औरतों के साथ घिनौनी वारदात जारी

इस वारदात को अंजाम देने में गांव के वार्ड सदस्य और सरपंच भी शामिल थे. मां बेटी ने स्थानीय थाने में मामला दर्ज कराया जहां वार्ड पार्षद मोहम्मद खुर्शीद, सरपंच मोहम्मद अंसारी, मोहम्मद शकील, मोहम्मद इश्तेखार, मोहम्मद शमशुल हक, मोहम्मद कलीम के साथसाथ दशरथ ठाकुर को मुलजिम बनाया गया.

वैसे, पुलिस सुपरिंटैंडैंट मानवजीत सिंह ढिल्लों के मुताबिक मोहम्मद शकील और दशरथ ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया था.

महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने उस इलाके का दौरा किया और वे पीडि़ता से मिल कर उस की हरमुमकिन मदद करने और इंसाफ दिलाने की कोशिश कर रही हैं. केंद्रीय महिला आयोग को भी इस मामले की जानकारी दी गई है.

डीएम राजीव रोशन ने इस वारदात की निंदा करते हुए कहा है कि यह घिनौना अपराध है. कुसूरवारों को बख्शा नहीं जाएगा. हर हाल में कड़ी कार्यवाही होगी.

पत्थरदिल होते लोग

इस तरह की वारदातें जब कहीं होती हैं तो अच्छेखासे जागरूक लोग भी चुप्पी साध लेते हैं. अगर लोकल लोग इस का विरोध करते तो शायद इस तरह की वारदात नहीं घटती. अगर दबंगों का मनोबल इसी तरह बढ़ता गया तो वह दिन दूर नहीं जब निहायत कमजोर लोगों की जिंदगी हमआप जैसों की चुप्पी की वजह से दूभर हो जाएगी.

आज हमारे समाज में इतनी गिरावट आती जा रही है कि किसी औरत को नंगा कर के घुमाना, उस के साथ छेड़छाड़ करना और रेप तक करते हुए उस का वीडियो वायरल करना आम बात हो गई है.

समाज को धार्मिक और संस्कारी बनाने का ठेका लेने वाले साधुसंन्यासी और मौलाना इन वारदातों पर चुप्पी साधे रहते हैं. अभी हाल के दिनों में वैशाली, आरा, रोहतास, जहानाबाद, कैमूर, मधुबनी, गया और नालंदा में औरतों को नंगा कर के सरेआम सड़कोंगलियों में घुमाए, पीटे और सताए जाने की कई वारदातें हो चुकी हैं और यह सिलसिला जारी है.

अगर हम हाल के कुछ सालों की वारदातें देखें तो वर्तमान समाज की नंगी तसवीरें हमारे सामने दिखाई पड़ती हैं:

* 20 अगस्त, 2018. बिहार के आरा जिले के बिहियां इलाके में एक नौजवान की हत्या में शामिल होने के शक में उग्र भीड़ ने एक औरत को नंगा कर के उसे पीटते हुए सरेआम पूरे बाजार में घुमाया.

* 17 अगस्त, 2017. उत्तर प्रदेश के इटावा में दबंगों ने औरतों को पीटते हुए नंगा किया.

* 9 अगस्त, 2017. महाराष्ट्र में एक औरत को नंगा कर के घुमाया गया. उस औरत की गलती यह थी कि उस ने एक प्रेमी जोड़े को आपस में मिलाने का काम किया था.

* 22 अप्रैल, 2017. एक पिता ने प्रेम करने के एवज में अपनी ही बेटी को नंगा कर के घुमाया.

* 1 मई, 2014. बैतूल के चुनाहजुरि गांव में एक औरत के बाल मूंड़ कर उसे नंगा कर के पीटते हुए पूरे गांव में घुमाया. उस औरत का गुनाह यह था कि उस की छोटी बहन ने दूसरी जाति के लड़के के साथ शादी कर ली थी.

* 19 दिसंबर, 2010. पश्चिम बंगाल में एक औरत को पंचायत के फैसले के मुताबिक उस की पिटाई करते हुए नंगा कर के घुमाया गया. उस औरत पर आरोप था कि उस का किसी के साथ नाजायज रिश्ता था.

* खड़गपुर के पास मथकथ गांव में एक औरत को नाजायज रिश्ता बनाने के आरोप में उस की नंगा कर के पिटाई की गई.

इन वारदातों में ज्यादातर नौजवान शामिल रहते हैं जो औरतों के साथ बदतमीजी करने से ले कर उन के बेहूदा वीडियो बनाने तक में शामिल होते हैं. हमारे समाज के इन नौजवानों को क्या हो गया है जो ये अपने गुरु और अपने मातापिता की इज्जत तक का थोड़ा सा भी खयाल नहीं रखते हैं? मातापिता भी इस में बराबर के कुसूरवार हैं जो लड़कियों को तो बातबात पर तमीज सिखाते रहते हैं, लेकिन लड़कों को नहीं.

क्या यह सब बढ़ती धार्मिक  पाखंडीबाजी का नतीजा नहीं है जिस के मुताबिक औरतों को पैर की जूती माना गया है? राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2012 से 2015 तक औरतों के विरुद्ध अपराधों की तादाद में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश 4,391, महाराष्ट्र 4,144, राजस्थान 3,644, उत्तर प्रदेश 3,025, ओडिशा 2,251, दिल्ली 2,199, असम 1,733, छत्तीसगढ़ 1,560, केरल 1,256, पश्चिम बंगाल 1,129 के आंकड़े चौंकाते हैं. निश्चित रूप से यह एक सभ्य समाज की तसवीर तो नहीं हो सकती.

सवाल यह है कि धर्म, नैतिकता और शर्मिंदगी क्या सिर्फ लड़कियों के लिए है? जन्म से ले कर मरने तक किसी औरत के अपने मातापिता, पति और बेटे के अधीन ही जिंदगी बिताने की परंपरा आज भी सदियों से चली आ रही है.

यह ठीक है कि अब लड़कियों की जिंदगी में बदलाव आया है. आज वे भी हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं, लेकिन आज भी उन के साथ दोयम दर्जे का ही बरताव होता है. जब एक लड़की के साथ बलात्कार की वारदात होती है तो परिवार और समाज द्वारा इज्जत के नाम पर उस की चर्चा और मुकदमा तक नहीं किया जाता है, जिस की वजह से बलात्कारी का मनोबल बढ़ जाता है.

इस से दुनियाभर में हमारे देश की कैसी इमेज बन रही है, क्या हमारे नेताओं को इस पर चिंता करने की जरूरत महसूस नहीं होती है?

भारत विश्व गुरु बनने की बात करता है और ऐसा होना भी चाहिए, लेकिन क्या हम 8 साल की मासूम बच्ची के साथ रेप कर के विश्व गुरु बन जाएंगे या रेप के बाद विचारधारा और धर्म पर राजनीति कर के?

जिस देश में स्कूलों और कालेजों में टीचरों की घोर कमी हो, अस्पतालों के हालात देख कर ही लोग बीमार दिखने लगते हों, बेरोजगारों की एक लंबी भीड़ हो और क्वालिटी ऐजुकेशन के नाम पर खिचड़ी खिला कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता हो, क्या हम ऐसे माहौल में विश्व गुरु बनने के हकदार हैं?

जिस देश में वोट पाने के लिए नेता हेट स्पीच देने में वर्ल्ड रिकौर्ड बना चुके हों, जिस देश के नेता धर्म के नाम पर अपनी राजनीति चमकाते हों और जरूरत पड़ने पर धर्म के नाम पर नौजवानों की बलि चढ़ा देते हों, क्या ऐसी करतूतों से भारत की छवि विश्व जगत में खराब नहीं हुई है?

भारत में हो रही बलात्कार की वारदातें, चौकचौराहे पर गुस्साई भीड़ द्वारा लगातार की जा रही हत्याएं व सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा प्रैस कौंफ्रैंस कर के लोकतंत्र को बचाने की गुहार लगाना, क्या संचार क्रांति के इस दौर में हमारे देश के लिए इस सब पर सोचविचार करने का यह सही समय नहीं है? कई देशों ने अपने नागरिकों को अकेले भारत आने के बारे में चेतावनी देना शुरू कर दिया है.

भीड़ आखिर इतनी अराजक क्यों हो रही है? कानून को हाथ में लेने के लिए उसे कौन बोल या उकसा रहा है? शक के आधार पर या पंचायत के फैसले पर किसी औरत को नंगा कर के उस को पीटा जाना किसी लिहाज से जायज नहीं है, क्योंकि सरकार के तथाकथित समर्थकों को सोशल मीडिया पर मांबहन की गालियां देने का जो लाइसैंस दिया गया है वह अब सड़कों पर अपना असली रंग दिखाने लगा है.

यह सब इस देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है. ऐसी वारदातों में कभीकभार ऐसी औरतें भी निशाने पर ले ली जाती हैं, जिन का कोई कुसूर नहीं होता है. वे ऐसे लोगों के गुस्से की भेंट चढ़ जाती हैं, जो उन्हें जानते तक नहीं हैं.

