बबिता का खूनी रोहन – भाग 3

इंसपेक्टर मलिक की सख्ती पर सहमे हुए लखन ने बताया तो मलिक ने उसे पूरी बात साफसाफ बताने के लिए कहा.

तब लखन ने बताया कि उस ने करीब एक साल पहले यह बाइक प्रवीण से खरीदी थी. उस समय वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन बाइक खरीदने के कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी के कारण हुए लौकडाउन में उस की नौकरी चली गई और वह बेरोजगार हो गया.

बाइक अकसर घर पर ही खड़ी रहती थी. इसी दौरान कुछ महीने पहले उस के बड़े भाई के बेटे रोहन उर्फ मनीष की एयरटेल कंपनी में नौकरी लग गई, लेकिन उस के पास भागदौड़ करने के लिए कोई साधन नहीं था.

लिहाजा उस ने अपनी बाइक रोहन को दे दी और कहा जब वह अपने लिए दूसरी बाइक खरीद ले तब उस की बाइक वापस कर देना. इस के बाद से रोहन ही उस की बाइक का इस्तेमाल करता है. उसे नहीं पता कि भीमराज पर गोली किस ने चलाई. रोहन ने खुद इस का इस्तेमाल किया था या किसी अन्य व्यक्ति को उस ने बाइक इस्तेमाल के लिए दी थी.

जांच ले गई आरोपी रोहन तक

यह बात तो साफ हो गई कि लखन की बाइक का इस्तेमाल भीमराज पर हुए हमले में किया गया था. लेकिन वारदात वाले दिन बाइक कौन ले कर गया था, इस का खुलासा होना मुश्किल काम नहीं था. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक ने तत्काल सीसीटीवी की फुटेज लखन को दिखाई तो उस ने साफ कर दिया कि बाइक पर सवार युवक उस का भतीजा रोहन ही है. बस इस के बाद पुलिस के लिए रोहन को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं था. पुलिस टीम ने अगली सुबह ही रोहन को उस के घर से सोते हुए दबोच लिया.

थाने ला कर जब रोहन से पूछताछ शुरू हुई तो पहले वह इधरउधर की बातें करता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसे सीसीटीवी में कैद हुई उस की तसवीरें दिखाईं तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने भीमराज को गोली मारी थी.

आखिर ऐसी क्या बात थी कि रोहन ने भीमराज को गोली मार दी. इस सवाल के जवाब में रोहन ने कहा कि भीमराज ने उस दिन गाड़ी चलाते समय उस की बाइक को टक्कर मार दी थी और जब उस ने विरोध जताया तो वह भद्दी गालियां देने लगा. इसी बात से गुस्से में आ कर उस ने पीछा करते हुए एंड्रयूजगंज में जा कर उसे गोली मार दी.

हालांकि रोडरेज के दौरान गुस्से में गोली मार देना, दिल्ली शहर में कोई नई बात नहीं है. क्योंकि इस तरह की घटनाएं यहां अकसर होती रहती हैं. लेकिन थानाप्रभारी मलिक को रोहन की बात पर इसलिए भरोसा नहीं हुआ क्योंकि वे रोहन द्वारा भीमराज को गोली मारने की साजिश तक पहुंच चुके थे.

दरअसल, थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक ने भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उस ने रोहन के झूठ की कलई खुल गई.

दरअसल, काल डिटेल्स की जांच के बाद पुलिस ने सब से पहले भीमराज के फोन पर आने वाले नंबरों में इस बात की पड़ताल की थी कि घटना वाले दिन या उस से पहले या कुछ महीनों के दौरान उस ने सब से ज्यादा किन लोगों से बात की थी.

बबीता के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच की गई तो पता चला कि पिछले 3 महीनों से बबीता एक नंबर पर सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें किया करती थी. उस नंबर पर देर रात में भी बात करने की डिटेल थी. इसी नंबर पर वाट्सऐप मैसेजों का भी आदानप्रदान था. जिस दिन भीमराज को गोली मारी गई थी, उस दिन सुबह 7 बजे से ही इस नंबर पर बातें हुईं.

इतना ही नहीं, जिस वक्त एंड्रयूजगंज में भीमराज को गोली लगी, उस के 10 मिनट बाद भी इसी नंबर से बबीता के फोन पर काल की गई. बाद में भी कुछ काल्स के रिकौर्ड मिले. हालांकि जब बबीता से इस बात की जानकारी ली गई तो उस ने बताया कि उस ने अपने पार्लर पर जो पेमेंट स्वाइप मशीन लगवाई हुई है, उस में नेटवर्किंग की दिक्कत रहती है, इसी संबध में वह एयरटेल कंपनी के नेटवर्किंग एग्जीक्यूटिव से बात करती है. पूछने पर उस ने एग्जीक्यूटिव का नाम रोहन बताया.

इधर जब पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि रोहन गोविंदपुरी की गली नंबर 13 में रहता है.

रोहन जब कभी रोडरेज, तो कभी लेनदेन के विवाद की कहानी बता कर पुलिस को काफी देर तक उलझाता रहा तो इंसपेक्टर मलिक ने उस के सामने वो काल डिटेल्स रख दी, जिस में उस के फोन व बबीता के नंबर पर दिन व रात में अनगिनत बार लंबीलंबी बातें करने का रिकौर्ड था.

आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

रोहन पुलिस को पूछताछ में बबीता से बात करने और रातों में बातचीत का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सका. इसीलिए पुलिस ने जब उस के साथ सख्ती की तो वह टूट गया और उस ने सच उगल दिया.

रोहन से पूछताछ के बाद इस वारदात के पीछे नाजायज रिश्ते की एक ऐसी कहानी सामने आई, जिस में एक अधेड़ उम्र की महिला ने कमउम्र के नौजवान को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस की ऐसी मतिभ्रष्ट कर दी कि महिला के कहने पर उस ने अधेड़ प्रेमिका के पति को गोली मार दी.

दरअसल, बबीता की उम्र भले ही 42 की हो गई थी, लेकिन ब्यूटीपार्लर चलाने के कारण आज भी वह अपने 45 साल के पति से ज्यादा आकर्षक व सुंदर थी. भीमराज के तीनों बच्चे किशोरावस्था की दहलीज से निकल कर जवानी की तरफ कदम बढ़ा रहे थे. इस कारण उस में अब पत्नी के प्रति आकर्षण कम हो गया था और बच्चों  व घरगृहस्थी चलाने की जद्दोजहद उस पर ज्यादा सवार रहती थी.

ढलती जवानी में जब पति अपनी पत्नी की देह से ऐसा उदासीन व्यवहार करे तो कुछ महिलाएं रास्ता भटक ही जाती हैं. हां, भीमराज जब कभी शराब के नशे में होता तो वह जरूर बबीता की देह को जम कर रौंदता था. लेकिन बबीता चाहती थी कि उस का पति उसे न सिर्फ प्यार करे बल्कि उसे अपने व्यवहार से भी इस बात का अहसास कराए.

बस अपने प्रति इसी उदासीन व्यवहार के कारण बबीता पति से इतर किसी दूसरे शख्स  में इस अहसास को तलाशने लगी. यह सितंबर 2020 महीने की बात है. बबीता ने अपने पार्लर पर डिजिटल पेमेंट के लिए एयरटेल का ब्राडबैंड कनेक्शन तथा एक स्वाइप मशीन लगवाई थी. इसी संबध में एयरटेल की तरफ से रोहन उस के यहां एग्जीक्यूटिव बन कर आया था. 23 साल का गबरू जवान और गठीला शरीर. न जाने क्या था, रोहन के व्यक्तित्व में कि बबीता पहली ही नजर में उस पर फिदा हो गई.

रोहन ने भी पहली मुलाकात में ही बबीता की आखों में भरी मस्ती और देह में बसी तड़प को पढ़ लिया था. पहली ही मुलाकात के बाद दोनों के बीच नंबरों का आदानप्रदान हो गया. बबीता छोटीछोटी बात पर किसी बहाने से रोहन को अपने पार्लर पर बुलाने लगी.

2-4 मुलाकातों के बाद शिष्टाचार की भेंट अपनत्व में बदल गई और निजी व परिवार की बातें भी होने लगीं.

ब्यूटीपार्लर में रखी प्यार की नींव

बबीता जहां अपने अतृप्त प्यार को पाने के लिए रोहन की तरफ झुकी जा रही थी तो जवान जिस्म की देह सुगंध से महरूम रोहन भी जल्द से जल्द बबीता के मादक जिस्म  की देह को पाने के लिए मचल रहा था.

जल्द ही दोनों के बीच ऐसे रिश्ते बन गए, जिन्हें समाज नाजायज रिश्तों का नाम देता है. रोहन के जवान जिस्म  के स्पर्श ने बबीता में एक अजीब सा रोमांच भर दिया था. वे दोनों अकसर मिलने लगे.

बबीता कभी रोहन को अपने पार्लर पर बुला कर अपनी अतृप्त देह को तृप्त कर लेती तो कभी उसे पति व बच्चों की अनुपस्थिति में अपने घर बुला लेती. कभीकभी वे किसी होटल का कमरा बुक कर के अपने अरमानों को पूरा करने लगे.

अपनी उम्र से 20 साल छोटे रोहन के प्यार में बबीता इस कदर पागल हो चुकी थी कि इस बात को भी भूल गई थी कि वह एक शादीशुदा औरत है और रोहन की उम्र से कुछ ही छोटे 3 बच्चों की मां भी है.

अगले भाग में पढ़ें-  रोहन को घर बुलवा कर हुई पिटाई

यूट्यूबर नामरा लुटेरी गर्लफ्रेंड – भाग 3

दिनेश यादव 2 दिसंबर, 2021 को मेरे घर के पास मुझे खुद पिक करने आया था. गुरुग्राम में मेरे एक यूट्यूबर दोस्त के फ्लैट पर पार्टी चल रही थी, जहां वह पहले से मौजूद था. मैं इसे ज्यादा नहीं जानती थी, लेकिन मेरे दोस्तों के बोलने पर मैं इस के साथ चली गई पति विराट को साथ ले कर. उस रात इस ने मुझे महंगी चौकलेट्स भी दिलाई. और सुबह हमें ड्रौप करने भी आया था.

