‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 6

पत्रकार चंद्रकांत रंगोट से बता देता है कि एसआई पल्लवी राज के पास कैरव के सारे कारनामों की फुटेज की हार्ड डिस्क है. इंसपेक्टर रंगोट पल्लवी के घर वह हार्ड डिस्क लेने पहुंच जाता है. जब पल्लवी कहती है कि इस बारे में उसे कुछ पता नहीं तो वह पल्लवी का गला दबाने लगता है. तब पल्लवी की मां इंसपेक्टर रंगोट की गरदन पर बंदूक रख कर उसे भगा देती है.

रंगोट कैलव से जा कर बताता है कि पल्लवी राज के पास उस के होटल में जो भी होता है, उस की सारी रिकार्डिंग की वीडियो की हार्ड डिस्क है. कैरव इंसपेक्टर रंगोट को गोली मार देता है. पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत के घर पहुंच जाती है और उस की पत्नी से कहती है कि कल रात यह मेरे साथ था. पत्नी तमाचा मार कर चंद्रकांत को घर से बाहर कर देती है.

देव कैरव के होटल के सारे कैमरे बंद करवा कर जयंत की तलाश में उस के होटल पहुंच जाता है, जहां कैरव उसे बताता है कि संध्या और जयंत मिले हुए हैं. संध्या उसे बेवकूफ बना रही  है. उन्हें पता है कि वह उसे मार देगा तो वह बचेगा नहीं. उस के पैसे से दोनों मौज करेंगे. वह ऐसा करे कि संध्या को बताए कि उस ने कैरव को मार दिया है तो वह देखे कि संध्या क्या करती है.

देव ने जब संध्या को बताया कि उस ने कैरव को मार दिया है तो संध्या अपने कुत्ते को जहर दे कर मार देती है. उस के बाद अपनी कार से बैंक जाती है, जहां लौकर में रखे रुपए निकालती है और चल पड़ती है. देव तो बाइक से उस का पीछा कर ही रहा था, भी भी अपनी कार से 3 लोगों के साथ उस का पीछा कर रही थी. पल्लवी राज कैरव के घर जाती है और वह हार्ड डिस्क कैरव को दे देती है.

देव एवं भी जयंत और संध्या का पीछा कर रहे होते हैं, तभी देव के बौस ने जो आदमी देव को लाने के लिए भेजे थे, वे देव को एक पेट्रोल पंप से पकड़ लेते हैं. आगे चल कर  उन की कार भी की गाड़ी से टकरा जाती है, जिस से दोनों के बीच गोलियां चलने लगती हैं.

देव किसी तरह निकल कर सड़क पर खड़ी एक आदमी की कार ले कर जयंत और संध्या का पीछा करने लगता है. जबकि भी और उस के साथी तथा गुरुग्राम से देव को लेने आए सभी लोग मारे जाते हैं. एक जगह देव संध्या की कार रुकवा लेता है, जहां बातचीत में संध्या जयंत को गोली मार देती है तो पीछे से आ कर पल्लवी राज संध्या को गोली मार देती है.

संध्या की कार से रुपयों से भरा बैग पल्लवी देव को देते हुए कहती है कि रुपयों के लिए वह कैरव से कोई बहाना बना देगी. देव रुपए से भरा बैग घर ला कर विदुषी को सौंप देता है. उस के पिता साथ में ड्रिंक करने को कहते हैं. देव के पिता कुछ पुरानी बातें करते हैं तो देव उन्हें एक घड़ी गिफ्ट करता है.

देव अपनी गाड़ी ले कर गुरुग्राम आ जाता है, जहां उसे अपने पोस्ट बाक्स में एक पैकेट मिलता है, जिस में वही हार्ड डिस्क होती है, जो उस ने पल्लवी राज को दी थी.

पल्लवी ने उस के साथ एक नोट भी रखा था, जिस में लिखा था, ‘इस का मैं कुछ नहीं कर सकी, अगर तुम कुछ कर सको तो खुशी होगी.’ दूसरी ओर पल्लवी राज एसएचओ बन कर प्रैस कौन्फ्रेंस करती है, जिस में हाइवे पर हुए एनकाउंटर के चर्चे के साथ वह यह भी कहती है कि इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट के बारे में पता किया जा रहा है कि वह कहां गायब हो गए हैं. यहीं पर आठवां एपिसोड खत्म हो जाता है.

चंदन राय

चंदन राय का जन्म बिहार के जिला वैशाली के गांव महनार में पैदा हुआ था. वह स्कूल पढ़ाई के दौरान ही उसे नाटकों तथा सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना अच्छा लगता था, जिस की वजह से अभिनय में उसे रुचि पैदा हुई. जब वह उच्च शिक्षा के लिए पटना गया और वहां पटना विश्वविद्यालय से जनसंचार में ग्रैजुएशन किया.

पढ़ाई के साथसाथ उस ने कालेज थिएटर में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, नाटकों में काम किया. आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली आ गया, जहां भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला लिया और रेडियो तथा टेलीविजन में डिप्लोमा किया.

पढ़ाई पूरी करने के बाद चंदन राय ने दैनिक जागरण में पत्रकार के रूप में नौकरी कर ली. हालांकि भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ाई के दौरान बहुरूप थिएटर ग्रुप, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और नैशनल स्कूल औफ ड्रामा रिपर्टरी से जुड़ा रहा. ढाई साल तक जागरण में नौकरी करने के बाद साल 2017 में नौकरी छोड़ कर वह मुंबई चला गया.

