गलत राह के राही : पूरे इंदौर को हिला कर रख दिया था इस पुलिस वाली ने

जितेंद्र एक दिन अपनी पत्नी लीना के साथ एक दोस्त के परिवार में आयोजित शादी समारोह में शामिल होने आया था. समारोह में वह पत्नी के साथ औपचारिकता भर निभा रहा था, क्योंकि उस की पत्नी से बनती नहीं थी. उसी दौरान जितेंद्र की नजर समारोह में मौजूद एक युवती पर पड़ी तो वह उसे देखता रह गया, मानो किसी दूसरी दुनिया में खो गया हो.

जितेंद्र उस की खूबसूरती पर ऐसा फिदा हुआ कि कुलांचें भरता मन बस उसी के इर्दगिर्द घूम रहा था. जितेंद्र ने उसे पहले कभी नहीं देखा था. वह उस युवती से बात करने के लिए उतावला हुए जा रहा था.

पत्नी लीना को सहेलियों के बीच छोड़, वह आत्ममुग्ध हो कर उस युवती की ओर बढ़ चला. जब तक वह उस के पास पहुंचा, तब तक युवती उस के दोस्त राजेश के साथ खड़ी बातें करने लगी. जितेंद्र इस मौके को खोना नहीं चाहता था. वह राजेश के पास पहुंच गया.

बातें करतेकरते उस ने युवती की तरफ इशारा करते हुए राजेश से पूछा, ‘‘यह कौन है भाई?’’

‘‘अरे यार यह मेरी मुंह बोली बहन संगीता है.’’ कहते हुए राजेश ने जितेंद्र का परिचय संगीता से करवाया. जितेंद्र यही चाहता भी था. जितेंद्र ने संगीता से बातचीत करनी शुरू कर दी. संगीता ने उस से पूछा, ‘‘आप क्या करते हैं?’’

यह सुन कर जितेंद्र मुसकराया और कंधे उचकाते हुए बोला, ‘‘मैं पुलिस का दामाद हूं.’’

‘‘अच्छा,’’ कह कर संगीता हंस पड़ी.

राजेश ने बताया, ‘‘जितेंद्र की पत्नी लीना मध्य प्रदेश पुलिस में है. जब बीवी पुलिस में है तो इस का तो कहना ही क्या, इस की तो मौज ही मौज है, हरफरनमौला आदमी है यह.’’

संगीता कुछ समझी, कुछ नहीं समझी. मगर जितेंद्र के व्यक्तित्व और पुलिसिया दामाद होने की बातें सुन कर वह उस से प्रभावित हो गई. दोनों बातें करने लगे.

इसी बीच राजेश वहां से हटा तो जितेंद्र ने संगीता को इंप्रेस करने की हर कोशिश करनी शुरू कर दी. लच्छेदार बातें कर उसे वह मानो एक ही पल में अपने आगोश में लेने को आतुर हो उठा. वह बोला, ‘‘संगीताजी, मैं आप से एक बात कहूं.’’

‘‘जरूर कहिए, आप बड़े दिलचस्प व्यक्ति हैं, ऐसा लगता है कि आप से आज अभी की नहीं, वर्षों पहले की मुलाकात हो.’’ संगीता ने कहा.

जितेंद्र के सामने सुनहरा मौका था, उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि चाहे जो भी हो, संगीता के लिए उसे सारे संसार से लड़ना भी पड़ा तो लड़ेगा. उस ने थोड़ा झिझकने का नाटक करते हुए कहा, ‘‘आप से एक बात कहनी है, बुरा तो नहीं मानेंगी?’’

संगीता उस की बातों और नजरों से कुछकुछ भांप चुकी थी कि वह क्या कहना चाहता है. उस ने सहजता से कहा, ‘‘आप कहिए, मैं बुरा नही मानूंगी.’’

जितेंद्र को हिम्मत मिली तो उस ने पहली मुलाकात में ही इश्क का इजहार कर दिया. उस की बात सुन कर संगीता की आंखें फटी रह गईं. मगर वह नाराज नहीं हुई. तभी जितेंद्र ने कहा, ‘‘संगीता जी, मैं आप की खातिर सारे संसार को छोड़ने को तैयार हूं.’’