मुझे इंप्रैस करने के लिए खर्च कर रहा था और जब उस ने देखा कि मैं उस से इंप्रैस नहीं हुई तो खुंदक में उस ने पेमेंट देने में ड्रामे करने शुरू कर दिए.

उस ने कहा कि मैं टूट गया और उल्टीसीधी बातें करने लगा. उस ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उसे मेरी शादी के बारे में नहीं पता. जबकि उसे अच्छे से पता था कि मेरी शादी हो चुकी है. और एक बेटा भी है. क्यों कि जब हम उस के साथ गोवा गए थे तो अपने बेटे को भी साथ ले कर गए थे.

नामरा के मुताबिक, एक दिन 25 मई को उस ने मुझे होटल में शूट करने के नाम पर बुलाया था और कहा कि तेरी पेंडिंग क्लियर कर दूंगा. मैं ने होटल की लौबी में पहुंच कर उसे फोन किया तो वह मुझे ऊपर अपने रूम में बुलाने लगा.

मैं ने उस से कहा कि नीचे आ जा. शूट कर लेंगे, तब तक विराट भी आ जाएगा. फिर ऊपर चलेंगे. उस ने मुझे ऊपर बुलाने के लिए बहुत फोर्स किया.

मैं नहीं मानी तो नीचे आ गया और जब मैं ने उस से अपनी पेंडिंग पेमेंट 40 हजार ले ली तो फिर से वह मुझे ऊपर रूम में चलने के लिए फोर्स करने लगा. यह कह कर कि मेरे सिर में दर्द हो रहा है, कब तक यहां बैठ कर विराट का वेट करेंगे. वह सीधा ऊपर आ जाएगा.

मैं ने उस की बात नहीं मानी तो वह कहने लगा कि नहीं चल रही है तो मेरे पैसे वापस दे दे. मैं ने उस से कहा कि पैसे तो मेरी पहले की पेमेंट है. ये क्यों दूं, फिर उस ने मेरा पर्स छीन कर पैसे निकाल लिए और चिल्लाचिल्ला बहुत बदतमीजी करने लगा कि मेरे पैसे दे फ्री में नहीं बुलाता हूं तुझे. हर बात में तेरी मरजी नहीं चलेगी. वहां होटल का स्टाफ इकट्ठा हो गया और दिनेश पैसे छीन कर अपने रूम में वापस चला गया.

मशहूर यूट्यूबर नामरा कादिर की एक अपनी पहचान है. बिजनैसमैन दिनेश की शिकायत के मुताबिक उस ने अपने हुस्न के जाल यानी हनीट्रैप में फंसा कर उसे ब्लैकमेल किया. उस से करीब 80 लाख रुपए वसूल लिए. ये रुपए नामरा ने बिजनैसमैन को रेप के झूठ केस में फंसाने की धमकी दे कर हड़पे.

मिस दिल्ली चुनी जा चुकी है नामरा

22 वर्षीय नामरा कादिर का जन्म 27 जून, 1999 को फरीदाबाद में हुआ था. उस की पढ़ाईलिखाई फरीदाबाद, दिल्ली एनसीआर में हुई. वह एक यूट्यूबर, इंस्टाग्राम मौडल और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं. हालांकि उस का यह सफर 2017 में मिस दिल्ली चुनी जाने के बाद शुरू हुआ था.

मौडलिंग से काम शुरू करते हुए नामरा कादिर ने यूट्यूब पर शौर्ट कौमेडी फिल्म और मनोरंजक वीडियो बना कर साल 2019 में अपने करिअर की शुरुआत की थी. तब नामरा के टिकटौक पर लाखों फालोअर्स थे, लेकिन 2020 में टिकटौक ऐप को भारत में प्रतिबंधित कर दिए जाने के बाद म्यूजिक वीडियो में काम करने लगी.

रचित रोझा, अनिकेत बेनीवाल, विराट बेनीवाल जैसे कई बड़े यूट्यूबर्स के साथ नामरा ने बतौर एक अभिनेत्री और मौडल के रूप में भी काम किया. इस की वजह से वह काफी लोकप्रिय हो गई और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन गई.

नामरा शादीशुदा है और एक बच्चे की मां भी है. दिल्ली के शालीमार गार्डन का रहने वाला पति विराट बेनीवाल उस के साथ काम करता है.

दरअसल, नामरा पर आरोप है कि उस ने अपने पति के साथ मिल कर गुरुग्राम के एक बिजनैसमैन को अपने जाल में फंसाया है. इस के तहत गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने के एसएचओ राजेश कुमार द्वारा सख्ती से की गई पुछताछ में उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस के बाद हनीट्रैप और जालसाजी की कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—

नामरा ने पहले तो दिनेश से कुछ मीटिंग अरेंज कीं, किंतु बाद में जब वह काम नहीं करने की शिकायत करने लगा तब पति विराट बेनीवाल के साथ जा कर मिलने लगी. दोनों ने काम में आ रही बाधा और देरी के सिलसिले में उसे समझाने की कोशिश की.

फिर भी दिनेश उधार और काम के एवज में दिया गया पैसा लगातार मांगता रहा, तब उन्होंने मिल कर एक योजना बनाई. योजना को अगस्त, 2022 को अंजाम दिया गया.

नामरा ने पैसे देने के लिए गुरुग्राम के सोहना रोड स्थित एक होटल में उसे बुलाया. वहां नामरा और विराट ने पहले से ही रात को ठहरने के लिए एक कमरा बुक कर लिया था. यह वही जगह थी, जहां उस की नामरा से पहली मुलाकात हुई थी. इस कारण दिनेश वहां बेझिझक चला गया और रात वहीं गुजारी.

अश्लील वीडियो देख घबरा गया दिनेश

दिनेश का आरोप है कि अगली सुबह उठने पर नामरा ने उस से सारे बैंक कार्ड और स्मार्ट वाच मांगे. साथ में उस का पति भी था. उन के बदले हुए तेवर देख कर दिनेश घबरा गया. नामरा ने दिनेश को धमकाया कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह उसे रेप के झूठे केस में फंसा देगी. इसी के साथ उस की कुछ अश्लील वीडियो क्लिपिंग्स दिखाते हुई बोली कि इसे वह वायरल कर देगी.

असल में दिनेश को नामरा और विराट ने मिल कर रात को खूब शराब पिलाई थी. शराब के नशे में वह अपने होशोहवास खो चुका था. इसी दौरान नामरा ने विराट की मदद से कुछ शूट कर रील्स बना लिए थे.

दिनेश द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार, नामरा और उस के पति ने बुरी नीयत का अपना असली चेहरा दिखा दिया था. दिनेश उस वक्त तो पास में जो कुछ था, उन्हें सौंप कर अपने घर लौट आया. कुछ दिनों तक इस वारदात के सदमे में रहा. वह रेप के मुकदमे की धमकी से भी डर गया था.

वह जानता था कि रेप के सिलसिले में आरोप लगने पर तुरंत जेल भेज दिया जाता है. अग्रिम जमानत तो दूर की बात है, जल्द जमानत भी नहीं मिलती है. नामरा की ये असलियत देख कर उस के पैरों तले जमीन खिसक गई थी. उसे समझ ही नहीं आया कि अब वो करे तो क्या करे.

आखिरकार दिनेश ने नामरा की इस धमकी से बचने के लिए उस के पति से बात कर मामले का हल ढूंढने की कोशिश की. इस पर पति ने दोटूक जवाब दे दिया कि अगर उस ने नामरा की बात नहीं मानी तो वो वाकई उसे जेल जाना पड़ेगा. और फिर इस के बाद नामरा और उस के पति द्वारा रुपए वसूलने की शुरुआत हो गई.

वे उस से किस्तों में रुपए वसूलते रहे, जो 80 लाख रुपए तक पहुंच गई. फिर तो हालत ऐसी हुई कि उस के पास रुपए खत्म हो गए, लेकिन नामरा और उस के पति की मांग खत्म नहीं हुई. आखिरकार उसे अपने पिता के अकाउंट से 5 लाख रुपए ट्रांसफर करने पड़े.

दिनेश के पिता की पहल पर ही नामरा के खिलाफ 26 नवंबर, 2022 को गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने में शिकायत दर्ज की गई. उस के बाद कई प्रयासों के बाद नामरा की 5 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तारी हुई.

पूछताछ के बाद उसे न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

इस मामले में गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने के एसएचओ राजेश कुमार ने नामरा कादिर के 2 बैंक खातों को फ्रीज करा दिया. साथ ही घरेलू और अन्य कीमती सामान, जो उस ने जबरन वसूली के पैसे से खरीदे थे, को भी जब्त कर लिया. उस का पति विराट बेनीवाल कथा लिखे जाने तक फरार था.      द्य

—कथा समाचार पत्रों, वेबसाइटों में प्रसारित रिपोर्ट्स तथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा को सिलसिलेवार बनाने के लिए नाटकीय रूप दिया गया है.

शादी का झांसा देने वाला फरजी सीबीआई अधिकारी

फरेबी प्यार में हारी अय्याशी – भाग 3

पुनीत नर्मदा नदी के बुधनी घाट पर पूजापाठ करता था. सुंदर लड़कियां उस की कमजोरी थीं. वह लड़कियों को देख कर जल्दी फिसल जाता था. अंजू से प्यार हो जाने के बाद उस ने अंजू के घर वालों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन जब वे लोग राजी नहीं हुए तो वह अंजू को भगा कर ले गया और कोर्ट में शादी कर ली.

शादी के एक साल बाद ही अंजू ने एक बेटे को जन्म दिया. उस के बाद पुनीत के सिर से प्यार का खुमार उतर गया और वह अंजू के साथ मारपीट करने लगा.

वह अपने बेटे को ही बेचने की धमकी देने लगा.

यह बात राजाराम गोस्वामी के परिवार को चली तो वे पुनीत से और ज्यादा नफरत करने लगे. राजू रघुवंशी को जब अंजू की दयनीय हालत का पता चला तो वह अंजू से हमदर्दी रखने लगा. वह अकसर यही सोचता कि अगर किसी तरह पुनीत को रास्ते से हटा दे तो अंजू को फिर से हासिल कर सकता है. इसी वजह से उस ने प्रदीप के बनाए प्लान में शामिल हो कर पुनीत की हत्या करने की योजना बनाई.

