पूरी तरह से समझ सके. जब किसी परिवार का कोई सदस्य गंभीर बीमारी का शिकार हो जाता है तो घर वाले उसे उन प्राइवेट हौस्पिटल में ले जाते हैं, जहां उसे मुफ्त इलाज मिलता है.
मरीज का इलाज शुरू होते ही फारमेलिटी के नाम पर सभी दस्तावेज जमा करवा लिए जाते हैं. रोगी की गंभीर हालत का खतरा दिखा कर कई बार जांच और दवाइयों के नाम पर कुछ रुपए भी जमा करवा लिए जाते हैं. बाद में पता चलता है कि प्राइवेट हौस्पिटल ने इलाज पर खर्च रुपयों से अधिक रुपए सरकारी खजाने से निकाल लिए.
आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक की मदद करती है. रोगी इस योजना के तहत रजिस्टर्ड किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकते हैं. इस के लिए सरकार के द्वारा 5 लाख रुपए तक की मदद की जाती है. कई दफा ठग रोगी की निजी जानकारियां चुरा कर इस स्कीम के तहत जालसाजी कर लेते हैं. इस के लिए उन की अस्पताल के साथ भी सांठगांठ रहती है.
इस से बचने के लिए अपनी निजी जानकारियों समेत इलाज से संबंधित जानकारियों को किसी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए. साथ ही यदि कोई प्राइवेट हौस्पिटल सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का मुफ्त लाभ देने में कोताही बरते या मरीज के परिवार से रुपए वसूले तो इस की शिकायत जरूर करनी चाहिए.
जिस तरह एटीएम कार्ड के जरिए साइबर फ्रौड की घटनाएं देश में बढ़ रही हैं, उसी तरह आजकल कुछ जालसाज भी लोगों को आयुष्मान कार्ड की आड़ में भी लूट रहे हैं.
ऐसे लोग प्राइवेट हौस्पिटल के डाक्टर्स के साथ मिल कर या कोई अन्य तरीकों से बीमा के पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ मैडिकल काउंसिल ने 5 ऐसे डाक्टरों को पकड़ा, जो कार्डधारकों की झूठी मैडिकल रिपोर्ट बनाते थे और फिर उन के आयुष्मान कार्ड से इलाज के नाम का बिल लगा कर मोटी रााशि निकाल लिया करते थे.
इन सभी डाक्टरों को निलंबित कर दिया गया है. ऐसे में आप के लिए भी जरूरी है कि आप कुछ बातों का ध्यान रखें, ताकि आप धोखाधड़ी से बच सकें.
अगर आप आयुष्मान योजना के कार्डधारक हैं तो आप को भूल कर भी किसी के साथ अपने इस कार्ड की डिटेल्स शेयर नहीं करनी चाहिए. आप के इस कार्ड का गलत इस्तेमाल कर के कोई भी इस से उपचार के बहाने पैसे निकाल सकता है.
कोशिश करें कि कार्ड को अपने पास ही रखें और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को ही इसे दें. अन्यथा आप के कार्ड की जानकारी ले कर कोई भी इस का गलत इस्तेमाल कर सकता है.
अगर आप आयुष्मान कार्ड बनवा चुके हैं और आप को कस्टमर केयर बन कर कोई काल करता है और फिर आप से आप की बैंकिंग जानकारी अपडेट करने के लिए मांगता है तो आप को ऐसे काल्स से सावधान रहना है, क्योंकि ये जालसाज के काल्स होते हैं और ये आप को ठग सकते हैं.
जालसाज केवाईसी करवाने के नाम पर भी लोगों को ठग रहे हैं. इसलिए आप को ऐसे लोगों से सावधान रहना है, ये लोग आप को मैसेज, वाट्सऐप या ईमेल पर फरजी लिंक भेज कर भी चपत लगा सकते हैं.
पुलिस को क्यों दर्ज करनी पड़ी रिपोर्ट
जानकारी में पता चला कि मैक्सकेयर हौस्पिटल द्वारा 2 बार में उस के कार्ड से लगभग 75 हजार रुपए निकाले गए हैं. यह जानकारी मिलते ही खालिद ने 2 अगस्त, 2022 को एसपी (भोपाल) से मिल कर मैक्सकेयर हौस्पिटल की धोखाधड़ी की शिकायत की, मगर कोई काररवाई नहीं हुई. हौस्पिटल संचालक डा. अल्ताफ मसूद (Dr. Altaf Masood) के रसूख के चलते खालिद की शिकायत नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर दब गई.