औरत को देवी का रूप बताने और उस की पूजा का ढोंग करने वाले इस देश के लोगों का यही चरित्र है.

(कहानी सौजन्य मनोहर कहानी)

ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा – भाग 4

अजय प्रताप को तब तक पता नहीं था कि वह किस ट्रैप में फंस गए हैं, इसलिए उन्होंने किसी भी तरह इस मामले को निबटाने के लिए हाथपांव जोड़ने शुरू कर दिए. सुनीता ने कहा कि ठीक है वह इस मामले को अपने अधिकारियों के नोटिस में नहीं लाएगी, लेकिन उसे जल्द से जल्द 10 लाख रुपए का इंतजाम कर उन्हें देने होंगे.

सुनीता ने उन्हें बताया कि वह अपनी पत्नी को यह कह कर फोन करें कि उन्हें बदमाशों ने पकड़ लिया है और 10 लाख रुपए मांग रहे हैं क्योंकि उसे लड़की से मसाज की बात पता चल गई तो वह पैसा नहीं देगी, उलटे पत्नी की नजर में उन की इज्जत चली जाएगी.

सुनीता के दबाव में आ कर अजय ने उसी के नंबर से अपनी पत्नी सुषमा को फोन किया था. इस के बाद रात में कई बार अजय प्रताप की पिटाई की गई. इस के साथ ही वे लोग छोड़ने के लिए उन से मोलभाव करते रहे.

आरोपियों ने अजय प्रताप की पिटाई कर के उन का ऐसा वीडियो भी बना लिया था जिस में वह मसाज कराने के लिए लड़की की मांग कर रहे थे. बंधक बनाने वालों ने अजय को धमकी दी कि अगर उन्हें पैसे नहीं मिले तो वे यह वीडियो उस के परिवार वालों को भेज कर, फिर सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे.

लेकिन इस से पहले सुनीता और उस के साथी अजय प्रताप की पत्नी को अपने नंबर से फोन कर के एक बड़ी चूक कर गए थे. उन्हें शायद अजय की हैसियत तो पता चल गई थी लेकिन उन की पहुंच के बारे में पूरी तरह अंजान थे.

आइडिया सुनीता का था

दरअसल, सेक्टर-41 के जिस ओयो होटल में अजय प्रताप सिंह को अगवा कर रखा गया था, उस में 16 कमरे बने हुए हैं. होटल का संचालन सन 2017 से किया जा रहा था. राकेश उर्फ रिंकू फौजी ने यह होटल 1.60 लाख रुपए प्रतिमाह के किराए पर ले रखा था.

रिंकू की सुनीता के साथ जानपहचान थी, इसलिए उस का होटल में आनाजाना था. रिंकू का होटल वैसे तो ज्यादा नहीं चलता था, लेकिन सुनीता ने ही रिंकू को आइडिया दिया कि नोएडा में अय्याशी करने वाले लोग सुरक्षित जगह की तलाश में होटलों और गेस्टहाउसों का आसरा लेते हैं. इसलिए उस ने कुछ लोगों को अय्याशी के लिए होटल में कमरे देने शुरू किए.

इसी दौरान उसे आइडिया आया कि क्यों न जिस्मफरोशी का धंधा करने वाली लड़कियों को होटल में रख कर उन से मसाज कराने का काम शुरू कराया जाए. इस काम के लिए रिंकू ने दीपक, आदित्य और अनिल को भी अपने साथ जोड़ लिया.

अगाहपुर की रहने वाली सुनीता उर्फ बबली को इलाके में लोग भाजपा नेत्री के रूप में जानते थे. वह अकसर रिंकू के होटल में आतीजाती थी. उस का बड़ेबड़े लोगों में बैठनाउठना था. उस ने आइडिया दिया कि अगर मोटा पैसा कमाना है तो लड़कियों से मसाज कराने आने वाले लोगों को समाज में बदनाम करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल किया जा सकता है. फिर वे आसानी से मोटी रकम दे देंगे.

रिंकू ने मसाज करने के लिए जस्ट डायल पर अपने कुछ मोबाइल नंबर रजिस्टर करवा रखे थे. लोग गूगल पर सर्च कर के जब बात करते तो वे उसे अपने ओयो होटल में बुला लेते थे. उन्होंने मसाज और जिस्मफरोशी का धंधा करने वाली कुछ लड़कियों की फोटो अपने पास रखी हुई थीं, ग्राहक के मांगने पर वे मसाज बाला की फोटो वाट्सऐप पर सेंड कर देते थे.

खूबसूरत लड़कियों की फोटो देख कर ग्राहक उसी तरह उन के जाल में फंस जाते थे, जिस तरह अजय प्रताप सिंह उन के जाल में फंसे थे.

बिगबौस 10 कंटेस्टेंट मनवीर गुर्जर को बताया रिश्तेदार

सुनीता गुर्जर ने पुलिस की पकड़ में आने के बाद यह भी बताया कि वह बिग बौस के एक बहुचर्चित कंटेस्टेंट मनवीर गुर्जर की भाभी है. उस ने पुलिस को मनवीर गुर्जर के परिवार के साथ अपनी फोटो और बिग बौस के दसवें सीजन में सलमान खान के साथ ली गई फोटो दिखाई तो पुलिस भी चकरा गई.

लेकिन पुलिस की एक टीम ने जब अगाहपुर में मनवीर गुर्जर के घर जा कर इस बात की छानबीन की तो पता चला कि गांव और एक ही बिरादरी होने के कारण मनवीर गुर्जर सुनीता को भाभी कहता था. उस का मनवीर के परिवार में आनाजाना भी था लेकिन मनवीर गुर्जर के परिवार से उस की कोई रिश्तेदारी या दूर का नाता तक नहीं था.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपित दीपक और राकेश चचेरे भाई हैं. जबकि अनिल शर्मा उर्फ सौरभ तथा आदित्य उन के दोस्त हैं. उन्होंने सुनीता के बहकावे में आ कर शार्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में मसाज की आड़ में लोगों को हनीट्रैप में फंसा कर उन्हें ब्लैकमेल कराने का काम शुरू किया था. लोग बदनामी के डर से 2-4 लाख दे कर अपनी जान छुड़ा लेते थे.

जब वे शिकार को फंसा कर लाते तो सुनीता क्राइम ब्रांच की इंसपेक्टर बन कर पहुंच जाती थी और जेल जाने तथा बदनामी का ऐसा भय दिखाती थी कि शिकार कुछ न कुछ दे कर अपनी जान छुड़ाता था.

पुलिस ने उन के होटल से जो रजिस्टर व दस्तावेज बरामद किए, उस में 800 से ज्यादा लोगों के नामपते दर्ज हैं. आंशका है कि उन में से कुछ ऐसे जरूर रहे होंगे, जिन्हें मसाज के नाम पर जाल में फंसा कर ब्लैकमेल किया गया होगा. पुलिस उन सभी लोगों की छानबीन कर रही है. पुलिस का दावा है कि यह गिरोह नोएडा व एनसीआर में हनीट्रैप की कई वारदात कर चुका है.

आरोपियों के पास से अजय प्रताप की कार, घटना में प्रयुक्त मोबाइल समेत अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं. एक आरोपी बरौला निवासी अनिल कुमार शर्मा को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि कथा लिखे जाने तक सेक्टर-27 निवासी आदित्य कुमार फरार था.

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने आरोपियों को पकड़ने वाली टीम को 5 लाख नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है.

रारागिनी दूबे हत्याकांड : प्यार की शिकार बनीं रागिनी – भाग 3

जितेंद्र दूबे बेटियों को बेटे से कम नहीं आंकते थे. बेटियों की शिक्षादीक्षा पर भी वह खर्च करने में पीछे नहीं रहते थे. बेटियां भी पिता के विश्वास पर खरा उतरने की कोशिश करती थीं.

तीनों बेटियों में नेहा बीए में थी, रागिनी 11वीं उत्तीर्ण कर के 12वीं में आई थी और सिया 10वीं पास कर के 11वीं में आई थी. रागिनी, नेहा और सिया दोनों से बिलकुल अलग स्वभाव की थी.

रागिनी पढ़ाईलिखाई से ले कर घर के कामकाज तक मन लगा कर करती थी. वह शर्मीली और भावुक लड़की थी. जरा सी डांट पर उस की आंखों से गंगायमुना बहने लगती थी, इसलिए घर वाले उसे बड़े लाड़प्यार से रखते थे.

बात 2015 के करीब की है. उस समय रागिनी और सिया दोनों सलेमपुर के भारतीय संस्कार स्कूल में अलगअलग क्लास में पढ़ती थीं. रागिनी 10वीं में थी और सिया 9वीं में. दोनों बहनें रोजाना बजहां गांव से हो कर पैदल ही स्कूल आतीजाती थी. स्कूल जातेआते उन पर बजहां गांव के ग्रामप्रधान कृपाशंकर तिवारी के बेटे आदित्य उर्फ प्रिंस की नजर पड़ गई.