22 साल की नूरजहां राजाराम गोस्वामी के नाबालिग बेटे प्रदीप पर इस कदर फिदा थी कि उस का प्यार पाने के लिए कुछ भी कुरबान करने को तैयार थी. अपने प्रेमी के कहने पर नूरजहां ने पुनीत से नजदीकी बनाई और और उसे अपने प्रेमजाल में फांस लिया.

नूरजहां  फोन पर पुनीत से घंटों बातें किया करती थी और उसे संबंध बनाने के लिए सोहागपुर बुलाती थी, मगर पुनीत के मन में यह डर बना रहता था कि कहीं उस का साला प्रदीप उस के साथ कोई बदसलूकी न कर दे.

पुनीत दिलफेंक आशिक था. वह नूरजहां के आमंत्रण को ज्यादा दिनों तक नहीं टाल सका. जब 26 नवंबर, 2022 को नूरजहां ने बातचीत के दौरान पुनीत से सोहागपुर आने की बात कही तो उस ने आने की स्वीकृति दे दी.

जब नूरजहां और पुनीत मोबाइल पर बात कर रहे थे तब साला प्रदीप कौन्फ्रैंस काल के माध्यम से दोनों की बातें सुन रहा था. योजना के मुताबिक नूरजहां ने पुनीत को सोहागपुर के रेलवे पुल के पास मिलने के लिए बुलाया.

शाम होतेहोते पुनीत रेलवे पुल पर पहुंच गया. लेकिन वहां नूरजहां नहीं पहुंची. रेलवे पुल के नीचे पुनीत की नजर दूर खड़े अपने साले प्रदीप पर पड़ी तो वह वहां से भाग निकला और पुराने बसस्टैंड पर चायपान की एक दुकान पर बैठ गया.

वहां से पुनीत ने नूरजहां को फोन कर के पूछा, ‘‘तुम मिलने क्यों नहीं आईं?’’

‘‘आज घर से निकलने का कोई बहाना नहीं मिला,’’ नूरजहां बोली.

‘‘तो फिर तुम्हारे घर पर ही आ जाऊं?’’ पुनीत बोला.

‘‘नहीं, आज अब्बू घर पर ही हैं.’’ नूरजहां ने मना करते हुए कहा.

इसी बीच राजू रघुवंशी ने पुनीत को फोन कर के पूछा, ‘‘पुनीत, कहां हो भाई? आज मिल कर कहीं पार्टी करते हैं.’’

‘‘मैं तो इसी इंतजार में हूं, तुम सोहागपुर आ जाओ.’’ पुनीत बोला.

राजू और पुनीत की आपस में दोस्ती थी और अकसर वे साथ बैठ कर शराब के जाम छलकाते थे. दोनों की फोन पर बात होती रहती थी, इसलिए राजू ने फोन पर पुनीत से कहा, ‘‘मुझे सोहागपुर पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा. जब तक वह अपने दोस्त लकी को उस के पास भेज रहा है. उस के साथ मंडी में बैठ कर दारू पियो, तब तक मैं आ रहा हूं. फिर घर चलते हैं वहीं तुम रुक जाना.’’

पुनीत सोहागपुर नूरजहां से मिलने के लिए आया था, परंतु शराब की तलब के कारण वह राजू की बातों में आ गया. रात होते होते राजू के कहने पर लकी कहार पुनीत को ले कर मंडी परिसर पहुंच गया, जहां दोनों ने जम कर शराब पी.

जब पुनीत शराब के नशे में चूर हो गया, तभी राजू के साथ प्रदीप भी वहां पहुंच गया. तीनों ने मिल कर पुनीत के साथ मारपीट शुरू कर दी. लकी और प्रदीप ने पुनीत के पैर पकड़ लिए, तभी राजू ने बांका मार कर बेरहमी से उस की हत्या कर दी.

हत्या के बाद तीनों पुनीत के शव को घसीट कर मंडी परिसर में बने नाले में फेंक आए और घटनास्थल पर खून के निशानों को मिटाने के लिए पास में पड़ी रेत मिट्टी ला कर डाल दी. लाश की शिनाख्त न हो सके, इस के लिए तीनों ने उस का मोबाइल और  पर्स भी निकाल लिया.

इस खुलासे के बाद पुलिस ने लकी कहार और नूरजहां को हिरासत में ले लिया. हत्या के मुख्य आरोपी राजू की तलाश करने जब पुलिस टीम उस के गांव पहुंची तो पता चला, वह किसी काम से पिपरिया गया है.

जब पुलिस टीम उस की तलाश में पिपरिया पहुंची तो पुलिस को देख कर राजू बीच बाजार में भाग खड़ा हुआ, जहां पुलिस ने फिल्मी अंदाज में राजू को बीच बाजार से घेराबंदी कर दौड़ा कर पकड़ लिया.

पुलिस हिरासत में आते ही राजू ने पुनीत की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. राजू की निशानदेही पर हत्या में प्रयोग हुए हथियार बांका, पर्स, मोबाइल आदि सामग्री, जो राजू के घर नवलगांव में भूसे के अंदर छिपा कर रखी गई थी, उसे बरामद कर लिया.

पुलिस ने प्रैस कौन्फ्रैंस में मामले का खुलासा किया और हत्या के आरोपी राजू रघुवंशी, नूरजहां और लकी कहार को भादंवि की धारा 302, 201,120 एवं आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें होशंगाबाद जेल भेज दिया गया. जबकि नाबालिग प्रदीप को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.   द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में प्रदीप परिवर्तित नाम है.

उम्मीदों से दूर निकला लिवइन पार्टनर – भाग 3

मनप्रीत ने यह घोषित कर दिया था कि वह मनोरोगी है. मनप्रीत एक डाक्टर से दवा ला कर उसे जबरन खिलाता था. कल रात को भी उस ने उसे जबरन गोलियां खिलाई थीं, जिस से वह बेहोशी की हालत में आ कर गहरी नींद सो गई थी.

सुनील कुमार ने मकान मालिक से भी मनप्रीत के बारे में काफी जानकारी हासिल कर ली. मकान मालिक ने 8 साल पहले मनप्रीत को अपना कमरा किराए पर देते वक्त एक रेंट एग्रीमेंट बनवाया था, जिस में मनप्रीत के गांव का पता लिखा गया था. मनप्रीत पटियाला के एक गांव का रहने वाला था. सुनील कुमार ने वह पता नोट कर लिया.

सुनील कुमार ने डीसीपी राणा को फोन द्वारा बता दिया कि रेखा के कत्ल में उस का प्रेमी मनप्रीत संदिग्ध आरोपी है. वह लापता है. राणा ने उन्हें मनप्रीत को गिरफ्तार करने के आदेश दिए.

सुनील कुमार ने नीतू से मनप्रीत का एक फोटो हासिल कर के उस का क्लोजअप अपने स्टाफ के मोबाइल में अपलोड कर दिया. फिर उन्हें मनप्रीत की तलाश में दौड़ा दिया. वहां की आवश्यक काररवाई निपटाने के बाद रेखा की लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

उस कमरे को सील करने के बाद वह राकेश के पास आए और उसे नीतू की देखभाल की जिम्मेदारी संभलवा कर डीसीपी घनश्याम बंसल की ओर बढ़ गए जो अभी भी पुलिस स्टाफ के साथ वहां मौजूद थे.

‘‘इजाजत चाहूंगा सर, मुझे अब कातिल की तलाश में निकलना है.’’ सुनील ने शिष्टाचार से कहा.

‘‘ठीक है, आप अपना काम मुस्तैदी से करें और जल्दी कातिल की गिरफ्तारी की खबर दें.’’ डीसीपी घनश्याम बंसल

ने कहा. सुनील उन्हें सैल्यूट करने के बाद वहां से निकल गए.

मनप्रीत की टोह में क्राइम ब्रांच की टीम तो लगी ही हुई थी, कुछ खास मुखबिरों को भी मनप्रीत का सुराग तलाशने के लिए लगा दिया गया था.

दिल्ली के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर खास निगरानी की गई लेकिन मनप्रीत दिल्ली में होता तो मिलता. वह पहली दिसंबर की दोपहर को ही दिल्ली से बाहर निकल गया था. शाम तक मनप्रीत की तलाश में भटकने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम और मुखबिर खाली हाथ वापस लौट आए.

इंसपेक्टर सुनील ने अनुमान लगाया कि हो न हो मनप्रीत अपने पटियाला के गांव भाग गया है. इंसपेक्टर सुनील ने मनप्रीत के विषय में मकान मालिक से बहुत सारी जानकारी हासिल कर ली थी.

उन्हें यह पता चला था कि मनप्रीत के पास एक पुरानी कार है, जिसे वह अपने लिए इस्तेमाल करता है. उस कार का रंग भी मकान मालिक से मालूम हो गया था.

इंसपेक्टर सुनील ने क्राइम ब्रांच के 2 एसआई और एक हैडकांस्टेबल को साथ लिया और वह पटियाला की तरफ रात को ही रवाना हो गए.

उन की गाड़ी पंजाब जाने वाले हाईवे पर फर्राटे भरती हुई पहले टोलनाका पर पहुंची तो इंसपेक्टर सुनील ने कार रुकवा ली. वह जानते थे हर टोलनाका पर सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं. उन्होंने एसआई को सीसीटीवी फुटेज चैक करने के लिए कहा.

उन की कोशिश रंग लाई. टोलनाका पर पंजाब की ओर जाने वाले सड़क के ब्रेकर पर लगे सीसीटीवी कैमरे में उन्हें मनप्रीत की कार नजर आ गई. पिक्चर जूम कर के देखने पर कार की ड्राइविंग सीट पर उन्हें मनप्रीत भी बैठा दिखाई दे गया.

सुनील उत्साह से भर कर बोले, ‘‘हम सही दिशा में जा रहे हैं. ड्राइवर गाड़ी को आगे बढ़ाओ, हम कल सुबह ही मनप्रीत की गरदन पर हाथ डाल देंगे.’’

कार फिर से दौड़ने लगी. बगैर विश्राम किए क्राइम ब्रांच की टीम सुबह 7 बजे पटियाला पहुंच गई. वहां से मनप्रीत का गांव ज्यादा दूर नहीं था.