संगीता आ गई जितेंद्र की बातों में

संगीता को यह पता चल चुका था कि जितेंद्र शादीशुदा है. वह खुद भी किसी की अमानत थी. उस वक्त उस की मांग में सिंदूर, और गले में मंगलसूत्र था. संगीता ने जितेंद्र की बातें सुन आत्मीय स्वर में कहा, ‘‘आप तो शादीशुदा हैं न?’’

‘‘हां, मगर मैं ने आप को देखते ही अलग तरह का आकर्षण महसूस किया. रही बात मेरी पत्नी लीना की, तो उस के साथ मैं कैदी जैसी जिंदगी जी रहा हूं.’’ जितेंद्र बोला. उस की आंखों में आंसू झिलमिलाने लगे थे.

संगीता भी कम नहीं थी. उस से बिना मौका छोड़े तत्काल कहा, ‘‘अभी तो खुद को सरकारी दामाद बता कर खुश भी थे और गर्व भी महसूस कर रहे थे. इतनी सी देर में क्या हो गया?’’

‘‘दिल का दर्द हर किसी के सामने नहीं छलकता. पता नहीं दिल ने आप में ऐसा क्या देखा कि…’’

जितेंद्र की बात सुन और उस की आंखों में आंसू देख संगीता को महसूस हआ कि वह मन का सच्चा आदमी है. संगीता भी अपने पति राकेश से कहां खुश थी. उस ने सुन रखा था कि दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो वैवाहिक जीवन में खुश नहीं होते. शायद जितेंद्र भी उन्हीं में हो.

राकेश का गुस्सैल चेहरा संगीता की आंखों के आगे घूमने लगा. बातबात में प्रताड़ना, मारपीट, गालीगलौज उस के लिए आम बात थी. वह राकेश से भीतर ही भीतर नफरत करती थी, फिर भी पत्नी धर्म का निर्वहन कर रही थी.

उस ने जितेंद्र की ओर आत्मीय दृष्टि डालते हुए कहा, ‘‘आप जल्दबाजी मत कीजिए. अभी मेरी तरफ से हां भी है और ना भी, मुझे सोचने का कुछ वक्त दीजिए.’’

जितेंद्र संगीता की बातें सुन मन ही मन खुश हुआ, उस ने कहा, ‘‘बिलकुल, लेकिन हम जल्दी ही मिलेंगे न?’’

सुन कर संगीता मुसकराई. दोनों ने अपने मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिए. जितेंद्र राय और संगीता सुसनेर की यह पहली मुलाकात लगभग 5 साल पहले सन 2014 में हुई थी.

दोनों के बीच फोन पर बातें होने लगीं. दोनों को अपने जीवनसाथियों से परेशानियां थीं, इसलिए अपना  अपना दुखड़ा सुनाते सुनाते एकदूसरे के करीब आ गए.

जल्दी ही दोनों का इंदौर के मोती गार्डन में मिलना तय हुआ. जितेंद्र समय से पहले पहुंच गया. समय बीत रहा था और संगीता का कहीं अतापता नहीं था. वह बेचैन हो उठा. तभी संगीता सामने आ कर खड़ी हो गई. दोनों एकदूसरे को देख कर खुश थे. एक बेंच पर बैठ कर दोनों ने बातचीत शुरू की.

जितेंद्र ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘संगीता, मैं तो घबरा गया था. अगर तुम नहीं आती तो…’’

संगीता ने मुसकरा कर उस पर तिरछी नजर डाली फिर कहा, ‘‘ओह, फिर तो मुझ से बड़ी भूल हो गई.’’

चाहत का कर दिया इजहार

इस के बाद दोनों खिलखिला कर हंस पडे़. कुछ देर तक इधरउधर की बातें होती रहीं. दोनों के बीच मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ तो दोनों एकदूसरे से मिलने लगे.

एक दिन जितेंद्र ने उस से कहा, ‘‘मैं ने आज एक निर्णय लिया है, मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘हांहां, कहो.’’ संगीता ने कहा.