प्रिंस पहली ही नजर में रागिनी पर फिदा हो गया. रागिनी साधारण शक्लसूरत की थी लेकिन उस में गजब का आकर्षण था. रागिनी और सिया जब भी स्कूल जातीं, प्रिंस गांव के बाहर 2-3 दोस्तों के साथ उन के इंतजार में खड़ा मिलता. दोनों बहनें उन सब से किनारा कर के राह बदल कर निकल जाती थीं.

ऐसा नहीं था कि दोनों बहनें उन के इरादों से अनजान थीं, इसलिए वे उन से बचने की कोशिश करती थीं. रागिनी प्रिंस से जितनी दूर भागती थी, वह उतना ही उस के करीब आने की कोशिश करता था. वह रागिनी से एकतरफा मोहब्बत करने लगा था. प्रिंस को रागिनी को देखे बिना चैन नहीं मिलता था.

आदित्य तिवारी उर्फ प्रिंस उसी बजहां गांव का रहने वाला था, जहां से हो कर रागिनी और सिया स्कूल जाती थीं. उस के पिता कृपाशंकर तिवारी बजहां के ग्रामप्रधान थे. तिवारी की इलाके में तूती बोलती थी.

कृपाशंकर तिवारी का बेटा प्रिंस बाप के नक्शेकदम पर चल रहा था. पिता की तरह ही वह अभिमानी हो गया था. दूसरों को वह तुच्छ और कीड़ेमकोड़ों से ज्यादा कुछ नहीं समझता था. जब भी वह घर से निकलता तो अकेला नहीं होता था. उस के साथ 5-6 लड़कों की टोली रहती थी. उन में उस के चचेरे भाई नीरज तिवारी, सोनू तिवारी और दोस्त दीपू यादव खास थे.

ये तीनों उस के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते थे. दोस्तों पर वह पैसा पानी की तरह बहाता था. जब से रागिनी प्रिंस के दिल में उतरी थी, तब से उस का दिन का चैन रातों की नींद उड़ गई थी. वह रागिनी से तथाकथित एकतरफा मोहब्बत करने लगा था.

उसे पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था. जबकि रागिनी उस से प्यार करना तो दूर की बात, उस से घृणा करना भी अपनी तौहीन समझती थी.

प्रिंस रागिनी के प्यार में इस कदर पागल था कि उस ने खुद को कमरे में कैद कर लिया था. न तो वह यारदोस्तों से पहले की तरह मिलता था और न ही उन से बातें करता था. प्रिंस की हालत देख कर उस के दोस्त नीरज, सोनू और दीपू तीनों परेशान थे.

यार की जिंदगी की सलामती की खातिर तीनों ने फैसला किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, चाहे सूली पर ही क्यों न चढ़ना पड़े, दोस्त के प्यार को उस के कदमों में ला कर डाल देंगे.

एक दिन की बात है नीरज, सोनू और दीपू ने मिल कर रागिनी और सिया को स्कूल जाते वक्त रास्ते में रोक लिया. तीनों के अचानक रास्ता रोकने से दोनों बहनें बुरी तरह डर गईं. उस के बाद नीरज और सोनू ने प्रिंस के प्रेम करने वाली बातें बता कर रागिनी पर दबाव बनाया कि वह प्रिंस के प्यार को स्वीकार ले. लेकिन रागिनी ने उन तीनों को दुत्कार दिया.

रागिनी की बातें सीधे नीरज के दिल पर छुरी की तरह लगी थीं. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि रागिनी उसे ऐसा जवाब देगी. रागिनी की बातों से उसे धक्का लगा. चूंकि मामला भाई के प्यार से जुड़ा था, इसलिए वह रागिनी के अपमान को अमृत समझ कर पी गया.

उस समय तो नीरज और उस के दोस्तों ने रागिनी को कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन यह बात नीरज ने अपने तक ही सीमित नहीं रखी.

घर पहुंच कर उस ने यह बात प्रिंस को बता दी. भाई की बात सुन कर प्रिंस गुस्से से उबल पड़ा. उसे लगा कि रागिनी में इतनी हिम्मत कहां से आ गई जो उस ने उस के प्यार को ठुकरा दिया. वह उस के प्यार को ठुकरा सकती है तो वह भी उसे जीने नहीं देगा. अगर वह मेरी नहीं हो सकती तो मैं उसे किसी और की भी नहीं होने दूंगा.

नीरज और उस के दोस्तों ने प्रिंस के गुस्से को और हवा दे दी. रागिनी के प्यार में मर मिटने वाला जुनूनी आशिक प्रिंस रागिनी द्वारा प्रेम प्रस्ताव ठुकराए जाने पर एकदम फिल्मी खलनायक की तरह बन गया. उस दिन के बाद से रागिनी जब भी कहीं आतीजाती दिखती, प्रिंस चारों दोस्तों के साथ अश्लील शब्दों का प्रयोग कर के उसे छेड़ता रहता. वह अपने आवारा दोस्तों को ले कर उस के घर तक पहुंच जाता और घर वालों को धमकाता.

प्रिंस की आवारागर्दी और राह आतेजाते आए दिन छेड़छाड़ करने से रागिनी और उस के घर वाले परेशान हो गए थे. डर के मारे रागिनी ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था. वह स्कूल भी नहीं जा रही थी. प्रिंस का खौफ रागिनी के दिल में उतर गया था.

जब बात हद से आगे बढ़ गई तो रागिनी के पिता जितेंद्र दूबे ने बांसडीह थाने में प्रिंस और उस के दोस्तों के खिलाफ लिखित शिकायत दी. प्रधान कृपाशंकर की ऊंची पहुंच और दरोगा के हस्तक्षेप की वजह से मामला वहीं का वहीं रफादफा हो गया. इस के बाद प्रिंस और भी उग्र हो गया. उसे लग रहा था कि जितेंद्र दूबे की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि उस के खिलाफ थाने में शिकायत करने पहुंच गया.

बात अप्रैल, 2017 की है. प्रिंस अपने तीनों दोस्तों नीरज, सोनू और दीपू यादव को ले कर दोबारा जितेंद्र दूबे के घर गया और उन्हें धमकाया कि आज के बाद तुम्हारी बेटी रागिनी अगर पढ़ने स्कूल गई तो वह दिन उस की जिंदगी का आखिरी दिन होगा.

प्रिंस की धमकी से रागिनी के घर वाले डर गए. उन्होंने उस दिन से रागिनी को स्कूल भेजना बंद कर दिया. प्रिंस की धमकी से डर कर रागिनी कई महीनों तक स्कूल नहीं गई.

उस साल रागिनी का इंटरमीडिएट था. स्कूल में परीक्षा फार्म भरे जा रहे थे. परीक्षा फार्म भरने के लिए वह 8 अगस्त, 2017 को छोटी बहन सिया के साथ स्कूल जा रही थी. पता नहीं कैसे प्रिंस को उस के जाने की खबर मिल गई और उस ने दोस्तों के साथ मिल कर उसे मार डाला.

पुलिस ने रागिनी हत्याकांड के नामजद 5 आरोपियों में से 2 आरोपियों प्रिंस और दीपू यादव को गोरखपुर भागते समय गिरफ्तार कर लिया था. बाकी के 3 आरोपी प्रधान कृपाशंकर, नीरज तिवारी और सोनू फरार थे.

एसपी सुजाता सिंह ने फरार आरोपियों को गिरफ्तार करने के सख्त आदेश दे दिए थे. आरोपियों को गिरफ्तार कराने के लिए मृतका की बड़ी बहन नेहा दूबे ने सैकड़ों छात्रछात्राओं के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में धरनाप्रदर्शन किया. परिवार के सदस्यों को मिल रही धमकी के लिए नेहा ने पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.

कांग्रेस के नेता सागर सिंह राहुल ने भी लापरवाही बरतने के लिए पुलिस प्रशासन को कोसा. पूरे बलिया के सभ्य नागरिक जितेंद्र दूबे के साथ थे. रागिनी को न्याय दिलाने के लिए रोज धरनाप्रदर्शन किए जा रहे थे.

पुलिस पर फरार आरोपियों को बचाने के आरोप लगने लगे थे. जब चारों ओर से पुलिस की आलोचना होने लगी, तब कहीं जा कर पुलिस सक्रिय हुई और फरार आरोपियों प्रधान कृपाशंकर तिवारी, सोनू तिवारी और नीरज तिवारी के ऊपर शिकंजा कसा तो एकएक कर के तीनों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.

रागिनी दूबे हत्याकांड के पांचों आरोपियों कृपाशंकर तिवारी, प्रिंस तिवारी, नीरज तिवारी, सोनू तिवारी और दीपू यादव जेल पहुंच गए थे.

