अभिनय ने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से सपना से शादी कर के सभी को मिठाई खिलाई. इस के बाद प्रार्थना को उस के घर भेज दिया और सपना को साथ ले कर लोहियानगर स्थित अपने घर आ गया. अभिनय के घर वालों ने सपना को बहू के रूप में स्वीकार कर के उस का भव्य स्वागत किया.
प्रार्थना घर पर पहुंची तो उसे अकेली देख कर घर वालों ने सपना के बारे में पूछा. जब उस ने कहा कि बाजार में सपना उसे चकमा दे कर भाग गई है तो घर वाले बौखला उठे. उन्होंने तुरंत सपना को फोन किया. जब सपना ने बताया कि उस ने अभिनय से शादी कर ली है और अब वह उसी के यहां रहेगी तो कुंवरपाल सपना को समझाने लगा कि उस के इस कदम से उस की कालोनी और समाज में बड़ी बदनामी होगी, इसलिए वह वापस आ जाए.
लेकिन जब सपना ने साफसाफ कह दिया कि अब वह किसी भी सूरत में अभिनय को छोड़ कर नहीं आ सकती तो खीझ कर कुंवरपाल ने फोन काट दिया. इस के बाद पतिपत्नी ने प्रार्थना की जम कर पिटाई की. इस तरह सपना की करनी की सजा प्रार्थना को भोगनी पड़ी.
अगले ही दिन कुंवरपाल ने अपने दोनों सालों नंदकिशोर तथा राधाकिशन को बुलाया और उन से पूछा कि अब क्या किया जाए? एक बार उन के मन में आया कि क्यों न वे अभिनय को मार दें. लेकिन जब इस बात पर उन्होंने गहराई से विचार किया तो उन्हें लगा कि इस मामले में अभिनय की क्या गलती है, भाग कर शादी तो सपना ने की है, इसलिए जो सजा दी जाए, उसे दी जाए. इस तरह सपना घर वालों की आंखों का कांटा बन गई.
कुंवरपाल अकसर फोन कर के सपना को समझाता और धमकी देता रहता था कि उस ने जो किया है, वह ठीक नहीं किया है, वह वापस आ जाए, इसी में उस की भलाई है. अगर उस ने उस का कहना नहीं माना तो वह उसे छोड़ेगा नहीं, भले ही उसे पूरी उम्र जेल में बितानी पड़े. इस तरह सिर नीचा कर के जीने से तो अच्छा है, वह पूरी जिंदगी जेल में ही काट दे.
अभिनय के घर वालों ने सपना को बहू के रूप में स्वीकार तो कर लिया था, लेकिन अभिनय के पिता शिशुपाल सिंह जादौन के मन में एक कसक थी कि वह अपने बेटे की शादी धूमधाम से नहीं कर सके. इसलिए वह चाहते थे कि सपना के घर वाले उस की शादी धूमधाम से कर दें. सपना जानती थी कि उस का बाप ऐसा कतई नहीं करेगा, इसलिए उस ने ससुर से कह दिया कि ऐसा होना नामुमकिन है.
शिशुपाल सिंह को लगा कि बेटे की शादी धूमधाम से नहीं हो सकती तो वह अपने घर इस शादी की दावत कर के अपने परिचितों और रिश्तेदारों को बता दें कि उन के बेटे ने प्रेम विवाह कर लिया है. वह दावत की तैयारी कर रहे थे कि एक दिन कुंवरपाल पत्नी उर्मिला और साली के साथ उन के घर आ पहुंचा.
कुंवरपाल और उस की पत्नी ने सपना और उस की ससुराल वालों से कहा कि जो हो गया, सो हो गया. अब वे अपनी बेटी की शादी सामाजिक रीतिरिवाज के अनुसार धूमधाम से करना चाहते हैं. इसलिए शादी की तारीख तय कर के वे सपना को अपने साथ ले जाना चाहते हैं.
सपना मांबाप के साथ घर जाना तो नहीं चाहती थी. लेकिन अभिनय और उस के ससुर शिशुपाल सिंह ने समझाबुझा कर उसे कुंवरपाल के साथ भेज दिया.