‘‘मैं लीना को छोड़ रहा हूं, मैं आज ही उस से संबंध खत्म कर दूंगा.’’

‘‘क्यों?’’ संगीता ने मासूमियत से पूछा.

‘‘मैं तुम्हें चाहता हूं. आखिर हम कब तक अलग रहेंगे. तुम्हारे लिए मैं दुनिया से भी टकरा जाऊंगा.’’ जितेंद्र ने संगीता की आंखों में आंखें डाल कर कहा.

यह सुन कर संगीता मन ही मन खुश थी कि कोई तो है संसार में जो उसे इतना चाहता है. उस ने बचपन से ही दुख झेले थे. पति के घर आई तो वहां भी लड़ाईझगड़ा और अवसाद भरी जिंदगी. उस ने जितेंद्र के हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘मैं तुम्हारे साथ हूं जितेंद्र. मैं भी तुम्हें चाहने लगी हूं. तुम्हारी खातिर सब कुछ छोड़ दूंगी.’’

संगीता का समर्थन मिला तो जितेंद्र की बांछें खिल गईं, वह बोला, ‘‘लेकिन तुम्हें एक काम करना होगा, मेरे पास हमारे सुनहरे दिनों की प्लानिंग है.’’

‘‘वह क्या?’’ संगीता ने सहजता से पूछा.

‘‘आज शाम को मैं एक चीज ले कर आऊंगा, उसे तुम्हें पहननना होगा.’’ जितेंद्र ने रहस्यमय स्वर में कहा.

‘‘क्या, मंगलसूत्र?’’ संगीता ने भोलेपन से पूछा.

जितेंद्र हंस पड़ा, ‘‘नहीं, वह तो मैं पहनाऊंगा ही, लेकिन एक चीज और है.’’

‘‘क्या, बताओ भी न.’’ संगीता इठलाई.

‘‘तुम्हें लीना की वरदी पहननी है?’’ जितेंद्र ने दिल की बात बता दी.

‘‘क्यों, इस से क्या होगा?’’ संगीता ने आश्चर्य पूछा.

‘‘मैं तुम्हें ऐसी दुनिया दिखाऊंगा कि तुम सोच में पड़ जाओगी. जानती हो, एक पुलिसवाली जब डंडा ले कर निकलती है तो तमाम लोग उसे सलाम ठोकते हैं.’’

‘‘तुम यह सब मेरे लिए क्यों कर रहे हो और फिर मैं लीना की वरदी कैसे पहन सकती हूं?’’

‘‘सब ठीक हो जाएगा, तुम वरदी पहनना, मैं फोटो ले लूंगा, तुम्हारा आईडी कार्ड भी बन जाएगा.’’ जितेंद्र ने कहा.

‘‘अच्छा ठीक है, अगर तुम कह रहे हो तो… पर मुझे कुछ अटपटा लग रहा है.’’

जितेंद्र ने संगीता पर फेंका जाल

उस शाम जब जितेंद्र राय संगीता से मिलने आया तो उस के बैग में लीना की पुलिस की वरदी थी. उस ने वरदी निकाल कर संगीता के सामने रख दी और आत्मविश्वास से लबरेज स्वर में बोला, ‘‘संगीता इसे पहन कर दिखाओ, देखूं तो कैसी दिखती हो.’’

संगीता ने उस के सामने ही लीना राय की लाई पुलिस वरदी पहन ली. जितेंद्र ने प्रसन्न भाव से कहा, ‘‘तुम बहुत सुंदर लग रही हो, मानो इस वरदी के लिए ही बनी हो.’’

संगीता वरदी पहन कर इठला रही थी. जितेंद्र ने उस के कुछ फोटो लिए और बताया, ‘‘जल्द ही तुम्हारा आईडी कार्ड बन जाएगा, फिर हमारी तकदीर खुल जाएगी.’’

संगीता विस्मय से जितेंद्र की ओर देखने लगी, उसे अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी.