पुलिस ने इस मुकदमे में भादंसं की धाराओं 147, 148, 149, 302, 354ए व 7/8 पोक्सो एक्ट के अंतर्गत पांचों आरोपियों के खिलाफ 26 अक्तूबर, 2017 को न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल कर दिया. इस के बाद यह मुकदमा न्यायालय में सवा 2 साल तक चलता रहा.

बाहुबली ग्रामप्रधान कृपाशंकर तिवारी ने मुकदमे को खत्म करने के लिए वादी जितेंद्र दूबे को खूब धमकाया. घटना की एकमात्र चश्मदीद गवाह सिया को गवाही न देने के लिए गुंडे भेज कर रागिनी जैसा अंजाम भुगतने की धमकियां दी गईं, लेकिन ऐसी धमकी का न तो जितेंद्र दूबे पर असर हुआ और न ही सिया पर.

बाहुबली कृपाशंकर तिवारी को कानून के अंतर्गत मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जितेंद्र दूबे ने कमर कस ली थी. इस दौरान अभियोजन पक्ष के सरकारी वकील सुनील कुमार ने अदालत को घटना से संबंधित तमाम सबूत दिए, साथ ही 12 गवाहों की गवाहियां कराईं.

बचाव पक्ष के अधिवक्ता अशोक कुमार ने अपने मुवक्किलों को बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वे ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाए, जो उन्हें बचा पाता.

12 सितंबर, 2019 को दोनों अधिवक्ताओं की बहस पूरी हुई. न्यायाधीश चंद्रभानु सिंह ने दोनों अधिवक्ताओं की बहस सुनी और अपना फैसला सुरक्षित रखा.

9 दिनों बाद यानी 20 सितंबर, 2019 को उन्होंने अपना फैसला सुनाया, जिस में पांचों  अभियुक्त दोषी ठहराए गए. फैसला सुनाए जाने तक पांचों अभियुक्त जेल में ही बंद थे.

गवाहों के बयानों और सबूतों के आधार पर न्यायाधीश चंद्रभानु सिंह ने रागिनी दूबे की हत्या के मामले में सही न्याय कर दिया था.

जिगरी दोस्त ने कुछ इस तरह से रची ‘दृश्यम’ की कहानी – भाग 4

काली नदी के किनारे बंटी ने कार रोक दी. कार के रुकते ही जुल्फिकार, फिरोज, जावेद और वाहिद वहां आ गए. फिरोज ने कार का दरवाजा खोल कर इशरत की बेटी अर्शी को बाहर निकाला. अर्शी अपनी मां और बहन के साथ पिछली सीट पर बैठी थी. इशरत ने पूछा कि वे बेटी को कहां ले जा रहे हैं तो बदमाशों ने हथियार दिखा कर उसे चुप करा दिया.

इशरत बंटी के आगे गिड़गिड़ाने लगी कि बेटी को छुड़वा दे, लेकिन बंटी चुपचाप खड़ा रहा. कुछ दूर ले जा कर फिरोज ने अर्शी के सिर में गोली मार दी. गोली की आवाज सुन कर इशरत ने भागने की कोशिश की तो जुल्फिकार ने उस के सिर में गोली मार दी. इस के बाद उन्होंने आरजू की भी गोली मार कर हत्या कर दी.

नदी के किनारे बदमाशों ने 10 फुट गहरा गड्ढा पहले से ही खोद रखा था. तीनों के गहने उतार कर उन्हें उसी गड्ढे में दफना दिया गया. जहां पर तीनों लाशें दफनाई गई थीं, उस के ऊपर उन्होंने घास डाल दी थी. मांबेटियों को ठिकाने लगा कर सभी दिल्ली आ गए.

घर पर मौजूद मुनव्वर के दोनों बेटे आकिब और शाकिब अपनी अम्मी और बहनों के लौटने का इंतजार कर रहे थे. वह मां को बारबार फोन कर रहे थे, पर फोन नहीं लग रहा था. 23 अप्रैल को छोटा बेटा शाकिब मां के बारे में पता करने कमल विहार स्थित बंटी के औफिस पहुंचा.

वहां पर दीपक, फिरोज, जुल्फिकार आदि बैठे थे. उन्होंने शाकिब के मुंह में कपड़ा ठूंस कर उस के हाथपैर बांध कर औफिस में ही डाल दिया.

इस के बाद बंटी ने मुनव्वर के दूसरे बेटे आकिब को फोन कर के अपने औफिस बुला लिया. वह पहुंचा तो उस के भी मुंह में कपड़ा ठूंस कर उस के हाथपैर बांध कर शाकिब के पास डाल दिया. कई घंटे बंधे रहने के कारण दम घुटने से दोनों भाइयों की मौत हो गई. दोनों लाशों को ठिकाने लगाने के लिए बंटी ने अपने औफिस का फर्श खुदवा कर 3-4 फुट गहरा गड्ढा खोद कर दोनों भाइयों को भी दफना दिया.

लाशें जल्द गल जाएं, इस के लिए दोनों लाशों के ऊपर काफी मात्रा में नमक डाल दिया. बदबू न आए इस के लिए परफ्यूम भी डाला गया. इस के बाद दोनों लाशों के ऊपर आरसीसी लिंटर डलवा दिया.

चूंकि बंटी ही मुनव्वर के परिवार का नजदीकी और वफादार था, इसलिए वह इशरत और उस के बच्चों को खोजने का नाटक करता रहा. उन के रहस्यमय ढंग से गायब होने की खबर उस ने तिहाड़ जेल में बंद मुनव्वर को भी दे दी थी. बीवीबच्चों के गायब होने की खबर सुन कर मुनव्वर परेशान हो उठा. बंटी ही मुनव्वर को जेल से पैरोल पर बाहर निकलवाने की कोशिश में लग गया. पत्नी और बच्चों को ढूंढने के लिए कोर्ट ने 17 मई, 2017 को मुनव्वर की अंतरिम जमानत स्वीकार कर ली.

तिहाड़ जेल से पैरोल पर रिहा होने के बाद मुनव्वर अपने खासमखास दोस्त बंटी और दीपक के साथ घर पहुंचा. अगले दिन वह बंटी के साथ उसी औफिस में बैठ कर पत्नी और बच्चों को ढूंढने की योजना बनाता रहा, जहां उस के दोनों बेटे दफन थे. 18 मई को वह बंटी को ले कर बुराड़ी थाने पहुंचा. बंटी उस के साथ इस तरह से लगा था कि जैसे उस से ज्यादा उस का हमदर्द कोई और नहीं है.

19 मई को भी वह मुनव्वर के साथ इधरउधर घूमता रहा. पेशेवर बदमाश बुराड़ी में ही ठहरे थे. बंटी ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि काम को कब अंजाम देना है. योजना के अनुसार, 20 मई, 2017 को बंटी मुनव्वर के घर सुबह ही पहुंच गया. थोड़ी देर बाद फिरोज, जुल्फिकार और जावेद भी पहुंच गए.

इन के लिए गेट मुनव्वर ने ही खोला था, क्योंकि वह पहले से इन सब को जानता था. मौका मिलते ही उन्होंने उस की गोली मार कर हत्या कर दी. वह जीवित न बच जाए, इस के लिए उसे 3 गोलियां मारी गई थीं. अपना काम कर के सभी चले गए. मुनव्वर और उस के बीवीबच्चों का नामोनिशान मिटा कर बंटी उस की प्रौपर्टी के कागजात अपने नाम कराने की कोशिश में जुट गया.

बंटी ने जानबूझ कर शाम के समय मुनव्वर के मोबाइल पर कई बार काल की थीं. शाम को वह उस के घर पहुंचा और उस की हत्या का शोर मचा दिया. बंटी ने योजना तो ऐसी फूलप्रूफ बनाई थी कि किसी को भी उस पर शक न हो, पर अपराध कभी किसी का छिपा है जो उस का छिपता. आखिर वह पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया.

बंटी और दीपक से पूछताछ के बाद पुलिस ने 22 मई को ही कमल विहार स्थित बंटी के औफिस के फर्श की खुदाई शुरू करा दी. चूंकि उस ने फर्श पर लिंटर डलवा दिया था, इसलिए उस लिंटर को तोड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. करीब 4 घंटे की खुदाई के बाद पुलिस ने आकिब और शाकिब की गली हुई लाशें गड्ढे से निकालीं.

मोहल्ले वालों को पता चला कि मुनव्वर के जिगरी दोस्त बंटी ने ही उस के पूरे परिवार को मार दिया है तो लोगों में आक्रोश भर गया. सैकड़ों की संख्या में लोग वहां जमा हो गए. इस से पहले कि लोग गुस्से में कोई कदम उठाते, डीसीपी ने जिले के अन्य थानों की पुलिस बुला ली. जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोनों भाइयों की लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं.

अब पुलिस को इशरत और उस की दोनों बेटियों की लाशें बरामद करनी थीं, जो अख्तियारपुर में काली नदी के किनारे दफन थीं. थाना दौराला पुलिस को सूचित करने के बाद दिल्ली पुलिस 23 मई, 2017 को सुबह 10 बजे काली नदी के किनारे पहुंची. उस समय फोरैंसिक टीम और सरधना तहसील के नायब तहसीलदार, दौराला के सीओ भी वहां मौजूद थे.