टीम स्थानीय पुलिस के साथ उस के गांव में सीधे मनप्रीत के घर पहुंची. मनप्रीत हक्काबक्का रह गया. उसे शायद उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली से पुलिस उसे पकड़ने के लिए पटियाला तक पहुंच जाएगी.

मनप्रीत की कलाई में हथकड़ी डाल कर उसे कस्टडी में ले लिया गया. मनप्रीत समझ चुका था कि उस का खेल खत्म हो गया है, इसलिए बगैर विरोध किए वह सिर झुका कर कार में बैठ गया था. क्राइम ब्रांच की टीम उसे ले कर दिल्ली आ गई.

इंसपेक्टर सुनील ने डीसीपी अमित राणा को इस की जानकारी दी तो वह थोड़ी ही देर में इनवैस्टीगेशन रूम में आ गए. उन की मौजूदगी में सुनील कुमार ने मनप्रीत से रेखा को कत्ल करने की वजह पूछी तो इस जघन्य हत्याकांड की जो कहानी मनप्रीत के मुंह से निकल कर सामने आई, वह उस प्यार और विश्वास को चाकू की धार से लहूलुहान कर देने वाली निकली, जो प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे से करते हैं. जीवन भर एकदूसरे का हो जाने के लिए कसमें खाते हैं.

रेखा ने भी मनप्रीत पर आंखें बंद कर के विश्वास किया था. रेखा ने जिस घर में जन्म लिया था, वह संपन्न और सुखी नहीं था. रेखा ने होश संभाला तो उसे अभाव भरी जिंदगी से नफरत हो गई. चूंकि वह लड़की थी, इसलिए विद्रोह भी नहीं कर सकती थी. उसे अपनी तंगहाल जिंदगी से समझौता करना पड़ा.

दिन, महीने, साल गुजरते गए, जब उस की उम्र शादी के लायक हुई तो मांबाप ने जैसेतैसे कर उस के हाथ पीले कर के घर से विदा कर दिया. पति के घर में उस ने सुख की कल्पना की थी. सोचा था, जो मांबाप से नहीं मिला वह पति के घर मिलेगा. लेकिन यहां भी दरिद्रता पांव पसारे बैठी थी.

रेखा मन मसोस कर रह गई. उस के अरमान, उस के सपने चकनाचूर हो गए थे. पति के साथ उस ने गृहस्थ जीवन की गाड़ी आगे बढ़ाई. एक साल बाद ही उस की कोख से बेटी ने जन्म लिया. अब वे 2 से 3 हो गए थे. पति की कमाई से पहले ही गुजर नहीं हो पाती थी, बेटी के आने से और दिक्कत होने लगी.

वह खुद तो भूखा रह सकती थी, लेकिन बेटी का भूख से बिलबिलाना उसे सहन नहीं हुआ. पैसों को ले कर घर में झगड़े होने लगे, जो इतने बढ़ गए कि रेखा पति से तलाक ले कर अलग हो गई.

मांबाप के घर में पहले ही अभाव था, इसलिए उस ने किराए पर घर लिया. घरों में चौकाबरतन कर के वह अपना और बेटी का पेट भरने लगी. बाद में उस ने एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. अब वह पति के घर से अधिक सुखी थी. 2 पैसे हाथ में आए तो उस का रहनसहन भी बदल गया. सुंदर तो वह बचपन से ही थी, दरिद्रता की धूल बदन से झड़ी तो उस की सुंदरता और निखर उठी.

मनप्रीत खातेपीते घर का युवक था. उस ने पटियाला यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया था. उस के पिता यूएसए में रहते थे. घर में रुपएपैसों की कोई कमी नहीं थी. लेकिन मनपप्रीत अपने पिता की दौलत पर नहीं जीना चाहता था. बचपन से वह महत्त्वाकांक्षी था. खूब रुपया कमाना चाहता था, इसलिए 1998 में वह दिल्ली चला आया.

दोस्त बना जीजा, खतरनाक नतीजा

सुबह का उजाला अभी फैलना शुरू हुआ था कि ‘बचाओ बचाओ’ की मर्मभेदी चीख ने वहां मौजूद लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था. चीखने वाले पर तेजधार हथियार से एक युवक ने हमला किया था, जिस से गंभीर रूप से घायल हो कर वह चीखा था. चीखने के साथ ही वह सड़क पर गिर पड़ा था और गिरते ही बेहोश हो गया था.

उस युवक के गिरते ही उस पर हमला करने वाला युवक लंबे फल का खून सना चाकू हाथ में लिए भागा था. सुबह का समय होने की वजह से वहां बहुत कम लोग थे, लेकिन जो भी थे, वे उस का पीछा करने या पकड़ने की हिम्मत नहीं कर सके थे.

पर उन लोगों ने इतना जरूर किया कि हमलावर के भागने के बाद सड़क पर घायल पड़े युवक को पंचकूला के सैक्टर-6 स्थित जनरल अस्पताल पहुंचा दिया था. उसे देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित करने के साथ इस की सूचना पुलिस को दे दी थी.

सूचना मिलते ही थाना मौलीजागरां के एएसआई गुरमीत सिंह सुबह 7 बजे के करीब अस्पताल पहुंच गए थे. घटना की जानकारी ले कर उन्होंने थानाप्रभारी इंसपेक्टर बलदेव कुमार को सूचित किया तो सिपाही अमित कुमार के साथ वह भी अस्पताल पहुंच गए थे.

जरूरी काररवाई कर के बलदेव कुमार ने उन लोगों से बात की, जो मृतक को अस्पताल ले कर आए थे. वे 2 लोग थे, जिन में एक 19 साल का मोहम्मद चांद था और दूसरा था ड्राइवर अशोक कुमार. पूछताछ में चांद ने बताया था कि वह पंचकूला के सैक्टर-16 की इंदिरा कालोनी के मकान नंबर 1821 में रहता था और सैक्टर-17 की राजीव कालोनी स्थित शरीफ हलाल मीट शौप पर नौकरी करता था.

सुबह जल्दी जा कर चांद ही दुकान खोलता था. मृतक को ही नहीं, उस पर हमला करने वाले को भी वह अच्छी तरह से पहचानता था. वह सुबह 5 बजे दुकान पर पहुंचा तो मुर्गा सप्लाई करने वाली गाड़ी आ गई. गाड़ी के ड्राइवर अशोक कुमार ने मोहम्मद चांद को आवाज दे कर गाड़ी से मुर्गे उतारने को कहा.

मोहम्मद चांद गाड़ी के पीछे पहुंचा तो गाड़ी में बैठा ड्राइवर का सहायक इरफान उतर कर उस के पास आ गया. जैसे ही वह जाली वाला दरवाजा खोल कर मुर्गे निकालने के लिए आगे बढ़ा, शाहबाज हाथ में चाकू लिए वहां आया और इरफान के सिर पर उसी चाकू से वार कर दिया.

वार होते ही इरफान पीछे की ओर घूमा तो शाहबाज ने कहा, ‘तुम ने मेरी भोलीभाली बहन को अपनी मीठीमीठी बातों में फंसा कर मेरी मरजी के खिलाफ उस से शादी की है न? तो आज मैं तुझे उसी का सबक सिखा रहा हूं. आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’

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इस के बाद शाहबाज ने इरफान की छाती, आंख के नीचे और कमर तथा पेट पर लगातार कई वार किए. इरफान ‘बचाओ…बचाओ’ की गुहार लगाते हुए नीचे गिर गया. शाहबाज का गुस्सा और उस के हाथ में चाकू देख कर कोई भी उस के पास जाने की हिम्मत नहीं कर सका.

लेकिन जैसे ही शाहबाज चला गया, मोहम्मद चांद और अशोक कुमार ने किसी तरह इरफान को अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उसे देखते ही मरा हुआ बताया. ऐसा ही कुछ अशोक कुमार ने भी बताया था, लेकिन उस का कहना था कि वह आगे था. शोर सुन कर पीछे आया. तब तक शाहबाज अपना काम कर के जा चुका था.

इंसपेक्टर बलदेव कुमार ने हत्याकांड के चश्मदीद मोहम्मद चांद के बयान के आधार पर शाहबाज के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की अनुशंसा कर के तहरीर थाना भेज दी, जहां एफआईआर नंबर 101 पर भादंवि की धारा 302 के तहत यह केस दर्ज कर लिया गया. यह घटना 4 जून, 2016 की है.

उसी दिन पुलिस की एक टीम शाहबाज की तलाश में जुट गई. उस के बारे में पता करने के लिए विश्वस्त मुखबिर भी सक्रिय कर दिए गए थे. मुखबिर की ही सूचना पर शाहबाज को उसी दिन रात में गांव मक्खनमाजरा से गिरफ्तार कर लिया गया.

अदालत से कस्टडी रिमांड ले कर सब से पहले शाहबाज से उस चाकू के बारे में पूछा गया, जिस से उस ने इरफान का कत्ल किया था. 6 जून को उस की निशानदेही पर वह चाकू मौलीजागरां की एक कब्रगाह से बरामद कर लिया गया. उस ने वहां चाकू को पत्थरों के नीचे दबा कर रखा था. लेकिन उस पर लगा खून उस ने साफ कर दिया था.

इस के बाद शाहबाज से इरफान की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के रहने वाले शाहबाज और इरफान एक ही गांव के रहने वाले थे, इसलिए वे एक साथ खेलकूद कर बड़े हुए थे. कुछ दिनों पहले कामधंधे की तलाश में दोनों चंडीगढ़ आ गए. इरफान जहां अपने बड़े भाई के साथ आया था, वहीं शाहबाज अपने पूरे परिवार के साथ आया था. उस के परिवार में अब्बूअम्मी के अलावा एक छोटी बहन साहिबा थी.

चंडीगढ़ में दोनों पंचकूला की सीमा पर बसे गांव मौलीजागरां में थोड़ी दूरी पर अलगअलग किराए के मकान ले कर रहने लगे थे. मौलीजागरां जहां चंडीगढ़ में पड़ता है, वहीं मुख्य सड़क के उस पार की दुकानें हरियाणा के जिला पंचकूला के सैक्टर-17 की राजीव कालोनी के अंतर्गत आती हैं. उन्हीं में से एक दुकान पर शाहबाज जहां मुर्गे काटने का काम करने लगा था, वहीं इरफान को मुर्गे सप्लाई करने वाली गाड़ी पर सहायक की नौकरी मिल गई थी.