मुंबई पहुंच कर चंदन राय ने शुरुआत में दैनिक धारावाहिकों में छोटीछोटी भूमिकाएं कीं. अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘पंचायत’ में काम मिलने तक वह संघर्ष करता रहा. इसी के साथ वह ‘द वायरल फीवर’, ‘हौस्टल डेज’ और ‘टीवीएफ पिचर्स’ में काम करता रहा. चंदन ने ‘छूना’, ‘शहर लखोट’ और ‘जांबाज हिंदुस्तान के’ जैसी वेब सीरीजों में अपनी पहचान बनाई है.

इस के अलावा राय को एक्शन ड्रामा फिल्म ‘सनक’ और पारिवारिक ड्रामा फिल्म ‘गुलमोहर’ में उन की हास्य भूमिका के लिए पहचान मिली. राय ने एफटीआईआई फिल्म डिप्लोमा फिल्म ‘चंपारण मटन’ में भी काम किया है, जिस ने छात्र अकादमी पुरस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

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श्रुति जौली

श्रुति जौली एक भारतीय अभिनेत्री और मौडल हैं. उस का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था. श्रुति का एक भाई है राजन जौली. श्रुति को अमेजन प्राइम वीडियो पर आने वाली वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ में भूमिका अदा करने के लिए जाना जाता है. उस ने इरोज नाउ की सीरीज ‘हिंदमाता’ और ‘होल्ड इट’ में भी काम किया था. इस के अलावा कई टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों में भी काम किया है.

श्रुति को पृथ्वी थिएटर्स और दिल्ली थिएटर्स के साथ काम करने का अनुभव है. एक मौडल के रूप में उस ने बी-टाउन इंडस्ट्री के कई टौप फैशन डिजाइनरों के साथ काम किया है. वह लाइव आर्टस्टिक की सहसंस्थापक है, जो बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में स्थित एक लाइव परफार्मिंग आर्ट थिएटर है. श्रुति जौली साल 2019 में मिस लिनो पेरोस की विजेता भी रही.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 5

जयंत ‘भो’ को ठिकाने लगाने ले जा रहा होता है, तभी भो होश में आ जाता है और जयंत का गला पकड़ कर दबाने लगता है. पर जयंत के पास रिवौल्वर होती है, जिस से वह उसे गोली मार देता है और पहाडिय़ों के बीच पत्थरों से उस की लाश को दबा देता है. वह गाड़ी स्टार्ट करता है, पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती. तब वह रोने लगता है.

दूसरी ओर कैरव भी से भो के बारे में पूछता है. वह भो को फोन कर करके परेशान थी. इस के बाद अपनी गाड़ी ले कर भो की तलाश में निकल पड़ती है. देव एसआई पल्लवी राज को रशियन लड़की की हत्या की सीसीटीवी फुटेज दे कर कैरव के होटल में क्या होता है, सब बता देता है. पल्लवी को इंसपेक्टर रंगोट पर बहुत गुस्सा आता है. कैरव रंगोट को फोन कर के बुलाता है, क्योंकि उस का बिजनैस पार्टनर केतन उसे बताता है कि रंगोट उस के बिजनैस के बारे में पता कर रहा है.

रंगोट के सम्मान में जुलूस निकलता है. एसआई पल्लवी राज ने रशियन लड़की की हत्या के मामले में जो सबूत जुटाए थे, उन्हें कैंची से काट कर नष्ट कर देती है और उस की अस्थियां पहाड़ी पर ले जा कर विसर्जित कर देती है.

देव अपनी भाभी विदुषी के साथ फाइलें देख कर पता करता है कि जयंत के पैसे कहां हैं. तभी पता चलता है कि वह कैरव के 2 नंबर के पैसों को जयंत एक नंबर का बनाने का काम करता था. देव विदुषी को गले लगाता है तो विदुषी उसे किस करने की कोशिश करती है, पर देव रोक देता है. विदुषी लज्जित हो कर चली जाती है.

कैरव के लिए काम करने वाले ‘भो’ की बहन ‘भी’ भाई की तलाश में उस होटल तक पहुंच जाती है, जहां जयंत नाम बदल कर ठहरा था. वह उस पर धनुषबाण से हमला कर के भो के बारे में पूछती है. इस के बाद वह उसे पकड़ कर ले आती है.

एपीसोड -7

सातवें एपीसोड में भी जयंत का टार्चर करते हुए भो के बारे में पूछती है तो संध्या बारबार जयंत को फोन कर रही होती है. लेकिन जयंत का फोन नहीं उठता. वह फोन उठाता कैसे, वह तो पकड़ा जा चुका था.

संध्या अतीत को याद करती है कि उस की जयंत से कैसे मुलाकात हुई थी, फिर दोनों में प्यार हो गया. संध्या ने ही उसे सलाह दी थी कि वह कैरव के रुपयों से थोड़ेथोड़े रुपए चोरी करता रहे. जब काफी रुपए हो जाएंगे तो दोनों वहां से कहीं दूर जा कर रहने लगेंगे. लेकिन जयंत से उस की बात नहीं हो रही थी, जिस की वजह से वह परेशान थी. इंसपेक्टर रंगोट कैरव के घर आता है और बिजनैस में हिस्सा देने की बात करता है.