जितेंद्र के प्यार में पड़ कर संगीता ने किसी और की पुलिस वरदी पहन तो ली लेकिन आगे चल कर वह एक ऐसे भंवर जाल में फंसती चली गई जो उस की जिंदगी को तबाह करने के लिए काफी था.

जितेंद्र राय और लीना राय का विवाह हुए 8 साल हो चुके थे. जितेंद्र एक ट्रैवल कंपनी में ट्रैवल एजेंट था उस की पत्नी लीना राय मध्य प्रदेश पुलिस में प्रधान आरक्षक थी. फिलहाल उस की ड्यूटी पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में थी. लेकिन दोनों के विचार नहीं मिलते थे, जिस की वजह से उन के बीच खटास बनी रहती थी.

जितेंद्र के बड़ेबड़े ख्वाब थे जिन्हें वह साकार करना चाहता था. आनन फानन में लखपति बनने के बारे में वह पत्नी को बताता रहता था. वह लीना को पुलिस वरदी की महत्ता बताता और कहता, इस वरदी में बड़ी ताकत है. अगर इस वरदी का सही इस्तेमाल किया जाए तो उन की मुफलिसी दूर हो जाएगी.

मगर लीना राय वरदी की मर्यादा समझती थी. इसलिए वह नहीं चाहती थी कि पैसों के लिए वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल हो. इसलिए वह प्यार से पति को समझाती कि वह ऐसी बातें न तो सोचे, और न ही उसे करने के लिए कहे.

जितेंद्र तरहतरह के तर्क देता कुछ पुलिस वालों के उदाहरण भी बताता, लेकिन लीना ने उस की बात नहीं मानी. जितेंद्र का मन लीना से उचट गया तो वह संगीता के प्यार की नैय्या में बैठ कर आगे की योजना बनाने लगा.

जितेंद्र ने अपना घर छोड़ा और संगीता ने अपने पति का घर छोड़ा. दोनों इंदौर महानगर के मूसाखेड़ी कस्बे में किराए के एक मकान में रहने लगे. जितेंद्र ने टै्रवल एजेंट का काम छोड़ दिया और अपनी वर्षों की कल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए. उस ने निश्चय कर लिया कि संगीता को फरजी पुलिसवाली बना कर आगे की जिंदगी खुशहाली से व्यतीत करेगा.

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जितेंद्र ने पत्नी लीना के आईडी कार्ड पर संगीता का फोटो लगा कर फरजी आईडी कार्ड भी बनवा दिया.  जितेंद्र ने लीना को नजदीक से देखा था, उस के हर गुणधर्म को वह जज्ब कर चुका था. उस ने संगीता को एकएक बात प्रेम से समझानी शुरू की. उसे बताया कि लीना कैसे चलती है कैसे बातें करती है. जितेंद्र ने संगीता को कुछ फिल्में भी दिखाईं ताकि पुलिस का रौब पैदा करना आ जाए. पुलिस वाली बन कर वह लोगों को डराधमका कर उन से मोटी रकम ऐंठ सके.

जितेंद्र जब पत्नी लीना को छोड़ कर संगीता के साथ रहने लगा तो लीना मन मसोस कर रह गई. उस ने एक दिन जितेंद्र से बात की और कहा, ‘‘तुम जो कर रहे हो, क्या यह ठीक है. जानते हो, लोग क्या कहेंगे, समाज क्या कहेगा और मेरा क्या होगा?’’

ठगी के लिए छोड़ा पत्नी को

लीना की बातें सुन जितेंद्र कुछ क्षण मौन रहा फिर कहा, ‘‘लीना, कितना अच्छा होता तुम मेरी जिंदगी में नहीं आती. अब मुझे भूल जाओ.’’

लीना तड़प कर बोली, ‘‘यह तुम क्या कह रहे हो, क्या शादी विवाह गुड्डे गुडि़यों का खेल है, जो भूलने की बात कह रहे हो.’’

‘‘जब हमारे आचार विचार नहीं मिलते तो हम एक साथ क्यों रहें. तुम्हारे साथ रहने पर मुझे घुटन होती है.’’ जितेंद्र ने कहा.