अपने हिसाब से दोनों का काम ठीकठाक चल रहा था. शाहबाज के अब्बू को भी नौकरी मिल गई थी. इरफान और शाहबाज हमउम्र थे. दोनों इतने गहरे दोस्त थे कि उन में सगे भाइयों जैसा प्यार था. एक दिन भी दोनों एकदूसरे से मिले बिना नहीं रह पाते थे. एकदूसरे के यहां आनाजाना, खाना खा लेना या फिर कभीकभार सो जाना आम बात थी.

साहिबा भी दोनों के साथ बचपन से खेलतीकूदती आई थी. मगर अब वह जवान हो चुकी थी. घर वाले उस के निकाह के बारे में सोचने लगे थे. देखनेदिखाने की बात चली तो साहिबा ने हिम्मत कर के शरमाते हुए घर वालों से कहा कि वह इरफान से प्यार करती है और उसी से निकाह करना चाहती है.

साहिबा की इस बात से शाहबाज के घर में तूफान सा आ गया. घर का कोई भी आदमी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं था. शाहबाज ने साफ कहा, ‘‘इस से बड़ी जिल्लत मेरे लिए और क्या होगी कि लोग यह कह कर मेरा मजाक उड़ाएंगे कि अपनी बहन का निकाह करने के लिए ही मैं ने इरफान से दोस्ती की थी. क्या निकाह के लिए सिर्फ वही रह गया है? दुनिया में और कोई लड़का नहीं है? मैं यह निकाह किसी भी कीमत पर नहीं होने दूंगा.’’

शाहबाज ने साहिबा को तो लताड़ा ही, इरफान से भी झगड़ा किया. इरफान ने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि जो भी होगा, घर वालों की रजामंदी से होगा. लेकिन शाहबाज ने साफ कह दिया कि वह साहिबा को भूल जाए और किसी अन्य लड़की से निकाह कर ले, वरना उस के लिए ठीक नहीं होगा.

शाहबाज की इस धमकी का नतीजा यह हुआ कि कुछ दिनों बाद इरफान साहिबा को भगा ले गया और एक धार्मिक स्थल पर दोनों ने निकाह कर लिया. वह वापस आया तो साहिबा को शरीकेहयात बना कर आया. शाहबाज को इस मामले में सारी गलती इरफान की नजर आ रही थी. उस ने अपने दिलोदिमाग में बैठा लिया कि इरफान ने साहिबा के भोलेपन का फायदा उठा कर उसे अपनी बातों में फंसा लिया है.

शाहबाज इरफान से पहले से ही नाराज था, जलती पर घी का काम किया उस ने साहिबा को भगा कर. उस के अब्बू ने इस से बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस की. इसी की वजह उन्होंने 2 दिनों बाद ही मौलीजागरां का अपना निवास छोड़ दिया था और वहां से 20 किलोमीटर दूर जा कर कस्बा डेराबस्सी में किराए का मकान ले कर रहने लगे थे. उन्होंने उधर जाना ही छोड़ दिया था. शाहबाज को नौकरी की वजह से उधर जाना पड़ता था.

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जिस मीट की दुकान पर शाहबाज काम करता था, इरफान रोजाना उधर मुर्गे की सप्लाई करने आता था. लेकिन निकाह के बाद वह उधर दिखाई नहीं दिया था. पता चला कि निकाह के दिन से ही उस ने छुट्टी ले रखी है.

4 जून, 2016 की बात है. साहिबा से इरफान को निकाह किए 5 दिन हो गए थे. सुबह के 5 बजे शाहबाज दुकान पर पहुंच कर मुर्गा काटने वाला चाकू तेज कर रहा था. तभी मुर्गेवाली गाड़ी आ कर उस की दुकान से थोड़ी दूरी पर सड़क के किनारे रुकी. इरफान उतर कर गाड़ी के पीछे की ओर आया.

शाहबाज ने उसे आते देखा तो उसे देख कर उस की आंखों में खून उतर आया. उस के पास सोचनेविचारने का वक्त नहीं था. वह मीट काटने वाला चाकू ले कर तेजी से भागता हुआ इरफान के पास पहुंचा और जरा सी देर में उसे मौत के घाट उतार कर भाग गया.

पहले तो उस ने कब्रिस्तान के पास एक जगह चाकू को साफ कर के पत्थरों के नीचे छिपा दिया. उस के बाद बचने के लिए इधरउधर छिपता रहा. लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया. उस ने कहा कि इरफान ने काम ही ऐसा किया था, जिस से उसे मारने का कोई अफसोस नहीं है. इरफान ने जो किया था, उस की उसे यही सजा मिलनी चाहिए थी.

पूछताछ के बाद पुलिस ने शाहबाज को फिर से अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में बुड़ैल जेल भेज दिया गया.

बलदेव कुमार ने उस के खिलाफ आरोपपत्र तैयार कर समय से निचली अदालत में दाखिल कर दिया, जहां से सैशन कमिट हो कर 13 सितंबर, 2016 से मामले की सुनवाई चंडीगढ़ के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अतुल कसाना की अदालत में शुरू हुई.

6 अक्तूबर को अदालत ने शाहबाज के खिलाफ धारा 302 का चार्ज फ्रेम कर दिया. उस ने अदालत में खुद को बेकसूर बताते हुए दरख्वास्त की थी कि पुलिस ने एक झूठी कहानी गढ़ कर इस केस में उसे बिना मतलब फंसा दिया है. वह अपने उन बयानों से भी मुकर गया, जो उस ने कस्टडी रिमांड के दौरान पुलिस को दिए थे.

मामले की विधिवत सुनवाई शुरू होते ही अभियोजन पक्ष ने डा. अमनदीप सिंह, डा. गौरव, मोहम्मद चांद, इंतजाम अली, अशोक कुमार, इंसपेक्टर बलदेव कुमार, फोटोग्राफर फूला सिंह, हवलदार सतनाम सिंह, रमेशचंद, धर्मपाल एवं यशपाल के अलावा सीनियर कांस्टेबल कृष्णकुमार, एसआई गुरमीत सिंह, एसआई गुरनाम सिंह और डा. मनदीप सिंह के रूप में 15 गवाह अदालत में पेश किए.

इस के बाद अतिरिक्त पब्लिक प्रौसीक्यूटर ने अभियोजन पक्ष की गवाहियों के पूरी होने के बाद सीआरपीसी की धारा 293 के तहत फोरैंसिक साइंस लैबोरेटरी की रिपोर्ट के अलावा विसरा रिपोर्ट भी पेश की.

अभियोजन पक्ष की काररवाई पूरी होने के बाद 20 जनवरी, 2017 को कोड औफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 313 के तहत अभियुक्त शाहबाज का स्टेटमैंट रिकौर्ड किया गया. अभियुक्त ने उक्त सभी गवाहों को झूठ करार देते हुए यही कहा कि वह बेकसूर है. उसे झूठा फंसाया गया है.

बचाव पक्ष की ओर से साहिबा को पेश किया गया. कोड औफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 315 के अधीन दर्ज अपने बयान में साहिबा ने अदालत को बताया कि उस ने इरफान से प्रेम विवाह किया था, जिस का परिवार वालों ने पहले तो विरोध किया, लेकिन बाद में मान गए थे.

इरफान ने उसे बताया था कि उस की कुछ गलत लोगों से ऐसी दुश्मनी हो गई है कि वे मौका मिलने पर उस की जान ले सकते हैं. ऐसे में हो सकता है, इरफान को उन्हीं लोगों ने मारा हो, न कि शाहबाज ने.

बचाव पक्ष की ओर से अशोक कुमार को अविश्वसनीय करार देते हुए अदालत ने उसे मुकरा गवाह घोषित करने की गुहार लगाई गई, जो अदालत ने मान भी ली. यह भी दलील दी गई कि पुलिस द्वारा बरामद चाकू पर डाक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक मानवीय खून नहीं लगा था.

31 जनवरी, 2017 को विद्वान जज अतुल कसाना ने इस मामले का फैसला सुनाते हुए खुली अदालत में कहा कि उन्होंने दोनों पक्षों को ध्यानपूर्वक सुनने के अलावा सभी साक्ष्यों को गौर से जांचापरखा है, जिन से यह केस शीशे की तरह साफ है. अशोक कुमार को भले मुकरा गवाह करार दिया गया है, लेकिन उस की गवाही को नकारा नहीं जा सकता.

वह भी एक तरह से इस केस का चश्मदीद गवाह था. भले ही उस की गवाही में बाद में कुछ विपरीत बातें सामने आईं, जिस वजह से उसे मुकरा गवाह घोषित किया गया. लेकिन उस की शुरू की गवाही अभियोजन पक्ष को पूरी तरह मजबूती देने में सहायक सिद्ध हुई है.

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चाकू पर मानवीय खून का अंश होने की बात रिपोर्ट में पहले ही आ चुकी है. हालांकि अभियुक्त ने उसे फेंकने से पहले साफ कर दिया था. साहिबा को बचाव पक्ष ने गवाह के रूप में पेश कर के केस की दिशा बदलने का प्रयास किया. लेकिन उस की प्रेम विवाह वाली बात मान लेने से ही प्रौसीक्यूशन की कहानी को बल मिल जाता है.

लिहाजा यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में कामयाब रहा है और अभियुक्त शाहबाज खान मृतक मोहम्मद इरफान का कत्ल करने का दोषी पाया गया है. अभी वह जेल में है. सजा की बाबत सुनने के लिए उसे अगले दिन अदालत में पेश किया जाए.

अगले दिन शाहबाज को ला कर अदालत में पेश किया गया तो माननीय एडीजे अतुल कसाना ने उसे उम्रकैद के अलावा 10 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाई.

– कथा अदालत के फैसले पर आधारित 

बदले का प्यार : क्या रीता को मिल पाया अपना प्यार

2 हत्याओं की बात थी, इसलिए सूचना मिलते ही एसपी (ग्रामीण) जयप्रकाश सिंह, सीओ अजय कुमार और थानाप्रभारी प्रयाग नारायण वाजपेयी गांव अज्योरी पहुंच गए थे. यह गांव उत्तर प्रदेश के महानगर कानपुर के थाना सजेती के अंतर्गत आता है. दोनों हत्याएं इसी गांव के श्रीपाल के घर हुई थीं. यह 19 अगस्त, 2017 की बात है.