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देव जयंत की शेल कंपनी तलाशते हुए कैरव की उस कंपनी तक पहुंच जाता है, जहां कैरव ड्रग्स बनवा कर पैकिंग करवाता था. वहीं ‘भो’ की बहन ‘भी’ जयंत को बांध कर रखे थी. देव की उस पर नजर पड़ती है तो वह चौंकता है कि यह तो जिंदा है. देव जयंत को निकाल कर बाहर लाता है. तभी देव के बौस का फोन आता है. देव फोन नहीं उठाता तो बौस देव को लाने के लिए अपने आदमी भेजता है.

‘भी’ को जयंत बता देता है, जहां उस ने ‘भो’ की लाश को पत्थरों के नीचे दबाई थी. वह भाई की लाश को निकाल कर रोती है.

पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत को डिनर पर बुलाती है और कैरव के होटल की फुटेज दिखा कर उसे फोटो के साथ अखबार में छापने के लिए कहती है. पत्रकार चंद्रकांत मना कर देता है तो पल्लवी उसे दुत्कार कर भगा देती है.

देव होटल में जयंत की मरहमपट्टी करता है. देव उस से पूछता है कि यह सब कैसे हुआ. जयंत झूठी कहानी बता कर कहता है कि वह फंस गया है. देव वहां से हटता है तो जयंत अतीत के बारे में सोचता है. जमाल उस से पैसे लेने आया था तो उस ने और संध्या से कैसे जमाल का मर्डर हो गया था. उन्होंने जमाल की लाश को जला कर जयंत की लाश घोषित करवा दिया था और जयंत छिप गया था.

जयंत अपना फोन उसी फैक्ट्री में भूल आया था, जहां भो की बहन भी ने उसे बांध कर रखा था. संध्या ने उस फोन पर फोन किया तो ‘भी’ को पता चल गया था कि संध्या उसे फोन कर रही है. इस का मतलब यह था कि संध्या को पता था कि जयंत जीवित है.

कैरव शराब पीते हुए मंत्रीजी से बात कर रहा है कि आंदोलन खत्म हो गया है. मंत्रीजी खुशी जाहिर करता है. संध्या आती है तो कैरव रात को संध्या के साथ सैक्स करता है. इस से संध्या बहुत दुखी थी. संध्या देव को फोन कर के यह बात बताती है तो वह कहता है कि वह आ रहा है. देव जाने लगता है तो जयंत कहता है कि वह उसे अकेला छोड़ कर न जाए. प्रोटेस्ट खत्म होने से नाराज विधायक प्रमोद इंसपेक्टर रंगोट को गालियां देता है और चप्पलों से पिटाई भी करता है.

यहीं पर यह भी दिखाया जाता है कि जयंत और संध्या ने कैसे जमाल की लाश ठिकाने लगाई थी. देव संध्या के यहां पहुंचता है तो वह रोरो कर उस से कैरव के बारे में बताती है. देव उसे सीने से लगा लेता है और यहीं सातवां एपीसोड खत्म होता है.

एपीसोड -8

आठवें एपीसोड में भो की बहन भी को कैरव आश्वासन देता है कि वह जयंत से और संध्या से भो की मौत का बदला लेगा. देव पल्लवी राज से बताता है कि जयंत जिंदा है, पर पल्लवी नहीं मानती. वह उसे दिखाने के लिए होटल में ले जाता है, पर वहां जयंत नहीं मिलता है. वह पल्लवी को गन दिखा कर होटल से निकल जाता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 4

एपीसोड-5

इस एपीसोड में देव संध्या के घर के सामने खड़ा था, तब संध्या आती है. वह उस से कहता है कि उस ने उस से सब झूठ बोला था. संध्या गुस्से में कहती है कि क्या वह उस से बताती कि कैरव जुए का अड्डा और रंडीखाना चलाता है, जिसे वह देखती है. तभी उसे यह भी पता चलता है कि जिस विदेशी लड़की की लाश सड़क बनने वाली जगह पर मिली थी, वह कैरव के यहां काम करती थी.

देव संध्या को पकड़ लेता है तो वह उसे तमाचा मार देती है और कहती है कि वह तो उसे छोड़ कर चला गया था. उस ने कैसे सर्वाइव किया, यह वही जानती है. वह गर्भवती थी. उस के पिता मर गए. तब कैरव ने उसे सहारा दिया. देव को वह घर से भगा देती है.

इंसपेक्टर रंगोट होटल के उस कमरे में पहुंच जाता है, जहां कैरव का बिजनैस पार्टनर केतन 2 लड़कियों के साथ अय्याशी कर रहा होता है. वह उस से बिजनैस डील की बात करता है. कैरव के आदमी भो और भी विकास को प्रोटेस्ट खत्म कराने को कहते हैं. विकास समय मांगता है.

इस के बाद वह विधायक प्रमोद से आंदोलन खत्म करने की बात करता है. लेकिन वह नहीं चाहता कि आंदोलन खत्म हो,  इसलिए वह इंसपेक्टर रंगोट से इस के लिए बात करता है तो रंगोट कहता है कि इस मामले में क्या करना है, यह वह उस पर छोड़ दें.

देव अस्पताल जाता है तो पता चलता है कि उस के पिता की तबीयत अब काफी ठीक है. उन्हें वह घर ले जा सकता है. इंसपेक्टर रंगोट करीम के घर जाता है और उस से कहता है कि वह सबूत के लिए सुनील महाजन की फैक्ट्री में जाए और वहां नौकरी की बात करे.