जितेंद्र को लीना ने समझाने का पूरा प्रयास किया, घर परिवार की दुहाई दी मगर उस ने उस की एक नहीं सुनी. वह संगीता के साथ मूसाखेड़ी में रहने लगा. लीना एकाकी जीवन यापन करने लगी. जबकि जितेंद्र संगीता के साथ खुश था क्योंकि संगीता लीना से ज्यादा सुंदर थी. इतना ही नहीं वह उस की एकएक बात मानती थी. साथ ही उस की अवैध और गैरकानूनी गतिविधियों में उस की सहभागी भी बन गई थी.

दोनों ने महानगर इंदौर के लोगों को ठगना शुरू कर दिया. संगीता पुलिस की वरदी पहन कर जितेंद्र के साथ कहीं भी पहुंच जाती और धौंस दे कर लोगों से रुपए वसूल करती. इस तरह दोनों मोटी कमाई कर के ऐश की जिंदगी जीने लगे.

दोनों ने थोड़े समय में ही पुलिस की वरदी की आड़ में लाखों रुपए की कमाई कर ली. जितेंद्र अवैध काम करने वालों पर पैनी निगाह रखता, उस ने कुछ ऐसे लोग से मित्रता कर रखी थी जो उसे अवैध काम करने वालों के ठिकाने बताते थे. इस के बदले में वह उन्हें अवैध वसूली में से कमीशन देता था.

नकली घी बनाने वाले एक व्यापारी से संगीता ने पुलिसिया रौब झाड़ कर 2 लाख रुपए की रकम वसूल की थी. कई जगह से अवैध वसूली के बाद संगीता की हिम्मत बढ़ गई थी. अब वह और भी निर्भीक हो कर अवैध काम करने वालों को धमकाती थी.

जितेंद्र को एक दिन पता चला कि शहर के एक इलाके में नामी कंपनी के नाम का नकली कोल्ड ड्रिंक बनाने की फैक्ट्री चल रही है. संगीता वरदी पहन कर जितेंद्र के साथ उस जगह पहुंच गई. फैक्ट्री संचालक को हड़का कर दोनों ने उस से 2 लाख रुपए ऐंठ लिए.

जितेंद्र और संगीता की गतिविधियां बढ़ती जा रही थीं. यह सब करतेकरते संगीता यह तक भूल गई कि वह फरजी पुलिस वाली है. लेकिन वरदी और आईडी कार्ड होने की वजह से वह खुद को असली पुलिसकर्मी ही समझती थी.

वह समझती थी कि इंदौर इतना बड़ा महानगर है कि वह जितेंद्र के साथ इसी तरह लोगों को ब्लैकमेल कर के आनंदपूर्वक जीवन यापन करती रहेगी.

एक दिन लीना राय अपने औफिस में थी कि एक शख्स उसे बारबार देखता और चला जाता, 2-3 बार जब उस ने ऐसा ही किया तो लीना ने उसे पास बुला कर पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम बारबार मुझे इतने गौर से क्यों देख रहे हो?’’

उस ने डरते हुए पूछा, ‘‘मैडम क्या आप ही लीना राय हैं?’’

लीना ने उस की ओर देखते हुए कहा, ‘‘हां, कहो क्या बात है?’’

‘‘मैडम, मैं ने एकांत नगर में लीना राय नाम की जो महिला देखी थी, वह तो कोई दूसरी थी.’’ उस ने बताया.

‘‘क्या मतलब?’’ लीना ने पूछा.

उस व्यक्ति ने बताया कि उस का नाम रमन गुप्ता है और वह गल्ले किराने का थोक व्यापारी है. रमन गुप्ता ने लीना को जो कुछ बताया, उसे सुन कर लीना राय चौंकी. उस ने बताया कि पिछले महीने  लीना राय नाम की एक महिला पुलिस वरदी में उस के पास आई थी और उस से एक लाख रुपए ले गई थी. उस पुलिस वाली ने उसे बताया था कि वह पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में बैठती है. कोई भी काम हो तो वहां आ जाना. इसलिए उन्हें ढूंढता हुआ यहां चला आया.