पुलिस अधिकारी श्रीपाल के घर के अंदर  घुसे तो वहां की हालत देख कर दहल उठे. आंगन  में 2 लाशें खून से सनी अगलबगल पड़ी थीं. एक लाश युवक की थी तो दूसरी युवती की. युवक की उम्र 25 साल के आसपास थी, जबकि युवती की 20 साल के आसपास थी. दोनों लाशों के बीच 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस के 2 खोखे भी पड़े थे.

पुलिस अधिकारी यह देख कर सोच में पड़ गए कि युवती की लाश पर तो घर वाले बिलख रहे थे, जबकि युवक की लाश पर वहां कोई रोने वाला नहीं था. एसपी जयप्रकाश सिंह ने श्रीपाल से इस बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘साहब, युवती मेरी बेटी रीता है और युवक मेरे दामाद बबलू का छोटा भाई पीयूष उर्फ छोटू. इसी ने गोली मार कर पहले रीता की हत्या की होगी, उस के बाद खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली है. जब इस ने यह सब किया, तब घर में कोई नहीं था.’’

‘‘इस ने ऐसा क्यों किया?’’ जयप्रकाश सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, पीयूष रीता से एकतरफा प्यार करता था और शादी के लिए परेशान कर रहा था. जबकि रीता उस से शादी नहीं करना चाहती थी. आज भी इस ने शादी के लिए ही कहा होगा, रीता ने मना किया होगा तो उस ने उसे मार डाला.’’ श्रीपाल ने कहा.

‘‘तुम ने पीयूष के घर वालों को इस घटना की सूचना दे दी है?’’

‘‘जी साहब, मैं ने फोन कर के इस के पिता और भाई को बता दिया है. लेकिन उन्होंने आने से साफ मना कर दिया है.’’ श्रीपाल ने कहा.

‘‘क्यों?’’ जयप्रकाश सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, इस की हरकतों से पूरा परिवार परेशान था. यह घर वालों से रीता से शादी कराने के लिए कहता था, शराब पी कर झगड़ा करता था, इसलिए घर वाले इस से त्रस्त थे. यही वजह है कि इस की मौत की खबर पा कर भी कोई आने को तैयार नहीं है.’’

इस के बाद सीओ अजय कुमार ने पीयूष के पिता विश्वंभर को फोन किया तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मिट्टी का तेल डाल कर आप उस की लाश को जला दीजिए. उस ने जो किया है, उस से मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा. अब मैं उस का मुंह नहीं देखना  चाहता.’’

इस के बाद अजय कुमार ने उस के बडे़ भाई बबलू को फोन किया तो उस ने भी यह कह कर आने से मना कर दिया कि उस की हरकतों से परेशान हो कर उस ने तो पहले ही उस से संबंध खत्म कर लिए थे. अब तक फोरेंसिक टीम आ चुकी थी. उस ने अपना काम कर लिया तो थानाप्रभारी प्रयाग नारायण वाजपेयी ने दोनों लाशों का पंचनामा तैयार कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.

इस के बाद रीता के घर वालों से विस्तार से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में हत्या की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर के कस्बा सजेती से 3 किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे बसा है गांव अज्योरी. इसी गांव में श्रीपाल अपनी पत्नी, 2 बेटियों गुड्डी, रीता और 2 बेटों रविंद्र एवं अरविंद के साथ रहता था. उस के पास खेती की जो जमीन थी, उसी की पैदावार से वह अपना गुजरबसर करता था.

श्रीपाल की बड़ी बेटी गुड्डी ने दसवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी तो उन्होंने कानपुर के थाना नौबस्ता के मोहल्ला मछरिया के रहने वाले विश्वंभर के बेटे बबलू से उस का विवाह कर दिया. विश्वंभर का अपना मकान था. भूतल पर किराने की दुकान थी, जिसे वह संभालते थे. बबलू नौकरी करता था, जबकि उस से छोटा पीयूष ड्राइवर था.

पीयूष ट्रक चलाता था. उसे जो भी वेतन मिलता था, वह खुद पर ही खर्च करता था. घर वालों को एक पैसा नहीं देता था. हां, अगर गुड्डी कुछ कह देती तो वह उस की फरमाइश पूरी करता था. देवरभाभी में पटती भी खूब थी. दोनों के बीच हंसीमजाक भी खूब होती थी. लेकिन इस हंसीमजाक में दोनों मर्यादाओं का खयाल जरूर रखते थे.

गुड्डी की छोटी बहन रीता बेहद खूबसूरत थी. उस की इस खूबसूरती में चारचांद लगाता था उस का स्वभाव. वह अत्यंत सौम्य और मृदुभाषी थी. जवानी की दहलीज पर उस ने कदम रखा तो उस की खूबसूरती और बढ़ गई. देखने वालों की निगाहें जब उस पर पड़तीं, ठहर कर रह जातीं. रीता तनमन से जितनी खूबसूरत थी, उतना ही पढ़ने में भी तेज थी. इस समय वह बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. अपने स्वभाव और पढ़ाई की वजह से रीता मांबाप की ही नहीं, भाइयों की भी आंखों का तारा थी.

पीयूष जब कभी भाई की ससुराल जाता, उस की नजरें रीता पर ही जमी रहतीं. मौका मिलने पर वह उस से हंसीमजाक और छेड़छाड़ भी कर लेता था. जीजासाली का रिश्ता होने की वजह से रीता ज्यादा विरोध भी नहीं करती थी. शरमा कर आंखें झुका लेती थी. इस से पीयूष को लगता था कि रीता उस में दिलचस्पी ले रही है.

इसी साल जून महीने की एक तपती दोपहर को पीयूष ट्रक ले कर हमीरपुर जा रहा था. घाटमपुर कस्बा पार करते ही उस का ट्रक खराब हो गया. उस ने ट्रक खलासी के हवाले किया और खुद आराम करने की गरज से भाई की ससुराल पहुंच गया. संयोग से उस समय रीता घर में अकेली थी. छोटे जीजा को देख कर रीता ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘आप चाय पिएंगे या शरबत?’’

‘‘चिलचिलाती धूप से आ रहा हूं. अभी कुछ भी पीने से तबीयत खराब हो सकती है.’’ अंगौछे से पसीना पोंछते हुए पीयूष ने कहा.

‘‘जीजाजी, आप आराम कीजिए मैं टीवी देख रही हूं. आप को जब भी कुछ पीना हो, बता दीजिएगा.’’ रीता ने कहा.

‘‘टीवी पर देहसुख वाली फिल्म देख रही हो क्या?’’ पीयूष ने हंसी की.

शरमाते हुए रीता ने कहा, ‘‘जीजाजी, आप इस तरह की फालतू बातें मत किया कीजिए.’’

‘‘रीता यह फालतू की बात नहीं, इसी में जिंदगी का सच है.’’

‘‘कुछ भी हो, मुझे इस तरह की बातों में कोई रुचि नहीं है.’’ कहते हुए रीता कमरे से चली गई.

थोड़ी देर आराम करने के बाद पीयूष ने पानी मांगा तो रीता गिलास में ठंडा पानी ले आई. उसे देख कर पीयूष ने कहा, ‘‘रीता, तुम सचमुच बहुत सुंदर हो. तुम्हें देख कर किसी का भी मन डोल सकता है. मेरा भी जी चाहता है कि तुम्हें अपनी बांहों में भर लूं.’’

रीता ने अदा से मुसकराते हुए कहा, ‘‘अभी धीरज रखो जीजाजी और आराम से पानी पियो. मुझे बांहों में भरने का सपना रात में देखना.’’

इस के बाद दोनों खिलखिला कर हंस पड़े. पीयूष मन ही मन सोचने लगा कि रीता उस की किसी भी बात का बुरा नहीं मानती है. इस का मतलब उस के दिल में भी वही सब है, जो वह उस के बारे में सोचता है. जिस तरह वह रीता को चाहता है, उसी तरह रीता भी मन ही मन उसे चाहती है.

रीता के प्यार में आकंठ डूबा पीयूष उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने का ख्वाब देखने लगा. अब वह रीता के घर कुछ ज्यादा ही आनेजाने लगा. उसे रिझाने के लिए जब भी वह आता, कोई न कोई उपहार ले कर आता. थोड़ी नानुकुर के बाद रीता उस का लाया उपहार ले भी लेती. जबकि रीता जानती थी कि इन उपहारों को लाने के पीछे पीयूष का कोई न कोई स्वार्थ जरूर है.

दिन बीतने के साथ रीता को पाने की चाहत पीयूष के मन में बढ़ती ही जा रही थी. लेकिन रीता न तो उस के प्यार को स्वीकार रही थी और न ही मना कर रही थी. रीता के कुछ न कहने से पीयूष की समझ में नहीं आ रहा था कि रीता उस से प्यार करती भी है या नहीं?

इस बात को पता करने के लिए एक दिन पीयूष रीता के यहां आया और उस की खूबसूरती का बखान करते हुए उस का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘रीता, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.’’

‘‘यह क्या कह रहे हैं जीजाजी आप?’’ रीता ने अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘‘आप भले ही मुझ से प्यार करते हैं, लेकिन मैं आप से प्यार नहीं करती. आप से हंसबोल लेती हूं तो इस का मतलब यह नहीं कि मैं आप से प्यार करती हूं.’’

‘‘मजाक मत करो रीता,’’ पीयूष ने कहा, ‘‘रीता, तुम मेरी साली हो और साली तो वैसे भी आधी घरवाली होती है. लेकिन मैं तुम्हें पूरी तरह अपनी घरवाली बनाना चाहता हूं. इसलिए तुम मना मत करो.’’

‘‘हरगिज नहीं,’’ रीता गुस्से में बोली, ‘‘न तो मैं तुम से प्यार करती हूं और न तुम मेरी पसंद हो. मैं बीए कर रही हूं, जबकि तुम कक्षा 8 भी पास नहीं हो. मैं किसी पढ़ेलिखे लड़के से शादी करूंगी, किसी ड्राइवर से नहीं, इसलिए आप मुझे भूल जाओ.’’