देव और विदुषी घर में रखी फाइलें देखते हैं तो पता चलता है कि जयंत मनीलांड्रिंग का काम करता था. इस के लिए वह कंपनी में काम करने वाली एक महिला से बात करते हैं. पर वह कहती है कि उसे कुछ नहीं पता. करीम सुनील महाजन के औफिस जाता है और कोर्ट में जाने, पुलिस में रिपोर्ट लिखाने और मीडिया से बात करने की धमकी देता है तो सुनील महाजन उसे कुछ रुपए देता है, जिसे ले कर वह चला जाता है.

देव विकास से मिल कर बधाई देता है कि उस ने प्रोटेस्ट खत्म कर दिया, बहुत अच्छा हुआ. तब विकास उसे दुत्कारता है कि उस ने दोस्ती कर के विश्वास जीता, फिर पीठ में छुरा घोंपा. उस के कहने का मतलब यह था कि उस ने कैरव से उस के उस आदमी से संबंध के बारे में बता दिया था, जिस की वजह से उसे ब्लैकमेल किया गया.

देव वहां से सीधे उस फोटोग्राफर दोस्त के पास जाता है, जिसे उस ने विकास के फोटो डिलीट करने को कहा था. लेकिन उस के फोटोग्राफर दोस्त ने विकास के वे अश्लील फोटो डिलीट नहीं किए थे. पहले तो वह उस की पिटाई करता है, उस के बाद उसे इस बात के लिए राजी करता है कि वह कैरव के होटल की सारी सीसीटीवी फुटेज ला कर देगा.

पत्रकार चंद्रकांत एसआई पल्लवी को कुछ जानकारी ला कर देता है और कहता है कि इस बार वह उस के साथ डिनर पर चलेगी.

इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट विकास को रात के समय सुनसान जगह पर बुलाता है और चाकू से उस की हत्या कर देता है. रंगोट और प्रमोद कक्षदारों के सामने कसम खाते हैं कि वे विकास के हत्यारों को जरूर पकड़ेंगे. विकास की हत्या का आरोप इंसपेक्टर रंगोट करीम पर लगाता है और उसे पकड़ कर उस का एनकाउंटर कर देता है.

विकास की हत्या की जानकारी कैरव को मिलती है तो वह हैरान रह जाता है. देव के पिता उसे जयंत की हत्या का दोषी मानते हैं, इसलिए उस से बात नहीं करना चाहते. देव संध्या के घर जाता है और उसे विश्वास दिलाता है कि वह उस से अभी भी बहुत प्यार करता है. संध्या उसे अंदर ले जाती है और उस से लिपट जाती है. दोनों एक साथ रात बिताते हैं.

एपीसोड-6

इस एपीसोड के शुरू में दिखाया जाता है कि कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ कुछ फाइलें ले कर आते हैं, तभी देव का वह फोटोग्राफर दोस्त आता है और कहता है कि सर्वर अपडेट करना पड़ेगा. कैरव का आदमी भो उसे एक सिक्युरिटी गार्ड के साथ सर्वर वाले कमरे में ले जाता है, जहां वह सारी सीसीटीवी फुटेज की कौपी कर लेता है.

‘भो’ बसस्टैंड पर जाता है, जहां उसे कोटा की बस पर जाते हुए जयंत दिखाई देता है. जयंत को जीवित देख कर वह चौंकता है. वह बस के पीछे भागता है, लेकिन बस चली जाती है. वह गाड़ी से बस का पीछा करता है.

देव का बौस अपने एक आदमी रंगा को देव को लाने के लिए लखोट भेजता है. देव की गाड़ी पुलिस कस्टडी में थी, जिस से रंगा ताला तोड़ कर देव द्वारा लाई फाच्र्युनर निकालने जाता है. गाड़ी में देव और उस की हाथापाई होती है, जिस में वह हार्टअटैक से मर जाता है.

एक ढाबे पर बस रुकती है, जहां जयंत बस से नीचे उतरता है. भो जयंत को पीछे से आवाज देता है, तभी तेजी से आ रहा ट्रक ‘भो’ को टक्कर मार देता है. जयंत उसे वहां छोडऩे के बजाय उसे उठा कर उस की गाड़ी में डालता है और वहां से उस होटल में जाता है, जहां वह ठहरा था. वह ‘भो’ को सड़क पर नहीं छोडऩा चाहता था, वरना उस की बहन ‘भी’ उसे खोजते हुए वहां पहुंच जाती और फिर उस की पोल खुल जाती है.

देव उन सारी फुटेज को अपने उस फोटोग्राफर दोस्त के साथ देखता है. उन में उस रशियन लड़की की फुटेज होती है, जिस की मौत की जांच एसआई पल्लवी राज कर रही थी. उस लड़की की जब मौत हुई थी, तब विधायक प्रमोद बहनोई उस के साथ कुकर्म कर रहा था. मौत क्या हुई थी, वह बेहोश हुई थी. उस बेहोश लड़की को ठिकाने लगाने में कैरव भी शामिल था और इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट भी.

एसआई पल्लवी ने उस रशियन लड़की का अंतिम संस्कार खुद जा कर विद्युत शवदाह गृह में करवाया था. कैरव संध्या से जयंत के बारे में बात करता है. फिर उस के साथ पीछे से जबरदस्ती सैक्स करता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 3

कैरव के होटल में पार्टी चल रही होती है और वह मंत्रीजी के साथ बैठ कर प्रमोद की शिकायत कर रहा था. मंत्रीजी प्रमोद को फोन कर के विकास को छुड़वाने को कहते हैं.

एक रेस्टोरेंट में पत्रकार चंद्रकांत एसआई पल्लवी के साथ बैठा है और उस से कहता है कि वह अन्य महिलाओं से अलग है. वहीं कैरव अपने होटल में संध्या के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है. वह नहीं मानती तो वह उस की बेल्ट से पिटाई भी करता है.

कैरव जयंत के घर उस की शोकसभा आयोजित करता है. वहीं पल्लवी उसे बताती है कि हाइवे पर उस की गाड़ी मिल गई है. तभी वहां पत्रकार चंद्रकांत आ जाता है, जो पल्लवी से उल्टीसीधी बातें करता है तो देव उसे धक्के दे कर भगा देता है और फोटोग्राफर दोस्त के साथ अपनी कार लेने चला जाता है. वहीं से संध्या को फोन करता है. कार में उसे एक फोन मिलता है.

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वह घर जाता है और पिता से गुडग़ांव वापस जाने के लिए कहता है, तभी इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट देव को उस के घर पहुंच कर जयंत की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लेता है. क्योंकि उस की गाड़ी पर खून लगा था. तभी उस के पिता को हार्टअटैक आ जाता है. थाने में देव से पूछताछ की जाती है, तभी उसे वह पुरानी घटना याद आ जाती है, जब संध्या के लिए उस ने एक रेस्टोरेंट में एक युवक की हत्या कर दी थी.

कैरव परेशान है कि इंसपेक्टर राजबीर एमएलए प्रमोद के साथ मिल कर विरोध बढ़वा रहा है. वह थाने जा कर विकास को छोडऩे के लिए कहता है. पर इंसपेक्टर रंगोट इस का सारा श्रेय विधायक प्रमोद को दिलवा देता है.

देव को कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां ठोस सबूत न होने के कारण जज देव को जमानत पर छोड़ देता है. लेकिन उसे रोजाना थाने में हाजिरी देने को कहता है. यहां पता चलता है कि जयंत कैरव के यहां काम करता था. देव अपने पिता के पास अस्पताल जाता है.

एपीसोड-4

वेब सीरीज के चौथे एपीसोड में विदुषी देव को बताती है कि बैंक एकाउंट में एक भी पैसा नहीं है. देव कहता है कि वह चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा. तभी घर से खबर आती है कि घर में लूटपाट हो गई है.

देव और विदुषी घर आ जाते हैं. घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है, लेकिन कुछ गायब नहीं है. देव को कैसीनो का एक कौइन मिलता है. विदुषी बताती है कि जयंत को जुआ खेलने की लत लग गई थी. कैरव विकास को अपने पक्ष में करना चाहता था, जबकि वह विधायक प्रमोद के साथ चला गया होता है. पल्लवी को भी देव पर शक था, पर विदुषी कहती है कि वह मेरा देवर है. अपने भाई को वह बिलकुल नहीं मार सकता.

देव एक जुआघर में यह पता लगाने जाता है कि उस का भाई जयंत वहां जुआ खेलने तो नहीं जाता था. लेकिन उस का औनर उसे पहचान लेता है और उसे धमका कर भगा देता है.

पल्लवी राज नगर निगम के औफिस में यह पता करने जाती है कि सड़क बनाने का आदेश किस ने दिया था. पर अधिकारी कहता है कि यह जानकारी लेने के लिए उस के बौस के हस्ताक्षर वाला कागज चाहिए. फिर एसआई पल्लवी वापस आ जाती है.

देव संध्या के घर खाने पर जाता है तो मोबाइल में लड़कियों के फोटो दिखा कर पूछता है कि क्या वह इन लड़कियों को पहचानती है. संध्या का कहना था कि ये विदेशी लड़कियां उस के होटल में आई होंगी.

देव थाने में हाजिरी लगाने जाता है तो एसआई पल्लवी राज विदेशी लड़की की हत्या वाले केस पर काम कर रही होती है. वह एक टैटू के बारे में पता कर रही होती है, तभी जमाल का भाई करीम देव की ओर इशारा कर के इंसपेक्टर से कहता है कि यही आदमी मेरे बड़े भाई को तलाश रहा था. पर उस की इस बात पर इंसपेक्टर रंगोट ध्यान नहीं देता.

तब वह इंसपेक्टर राजबीर से कहता है कि अगर वह उस के भाई के बारे में पता कर दे तो वह कैरव और सेंट्रल मार्बल के मालिक सुनील महाजन के बारे में अंदर की एक बात बताएगा. इंसपेक्टर मान जाता है तो करीम बताता है कि सेंट्रल मार्बल की उस फैक्ट्री से मार्बल के अंदर सफेद पाउडर भर कर भेजा जाता है. प्रोटेस्ट के कारण माल नहीं जा पा रहा है, इसीलिए कैरव बहुत परेशान है.

कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ देव से विकास को कैरव के पास लाने को कहते हैं. देव विकास को कैरव के यहां ले आता है तो उसे वहां कुछ विदेशी लड़कियां दिखाई देती हैं, जिन से वह उस लड़की के बारे में पूछता है, जिस का फोटो उसे मोबाइल में मिला था. वे कुछ जवाब नहीं देती हैं.

विकास को कैरव के यहां शरबत में कोई पाउडर मिला कर पिलाया जाता है. इंसपेक्टर रंगोट विधायक प्रमोद को बताता है कि कैरव की फैक्ट्री से हेरोइन बाहर भेजी जाती है. वह उसे फंसा कर अपनी बेइज्जती का बदला लेगा.

अगले दिन देव सिक्युरिटी गार्डों को धोखा दे कर फिर कैरव के होटल में जाता है और मरी हुई लड़की का फोटो एक लड़की को दिखाता है तो वह चिल्लाने लगती है. सिक्युरिटी गार्ड देव को पकड़ लेते हैं. तभी कैरव आ जाता है और देव से कहता है कि अगर उसे होटल देखना था उस से कहता. कैरव देव को अपना होटल दिखाता है.

कैसीनो में जाने पर वहां क्वाइन देख कर देव को पता चलता है कि उस का भाई जयंत यहीं जुआ खेलने आता था. कैरव देव को सैक्स वर्कर्स का एरिया भी दिखाता है, जहां तमाम देशों की लड़कियां देह व्यापार करती थीं. इन सब को संध्या ही संभालती थी. संध्या को वहां देख कर देव दुखी हो कर चला जाता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 2

देव के भाई जयंत की अपनी पत्नी विदुषी से बिलकुल नहीं बनती, क्योंकि वह उसे बेवकूफ समझता है और उसे लगता है कि वह दिन भर कुछ नहीं करती, केवल वीडियो बनाती रहती है.

रात के समय कैरव का आदमी एक बैग में पैसे ले कर किसी को देने जा रहा था, जिसे चुराने के लिए जयंत आ जाता है. तभी वहां देव आ जाता है. वह जयंत को पकडऩे दौड़ता है, पर उसे पकड़ नहीं पाता. तभी देव की फाच्र्युनर चोरी हो जाती है. कैरव के आदमी ‘भो’ और ‘भी’ (दोनों भाईबहन) देव को पकड़ लाते हैं और उस की पिटाई करते हुए पूछते हैं कि वह कौन है और सूटकेस कौन ले गया? तभी सेंट्रल मार्बल के मालिक सुनील महाजन के साथ कैरव आता है.

देव को देख कर उसे याद आता है कि यह तो वही आदमी है, जो बचपन में उसे परेशान किया करता था. उसे बिल्ली मार कह कर चिढ़ाता था. कैरव देव को मारने लगता है. तब सेंट्रल मार्बल का मालिक उसे रोकता है और कहता है कि यह हमारा काम कराने के लिए गुरुग्राम से आया है.

‘भो’ की भूमिका संजय शिव नारायण ने की है. उस की बहन ‘भी’ की भूमिका में मंजरी पुपला है तो सुनील महाजन की भूमिका गौरव कोठारी ने की है.

एपीसोड-2

दूसरे एपीसोड में कैरव अपनी कोठी पर नाश्ता करते हुए देव से विकास से जल्दी समझौता कराने के लिए कहता है. उसी समय वहां संध्या आ जाती है. तब देव को पता चलता है कि संध्या कैरव के लिए काम करती है.

देव सेंट्रल मार्बल के मालिक के साथ उस की गाड़ी से निकलता है तो उस से अपनी गाड़ी दिलाने की बात करता है. वह देव को कुछ रुपए दे कर आश्वासन देता है कि भाई साहब (कैरव) उस की गाड़ी जल्दी दिलवा देंगे. इस के बाद देव उस की कार से उतर जाता है.

एसआई पल्लवी राज उस विदेशी महिला की हत्या का मामला देख रही है, जिस का सड़क के किनारे एक हाथ दिखाई दे रहा था. पल्लवी राज की भूमिका कुब्रा सैत ने की है. वह कहीं से भी पुलिस वाली नहीं लगती. पल्लवी राज विदुषी की बहुत अच्छी दोस्त है. जिस की वजह से देव उस से अपनी कार के बारे में पता करने को कहता है.

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पल्लवी से उस विदेशी महिला की हत्या वाले केस की फाइल बंद करने को कहा जाता है. पल्लवी समझ जाती है कि इंसपेक्टर राजबीर नहीं चाहता कि इस मामले का खुलासा हो. जबकि पल्लवी इस मामले को ले कर काफी गंभीर थी. क्योंकि उसे पता चल गया था कि उस विदेशी महिला को बेहोशी की हालत में जिंदा ही दफना दिया गया था.

इस के बाद वह पत्रकार चंद्रकांत से कहती है कि वह पता लगाए कि उस सड़क को बनाने की परमिशन किस ने दी थी. पत्रकार उस से डिनर पर चलने को कहता है, जहां बातचीत में उसे पता चलता है कि पल्लवी लेस्बियन है.

देव कैरव के लोगों ‘भो’ और ‘भी’ के साथ मिल कर अपनी कार चुराने वाले जमाल खान के घर जाता है और जमाल खान के बारे में पता करने के लिए उस के भाई करीम को उठा लाता है. उस का टार्चर किया जाता है, पर वह कुछ नहीं बताता. बाद में उसे छोड़ दिया जाता है.

कैरव मंत्रीजी से आंदोलन संभालने की बात करता है. पर मंत्रीजी कहते हैं कि वह इलाका एमएलए प्रमोद बहनोई के अंडर में आता है, जो उसे पसंद नहीं करता. फिर भी वह उस से बात करने की कोशिश करेंगे. इस के बाद मंत्रीजी प्रमोद को फोन करते हैं. प्रमोद कहता है कि उस की और विकास की कम्युनिटी अलगअलग है, इसलिए वह उस की बात नहीं मानेगा.

देव कहीं जा रहा होता है, तब उसे विकास एक बार-कम-रेस्टोरेंट में जाता दिखाई देता है. वह भी उस के पीछे जाता है और विकास से अपनी बात मनवाने के लिए उस की एक आदमी के साथ चुम्माचाटी की फोटो खींच लेता है.