आखिर वही हुआ, जिस बात का सपना को डर था. घर आने के बाद कुंवरपाल सपना को इस बात के लिए राजी करने लगा कि उस ने एटा के जिस लड़के के साथ उस की शादी तय की है, वह उस के साथ शादी कर ले. सपना इस के लिए तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि एक बार उस ने अभिनय से शादी कर ली है तो वह अब किसी दूसरे से शादी क्यों करे.
25 जुलाई की शाम को भी कुंवरपाल ने सपना से एटा वाले लड़के से शादी करने की बात कही. लेकिन सपना ने साफ मना कर दिया. इस के बाद रात का खाना खा कर जब घर के सभी लोग सो गए तो कुंवरपाल दबे पांव सपना के कमरे में पहुंचा. अंदर से सिटकनी बंद कर के उस ने एक बार फिर सपना को शादी के लिए मनाना चाहा. लेकिन सपना नहीं मानी तो वह उसे मनाने के लिए करंट लगाने लगा. इसी करंट लगाने में सपना बेहोश हो गई.
सपना का इस तरह बेहोश हो जाना कुंवरपाल को खतरे की घंटी लगा. उस ने सोचा कि अब इस का जिंदा रहना ठीक नहीं है, इसलिए उस ने उस की गर्दन और हाथ पर तार लपेट कर प्लग में लगा दिया, जिस से सपना तड़पतड़प कर मर गई.
सपना को मौत के घाट उतार कर कुंवरपाल ने यह बात पत्नी उर्मिला को बताई तो वह सन्न रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस का पति इतना घिनौना काम भी कर सकता है. कुंवरपाल ने गुस्से में सपना को मार तो डाला, लेकिन अब उसे अपने किए पर पछतावा हो रहा था. अब उसे जेल जाने का भी डर सताने लगा था. उस समय रात के 2 बज रहे थे.
पुलिस से बचने के लिए उस ने अन्य बच्चों को जगाया और उन्हें घर से बाहर कर के सपना के मोबाइल फोन का स्विच औफ कर दिया. उन्होंने बच्चों को इस बात की जानकारी नहीं होने दी कि सपना के साथ क्या हुआ है. घर में बाहर से ताला लगा कर कुंवरपाल पत्नी और अन्य बच्चों के साथ फरार हो गया.
पूछताछ के बाद उत्तर कोतवाली पुलिस ने अपनी ही बेटी की हत्या के आरोप में कुंवरपाल सिंह यादव को जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक बाकी कोई गिरफ्तार नहीं हुआ था. पुलिस उन की तलाश कर रही थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
सपना के परिवार में पिता कुंवरपाल सिंह यादव, मां उर्मिला यादव, 3 बहनें प्रार्थना, मधु और भावना के अलावा 1 छोटा भाई आशीष था. कुंवरपाल का दूध का अच्छाखासा व्यवसाय था. फिरोजाबाद के ही थाना सिरसागंज के गांव सिकरामऊ में उस की खेती की काफी जमीन भी थी. फिरोजाबाद के सुदामानगर की जिस नवनिर्मित कालोनी में कुंवरपाल रहता था, उस में उस की गिनती संपन्न लोगों में होती थी. उस का काफी बड़ा मकान भी था.
कुंवरपाल को राजनीति से लगाव था, इसलिए उस ने तमाम नेताओं से संबंध बना रखे थे. संबंध की ही वजह से उस के यहां तमाम नेताओं का आनाजाना लगा रहता था. सिरसागंज के विधायक से तो कुंवरपाल की दांत काटी दोस्ती थी. कुंवरपाल के 2 साले थे. दोनों ही एक राजनीतिक दल में पदाधिकारी थे. उन का अपने क्षेत्र में खासा रुतबा था. इस का असर उन की बहन यानी कुंवरपाल की पत्नी उर्मिला पर भी था. रौबरुतबे की ही वजह से पतिपत्नी कालोनी में किसी को कुछ नहीं समझते थे. वे जल्दी से किसी से बात भी नहीं करते थे.
सपना ने घर के नजदीक ही स्थित लिटिल ऐंजल्स कान्वेंट स्कूल से इंटर करने के बाद एम.जी. कालेज से ग्रैजुएशन किया. इस के बाद वह कोई प्रोफेशनल कोर्स करना चाहती थी. थोड़ी कोशिश के बाद उस का बीएड में हो गया, जिस के लिए उस ने दाऊदयाल महिला महाविद्यालय में दाखिला ले लिया.
सपना जिन दिनों हाईस्कूल में पढ़ रही थी, उन्हीं दिनों उस की मुलाकात अभिनय राणा से हुई थी. अभिनय सुदामानगर से 2 किलोमीटर दूर स्थित लोहियानगर में रहता था. उस के परिवार में पिता शिशुपाल सिंह जादौन, मां प्रेमा देवी जादौन और एक बड़ा भाई अभिषेक जादौन था. पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही थे. जादौन परिवार के पास काफी पुश्तैनी प्रौपर्टी थी, इसलिए इस परिवार का रहनसहन रईसों जैसा था. उन दिनों वह बारहवीं में पढ़ रहा था.
एक दिन सपना स्कूटी से कोचिंग से घर जा रही थी, तभी एक बाइक सवार की टक्कर से गिर पड़ी. बाइक सवार तो भाग गया, लेकिन डिवाइडर से टकराने की वजह से सपना के पैर से खून बहने लगा. पीछे से आ रहे अभिनय ने उसे उठाया और मरहमपट्टी करा कर उसे उस के घर पहुंचाया. अभिनय का यह सेवाभाव सपना के दिल को छू गया. उस की छवि उस के दिल में एक अच्छे युवक की बन गई.
सपना जिस कोचिंग में पढ़ती थी, उसी में अभिनय भी पढ़ता था. अभिनय की गिनती कोचिंग इंस्टीट्यूट में अच्छे लड़कों में होती थी. ऐसी ही बातों से वह सपना के दिल की धड़कन बन गया. आमनेसामने पड़ने पर दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. कभीकभार बातचीत भी हो जाती थी. किसी दिन दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए तो दोनों के बीच लंबीलंबी बातें होतेहोते प्यार का भी सिलसिला शुरू हो गया.
दोनों में प्यार गहराया तो वे एकदूसरे की पसंद का खयाल रखने लगे. इस तरह प्यार की नाव पर सवार हुए उन्हें एकएक कर के 5 साल बीत गए. इस बीच सपना ने ग्रैजुएशन कर लिया तो अभिनय बीएसपी कर के ठेकेदारी करने लगा. इस समय वह फिरोजाबाद का एक बड़ा शराब व्यवसाई माना जाता है. शहर और कस्बों में उस की अंग्रेजी शराब और देशी शराब की तमाम दुकानें हैं. उस के कई बार भी हैं. अभिनय भले ही शराब का बड़ा कारोबारी बन चुका था, लेकिन सपना के प्रति उस का प्यार वैसा ही था.
सपना ने ग्रैजुएशन कर के बीएड में दाखिला ले लिया था. 5 सालों से उस का जो प्यार चोरीछिपे चल रहा था, अब तक कई लोगों की नजरों में आ चुका था. वे कुंवरपाल के परिचित थे, इसलिए यह बात उस तक पहुंच गई. जानकारी होने पर कुंवरपाल ने सपना को बुला कर अभिनय और उस से प्यार के बारे में पूछा तो उस ने इस बात को इसलिए नहीं छिपाया, क्योंकि अभिनय हर तरह से कुंवरपाल का दामाद बनने लायक था.
लेकिन जब कुंवरपाल को पता चला कि सपना का प्रेमी ठाकुर है तो वह बौखला उठा. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘यादवों ने चूड़ी पहन रखी है क्या, जो ठाकुर का लौंडा उन की लड़कियों के साथ गुलछर्रे उड़ाएगा.’’