रीता के इस तरह साफ मना कर देने से पीयूष का दिल टूट गया. लेकिन वह एकतरफा प्यार  में इस तरह पागल था कि उसे लगता था कि एक न एक दिन रीता मान जाएगी. इसलिए उस ने रीता के यहां आनाजाना बंद नहीं किया. यह बात अलग थी कि अब रीता उस से ज्यादा बात नहीं करती थी.

रीता ने पीयूष के एकतरफा प्यार की बात घर वालों को बताई तो सब परेशान हो उठे. यह एक गंभीर समस्या थी, इसलिए यह बात गुड्डी और उस के पति बबलू को भी बता दी गई. दोनों ने पीयूष को समझाया कि वह रीता को भूल जाए. इस पर पीयूष ने साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो सिर्फ रीता से करेगा, वरना जहर खा कर जान दे देगा.

पीयूष शराब भी पीता था. रीता ने उस के प्यार को ठुकराया तो वह कुछ ज्यादा ही शराब पीने लगा. वह जबतब शराब पी कर रीता से मिलने उस के घर पहुंच जाता और रीता पर शादी के लिए दबाव बनाता. रीता उसे खरीखोटी सुना कर शादी से मना कर देती थी.

पीयूष रीता के घर वालों पर भी शादी के लिए दबाव डाल रहा था. वह धमकी भी देता था कि अगर रीता से उस की शादी नहीं हुई तो अच्छा नहीं होगा. आखिर निराश हो कर पीयूष ने रीता के घर जाना बंद कर दिया. लेकिन वह उसे फोन जरूर करता था. रीता कभी फोन रिसीव कर लेती तो कभी काट देती. पीयूष दिनरात फोन करने लगा तो परेशान हो कर रीता ने अपना फोन नंबर ही बदल दिया.

रीता के यहां से इनकार होने पर पीयूष ने भाई और पिता से कहा कि वे रीता के पिता से बात कर के उस की शादी रीता से करा दें. अगर वे शादी के लिए तैयार नहीं होते तो गुड्डी को घर से निकाल दें. इस पर बात करने की कौन कहे, पिता और भाई ने पीयूष को ही डांटा.

पिता और भाई के मना करने से नाराज हो कर पीयूष ने काफी मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं. उस की हालत बिगड़ने लगी तो उसे हैलट अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे बचा लिया. इस के बाद बबलू गुड्डी को ले कर परिवार से अलग हो गया और किराए का कमरा ले कर रहने लगा. विश्वंभर ने भी पीयूष से परेशान हो कर उस से बातचीत बंद कर दी.

पीयूष रीता के प्यार में इस तरह पागल था कि उसे जबरदस्ती हासिल करने के बारे में सोचने लगा. उस का एक साथी ड्राइवर अपराधी प्रवृत्ति का था. कई बार वह जेल भी जा चुका था. उसी की मदद से पीयूष ने 315 बोर का एक तमंचा और 4 कारतूस खरीदे. उस ने उसी से तमंचा चलाना भी सीखा.

पीयूष 19 अगस्त, 2017 की दोपहर घर पहुंचा और पिता से जबरदस्ती मोटरसाइकिल की चाबी ले कर मोटरसाइकिल निकाली और रीता के घर पहुंच गया. संयोग से उस समय घर में रीता अकेली थी. पीयूष ने रीता को आंगन में बुला कर उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘रीता, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’

अपना हाथ छुड़ाते हुए रीता गुस्से में बोली, ‘‘मैं ने कितनी बार कहा कि मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. आखिर यह बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती?’’

‘‘एक बार और सोच लो रीता. तुम्हारा मना करना कहीं तुम्हें भारी न पड़ जाए?’’

‘‘मैं ने एक बार नहीं, हजार बार सोच लिया है कि मैं तुम से शादी नहीं करूंगी.’’

‘‘तो फिर यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ पीयूष ने पूछा.

‘‘हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रीता ने कहा.

‘‘तो फिर मेरा भी फैसला सुन लो. अगर तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की भी दुलहन नहीं बनने दूंगा.’’ कह कर पीयूष ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रीता के सीने पर फायर कर दिया. गोली लगते ही रीता जमीन पर गिरी और तड़प कर मर गई.

रीता की हत्या करने के बाद पीयूष ने अपनी भी गरदन पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. गोली उस के सिर को भेदती हुई उस पार निकल गई. कुछ देर तड़पने के बाद उस ने भी दम तोड़ दिया.

गोली चलने की आवाज सुन कर आसपड़ोस वाले श्रीपाल के घर पहुंचे तो आंगन में 2-2 लाशें देख कर दहल उठे. पूरे गांव में शोर मच गया. श्रीपाल घर पहुंचे तो रीता के साथ पीयूष की लाश देख कर समझ गए कि पीयूष ने रीता की हत्या कर के आत्महत्या कर ली है. इस के बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी.

पीयूष के घर वाले पुलिस के कहने के बाद भी उस की लाश लेने नहीं आए तो पुलिस ने रीता की लाश के साथ पीयूष की लाश को भी श्रीपाल के हवाले कर दिया. मजबूरी में श्रीपाल को बेटी की लाश के साथ पीयूष का अंतिम संस्कार करना पड़ा. थाना सजेती पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट तो दर्ज की, पर आरोपी द्वारा आत्महत्या कर लेने से फाइल बंद कर दी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेपनाह इश्क की नफरत : 22 साल की प्रेमिका का कत्ल – भाग 2

लोमहर्षक घटना की सूचना पा कर एसएचओ योगेंद्र बहादुर चौंके बिना नहीं रह सके. उन्होंने आननफानन में टीम तैयार की. थोड़ी देर बाद वह घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. थोड़ी देर बाद वे घटनास्थल पर अपने दलबल के साथ मौजूद थे. एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने कुएं के भीतर झांक कर देखा तो सचमुच कुएं में लाश के टुकड़े थे.

अभी दिल्ली की श्रद्धा हत्याकांड की तपिश कम भी नहीं हुई थी कि आजमगढ़ में श्रद्धा हत्याकांड जैसी घटना ने प्रदेशवासियों को हिला कर रख दिया था.

बहरहाल, एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने घटना की सूचना एसपी अनुराग आर्य को दे दी और अपनी काररवाई में जुट गए थे. जाल के सहारे कुएं के भीतर से लाश के 5 टुकड़ों को बारीबारी से बाहर निकाला गया. लेकिन उस का सिर नहीं मिला.

लाश किसी युवती की थी, जो पानी में फूल चुकी थी. लाश के बाएं हाथ में रक्षासूत्र व काला धागा, दोनों कलाइयों में कंगन और दोनों हाथों की अंगुलियों में मैरून कलर की नेल पौलिश लगी हुई थी.

कुएं के आसपास पुलिस ने मृतका की सिर की तलाश की लेकिन उस का सिर कहीं नहीं मिला. देखने से ऐसा लगता था कि लाश 4-5 दिन पुरानी होगी.

एसएचओ सिंह को अचानक याद आया कि अशहाकपुर निवासी केदार प्रजापति ने अपनी बेटी आराधना के गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई थी. कहीं ये लाश उस की बेटी आराधना की तो नहीं है. अपनी आशंका को दूर करने के लिए उन्होंने 2 कांस्टेबलों को अशहाकपुर केदार और उस के बेटे सुनील को बुलाने के  लिए भेज दिया.

घंटे भर बाद केदार प्रजापति और उस का बेटा सुनील घटनास्थल मौजूद थे. दोनों बापबेटे ने लाश को गौर से देखा. सिरविहीन लाश देख कर कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि लाश किस की हो सकती है.

लेकिन जब उन की नजर शव के बाएं हाथ पर गई तो चौंक गए. उन की बेटी आराधना भी ठीक ऐसे ही अपने बाएं हाथ की कलाई में रक्षासूत्र व काला धागा, कंगन पहनी थी और दोनों हाथों की अंगुलियों में मैरून नेल पौलिश लगाई थी. लाश के साथ भी ऐसी समानता जुड़ी हुई थी.

केदार और सुनील ने कुछकुछ आशंका जाहिर की कि लाश उन की बेटी आराधना की हो सकती है. उस ने भी यही सब पहना था, जब वह घर से निकल रही थी.

केदार और सुनील के आंशिक शिनाख्त के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए आजमगढ़ जिला अस्पताल भेज दिया.

लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर एसएचओ थाने लौट आए और आराधना की गुमशुदगी की सूचना को भादंसं की धाराओं 302, 201, 120बी में तरमीम करते हुए अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

योगेंद्र बहादुर सिंह लगातार हत्यारों की सुरागरसी में जुटे हुए थे. उन्होंने आराधना का मोबाइल नंबर ले कर काल डिटेल्स निकलवाई थी और घटना से 15 दिन पहले तक की बातचीत भी सुनी थी. उन से पता चला कि मृतका आराधना की कठही के रहने वाले प्रिंस यादव के साथ प्रेम संबंध कायम था. प्रिंस यादव आराधना की बचपन की सहेली मंजू यादव का बड़ा भाई था.

कुछ और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर यह पुख्ता हो गया था कि 5 टुकड़ों में बंटा सिरविहीन शव आराधना प्रजापति का ही था. लेकिन अभी तक उस का कटा सिर बरामद नहीं हुआ था, जिस की तलाश में पुलिस दिनरात यहांवहां भटक रही थी.

खैर, पुलिस प्रिंस यादव की तलाश में सरगरमी से जुट गई थी. उस का फोन सर्विलांस पर लगाया तो वह बंद आ रहा था. इस बात से पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि आराधना की हत्या में उस का पूरापूरा हाथ हो सकता है. इसी बीच मुखबिर ने पुलिस को एक ऐसी सूचना दी, जिसे सुन कर वह चौंक पड़े. उस ने बताया कि 9 नवंबर के दिन दोपहर में गांव के बाहर पुलिया पर प्रिंस यादव की बाइक पर आराधना को बैठे कहीं जाते देखा गया था. यही नहीं, उस के साथ उस के मामा का बेटा सर्वेश यादव दूसरी बाइक पर था. वह भी प्रिंस के साथसाथ जा रहा था.

इस के बाद प्रिंस यादव और सर्वेश की खोज में पुलिस ने तेजी कर दी थी. मगर दोनों का कहीं पता नहीं चल पा रहा था.