पर बाद में वह वे फोटो अपने दोस्त से डिलीट करवा देता है. देव के दोस्त की भूमिका आशीष थपलियाल ने की है. देव को लगता है कि हर किसी को अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीनी चाहिए. यहीं उसे अपने दोस्त से पता चलता है कि संध्या उस के बच्चे की मां बनने वाली थी.

देव संध्या के घर जाता है और उस से अपने प्रेम की दुहाई दे कर एक बार फिर उसे इमोशनल ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है, पर संध्या उसे अपने घर से जाने को कहती है और दरवाजा बंद कर लेती है. देव वहां से दुखी हो कर चला जाता है और एक झील के किनारे शराब पी कर सो जाता है. सुबह उस की भाभी विदुषी उसे फोन कर के बताती है कि जयंत की एक्सीडेंट में मौत हो गई है.

एपीसोड-3

तीसरे एपीसोड की शुरुआत में दिखाया जाता है कि पुलिस जयंत की कार क्रेन से निकलवा रही है. देव बाइक से वहां पहुंचता है तो इंसपेक्टर राजबीर उस से सीधे कहता है कि उसी ने भाई को मारा है.

इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट प्रमोद के कहने पर विकास को गिरफ्तार कर लेता है. कक्षदार उसे छुड़ाने के लिए आंदोलन करते हैं. देव अस्पताल जाता है, जहां एसआई पल्लवी के साथ जयंत की लाश की शिनाख्त कर रहा है.

इंसपेक्टर राजबीर अपने गुंडों को भेज कर आंदोलन में कैरव के औफिस में तोडफ़ोड़ करवा देता है. कैरव के औफिस से निकल कर भाग रही संध्या को बचा कर देव उस के घर ले जाता है. यहां संध्या पिछली रात किए गए अपने व्यवहार के लिए माफी मांगती है और उसे घर के अंदर ले जाती है. उस रात देव उस के घर रुकता है. रात में दोनों शारीरिक संबंध भी बनाते हैं.

कैरव अपने घर में चिल्लाता है कि विकास को किस ने अरेस्ट कराया है. दूसरी ओर इंसपेक्टर राजबीर विकास को कैरव के खिलाफ भड़काता है और कहता है कि विधायक प्रमोद उसे ले कर बहुत परेशान है. देव को उस के बौस फोन करता है कि काम का क्या हुआ? देव बताता है कि उस के भाई की मौत हो गई है, पर बौस उस की कोई बात नहीं सुनता और फोन काट देता है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 1

कलाकार:  चंदन राय, चंदन राय सान्याल, कुब्रा सैत, मनु ऋषि चड्ढा, प्रियांशु पेन्युली, श्रुति मेनन, मंजरी पुपला, आशीष थपलियाल, ज्ञान प्रकाश, गौरव कोठारी, श्रुति जौली, संजय शिव नारायण आदि.

निर्देशक: नवदीप सिंह

निर्माता: औफरोड फिल्म्स,

संगीतकार: शिवांश जिंदल

छायांकन: विशाल विट्ठल

लेखक: नवदीप सिंह और देविका भगत

प्लेटफार्म: अमेजन प्राइम वीडियो

एपिसोड: 8

अमेजन प्राइम वीडियो पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ (Shehar Lakhot) है तो आपराधिक, लेकिन अब तक आ चुकी वेब सीरीजों से यह थोड़ा हट कर है. इस वेब सीरीज (Web Series)  में वह सब लाने की कोशिश की गई है, जिस की वजह से कभी ‘मनोहर कहानियां’ पत्रिका (Manohar Kahaniyan) देश की नंबर वन पत्रिका थी. लेकिन अपराध कथाओं के साथ दिक्कत यह है कि हर बार वह नया स्वाद मांगती है, जबकि ‘शहर लखोट’ में वही नहीं है.

वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ नवदीप सिंह (Navdeep Singh) ने देविका भगत (Devika Bhagat) के साथ मिल कर लिखी है. लेकिन इस में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो पहले नहीं देखा गया है. इस अपराध कथा का मुख्य आधार खनन माफिया है. इस की पटकथा को इस तरह लिखा गया है कि इस में सब कुछ दिखाने की कोशिश की गई है. लेकिन इस में कोई भी ऐसा सीन नहीं है, जिस पर दर्शकों की नजर गड़े या प्रभावित करे या सोचने को मजबूर करे.

सीरीज में पुलिस विभाग को तो माफिया और नेताओं का नौकर बना दिया गया है. यहां तक कि थाने का इंसपेक्टर नेता के लिए एक दूसरे नेता की हत्या तक कर देता है, जो सत्य से एकदम परे लगता है. इतना ही नहीं, बाद में पुलिस इंसपेक्टर भी मार दिया जाता है और पुलिस सब कुछ जानते हुए भी उसे गुमशुदा घोषित करने की कोशिश करती है.

इन बातों से सीरीज नाटक लगती है. जबकि दर्शक सत्य के साथ सस्पेंस भी देखना चाहते हैं. लेकिन इस सीरीज में न सस्पेंस है और न ही सत्य. जिन लोगों ने ‘मनोहर कहानियां’ पढ़ी है, उन्हें पता है कि अपराध कथाएं क्या होती हैं और कैसी कथाएं देखने या पढऩे में अच्छी लगती हैं.