करीब 3 घंटे की खुदाई के बाद पुलिस ने 10 फुट गहरे गड्ढे से इशरत और उस की दोनों बेटियों आरजू एवं अर्शिता उर्फ अर्शी की लाशें बरामद कीं. खुदाई के दौरान आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग वहां जमा हो गए थे. तीनों लाशें देख कर वे आक्रोशित हो गए. बंटी और दीपक पुलिस कस्टडी में थे. गांव वाले नारेबाजी करते हुए मांग करने लगे कि क्रूर हत्यारों को पब्लिक के हवाले किया जाए. पब्लिक उन्हें खुद सजा देगी.

पुलिस अधिकारियों ने बड़ी मुश्किल से गांव वालों को समझाबुझा कर शांत किया. पुलिस ने इन तीनों लाशों को भी पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया तो आरजू की खोपड़ी में गोली फंसी हुई मिली. जबकि अर्शिता के सीने पर गोली चलाई गई थी, जो आरपार निकल गई थी. इशरत के सिर में गोली मारी गई थी.

सभी लाशें बरामद होने के बाद पुलिस ने हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दौराला थाने के समौली गांव में छापा मार कर फिरोज और जुल्फिकार को हिरासत में ले लिया. इस के बाद जावेद भी गिरफ्तार हो गया पर उस का भाई वाहिद दीवार फांद कर भाग गया. लेकिन 28 मई को उस ने थाना बुराड़ी में आत्मसमर्पण कर दिया. कथा लिखे जाने तक एक अभियुक्त जसवंत गिरफ्तार नहीं हो सका था. पूछताछ के बाद सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया.

बंटी ने अपने खास दोस्त मुनव्वर की करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उस के पूरे परिवार को दफन कर दिया. ऐसा कर के उस ने ‘दोस्ती’ नाम के शब्द को कलंकित किया है. अब उसे वह प्रौपर्टी मिलेगी या नहीं, यह तो समय बताएगा. पर उसे अपने अपराध की सजा जरूर मिलेगी.

एक ही परिवार के 6 लोगों की हत्या के इस केस की जांच के लिए डीसीपी जतिन नरवाल ने एक विशेष जांच टीम गठित कर दी है, जिस में एसीपी सिविल लाइंस इंद्रावती, प्रशिक्षु आईपीएस विक्रम सिंह, थाना बाड़ा हिंदूराव के इंसपेक्टर रविकांत, थाना बुराड़ी के अतिरिक्त थानाप्रभारी नरेश कुमार, इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) नरेंद्र कुमार, स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर वी.एन. झा, थाना मौरिस नगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी वेदप्रकाश, थाना रूपनगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी पी.सी. यादव, चौकीइंचार्ज अमित कुमार, मजनूं का टीला के चौकीप्रभारी भारत, चर्च मिशन के चौकीप्रभारी पंकज तोमर को शामिल किया गया था. यह संयुक्त टीम गंभीरता से पूरे केस की जांच में जुट चुकी है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा – भाग 3

इस पर पुलिस की तीनों टीमों ने 27 सितंबर की रात को सेक्टर 41 के आई ब्लौक में प्लौट नंबर 64 पर बने ओयो होटल को चारों तरफ से घेर कर छापा मारा. एकएक कमरे की तलाशी ली गई तो पुलिस कमरा नंबर 203 में बंधक बना कर रखे गए अजय प्रताप तक पहुंच गई.

उन के कमरे में 3 लोग मिले, जिन में से एक राकेश कुमार उर्फ रिंकू फौजी निवासी गांव चेहडका, जिला भिवाड़ी, राजस्थान था. दूसरा युवक दीपक पुत्र राजेश कुमार भी इसी गांव का रहने वाला था, जबकि इसी कमरे में एक महिला सुनीता गुर्जर उर्फ बबली मिली जो आगाहपुर गांव में सेक्टर 41 की ही रहने वाली थी.

पुलिस ने अचानक उस कमरे में धड़ाधड़ प्रवेश किया और अजय प्रताप को अपने कब्जे में ले लिया. साथ ही कमरे में मौजूद तीनों लोगों को हिरासत में लिया तो सुनीता गुर्जर उर्फ बबली भड़क उठी. उस ने पुलिस को हड़काना शुरू कर दिया, ‘‘औफिसर, इस बदतमीजी की वजह जान सकती हूं?’’

‘‘मैडम, बदतमीजी की वजह आप को पता होगी, फिर भी हम थाने चल कर इस की असली वजह बताएंगे.’’ रणविजय सिंह ने जवाब दिया.

जब पुलिस ने उन्हें बताया कि उन्हें अजय प्रताप का अपहरण कर फिरौती मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा है तो सुनीता गुर्जर फिर भड़क उठी. उस ने अधिकारियों को धमकाते हुए बताया कि वह बीजेपी की नेता और सोशल वर्कर है. उन की इस गलती की सजा अभी दिलवाएगी.

इस के बाद उस ने कुछ लोगों को फोन किया और फोन करने के बाद धमकी दी कि अभी देखो, थोड़ी देर में तुम को तुम्हारे बाप लोग फोन करेंगे तो देखना तुम कैसे छोड़ोगे.

एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने अपनी पुलिस की नौकरी में ऐसे बहुत से छुटभैए नेता देखे थे जो किसी अपराध में पकडे़ जाने पर पुलिस को ऐसी गीदड़भभकियां देते हैं. उन्हें इस बात का भी इल्म था कि कई बार पुलिस ऐसी धमकियों के प्रभाव में आ कर ऐसे लोगों को छोड़ देती है. लेकिन यह मामला जिस तरह का था, उसे देखने के बाद रणविजय सिंह किसी धमकी में नहीं आए और सभी को हिरासत में ले कर पुलिस थाना सेक्टर 49 लौट आए.

पुलिस टीम अपहृत अजय प्रताप सिंह की होंडा सिटी कार के साथ होटल के रजिस्टर तथा होटल के सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी साथ ले आए.

कैसे फंसे अजय

जब पुलिस ने थाने आ कर थोड़ी सी सख्ती बरती और आरोपियों को सुषमा वर्मा से की गई बातचीत की काल रिकार्डिंग तथा उन के फोन की काल डिटेल्स दिखा कर पुख्ता सबूत सामने रखे तो आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और खुलासा किया कि उन्होंने अपने 2 फरार साथियों के साथ मिल कर अजय प्रताप को हनीट्रैप में फंसाया था और उन से मोटी फिरौती वसूलने की योजना थी.

अजय प्रताप ने बताया कि उन्होंने गूगल पर मसाज कराने वाले किसी पार्लर का नंबर सर्च किया था, जिस के बाद उन्हें जस्ट डायल पर नोएडा में मसाज कराने वाला एक नंबर हासिल हुआ. उन्होंने उस नंबर पर फोन किया था.

26 सितंबर को शाम 4 बजे अजय ने जब मसाज सेवा देने वाले उस पार्लर के नंबर पर बात की तो दूसरी तरफ से बात करने वाले ने बताया कि उन के पास एक से एक खूबसूरत लड़कियां है जो सिर्फ मसाज ही नहीं करती बल्कि जिस्म की भूख भी मिटाती हैं.

फोन करने वाले ने इतना प्रलोभन दिया कि अजय प्रताप का मन मचलने लगा. उन्होंने उसी वक्त मसाज कराने का इरादा कर लिया, जब फोन करने वाले ने उन्हें वाट्सऐप पर उन लड़कियों की फोटो भेजीं, जिन में से किसी से भी वे मसाज करा सकते थे.

बस उन्हीं लडकियों की खूबसूरत और मादक तसवीरें देख कर अजय प्रताप घर का सामान लाने के बहाने कार ले घर से निकल पडे़. लेकिन घर से निकल कर जब उन्होंने मसाज वाले नंबर पर फोन कर के पूछा कि कहां आना है तो उन्हें लौजिक्स सिटी सेंटर बुलाया गया. वहां उन्हें दीपक नाम का शख्स मिला जो उन्हें सेक्टर 41 के आई ब्लाक में ओयो होटल पर ले आया.

शाम को 6 बजे जब वे होटल पहुंचे तो वहां उन की गाड़ी पार्किंग में खड़ी करवा कर इसी होटल के रूम नंबर 203 में ले जाया गया, जहां पहले से ही राकेश फौजी उर्फ रिंकू और बरौला नोएडा के 48बी में रहने वाला अनिल शर्मा और सेक्टर 27 के मकान नंबर 618 में रहने वाला आदित्य मौजूद थे.

वहां पहुंचने के कुछ देर तक तो अजय प्रताप उन चारों से बात करते रहे. जब काफी वक्त गुजर गया और मसाज करने वाली लड़कियां नहीं आईं तो उन्होंने उन लड़कियों को बुलाने को कहा, जिन के फोटो उन्हें भेजे गए थे. उस के बाद अचानक उन चारों का गिरगिट की तरह रंग बदल गया.