पुलिस के लिए दोनों एक अबूझ पहेली बन गए थे. उन के हरसंभावित ठिकानों पर दबिश दे कर पुलिस थक चुकी थी लेकिन निराशा ही हाथ लग रही थी. अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर क्षेत्र के लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ रहा था. उन्होंने इस के विरोध में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

पुलिस की मेहनत का ही परिणाम था कि 19 नवंबर, 2022 की शाम 7 बजे के करीब उसी मुखबिर ने एक ऐसी सूचना दी जिसे सुन कर पुलिस की बांछें खिल उठी थीं. सूचना के मुताबिक, मुखबिर ने पुलिस को बताया कि प्रिंस अपने गांव के बाहर स्थित घनी झाडि़यों में छिपा बैठा है.

यह सूचना सुन कर एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह सतर्क हो गए और आननफानन में एक टीम बनाई, जिस में अपने कुछ विश्वस्त पुलिसकर्मियों को शामिल किया ताकि वे इस मिशन को बेहद गुप्त रखें.

पूरी योजना बनाने के बाद एसएचओ पूरी टीम के साथ जीप से रवाना हो गए. कठही गांव पहुंचने से करीब एक किलोमीटर पहले ही उन्होंने गाड़ी रोक दी. गाड़ी से उतर कर सारे पुलिसकर्मी अलगअलग हो कर पगडंडियों के रास्ते गांव के बाहर स्थित झाडि़यों तक पहुंचे, जहां प्रिंस छिपा हुआ था.

मुखबिर ने इशारे से उस के छिपे स्थान बता कर अंधेरे में कहीं गायब हो गया. पुलिस ने पोजीशन लेते हुए टौर्च की रोशनी में प्रिंस को आत्मसमर्पण करने को कहा.

इतने में झाड़ी से एक फायरिंग पुलिस पर की गई तो पुलिस सतर्क हो गई और फायरिंग की दिशा में लक्ष्य कर एसएचओ ने फायर किया. गोली जा कर प्रिंस के जांघ में लगी और वह झाड़ी में से भागता हुआ बाहर निकल आया.

प्रिंस को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी. चूंकि गोली उस की जांघ में लगी थी और तेजी से खून बह रहा था इसलिए पुलिस उसे सरकारी अस्पताल ले गई और कड़ी सुरक्षा में उस का इलाज शुरू किया गया.

प्रिंस यादव खतरे से बाहर था. अगले दिन पुलिस ने उस से अस्पताल में ही पूछताछ की तो उस ने प्रेमिका आराधना की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था. आगे उस ने यह भी बताया कि इस हत्याकांड में उस के मामा का बेटा सर्वेश भी शामिल था. उस ने यह भी बता दिया कि आराधना का कटा सिर कहां छिपा कर रखा है.

21 नवंबर, 2022 की दोपहर में पुलिस प्रिंस को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में वहां ले गई, जहां उस ने सिर छिपाने की बात कही थी. वह गौरा का पुरा यानी शव पाए जाने वाले स्थान से 6 किलोमीटर दूर स्थित एक तालाब के किनारे गीली मिट्टी के भीतर पौलीथिन में लपेट कर गाड़ दिया था. उस की निशानदेही पर पुलिस ने मृतका का सिर बरामद कर लिया.

13 दिनों से रहस्य बने आराधना प्रजापति हत्याकांड से परदा उठ गया था. बेपनाह इश्क करने वाला पागल दीवाने प्रिंस ने नफरत के आवेश में आ कर अपनी मोहब्बत की ऐसी खूनी दास्तान लिख दी कि समूचा प्रदेश हिल गया.

बबिता का खूनी रोहन – भाग 2

इस दौरान इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने भीमराज की पत्नी बबीता से जब पूछताछ शुरू की तो पता चला की भीमराज ने चिराग दिल्ली गांव में अपना मकान बना रखा था, जहां वह अपनी पत्नी बबीता व 3 बच्चों के साथ रहता था.

भीमराज और बबीता के 3 बच्चों में 2 बेटी और एक बेटा था. बड़ी बेटी की उम्र करीब 19 साल थी, जबकि छोटी बेटी 15 साल की थी. उन के बीच 17 साल का एक बेटा था.

बबीता आई शक के दायरे में

42 साल की बबीता आकर्षक व तीखे नाकनक्श वाली महिला थी. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक को पूछताछ की शुरुआत में ही लगा कि बबीता को अपने पति के साथ हुई इस गंभीर वारदात का मानो कोई रंज नहीं है.

इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक के हर सवाल का बबीता इतने सहज भाव से जवाब दे रही थी, मानो कुछ हुआ ही नहीं था.

पुलिस की नौकरी करते करते हुए अनुभव में जितेंद्र मलिक ने इस तरह के कई हादसे देखे थे, जिस में मृत्यु की शैय्या पर पड़े पति के गम और आशंका में पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो जाता है और उसे कोई सुधबुध नहीं रहती. लेकिन बबीता न सिर्फ इंसपेक्टर मलिक के हर सवाल का सहजता से जवाब दे रही थी अपितु जब उन्होंने उस के लिए चाय मंगाई तो वह पूरी सहजता के साथ चाय भी पी गई.

किसी पीडि़त की पत्नी का ऐसा व्यवहार इंसपेक्टर मलिक को थोड़ा अटपटा लगा. हालांकि बबीता ने पूछताछ में यह बात साफ कर दी थी कि उस के पति की किसी से उस की दुश्मनी या रंजिश के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

बबीता ने यह भी बताया कि उस के पति भीमराज की संगत ठीक नहीं थी. वह खानेपीने का शौकीन था और अकसर शराब पी कर घर आता था. उस ने बताया कि पति की कमाई से घर ठीक से नहीं चल पाता था, इसलिए वह खुद भी घरगृहस्थी चलाने में पति का हाथ बंटाती थी. बबीता ने साउथ एक्सटेंशन में किराए की दुकान ले कर उस में अपना ब्यूटीपार्लर खोल रखा था, जो ठीकठाक चलता था और उस से अच्छीखासी कमाई भी हो जाती थी.

एक तो बबीता का अटपटा व्यवहार और दूसरा उस का ब्यूटीपार्लर के पेशे से जुड़ा होना दोनों ऐसी बातें थीं, जिस के कारण इंसपेक्टर मलिक के लिए बबीता जिज्ञासा और जांचपड़ताल का केंद्रबिंदु बन गई. उन्होंने बातों ही बातों में भीमराज के अलावा बबीता और उस के तीनों बच्चों के मोबाइल नंबर नोट कर लिए.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

बबीता से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मलिक ने तत्काल एसआई प्रमोद को  भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए भेज दिया. इधर कई घंटे की मशक्कत और जांचपड़ताल के बाद पुलिस की अलगअलग टीमों ने 5 किलोमीटर के दायरे में जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, उन में से एक फुटेज में हुडको कालोनी के पास वही बाइक सवार पुलिस को एक बार उसी बाइक पर सवार नजर आया.

लेकिन यह फुटेज वारदात से करीब एक घंटा पहले की थी. उस वक्त बाइक सवार ने हेलमेट को हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बाइक पर बैठा हुआ शायद किसी का इंतजार कर रहा था. इतना ही नहीं इस फुटेज में बाइक की नंबर प्लेट भी मुड़ी हुई नहीं थी, जिस से बाइक के नंबर भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

भीमराज के हमलावर तक पहुंचने के लिए पुलिस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी. बाइक के उस नंबर को उसी शाम पुलिस ने ट्रेस कर के यह पता लगा लिया कि यह बाइक किस की है. भीमराज का हमलावर जिस बाइक पर सवार था वह महिंद्रा सेंटुरो बाइक थी. घटनास्थल से ले कर हुडको प्लेस में कालोनी के बाहर सीसीटीवी में दिख रही दोनों बाइक व उन पर वही लिबास पहने व्यक्ति एक ही था.

पुलिस ने परिवहन विभाग के पोर्टल से जब उस बाइक का इतिहास खंगाला तो पता चला कि कबीरनगर में रहने वाले प्रवीण के नाम पर यह बाइक पंजीकृत थी. पुलिस की एक टीम उसी रात प्रवीण के घर पहुंच गई और उसे हिरासत में ले लिया. फिर उस से पूछताछ शुरू हो गई.

प्रवीण को जब पता चला कि उस पर एक व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है और जिस के गोली लगी है, वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो उस के होश उड़ गए.

जांच में आए नए तथ्य

उस ने बताया कि यह बाइक उस के नाम पंजीकृत जरूर है, लेकिन एक साल पहले उस ने यह बाइक लखन नाम के व्यक्ति को बेच दी थी, जिस ने शायद लौकडाउन के कारण इसे अपने नाम पर अभी ट्रांसफर नहीं कराया है.

पुलिस ने उस की बात पर विश्वास करने से पहले प्रवीण की वारदात वाले दिन की गतिविधियों का पता लगाया और उस के मोबाइल की लोकेशन चैक की तो पता कि वारदात के वक्त वह अपने घर में मौजूद था. लिहाजा पुलिस ने उस से लखन नाम के उस व्यक्ति का फोन नंबर व पता हासिल किया, जिसे उस ने अपनी बाइक बेची थी.

लखन गोविंदपुरी, दिल्ली का रहने वाला था. पुलिस ने उसे भी रात में ही दबोच लिया और थाने ले आई. जब लखन को पता चला कि जो बाइक उस ने प्रवीण से खरीदी थी, उस का इस्तेमाल किसी पर जानलेवा हमला करने में हुआ है तो लखन ने भी माथा पीट लिया.

जितेंद्र मलिक समझ गए कि कोई खास बात है, जो लखन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी है. लिहाजा उन्होंने थोड़ा सख्ती के साथ लखन से पूछा, ‘‘लगता है तुम्हें पता है कि भीमराज को गोली किस ने मारी है.’’

‘‘नहीं सर, मुझे कुछ नहीं पता. मैं तो यह भी नहीं जानता कि आप किस भीमराज की बात कर रहे हो… सर मैं तो अपने भतीजे की बात कर रहा हूं, जिस को मैं ने पिछले कुछ महीनों से ये गाड़ी चलाने के लिए दी हुई थी. अब पता नहीं उस ने किस को ये गाड़ी दी थी कि जिस ने यह कांड किया है.’’

अगले भाग में पढ़ें- आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई