जज के इस फैसले से परेशान अली भाई ने अपने वकील को बुला कर कुछ कहा तो वह फोन करने लगा. मीडिया वाले इस ब्रेकिंग न्यूज को अपने चैनलों तक पहुंचाने के लिए भागे. पीडि़त इफ्तिखार अहमद को बुराभला कह रहे थे, ‘‘आप ने हमारा बेड़ा गर्क कर दिया. हमें कतई यकीन नहीं था कि आप ऐसा करेंगे. मरने वालों की जो इंसाफ की गुहार ले कर हम आप के पास आए थे, वह बेकार चली गई.’’
इफ्तिखार अहमद ने एक सर्द आह भरी. मुकदमा करने वाले गुस्से से बड़बड़ाते चले गए. इस के बाद इफ्तिखार अहमद ने अली भाई के पास जा कर धीरे से कहा, ‘‘अली भाई, आप का काम हो गया, अब आप मेरी बच्ची को छोड़ दें.’’
अली भाई ने हैरानी से अपने वकील की ओर देखते हुए कहा, ‘‘वकील साहब, यह किस बच्ची की बात कर रहे हैं?’’
‘‘पता नहीं सर, शायद आज इन की तबीयत ठीक नहीं है.’’ अली भाई के वकील ने इफ्तिखार अहमद का मजाक उड़ाते हुए कहा.
‘‘अली भाई, आप अच्छी तरह जानते हैं कि मैं किस बच्ची की बात कर रहा हूं. आप की जमानत हो गई है. अब आप अपने आदमियों से कहें कि मेरी बच्ची को छोड़ दें, अन्यथा मैं इस मामले को कहीं और ले कर जाऊंगा. इफ्तिखार अहमद ने गुस्से से कहा.’’
‘‘आराम से वकील साहब. इतनी जल्दी क्या है? जमानत तो हो जाने दीजिए.’’ अली भाई ने कहा.
‘‘मैं अब पलभर सब्र नहीं कर सकता. वैसे भी छुट्टी होने का समय हो गया है. अगर बच्ची समय पर घर नहीं पहुंची तो मेरी बीवी फौरन स्कूल फोन करेगी. वहां से पता चलेगा कि बच्ची स्कूल पहुंची ही नहीं तो वह मुझे फोन करेगी. मेरा मोबाइल फोन गाड़ी में पड़ा है. मुझ से बात नहीं होगी तो वह पुलिस को फोन करेगी. मेरी बात समझ में आ रही है न?’’ इफ्तिखार ने इतनी सारी बात एक सांस में कह डाली.
अली भाई सोच में पड़ गया. शातिर आदमी था, इसलिए समझ गया कि अगर मामला खुल गया तो जमानत रद्द हो जाएगी. उस पर एक मामला और बन जाएगा. पौने 12 बज रहे थे. 1 बजे छुट्टी होती थी. सवा बजे बच्ची को घर पहुंच जाना चाहिए.
अली भाई ने धीरे से कहा, ‘‘तुम अपनी बीवी को फोन करो कि वह सब्र करे, बच्ची घर पहुंच जाएगी.’’
‘‘वह पल भर भी सब्र नहीं कर सकती. वह तुरंत अपने भाई डीएसपी सफदर खान को फोन करेगी. वह एंटी टेररिस्ट स्क्वायड में हैं, आप ने उन का नाम सुना ही होगा? मुझ पर एकएक पल भारी पड़ रहा है. अगर मैं ने सब्र खो दिया तो आप की जमानत पर होने वाली रिहाई रद्द हो जाएगी.’’
इफ्तिखार अहमद का इतना कहना था कि अली भाई और उन का वकील परेशान हो गया. आपस में थोड़ी खुसरफुसुर कर के अली भाई ने कहा, ‘‘ठीक है, 1 बजे बच्ची को घर के दरवाजे पर छोड़ दिया जाएगा.’’
उन के वकील ने कहा, ‘‘सर, अभी जमानत की रकम आने में एक घंटा है.’’