उन लोगों ने अजय प्रताप को कुरसी से बांध दिया और धमकी देने लगे कि परिवार के होते हुए वह लड़कियों से मसाज के नाम पर अय्याशी करता है तो अजय प्रताप के होश उड़ गए. क्योंकि उन्हें सपने में गुमान नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है.

होटल के कमरे में मौजूद चारों लोगों ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया कि वे थाने में फोन कर के पुलिस को बुलाएंगे और उसे पुलिस के हवाले कर देंगे.

उन्होंने अजय प्रताप की काल रिकौर्डिंग सुनवाई तो वे और ज्यादा डर गए. अपने ओहदे की संवेदनशीलता और पारिवारिक बदनामी के कारण वह उन के आगे हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगे.

उसी वक्त उन में से किसी एक के फोन करने पर एक महिला ने आई, जिसे देख कर वे सभी मैम… मैम कह कर बात करने लगे. उस महिला के बारे में चारों ने बताया कि वह नोएडा क्राइम ब्रांच की इंसपेक्टर हैं और उसे पकड़ने के लिए आई हैं.

सुनीता ने खुद को इंसपेक्टर बता कर अजय प्रताप को धमकाना शुरू कर दिया और उन्हें आतंकित करने लगी कि जब वह गिरफ्तार हो कर अय्याशी के जुर्म में जेल जाएगा तो उस की ऐसी बदनामी होगी कि न उस का परिवार रहेगा, न ही नौकरी.

हाईप्रोफाइल हसीनाओं का रंगीन खेल – भाग 2

उमेश निराला कालेज में इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. उमेश और अनीता की मुलाकातें धीरेधीरे बढ़ती गईं और दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. प्यार परवान चढ़ा तो उनके बीच की सारी दूरियां खत्म हो गईं.

उमेश और अनीता का अवैध रिश्ता आम हुआ तो अनीता के पिता को बड़ा दुख हुआ. उन्होंने बेटी को समझाया, घरपरिवार की इज्जत का वास्ता दिया, लेकिन अनीता की समझ में नहीं आया. वह तो आसमान में उड़ने लगी थी. उस ने उमेश के अलावा और भी कई बौयफ्रैंड बना लिए थे, जिन के साथ वह घूमतीफिरती और मौजमस्ती करती थी. अनीता की बदचलनी का असर उस की दोनों छोटी बहनों पर भी पड़ने लगा. वे भी उसी की राह पर चल पड़ी थीं.

अनीता के कदम बहके तो पिता को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उन्होंने उस के हाथ पीले करने को स्वयं तो दौड़धूप शुरू की ही, नातेरिश्तेदारों से भी कह दिया कि वह अनीता के लिए कोई लड़का बताएं. एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था राघवेंद्र कुमार शुक्ला.

राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला उन्नाव जिले के अचलगंज कस्बे के रहने वाले थे. उन के 3 बच्चों में राघवेंद्र सब से बड़ा था. वह पढ़ालिखा तो था किंतु बेरोजगार था. उस का मन खेती में नहीं लगता था और उसे नौकरी भी नहीं मिल रही थी. सो वह आवारा घूमता था. अनीता के पिता ने राघवेंद्र को देखा तो यह सोच कर उसे पसंद कर लिया कि पढ़ालिखा है. शरीर से भी स्वस्थ है, नौकरी आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी.

देवनारायण ने राघवेंद्र के पिता अजय कुमार शुक्ला से उस के ब्याह की बात चलाई तो वह राजी हो गए. इस के बाद सन 2010 में अनीता की शादी राघवेंद्र के साथ हो गई.शादी के बाद अनीता ससुराल आई तो सभी ने उस के रूप की तारीफ की. राघवेंद्र भी सुंदर पत्नी पा कर इतरा उठा. सब खुश थे पर अनीता खुश नहीं थी. उसे एक तो बेरोजगार पति मिला था, दूसरे उस की स्वच्छंदता पर प्रतिबंध लग गया था. इसलिए वह परेशान रहती थी. घर से बाहर आनेजाने को ले कर उस की तूतूमैंमैं पति से भी होती थी और सासससुर से भी.

अनीता ने जैसेतैसे 3 साल ससुराल में बिताए. इस बीच वह एक बेटे की मां भी बनी. उस के बाद अनीता को ले कर घर में कलह होने लगी. दरअसल, अनीता ने शादी के पहले के अपने प्रेमियों के साथ घूमनाफिरना शुरू कर दिया था. उन के साथ वह बहाने से उन्नाव तो कभी बदरका घूमने निकल जाती थी. राघवेंद्र तथा उस के परिवार से यह बात अधिक दिनों तक छिपी नहीं रही.

वह समझ गए कि अनीता बदचलन है. राघवेंद्र ने पत्नी पर अंकुश लगाना चाहा तो वह पति को ही आंखें दिखाने लगी, ‘‘ज्यादा टोकाटाकी की तो थाने जा कर घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दूंगी. सभी जेल में दिखाई दोगे. इज्जत नीलाम होगी अलग से.’’धमकी से डर कर राघवेंद्र ने अनीता को उस की मरजी और हाल पर छोड़ दिया. अनीता ने पति को तो दबाव में ले लिया पर ससुराल वालों को नहीं दबा सकी. वह घर में ऐसी औरत को भला कैसे बरदाश्त करते जो बदचलन हो.

लिहाजा सब मिल कर उसे घर से निकालने पर तुल गए.अनीता जानती थी कि अकेली औरत कटी पतंग की तरह होती है. नाम के लिए ही सही, लेकिन पुरुष साथ हो तो वह अनेक मुसीबतों से सुरक्षित रहती है. अपनी इसी सोच के तहत अनीता घर से तो निकली पर पति को भी साथ ले गई. अनीता पति के साथ कानपुर आ गई और किदवईनगर में किराए का कमरा ले कर रहने लगी. वहां राघवेंद्र दादानगर स्थित एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा. अनीता ने भी नौकरी ढूंढ ली और काम पर जाने लगी.

छोटीछोटी उन नौकरियों में वेतन भी मामूली था और मेहनत अधिक थी. अत: आमदनी बढ़ाने के लिए अनीता ने किसी दूसरे काम की तलाश शुरू कर दी. इसी तलाश में अनीता एक कालगर्ल रैकेट की सरगना से जा टकराई. सरगना ने जौब दिलाने का झांसा दे कर अनीता को अपने जाल में फंसाया और फिर देहव्यापार के धंधे में उतार दिया. अनीता खूबसूरत और जवान थी. उस की डिमांड अधिक होती थी, अत: वह खूब पैसे कमाने लगी.राघवेंद्र प्राइवेट नौकरी करता रहा और अनीता देहव्यापार के गंदे तालाब की मछली बनी रही. हालांकि राघवेंद्र को पत्नी का धंधा कतई पसंद नहीं था, मगर वह उसे रोक नहीं पाता था. जब भी अनीता से कुछ कहता तो वह उसे डराधमका कर चुप रहने को विवश कर देती थी. तब राघवेंद्र खून का घूंट पी कर रह जाता.

अनीता ने जब जिस्मफरोशी के धंधे के सभी गुर सीख लिए तो उस ने अपना अलग रैकेट बना लिया. उस के रैकेट में पेशेवर कालगर्ल्स थीं. इस के अलावा वह अपने स्तर से नई कालगर्ल भी तैयार करती थी. इस के लिए अनीता गरीब मजबूर व सुंदर लड़कियों को टारगेट करती. वह उन्हें रुपयों या फिर नौकरी दिलाने का लालच दे कर अपने जाल में फंसाती फिर देहव्यापार में उतार देती. शर्मनाक बात तो यह रही कि अनीता ने अपनी जवान व खूबसूरत सगी बहनों को भी देह के धंधे में उतार दिया. उन के पति ही उन की दलाली करने लगे.

अनीता घर में ही देहव्यापार करती थी. वह ग्राहक से फुल नाइट के 5 से 10 हजार रुपए लेती थी. जो ग्राहक कालगर्ल को बाहर ले जाना चाहते थे, उन्हें अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता था. कालगर्ल का सारा खर्चा कस्टमर को ही देना पड़ता था.पुलिस के भय से अनीता किसी एक मकान में लंबे अरसे तक नहीं रहती थी. स्थानीय पुलिसकर्मियों से वह सांठगांठ बनाए रखती थी. 2019 के जनवरी महीने में अनीता ने चकेरी थाने के श्यामनगर क्षेत्र के रामपुरम में एक मकान 15 हजार रुपए महीने के किराए पर लिया. यह मकान अजय सिंह का था.