खबर पहुंच गई लीना तक

रमन गुप्ता की बात सुन कर लीना समझ गई कि जरूर यह काम उस के पति जितेंद्र के साथ रहने वाली संगीता का होगा, क्योंकि उसे और भी कई लोगों ने बताया था कि संगीता पुलिस वरदी पहन कर जितेंद्र के साथ घूमती है.

रमन गुप्ता के जाने के बाद लीना ने तय कर लिया कि कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा. नहीं तो जितेंद्र की गतिविधियां उस के गले की फांस बन सकती है.

लीना उसी शाम जितेंद्र को ढूंढती हुई मूसाखेड़ी पहुंच गई. मगर घर में ताला लगा था. उस ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की तो भी बातचीत नहीं हो सकी. उस दिन वह घर लौट आई. लेकिन एक दिन फिर से उस के यहां गई तो जितेंद्र घर पर मिल गया.

जितेंद्र ने अपनी ब्याहता लीना को देखा तो चौंका, ‘‘अरे लीना तुम.’’

लीना मुसकराई, ‘‘जितेंद्र तुम मुझे भूल सकते हो मगर मैं तुम्हें कैसे भूल सकती हूं.’’ लीना ने प्रेम भरे अल्फाजों में कहा तो जितेंद्र की सांस में सांस आई.

कुछ बातचीत करने के बाद लीना ने घर में इधरउधर नजरें दौड़ाईं तो संगीता नहीं दिखी. उस ने जितेंद्र से पूछा, ‘‘वह कहां है?’’

‘‘कौन, संगीता!’’ जितेंद्र ने कहा, ‘‘संगीता बाजार गई है सब्जी लाने.’’

‘‘यह तो बड़ा अच्छा हुआ. हम आराम से बैठ कर बातें कर सकते हैं.’’ लीना ने प्यार जताते हुए जितेंद्र से कहा, ‘‘क्या तुम मुझे चाय नहीं पिलाओगे.’’ लीना जानती थी कि जितेंद्र रसोई के काम भलीभांति कर लेता है और वह उसे अकसर चाय बना कर पिलाया करता था.

जितेंद्र मुसकरा कर उठा और चाय बनाने चला गया. जितेंद्र का मोबाइल वहीं रखा था. लीना ने झट से मोबाइल उठा लिया और फोन की गैलरी देखने लगी. गैलरी में संगीता के कुछ फोटो मिले, जिस में वह पुलिस की वरदी पहने हुई थी.

लीना ने उन फोटो को तुरंत अपने वाट्सएप में सेंड कर लिया. इस तरह उसे एक बड़ा सबूत मिल गया. वह समझ गई संगीता पुलिस वाली बन कर क्या कर रही है. इस का मतलब रमन गुप्ता सही कह रहा था. जितेंद्र के कमरे में रखे सामान देख कर वह समझ गई कि फरजी पुलिस वाली बन कर संगीता मोटा पैसा कमा रही है.

जितेंद्र चाय ले कर आया तो लीना वहां से जा चुकी थी. लीना सीधे एएसपी अमरेंद्र सिंह के पास पहुंची और उस ने संगीता द्वारा फरजी पुलिस बन कर लोगों से पैसे ऐंठने वाली बात उन्हें बता दी.

एएसपी अमरेंद्र सिंह ने आजाद नगर के टीआई संजय शर्मा को मामले की जांच कर सख्त काररवाई करने के आदेश दिए. टीआई संजय शर्मा ने 13 जुलाई, 2019 को जितेंद्र राय और संगीता के घर दबिश डाल कर दोनों को ही गिरफ्तार कर लिया.

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                        आरोपी संगीता सुसनेर और जितेंद्र राय 

थाने ला कर दोनों से विस्तार से पूछताछ की गई तो उन्होंने तमाम लोगों से मोटी रकम ऐंठने की बात स्वीकार कर ली. उन्होंने संगीता सुसनेर और जितेंद्र राय के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 467, 468, 469, 471, 380, 120बी के तहत केस दर्ज कर के दोनों को गिरफ्तार कर लिया.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने पुलिस की वरदी, कैप, आईडी कार्ड बरामद कर लिया. 14 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.