तभी खालिद ने भोपाल के प्रसिद्ध वकील शारिक चौधरी (Advocate Shariq Choudhry) के बारे में सुना था कि वह लोगों की मदद करते हैं. एक दिन खालिद ने एडवोकेट शारिक चौधरी से मुलाकात कर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी उन्हें विस्तार से दी.
तब एडवोकेट शारिक चौधरी ने सीआरपीसी की धारा 156 के तहत माननीय न्यायाधीश संदीप कुमार नामदेव प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट भोपाल की अदालत में परिवाद दायर किया. तब कोर्ट ने 8 नवंबर, 2023 को एसपी को आदेश दे कर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए.
भोपाल के टीला जमालपुरा स्थित हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी 28 साल के खालिद अली की शिकायत पर भोपाल की तलैया पुलिस ने फतेहगढ़ स्थित मैक्सकेयर चिल्ड्रन अस्पताल के संचालक अल्ताफ मसूद पर धोखाधड़ी, फरजी दस्तावेज तैयार करने के मामले में केस दर्ज कर लिया.
एफआईआर के बाद तलैया पुलिस थाने के एसआई कर्मवीर सिंह जब जांच के लिए अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल संचालक वहां से गायब हो गया. एसआई शर्मा ने मौजूद स्टाफ से जोहान के इलाज संबंधी फाइल की जांच कर बयान दर्ज किए. जांच के दौरान इलाज करने वाला डाक्टर अस्पताल से नदारद मिला.
3 महीने तक मासूम को हौस्पिटल में भरती रखा गया, जिस में कई बार में दवाइयों और इलाज के नाम पर 3 लाख से अधिक रुपए वसूल लिए. खालिद जब भी बिल मांगता, अस्पताल प्रबंधन उसे टके सा जबाव दे देता, ”मरीज के डिस्चार्ज होने के समय पूरे बिल दे दिए जाएंगे, आप चिंता न करें.’‘
आखिरकार मासूम जोहान की मौत हो गई और बाद में पता लगा कि अस्पताल की ओर से आयुष्मान कार्ड से भी बच्चे के इलाज के नाम पर रकम सरकारी खजाने से ली गई है, जबकि खालिद के परिवार को इस की जानकारी नहीं दी गई थी. खालिद ने सब से पहले इस फरजीवाड़े की शिकायत पुलिस थाने में की तो सुनवाई नहीं हुई. तब जा कर कोर्ट में परिवाद दायर किया.
धोखाधड़ी का पता चलते ही खालिद ने सभी संबंधित सरकारी विभागों में इस की शिकायत की और आयुष्मान योजना के भोपाल औफिस से आए वेरीफिकेशन काल वालों को भी बताया कि उस ने अपने बेटे के इलाज का पूरा भुगतान कर दिया है. इस के बाद भी कहीं से कोई काररवाई नहीं हुई.
आखिरकार खालिद ने एडवोकेट शारिक चौधरी के माध्यम से धोखाधड़ी का परिवाद कोर्ट में दायर कर दिया. इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुलिस को धारा 120बी, 420, 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. इस के बाद भोपाल की तलैया पुलिस थाने में अस्पताल के संचालक डा. अलताफ मसूद के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया.
खालिद अली ने बताया कि डा. अल्ताफ मसूद सरकारी योजनाओं में जम कर भ्रष्टाचार कर रहा है और उस के खिलाफ शिकायतें भी हो रही हैं, मगर अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते उस पर कोई काररवाई नहीं होती है.
भोपाल की तलैया पुलिस ने आयुष्मान भारत योजना के औफिस को पत्र लिख कर जानकारी चाही है कि इस योजना का लाभ हासिल करने और इलाज के दौरान भुगतान के कौन से नियम हैं. कथा लिखे जाने तक डा. अल्ताफ मसूद पर कोई काररवाई नहीं हुई थी.
आयुष्मान कार्ड धारकों में मध्य प्रदेश अव्वल
‘आयुष्मान भारत योजना’ के सब से ज्यादा आयुष्मान कार्डधारक मध्य प्रदेश में ही हैं. यहीं पर सब से ज्यादा लापरवाही देखी जा रही है. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मध्य प्रदेश में आयुष्मान के लिए जिला स्तर पर शिकायत निराकरण समितियों का गठन नहीं किया गया है.