इसी किराए के मकान में अनीता अपना हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट का संचालन करने लगी थी. उस ने अपना दायरा भी बढ़ा लिया था. वह शहर के बाहर भी कालगर्ल्स भेजने लगी थी. अनीता ने शहर के बाहर कालगर्ल भेजने का 25 हजार रुपया तय कर रखा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक के जरिए भी ग्राहकों को युवतियों की फोटो भेज कर सौदा तय करती थी और ग्राहकों की डिमांड पर दूसरे शहरों से भी कालगर्ल्स बुलाती थी.बड़े शहरों के जिस्मफरोशी के दलाल उस के संपर्क में थे. अनीता का पति राघवेंद्र भी अब पत्नी के अनैतिक धंधे में शामिल हो गया था. पैसों का लेनदेन वही करने लगा था.

रामपुरम में अनीता का धंधा खूब फलफूल रहा था कि पड़ोसियों की नजर उस के धंधे पर पड़ गई. उन्होंने इस की जानकारी आईजी मोहित अग्रवाल को दी और उस के सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ हो गया.
पुलिस छापे में पकड़ी गई अंकिता, अनीता की सगी बहन थी. वह अपने पति आशुतोष झा के साथ नौबस्ता थाना क्षेत्र के पशुपतिनगर में रहती थी. वहीं पर एक मंदिर में दोनों की मुलाकात हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई. तब अंकिता ने आशुतोष के साथ प्रेम विवाह किया था. आशुतोष मधुबनी, बिहार का रहने वाला था.आशुतोष से शादी करने के बाद अंकिता पशुपतिनगर में रहने लगी. आशुतोष प्राइवेट नौकरी करता था. इस नौकरी से वह न तो अपनी जरूरतें पूरी कर पाता था और न ही अंकिता की ख्वाहिशें. 2-3 सालों में ही प्यार का नशा उतर गया था और वे दोनों आर्थिक परेशानी से जूझने लगे थे. अंकिता सदैव चिंताग्रस्त रहने लगी थी.

जिगरी दोस्त ने कुछ इस तरह से रची ‘दृश्यम’ की कहानी – भाग 3

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में साहिब खान उर्फ बंटी से पूछताछ की गई तो मुनव्वर के परिवार के 6 लोगों की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

मुनव्वर हसन मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. वह पिछले 15 सालों से उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में रह रहा था. उस का प्रौपर्टी डीलिंग का धंधा अच्छाखासा चल रहा था. अकसर वह विवादित और झगड़े वाली प्रौपर्टी ही खरीदता था. इस तरह की प्रौपर्टी में उसे अच्छा मुनाफा होता था. साहिब खान उर्फ बंटी से उस की लगभग 8 साल पहले मुलाकात हुई थी. उस ने 8 साल पहले मुनव्वर की मार्फत बुराड़ी में एक प्लौट खरीदा था. इस के बाद बंटी का मुनव्वर के साथ उठनाबैठना हो गया था.

बंटी मूलरूप से मेरठ का रहने वाला था और वह थोड़ा धाकड़ किस्म का आदमी था. चूंकि दोनों एक ही इलाके के रहने वाले थे, इसलिए जल्द ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. मुनव्वर को लगा कि अगर बंटी को अपना पार्टनर बना ले तो धंधा अच्छा चल सकता है. इस संबंध में मुनव्वर ने बंटी के पिता से बात की तो उन्होंने बंटी को उस के साथ पार्टनरशिप में प्रौपर्टी का काम करने की इजाजत दे दी. इस के बाद मुनव्वर और बंटी पार्टनरशिप में धंधा करने लगे. कुछ ही दिनों में बंटी मुनव्वर का विश्वासपात्र बन गया.

बुराड़ी के कई प्लौटों, अपार्टमेंट और मकानों पर अवैध कब्जा करने में बंटी ने मुनव्वर का साथ दिया. इस काम के लिए वह कई बार अपने इलाके के बदमाशों को भी लाया. दबंग भूमाफिया छवि के कारण मुनव्वर का पूरे इलाके में खौफ था. लोग उस से डरते थे. कोई भी भला आदमी उस से पंगा नहीं लेना चाहता था. मुनव्वर ने अपनी इसी दबंगई के चलते करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित कर ली थी.

अपनी दबंगई को भुनाने के लिए उस ने सन 2009 में दिल्ली के बादली विधानसभा क्षेत्र से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. वह चुनाव तो नहीं जीत सका, पर उस की राजनैतिक गलियारे में पैठ बन गई.  अब उस का रुतबा और ज्यादा बढ़ गया. बंटी उस का ऐसा दोस्त था, जो साए की तरह उस के साथ रहता था. इलाके में दोनों की जोड़ी मशहूर थी.

कभीकभी आदमी को उन्हीं लोगों से मात मिल जाती है, जिन पर वे आंख मूंद कर विश्वास करते हैं. उसी तरह बंटी भी आस्तीन का सांप निकला. लेकिन इस की शुरुआत मुनव्वर ने ही की थी. दरअसल एक बार मुनव्वर ने बंटी से 20 लाख रुपए लिए. बारबार मांगने के बावजूद मुनव्वर उस के पैसे नहीं लौटा रहा था. इस के अलावा मुनव्वर ने बंटी के एक प्लौट पर भी कब्जा कर लिया था.

बंटी जब भी उस से अपने पैसे मांगता, वह उसे अंजाम भुगतने की धमकी दे कर चुप करा देता था. मुनव्वर के इस व्यवहार से बंटी परेशान हो चुका था. 20 लाख रुपए कोई छोटी रकम नहीं होती, जो वह छोड़ देता. वह अकसर यही सोचता कि मुनव्वर से अपने पैसे कैसे वसूल करे? मुनव्वर की इन्हीं हरकतों से बंटी के मन में उस के लिए नफरत पैदा हो गई, पर वह दिखावे के तौर पर उस का और उस के परिवार का वफादार बना रहा.

उसी बीच 19 जनवरी, 2017 को मुनव्वर दुष्कर्म के आरोप में जेल चला गया. इस के बाद बंटी ही उस के परिवार की देखरेख करता रहा. वह भी पत्नी और एक बच्चे के साथ बुराड़ी में ही रहता था. वह अपने परिवार के साथसाथ मुनव्वर की बीवी और 4 बच्चों का हर तरह से खयाल रख रहा था. यही नहीं, वह मुनव्वर के केस की पैरवी भी कर रहा था.

एक दिन बंटी अपने औफिस में अकेला बैठा था, तभी उस के दिमाग में आया कि उस ने तो मुनव्वर को बड़ा भाई मानते हुए पूरी ईमानदारी से उस का साथ दिया, पर मुनव्वर ने उस की वफा का ऐसा सिला दिया, जिसे वह भुला नहीं पा रहा है.

उसे पता ही था कि मुनव्वर के पास दो, ढाई करोड़ रुपए की संपत्ति है. उसी समय उस के मन में लालच आ गया कि अगर मुनव्वर और उस के बीवीबच्चों को ठिकाने लगा दिया जाए तो उस की सारी संपत्ति पर उस का कब्जा हो सकता है. उस ने तय कर लिया कि वह उस धोखेबाज के साथ ऐसा ही करेगा.

मुनव्वर जेल में था. उस के बाहर आने से पहले ही वह उस की पत्नी और बच्चों को इस तरह ठिकाने लगाना चाहता था कि किसी को भी उस पर शक न हो. बंटी ने मल्टीप्लेक्स में फिल्म ‘दृश्यम’ देखी थी. अचानक उस फिल्म की कहानी याद आ गई. इसी फिल्म की कहानी के आधार पर उस ने मुनव्वर के परिवार की हत्या कर शवों को ठिकाने लगाने का विचार किया.

इस के बाद बंटी ने यह फिल्म कई बार देखी. औफिस में जब भी वह अकेला होता, यही फिल्म देखता. वह एक खौफनाक साजिश रचने लगा. आखिर उस ने एक फूलप्रूफ योजना बना डाली. योजना में उस ने अपने दोस्त दीपक और 5 पेशेवर हत्यारों फिरोज, जुल्फिकार, जावेद, उस के भाई वाहिद और जसवंत को शामिल किया. ये सारे बदमाश मेरठ के रहने वाले थे.

बंटी के पिता की मेरठ में लोहा और स्टील के गेट वगैरह बनाने का कारखाना है. मेरठ के समोली गांव का जुल्फिकार उस के पिता के यहां वेल्डिंग का काम करता था. वह पेशेवर शूटर था. उस के काम छोड़ने पर उसी के गांव का रहने वाला फिरोज वहां वेल्डिंग का काम करने लगा था. वह भी बदमाश था. इन्हीं दोनों के जरिए बंटी की अन्य बदमाशों से जानपहचान हुई थी. बंटी कई बार इन्हें प्रौपर्टी पर कब्जा करने के लिए दिल्ली भी लाया था. 3 लाख रुपए में बंटी ने उन से डील फाइनल कर दी.

योजना को कैसे अंजाम देना है, यह बात बंटी ने पहले ही उन्हें बता दी थी. 20 अप्रैल, 2017 को मुनव्वर के बच्चों की परीक्षाएं समाप्त हुईं. सोनिया ने जब से मुनव्वर से लवमैरिज की थी, तब से उस के घर वाले उस से खफा थे. कभीकभार वह अपनी बहन और मां से फोन पर बातें कर लेती थी.

21 अप्रैल को बंटी अपनी एसएक्स-4 कार से सोनिया उर्फ इशरत को उस की बहन से मिलाने सहारनपुर ले गया. इशरत अपनी जवान बेटियों अर्शिता उर्फ अर्शी और आरजू को घर पर नहीं छोड़ना चाहती थी, इसलिए दोनों बेटियों को भी साथ ले गई थी.

बहन से मिलने के बाद इशरत 22 अप्रैल को दिल्ली लौट रही थी, तभी रास्ते में बंटी को दीपक मिला. बंटी ने उसे भी कार में बैठा लिया. रात साढ़े 11 बजे के करीब सभी दौराला के समोली गांव पहुंचे. वहीं से वह कार को अख्तियारपुर के जंगल में 3 किलोमीटर अंदर ले गया.

वैसे तो इशरत और उस के बच्चे बंटी पर विश्वास करते थे. इस के बावजूद इशरत ने जब कार को जंगल में ले जाने की वजह पूछी तो बंटी ने कहा कि इस समय हाईवे पर बहुत जाम मिलता है, इसलिए शौर्टकट से चल रहा है. इस पर इशरत चुप हो गई.

ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा – भाग 2

रात को करीब 10 बजे अजय का अपहरण करने वालों से सुषमा की ये आखिरी बात थी. इसी के बाद से सुषमा की जान गले में अटकी थी और वह पूरी रात बेचैनी से घर के भीतर टहलती रही. उसे बारबार लग रहा था कि कहीं कोई वाकई उस की एकएक गतिविधि पर नजर तो नहीं रख रहा.

सोचते-सोचते रात आंखोंआंखों में बीत गई. आखिरकार सुषमा ने सुबह अपने पति के बौस को फोन कर के सारी बात बताई. उन्होंने कहा कि वह घर में रहें, कुछ ही देर में पुलिस पहुंच जाएगी.

ठीक वैसा ही हुआ, जैसा अजय के बौस ने कहा था. सुषमा का घर जिस इलाके में है, वह सैंट्रल नोएडा पुलिस के अंडर में आता है. कुछ ही देर में उस के घर की डोरबैल बजी, उस ने दरवाजा खोला तो सादे लिबास में नोएडा पुलिस के एडीशनल कमिश्नर लव कुमार, सैंट्रल नोएडा पुलिस डीसीपी राजेश कुमार सिंह, एडीशनल कमिश्नर रणविजय सिंह, एसीपी विमल कुमार सिंह और सेक्टर 49 थाने के एसओ सुधीर कुमार सिंह सामने खड़े थे.

दरअसल, सुषमा ने जब अपने पति के बौस को अजय के किडनैप होने की जानकारी और इस की एवज में फिरौती मांगने की बात बताई तो डीआरडीओ की तरफ से नोएडा के कमिश्नर आलोक सिंह को फोन कर के इस मामले में गोपनीय ढंग से काम कर के जल्द से जल्द अजय प्रताप सिंह को अपहर्त्ताओं के कब्जे से मुक्त कराने को कहा गया.

डीआरडीओ का एक्शन

डीआरडीओ देश के सुरक्षा उपकरणों व प्रतिष्ठानों से जुड़ा ऐसा संगठन है जो रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है. अजय प्रताप सिंह इसी संस्था से जुड़े वैज्ञानिक थे. उन के पास संस्था से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां भी रहती थीं.

इसलिए जैसे ही पुलिस कमिश्नर को यह जानकारी मिली, उन्होंने एडिशनल कमिश्नर लव कुमार को सारी जानकारी दे कर बेहद गोपनीय ढंग से अजय प्रताप को अपहर्त्ताओं के कब्जे से मुक्त कराने का औपरेशन शुरू करने का आदेश दिया.

इस के बाद लव कुमार ने तड़के ही तमाम अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई और सभी अफसरों को सादे कपड़ों में अजय प्रताप के घर पहुंचने को कहा.

अधिकारियों ने अपना परिचय देने के बाद जब सुषमा से अजय प्रताप सिंह के अपहरण से जुड़ी सारी जानकारियां मांगी तो उन्होंने वह पूरा घटनाक्रम बयान कर दिया, जो अब तक हुआ था.

पुलिस ने सुषमा से वे दोनों नंबर हासिल कर लिए, जिन पर पहले पति अजय प्रताप से बात हुई थी और दूसरी बार अपहर्त्ता ने फोन कर के रकम की मांग की थी. सुषमा वर्मा से पुलिस ने एक लिखित शिकायत भी ले ली. सादे लिबास में पुलिस के कुछ लोगों और महिला पुलिस की कुछ तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को सुषमा के पास छोड़ कर पुलिस टीम वापस लौट गई.

सुषमा की शिकायत पर उसी दिन थाना 49 पर भादंसं की धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण का मामला दर्ज कर लिया गया.

डीसीपी राजेश कुमार सिंह ने एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह की निगरानी में एक विशेष टीम का गठन कर दिया. एसीपी विमल कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में थाना सेक्टर 49 के थानाप्रभारी सुधीर कुमार सिंह के अलावा एसआई विकास कुमार, महिला एसआई प्रीति मलिक, हैड कांस्टेबल प्रभात कुमार, जय विजय, कांस्टेबल सुबोध कुमार, सुदीप कुमार,अंकित पंवार और महिला कांस्टेबल रेनू यादव को शामिल किया गया.

इस के अलावा दूसरी स्टार टू टीम के एसआई शावेज खान तथा जोन फर्स्ट की सर्विलांस टीम के एसआई नवशीष कुमार को शामिल किया गया.

सभी टीमों को बता दिया गया था कि मामला बेहद संवेदनशील है, इसलिए बिना विलंब किए और बिना किसी को भनक लगे सावधानी से औपरेशन को अंजाम देना है.

गठित की गई टीमों में काम का बंटवारा कर दिया गया कि किसे इस औपरेशन में क्या भूमिका निभानी है.

एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने गठित की गई टीमों के साथ कोऔर्डिनेशन का जिम्मा खुद संभाला लिया. सर्विलांस टीम ने सुषमा वर्मा से मिले दोनों मोबाइल नंबरों के साथ अजय प्रताप सिंह के नंबर की काल डिटेल्स निकाली और तीनों नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर निगरानी शुरू कर दी.

स्टार टू की टीम ने फिरौती के लिए अपहरण करने वाले बदमाशों की धरपकड़ और उन के ठिकानों पर छापेमारी का काम शुरू कर दिया. जबकि इस मामले के जांच अधिकारी थानाप्रभारी सुधीर कुमार सिंह ने अपने थाने की टीम के साथ सर्विलांस टीम से मिल रही जानकारी के आधार पर धरपकड़ शुरू कर दी.

सर्विलांस टीम को पता चला कि शाम को 5 बजे के बाद जब अजय प्रताप सिंह का फोन बंद हुआ था, तो उस से पहले उन्होंने आखिरी बार 3 नंबरों पर बात की थी. उन सभी नंबरों की लोकेशन सेक्टर 41 में आगाहपुर के पास बने ओयो होटल की पाई गई. इतना ही नहीं, फोन बंद होते समय अजय प्रताप के फोन की लोकेशन भी पुलिस को इसी होटल की मिली.

पुलिस को मिली राह

जानकारी बेहद महत्त्वपूर्ण थी, लेकिन इस पर ठोस काररवाई करने से पहले अधिकारी यह पुष्टि कर लेना चाहते थे कि उक्त होटल से अपहरण करने वालों का कोई वास्ता है या नहीं. क्योंकि अगर सर्विलांस के आधार पर वहां छापा मारा जाता और अजय प्रताप नहीं मिलते तो उन की जान को खतरा हो सकता था.

लिहाजा अधिकारियों ने एसओ सुधीर कुमार की टीम के एक तेजतर्रार हैड कांस्टेबल जय विजय सिंह को फरजी ग्राहक बना कर ओयो होटल भेजा. जय विजय सिंह ने सेक्टर 41 के ओयो होटल में पहुंच कर वहां एक कमरा बुक कराया और खुद को काम के सिलसिले में पूर्वी उत्तर प्रदेश से आया हुआ बताया.

कमरा बुक करने के बाद जब जय विजय ने होटल में चल रही गतिविधियों की निगरानी शुरू की तो दूसरी मंजिल पर बने 2 कमरों के आसपास कुछ संदिग्ध गतिविधियां दिखीं.

जय विजय ने होटल की पार्किंग की छानबीन की तो वहां अजय प्रताप सिंह की वह होंडा सिटी कार भी खड़ी दिखाई दी, जिस का नंबर सुषमा वर्मा से मिला था.

जय विजय को जब यकीन हो गया कि हो न हो अजय प्रताप को ओयो होटल के अंदर ही छिपाकर रखा गया है तो उस ने अधिकारियों को सूचना दे दी.