अली भाई ने कहा, ‘‘अब कोई फर्क नहीं पड़ता.’’
इफ्तिखार अहमद ने भिखमंगे द्वारा दिया गया मोबाइल फोन निकाल कर अली भाई को देते हुए कहा, ‘‘आप की अमानत है. मैं ने अपना काम कर दिया. अब मुझे इजाजत दें.’’
अली भाई ने कहा, ‘‘ठीक है, आप जा सकते हैं, लेकिन एक बजे से पहले नहीं.’’
मीडिया की दखलंदाजी रोकने के लिए अदालत में ज्यादा लोग अली भाई के ही होते थे. एक बजते ही इफ्तिखार अहमद अपनी कार की ओर भागे. कार में बैठ कर तुरंत मदीहा को फोन किया. लेकिन दूसरी ओर से फोन नहीं उठा.
तभी किसी ने उन की कार का शीशा ठकठकाया. उन्होंने उस की ओर देखा तो उस ने शीशा खोलने का इशारा किया. उन्होंने कार का शीशा नीचे किया तो उस ने पूछा, ‘‘आप की बच्ची घर पहुंच गई?’’
‘‘यही पता करने के लिए तो घर फोन कर रहा हूं, लेकिन फोन ही नहीं उठ रहा.’’ इफ्तिखार अहमद ने कहा.
‘‘जैसे ही बच्ची के घर पहुंचने की जानकारी आप को हो, आप कार से बाहर आ कर इस की छत पर 2 बार हाथ पटक दीजिएगा.’’ इतना कह कर वह आदमी तेजी से चला गया.
इफ्तिखार अहमद ने घर फोन किया तो इस बार मदीहा ने फोन रिसीव कर लिया. उन के ‘हैलो’ करते ही इफ्तिखार अहमद ने गुस्से से पूछा, ‘‘इतनी देर तक कहां थी? दुआ घर आ गई?’’
‘‘हां, दुआ तो घर आ गई है, लेकिन एक अजीब बात है.’’
‘‘दूसरी बच्ची कहां है?’’ इफ्तिखार अहमद ने जल्दी से पूछा.
‘‘इस का मतलब आप जानते हैं?’’ मदीहा ने हैरानी से पूछा.
‘‘तुम उस बच्ची को भी अंदर कर के दरवाजा ठीक से बंद कर लो. जब तक मैं न आऊं, दरवाजा बिलकुल मत खोलना. स्कूल फोन कर के उस बच्ची के बारे में बता दो, लेकिन बच्ची को किसी को देना मत.’’ जल्दी जल्दी इफ्तिखार अहमद ने पूरी बात समझा दी.
‘‘क्या बात है, कोई खतरा है क्या?’’ मदीहा ने पूछा.
‘‘मैं घर आ कर सब बताता हूं, अभी जितना कहा है, बस उतना करो.’’
कह कर इफ्तिखार अहमद सुकून से बाहर निकले और कार की छत पर 2 बार हाथ मार कर अदालत की ओर रवाना हो गए. रजिस्ट्रार के कमरे में जमानत की काररवाही चल रही थी. अली भाई बरामदे में खड़े थे, तभी कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया.
वे किसी तरह की वर्दी में नहीं थे, इसलिए उन के वकील ने परेशान हो कर पूछा, ‘‘तुम लोग कौन हो? अली भाई की जमानत हो चुकी है?’’
‘‘जमानत तो हो चुकी थी, लेकिन जमानत देने वाले जज ने उसे रद्द कर के मुलजिम को अदालत में ले आने के लिए कहा है.’’ उन में से एक आदमी ने कहा.
‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?’’ वकील ने ऐतराज जताया.
वे लोग पुलिस की मदद से अली भाई को ले कर अदालत की ओर बढ़े तो उन का वकील पीछेपीछे लपका. वह उन लोगों को समझाने लगा, लेकिन उन लोगों ने उस की बात पर ध्यान नहीं दिया.