आयुष्मान योजना में सूचना शिक्षा और संवाद का प्लान तो बनाया, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया. कैग की पैन इंडिया औडिट रिपोर्ट में अनियमितताओं के सब से ज्यादा मामले मध्य प्रदेश में ही हैं. मध्य प्रदेश में कई संदिग्ध कार्ड और मृत लोगों को भी लाभार्थी के रूप में रजिस्ट्रैशन की जानकारी पाई गई है.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में करीब 25 अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने क्षमता से अधिक बैड आक्यूपेंसी दिखाई. यानी कि इन अस्पतालों ने एक दिन में बैड क्षमता से ज्यादा मरीजों की भरती दिखा कर क्लेम लिया है. भोपाल के जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में 20 मार्च, 2023 तक 100 बैड थे, लेकिन इस में 233 मरीजों को दिखाया गया.
कैग की रिपोर्ट में सरकारी अस्पताल समेत कुल 24 अस्पतालों के नाम शामिल हैं. कैग की रिपोर्ट में कहा गया डिफाल्टिंग अस्पतालों से होने वाली रिकवरी के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े सब से खराब हैं.
आयुष्मान भारत योजना में 2022 में जबलपुर के एक निजी अस्पताल ने फरजीवाड़ा कर के सरकार को साढ़े 12 करोड़ का चूना लगाया था. इस अस्पताल ने मुन्नाभाई एमबीबीएस फिल्म की तरह 4 हजार मरीजों को होटल में भरती कर के फरजी इलाज किया. अस्पताल ने कथित मरीजों के साथ उन्हें लाने वालों तक को कमीशन बांटा था.
जबलपुर पुलिस की टीम ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिल कर 26 अगस्त, 2022 को सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में छापा मारा था. उस समय अस्पताल के अलावा बाजू में होटल वेगा में भी छापा मारा गया था. जांच के दौरान होटल वेगा और अस्पताल में आयुष्मान कार्डधारी मरीज भरती पाए गए थे.
अस्पताल संचालक डा. दुहिता पाठक और उस के पति डा. अश्विनी कुमार पाठक ने कई लोगों को फरजी मरीज बना कर यहां रखा था. होटल के कमरे में 3-3 लोग भरती पाए गए थे. अस्पताल ने फरजीवाड़ा कर के सरकार को साढ़े 12 करोड़ रुपए का चूना लगाया था.
अस्पताल ने कथित मरीजों के साथ उन्हें लाने वालों तक को कमीशन बांटा था. इस के बाद पुलिस ने डाक्टर दंपति के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था और डाक्टर दंपति को जेल की हवा खानी पड़ी थी.
इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी जांच में यह खुलासा हुआ था कि आयुष्मान भारत योजना के तहत सेंट्रल इंडिया किडनी हौस्पिटल में 2 से ढाई साल में लगभग 4 हजार मरीजों का इलाज हुआ था, जिस के एवज में सरकार द्वारा तकरीबन साढ़े 12 करोड़ रुपए का भुगतान अस्पताल को किया गया था.
इस के साथ ही इस बात के भी दस्तावेज मिले हैं कि दूसरे राज्यों के मरीजों का उपचार भी सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में हुआ था, जोकि गैरकानूनी है.
एसआईटी ने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों से भी पूछताछ की, जिस में कई कर्मचारियों ने बताया कि वह अस्पताल में आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले लोगों को भरती करवाते थे तो अस्पताल संचालक दुहिता पाठक और उस के पति डा. अश्विनी पाठक बतौर कमीशन 5 हजार रुपए देते थे.
कमीशन लेने के लिए कर्मचारियों ने कई बार एक ही परिवार के लोगों को अलगअलग तारीखों में भरती किया था. उन के नाम पर आयुष्मान योजना का फरजी बिल लगा कर लाखों रुपए की वसूली की गई थी.
—कथा c, पीड़ित परिवार से बातचीत और पुलिस सूत्रों पर आधारित
3 महीने तक चले इलाज के दौरान डाक्टरों ने कई बार जोहान को ब्लड देने की मांग की, तब एक बार खालिद और एक बार दादा जाकिर अली ने भी उसे खून दिया था. जबकि 2 बार खालिद के परिचितों ने जोहान के लिए ब्लड डोनेट किया था.
मैक्सकेयर हौस्पिटल (Max care Hospital) के डाक्टरों का ध्यान जोहान की सेहत के बजाय रुपए वसूलने पर ज्यादा था, इसलिए जोहान की हालत में कोई सुधार नहीं आया. रुपए खर्च कर परिवार के लोग थक चुके थे.
परिवार के लोग जोहान की हालत देख कर चिंतित हो जाते थे, उस के शरीर में केवल हड्डी और चमड़ी ही बची थी. एक दिन खालिद ने अस्पताल की संचालक डाक्टर से सवाल किया, ”सर, हमारे लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं. आखिर बच्चे की हालत में सुधार क्यों नहीं हो रहा? सुधार की जगह हमें गिरावट ही दिख रही है. डाक्टर साहब, उस की हालत कब सुधरेगी. अब तो हमारे पास पैसे भी नहीं बचे हैं.’‘
इस पर डाक्टर ने झल्ला कर जबाव दिया, ”हम लोग उस का इलाज कर रहे हैं न, पैसों की इतनी दिक्कत है तो किसी खैराती अस्पताल में जा कर उस का इलाज कराओ.’‘
जनवरी की वह रात बहुत सर्द थी. कमरे के अंदर भी हाथपांव ठंड की वजह से सुन्न हो रहे थे. मध्य प्रदेश के जिला भोपाल (Bhopal) के टीला जमालपुरा स्थित हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहने वाले 28 वर्षीय खालिद अली का 3 महीने का बेटा जोहान भी ठंड की वजह से परेशान था, उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. अपनी अम्मी की बाजू में लेटे जोहान के बदन की गरमाहट से उस की अम्मी का बुरा हाल था. उस ने घड़ी देखी, उस समय रात के 2 बज रहे थे. सुबह होने में अभी काफी वक्त था. शौहर खालिद गहरी नींद में खर्राटे भर रहा था.
परेशान हो कर वह बैड से उठी और बाजू के बैड पर सो रहे शौहर खालिद को झिंझोड़ते हुए बोली, ”जल्दी से उठिए, मुझे जोहान की तबीयत ठीक नहीं लग रही.’‘
”क्या हुआ, तुम मुझे सोने भी नहीं देती?’‘खालिद ने आंखें मलते हुए लापरवाही से कहा.
”जोहान तेज बुखार से तप रहा है, उसे सर्दी भी है और उस की सांसें तेज चल रही हैं. जल्दी उठिए, उसे अस्पताल ले जाना पड़ेगा.’‘जोहान की अम्मी बोली.
तब तक खालिद नींद से पूरी तरह जाग चुका था, उस ने उठ कर जोहान की नब्ज टटोली और बीवी से बोला, ”जल्दी से तैयार हो जाओ, जोहान को तुरंत अस्पताल ले जाना होगा.’‘
तब तक खालिद के अब्बू जाकिर अली भी जाग चुके थे. उन्हें जैसे ही पोते की तबीयत खराब के बारे में बताया गया तो वह भी चिंता में पड़ गए. तब तक खालिद ने एक परिचित आटोरिक्शा वाले को फोन कर दिया था. रिक्शा आतेआते सुबह के 4 बज चुके थे. दादा जाकिर ने अच्छी तरह समझाते हुए कहा, ”बेटा, जोहान को फतेहगढ़ के मैक्सकेयर अस्पताल ही ले कर जाना.’‘
”हां अब्बू, तुम चिंता मत करो, हम वहीं ले कर जा रहे हैं.’‘खालिद ने आटोरिक्शा में बैठते हुए कहा.
चंद मिनटों में ही खालिद अपनी बीवी और बीमार बेटे को ले कर फतेहगढ़ इलाके में स्थित बच्चों के मशहूर मैक्सकेयर चिल्ड्रन हौस्पिटल पहुंच गया. इमरजेंसी वार्ड से जोहान को आईसीयू में भरती करा दिया. यह बात 4 जनवरी, 2022 की है.
इस के पहले भी जोहान को सर्दी जुकाम होने पर 26 नवंबर, 2021 को मैक्सकेयर हौस्पिटल में भरती कराया गया था. उस समय जोहान को हौस्पिटल में 6 दिसंबर, 2021 तक भरती रखा गया था.
डाक्टरों ने बुखार के मरीज को 3 महीने क्यों किया भरती
जब खालिद ने पहली बार अपने बेटे को मैक्सकेयर हौस्पिटल में भरती कराया था, तभी उस ने हौस्पिटल के संचालक डा. अल्ताफ मसूद से कहा था, ”सर, मेरे पास आयुष्मान कार्ड है, क्या इलाज में यह काम आएगा?’‘
”देखिए, हमारा हौस्पिटल अभी आयुष्मान योजना के पैनल में शामिल नहीं है, लेकिन जल्द ही हो जाएगा. आप के बेटे की हालत नाजुक है, ऐसे में आप अभी पेमेंट कर दें, यदि आगे लाभ मिलेगा तो इलाज का पैसा आप को वापस मिल जाएगा.’‘
बात बेटे जोहान की सेहत की थी, इसलिए खालिद ने बिना देर किए इलाज और जांच के लिए करीब 37 हजार रुपए जमा कर दिए. 28 साल का खालिद अली अपने 3 महीने के बेटे जोहान की सेहत के लिए हमेशा सचेत रहता था. वह नहीं चाहता था कि उस के मासूम बेटे जोहान को किसी भी तरह की तकलीफ हो.
मैक्सकेयर हौस्पिटल के संचालक के कहने पर 4 जनवरी, 2022 से 17 जनवरी, 2022 तक जोहान मैक्सकेयर हौस्पिटल में एडमिट रहा. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज न कर खालिद अली से पैसे जमा कराए थे.
लाखों रुपए लुटाने के बाद भी बेटे की हालत में सुधार होते न देख खालिद उसे पहले भोपाल के एम्स ले गए, वहां से डीआईजी बंगले के पास स्थित अस्पताल में भरती कराया गया. आखिरकार, चंद ही घंटों में मासूम जोहान को मृत घोषित कर दिया गया.
जोहान की मौत का सदमा खालिद की बीवी को सब से ज्यादा लगा. बेटे की मौत के बाद उसे ऐसा लगा जैसे उस का सब कुछ चला गया.
खालिद अली ने अपने 3 महीने के बेटे को इलाज के लिए जनवरी, 2022 में भोपाल के फतेहगढ़ इलाके में मैक्सकेयर चिल्ड्रन अस्पताल में भरती कराया था. चूंकि खालिद के पास सरकार की आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna) का आयुष्मान कार्ड था. लिहाजा उस ने अस्पताल संचालक से कार्ड के माध्यम से इलाज की गुहार लगाई थी. लेकिन अस्पताल संचालक ने आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) के जरिए इलाज करने से साफ मना कर दिया.
अस्पताल संचालक द्वारा उसे बताया गया कि अभी यह अस्पताल योजना का लाभ देने के लिए लिस्ट में शामिल नहीं है. जबकि खालिद से सारे दस्तावेज जमा करवा लिए गए थे. अस्पताल ने बाद में खालिद से 37 हजार रुपए जमा भी करवाए और इलाज के नाम पर लाखों रुपए की दवाइयां भी उस ने खरीदीं. इलाज और दवाओं के कोई बिल भी अस्पताल की ओर से नहीं दिए गए.
खालिद अली ने एलएलबी की पढ़ाई की थी और कानून की उसे जानकारी भी थी, लिहाजा हौस्पिटल द्वारा की गई धोखाधड़ी पर वह चुप नहीं बैठा. अखबारों में खालिद ने आयुष्मान कार्ड घोटाले की खबरें पढ़ीं तो खालिद को शक हुआ कि कहीं उस के साथ भी हौस्पिटल द्वारा फ्राड तो नहीं किया गया है. उस ने आयुष्मान भारत योजना के भोपाल औफिस में सूचना के अधिकार के तहत एक आरटीआई दाखिल कर अपने कार्ड से हुए भुगतान की जानकारी मांग ली.
एक दिन खालिद को आयुष्मान भारत योजना की ओर से वेरीफिकेशन काल आई. काल करने वाले ने खालिद से पूछा, ”क्या आप खालिद अली बोल रहे हैं?’‘
”हां, मैं खालिद अली ही बोल रहा हूं.’‘खालिद ने जबाव दिया.
”क्या आप के बच्चे का इलाज मैक्सकेयर हौस्पिटल में चल रहा है?’‘काल करने वाले ने पूछा.
”हां जी, इलाज तो चला था, मगर अब बेटे की मौत हो चुकी है.’‘खालिद ने बताया.
”क्या आप के बेटे का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत फ्री हुआ था. अस्पताल ने रुपए तो नहीं लिए?’’
पैसे की बात सुनते ही खालिद सकते में आ गया और उस ने बताया, ”मगर हम ने तो इलाज के लिए पूरा बिल अस्पताल को दिया है.’‘
वेरीफिकेशन करने वाले ने बताया कि अस्पताल की ओर से आयुष्मान कार्ड के खाते से भी पैसे निकाले गए हैं.