बाप के गुस्से को देख कर सपना की समझ में आ गया कि उस का बाप ऊंची जाति से भी उतनी ही नफरत करता है, जितनी नीची जाति वालों से. कुंवरपाल ने उस से साफसाफ कह दिया कि आज से ही वह उस लड़के से सारे संबंध खत्म कर ले. अगर उस के साथ कहीं दिखाई दे गई तो वह उसे काट कर रख देगा.
कुंवरपाल ने भले ही अपना आदेश सुना दिया था, लेकिन सपना को अभिनय के बिना अपनी दुनिया अंधकारमय नजर आ रही थी. इसलिए उस ने भी तय कर लिया कि कुछ भी हो जाए, वह अभिनय का साथ किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगी. इसलिए उस ने तुरंत फोन कर के सारी बातें अभिनय को बता दीं. अभिनय ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘चिंता करने की कोई बात नहीं है. हम दोनों ही बालिग हैं, इसलिए अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेने में सक्षम हैं.’’
प्रेमी की इस बात से सपना को काफी सुकून मिला. लेकिन अब उस के घर से अकेली निकलने पर पाबंदी लगा दी गई. इसी के साथ कुंवरपाल ने उस की शादी के लिए लड़के की तलाश भी जोरशोर से शुरू कर दी. वह बीएड की पढ़ाई पूरी होते ही सपना की शादी कर देना चाहता था.
इधर कुंवरपाल सपना की शादी के लिए लड़का ढूंढ रहा था, उधर उस ने अभिनय से शादी करने का फैसला कर लिया था. यह अप्रैल, 2014 की बात है.
दरअसल, सपना मौका निकाल कर अभिनय से बातें तो कर ही लेती थी, कभीकभार घर वालों की चोरी से मिल भी लेती थी. कुंवरपाल को संदेह था कि बेटी कोई भी उल्टासीधा कदम उठा सकती है, इसलिए उस ने रजिस्ट्रार औफिस के कर्मचारियों से सांठगांठ कर ली थी कि अगर सपना वहां विवाह के लिए आवेदन करती है तो तुरंत उसे इस बात की जानकारी दे दी जाए.
सपना के घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई, जिस से उस का बीएड भी पूरा नहीं हो सका. उस का फोन भी छीन लिया गया था. ऐसे में सपना का साथ उस की छोटी बहन प्रार्थना ने दिया. बहन की भावनाओं का खयाल रखते हुए वह कभीकभार अपने फोन से उस की बात अभिनय से करा देती थी.
29 मई, 2014 को प्रार्थना की मदद से सपना घर से बाहर निकली और वहां पहुंच गई, जहां अभिनय 2-3 महिलाओं और 4-5 पुरुषों के साथ उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. उस ने फिरोजाबाद के ही उलाऊखेड़ा प्रांगण में बने आर्यसमाज मंदिर में विधिविधान से विवाह करने की व्यवस्था पहले से ही कर रखी थी, इसलिए सपना को साथ ले कर वह सीधे वहीं पहुंच गया.
फिरोजाबाद की नवनिर्मित कालोनी सुदामानगर के रहने वाले कुंवरपाल सिंह यादव के जानवरों के लगातार रंभाने से पड़ोसियों का ध्यान उन की ओर गया. इस की वजह यह थी कि वे इस तरह रंभा रहे थे, जैसे उन्हें कई दिनों से चारापानी न मिला हो. उन के रंभाने से परेशान हो कर पड़ोसी कुंवरपाल के घर गए तो पता चला कि घर में बाहर से ताला बंद है.
कुंवरपाल का इस तरह ताला बंद कर के घर छोड़ कर जाना हैरान करने वाला था. क्योंकि उन्होंने तमाम गाएं और भैंसें पाल रखी थीं, इसलिए उन्हें छोड़ कर वह पूरे परिवार के साथ कहीं नहीं जा सकते थे. लोगों को किसी अनहोनी की आशंका हुई तो कालोनी के 2 लड़के कुंवरपाल के बगल वाले घर की सीढि़यों से चढ़ कर छत के रास्ते उन के घर जा पहुंचे.
नीचे कमरे में उन्होंने जो देखा, उन की चीख निकल गई. एक कमरे में पड़े तखत पर एक लाश पड़ी थी. लड़कों ने उसे पहचान लिया, वह कुंवरपाल की बड़ी बेटी सपना की लाश थी. उस के दोनों हाथों में नंगा तार बंधा था, जिस का दूसरा छोर स्विच बोर्ड के पास नीचे फर्श पर पड़ा था. देखने से ही लग रहा था कि उसे करंट लगा कर मारा गया था.
उन लड़कों के चीखने से बाहर खड़े लोग समझ गए कि अंदर कोई अनहोनी घटी है. जब लड़कों ने बाहर आ कर पूरी बात बताई तो उन्हें थोड़ा राहत महसूस हुई कि घर के बाकी लोग जहां भी हैं, सुरक्षित हैं. फिर भी लोगों के मन में आशंका तो थी ही, इसलिए तरहतरह की बातें होने लगीं.
जिस ने भी कुंवरपाल की बेटी सपना की हत्या के बारे में सुना, उस के घर की ओर भागा. यह इलाका फिरोजाबाद की उत्तर कोतवाली के अंतर्गत आता था, इसलिए सूचना पा कर कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा एसएसआई के.पी. सिंह, एसआई अर्जुनलाल वर्मा, सिपाही धर्मेंद्र सिंह, श्यामसुंदर और उमेशचंद को साथ ले कर कुंवरपाल के घर आ पहुचे.
कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा ताला तोड़वा कर कुछ लोगों के साथ घर के अंदर पहुंचे तो तखत पर पड़ी लाश देख कर हैरान रह गए. क्योंकि लाश देख कर ही लग रहा था कि लड़की की हत्या करंट लगा कर बड़ी बेरहमी से की गई थी. उन्होंने फोटोग्राफर बुला कर घटनास्थल की और लाश की फोटोग्राफी कराई. इस के बाद लाश का बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. मृतका की गर्दन पर करंट लगाने के निशान साफ नजर आ रहे थे. दाएं हाथ की अंगुली में तो करंट लगाने से छेद हो गया था.
मामला हत्या का था, इसलिए कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा ने घटना की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. घर के अन्य लोग गायब थे, इसलिए पुलिस को संदेह हो रहा था कि कहीं इस हत्या में घर वालों का ही हाथ तो नहीं है. क्योंकि ऐसा कहीं से नहीं लग रहा था कि मृतका के घर में अकेली होने पर बाहर के लोगों ने आ कर उस की हत्या की हो. क्योंकि वहां न तो लूटपाट का कोई निशान था, न दुष्कर्म का. पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर कुंवरपाल के मकान को सील कर दिया. यह 26 जुलाई, 2014 की घटना थी.
उसी दिन शाम 5 बजे के आसपास फिरोजाबाद के ही लोहियानगर का रहने वाला अभिनय राणा जिलाधिकारी विजय करन आनंद के आवास पर अपने कुछ साथियों के साथ पहुंचा. जिलाधिकारी से मिल कर उस ने बताया कि सुदामानगर में जिस लड़की की हत्या हुई है, वह उस की पत्नी सपना थी. उस की हत्या उस के पिता कुंवरपाल यादव ने पत्नी उर्मिला यादव तथा 2 सालों नंदकिशोर और राधाकिशन के साथ मिल कर की थी.
अभिनय राणा ने सपना को पत्नी बताया ही नहीं था, बल्कि पत्नी होने के तमाम सुबूत भी जिलाधिकारी को दिए थे. सुबूत देख कर जिलाधिकारी को समझते देर नहीं लगी कि यह औनर किलिंग का मामला है. उन्होंने तुरंत अभिनय राणा की तहरीर पर कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा को सपना की हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश कर दिया था.