अगर शहर लखोट के लेखकों ने ‘मनोहर कहानियां’ ध्यान से पढ़ी होती तो शायद उन्हें समझ होती कि दर्शक क्या चाहता है. पूरी सीरीज देख लेने के बाद भी पता नहीं चलता कि लेखक कहना या दिखाना क्या चाहते हैं. न पुलिस की भूमिका सशक्त लगती है न माफिया की और न नेता की. सारा कुछ गड्डमड्ड हो गया है.

कहानी का नायक हर जगह पिटता नजर आता है. वह न परिवार के लिए कुछ कर पाता है और न अपने बौस के लिए और न अपने लिए. अंत में निराश हो कर लौट जाता है. नेताओं की भूमिका भी कहीं खास नजर नहीं आती. खनन माफिया आधी हिंदी और आधी अंगरेजी में अटका रहता है. यह भी साफ नहीं हो पाता कि वह करता क्या है और करना क्या चाहता है?

इस में अभिनय करने वाला कोई भी कलाकार दर्शकों को न तो अपने अभिनय से प्रभावित कर पाता है और न ही बोली, भाषा या डायलौग से. सब से दुखद तो यह है कि कहानी में कोई चौंकाने वाला खुलासा नहीं होता, जिस का दर्शकों को इंतजार रहता है. इस सीरीज में सब से बड़ी कमी यह है कि इस के हर किरदार में सिर्फ ऐब ही ऐब है.

कोई भी ऐसा कलाकार नहीं है, जिस में कोई अच्छाई नजर आती हो. यह भी पता नहीं चलता कि हीरो कौन है और खलनायक कौन. ऐसी वेब सीरीज को देखना समय नष्ट करना है. हमारे खयाल से तो इसे न ही देखा जाए तो अच्छा रहेगा.

एपीसोड-1

पहले एपीसोड की शुरुआत शहर लखोट से होती है, जहां शहर के बाहर खेल रहे बच्चों को एक लाश दिखाई देती है. इस के बाद गुरुग्राम के एक गैंगस्टर का औफिस दिखाया जाता है, जहां देव यानी देवेंद्र सिंह तोमर उस के लिए काम करता है. देव की भूमिका प्रियांशु पिनयुल ने की है. वह अपनी भूमिका में न हीरो नजर आता है और न खलनायक. जहां भी जाता है, केवल पिटता ही है.

गैंगस्टर उसे शहर लखोट जाने को कहता है, अपने क्लाइंट कैरव सिंह की मदद के लिए. कैरव का रोल चंदन राय सान्याल ने किया है. वह अपनी पूरी भूमिका में नाटक करता नजर आया है, जबकि सीरीज में उस का महत्त्वपूर्ण रोल है. दरअसल, वहां के आदिवासी आंदोलन कर रहे होते हैं. देव को इस से छुटकारा दिलाने के लिए लखोट भेजा जाता है. देव बहुत दिनों से लखोट नहीं गया था, इसलिए वहां अपना रौब दिखाने के लिए अपने बौस की फाच्र्युनर मांगता है.

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फाच्र्युनर गैंगस्टर की रखैल पिंकी की थी. देव फाच्र्युनर ले कर लखोट स्थित माइनिंग पर जाता है, जहां कक्षदारों का लीडर विकास प्रोटेस्ट कर रहा होता है. विकास की भूमिका में चंदन राय है, जो कहीं से लीडर नजर नहीं आता. देव पैसा ले कर विकास से आंदोलन खत्म करने को कहता है, पर विकास इस के लिए साफ मना कर देता है. इस के बाद कैरव सिंह अपने कुत्ते को गोली मार देता है.

लखोट थाने के एसएचओ राजबीर सिंह रंगोट से उसे फेंकने को कहता है. इस के लिए राजबीर सिंह खुद को बहुत अपमानित महसूस करता है. इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट का रोल मनु ऋषि चड्ढा ने किया है. उस में कहीं भी पुलिसिया रौब नजर नहीं आता. वह नेताओं और गुंडों का नौकर बन कर रह गया है. कैरव सिंह विकास को अपने घर समझौता करने के लिए बुलाता है, पर विकास अपनी बात पर अडिग रहता है.

देव अपने पिता से मिलने उन के औफिस जाता है, जहां उस की अपने बड़े भाई जयंत से लड़ाई हो जाती है. यहां पता चलता है कि 10 साल पहले देव ने किसी का कत्ल किया था, जिस की वजह से उस के घर वालों ने उस से रिश्ता खत्म कर लिया था और इंसपेक्टर राजबीर भी उसे पसंद नहीं करता.

देव अपने पिता से मिलने घर जाता है, जहां उस की भाभी विदुषी उसे देख कर बहुत खुश होती है. पर पापा आज भी उस से बहुत नाराज हैं. पापा उसे घर से निकाल देते हैं तो वह घर के बाहर खड़ा रहता है. देव के पापा की भूमिका ज्ञान प्रकाश ने की है तो विदुषी की भूमिका में श्रुति जौली हैं.

तभी कुछ गुंडे उस के भाई जयंत को पैसों के लिए मारते हैं. देव कुछ कहने के बजाय अपनी पूर्व प्रेमिका संध्या के घर चला जाता है. संध्या का रोल श्रुति मेनन ने किया है. यहां पता चलता है कि देव ने जो 10 साल पहले हत्या की थी, वह संध्या के लिए ही की थी. क्योंकि जिस का कत्ल हुआ था, वह संध्या को छेड़ रहा था.