अभिनय राणा जिलाधिकारी आवास से सीधे उत्तर कोतवाली पहुंचा और जिलाधिकारी के आदेश वाली तहरीर तथा सारे सुबूत कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा के सामने रख दिए तो उस तहरीर और सुबूतों के आधार पर उन्होंने अभिनय राणा की पत्नी सपना की हत्या का मुकदमा उस के पिता कुंवरपाल सिंह यादव, मां उर्मिला यादव तथा दोनों मामाओं, नंदकिशोर और राधाकिशन के नाम दर्ज करा कर मामले की जांच की जिम्मेदारी खुद संभाल ली.
नामजद मुकदमा दर्ज होते ही अभियुक्तों की तलाश में कोतवाली प्रभारी शशिकांत शर्मा ने अपनी टीम के साथ लगभग दर्जन भर जगहों पर छापे मारे, लेकिन एक भी अभियुक्त उन के हाथ नहीं लगा. वह मुखबिरों के साथसाथ सर्विलांस की भी मदद ले रहे थे. लेकिन सभी अभियुक्तों के मोबाइल बंद थे, इसलिए उन्हें सर्विलांस का कोई फायदा नहीं मिल रहा था.
घटना से पूरे 15 दिनों बाद रक्षाबंधन के अगले दिन यानी 11 अगस्त को किसी मुखबिर से शशिकांत शर्मा को कुंवरपाल के बारे में पता चल गया कि वह कहां छिपा है. फिर क्या था, शशिकांत शर्मा ने अपने सहयोगियों एसएसआई के.पी. सिंह, एसआई अर्जुनलाल वर्मा, सिपाही धर्मेंद्र सिंह, उमेशचंद और श्यामसुंदर के साथ रात 2 बजे छापा मार कर कुंवरपाल सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया.
कुंवरपाल राजनीतिक पहुंच वाला आदमी था. उस ने अपनी इस पहुंच के बल पर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश भी की, लेकिन उस की एक नहीं चली. उस ने जिसे भी फोन किया, उस ने उस समय किसी भी तरह की मदद करने से मना कर दिया. इस तरह उस की गिरफ्तारी के बाद उस की जानपहचान का कोई भी नेता उस के काम नहीं आया.
थाने ला कर कुंवरपाल से पूछताछ शुरू हुई. जाहिर सी बात है, कोई भी जल्दी से यह नहीं स्वीकार करता कि उस ने अपराध किया है. कुंवरपाल भी झूठ बोलता रहा. लेकिन पुलिस के पास उस के हत्यारे होने के तमाम सुबूत थे. इसलिए उन्हीं सुबूतों के बल पर पुलिस ने उस से स्वीकार करा लिया कि सपना की हत्या उसी ने की थी.
इस के बाद कुंवरपाल ने सपना की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कंपा देने वाली थी. उस के द्वारा सुनाई गई कहानी और अभिनय राणा द्वारा सुनाई गई कहानी को मिला कर सपना की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.
उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद की नवनिर्मित कालोनी सुदामानगर के रहने वाले कुंवरपाल सिंह यादव की बड़ी बेटी सपना के जवानी में कदम रखते ही वह नौजवानों का सपना बन गई थी. उस की उम्र का वह हर नौजवान उस का सपना देखने लगा था, जिस ने उसे एक बार देख लिया था.
लेकिन हर किसी का सपना कहां पूरा होता है. पूरा होता भी कैसे, सपना अकेली थी, जबकि उस का सपना देखने वाले तमाम नौजवान थे. जवान और खूबसूरत सपना यादव जल्दी ही सहपाठियों की ही नहीं, कालेज के तमाम नौजवानों के दिल की धड़कन बन चुकी थी.
यही नहीं, कालोनी और जिस रास्ते से वह आतीजाती थी, उस रास्ते के भी तमाम नौजवान उसे हसरतभरी नजरों से ताकते थे. उसे देखने वाला हर नौजवान उस की नजदीकी के लिए बेताब रहने लगा था. सपना का सपना देखने वाले भले ही तमाम लोग थे, लेकिन उन में से कोई भी सपना का सपना नहीं था. उस का सपना तो कोई और ही था.